भोले शंकर तेरे दर्शन को, लाखो कावड़िया आये रे


भोले शंकर तेरे दर्शन को

भोले शंकर तेरे दर्शन को,
लाखो कावड़िया आये रे।
भांग धतुरा रगड़ रगड़ के,
गंगा नीर चढ़ाएं रे॥


ऐसी मस्ती छाए रही,
इस सावन के महीने में।
के दे दे ये पल में भोला,
कमी नही है खजाने में॥

घार लंगोटी, हाथ में डमरू,
नंदेश्वर कहलाये रे।
भांग धतुरा रगड़ रगड़ के,
गंगा नीर चढ़ाएं रे॥

भोले शंकर तेरे दर्शन को,
लाखो कावड़िया आये रे।
भांग धतुरा रगड़ रगड़ के,
गंगा नीर चढ़ाएं रे॥


अंग भभूती, मुंड-माल गल,
नाग शेष लिपटाया रे।
तपती गर्मी घूणा (धुना) रमता
आगे आसन लाया रे,

सुध बुध नही रही, भोले ने
इत यो डमरू बजाये रे।
भांग धतुरा रगड़ रगड़ के,
गंगा नीर चढ़ाएं रे॥

भोले शंकर तेरे दर्शन को,
लाखो कावड़िया आये रे।
भांग धतुरा रगड़ रगड़ के,
गंगा नीर चढ़ाएं रे॥


जटा गंगा और रजत चंद्रमा,
सोहे शीश पे थारे रे।
ॐ नाम के नाद से तूने,
धरती अम्बर तारे रे॥

कीड़ी ने कण, हाथी ने मन,
भोला सबने पुगाये रे।
भांग धतुरा रगड़ रगड़ के,
गंगा नीर चढ़ाएं रे॥

भोले शंकर तेरे दर्शन को,
लाखो कावड़िया आये रे।
भांग धतुरा रगड़ रगड़ के,
गंगा नीर चढ़ाएं रे॥


भस्मा सुर ने करी तपस्या,
वर दिया मुह माँगा रे।
जैसी करनी वैसी भरनी
के अनुसार वो पाया रे॥

शिव धुनें पर, सज्जन, सिरसा
वाला, शीश नवाया रे।
भांग धतुरा रगड़ रगड़ के,
गंगा नीर चढ़ाएं रे॥

भोले शंकर तेरे दर्शन को,
लाखो कावड़िया आये रे।
भांग धतुरा रगड़ रगड़ के,
गंगा नीर चढ़ाएं रे॥


Bhole Shankar Tere Darsan Ko

Deepak Sanwara


Shiv Bhajan