श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा


Shiv Bhajan

श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा


सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्ये
ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम्।
भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णं तं
सोमनाथं शरणं प्रपद्ये॥
जय सोमनाथ, जय सोमनाथ॥

श्रीसोमनाथ ज्योतिर्लिंग – आद्य ज्योतिर्लिंग

शंकरजी के बारह ज्योतिर्लिंग में से सोमनाथ को आद्य ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह स्वयंभू देवस्थान होने के कारण और हमेशा जागृत होने के कारण लाखों भक्तगण यहाँ आकर पवित्र-पावन बन जाते है।

श्री सोमनाथ सौराष्ट्र (गुजरात) के प्रभास क्षेत्र में विराजमान है।

सौराष्ट्र के श्रीसोमनाथ का यह शिवतीर्थ, अग्नितीर्थ और सूर्यतीर्थ सर्वप्रथम चंद्रमा को प्रसन्न हुए। तब उसने भारत में सबसे पहले श्रीशंकरजी के दिव्य ज्योतिर्लिग की स्थापना करके उस पर अतिसुंदर स्वर्णमंदिर बाँधा।

Somnath Temple

श्रीसोमनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा

स्कंद-पुराण के प्रभासखंड में श्रीसोमनाथ की कथा का संदर्भ मिलता है। कथा इस प्रकार है:-

चन्द्र अर्थात् सोम ने, दक्षप्रजापति राजा की २७ पुत्रियों से विवाह किया था। किंतु एक मात्र रोहिणी में इतनी आसक्ति और इतना अनुराग दिखाया कि अन्य छब्बीस अपने को उपेक्षित और अपमानित अनुभव करने लगी।

उन्होंने अपने पति से निराश होकर अपने पिता से शिकायत की तो पुत्रियों की वेदना से पीड़ित दक्ष ने अपने दामाद चन्द्रमा को दो बार समझाने का प्रयास किया।

परन्तु विफल हो जाने पर उसने चन्द्रमा को “क्षयी” होने का शाप दिया और कहा की अब से हर दिन तुम्हारा तेज (काँति, चमक) क्षीण होता रहेगा।

फलस्वरूप हर दूसरे दिन चंद्र का तेज घटने लगा।

देवता लोग चन्द्रमा की व्यथा से व्यथित होकर ब्रह्माजी के पास जाकर उनसे शाप निवारण का उपाय पूछने लगे।

ब्रह्माजी ने प्रभासक्षेत्र में महामृत्युंजय से शंकरजी की उपासना करना एकमात्र उपाय बताया।

चन्द्रमा के छ: मास तक शिव पूजा करने पर शंकर जी प्रकट हुए और चन्द्रमा को एक पक्ष में प्रतिदिन उसकी एक-एक कला नष्ट होने और दूसरे पक्ष में प्रतिदिन बढने का उन्होने वर दिया।

देवताओं पर प्रसन्न होकर उस क्षेत्र की महिमा बढ़ाने के लिए और चन्द्रमा (सोम) के यश के लिए सोमेश्वर नाम से शिवजी वहां अवस्थित हो गए।

Somnath Jyotirling

देवताओं ने उस स्थान पर सोमेश्वर कुण्ड की स्थापना की। इस कुण्ड में स्नान कर सोमेश्वर ज्योर्तिलिग के दर्शन पूजा से सब पापों से निस्तार और मुक्ति की प्राप्ति हो जातीं है।

चन्द्रमा को सोम नाम से भी पहचाना जाता है। इसलिए यह ज्योतिर्लिंग सोमनाथ के नाम से मशहूर है।

चंद्रमा को इस स्थान पर तेज प्राप्त हुआ। अत: इस स्थान को प्रभासपट्टण इस नाम से भी जाना जाता है।

भारत का यह आद्य ज्योतिर्लिंग करोड़ों भक्तों का श्रद्धास्थान है। लाखों यात्रियों की भीड यहाँ सदा लगी रहती है। अनेक सिद्ध-सत्पुरुषों का सत्संग लोगों को प्राप्त होता है। समुद्रतटपर कठियावाड़ के प्रदेश में. प्रभासपट्टण के आसपास मंदिर. स्मारक और पौराणिक स्थान है।

Somnath Jyotirling Katha
Somnath Jyotirling Katha

Jyotirling Katha

Shiv Bhajans

Somnath Jyotirling Katha

Deepti Bhatnagar

Shiv Bhajans