शंकर तेरी जटाओं से, बहती है गंगधारा


शंकर तेरी जटाओं से, बहती है गंगधारा

शंकर तेरी जटाओं से,
बहती है गंगधारा।
है जोगी अगम अपारा।
है जोगी अगम अपारा॥


है तन में भस्म रमाए,
मस्तक पर चन्द्र सुहाए।
उठे ध्वनि शब्द ओंकारा,
है जोगी अगम अपारा॥

शंकर तेरी जटाओं से,
बहती है गंगधारा।


तुम नील कंठ कहलाये,
तेरे अंग भुजंग सुहाए।
कर में त्रिशूल उजियारा,
है जोगी अगम अपारा॥

शंकर तेरी जटाओं से,
बहती है गंगधारा।


बाघम्बर आसन पाए,
गौरी वामांग सुहाए।
डमरू ध्वनि होत अपारा,
है जोगी अगम अपारा॥

शंकर तेरी जटाओं से,
बहती है गंगधारा।


सुर महि-सुर नर मुनि राइ,
सब तेरे ध्यान लगाए।
विश्वम्भर अगम अपरा,
है जोगी अगम अपारा॥

शंकर तेरी जटाओं से,
बहती है गंगधारा।


ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय

शंकर तेरी जटाओं से,
बहती है गंगधारा।
है जोगी अगम अपारा।
है जोगी अगम अपारा॥

शंकर तेरी जटाओं से,
बहती है गंगधारा।


Shankar Teri Jatao Se

Shri Mridul Krishna Shastri


Shiv Bhajan