फूलो में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी


Phoolon Me Saj Rahe Hai, Shri Vrindavan Bihari Lyrics

फूलो में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी
और साथ सज रही हैं, वृषभानु की दुलारी॥


फूलों में सज रहे है, श्री वृंदावन बिहारी एक लोकप्रिय कृष्ण भजन है जिसमें भगवान कृष्ण और राधा, जो फूलों से सजे हुए हैं, की सुंदरता और कृपा का वर्णन किया गया है ।

इस भजन को प्रसिद्ध भजन गायक श्री विनोद अग्रवाल जी ने गाया है। मधुर धुन और श्री विनोदजी की वाणी हृदय को भक्ति से भर देती है, और माहौल भक्तिमय बन जाता है।


फूलो में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी

फूलो में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी
और साथ सज रही हैं, वृषभानु की दुलारी॥


टेढ़ा सा मुकुट सर पर, रखा है किस अदा से।
करुणा बरस रही है, करुणा भरी निगाह से।
बिन मोल बिक गयी हूँ, जब से छवि निहारी

फूलो में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी।


बैंयां गले में डाले, जब दोनों मुस्कराते।
सबको ही प्यारे लगते, सबके ही मन को भाते।
इन दोनों पे मैं सदके, इन दोनों पे मैं वारी॥

फूलो में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी।


श्रृंगार तेरा प्यारे, शोभा कहूँ क्या उसकी।
श्रृंगार तेरा प्यारे, शोभा कहूँ क्या उसकी।
इतपे गुलाबी पटका, उतपे गुलाबी साड़ी॥

फूलो में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी।


नीलम से सोहे मोहन, स्वर्णिम सी सोहे राधा
नीलम से सोहे मोहन, स्वर्णिम सी सोहे राधा।
इत नन्द का है छोरा, उत भानु की दुलारी॥

फूलो में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी।


चुन चुन के कलियाँ जिसने, बंगला तेरा बनाया।
दिव्य आभूषणों से, जिसने तुझे सजाया।
उन हाथों पे मैं सदके, उन हाथों पे मैं वारी॥

फूलो में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी।


फूलो सें सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी।
और साथ सज रही हैं, वृषभानु की दुलारी॥


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Phoolon Me Saj Rahe Hai – Shri Vrindavan Bihari

Vinod Agarwal


Krishna Bhajan



फूलो सें सज रहे हैं भजन

फूलों में सज रहे है, भगवान कृष्ण को समर्पित एक लोकप्रिय भजन है, जिन्हे वृन्दावन बिहारी, बांके बिहारी भी कहा जाता है।

भगवान् कृष्ण का रूप और मंदिर का वातावरण

भजन में भगवान कृष्ण की दिव्य सुंदरता और कृष्ण मंदिर के मोहक वातावरण को दर्शाया गया है, जहां फूल और दिव्य प्रेम, भक्त के अस्तित्व के हर पहलू को सुशोभित करते हैं।

भजन अक्सर सत्संग में और भक्ति सभाओं के दौरान गाया जाता है, खासकर भगवान कृष्ण के मंदिरों में।

यह वृंदावन में भगवान कृष्ण के दिव्य लीलाओं के सार को दर्शाता है और साथ ही साथ भक्तों के दिव्य प्रेम और भक्ति को भी उजागर करता है।

फूलों में सज रहे है, श्री वृन्दावन बिहारी के बोल फूलों से भगवान कृष्ण की दिव्य सजावट का वर्णन करते हैं।

फूलों से सुशोभित भगवान् कृष्ण

इसमें भगवान कृष्ण के विभिन्न सुंदर फूलों से सुशोभित होने के दृश्य को दर्शाया गया है, जो उनके भक्तों के प्रेम और भक्ति का प्रतीक है।

यह भजन, कृष्णा की दिव्य उपस्थिति और कृष्ण मंदिर में खुशी के माहौल का जश्न मनाता है, जहां भक्त अपने हार्दिक प्रेम की पेशकश करते हैं और भगवान कृष्ण को फूलों से सजाते हैं।

भजन की मधुर धुन और विनोदजी की आवाज से माहौल भक्तिमय बन जाता है।

इसे अक्सर हारमोनियम और तबला जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ भक्ति और उत्साह के साथ गाया जाता है, जो भक्तों के लिए आध्यात्मिक अनुभव को बढ़ाता है।

यह भजन क्यों इतना पसंद किया जाता है?

यह भजन कृष्ण भक्तों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है, क्योंकि यह भगवान कृष्ण के साथ दिव्य प्रेम और संबंध की भावना पैदा करता है।

यह भजन भगवान कृष्ण और उनके भक्तों के बीच भक्ति से भरे रिश्ते की याद दिलाता है।

कुल मिलाकर, फूलों में सज रहे है एक प्रिय भजन है जो भगवान कृष्ण की दिव्य उपस्थिति और उनके भक्तों की आराधना का जश्न मनाता है।

यह वृंदावन के दिव्य क्षेत्र के साथ उनके संबंध को मजबूत करते हुए भक्तों के बीच प्रेम, भक्ति और दिव्य आनंद की भावना को बहुत खूबसूरती से बयान करता है।


कृष्ण चरणों में श्रद्धा के फूल

हंस हंस झूलते घनश्याम, राधा संग जोड़ी प्यारी।
युगल छवि सोहती अनुपम, राधा कृष्णा श्याम बलिहारी॥
गुलाबी पटका, गले कण्ठी, रतन हीरा जड़े कंकन।
अधर लाली मुकुट कुण्डल, हाथमें फूल गुलजारी॥

कान्ति मुख चन्द्रकी देखे, सूर्यका भान होता हैं।
कमल नेत्रोंमें मन मोह, रूपकी झांकी है न्यारी॥
कृष्ण है संसारके मालिक, न शोभा उनकी वरणी जाएं।
धरूं मैं ध्यान राधाकृष्ण का, जगतमें जो है हितकारी॥

हिंडोला पुष्पका सुन्दर, नरम रेशमकी रस्सी है।
युगल छवि लूटते आनंद, बृज के धन्य नर नारी॥
युगल-जोडीको स्मरण कर, भक्त कहता कर जोड़ी।
लगाओ प्रेमकी डोरी, विपत्ती दूर हो जाए सारी॥


तुझे फूलों में देखूं, बहारों में देखूं, तुझे चाँद में देखूं, सितारों में देखूं
कण कण में बसा नाम तेरा, जहां देखूं प्रभु तेरा काम देखूं


Krishna Bhajan