होली खेल रहे नन्दलाल, वृन्दावन की कुंज गलिन में - 1


होली खेल रहे नन्दलाल, वृन्दावन की कुंज गलिन में – 1

होली खेल रहे नन्दलाल,
वृन्दावन की कुंज गलिन में।
वृन्दावन की कुंज गलिन में,
वृन्दावन की कुंज गलिन में॥


संग सखा श्याम के आये,
रंग भर पिचकारी लाए।
हो कर रहे सबका हाल बेहाल
वृन्दावन की कुंज गलिन में॥

वृन्दावन की कुंज गलिन में,
वृन्दावन की कुंज गलिन में।
होली खेल रहे नन्दलाल,
वृन्दावन की कुंज गलिन में॥


चल गली रँगीली आए,
ढप-झाँझ-मृदंग बजाए।
गाँवें नाचें, छेड़ें तान
वृन्दावन की कुंज गलिन में॥

वृन्दावन की कुंज गलिन में,
वृन्दावन की कुंज गलिन में।
होली खेल रहे नन्दलाल,
वृन्दावन की कुंज गलिन में॥


रंग भर पिचकारी मारी,
चूनर की आब बिगारी।
मेरे मुख पे मला गुलाल
वृन्दावन की कुंज गलिन में॥

वृन्दावन की कुंज गलिन में,
वृन्दावन की कुंज गलिन में।
होली खेल रहे नन्दलाल,
वृन्दावन की कुंज गलिन में॥


छवि निरख श्याम की प्यारी,
सब भक्त बजावे तारी।
सब पर रंग डाल रहे ग्वाल,
वृन्दावन की कुंज गलिन में॥

वृन्दावन की कुंज गलिन में,
वृन्दावन की कुंज गलिन में।
होली खेल रहे नन्दलाल,
वृन्दावन की कुंज गलिन में॥


Holi Khel Rahe Nandlal, Vrindavan – 1

Banwari Maharaj


Krishna Bhajan