ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन - आध्यात्मिक महत्व


ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन

ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन लिरिक्स के इस पेज में पहले मीरा भजन के हिंदी लिरिक्स दिए गए है।

बाद में इस भजन का आध्यात्मिक महत्व दिया गया है और इसकी पंक्तियों से हमें कौन कौन सी बातें सीखने को मिलती है यह बताया गया है, जो हमें भक्ति मार्ग पर चलने में मदद कर सकती है।

क्योंकि इस भजन में हमें मीराबाई की कृष्ण-भक्ति से कई प्रेरणादायक संदेश मिलते हैं और उनकी भक्ति की महानता के बारे में भी जानने को मिलता है।


Aisi Lagi Lagan Meera Ho Gayi Magan Hindi Lyrics

ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन।
वो तो गली गली, हरी गुण गाने लगी॥


बेकार वो मुख है, जो रहे व्यर्थ बातों में।
मुख है वो जो, हरी नाम का सुमिरन किया करे॥

हीरे मोती से नहीं शोभा है हाथ की।
है हाथ जो भगवान् का पूजन किया करे॥

मर के भी अमर नाम है उस जीव का जग में।
प्रभु प्रेम में बलिदान जो जीवन किया करे॥


ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन।
वो तो गली गली, हरी गुण गाने लगी॥
महलों में पली, बन के जोगन चली।
मीरा रानी दीवानी कहाने लगी॥

[ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन।
वो तो गली गली, हरी गुण गाने लगी॥]


कोई रोके नहीं, कोई टोके नहीं,
मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी।
बैठी संतो के संग, रंगी मोहन के रंग,
मीरा प्रेमी प्रीतम को मनाने लगी।
वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी॥
[ऐसी लागी लगन…]


राणा ने विष दिया, मानो अमृत पिया,
मीरा सागर में सरिता समाने लगी।
दुःख लाखों सहे, मुख से गोविन्द कहे,
मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी।
वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी॥
[ऐसी लागी लगन…]


महलों में पली, बन के जोगन चली।
मीरा रानी दीवानी कहाने लगी॥
ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन।
वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी॥


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Krishna Bhajan



ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन भजन का आध्यात्मिक महत्व

ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन” भजन की पंक्तियों से हमें मीराबाई के जीवन और भक्ति से कई प्रेरणादायक शिक्षाएं मिलती हैं। साथ ही साथ सच्ची भक्ति, धैर्य, ध्यान, और संतों के साथ सत्संग करने का महत्व भी समझ में आता है।

भक्ति से सम्बंधित जो महत्वपूर्ण बातें इस भजन से हमें सीखने को मिलती हैं, उनमे से कुछ हैं –


भक्ति में समर्पण

ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन।
वो तो गली गली, हरी गुण गाने लगी॥

मीराबाई ने अपनी पूरी जिंदगी कृष्ण को समर्पित कर दी थी। वे कृष्ण के प्रति इतनी समर्पित थीं कि उन्होंने उनके लिए अपना सब कुछ छोड़ दिया। उन्होंने कृष्ण की भक्ति को ही अपना जीवन बना लिया था।

इन पंक्तियों से हमें यह शिक्षा मिलती है कि भक्ति में समर्पण होना चाहिए और हमें भी भक्ति को अपने जीवन का केंद्र बनाना चाहिए।


भक्ति में दृढ़ता

महलों में पली, बन के जोगन चली।
मीरा रानी दीवानी कहाने लगी॥

मीराबाई को कृष्ण के प्रति भक्ति इतनी गहरी थी की जब उन्हें लगने लगा की महलों की बाते उनकी भक्ति में बाधक बन रही है, तो उन्होंने महल छोड़ दिया।

उन्होंने घर-परिवार, धन-संपत्ति सब त्याग दिया और कृष्ण के प्रेम में लीन हो गईं। वे हर समय कृष्ण के गुण गाती रहती थीं। उनके प्रेम और भक्ति की शक्ति से वे सबको प्रभावित करती थीं।

वे किसी भी तरह के विरोध या उपहास से भी नहीं डरी।


भक्ति में आत्मविश्वास

कोई रोके नहीं, कोई टोके नहीं,
मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी।

मीराबाई की भक्ति में प्रेम का अद्भुत संगम था। उन्होंने कृष्ण को अपना सर्वस्व मान लिया था। वह कृष्ण के प्रेम में डूबकर रहती थीं।

उन्होंने भक्ति में आत्मविश्वास का परिचय दिया। उन्होंने कभी नहीं सोचा कि उनके जैसे सामान्य व्यक्ति को कृष्ण की प्राप्ति नहीं होगी।

उन्होंने अपने प्रेम और विश्वास के बल पर कृष्ण को पा लिया।


भक्ति में साहस

दुःख लाखों सहे, मुख से गोविन्द कहे,
मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी।

मीराबाई ने भक्ति में साहस और दृढ़ता का भी परिचय दिया। उन्होंने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने अपनी भक्ति नहीं छोड़ी।

यह पंक्ति हमें बताती है की मीराबाई ने अपनी भक्ति के लिए अपने परिवार और समाज के विरोध का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

इसी प्रकार हमें भी अपने जीवन में भक्ति के लिए कठिनाइयों का सामना करने से नहीं डरना चाहिए।


भक्ति में प्रेम की पराकाष्ठा

राणा ने विष दिया, मानो अमृत पिया,
मीरा सागर में सरिता समाने लगी।

उन्होंने दुख, अपमान, और यहां तक कि अपने परिवार और समाज के तिरस्कार को भी सहा।

मीराबाई के कृष्ण प्रेम को उनके घरवाले और समाज ने नहीं समझा। उन्हें तरह-तरह की परेशानियां दी गईं। लेकिन, मीरा ने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी कृष्ण-भक्ति को कभी नहीं छोड़ा।

उन्होंने समाज के रीति-रिवाजों और रूढ़ियों को चुनौती दी। उन्होंने महिलाओं को भी भक्ति के लिए प्रेरित किया।

इससे हमें यह भी सीखने को मिलता है कि जीवन में होने वाली परेशानियां हो या भक्ति मार्ग पर चलते समय मिलने वाली कठिनाइयां, दोनो का सामना करने के लिए धैर्य और ध्यान का महत्व होता है।


संत समाज का महत्व

बैठी संतो के संग, रंगी मोहन के रंग,
मीरा प्रेमी प्रीतम को मनाने लगी।

मीरा बाई ने अपने जीवन में संतों का मार्गदर्शन प्राप्त किया। संतों के सान्निध्य में रहने से उनकी भक्ति और प्रेम में और भी अधिक वृद्धि हुई।

मीरा बाई कृष्ण के प्रेम में इतनी डूब गईं कि उन्होंने अपने जीवन को कृष्ण के लिए समर्पित कर दिया। वे कृष्ण के बिना एक पल भी नहीं रह सकती थीं। वे कृष्ण के दर्शन के लिए तरसती रहती थीं।

यह बात हमें संतों के साथ सत्संग करने और सद्गुरु के मार्ग पर चलने के महत्व को बताती है। साथ ही हमें सिखाती है की हमें संत समाज का सम्मान करना चाहिए। क्योंकि संतों के मार्गदर्शन से ही हमें सही मार्ग मिल सकता है।


Summary

इस प्रकार ऐसी लागी लगन भजन की पंक्तियाँ भक्त को मीराबाई की तरह ईश्वर भक्ति करने की प्रेरणा देती है।

भक्ति हमें मोक्ष की प्राप्ति कराती है। मीरा बाई ने भी अपनी भक्ति के माध्यम से मोक्ष प्राप्त किया। यह बताती है की भक्ति की शक्ति बहुत बड़ी होती है, जो हमें जीवन में सही मार्गदर्शन देती है।

इन पंक्तियों को पढ़कर हमें यह भी प्रेरणा मिलती है कि हमें भी मीरा बाई की तरह कृष्ण की भक्ति में लीन होना चाहिए। हमें दिन रात सिर्फ अपनी भौतिक इच्छाओं के पीछे नहीं भागना चाहिए, बल्कि कृष्ण के प्रति सच्ची भक्ति रखनी चाहिए।

मीरा बाई ने कृष्ण की भक्ति के माध्यम से अपने जीवन को पूर्ण बनाया। भक्ति हमें जीवन में पूर्णता और संतुष्टि प्रदान कर सकती है। इसलिए हमें कृष्ण को अपना सर्वस्व मानना चाहिए और उनकी भक्ति में डूब जाना चाहिए। इन शिक्षाओं को अपनाकर हम भी अपने जीवन में सफलता और सुख प्राप्त कर सकते हैं।


Krishna Bhajan



ऐसी लागी लगन भजन

ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन” हिंदी में एक लोकप्रिय भजन है जो भगवान कृष्ण के प्रति मीराबाई की भक्ति और प्रेम से जुड़ा है।

इसमें मीराबाई के परमात्मा के साथ गहरे और गहन आध्यात्मिक संबंध को दर्शाया गया है।

कृष्णभक्त मीराबाई

मीराबाई (1498-1547) सोलहवीं शताब्दी की एक कृष्ण भक्त और कवयित्री थीं।
Source – Wikipedia – Meerabai

मीराबाई ने भगवान कृष्ण को समर्पित कई भक्तिगीतों की रचना की और गाए है। उन्होंने अपनी मर्मस्पर्शी और हृदयस्पर्शी कविताओं और पदों के माध्यम से भगवान कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त की है। संत रैदास या रविदास उनके गुरु थे।

ऐसी लागी लगन भजन, मीरा की भगवान कृष्ण के प्रति उनके प्रेम से पूरी तरह से लीन और मुग्ध होने की स्थिति को चित्रित करता है।

यह गीत उनके समर्पण और भक्ति को व्यक्त करता हैं, यह वर्णन करते हुए कि कैसे परमात्मा के प्रति उनके प्रेम ने उन्हें पूरी तरह से लीन कर दिया है।

समय के साथ, मीराबाई के भजन विभिन्न कलाकारों द्वारा गाए गए और लोकप्रिय हुए और भक्ति संगीत प्रदर्शनों की सूची का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए।

कृष्ण की भक्ति में लीन मीराबाई

ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन” का मधुर संगीत और भक्ति भाव से भरे शब्द, मीराबाई की ईश्वर के प्रति गहरी लालसा और भक्ति के सार को बहुत खूबसूरती से दर्शाता है।

यह भजन अक्सर बड़े भावनात्मक उत्साह के साथ गाया जाता है, आध्यात्मिक परमानंद और परमात्मा के साथ संबंध की भावना का आह्वान करता है।

भजन भक्तों और भक्ति संगीत के प्रेमियों द्वारा गाया जाता है, क्योंकि यह मीरा बाई के भगवान कृष्ण के प्रति गहन प्रेम और भक्ति की याद दिलाता है।

यह श्रोताओं को मीराबाई की तरह भक्ति की गहराई विकसित करने और परमात्मा के प्रति समर्पण करने के लिए प्रेरित करता है।