Jai Ganesh Jai Ganesh Deva – Ganesh Aarti – Lyrics in Hindi


श्री गणेश आरती – जय गणेश जय गणेश देवा

श्री गणेश आरती – जय गणेश जय गणेश देवा लिरिक्स के इस पेज में पहले आरती के हिंदी लिरिक्स दिए गए है।

बाद में इस आरती का आध्यात्मिक महत्व दिया गया है और इसकी पंक्तियों से हमें कौन कौन सी बातें सिखने को मिलती है यह बताया गया है।

जैसे की यह आरती हमें बताती है की गणेशजी अपने भक्तों को हमेशा सुख और समृद्धि प्रदान करते हैं। यदि कोई व्यक्ति गणेशजी के प्रति सच्ची भक्ति और श्रद्धा रखता है, उनकी शरण में आता है, उसे जीवन में कभी कोई कष्ट नहीं होता है।

इसलिए, हमें गणेशजी की पूजा करके, उनके आशीर्वाद से अपने जीवन से सभी तरह के विघ्नों को दूर करने का और जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।


Jai Ganesh Jai Ganesh Deva Lyrics

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

[जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥]


एक दन्त दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी॥

पान चढ़े फुल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लडुवन का भोग लगे, संत करे सेवा॥
[जय गणेश, जय गणेश….]


अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

सुर श्याम शरण आये, सफल किजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
[जय गणेश, जय गणेश….]
(Or
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥)
[जय गणेश, जय गणेश….]


जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥


Shlok:
व्रकतुंड महाकाय, सूर्यकोटी समप्रभाः।
निर्वघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा॥
ॐ गं गणपतये नमो नमः, श्री सिद्धिविनायक नमो नमः।
अष्टविनायक नमो नमः, गणपति बाप्पा मोरया॥


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Jai Ganesh Jai Ganesh Deva – Ganesh Aarti

सुरेश वाडकर (Suresh Wadkar)


Ganesh Bhajan



जय गणेश जय गणेश देवा आरती का आध्यात्मिक महत्व

जय गणेश जय गणेश देवा आरती की पंक्तियों में भगवान गणेश के विभिन्न गुणों और विशेषताओं का वर्णन किया गया है। इनकी कृपा से हमारा जीवन सुखमय और सफल होता है।

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, सुखकर्ता और वरदायक के रूप में जाना जाता है। इनकी कृपा से हमारे कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं और हमारे सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

भगवान गणेश दयालु और करुणामय हैं। ये सभी प्रकार के कष्टों से पीड़ित लोगों को सहायता प्रदान करते हैं।

भगवान गणेश की पूजा और आराधना से हमारे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।

अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

आरती की इन पंक्तियों में बताया गया है की किस प्रकार गणेशजी भक्तों के दुःख दूर करते है, और उनके कुछ चमत्कारों का वर्णन किया गया है। जैसे भगवान गणेश अंधे को आंख, कोढ़ी को काया, बांझ को पुत्र और निर्धन को माया प्रदान करते हैं। वे अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उनकी सेवा सफल करते हैं।

भगवान गणेश दयालु और करुणामयी हैं। वे सभी प्राणियों की रक्षा करते हैं और उनकी मदद करते हैं। वे सभी भक्तों पर समान दया करते हैं, चाहे वे अमीर हो या गरीब, स्वस्थ हों या बीमार, सुंदर हों या कुरूप।


कुछ विशेष बातें, जो हम आरती की पंक्तियों से सीख सकते हैं –

हमारे जीवन में आने वाली कठिनाइयों और बाधाओं का सामना करने के लिए हमें भगवान गणेश की शरण लेनी चाहिए।

हमारे सभी मनोरथों की पूर्ति के लिए हमें भगवान गणेश की पूजा और आराधना करनी चाहिए।

हमारे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त करने के लिए हमें भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करनी चाहिए।


जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

देवता और मनुष्य जिनको अपना प्रधान पूज्य समझते हैं, जो सबके वंदनीय हैं, विघ्न के काल है, विघ्न को हरने वाले हैं, जो शिवजी और माता पार्वतीजी के पुत्र है, उन गणेश जी का मैं रिद्धि और सिद्धि के साथ आवाहन करता हूं, उनको प्रणाम करता हूँ, उनका ध्यान करता हूँ।

एक दन्त दयावंत, चार भुजा धारी

एक दन्त दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी॥

जो रत्न के सिंहासन पर बैठे हैं, जिनके हाथों में पाश, अंकुश और कमल के फूल है, जो अभय दान और वरदान देने वाले हैं, जो देवताओं के गण के राजा है, लाल कमल के समान जिनके देह की आभा है, रिद्धि – सिद्धि के दाता श्री गणेशजी की मै सदैव उपासना करता हूँ।


अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

जो विघ्नरूप अंधकार का नाश करते है और भक्तों को अनेक प्रकार के फल देते हैं, उन करुणा रूप जलराशि से तरंगित नेत्रों वाले, सुखकर्ता, दुखहर्ता गणेशजी का मै ध्यान करता हूँ, वे हम लोगोका का कल्याण करे।


सुर श्याम शरण आये, सफल किजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

जिनको वेदांती लोग ब्रह्मा कहते हैं, और दूसरे लोग परम प्रधान पुरुष अथवा संसार की सृष्टि के कारण या ईश्वर कहते हैं, उन विघ्न विनाशक गणेश जी को नमस्कार है।


Ganesh Bhajan



Jai Ganesh Jai Ganesh Deva – Ganesh Aarti – Lyrics in English


Jai Ganesh Jai Ganesh Deva – Ganesh Aarti

Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva.
Mata jaki Parvati, pita Mahadeva.


Ek dant dayaavant, chaar bhuja dhaari.
Maathe par tilak sohe, moose ki savaari.
Paan chadhe phool chadhe, aur chadhe meva.
Laduvan ka bhog lage, sant kare seva.


Andhan ko aankh det, kodhin ko kaaya.
Baanjhan ko putra det, nirdhan ko maaya.
Sur shyaam sharan aaye, saphal kije seva.
Mata jaki Parvati, pita Mahadeva.

(or –
deenan ki laaj rakho, shambhu sutkaari.
kaamana ko poorn karo jaoon balihaari.)


Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva.
Mata jaki Parvati, pita Mahadeva.


Shlok
Vrakatund Mahaakaay,
Suryakoti Samaprabhaah.
Nirvaghnam Kuru me Dev,
Sarvakaaryeshu Sarvada.


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Jai Ganesh Jai Ganesh Deva – Ganesh Aarti

सुरेश वाडकर (Suresh Wadkar)


Ganesh Bhajan



Dharti Gagan Mein Hoti Hai Teri Jai Jaikar – Lyrics in Hindi


धरती गगन में होती है, तेरी जय जयकार

जय जय शेरावाली माँ,
जय जय मेहरा वाली माँ॥
जय जय ज्योता वाली माँ,
जय जय लाटा वाली माँ॥

जयकारा शेरावाली दा॥
बोल साँचे दरबार की जय॥


धरती गगन में होती है,
तेरी जय जयकार।
हो मैया, ऊँचे भवन में होती है,
तेरी जय जयकार॥

दुनिया तेरा नाम जपे,
हो दुनिया तेरा नाम जपे,
तुझको पूजे संसार॥


सरस्वती, महालक्ष्मी, काली,
तीनो की तू प्यारी,
गुफा के अंदर तेरा मंदिर,
तेरी महिमा न्यारी॥

शिव की जटा से निकली गंगा,
आई शरण तिहारी।
आदि शक्ति आदि भवानी,
तेरी शेर सवारी॥

हे अम्बे, हे माँ जगदम्बे,
करना तू इतना उपकार।
आये है तेरे चरणों में,
देना हमको प्यार॥

धरती गगन में होती है,
तेरी जय जयकार।
हो मैया, ऊँचे भवन में होती है,
तेरी जय जयकार।


ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी,
तेरे आगे शीश झुकाएं।
सूरज, चाँद, सितारे,
तुझसे उजियारा ले जाएँ।

देव लोक के देव, हे मैया,
तेरे ही गुण गायें।
मानव करे जो तेरी भक्ति,
भाव सागर तर जाएं॥


हे अम्बे, हे माँ जगदम्बे,
करना तू इतना उपकार,
आये हैं तेरे चरणों में,
देना हमको प्यार॥

धरती गगन में होती है,
तेरी जय जयकार।
हो मैया, ऊँचे भवन में होती है,
तेरी जय जयकार॥


Dharti Gagan Mein Hoti Hai Teri Jai Jaikar Maiya

Suresh Wadkar, Anuradha Paudwal


Durga Bhajan



Dharti Gagan Mein Hoti Hai Teri Jai Jaikar – Lyrics in English


Dharti Gagan Mein Hoti Hai Teri Jai Jaikar Maiya

Jay jay Sherawali maa,
Jay jay Mehra wali maa.
Jay jay Jyota wali maa,
Jay jay Laata wali maa.

Jaikara Sherawali Da.
Bol Saanche Darbar ki jai.

Dharti gagan mein hoti hai,
teri jai jaikar.
Ho maiya, oonche bhavan mein hoti hai,
teri jay jaykaar.

Duniya tera naam jape,
ho duniya tera naam jape,
tujh ko pooje sansaar.

Saraswati, Mahalakshmi, Kaali,
tino ki too pyaari,
gupha ke andar tera mandir,
teri mahima nyaari.

Shiv ki jata se nikali ganga,
aayi sharan tihaari.
Aadi shakti aadi bhavaani,
teri sher savaari.

He ambey, he maa jagadambe,
karanaa too itna upakaar.
Aaye hai tere charano mein,
dena hamako pyaar.

Dharati gagan mein hoti hai,
teri jai jaikar.
Ho maiya, oonche bhavan mein hoti hai,
teri jai jaikar.

Brahma, Vishnu, Mahesh bhi,
tere aage sheesh jhukayen.
Suraj, chaand, sitaare,
tujh se ujiyaara le jayen.

Dev lok ke dev, he maiya,
tere hi gun gaayen.
Maanav kare jo teri bhakti,
bhaav saagar tar jaaye.

He ambey, he maan jagdambe,
karana too itana upakaar,
aaye hain tere charano mein,
dena hum ko pyaar.

Dharati gagan mein hoti hai,
teri jay jaykaar.
Ho maiya, oonche bhavan mein hoti hai,
teri jai jaikaar.


Dharti Gagan Mein Hoti Hai Teri Jai Jaikar Maiya

Suresh Wadkar, Anuradha Paudwal


Durga Bhajan



Omkar Swarupa Sadguru Samartha – Lyrics in Hindi


ओंकार स्वरुपा, सद्गुरु समर्था

ओंकार स्वरुपा, सद्गुरु समर्था
अनाथाच्या नाथा, तुज नमो

ओंकार स्वरुपा, सद्गुरु समर्था
अनाथाच्या नाथा, तुज नमो
तुज नमो, तुज नमो, तुज नमो


नमो मायबापा, गुरुकृपा घना
तोडीया बंधना मायामोहा

मोहोजाळ माझे कोण नीरशील
तुजविण दयाळा सद्गुरु राया
तुज नमो
तुज नमो, तुज नमो, तुज नमो

ओंकार स्वरुपा, सद्गुरु समर्था
अनाथाच्या नाथा, तुज नमो
तुज नमो, तुज नमो, तुज नमो


सद्गुरु राया माझा आनंद सागर
त्रैलोक्या आधार गुरुराव

गुरुराव स्वामी असे स्वयंप्रकाश
ज्या पुढे उदास चंद्र रवी

रवी, शशी, अग्नि, नेणती ज्या रुपा
स्वप्रकाश रुपा नेणे वेद

स्वप्रकाश रुपा, तुज नमो
तुज नमो, तुज नमो, तुज नमो


एका जनार्दनी, गुरु परब्रम्ह
तयाचे पै नाम सदा मुखी
तुज नमो, तुज नमो तुज नमो

ओंकार स्वरुपा, सद्गुरु समर्था
अनाथाच्या नाथा, तुज नमो
तुज नमो, तुज नमो, तुज नमो


Omkar Swarupa Sadguru Samartha

Suresh Wadkar


Ganesh Bhajan



Omkar Swarupa Sadguru Samartha – Lyrics in English


Omkar Swarupa Sadguru Samartha

Omkaar swarupa, sadguru samartha
Anathaachya naatha, tuj namo
Tuj namo, tuj namo, tuj namo

Namo maay-baapa, gurukripa-ghana
Todi ya bandhana maayaa-moha
Mohojaal maajhe kon nirashil
Tujawin dayalaa sad‍aguru raaya
Tuj namo
Tuj namo, tuj namo, tuj namo

Omkaar swarupa, sadguru samartha
Anathaachya naatha, tuj namo
Tuj namo, tuj namo, tuj namo

Sad‍aguru raaya maajha anndasaagar
Trailokya adhaar guru-raav

Guru-raav swaami ase swaym-prakaash
Jya pudhe udaas chndra ravi

Ravi, shashi, agni, nenati jya rupa
Swaprakaash rupa nene wed

Swaprakaash rupa, tuj namo
Tuj namo, tuj namo, tuj namo

Eka janaardani, guru parbrahma
Tayaache pai naam sada mukhi
Tuj namo, tuj namo tuj namo

Omkaar swarupa, satguru samartha
Anathaachya naatha, tuj namo
Tuj namo, tuj namo, tuj namo


Omkar Swarupa Sadguru Samartha

Suresh Wadkar


Ganesh Bhajan



Subah Subah Hey Bhole Karte Hain Teri Pooja – Lyrics in Hindi


सुबह सुबह हे भोले, करते हैं तेरी पूजा

सुबह सुबह हे भोले,
करते हैं तेरी पूजा।
तेरे सिवा हुआ है,
ना होगा कोई दूजा॥

सुबह सुबह हे भोले,
करते हैं तेरी पूजा।
तेरे सिवा हुआ है,
ना होगा कोई दूजा॥

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय


भोले तेरी जटा से
बहती है गंगा धारा।
सारे जगत के मालिक,
तू है पिता हमारा॥

निर्बल का तू ही बल है,
देता है तू सहारा।
तेरे सिवा जहां में,
कोई नहीं हमारा॥

हे भोले तू है जैसा,
वैसा ना कोई होगा।
तेरे सिवा हुआ है,
ना होगा कोई दूजा॥

सुबह सुबह हे भोले,
करते हैं तेरी पूजा।
तेरे सिवा हुआ है,
ना होगा कोई दूजा॥


सुख चैन मांगते हैं,
जन्मो के हम भिखारी।
हमपे दया तू करना,
आए शरण तिहारी॥

तेरे द्वार पे पड़े हैं,
सुनले अरज हमारी।
झोली हमारी भरदे,
शिव शंकर भंडारी॥

भव सागर से पार करे जो,
कोई नहीं है दूजा।
तेरे सिवा हुआ है,
ना होगा कोई दूजा॥

सुबह सुबह हे भोले,
करते हैं तेरी पूजा।
तेरे सिवा हुआ है,
ना होगा कोई दूजा॥


तुमको निहारते हैं,
आँखों में है निराशा।
विश्वास है ये हमको,
पूरी करोगे आशा॥

बिगड़ी बना दो अपनी,
दृष्टि दया की डालो।
भटके हुए हैं प्राणी,
शिव जी हमे संभालो॥

जपते रहेंगे हर पल तुझको,
करते रहेंगे पूजा।
तेरे सिवा हुआ है,
ना होगा कोई दूजा॥

सुबह सुबह हे भोले,
करते हैं तेरी पूजा।
तेरे सिवा हुआ है,
ना होगा कोई दूजा॥

सुबह सुबह हे भोले,
करते हैं तेरी पूजा।
तेरे सिवा हुआ है,
ना होगा कोई दूजा॥


Subah Subah Hey Bhole Karte Hain Teri Pooja

Anuradha Paudwal, Suresh Wadkar


Shiv Bhajan



Subah Subah Hey Bhole Karte Hain Teri Pooja – Lyrics in English


Subah Subah Hey Bhole Karte Hain Teri Pooja

Subah subah he bhole,
karate hain teri pooja.
Tere siva hua hai,
na hoga koi dooja.

Om namah shivay, om namah shivaay
om namah shivay, om namah shivaay

Bhole teri jata se
bahati hai ganga dhaara.
Saare jagat ke maalik,
too hai pita hamaara.

Nirbal ka too hi bal hai,
deta hai too sahaara.
Tere siva jahaan mein,
koi nahin hamaara.

He bhole too hai jaisa,
vaisa na koi hoga.
Tere siva hua hai,
na hoga koi dooja.

Subah subah he bhole,
karate hain teri pooja.
Tere siva hua hai,
na hoga koi dooja.

Sukh chain maangate hain,
janmo ke ham bhikhaari.
Hamape daya too karana,
aaye sharan tihaari.

Tere dwaar pe pade hain,
sunle araj hamaari.
Jholi hamaari bharade,
shiv shankar bhandaari.

Bhav saagar se paar kare jo,
koi nahin hai dooja.
Tere siva hua hai,
na hoga koi dooja.

Subah subah he bhole,
karate hain teri pooja.
Tere siva hua hai,
na hoga koi dooja.

Tumako nihaarate hain,
aankhon mein hai niraasha.
Vishvaas hai ye hamako,
poori karoge aasha.

Bigadi bana do apani,
drishti daya ki daalo.
Bhatake huye hain praani,
shiv ji hame sambhaalo.

Japate rahenge har pal tujhako,
karate rahenge pooja.
Tere siva hua hai,
na hoga koi dooja.

Subah subah he bhole,
karate hain teri pooja.
Tere siva hua hai,
na hoga koi dooja.

Subah subah he bhole,
karate hain teri pooja.
Tere siva hua hai,
na hoga koi dooja.


Subah Subah Hey Bhole Karte Hain Teri Pooja

Anuradha Paudwal, Suresh Wadkar


Shiv Bhajan



Ram Raksha Stotra with Meaning


Ram Bhajan

श्री रामरक्षा स्तोत्र – अर्थसहित


॥ श्रीरामरक्षास्तोत्रम्॥
॥श्रीगणेशायनम:॥

Ram Raksha Stotra – 1


Ram Raksha Stotram – 2

विनियोग:

ऊँ अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्र-मन्त्रस्य
बुधकौशिक ऋषि:
श्रीसीता रामचन्द्रो देवता
अनुष्टुप् छन्द:
सीता शक्ति:
श्रीमान् हनुमान् कीलकं
श्रीरामचन्द्र प्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्र-जपे विनियोग:।
  • ऊँ अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्र-मन्त्रस्य – इस रामरक्षा स्तोत्र -मंत्र के
  • बुधकौशिक ऋषि: – बुधकौशिक ऋषि हैं,
  • श्रीसीता रामचन्द्रो देवता – सीता और रामचन्द्र देवता हैं,
  • अनुष्टुप् छन्द: – अनुष्टप् छन्द हैं
    • (अनुष्टुप् छन्द में चार पद होते हैं। प्रत्येक पद में आठ अक्षर/वर्ण होते हैं)
  • सीता शक्ति: – सीता शक्ति हैं,
  • श्रीमद हनुमान् कीलकं – श्रीमान हनुमानजी कीलक हैं तथा
  • श्रीरामचन्द्र प्रीत्यर्थे – श्री रामचन्द्रजी की प्रसन्नता के लिए
  • रामरक्षास्तोत्र-जपे विनियोग: रामरक्षा स्तोत्र के जप में विनियोग किया जाता हैं

अथ ध्यानम

ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं
बद्धपद्मासनस्थं,
पीतं वासो वसानं
नवकमल दलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्।
वामांकारूढ़ सीतामुखकमल मिलल्लोचनं
नीरदाभं नानालंकारदीप्तं
दधतमुरुजटा-मण्डलं रामचन्द्रम्।
  • ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं – जो धनुष -बाण धारण किए हुए हैं,
  • बद्धपद्मासनस्थं – बद्ध पद्मासन से विराजमान हैं,
  • पीतं वासो वसानंपीतांबर पहने हुए हैं,
  • नवकमल दलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम् – जिनके प्रसन्न नयन नूतन कमल दल से स्पर्धा करते तथा
  • वामांकारूढ़ सीतामुखकमल मिलल्लोचनं – वामभाग में विराजमान श्री सीताजी के मुख कमल से मिले हुए हैं,
  • नीरदाभं नानालंकारदीप्तं – उन मेघश्याम, नाना प्रकार के अलंकारों से विभूषित तथा विशाल
  • दधतमुरुजटा-मण्डलं रामचन्द्रम् – जटाजूटधारी श्री रामचन्द्र जी का ध्यान करे

॥ इति ध्यानम्॥

Sri Rama Raksha Stotram

चरितं रघुनाथस्य शतकोटि-प्रविस्तरम्।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्॥1॥
  • चरितं रघुनाथस्य – श्री रघुनाथ जी का चरित्र
  • शतकोटि-प्रविस्तरम् – सौ करोड़ विस्तारवाला हैं और
  • एकैकमक्षरं (एकैकम अक्षरं) पुंसां – उसका एक -एक अक्षर भी
  • महापातकनाशनम् – महान पापो को नष्ट करने वाला हैं
ध्यात्वा नीलोत्पलश्याम रामं राजीवलोचनम।
जानकी लक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितम॥2॥
  • ध्यात्वा – प्रभु श्री राम का स्मरण करे
  • नीलोत्पलश्याम – जो नीलकमल के समान श्यामवर्ण
  • रामं राजीवलोचनम – कमलनयन
  • जानकी लक्ष्मणोपेतं – जानकीजी और लक्ष्मणजी के सहित
  • जटामुकुटमण्डितम – जटाओं के मुकुट से सुशोभित हैं

भगवान रामजी का जानकीजी और लक्ष्मणजी के सहित स्मरण करे, जो नीलकमल के समान श्यामवर्ण, कमलनयन, जटाओं के मुकुट से सुशोभित है

सासितूण धनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम॥3॥
  • सासितूण धनुर्बाणपाणिं – हाथों में खड्ग, तूणीर, धनुष और बाण धारण करने वाले
  • नक्तंचरान्तकम – राक्षसों के संहारकरी तथा
  • स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं (जगत्त्रातुम आविर्भूतम अजं) – संसार की रक्षा के लिए अपनी लीला से ही अवतीर्ण हुए हैं,
  • (अजं) विभुम – उन अजन्मा और सर्वव्यापक भगवान रामजी का स्मरण करे
रामरक्षां पठेत प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम।
शिरो में राघवं पातु भालं दशरथात्मज:॥4॥
  • रामरक्षां पठेत प्राज्ञ: – मनुष्य (प्राज्ञ पुरुष) रामरक्षा का पाठ करे
  • पापघ्नीं सर्वकामदाम – इस पापविनाशिनी और सर्वकामप्रदा (रामरक्षा स्तोत्र का)
  • शिरो में राघवं पातु – मेरे सिर की राघव और
  • भालं दशरथात्मज: – ललाट की दशरथात्मज रक्षा करे

सर्वव्यापी भगवान रामजी का जानकीजी और लक्ष्मणजी के सहित स्मरण कर मनुष्य इस पापविनाशिनी (सभी पापो का नाश करने वाले) और सर्वकामप्रदा (सभी कामनाओ की पूर्ति करने वाले) रामरक्षा का पाठ करे।

मेरे सिर की राघव और ललाट की दशरथात्मज रक्षा करे।

कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल:॥5॥
  • कौसल्येयो दृशौ पातु – कौसल्यानन्दन नेत्रों की रक्षा करें,
  • विश्वामित्र प्रिय: श्रुती – विश्वामित्र प्रिय कानों को सुरक्षित रखे तथा
  • घ्राणं पातु मखत्राता – यज्ञ रक्षक घ्राण (नासिका, नाक) की और
  • मुखं सौमित्रि-वत्सल: – सौ मित्रिवत्सल मुख की रक्षा करें
जिव्हां विद्यानिधि: पातु कण्ठं भरतवन्दित:।
स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु भुजौ भग्नेशकार्मुक:॥6॥
  • जिव्हां विद्यानिधि: पातु – मेरी जिव्हा की विद्यानिधि,
  • कण्ठं भरतवन्दित: – कंठ की भरतवन्दित,
  • स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु – कंधो की दिव्यायुध और
  • भुजौ भग्नेशकार्मुक: – भुजाओं की महादेव जी का धनुष तोड़ने वाले (भग्नेशकार्मुक) रक्षा करें
करौ सीतापति: पातु हृदयं जामदग्न्यजित।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय:॥7॥
  • करौ सीतापति: पातु – हाथों की सीतापति,
  • हृदयं जामदग्न्यजित – हृदय की परशुरामजी को जीतने वालें (जामदग्न्यजित),
  • मध्यं पातु खरध्वंसी – मध्यभाग की खर नाम के राक्षस का नाश करने वाले (खरध्वंसी) और
  • नाभिं जाम्बवदाश्रय: – नाभि की जाम्ब्वदाश्रय रक्षा करें
सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुत्मप्रभु:।
ऊरू रघूत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृत॥8॥
  • सुग्रीवेश: कटी पातु – कमर की सुग्रीवेश,
  • सक्थिनी हनुत्मप्रभु: – सक्थियों की हनुमत्प्रभुः और
  • ऊरू रघूत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृत – उरुओं की राक्षसकुल विनाशक रघुश्रेष्ठ रक्षा करें
जानुनी सेतकृत्पातु जंघे दशमुखान्तक:।
पादौ विभीषणश्रीद: पातु रामोsखिलं वपु:॥9॥
  • जानुनी सेतकृत्पातु – जानुओं की सेतुकृत्,
  • जंघे दशमुखान्तक: – जंघाओं की दशमुखान्तक (रावण को मारने वाले),
  • पादौ विभीषणश्रीद: – चरणों की विभीषण श्रीद (विभीषण को ऐश्वर्य प्रदान करने वाले ) और
  • पातु रामो-खिलं वपु: – सम्पूर्ण शरीर की श्री राम रक्षा करें
एतां रामबलोपेतां रक्षां य: सुकृती पठेत।
स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत॥10॥
  • एतां रामबलोपेतां – जो पुण्यवान् पुरुष रामबल से सम्पन्न
  • रक्षां य: सुकृती पठेत – इस रक्षा का पाठ करता हैं,
  • स चिरायु: सुखी पुत्री – वह दीर्घायु, सुखी, पुत्रवान,
  • विजयी विनयी भवेत – विजयी और विनयसम्पन्न हो जाता हैं
पातालभूतल व्योम चारिणशछदमचारिण :।
न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि:॥11॥
  • पातालभूतल – जो जीव पाताल, पृथ्वी
  • व्योमचारिणश – अथवा आकाश में विचरते हैं और
  • छद्ममचारिण: – छद्मवेश से घूमते रहते हैं,
  • न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि: – वे राम नाम से सुरक्षित पुरुष को देख भी नहीं सकते
रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति वा स्मरन।
नरो न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति॥12॥
  • रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति – “राम”, “रामभद्र”, “रामचन्द्र”
  • वा स्मरन – इन नामों का स्मरण करने से
  • नरो न लिप्यते – मनुष्य पापों में लिप्त नहीं होता तथा
  • पापै-र्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति – भोग और मोक्ष प्राप्त कर लेता हैं
जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम।
य: कण्ठे धारयेत्तस्य करस्था: सर्वसिद्धय:॥13॥
  • जगज्जैत्रैकमन्त्रेण – जो पुरुष जगत को विजय करने वाले
  • रामनाम्नाभिरक्षितम (रामनाम नाभिरक्षितम) – एकमात्र मन्त्र राम नाम से सुरक्षित
  • य: कण्ठे धारयेत्तस्य – इस स्त्रोत को कंठ में धारण कर लेता हैं,
  • करस्था: सर्वसिद्धय: – सम्पूर्ण सिद्धियाँ उसके हस्तगत हो जाती हैं
वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत।
अव्याहताज्ञ: सर्वत्र लभते जयमंगलम॥14॥
  • वज्रपंजर-नामेदं यो – जो मनुष्य वज्रपंजर नामक
  • रामकवचं स्मरेत – इस राम कवच का स्मरण करता हैं,
  • अव्याहताज्ञ: सर्वत्र – उसकी आज्ञा का कहीं भी उल्लघन नहीं होता और
  • लभते जयमंगलम – उसे सर्वत्र जय और मंगल की प्राप्ति होती हैं
आदिष्टवान्यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर:।
तथा लिखितवान्प्रात: प्रबुद्धो बुधकौशिक:॥15॥
  • आदिष्टवान्यथा स्वप्ने – श्री शंकरजी ने रात्रि के समय स्वप्न में
  • रामरक्षामिमां हर: – इस राम रक्षा का जिस प्रकार आदेश दिया था,
  • तथा लिखितवान्प्रात: (लिखितवान प्रात:) – उसी प्रकार प्रातः काल जागने पर
  • प्रबुद्धो बुधकौशिक: – बुधकौशिक जी ने इसे लिख दिया
आराम: कल्पवृक्षाणां विराम: सकलापदाम।
अभिरामस्त्रिलोकानां राम: श्रीमान्स न: प्रभु:॥16॥
  • आराम: कल्पवृक्षाणां – जो मानो कल्पवृक्ष के बगीचे हैं
  • विराम: सकलापदाम – तथा समस्त आपत्तियों का अंत करने वाले हैं,
  • अभिराम-स्त्रिलोकानां राम: – जो तीनो लोक में परम सुंदर हैं,
  • श्रीमान्स न: प्रभु: – वे श्री राम हमारे प्रभु हैं
तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ॥17॥
  • तरुणौ – जो तरुण अवस्था वाले,
  • रूपसम्पन्नौ – रूपवान,
  • सुकुमारौ – सुकुमार,
  • महाबलौ – महाबली,
  • पुण्डरीक-विशालाक्षौ – कमल के सामान विशाल नेत्रों वाले,
  • चीरकृष्णा-जिनाम्बरौ – चीर वस्त्र और कृष्ण मृगचर्म धारी,
फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ॥18॥
  • फलमूलाशिनौ – फल व मूल आहार वाले,
  • दान्तौ – संयमी,
  • तापसौ – तपस्वी,
  • ब्रह्मचारिणौ – ब्रह्मचारी,
  • पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ राम-लक्ष्मणौ – वे रघुश्रेष्ठ दसरथकुमार राम और लक्ष्मण दोनों भाई हमारी रक्षा करे
शरण्यौ सर्वसत्त्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम।
रक्ष: कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ॥19॥
  • शरण्यौ सर्वसत्त्वानां – सम्पूर्ण जीवो को शरण देने वाले,
  • श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम – समस्त धनुर्धारियों में श्रेष्ठ और
  • रक्ष: कुलनिहन्तारौ – राक्षस कुल का नाश करने वाले हैं,
  • त्रायेतां नो रघूत्तमौ – वे रघुश्रेष्ठ दसरथकुमार राम हमारी रक्षा करे
आत्तसज्ज-धनुषा-विषुस्पृशा-वक्षयाशुग-निषंग-संगिनौ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रत: पथि सदैव गच्छताम॥20॥
  • आत्तसज्ज-धनुषा – जिन्होंने संधान किया हुआ धनुष ले रखा हैं,
  • विषुस्पृशा – जो बाण का स्पर्श कर रहे हैं तथा
  • वक्षयाशुग-निषंग-संगिनौ – अक्षय बाणों से युक्त तूणीर लिए हुए हैं,
  • रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रत: (रामलक्ष्मणा अग्रत:) – वे राम और लक्ष्मण मेरी रक्षा करने के लिए
  • पथि सदैव गच्छताम – मार्ग में सदा ही मेरे आगे चले
सन्नद्ध: कवची खड़्गी चापबाणधरो युवा।
गच्छन्मनोरथान्नश्च राम: पातु सलक्ष्मण:॥21॥
  • सन्नद्ध: – सर्वदा उद्यत,
  • कवची – कवचधारी,
  • खड़्गी – हाथ में खड्ग लिए,
  • चापबाणधरो – धनुष बाण धारण किये तथा
  • युवा – युवा अवस्था वाले
  • गच्छन्मनोरथान्नश्च (गच्छन मनोरथान्नश्च) – हमारे मनोरथों की रक्षा करें
  • राम: पातु सलक्ष्मण: – भगवान राम लक्ष्मण जी सहित आगे -आगे चलकर

(भगवान राम लक्ष्मण जी सहित आगे -आगे चलकर हमारे मनोरथों की रक्षा करें)

रामो दाशरथि: शूरो लक्ष्मणानुचरो बली।
काकुत्स्थ: पुरुष: पूर्ण: कौसल्लेयो रघूत्तम:॥22॥
वेदान्तवेद्यो यज्ञेश: पुराणपुरुषोत्तम:।
जानकीवल्ल्भ: श्रीमानप्रमेयपराक्रम:॥23॥
इत्येतानि जपन्नित्यं मद्भक्त: श्रद्धयान्वित:।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशय:॥24॥

(भगवान का कथन हैं कि) राम, दशरथि, शूर, लक्ष्मणानुचर, बलि, काकुत्स्थ, पुरुष, पूर्ण, कौसल्येय, रघुत्तम, वेदान्तवेद्य,यज्ञेश,पुराण पुरुषोत्तम, जानकी वल्ल्भ, श्रीमान और अप्रमेयपराक्रम – इन नाम का नित्य प्रति श्रद्धा पूर्वक जप करने से मेरा भक्त अश्वमेध यज्ञ से भी अधिक फल प्राप्त करता हैं, इसमें कोई संदेह नहीं हैं।

रामं दूर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नरा:॥25॥
  • रामं दूर्वादल-श्यामं – जो लोग दूर्वादल के समान श्याम वर्ण,
  • पद्माक्षं – कमल नयन,
  • पीतवाससम – पीताम्बरधारी
  • स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न (नामभिर दिव्यै न) – भगवान राम का इन दिव्य नामों से स्तवन करते हैं,
  • ते संसारिणो नरा: – वे संसार चक्र में नहीं पड़ते
रामं लक्ष्मण-पूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुंदरं।
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम॥
राजेन्द्रं सत्यसन्धं दशरथतनयं श्यामलं शान्तमूर्ति।
वन्दे लोकाभिरामं रघुकुल-तिलकं राघवं रावणारिम॥26॥

लक्ष्मणजी के पूर्वज, रघुकुल में श्रेष्ठ, सीताजी के स्वामी, अतिसुन्दर, ककुत्स्थ कुलनन्दन, करुणा सागर, गुणनिधान, ब्राह्मणभक्त, परमधार्मिक, राजराजेश्वर, सत्यनिष्ठ, दशरथ पुत्र, श्याम और शांतिमूर्ति, सम्पूर्ण लोको में सुंदर, रघुकुल तिलक, राघव और रावणारी भगवा न राम की मैं वंदना करता /करती हूँ

रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे।
रघुनाथय नाथाय सीताया: पतये नम:॥27॥
  • रामाय रामभद्राय – राम, रामभद्र,
  • रामचन्द्राय वेधसे – रामचन्द्र, विधार्त स्वरूप,
  • रघुनाथय नाथाय – रघुनाथ,
  • सीताया: पतये नम: – प्रभु सीतापति को नमस्कार हैं
श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम,
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम,
श्रीराम राम शरणं भव राम राम॥28॥
  • श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम – हे रघुनन्दन श्रीराम!
  • श्रीराम राम भरताग्रज राम राम – हे भरताग्रज भगवान राम!
  • श्रीराम राम रणकर्कश राम राम – हे रणधीर प्रभु राम!
  • श्रीराम राम शरणं भव राम राम – आप मेरे आश्रय होइये
श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि,
श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि,
श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये॥29॥
  • श्रीरामचन्द्र-चरणौ मनसा स्मरामि – मैं श्री राम चन्द्र के चरणों का मन से स्मरण करता हूँ,
  • श्रीरामचन्द्र-चरणौ वचसा गृणामि – श्री रामचन्द्र के चरणों का वाणी से कीर्तन करता हूँ,
  • श्रीरामचन्द्र-चरणौ शिरसा नमामि – श्री रामचन्द्र के चरणों को सिर झुकाकर प्रणाम करता हूँ तथा
  • श्रीरामचन्द्र-चरणौ शरणं प्रपद्ये – श्री रामचन्द्र के चरणों की शरण लेता हूँ
माता रामो मत्पिता रामचन्द्र:,
स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्र:।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर्नान्यं,
जाने नैव जाने न जाने॥30॥
  • माता रामो – राम मेरी माता हैं,
  • मत्पिता रामचन्द्र:, – राम मेरे पिता हैं,
  • स्वामी रामो – राम स्वामी हैं और
  • मत्सखा रामचन्द्र: – राम ही मेरे सखा हैं,
  • सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर्नान्यं (दयालु: नान्यं) – दयामय राम ही मेरे सर्वस्व हैं,
  • जाने नैव जाने न जाने – उनके सिवा और किसी को मैं नहीं जानटा
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य
वामे च जनकात्मजा।
पुरतो मारुतिर्यस्य
तं वन्दे रघुनंदनम॥31॥
  • दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य – जिनकी दायीं और लक्ष्मणजी,
  • वामे च जनकात्मजा – बाएँ और जानकीजी और
  • पुरतो मारुतिर्यस्य – सामने हनुमानजी विराजमान हैं,
  • तं वन्दे रघुनंदनम – उन रघुनाथजी की मैं वंदना करता हूँ
लोकाभिरामं रनरङ्‌गधीरं
राजीवनेत्र रघुवंशनाथम।
कारुण्यरुपं करुणाकरं तं
श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥32॥
  • लोकाभिरामं – जो सम्पूर्ण लोकों में सुंदर,
  • रनरङ्‌गधीरं – रणक्रीडा में धीर,
  • राजीवनेत्र – कमलनयन,
  • रघुवंश-नाथम – रघुवंश नायक,
  • कारुण्यरुपं – करुणामूर्ति और
  • करुणाकरं तं – करुणा के भंडार हैं,
  • श्रीरामचन्द्रं – उन श्री रामचन्द्र जी की
  • शरणं प्रपद्ये – मैं शरण लेता हूँ
मनोजवं मारुततुल्यवेगं
जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं
श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥33॥
  • मनोजवं – जिनकी मन के सामान गति और
  • मारुत-तुल्यवेगं – वायु के सामान वेग हैं,
  • जितेन्द्रियं – जो परम जितेन्द्रिय और
  • बुद्धिमतां वरिष्ठम – बुद्धिमानो में श्रेष्ठ हैं।
  • वातात्मजं वानरयूथमुख्यं – उन पवननन्दन वानराग्रगण्य
  • श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये – श्री रामदूत की मैं शरण लेता हूँ
कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम॥34॥
  • कूजन्तं रामरामेति – राम-राम इस मधुर नाम को कहने वाले
  • मधुरं मधुराक्षरम – मधुर अक्षरो वाले राम, राम मधुर नाम को कहने वाले
  • आरुह्य कविता-शाखां – कवितामयी डाली पर बैठकर
  • वन्दे वाल्मीकि-कोकिलम – वाल्मीकिरूप कोकिल को मैं वंदना करता हूँ

कवितामयी डाली पर बैठकर मधुर अक्षरो वाले राम – राम इस मधुर नाम को कूजते हुए वाल्मीकिरूप कोकिल की मैं वंदना करता हूँ

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम॥35॥
  • आपदाम-पहर्तारं – आपत्तियों को हरने वाले तथा
  • दातारं सर्वसम्पदाम – सब प्रकार की सम्पति प्रदान करने वाले
  • लोकाभिरामं श्रीरामं – लोकाभिराम भगवान राम को
  • भूयो भूयो नमाम्यहम – मैं बारंबार नमस्कार करता हूँ
भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम॥36॥
  • भर्जनं भवबीजानामर्जनं (भवबीजानाम अर्जनं) – सम्पूर्ण संसार बीजों को भून डालनेवाला,
  • सुखसम्पदाम – समस्त सुख-सम्पति की प्राप्ति कराने वाला तथा
  • तर्जनं यमदूतानां – यमदूतों को भयभीत करनेवाला हैं
  • रामरामेति गर्जनम – “राम-राम” ऐसा घोष करना

“राम-राम” ऐसा घोष करना सम्पूर्ण संसार बीजों को भून डालनेवाला, समस्त सुख-सम्पति की प्राप्ति कराने वाला तथा यमदूतों को भयभीत करनेवाला हैं

रामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे,
रामेणाभिहता निशाचरचमू, रामाय तस्मै नम:।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोsस्म्यहं,
रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर॥37॥
  • रामो राजमणि: – राजाओं में श्रेष्ठ श्रीरामजी
  • सदा विजयते – सदा विजय को प्राप्त होते हैं
  • रामं रमेशं भजे – मैं लक्ष्मीपति भगवान राम का भजन करता हूँ
  • रामेणाभिहता निशाचरचमू – जिन रामचन्द्रजी ने सम्पूर्ण राक्षस सेना का ध्वंस कर दिया था,
  • रामाय तस्मै नम: – मैं उनको प्रणाम करता हूँ।
  • रामान्नास्ति परायणं – राम से बड़ा और कोई आश्रय नहीं हैं।
  • परतरं रामस्य दासोsस्म्यहं – मैं उन रामचन्द्रजी का दास हूँ।
  • रामे चित्तलय: सदा भवतु – मेरा चित्त सदा राम में ही लीन रहें;
  • मे भो राम मामुद्धर – हे राम! आप मेरा उद्धार कीजिये
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्त्र नाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने॥38॥
  • राम रामेति रामेति – (श्री महादेवजी पार्वतीजी से कहते हैं -) मैं सर्वदा ‘राम राम, राम’
  • रमे रामे मनोरमे – इस प्रकार मनोरम रामनाम में ही रमण करता हूँ
  • सहस्त्र नाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने – रामनाम विष्णु सहस्त्रनाम के तुल्य हैं

(श्री महादेवजी पार्वतीजी से कहते हैं -) हे सुमुखि! रामनाम विष्णु सहस्त्रनाम के तुल्य हैं। मैं सर्वदा ‘राम-राम, राम ‘इस प्रकार मनोरम रामनाम में ही रमण करता हूँ

इति श्री बुधकौशिक-मुनि-विरचितं श्री राम रक्षास्तोत्रं सम्पुर्णम्।


Ram Bhajan List

Ram Raksha Stotra

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Ram Bhajans

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Ram Bhajan

राम रक्षा स्तोत्र

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रामरक्षास्तोत्र – अर्थसहित


॥ श्रीरामरक्षास्तोत्रम्॥
॥श्रीगणेशायनम:॥

Ram Raksha Stotra – 1


Ram Raksha Stotram – 2

विनियोग:
ऊँ अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्र-मन्त्रस्य।
बुधकौशिक ऋषि:।
श्रीसीता रामचन्द्रो देवता।
अनुष्टुप् छन्द:।
सीता शक्ति:।
श्रीमद हनुमान् कीलकं
श्रीरामचन्द्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्र-जपे विनियोग:।


॥अथ ध्यानम॥
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं
बद्धपद्मासनस्थं,
पीतं वासो वसानं
नवकमल दलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्।

वामांकारूढ़ सीतामुखकमल मिलल्लोचनं
नीरदाभं नानालंकारदीप्तं
दधतमुरुजटा-मण्डलं रामचन्द्रम्।
॥ इति ध्यानम्॥


॥ श्रीरामरक्षास्तोत्रम्॥

चरितं रघुनाथस्य शतकोटि-प्रविस्तरम्।
एकैकमक्षरं (एकैकम अक्षरं) पुंसां महापातक-नाशनम्॥1॥

ध्यात्वा नीलोत्पल-श्याम रामं राजीव-लोचनम।
जानकी लक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितम॥2॥


सासितूण धनुर्बाण पाणिं नक्तं-चरान्तकम।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम॥3॥
= स्वलीलया (जगत्त्रातुम आविर्भूतम अजं) विभुम

रामरक्षां पठेत प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम।
शिरो में राघवं पातु भालं दशरथात्मज:॥4॥


कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्र प्रिय: श्रुती।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रि-वत्सल:॥5॥

जिव्हां विद्यानिधि: पातु कण्ठं भरतवन्दित:।
स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु भुजौ भग्नेश-कार्मुक:॥6॥


करौ सीतापति: पातु हृदयं जामदग्न्यजित।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय:॥7॥

सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुत्मप्रभु:।
ऊरू रघूत्तम: पातु रक्ष:-कुलविनाश-कृत॥8॥


जानुनी सेतकृत्पातु जंघे दशमुखान्तक:।
पादौ विभीषणश्रीद: पातु रामो-खिलं वपु:॥9॥

एतां रामबलोपेतां रक्षां य: सुकृती पठेत।
स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत॥10॥


पाताल-भूतल-व्योम-चारिणश-छद्मचारिण:।
न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि:॥11॥

रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति वा स्मरन।
नरो न लिप्यते पापै-र्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति॥12॥


जगज्जैत्रै-कमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम (रामनाम नाभिरक्षितम) ।
य: कण्ठे धारयेत्तस्य करस्था: सर्वसिद्धय:॥13॥

वज्रपंजर-नामेदं यो रामकवचं स्मरेत।
अव्याहताज्ञ: सर्वत्र लभते जयमंगलम॥14॥


आदिष्टवान्यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर:।
तथा लिखितवान्प्रात: (लिखितवान प्रात:) प्रबुद्धो बुधकौशिक:॥15॥

आराम: कल्पवृक्षाणां विराम: सकलापदाम।
अभिराम-स्त्रिलोकानां राम: श्रीमान्स न: प्रभु:॥16॥


तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ।
पुण्डरीक-विशालाक्षौ चीरकृष्णा-जिनाम्बरौ॥17॥

फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ राम-लक्ष्मणौ॥18॥


शरण्यौ सर्वसत्त्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम।
रक्ष: कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ॥19॥

आत्तसज्ज-धनुषा विषुस्पृशा वक्षयाशुग-निषंग-संगिनौ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रत: (रामलक्ष्मणा अग्रत:) पथि सदैव गच्छताम॥20॥


सन्नद्ध: कवची खड़्गी चापबाणधरो युवा।
गच्छन्मनोरथान्नश्च (गच्छन मनोरथान्नश्च) राम: पातु सलक्ष्मण:॥21॥

रामो दाशरथि: शूरो लक्ष्मणानुचरो बली।
काकुत्स्थ: पुरुष: पूर्ण: कौसल्येयो रघूत्तम:॥22॥


वेदान्तवेद्यो यज्ञेश: पुराण-पुरुषोत्तम:।
जानकीवल्ल्भ: श्रीमान-प्रमेय-पराक्रम:॥23॥

इत्येतानि जपन्नित्यं मद्भक्त: श्रद्धयान्वित:।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशय:॥24॥


रामं दूर्वादल-श्यामं पद्माक्षं पीतवाससम।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न (नामभिर दिव्यै न) ते संसारिणो नरा:॥25॥

रामं लक्ष्मण-पूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुंदरं।
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम॥
राजेन्द्रं सत्यसन्धं दशरथतनयं श्यामलं शान्तमूर्ति।
वन्दे लोकाभिरामं रघुकुल-तिलकं राघवं रावणारिम॥26॥


रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे।
रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम:॥27॥

श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम,
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम,
श्रीराम राम शरणं भव राम राम॥28॥


श्रीरामचन्द्र-चरणौ मनसा स्मरामि,
श्रीरामचन्द्र-वरणौ वचसा गृणामि।
श्रीरामचन्द्र-चरणौ शिरसा नमामि,
श्रीरामचन्द्र-चरणौ शरणं प्रपद्ये॥29॥

माता रामो मत्पिता रामचन्द्र:,
स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्र:।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर्नान्यं (दयालु: नान्यं),
जाने नैव जाने न जाने॥30॥


दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य
वामे च जनकात्मजा।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं
वन्दे रघुनंदनम॥31॥

लोकाभिरामं रनरङ्‌गधीरं
राजीवनेत्रं रघुवंश-नाथम।
कारुण्यरुपं करुणाकरं तं
श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥32॥


मनोजवं मारुत-तुल्यवेगं
जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं
श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥33॥

कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम।
आरुह्य कविता-शाखां वन्दे वाल्मीकि-कोकिलम॥34॥


आपदाम-पहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम॥35॥

भर्जनं भवबीजानामर्जनं (भवबीजानाम अर्जनं) सुखसम्पदाम।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम॥36॥


रामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे,
रामेणाभिहता निशाचरचमू, रामाय तस्मै नम:।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोsस्म्यहं,
रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर॥37॥

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्त्र नाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने॥38॥

इति श्री बुधकौशिक-मुनि-विरचितं श्री राम रक्षास्तोत्रं सम्पुर्णम्।

Ram Raksha Stotra
Ram Raksha Stotra

चरितं रघुनाथस्य शतकोटि-प्रविस्तरम्।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्

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(श्री रामरक्षा स्तोत्र – अर्थसहित पढ़ने के लिए, क्लिक करे)
रामरक्षास्तोत्र – अर्थसहित

Ram Bhajans

श्री राम के चरणों में श्रद्धा के फूल – श्रद्धा सुमन

श्री रामचंद्र रघुनाथ राम भक्तों के दुख हरनेवाले।

कौशल्या नंदन रघुनंदन, जग बंधन काटने वाले।
दयासिंधु भगवान ईश्वरी, लीला दिखलाने वाले।
दैत्य विनाशक खलजन त्राशक, भक्त उबारक़ धन वाले॥

प्रजा मन रंजन, दुख विभंजन, भक्तो की सुनने वाले॥
भक्त हितैषी, पापी द्वेषी, बाली को वधनेवाले।
दशरथ नंदन, शांतिनिकेतन, सबके हो पालने वाले॥

मर्यादा का पालन करके, जग को सिखाने वाले।
धर्म सनातन की रक्षा कर, भूभार उतारने वाले।
नीति धर्म की रक्षा कर के, जग को सिखाने वाले॥

जगन्नाथ शरणागत रक्षक, अजर अमर दशरथवाले।
अविनाशी साकेत निवासी, गुणराशि दशरथवाले।
दीन दयाल कृपाल विभो, कर में धनुधारण वाले॥

सीतापति कौशल पति, नृपति विपत्ति विदारण वाले।
बारह वर्ष वन में विचरणकर देव कष्ट मोचन वाले।
अखिल निरंजन भवदुख भंजन भक्ति नाव खेने वाले॥

लोभ मोह माया के फंदे काट मोक्ष देने वाले।
अवध बिहारी, दुष्ट संहारी, लंका को ढहानेवाले।
त्रिलोकीनाथ, घनश्याम राम, अहिल्या को तारन वाले॥

श्री रामचंद्र रघुनाथ राम भक्तों के दुख हरने वाले।

Ram Raksha Stotra

Anuradha Paudwal

Suresh Wadkar

Ram Raksha Stotra

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रामरक्षास्तोत्र – अर्थसहित


॥Atha shriramarakshastotram॥

॥ Om Shri Ganeshaya Namah॥

Om asya shriram-raksha-stotram mantrasya।
Budhakaushik rishih।
Shrisita-ramachamdro devata।
Anushtubh chamdah।
Sita shaktih।
Shrimad hanuman kilakam।
Shriramachamdra-prityarthe ramaraksha-stotra-jape viniyogah॥

॥Atha dhyanam॥

Dhyayedajanu-bahum dhrritashara-dhanusham
baddhapadmasanastham
pitam vaso vasanam
navakamaladalaspardhinetram prasannam।

vamamkarudha sitamukhakamalamilallochanam
niradabham nanalamkaradiptam
dadhatamurujatamamdanam ramachamdram॥

॥iti dhyanam॥

Charitam raghunathasya shatakoti pravistaram।
Ekaikamaksharam pumsam mahapatakanashanam॥ 1॥

Dhyatva nilotpalashyamam ramam rajivalochanam।
Janakilakshmanopetam jatamukutamamditam॥ 2॥

Sasitunadhanurbanapanim naktamcharantakam।
Svalilaya jagatratum avirbhutam ajam vibhum॥ 3॥
Ramaraksham pathetpraj~nah papaghnim sarvakamadam।
Shirome raghavah patu bhalam dasharathatmajah॥ 4॥

Kausalyeyo drrishau patu vishvamitrapriyashruti।
Ghranam patu makhatrata mukham saumitrivatsalah॥ 5॥

Jivham vidyanidhih patu kamtham bharatavamditah।
Skamdhau divyayudhah patu bhujau bhagneshakarmukah॥ 6॥

Karau sitapatih patu hrridayam jamadagnyajit।
madhyam patu kharadhvamsi nabhim jambavadashrayah॥ 7॥

Sugriveshah kati patu sakthini hanumatprabhuh।
uru raghuttamah patu rakshahkulavinashakrrit॥ 8॥

Januni setukrritpatu jamghe dashamukhantakah।
padau bibhishanashridah patu ramokhilam vapuh॥ 9॥

Etam ramabalopetam raksham yah sukrriti pathet।
Sa chirayuh sukhi putri vijayi vinayi bhavet॥ 10॥

patalabhutalavyomacharinashchadmacharinah।
na drashtumapi shaktaste rakshitam ramanamabhih॥ 11॥

Rameti ramabhadreti ramachamdreti va smaran।
naro na lipyate papaih bhuktim muktim cha vindati॥ 12॥

Jagajjaitreka mamtrena ramanamna.abhirakshitam।
Yah kamthe dharayetasya karasthah sarvasiddhuyah॥ 13॥

Vajrapamjaranamedam yo ramakavacham smaret।
Avyahataj~nah sarvatra labhate jayamamgalam॥ 14॥

Adishtavan yatha svapne ramarakshammimam harah।
Tatha likhitavan pratah prabhuddho budhakaushikah॥ 15॥

Aramah kalpavrrikshanam viramah sakalapadam।
Abhiramastrilokanam ramah shriman sa nah prabhuh॥ 16॥

Tarunau rupasampannau sukumarau mahabalau।
pumdarikavishalakshau chirakrrishnajinambarau॥ 17॥

Phalamulashinau dantau tapasau brahmacharinau।
Putrau dasharathasyaitau bhratarau ramalakshmanau॥ 18॥

Sharanyau sarvasattvanam shreshthau sarvadhanushmatam।
Rakshah kulanihamtarau trayetam no raghuttamau॥ 19॥

Attasajjadhanushavishusprrishavakshayashuganishamgasamginau।
Rakshanaya mama ramalakshmanavagratah pathi sadaiva gachchatam॥ 20॥

Sannaddhah kavachi khadgi chapabanadharo yuva।
Gachchanmanorathosmakam ramah patu salakshmanah॥ 21॥

Ramo dasharathih shuro lakshmananucharo bali।
Kakutsthah purushah purnah kausalyeyo raghuttamah॥ 22॥

Vedantavedyo yaj~neshah puranapurushottamah।
Janakivallabhah shriman aprameya parakramah॥ 23॥

Ityetani japannityam madbhaktah shraddhayanvitah।
Ashvamedhadhikam punyam samprapnoti na samshayah॥ 24॥

Ramam durvadalashyamam padmaksham pitavasasam।
Stuvamti namabhirdivyaih na te samsarino narah॥ 25॥

Ramam lakshmanapurvajam raghuvaram sitapatim sumdaram
Kakutstham karunarnavam gunanidhim viprapriyam dharmikam।
Rajemdram satyasamdham dasharathatanayam shyamalam shamtamurtim
Vamde lokabhiramam raghukulatilakam raghavam ravanarim॥ 26॥

Ramaya ramabhadraya ramachamdraya vedhase।
Raghunathaya nathaya sitayah pataye namah॥ 27॥

Shrirama rama raghunamdana rama rama
Shrirama rama bharatagraja rama rama।
Shrirama rama ranakarkasha rama rama
Shrirama rama sharanam bhava rama rama॥ 28॥

Shriramachamdracharanau manasa smarami
Shriramachamdracharanau vachasa grrinami।
Shriramachamdracharanau shirasa namami
Shriramachamdracharanau sharanam prapadye॥ 29॥

mata ramo matpita ramachamdrah।
Svami ramo matsakha ramachamdrah।
Sarvasvam me ramachamdro dayaluh।
nanyam jane naiva jane na jane॥ 30॥

dakshine lakshmano yasya vame tu janakatmaja।
purato marutiryasya tam vamde raghunamdanam॥ 31॥

Lokabhiramam ranaramgadhiram।
Rajivanetram raghuvamshanatham।
Karunyarupam karunakaram tam।
Shriramachamdram sharanam prapadye॥ 32॥

manojavam marutatulyavegam।
Jitendriyam buddhimatam varishtham।
Vatatmajam vanarayuthamukhyam।
Shriramadutam sharanam prapadye॥ 33॥

Kujamtam rama rameti madhuram madhuraksharam।
Aruhya kavitashakham vamde valmikikokilam॥ 34॥

Apadam apahartaram dataram sarvasampadam।
Lokabhiramam shriramam bhuyo bhuyo namamyaham॥ 35॥

bharjanam bhavabijanam arjanam sukhasampadam।
Tarjanam yamadutanam rama rameti garjanam॥ 36॥

Ramo rajamanih sada vijayate ramam ramesham bhaje
Ramenabhihata nishacharachamu ramaya tasmai namah।
Ramannasti parayanam parataram ramasya dasosmyaham
Rame chittalayah sada bhavatu me bho rama mamuddhara॥ 37॥

Rama rameti rameti rame rame manorame।
Sahasranama tattulyam ramanama varanane॥ 38॥

॥ Iti shribudhakaushika-virachitam
Shriramaraksha stotram sampurnam॥

॥ Shrisita-ramachamdrar-panamastu॥

Ram Raksha Stotra
Ram Raksha Stotra

Charitam raghunathasya shatakoti pravistaram।
Ekaikamaksharam pumsam mahapatakanashanam॥

Ram Bhajans