Sant Kabir ke Dohe – Bhakti + Meaning in Hindi


संत कबीर के दोहे – भक्ति – अर्थ सहित

Bhakti – Kabir ke Dohe – (Arth sahit)


कामी क्रोधी लालची,
इनसे भक्ति ना होय।
भक्ति करै कोई सूरमा,
जाति बरन कुल खोय॥

अर्थ (Meaning in Hindi):

  • कामी क्रोधी लालची – कामी (विषय वासनाओ में लिप्त रहता है), क्रोधी (दुसरो से द्वेष करता है) और लालची (निरंतर संग्रह करने में व्यस्त रहता है)
  • इनते भक्ति न होय – इन लोगो से भक्ति नहीं हो सकती
  • भक्ति करै कोई सूरमा – भक्ति तो कोई पुरुषार्थी, शूरवीर ही कर सकता है, जो
  • जादि बरन कुल खोय – जाति, वर्ण, कुल और अहंकार का त्याग कर सकता है

भक्ति बिन नहिं निस्तरे,
लाख करे जो कोय।
शब्द सनेही होय रहे,
घर को पहुँचे सोय॥

अर्थ (Meaning in Hindi):

  • भक्ति बिन नहिं निस्तरे – भक्ति के बिना मुक्ति संभव नहीं है
  • लाख करे जो कोय – चाहे कोई लाख प्रयत्न कर ले
  • शब्द सनेही होय रहे – जो सतगुरु के वचनों को (शब्दों को) ध्यान से सुनता है और उनके बताये मार्ग पर चलता है
  • घर को पहुँचे सोय – वे ही अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है

भक्ति भक्ति सब कोई कहै,
भक्ति न जाने भेद।
पूरण भक्ति जब मिलै,
कृपा करे गुरुदेव॥

अर्थ (Meaning in Hindi):

  • भक्ति भक्ति सब कोई कहै – भक्ति भक्ति हर कोई कहता है (सभी सभी लोग भक्ति करना चाहते हैं), लेकिन
  • भक्ति न जाने भेद – भक्ति कैसे की जाए यह भेद नहीं जानते
  • पूरण भक्ति जब मिलै – पूर्ण भक्ति (सच्ची भक्ति) तभी हो सकती है
  • कृपा करे गुरुदेव – जब सतगुरु की कृपा होती है (1)

भक्ति जु सीढ़ी मुक्ति की,
चढ़े भक्त हरषाय।
और न कोई चढ़ि सकै,
निज मन समझो आय॥

अर्थ (Meaning in Hindi):

  • भक्ति जु सिढी मुक्ति की – भक्ति मुक्ति वह सीढी है
  • चढ़े भक्त हरषाय – जिस पर चढ़कर भक्त को अपार ख़ुशी मिलती है
  • और न कोई चढ़ी सकै – दूसरा कोई (जो मनुष्य सच्ची भक्ति नहीं कर सकता) इस पर नहीं चढ़ सकता है
  • निज मन समझो आय – यह समझ लेना चाहिए

भक्ति महल बहु ऊँच है,
दूरहि ते दरशाय।
जो कोई जन भक्ति करे,
शोभा बरनि न जाय॥


जब लग नाता जगत का,
तब लग भक्ति न होय।
नाता तोड़े हरि भजे,
भगत कहावें सोय॥


भक्ति भक्ति सब कोइ कहै,
भक्ति न जाने मेव।
पूरण भक्ति जब मिलै,
कृपा करे गुरुदेव॥


बिना साँच सुमिरन नहीं,
बिन भेदी भक्ति न सोय।
पारस में परदा रहा,
कस लोहा कंचन होय॥

अर्थ (Meaning in Hindi):

  • बिना सांच सुमिरन नहीं – बिना ज्ञान के प्रभु का स्मरण (सुमिरन) नहीं हो सकता और
  • बिन भेदी भक्ति न सोय – भक्ति का भेद जाने बिना सच्ची भक्ति नहीं हो सकती
  • पारस में परदा रहा – जैसे पारस में थोडा सा भी खोट हो
  • कस लोहा कंचन होय – तो वह लोहे को सोना नहीं बना सकता.
    • यदि मन में विकारों का खोट हो (जैसे अहंकार, आसक्ति, द्वेष), तो सच्चे मन से भक्ति नहीं हो सकती

और कर्म सब कर्म है,
भक्ति कर्म निहकर्म।
कहैं कबीर पुकारि के,
भक्ति करो तजि भर्म॥


भक्ति दुहेली गुरुन की,
नहिं कायर का काम।
सीस उतारे हाथ सों,
ताहि मिलै निज धाम॥


गुरु भक्ति अति कठिन है,
ज्यों खाड़े की धार।
बिना साँच पहुँचे नहीं,
महा कठिन व्यवहार॥


आरत है गुरु भक्ति करूँ,
सब कारज सिध होय।
करम जाल भौजाल में,
भक्त फँसे नहिं कोय॥


भाव बिना नहिं भक्ति जग,
भक्ति बिना नहीं भाव।
भक्ति भाव इक रूप है,
दोऊ एक सुभाव॥


भक्ति भाव भादौं नदी,
सबै चली घहराय।
सरिता सोई सराहिये,
जेठ मास ठहराय॥

Sant Kabir Bhajans and Dohe

Bhakti – Kabir ke Dohe

Kaami krodhi lallchi,
inase bhakti na hoy.
Bhakti karai koi soorama,
jaati baran kul khoy.


Bhakti bin nahi nistare,
laakh kare jo koy.
Shabd sanehi hoy rahe,
ghar ko pahunche soy.


Bhakti bhakti sab koi kahai,
bhakti na jaane bhed.
Pooran bhakti jab milai,
kripa kare gurudev.


Bhakti ju sidhi mukti ki,
chadhe bhakt harashaay.
Aur na koi chadhi sakai,
nij man samajho aay.


Bhakti mahal bahu oonch hai,
doorahi te darashaay.
Jo koi jan bhakti kare,
shobha barani na jaay.


Jab lag naata jagat ka,
tab lag bhakti na hoy.
Naata tode Hari bhaje,
bhagat kahaaven soy.


Bina saanch sumiran nahin,
bin bhedi bhakti na soy.
Paaras mein parada raha,
kas loha kanchan hoy.


Aur karm sab karm hai,
bhakti karm nihakarm.
Kahai Kabir pukaari ke,
bhakti karo taji bharm.


Bhakti duheli guru ki,
nahi kaayar ka kaam.
Sis utaare haath so,
taahi milai nij dhaam.


Guru bhakti ati kathin hai,
jyon khaade ki dhaar.
Bina saanch pahunche nahin,
maha kathin vyavahaar.


Aarat hai Guru bhakti karoo,
sab kaaraj sidh hoy.
Karam jaal bhaujaal mein,
bhakt phanse nahi koy.


Bhaav bina nahi bhakti jag,
bhakti bina nahi bhaav.
Bhakti bhaav ik roop hai,
dooo ek subhaav.


Bhakti bhaav bhaado nadi,
sabai chali ghaharaay.
Sarita soi saraahiye,
jeth maas thaharaay.