Shivji Satya Hai Shivji Sundar


शिवजी सत्य है, शिवजी सुंदर


जटाट-वीगलज्जल प्रवाह-पावितस्थले,
गलेऽवलम्ब्य-लम्बितां भुजङ्ग तुङ्गमालिकाम्,
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं,
चकार चण्ड-ताण्डवं तनोतु न: शिवः शिवम्॥


बम बम भोले, बम बम भोले,
बम बम भोले,
बम बम भोले, बम बम भोले,
बम बम भोले।


चहू दिश मे शिव, शोहरत मे शिव,
कल कल मे शिव, पल पल मे शिव।

घुंघरू मे शिव, डमरू मे शिव,
डम डम मे शिव, सरगम मे शिव।

बम बम भोले, बम बम भोले,
बम बम भोले।

ओम नमः शिवाय ॐ, ओम नमः शिवाय ॐ,
ओम नमः शिवाय ॐ, ॐ, ॐ ॐ…… ॥


शिवजी सत्य है, शिवजी सुंदर,
शिवजी शिवजी सबके अंदर।
शिवजी सत्य है, शिवजी सुंदर,
शिवजी शिवजी सबके अंदर॥

ओम नमः शिवाय ॐ, ओम नमः शिवाय ॐ,
ओम नमः शिवाय ॐ, ॐ, ॐ ॐ…… ॥


जटा बीच मे गंग बिराजे,
हाथ मे डम डम डमरू बाजे।
शिव शिव गाये दुनिया सारी,
शिव की महिमा सबसे न्यारी॥

ओम नमः शिवाय ॐ, ओम नमः शिवाय ॐ,
ओम नमः शिवाय ॐ, ॐ, ॐ ॐ…… ॥

शिव शिव गाये दुनिया सारी,
शिव की महिमा सबसे न्यारी,
शिव की महिमा सबसे न्यारी।

ओम नमः शिवाय ॐ,, ओम नमः शिवाय ॐ,
ओम नमः शिवाय ॐ, ॐ, ॐ ॐ…… ॥

अखियन अखियन शिव की सूरत,
शिव की मूरत मंदिर मंदिर।
शिवजी सत्य है, शिवजी सुंदर,
शिवजी शिवजी सबके अंदर॥

ओम नमः शिवाय ॐ, ओम नमः शिवाय ॐ,
ओम नमः शिवाय ॐ, ॐ, ॐ ॐ…… ॥


जब शिव का त्रिनेत्र खुल जाए,
धरती काँपे, नभ घबराए।
जो बैरी शिव से टकराए,
उसको कोई बचा ना पाए॥

ओम नमः शिवाय ॐ, ओम नमः शिवाय ॐ,
ओम नमः शिवाय ॐ, ॐ, ॐ ॐ…… ॥

जो बैरी शिव से टकराए,
उसको कोई बचा ना पाए,
उसको कोई बचा ना पाए।

ओम नमः शिवाय ॐ,, ओम नमः शिवाय ॐ,
ओम नमः शिवाय ॐ, ॐ, ॐ ॐ…… ॥


शिव के मन मे उठे जो मनसा,
पल मे पी जाए सात समंदर।
शिवजी सत्य है शिवजी सुंदर,
शिवजी शिवजी सबके अंदर॥

ओम नमः शिवाय ॐ, ओम नमः शिवाय ॐ,
ओम नमः शिवाय ॐ, ॐ, ॐ ॐ…… ॥

बम बम भोले बम बम भोले बम बम भोले

शिव शिव गाये दुनिया सारी,
शिव की महिमा सबसे न्यारी।

जो बैरी शिव से टकराए,
उसको कोई बचा ना पाए,
उसको कोई बचा ना पाए॥

ओम नमः शिवाय ॐ, ओम नमः शिवाय ॐ,
ओम नमः शिवाय ॐ, ॐ, ॐ ॐ…… ॥

Shivji Satya Hai Shivji Sundar
Shivji Satya Hai Shivji Sundar

शिवजी सत्य है शिवजी सुंदर,
शिवजी शिवजी सबके अंदर॥

ओम नमः शिवाय ॐ, ओम नमः शिवाय ॐ,
ओम नमः शिवाय ॐ, ॐ, ॐ ॐ…… ॥


Shiv Bhajans

Shivji Satya Hai Shivji Sundar

Sonu Nigam, Sukhwinder Singh, Kunal Ganjawala

Shivji Satya Hai Shivji Sundar


Bum bum bhole, bum bum bhole,
bum bum bhole,
Bum bum bhole, bum bum bhole,
bum bum bhole.

chahoo dish me shiv, shoharat me shiv,
kal kal me shiv, pal pal me shiv.

ghungharoo me shiv, damaroo me shiv,
dam dam me shiv, saragam me shiv.

bum bum bhole, bum bum bhole,
bum bum bhole.

Om namah shivay om, Om namah shivay om,
Om namah shivay om, om, om om…… .

Shivji satya hai, shivji sundar,
shivji shivji sab ke andar.
Shivji satya hai, shivji sundar,
shivji shivji sabake andar.

Om namah shivay om, Om namah shivay om,
Om namah shivay om, om, om om…… .

Jata beech me gang biraaje,
haath me dam dam damaroo baaje.
Shiv shiv gaaye duniya saaree,
shiv kee mahima sabase nyaaree.

Om namah shivay om, Om namah shivay om,
Om namah shivay om, om, om om…… .

Shiv shiv gaaye duniya saaree,
shiv kee mahima sabase nyaaree,
shiv kee mahima sabase nyaaree.

Om namah shivay om, Om namah shivay om,
Om namah shivay om, om, om om…… .

Akhiyan akhiyan shiv kee soorat,
shiv kee moorat mandir mandir.
Shivji saty hai, shivji sundar,
shivji shivji sabake andar.

Om namah shivay om, Om namah shivay om,
Om namah shivay om, om, om om…… .

Jab shiv ka trinetr khul jaaye,
dharatee kaanpe, nabh ghabarae.
Jo bairee shiv se takarae,
usako koee bacha na pae.

Om namah shivay om, Om namah shivay om,
Om namah shivay om, om, om om…… .

Jo bairee shiv se takarae,
usako koee bacha na pae,
usako koee bacha na pae.

Om namah shivay om, Om namah shivay om,
Om namah shivay om, om, om om…… .

Shiv ke man me uthe jo manasa,
pal me pee jae saat samandar.
Shivji saty hai shivji sundar,
shivji shivji sabake andar.

Om namah shivay om, Om namah shivay om,
Om namah shivay om, om, om om…… .

Bum bum bhole, bum bum bhole,
bum bum bhole,

Shiv shiv gaaye duniya saaree,
shiv kee mahima sabase nyaaree.

Jo bairee shiv se takarae,
usako koee bacha na pae,
usako koee bacha na pae.

Om namah shivay om, Om namah shivay om,
Om namah shivay om, om, om om…… .

Shivji Satya Hai Shivji Sundar
Shivji Satya Hai Shivji Sundar

Shivji saty hai shivji sundar,
shivji shivji sabake andar.

Om namah shivay om, Om namah shivay om,
Om namah shivay om, om, om om…… .

Shiv Bhajans

Bolo Bolo Sab Mil Bolo Om Namah Shivaya – Lyrics in Hindi with Meanings


बोलो बोलो सब मिल बोलो, ओम नमः शिवाय

बोलो बोलो सब मिल बोलो, ओम नमः शिवाय
बोलो बोलो सब मिल बोलो, ओम नमः शिवाय

ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय
बोलो बोलो सब मिल बोलो, ओम नमः शिवाय


जूटजटा में गंगाधरी, त्रिशूल धारी डमरू बजावे।
डम डम, डम डम डमरू बजावे,
गूँज उठा ओम नमः शिवाय॥

ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय
बोलो बोलो सब मिल बोलो, ओम नमः शिवाय


प्रेम से बोलो, नमः शिवाय
भाव से बोलो, नमः शिवाय
जोर से बोलो, नमः शिवाय

ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय


बोलो बोलो सब मिल बोलो, ओम नमः शिवाय
बोलो बोलो सब मिल बोलो, ओम नमः शिवाय


Bolo Bolo Sab Mil Bolo Om Namah Shivaya

Vikram Hazra


Shiv Bhajan



बोलो बोलो सब मिल बोलो, ओम नमः शिवाय भजन का आद्यात्मिक अर्थ

बोलो बोलो सब मिल बोलो, ओम नमः शिवाय
ओम नमः शिवाय वाक्यांश एक पवित्र मंत्र है – अर्थात – भगवान शिव को नमस्कार है, मैं शिव को नमन करता हूं या मैं शिव का सम्मान करता हूं। इस मंत्र का जाप करने से भगवान शिव का आशीर्वाद और उपस्थिति प्राप्त होती है।

जुट जटा में गंगाधारी, त्रिशूल धारी डमरू बजावे
इस पंक्ति में भक्त भगवान शिव के स्वरूप और गुणों का वर्णन करते हैं।
“जुट जटा में गंगाधारी” भगवान शिव को संदर्भित करता है, जो गंगा नदी को अपने जटा पर धारण करते हैं।
“त्रिशूल धारी” का अर्थ है कि वह अपने एक हाथ में त्रिशूल रखते है, जो उनकी शक्ति का प्रतीक है।
“डमरू बजावे” का अर्थ है कि वह डमरू बजाते है, जो सृजन और लय से जुड़ा संगीत वाद्ययंत्र है।

डम डम, डम डम डमरू बजावे
यह पंक्ति भगवान शिव द्वारा बजाए जा रहे डमरू की ध्वनि दर्शाती है।

गूँज उठा ओम नमः शिवाय॥
“गूंज उठा” का अर्थ है “ध्वनि को गूंजने दो।”
यह पंक्ति “ओम नमः शिवाय” मंत्र का जाप करने और उसके कंपन को गूंजने देने के महत्व पर जोर देती है।

प्रेम से बोलो, भाव से बोलो, जोर से बोलो, नमः शिवाय
यह श्लोक भक्तों को प्रेम और भक्ति के साथ मंत्र का जाप करने के लिए प्रोत्साहित करता है
“प्रेम से बोलो”, “भाव से बोलो” का अर्थ है गहरी भावना और अनुभूति के साथ कहना।
यह सब “ओम नमः शिवाय” का जाप करते हुए किया जाता है।

कुल मिलाकर यह भजन भगवान शिव की भक्ति और स्तुति की अभिव्यक्ति है। भक्त उनके दिव्य गुणों को स्वीकार करते हुए और उनका आशीर्वाद मांगते हुए, प्रेम, श्रद्धा और तीव्रता के साथ उनके पवित्र मंत्र का जाप करने के लिए एक साथ आते हैं। यह परमात्मा से जुड़ने और आध्यात्मिक उत्थान का अनुभव करने का एक तरीका है।


Shiv Bhajan



Kedarnath Jyotirling Katha


Shiv Bhajan

श्रीकेदारनाथ ज्योतिर्लिग की कथा


महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं
सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः।
सुरासुरैर्यक्ष महोरगाढ्यैः
केदारमीशं शिवमेकमीडे॥

श्रीकेदारनाथ ज्योतिर्लिग

शंकर भगवान के बारह ज्योतिर्लिंग में से श्रीकेदारनाथ का ज्योतिर्लिग हिमाच्छादित प्रदेश का एक दिव्य ज्योतिर्लिग है। श्री केदारनाथ हिमालय के केदार नामक श्रृंगपर स्थित हैं।

शिखर के पूर्व की ओर अलकनन्दा के तट पर श्री बदरीनाथ अवस्थित हैं और पश्चिम में मन्दाकिनी के किनारे श्री केदारनाथ हैं।

गौरीकुंड से दो-चार कोस की दूरी पर ऊंचे हिमशिखरों के परिसर में, मंदाकिनी नदी की घाटी में भगवान शंकरजी का दिव्य ज्योतिर्लिंग, केदारनाथ का मंदिर दिखाई देता है।

Kedarnath Temple

यही कैलाश है जो भगवान शंकरजी का आद्य निवास स्थान है। लेकिन वहाँ शंकरजी की मूर्ति या लिंग नहीं है। केवल त्रिकोन के आकार का ऊँचाई वाला स्थान है।

कहते हैं वह महेश का (भैंसे का) पृष्ठभाग है। इस ज्योतिर्लिग का जो इस तरह का आकर बना है उसकी कथा इस प्रकार है –

श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिग की कथा

कौरव-पांडवों के युद्ध में अपने ही लोगों की हत्या हुई। पापलाक्षन करने के लिए पांडव तीर्थस्थान काशी पहुँचे।

परन्तु भगवान विश्वेश्वरजी उस समय हिमालय के कैलास पर गए हुए है, यह समाचार मिला।

पांडव काशी से निकले और हरिद्वार होकर हिमालय की गोद मे पहुँचे।

दूर से ही उन्हें भगवान शकरजी के दर्शन हुए। लेकिन पांडवों को देखकर शंकर भगवान लुप्त हो गए।

गिरिश्वर गिरिप्रिय कैलाशवासी कृपानिधि

यह देखकर धर्मराज ने कहा – हे देव, हम पापियों को देखकर आप लुप्त हुए। ठीक है, हम आप को ढूँढ निकालेंगे। आपके दर्शन से हमारे सारे पाप धुल जाने वाले हैं।

जहाँ आप लुप्त हुए है वह स्थान अब गुप्तकाशी के रूप में पवित्र तीर्थ बनेगा।

गुप्तकाशी से (रुद्रप्रयाग) पांडव आगे निकलकर हिमालय के कैलास, गौरीकुंड के प्रदेश में घूमते रहे। शंकर भगवान को ढूँढते रहे।

इतने में नकुल-सह्देव को एक भैंसा दिखाई दिया।

उसका अनोखा रूप देखकर धर्मराज ने कहा- भगवान् शंकरजी ने हो यह भैंसे का अवतार धारण किया हुआ हे। वै हमें परख रहे हैं।

महाकाल महादेव मृत्युंजय महेश्वर

फिर क्या! गदाधारी भीम उस भैंसे के पीछे लगे।

भैंसा उछल पड़ा और भीम के हाथ नहीं आया। आखिर भीम थक गया।

फिर भी भीम ने गदा-प्रहार से भैंसे को घायल किया।

फिर वह भैंसा एक दर्रे के पास जमीन में मुँह दबाकर बैठ गया।

भक्तवत्सल परमेश्वर त्रिलोकेश कैलाशवास

भीम ने उसकी पूँछ पकड़कर खींचा।

भैंसे का मुँह इस खिंचाव से सीधे नेपाल में जा पहुंचा। नेपाल में वह पशुपतिनाथ के नाम से जाना जाने लगा।

भैंसे का पार्श्व भाग केदार धाम में ही रहा।

महेश के उस पार्श्व भाग से एक दिव्य ज्योति प्रकट हुई।

दिव्य ज्योति में से शंकर भगवान प्रकट हुए। पांडवों को उन्होंने दर्शन दिए।

शंकर भगवान के दर्शन से पांडवों का पापक्षालन हुआ।

भगवान शंकरजी ने पांडवों से कहा – मै अभी यहाँ इसी त्रिकोणाकार में ज्योतिर्लिंग के रूप में हमेशा के लिए रहूँगा। केदारनाथ के दर्शन से भक्तगण पावन होंगे।

Kedarnath Jyotirlinga

महेशरूप लिए हुए शंकरजी को भीम ने गदा का प्रहार किया था। अत: भीम को बहुत पछतावा हुआ. बुरा लगा। वह महेश का शरीर घी से मलने लगा। उस बात की यादगार के रूप में आज भी उस त्रिकोणाकार दिव्य ज्योतिर्लिग केदारनाथ को घी से मलते है।

जिस स्थान से पांडव स्वर्ग सिधारे उस ऊँची चोटी को स्वर्गरोहिणी कहते है।

नर-नारायण जब बद्रिका ग्राम में जाकर पार्थिक पूजा करने लगे तो उनसे पार्थिव शिवजी वहां प्रकट हो गए।

Kedarnath Temple

कुछ समय पश्चात् एक दिन शिवजी ने प्रसन्न होकर वर मांगने को कहा तो नर-नारायण लोक-कल्याण की कामना से उनसे स्वयं अपने स्वरूप से पूजा के निमित्त इस स्थान पर सर्वदा स्थित रहने की प्रार्थना की।

उन दोनों की इस प्रार्थना पर हिमाश्रित केदार नामक स्थान पर साक्षात महेश्वर ज्योति स्वरूप हो स्वयं स्थित हुए और वहां उनका केदारेश्वर नाम पड़ा।

केदारेश्वर के दर्शन से स्वप्न में भी दुःख प्राप्त नहीं होता। शंकर (केदारेश्वर) का पूजन कर पांडवों का सब दुःख जाता रहा।

Jyotirling Katha

केदारनाथ

हिमालय की देवभूमि में बसे इस तीर्थस्थान के दर्शन केवल छ: माह के काल में ही होते हैं।

वैशाख से लेकर आश्विन महीने तक के कालाविधि में इस ज्योतिर्लिग की यात्रा लोग कर सकते हैं।

वर्ष के अन्य महीनों में कड़ी सर्दी होने से, हिमालय पर्वत का यह प्रदेश बर्फाच्छादित रहने के कारण, श्रीकेदारनाथ का मंदिर दर्शनार्थी भक्तों के लिए बंद रहते है।

कार्तिक महीने में बर्फवृष्टी तेज होने पर इस मंदिर में घी का नंदादीप जलाकर श्रीकेदारेश्वर का भोग सिंहासन बाहर लाया जाता है। और मंदिर के द्वार बंद किये जाते हैं।

कार्तिक से चैत्र तक श्रीकेदारेश्वरजी का निवास नीचे जोशीमठ में रहता है।

वैशाख में जब बर्फ पिघल जाती है तब केदारधाम फिर से खोल दिया जाता है। इस दिव्य ज्योति के दर्शन कर लेने मे शिवभक्त अपने आपको धन्य मानते हैं।

हरिद्वार या हरद्वार को मोक्षदायिनी मायापुरी मानते हैं। इस हरिद्वार के आगे ऋषीकेश, देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, सोनप्रयाग और त्रियुगी नारायण, गौरीकुंड इस मार्ग से केदारनाथ जा सकते हैं। कुछ प्रवास मोटर से और कुछ पैदल से करना पडता है। हिमालय का यह रास्ता अति दुर्गम और खतरा पैदा करने वाला होता है। परंतु अटल श्रद्धा के कारण यह कठिन रास्ता भक्त-यात्री पार करते हैं। श्रद्धा के बलपर इस प्रकार संकटों पर मात की जाती है।

चढान का मार्ग कुछ लोग घोडे पर बैठकर, टोकरी में बैठकर या झोली की सहायता से पार करते हैं। इस तरह का प्रबंध वही किया जाता है। विश्राम के लिए बीच-बीच में धर्मशालाएँ मठ तथा आश्रम खोले गए हैं।

यात्री गौरीकुंड स्थान पर पहुँचने के बाद वहाँ के गरम कुंड के पानी से स्नान करते हैं और गणेशजी के दर्शन करते हैं। गौरीकुंड का स्थान गणेशजी का जन्मस्थान माना गया है।

इस स्थानपर पार्वती-पुत्र गणेशजी को शंकरजीने त्रिशूल के प्रहार से मस्तकहीन बनाया था और बाद में गजमुख लगाकर जिंदा किया था।

Kedarnath Jyotirling Katha
Kedarnath Jyotirling Katha

Shiv Bhajans

Kedarnath Jyotirling Katha

Deepti Bhatnagar

Shiv Bhajans

Shiv Shankar Damru Wale – Hai Dhanya – Lyrics in Hindi with Meanings


शिव शंकर डमरू वाले – है धन्य तेरी माया जग में

है धन्य तेरी माया जग में,
शिव शंकर डमरू वाले।

नमामि शंकर, नमामि हर हर,
नमामि देवा महेश्वरा।
नमामि पारब्रह्म परमेश्वर,
नमामि भोले दिगम्बर॥

है धन्य तेरी माया जग में,
ओ दुनिया के रखवाले।
शिव शंकर डमरू वाले,
शिव शंकर भोले भाले॥


जो ध्यान तेरा धर ले मन में,
वो जग से मुक्ति पाए।
भव सागर से उसकी नैया,
तू पल में पार लगाए।

संकट में भक्तो को बढ कर
तू भोले आप संभाले॥

शिव शंकर डमरू वाले,
शिव शंकर भोले भाले।


है कोई नहीं इस दुनिया में
तेरे जैसा वरदानी।
नित्त सुमरिन करते नाम तेरा
सब संत ऋषि और ग्यानी।

ना जाने किस पर खुश हो कर
तू क्या से क्या दे डाले॥

शिव शंकर डमरू वाले,
शिव शंकर भोले भाले।


त्रिलोक के स्वामी हो कर भी
क्या औघड़ रूप बनाए।
कर में डमरू त्रिशूल लिए
और नाग गले लिपटाये।

तुम त्याग के अमृत, पीते हो
नित् प्रेम से विष के प्याले॥

शिव शंकर डमरू वाले,
शिव शंकर भोले भाले।


तप खंडित करने काम देव
जब इन्द्र लोक से आया।
और साध के अपना काम बाण
तुम पर वो मूरख चलाया।

तब खोल तीसरा नयन
भसम उसको पल में कर डाले॥

शिव शंकर डमरू वाले,
शिव शंकर भोले भाले।


जब चली कालिका क्रोधित हो
खप्पर और खडग उठाए।
तब हाहाकार मचा जग में
सब सुर और नर घबराए।

तुम बीच डगर में सो कर
शक्ति देवी की हर डाले॥

शिव शंकर डमरू वाले,
शिव शंकर भोले भाले।


अब दृष्टि दया की भक्तो पर
हे डमरू-धर कर देना।
भक्तों की झोली
गौरी शंकर भर देना।

अपना ही सेवक जान
हमे भी चरणों में अपनाले।

शिव शंकर डमरू वाले,
शिव शंकर भोले भाले।


है धन्य तेरी माया जग में, ओ दुनिए के रखवाले।
शिव शंकर डमरू वाले, शिव शंकर भोले भाले॥


Hai Dhanya Teri Maya Jag Me – Shiv Shankar Damru Wale

Lakhbir Singh Lakkha


Shiv Bhajan



शिव शंकर डमरू वाले – है धन्य तेरी माया जग में भजन का आध्यात्मिक अर्थ

है धन्य तेरी माया जग में, ओ दुनिया के रखवाले।
“है धन्य तेरी माया जग में” का अर्थ है “इस दुनिया में आपकी उपस्थिति और आपकी माया धन्य है।” भजन भगवान शिव की दिव्य उपस्थिति को स्वीकार करता है और उनके अस्तित्व के लिए आभार व्यक्त करता है।
“ओ दुनिया के रखवाले” का अर्थ है “हे दुनिया के रक्षक।” यह पंक्ति भगवान शिव को ब्रह्मांड के संरक्षक और संरक्षक के रूप में प्रतिष्ठित करती है।

शिव शंकर डमरू वाले, शिव शंकर भोले भाले॥
इस श्लोक में भगवान शिव की विभिन्न विशेषताओं से स्तुति की गई है। “शिव शंकर डमरू वाले” उन्हें ऐसे व्यक्ति के रूप में स्वीकार करते हैं जो अपने हाथ में डमरू रखते है, जो अक्सर ब्रह्मांडीय सृजन और लय से जुड़ा होता है।
“शिव शंकर भोले भाले” उन्हें दयालु व्यक्ति के रूप में सम्मान देता है।

जो ध्यान तेरा धर ले मन में,वो जग से मुक्ति पाए।
यह पंक्ति भगवान शिव के ध्यान और चिंतन के महत्व पर जोर देती है। इसमें कहा गया है कि जो लोग उनके स्मरण को अपने हृदय में रखते हैं वे जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।

भव सागर से उसकी नैया,तू पल में पार लगाए।
यह श्लोक सांसारिक अस्तित्व (भव सागर) के पार भक्त की यात्रा दर्शाने के लिए एक नाव के रूपक का उपयोग करता है। भगवान शिव के प्रति समर्पण करके, भक्त आसानी से इस महासागर को पार कर दूसरे किनारे तक पहुंच सकता है।

संकट में भक्तो को बढ कर तू भोले आप संभाले॥
यहां, भगवान शिव की पूजा संकट के समय अपने भक्तों का विशेष ध्यान रखने वाले के रूप में की जाती है। भजन उनके दयालु स्वभाव में विश्वास व्यक्त करता है, क्योंकि वे स्वयं अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।

है कोई नहीं इस दुनिया में तेरे जैसा वरदानी।
यह पंक्ति बताती है कि इस दुनिया में भगवान शिव जैसा कोई नहीं है, और वह सबसे दयालु वरदानी हैं।

नित्त सुमरिन करते नाम तेरा सब संत ऋषि और ग्यानी।
भक्त को लगातार ध्यान करने और भगवान शिव के नाम का जाप करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि साधु-संत और ज्ञानी भी इनके नाम का निरंतर स्मरण करते रहते हैं।

ना जाने किस पर खुश हो कर तू क्या से क्या दे डाले॥
यह अंतिम श्लोक भगवान शिव के आशीर्वाद और कृपा पर विस्मय और आश्चर्य व्यक्त करता है। यह दर्शाता है कि कैसे, बिना किसी स्पष्ट कारण के, वह अकल्पनीय उपहार और वरदान देकर किसी का जीवन बदल सकता है।

त्रिलोक के स्वामी हो कर भी क्या औघड़ रूप बनाए।
“त्रिलोक के स्वामी हो कर भी” अर्थात “भले ही आप तीनों लोकों (त्रिलोक) के स्वामी हैं, फिर भी आपने विकराल (औघड़) रूप क्यों धारण किया?” भक्त को आश्चर्य होता है कि भगवान शिव ने उग्र और विस्मयकारी रूप क्यों धारण किया।

कर में डमरू त्रिशूल लिए और नाग गले लिपटाये।
यह श्लोक भगवान शिव के दिव्य स्वरूप का वर्णन करता है।
“कर में डमरू त्रिशूल लिए” भगवान शिव को अपने हाथों में डमरू और त्रिशूल धारण करने के लिए संदर्भित करता है।
“और नाग गले लिपटाये” का अर्थ है एक नागराज उनकी गर्दन के चारों ओर लिपटा हुआ है, जो यह दर्शाता है की किस प्रकार भगवान् शिव अहंकार और कामनाओं को अपने वश में करके रखते है।

तुम त्याग के अमृत, पीते हो नित् प्रेम से विष के प्याले॥
यह लाइन भगवान शिव के अद्वितीय स्वभाव को दर्शाती है।
भगवान शिव को समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को पीने के लिए जाना जाता है, जो प्रेम और करुणा के साथ ब्रह्मांड के बोझ को सहन करने की उनकी इच्छा को दर्शाता है।

तप खंडित करने काम देव जब इन्द्र लोक से आया।
यह श्लोक उस घटना को संदर्भित करता है जहां प्रेम के देवता कामदेव ने इंद्र के स्वर्ग में भगवान शिव के ध्यान को भंग कर दिया था।
“तप खंडित करने काम देव” का अर्थ है जब कामदेव ने आपके ध्यान को बाधित करने का साहस किया। इसके परिणामस्वरूप भगवान शिव की उग्र तीसरी आंख से कामदेव भस्म हो गए।

और साध के अपना काम बाण तुम पर वो मूरख चलाया।
यहां, भजन में उल्लेख किया गया है कि कैसे अहंकारी कामदेव ने भगवान शिव की भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए अपने तीरों यानी की काम बाण का इस्तेमाल किया।

तब खोल तीसरा नयन भसम उसको पल में कर डाले॥
“जब आपने अपनी तीसरी आंख खोली,” भगवान शिव ने कामदेव को एक पल में राख (भस्म) में बदल दिया। तीसरी आंख, जो उनकी दिव्य चेतना की शक्ति का प्रतीक था।

जब चली कालिका क्रोधित हो खप्पर और खडग उठाए।
“जब चली कालिका क्रोधित हो” देवी काली, पार्वती का अवतार, को संदर्भित करता है, जो उग्र और क्रोधित हो जाती है।
“खप्पर और खड़ग उठाये” का अर्थ है “खोपड़ी का कटोरा और तलवार पकड़ना।”
यह पंक्ति काली को उसके विकराल रूप में चित्रित करती है।

तब हाहाकार मचा जग में सब सुर और नर घबराए।
जब काली ने अपने उग्र रूप धारण किया, तो सभी प्राणियों और मनुष्यों के बीच उथल-पुथल और भय था।

तुम बीच डगर में सो कर शक्ति देवी की हर डाले॥
इस श्लोक में, भगवान शिव उस पथ (डगर) में लेटे हुए हैं जहाँ काली भयंकर रूप से विचरण कर रही हैं। ऐसा करके, वह उसके गुस्से को शांत करते है और उसे शांतिपूर्ण स्थिति में वापस लाते है।

अब दृष्टि दया की भक्तो पर हे डमरू-धर कर देना।
अब, हे डमरू धारक (भगवान्), अपने भक्तों पर अपनी दयालु दृष्टि बरसाओ। भक्त, सभी भक्तों के लिए, भगवान शिव से आशीर्वाद चाहता है।

भक्तों की झोली गौरी शंकर भर देना।
“हे गौरी शंकर (भगवान शिव और पार्वती का एक प्रतीक), भक्तों के दिलों को अपने दिव्य आशीर्वाद से भरें।” यह भजन भगवान शिव और पार्वती से भक्तों के लिए आशीर्वाद की कामना करता है।

अपना ही सेवक जान हमे भी चरणों में अपनाले।
भजन का समापन भक्त द्वारा भगवान शिव के स्वयं सेवक के रूप में पहचाने जाने और उनके चरणों में स्थान प्राप्त करने, उनकी दिव्य कृपा और मार्गदर्शन प्राप्त करने की इच्छा व्यक्त करने के साथ होता है।

यह भजन भगवान शिव के अद्वितीय गुणों, उनकी सुरक्षात्मक और दयालु प्रकृति और ब्रह्मांड के सर्वोच्च देवता के रूप में उनकी भूमिका की प्रशंसा करता है। इसमें भगवान शिव की अपार शक्ति और अपने भक्तों के प्रति उनकी स्नेहपूर्ण देखभाल को दर्शाने के लिए कामदेव और काली की कहानी का भी संदर्भ दिया गया है।

कुल मिलाकर, यह भजन भगवान शिव की महानता, उनके दयालु स्वभाव और उनके प्रति भक्ति की शक्ति का गुणगान करता है। यह भक्त को लगातार उनका ध्यान करने और उनकी दिव्य इच्छा के प्रति समर्पण करने के लिए प्रोत्साहित करता है।


Shiv Bhajan



Jai Shambhu Jai Jai Shambhu – Jayati Jayati Jai Kashi Wale


जय शंभू, जय जय शंभू – जयति जयति जय काशी वाले


काशी वाले, देवघर वाले,
भोले डमरूधारी।
खेल तेरे हैं नाथ निराले,
शिव शंकर त्रिपुरारी॥


जयति जयति जय काशी वाले,
काशी वाले, देवघर वाले।
खेल हैं तेरे नाथ निराले,
जय शंभू, जय जय शंभू॥

जय शंभू, जय जय शंभू
भोले, जय शंभू, जय जय शंभू

जयति जयति जय काशी वाले – भोले, जय शंभू

जो भी तेरा ध्यान धरे,
उसका सुर नर मान करें।
जन्म मरण से वह उभरें भोले,
चरण तुम्हारे जो धर ले॥

दया करो विष पीने वाले,
भक्तजनों के रखवाले।
तुम बिन नैया कौन संभाले,
जय शंभू, जय जय शंभू॥

जय शंभू जय जय शंभू
बाबा, जय शंभू जय जय शंभू

भक्तजनों के रखवाले – जय जय शंभू

ऐसे हो औघड दानी,
देते हो वर मनमानी।
भस्मासुर था अभिमानी,
तो भस्म कराई शैतानी॥

पार्वती बन विष्णु आए,
दगाबाज को मजा चखाए।
भांग धतूरा आप थें खाए,
जय शंभू, जय जय शंभू॥

जय शंभू, जय जय शंभू
भोले, जय शंभू, जय जय शंभू

Shiv Parvati Ganesh

अपनी विपदा किसे सुनाएं,
मन में एक आशा है लाए।
श्री चरणों की धूल मिले जो,
नयन हमारे दर्शन पाए॥

आस हमारी पूरी कर दो,
मेरी खाली झोली भर दो।
एक नजर मुझ पर भी कर दो,
जय शंभू, जय जय शंभू॥

जय शंभू, जय जय शंभू
भोले, जय शंभू, जय जय शंभू

तुम बिन नैया कौन संभाले – भक्तजनों के रखवाले

जो भी आया तेरे द्वारे,
जागे उसके भाग्य सितारे।
मैं शरणागत शरण तिहारे,
भोले शरण तिहारे, शरण तिहारे॥

करूँ नहीं कोई लाखों टारे,
भक्त को मत भूलो स्वामी।
हे कैलाशी अंतर्यामी,
ओम नमः शिव नमो नमामि॥

जय शंभू जय जय शंभू,
जय शंभू जय जय शंभू


जयति जयति जय काशी वाले,
काशी वाले, देवघर वाले।
खेल हैं तेरे नाथ निराले,
जय शंभू, जय जय शंभू॥

जय शंभू, जय जय शंभू
भोले, जय शंभू, जय जय शंभू

Jai Shambhu Jai Jai Shambhu - Jayati Jayati Jai Kashi Wale
Jai Shambhu Jai Jai Shambhu – Jayati Jayati Jai Kashi Wale

जयति जयति जय काशी वाले,
काशी वाले, देवघर वाले।
जय शंभू, जय जय शंभू

Shiv Bhajans

Jai Shambhu Jai Jai Shambhu – Jayati Jayati Jai Kashi Wale

Lakhbir Singh Lakha

Jai Shambhu Jai Jai Shambhu – Jayati Jayati Jai Kashi Wale


Kashi wale, devghar wale,
bhole damaru dhaari.
Khel tere hain naath nirale,
shiv shankar tripurari.

Jayati jayati jai kashi wale,
kashi wale, devghar wale.
Khel hain tere naath nirale,
Jai shambhu, jai jai shambhu.

Jai shambhu, jai jai shambhu
Bhole, jai shambhu, jai jai shambhu

Jo bhi tera dhyan dhare,
usaka sur nar maan kare.
Janm maran se woh ubharen bhole,
charan tumhaare jo dhar le.

Daya karo vish pine waale,
bhakt jano ke rakhawale.
Tum bin naiya kaun sambhaale,
Jai shambhu, jai jai shambhu.

Jay shambhoo jay jay shambhoo
Baba, jay shambhoo jay jay shambhoo

Aise ho aughad daani,
dete ho var man maani.
Bhasmasur tha abhimaani,
to bhasm karai shaitaani.

Paarvati ban vishnu aaye,
dagaabaaj ko maja chakhaye.

Bhaang dhatoora aap the khaaye,
Jai shambhu, jai jai shambhu.

Jai shambhu, jai jai shambhu
bhole, Jai shambhu, jai jai shambhu

Apani vipada kise sunaaye,
man mein ek aasha hai laaye.
Shri charano ki dhool mile jo,
nayan hamaare darshan paaye.

Aas hamaari poori kar do,
meri khaali jholi bhar do.
Ek najar mujh par bhi kar do,
Jai shambhu, jai jai shambhu.

Jai shambhu, jai jai shambhu
bhole, Jai shambhu, jai jai shambhu

Jo bhi aaya tere dwaare,
jaage usake bhaagya sitaare.
Main sharanaagat sharan tihaare,
bhole sharan tihaare, sharan tihaare.

Karoon nahin koi laakhon taare,
bhakt ko mat bhoolo swaami.
Hey kailaashi antaryaami,
om namah shiv namo namaami.

Jay shambhoo jay jay shambhoo,
jay shambhoo jay jay shambhoo

Jayati jayati jai kashi wale,
kashi wale, devghar wale.
Khel hain tere naath nirale,
Jai shambhu, jai jai shambhu.

Jai shambhu, jai jai shambhu
Bhole, jai shambhu, jai jai shambhu

Jai Shambhu Jai Jai Shambhu - Jayati Jayati Jai Kashi Wale
Jai Shambhu Jai Jai Shambhu – Jayati Jayati Jai Kashi Wale

Jayati jayati jai kashi wale,
kashi wale, devghar wale.
Jai shambhu, jai jai shambhu

Shiv Bhajans

Bum Bhole – Yahi Wo Tantra Hai – Lyrics in Hindi with Meanings


बम भोले, बम भोले – यही वो तंत्र है

ओम नम: शिवाय, ओम नम: शिवाय
बम भोले, बम भोले, बम बम बम
बम भोले, बम भोले, बम बम बम


यही वो तंत्र है, यही वो मन्त्र है
प्रेम से जपोगे तो मिटेंगे सारे गम

बम भोले, बम भोले, बम बम बम
बम भोले, बम भोले, बम बम बम


कभी योगी, कभी भोगी, कभी बाल ब्रह्मचारी
कभी आदिदेव, महादेव त्रिपुरारी
कभी शंकर, कभी शम्भू, कभी भोले भंडारी,
नाम है अनंत तेरे जग बलिहारी

शिव का नाम हो, सुबह शाम हो
जपते रहो जब तक दम में है दम
बम भोले, बम भोले….


दक्ष प्रजापति जब अहंकारा, त्रिशूल से शीश उतारा
माफ़ी मांगी होश में आयो, बकरे का तब शीश लगायो

आशुतोष भोले बाबा भए प्रसन्न,
बकरे ने मुख से जो बोली बम बम
बम भोले, बम भोले…


(स्तोत्र – शिव रुद्राष्टकम से)
कलातीत कल्याण कल्पान्त कारी, सदा सज्जनानन्द दाता पुरारी॥
चिदानन्द संदोह मोहा पहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी॥

ध्यान लगाई के, ज्योत जलाई के
शिव को पुकारते चलो जी हर दम
बम भोले, बम भोले….


खेल रही है जटा में गंगा, तन पे खाल बगम्बर अंगा
बाजे डमरू पिकर भंगा, मेरो जोगी मस्त मलंगा

भक्त मांगे तेरी नज़रे करम
बम भोले, बम भोले…..


यही वो तंत्र है, यही वो मन्त्र है, प्रेम से जपोगे तो मिटेंगे सारे गम
बम भोले, बम भोले, बम बम बम। बम भोले, बम भोले, बम बम बम
ओम नम: शिवाय, ओम नम: शिवाय


Bum Bhole Bum Bhole Yahi Wo Tantra Hai


Shiv Bhajan



बम भोले, बम भोले – यही वो तंत्र है भजन का आध्यात्मिक अर्थ

यही वो तंत्र है, यही वो मंत्र है, प्रेम से जपोगे तो मिटेंगे सारे गम
यह तंत्र (साधना) है, यह मंत्र (पवित्र मंत्र) है। प्रेमपूर्वक इसका जाप करो तो सारे दुख दूर हो जाते हैं।

बम भोले, बम भोले, बम बम बम
“बम भोले” भगवान शिव को समर्पित भक्ति गीतों के दौरान कहे जाने वाले शब्दों को संदर्भित करता है।

यह श्लोक भक्ति की शक्ति और भगवान शिव के पवित्र मंत्र के जाप पर जोर देता है। यह सुझाव देता है कि भगवान शिव के नाम का ईमानदारी से और प्रेमपूर्वक जाप करने से व्यक्ति सभी दुखों और चुनौतियों से राहत पा सकता है।

कभी योगी, कभी भोगी, कभी बाल ब्रह्मचारी, कभी आदिदेव, महादेव त्रिपुरारी
कभी-कभी, भगवान शिव एक योगी (तपस्वी) का रूप धारण करते हैं, कभी-कभी वे सांसारिक सुखों (भोगी) का आनंद लेते हैं। वह एक युवा ब्रह्मचारी (बाल ब्रह्मचारी) या आदिदेव, देवताओं के महान देवता (महादेव), और राक्षस त्रिपुरासुर (त्रिपुरारी) के विनाशक के रूप में प्रकट होते हैं।

कभी शंकर, कभी शम्भू, कभी भोले भंडारी, नाम है अनंत तेरे जग बलिहारी
उन्हें शंकर, शंभू और पवित्र गंगा (भोले भंडारी) के दयालु धारक के रूप में भी जाना जाता है। हे शिव, आपका नाम अनंत है, और दुनिया आपकी भक्त है।

यह श्लोक भगवान शिव की विभिन्न अभिव्यक्तियों और पहलुओं का वर्णन करता है। यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि वह कैसे अलग-अलग भूमिकाएँ और रूप धारण कर सकते है, एक ध्यानमग्न संन्यासी से लेकर जीवन का एक चंचल आनंद लेने वाला, एक युवा ब्रह्मचारी से लेकर परम दिव्य शक्ति और बुराई का नाश करने वाला। यह उनके दिव्य अस्तित्व की असीमित प्रकृति पर जोर देते हुए उनके कई नामों और विशेषताओं को स्वीकार करता है।

शिव का नाम हो, सुबह शाम हो, जपते रहो जब तक दम में है दम
सुबह-शाम शिव का नाम आपके साथ रहे। जब तक आपके शरीर में सांस है तब तक उनका नाम गाते रहें। दूसरे शब्दों में, जीवन भर भगवान शिव का नाम जपते और गाते रहें।

यह श्लोक भगवान शिव के प्रति निरंतर भक्ति को प्रोत्साहित करता है, भक्त से सुबह से शाम तक और जब तक वे जीवित हैं, भक्ति और समर्पण के साथ उनके नाम का जप करने का आग्रह करता है। यह भक्ति की शाश्वत प्रकृति और परमात्मा की निरंतर याद की शक्ति पर जोर देता है।

दक्ष प्रजापति जब अहंकारा, त्रिशूल से शीश उतारा
माफ़ी मांगी होश में आयो, बकरे का तब शीश लगायो
आशुतोष भोले बाबा भए प्रसन्न,
बकरे ने मुख से जो बोली बम बम

जब दक्ष प्रजापति (हिंदू धर्म में एक पौराणिक व्यक्ति) अहंकारी हो गए, तो भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से उनका सिर काट दिया। दक्ष को होश आ गया और उसने क्षमा मांगी। दक्ष के अनुरोध पर, भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने एक बकरे का सिर लगा दिया। दयालु और शीघ्र प्रसन्न होने वाले भगवान शिव प्रसन्न हो गये। तभी बकरे ने अपने मुँह से “बम बम” का नारा लगाया।

यह श्लोक दक्ष प्रजापति के अहंकार और भगवान शिव द्वारा उनकी क्षमा की घटना का वर्णन करता है। यह शिव की परोपकारिता और उनसे क्षमा चाहने वालों को क्षमा करने और आशीर्वाद देने की तत्परता पर प्रकाश डालता है।

यह पंक्तियाँ शिव रुद्राष्टकम से है
कलातीत कल्याण कल्पान्त कारी, सदा सज्जनानन्द दाता पुरारी॥
चिदानन्द संदोह मोहा पहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी॥
भगवान शिव समय (कलातीत) की सीमाओं से परे हैं, जो शुभता (कल्याण) प्रदान करते हैं, समय के अंत (कल्पांत) के निर्माता हैं। वह सदैव प्रसन्न रहने वाला, सज्जनों को आनंद देने वाला (सज्जानंद दाता पुरारी) है। वह अज्ञानता और भ्रम के पहाड़ को हटा देता है, और मैं उनसे आशीर्वाद और कृपा के लिए प्रार्थना करता हूं।

यह श्लोक सर्वोच्च और शाश्वत अस्तित्व के रूप में भगवान शिव के दिव्य गुणों और भूमिका की प्रशंसा करता है। यह उसे शुभता और आनंद का स्रोत, अज्ञानता को दूर करने वाला और समय से परे जाने वाला बताता है।

ध्यान लगाई के, ज्योत जलाई के, शिव को पुकारते चलो जी हर दम
एकाग्रचित्त ध्यान और भक्ति की लौ से निरंतर भगवान शिव को पुकारते रहो।
यह श्लोक भगवान शिव के निरंतर ध्यान, भक्ति और स्मरण को प्रोत्साहित करता है। यह किसी के दिल में प्रेम और समर्पण की लौ जलाए रखने और हर समय ईमानदारी से शिव को पुकारने के महत्व पर जोर देता है।

खेल रही है जटा में गंगा, तन पे खाल बाघम्बर अंगा
पवित्र नदी गंगा भगवान शिव की जटाओं में चंचलतापूर्वक बह रही है। वह अपने शरीर पर बाघ की खाल पहनते हैं, और वह श्मशान घाट की राख (बागंबर अंग) से सुशोभित होते हैं।

बाजे डमरू पिकर भंगा, मेरो जोगी मस्त मलंगा, भक्त मांगे तेरी नज़रे करम
वह डमरू बजाता है और भांग (एक पारंपरिक नशीला पेय) पीने का आनंद लेता है। मेरा योगी (तपस्वी) दिव्य प्रेम में आनंदित और मतवाला है। भक्त आपकी कृपा दृष्टि और आशीर्वाद चाहता है।

यह श्लोक भगवान शिव के अद्वितीय और दिव्य स्वरूप को दर्शाता है। इसमें बताया गया है कि कैसे गंगा नदी उनके जटाओं से बहती है, कैसे वह बाघ की खाल पहनते हैं, और श्मशान की राख उनके त्यागी स्वभाव का प्रतीक है। यह उन्हें एक आनंदित और तपस्वी के रूप में चित्रित करता है जो अपने दिव्य नृत्य के हिस्से के रूप में डमरू बजाने और भांग का सेवन करने का आनंद लेता है। भक्त भक्ति की इन अभिव्यक्तियों के माध्यम से उनकी कृपा और आशीर्वाद चाहता है।

कुल मिलाकर, ये भजन गीत भगवान शिव के प्रति भक्ति और प्रशंसा को खूबसूरती से व्यक्त करते हैं, उनके दिव्य गुणों की प्रशंसा करते हैं और उन पर निरंतर भक्ति और ध्यान को प्रोत्साहित करते हैं।


Shiv Bhajan



Aayo Aayo Re Shivratri Tyohaar – Lyrics in Hindi


आयो आयो रे शिवरात्रि त्यौहार

आयो आयो रे शिवरात्रि त्यौहार,
सारा जग लागे आज काशी हरिद्वार,
आयो-आयो रे, शिवरात्रि त्योहार…


धरती और गगन ने मिलके शब्द यही दोहराए,
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय,
चलो शिव धाम चलो चाहो अगर उद्धार,
आयो-आयो रे, शिवरात्रि त्योहार…


शिवरात्रि के दिन श्रद्धा से शिव महिमा जो गाए,
अंत समय शिव भक्ति उसको मोक्ष की राह दिखाए,
आज के दिन सुनते शिव भक्तो की पुकार,
आयो-आयो रे, शिवरात्रि त्योहार…


आयो आयो रे, शिवरात्रि त्यौहार,
सारा जग लागे आज काशी हरिद्वार,
आयो-आयो रे, शिवरात्रि त्योहार…


Shiv Bhajan



Aayo Aayo Re Shivratri Tyohaar


Shiv Bhajan



Shiv Ka Naam Lo – Lyrics in Hindi with Meanings


शिव का नाम लो

शिव का नाम लो, हर संकट में ॐ नमो शिवाय,
बस यह नाम जपो, शिव का नाम लो।

जय शम्भू कहो, जब कोई मुश्किल आन पड़े तो,
भोले नाथ रटो, शिव का नाम लो॥


शिव ही पालन हारा है, जग का वो रखवाला है।
हर हर गंगे, हर हर गंगे, बम बम भोले॥


शिव के चरणों में है चारो धाम।
देवों में भी शिव जी हैं प्रधान॥

सब का बस वही एक स्वामी है।
दान जिसका है धरम, ऐसा दानी है।
जग का है वो पिता, इतना जान लो॥
शिव का नाम लो॥

जय शम्भू कहो, जब कोई मुश्किल आन पड़े तो,
भोले नाथ रटो, शिव का नाम लो॥

जय शिव शंकर, भवानी शंकर, जय नटराजन।
जय शिव शंकर, भवानी शंकर, जय नटराजन॥


शिव की महिमा सब से है महान।
प्रेम दया का दूजा है यह नाम॥

विष अमृत मान कर पी लिया जिसने।
हर प्राणी का कल्याण किया जिसने।
द्वारे पे शिव खड़े, तुम पहचान लो॥
शिव का नाम लो॥


शिव का नाम लो, हर संकट में ॐ नमो शिवाय,
बस यह नाम जपो, शिव का नाम लो।

जय शम्भू कहो, जब कोई मुश्किल आन पड़े तो,
भोले नाथ रटो, शिव का नाम लो॥


Shiv Ka Naam Lo

Sonu Nigam


Shiv Bhajan



शिव का नाम लो भजन का आध्यात्मिक अर्थ

शिव का नाम लो, हर संकट में ॐ नमो शिवाय,बस यह नाम जपो

भगवान शिव का नाम लो; हर कठिन परिस्थिति में “ओम नमो शिवाय” का जाप करें और इसी नाम का ही ध्यान करें।

यह श्लोक मुसीबत या संकट के समय भगवान शिव के नाम, “ओम नमो शिवाय” का जाप करने की शक्ति पर जोर देता है। यह दिव्य नाम के जाप के माध्यम से सांत्वना और शक्ति प्राप्त करने को प्रोत्साहित करता है।

जय शम्भू कहो, जब कोई मुश्किल आन पड़े तो भोले नाथ रटो

कहो, “भगवान शिव की जय।” जब भी कोई कठिनाई आए तो भगवान शिव को याद करें।

यह श्लोक भगवान शिव को दयालु के रूप में स्तुति करता है। यह जीवन में चुनौतियों या कठिनाइयों का सामना करते समय उनकी शरण लेने और उनके नाम का आह्वान करने का सुझाव देता है।

शिव के चरणों में है चारो धाम। देवों में भी शिव जी हैं प्रधान॥

भगवान शिव के चरणों में ही सभी तीर्थ निवास करते हैं। देवताओं में शिव सर्वोपरि हैं।

यह श्लोक भगवान शिव के महत्व को यह कहकर स्वीकार करता है कि सभी पवित्र स्थान (चार धाम) उनके दिव्य चरणों में मौजूद हैं। यह इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि देवताओं में भगवान शिव का प्रमुख स्थान है।

सब का बस वही एक स्वामी है। दान जिसका है धरम, ऐसा दानी है।

वह सबका एकमात्र सच्चा स्वामी है। दान देना उसका स्वभाव है; वह बहुत उदार दाता है।

यह श्लोक भगवान शिव को ब्रह्मांड के परम भगवान और स्वामी के रूप में वर्णित करता है। यह उनके दयालु और उदारता के दिव्य गुण को भी चित्रित करता है। हिंदू परंपराओं में, भगवान शिव को “आशुतोष” के रूप में जाना जाता है, जो आसानी से प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।

जग का है वो पिता, इतना जान लो॥

वह सारे विश्व का पिता है; इस बात को अच्छे से समझ लें.

यह श्लोक भगवान शिव को सार्वभौमिक पिता के रूप में संबोधित करता है, जो ब्रह्मांडीय निर्माता और पालनकर्ता के रूप में उनकी भूमिका को दर्शाता है।

शिव की महिमा सब से है महान। प्रेम दया का दूजा है यह नाम॥

भगवान शिव की महिमा सबसे बड़ी है। (ईश्वर का) दूसरा नाम प्रेम और करुणा है।

यह श्लोक भगवान शिव की महानता का बखान करता है और कहता है कि उनकी दिव्य महिमा सभी से बढ़कर है। इसमें यह भी उल्लेख है कि ईश्वर के स्वभाव का सार प्रेम और करुणा के दो गुणों द्वारा वर्णित किया जा सकता है।

विष अमृत मान कर पी लिया जिसने। हर प्राणी का कल्याण किया जिसने।

जिसने विष को ऐसे पिया जैसे कि वह अमृत हो। जिसने सभी प्राणियों का कल्याण सुनिश्चित किया।

यह श्लोक हिंदू पौराणिक कथाओं के उस प्रसिद्ध प्रसंग को संदर्भित करता है जब भगवान शिव ने दुनिया को बचाने के लिए समुद्र मंथन के दौरान जहर (हलाहल विष) पी लिया था। खतरे के बावजूद, उन्होंने सभी प्राणियों की रक्षा के लिए इसका सेवन किया। यह उनके निस्वार्थ कार्य और सभी प्राणियों की भलाई के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालता है।

द्वारे पे शिव खड़े, तुम पहचान लो॥

जब शिव आपके द्वार पर खड़े हों, तो उन्हें पहचानें।

यह श्लोक भक्तों से भगवान शिव की उपस्थिति को पहचानने और महसूस करने का आग्रह करता है, जो उनकी रक्षा और मार्गदर्शन के लिए हमेशा मौजूद रहते हैं।

कुल मिलाकर, ये भजन गीत भगवान शिव के दिव्य गुणों का जश्न मनाते हैं और भक्तों को उनकी शरण लेने, उनके नाम का जाप करने और अपने जीवन में उनकी उपस्थिति को पहचानने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। गीत भगवान शिव की भक्ति, स्तुति और महानता को व्यक्त करता हैं। वे हिंदू धर्म में प्रेम, करुणा और पारलौकिक चेतना के अवतार भगवान शिव के प्रति भक्ति और श्रद्धा की भावना पैदा करते हैं।


Shiv Bhajan



Shiv Amritwani – Shiv Amrit Ki Pawan Dhara


Shiv Bhajan

शिव अमृतवाणी – शिव अमृत की पावन धारा


कल्पतरु पुन्यात्मा,
प्रेम सुधा शिव नाम।

कल्पतरु पुन्यात्मा,
प्रेम सुधा शिव नाम।
हितकारक संजीवनी,
शिव चिंतन अविराम॥

पतित पावन जैसे मधु,
शिव रस नाम का घोल।
भक्ति के हंसा ही चुगे,
मोती ये अनमोल॥

जैसे तनिक सुहागा,
सोने को चमकाए।
शिव सिमरन से आत्मा,
अद्भुत निखरि (उज्जवल) होती जाए

जैसे चन्दन वृक्ष को,
डसते नहीं है नाग।
शिव भक्तों के चोले को,
कभी लगे न दाग॥

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय॥

कल्पतरु पुन्यात्मा, प्रेम सुधा शिव नाम – ॐ नमः शिवाय

दया निधि भूतेश्वर,
शिव है चतुर सुजान।
कण कण भीतर है बसे,
नील कंठ भगवान॥

चंद्र चूड के त्रिनेत्र,
उमा पति विश्वेश।
शरणागत के ये सदा,
काटे सकल क्लेश॥

शिव द्वारे प्रपंच का,
चल नहीं सकता खेल।
आग और पानी का,
जैसे होता नहीं है मेल॥

भय भंजन नटराज है,
डमरू वाले नाथ।
शिव का वंदन जो करे,
शिव है उनके साथ॥

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय॥

कण कण भीतर है बसे, नील कंठ भगवान

लाखो अश्वमेध हो,
सौ गंगा स्नान।
इनसे उत्तम है कही,
शिव चरणों का ध्यान॥

अलख निरंजन नाद से,
उपजे आत्मा ज्ञान।
भटके को रस्ता मिले,
मुश्किल हो आसान॥

अमर गुणों की खान है,
चित शुद्धि शिव जाप।
सत्संगती में बैठ कर,
करलो पश्चाताप॥

लिंगेश्वर के मनन से,
सिद्ध हो जाते काज।
नमः शिवाय रटता जा,
शिव रखेंगे लाज॥

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय॥

अलख निरंजन नाद से, उपजे आत्मा ज्ञान

शिव चरणों को छूने से,
तन मन पावन होये।
शिव के रूप अनूप की,
समता करे न कोई॥

महा बलि महा देव है,
महा प्रभु महा काल।
असुर निकंदन भक्त की,
पीड़ा हरे तत्काल॥

सर्वव्यापी शिव भोला,
धर्म रूप सुख काज।
अमर अनंता भगवंता,
जग के पालन हार॥

शिव कर्ता संसार के,
शिव सृष्टि के मूल।
रोम रोम शिव रमने दो,
शिव न जईयो भूल॥

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय॥

नमः शिवाय रटता जा, शिव रखेंगे लाज

शिव अमृतवाणी – शिव अमृत की पावन धारा

शिव अमृत की पावन धारा,
धो देती हर कष्ट हमारा।
शिव का काज सदा सुखदायी,
शिव के बिन है कौन सहायी॥

शिव की निसदिन की जो भक्ति,
देंगे शिव हर भय से मुक्ति।
माथे धरो शिव धाम की धूलि,
टूट जायेगी यम कि सूली॥

शिव का साधक दुःख ना माने,
शिव को हरपल सम्मुख जाने।
सौंप दी जिसने शिव को डोर,
लूटे ना उसको पांचो चोर॥

शिव सागर में जो जन डूबे,
संकट से वो हंस के जूझे।
शिव है जिनके संगी साथी,
उन्हें ना विपदा कभी सताती॥


शिव भक्तन का पकडे हाथ,
शिव संतन के सदा ही साथ।
शिव ने है बृह्माण्ड रचाया,
तीनो लोक है शिव कि माया॥

जिन पे शिव की करुणा होती,
वो कंकड़ बन जाते मोती।
शिव संग तार प्रेम की जोड़ो,
शिव के चरण कभी ना छोडो॥

शिव में मनवा मन को रंग ले,
शिव मस्तक की रेखा बदले।
शिव हर जन की नस-नस जाने,
बुरा भला वो सब पहचाने॥

अजर अमर है शिव अविनाशी,
शिव पूजन से कटे चौरासी।
यहाँ वहाँ शिव सर्व व्यापक,
शिव की दया के बनिये याचक॥


शिव को दीजो सच्ची निष्ठां,
होने न देना शिव को रुष्टा।
शिव है श्रद्धा के ही भूखे,
भोग लगे चाहे रूखे-सूखे॥

भावना शिव को बस में करती,
प्रीत से ही तो प्रीत है बढ़ती।
शिव कहते है मन से जागो,
प्रेम करो अभिमान त्यागो॥

शिव अमृत की पावन धारा धो देती हर कष्ट हमारा

दोहा:
दुनिया का मोह त्याग के,
शिव में रहिये लीन।
सुख-दुःख हानि-लाभ तो
शिव के ही है अधीन॥


भस्म रमैया पार्वती वल्लभ,
शिव फलदायक शिव है दुर्लभ।
महा कौतुकी है शिव शंकर,
त्रिशूल धारी शिव अभ्यंकर (अभयंकर)॥

शिव की रचना धरती अम्बर,
देवो के स्वामी शिव है दिगंबर।
काल दहन शिव रूण्डन पोषित,
होने न देते धर्म को दूषित॥

दुर्गापति शिव गिरिजानाथ,
देते है सुखों की प्रभात।
सृष्टिकर्ता त्रिपुरधारी, शिव की
महिमा कही ना जाती॥

दिव्य तेज के रवि है शंकर,
पूजे हम सब तभी है शंकर।
शिव सम और कोई और न दानी,
शिव की भक्ति है कल्याणी॥

कहते मुनिवर गुणी ध्यानी,
शिव की बातें शिव ही जाने।
बधियो का शिव पिये हलाहल,
नेकी का रस बाँटते हर पल॥

सबके मनोरथ सिद्ध कर देते,
सबकी चिंता शिव हर लेते।
बम भोला अवधूत स्वरूपा,
शिव दर्शन है अति अनुपा॥

अनुकम्पा का शिव है झरना,
हरने वाले सबकी तृष्णा।
भूतो के अधिपति है शंकर,
निर्मल मन शुभ मति है शंकर॥

काम के शत्रु विष के नाशक,
शिव महायोगी भय विनाशक।
रूद्र रूप शिव महा तेजस्वी,
शिव के जैसा कौन तपस्वी॥

हिमगिरी पर्वत शिव का डेरा,
शिव सम्मुख न टिके अंधेरा।
लाखों सूरज की शिव ज्योति,
शब्दो में शिव उपमा न होती॥

शिव है जग के सृजन हारे,
बंधु सखा शिव इष्ट हमारे।
गौ ब्राह्मण के वे हितकारी,
कोई न शिव सा परोपकारी॥


दोहा:
शिव करुणा के स्रोत है,
शिव से करियो प्रीत।
शिव ही परम पुनीत है,
शिव साचे मन मीत॥


शिव सर्पो के भूषणधारी,
पाप के भक्षण शिव त्रिपुरारी।
जटाजूट शिव चंद्रशेखर,
विश्व के रक्षक कला कलेश्वर॥

शिव की वंदना करने वाला,
धन वैभव पा जाये निराला।
कष्ट निवारक शिव की पूजा,
शिव सा दयालु और ना दूजा॥

पंचमुखी जब रूप दिखावे,
दानव दल में भय छा जावे।
डम-डम डमरू जब भी बोले,
चोर निशाचर का मन डोले॥

घोट घाट जब भंग चढ़ावे,
क्या है लीला समझ ना आवे।
शिव है योगी शिव सन्यासी,
शिव ही है कैलास के वासी॥

शिव का दास सदा निर्भीक,
शिव के धाम बड़े रमणीक।
शिव भृकुटि से भैरव जन्मे,
शिव की मूरत राखो मन में॥

शिव का अर्चन मंगलकारी,
मुक्ति साधन भव भयहारी।
भक्त वत्सल दीन दयाला,
ज्ञान सुधा है शिव कृपाला॥

शिव नाम की नौका है न्यारी,
जिसने सबकी चिंता टारी।
जीवन सिंधु सहज जो तरना,
शिव का हरपल नाम सुमिरना॥

तारकासुर को मारने वाले,
शिव है भक्तो के रखवाले।
शिव की लीला के गुण गाना,
शिव को भूल के ना बिसराना॥

अन्धकासुर से देव बचाये,
शिव ने अद्भुत खेल दिखाये।
शिव चरणो से लिपटे रहिये,
मुख से शिव शिव जय शिव कहिये॥

भस्मासुर को वर दे डाला,
शिव है कैसा भोला भाला।
शिव तीर्थो का दर्शन कीजो,
मन चाहे वर शिव से लीजो॥


दोहा:
शिव शंकर के जाप से,
मिट जाते सब रोग।
शिव का अनुग्रह होते ही,
पीड़ा ना देते शोक॥


ब्र्हमा विष्णु शिव अनुगामी,
शिव है दीन हीन के स्वामी।
निर्बल के बलरूप है शम्भु,
प्यासे को जलरूप है शम्भु॥

रावण शिव का भक्त निराला,
शिव को दी दश शीश कि माला।
गर्व से जब कैलाश उठाया,
शिव ने अंगूठे से था दबाया॥

दुःख निवारण नाम है शिव का,
रत्न है वो बिन दाम शिव का।
शिव है सबके भाग्यविधाता,
शिव का सुमिरन है फलदाता॥

शिव दधीचि के भगवंता,
शिव की दी अमर अनंता।
शिव का सेवादार सुदर्शन,
सांसे कर दी शिव को अर्पण॥

महादेव शिव औघड़दानी,
बायें अंग में सजे भवानी।
शिव शक्ति का मेल निराला,
शिव का हर एक खेल निराला॥

शम्भर नामी भक्त को तारा,
चन्द्रसेन का शोक निवारा।
पिंगला ने जब शिव को ध्याया,
देह छूटी और मोक्ष पाया॥
(नर्क छूटा मोक्ष पाया)

गोकर्ण की चन चूका अनारी,
भव सागर से पार उतारी।
अनसुइया ने किया आराधन,
टूटे चिन्ता के सब बंधन॥

बेल पत्तो से पूजा करे चण्डाली,
शिव की अनुकम्पा हुई निराली।
मार्कण्डेय की भक्ति है शिव,
दुर्वासा की शक्ति है शिव॥

राम प्रभु ने शिव आराधा,
सेतु की हर टल गई बाधा।
धनुषबाण था पाया शिव से,
बल का सागर तब आया शिव से॥

श्री कृष्ण ने जब था ध्याया,
दश पुत्रों का वर था पाया।
हम सेवक तो स्वामी शिव है,
अनहद अन्तर्यामी शिव है॥

Shiv Amritwani - Shiv Amrit Ki Pawan Dhara
Shiv Amritwani – Shiv Amrit Ki Pawan Dhara

शिव अमृतवाणी

दोहा:
दीन दयालु शिव मेरे,
शिव के रहियो दास।
घट घट की शिव जानते,
शिव पर रख विश्वास॥


परशुराम ने शिव गुण गाया,
कीन्हा तप और फरसा पाया।
निर्गुण भी शिव शिव निराकार,
शिव है सृष्टि के आधार॥

शिव ही होते मूर्तिमान,
शिव ही करते जग कल्याण।
शिव में व्यापक दुनिया सारी,
शिव की सिद्धि है भयहारी॥

शिव है बाहर शिव ही अन्दर,
शिव की रचना सात समुन्द्र।
शिव है हर इक के मन के भीतर,
शिव है हर एक कण कण के भीतर॥

तन में बैठा शिव ही बोले,
दिल की धड़कन में शिव डोले।
हम कठपुतली शिव ही नचाता,
नयनों को पर नजर ना आता॥

माटी के रंगदार खिलौने,
साँवल सुन्दर और सलोने।
शिव हो जोड़े, शिव हो तोड़े,
शिव तो किसी को खुला ना छोड़े॥

आत्मा शिव, परमात्मा शिव है,
दयाभाव धर्मात्मा शिव है।
शिव ही दीपक, शिव ही बाती,
शिव जो नहीं तो सब कुछ माटी॥

सब देवो में ज्येष्ठ शिव है,
सकल गुणो में श्रेष्ठ शिव है।
जब ये ताण्डव करने लगता,
बृह्माण्ड सारा डरने लगता॥

तीसरा चक्षु जब जब खोले,
त्राहि त्राहि यह जग बोले।
शिव को तुम प्रसन्न ही रखना,
आस्था और लगन ही रखना॥

विष्णु ने की शिव की पूजा,
कमल चढाऊँ मन में सुझा।
एक कमल जो कम था पाया,
अपना सुंदर नयन चढ़ाया॥

साक्षात तब शिव थे आये,
कमल नयन विष्णु कहलाये।
इन्द्रधनुष के रंगो में शिव,
संतो के सत्संगों में शिव॥


दोहा:
महाकाल के भक्त को
मार ना सकता काल।
द्वार खड़े यमराज को
शिव है देते टाल॥


यज्ञ सूदन महा रौद्र शिव है,
आनन्द मूरत नटवर शिव है।
शिव ही है शमशान निवासी,
शिव काटें मृत्युलोक की फांसी॥

व्याघ्र चरम कमर में सोहे,
शिव भक्तों के मन को मोहे।
नन्दी गण पर करे सवारी,
आदिनाथ शिव गंगाधारी॥

काल के भी तो काल है शंकर,
विषधारी जगपाल है शंकर।
महासती के पति है शंकर,
दीन सखा शुभ मति है शंकर॥

लाखो शशि के सम मुख वाले,
भंग धतूरे के मतवाले।
काल भैरव भूतो के स्वामी,
शिव से कांपे सब फलगामी॥

शिव है कपाली शिव भस्मांगी,
शिव की दया हर जीव ने मांगी।
मंगलकर्ता मंगलहारी,
देव शिरोमणि महासुखकारी॥

जल तथा विल्व करे जो अर्पण,
श्रद्धा भाव से करे समर्पण।
शिव सदा उनकी करते रक्षा,
सत्यकर्म की देते शिक्षा॥

लिंग पर चंदन लेप जो करते,
उनके शिव भंडार हैं भरते।
चौसठ योगिनी शिव के बस में,
शिव है नहाते भक्ति रस में॥

वासुकि नाग कण्ठ की शोभा,
आशुतोष है शिव महादेवा।
विश्वमूर्ति करुणानिधान,
महा मृत्युंजय शिव भगवान॥

शिव धारे रुद्राक्ष की माला,
नीलेश्वर शिव डमरू वाला।
पाप का शोधक मुक्ति साधन,
शिव करते निर्दयी का मर्दन॥


दोहा:
शिव सुमरिन के नीर से
धूल जाते है पाप।
पवन चले शिव नाम की
उड़ते दु:ख संताप॥


पंचाक्षर का मंत्र शिव है,
साक्षात सर्वेश्वर शिव है।
शिव को नमन करे जग सारा,
शिव का है ये सकल पसारा॥

क्षीर सागर को मथने वाले,
ऋद्धि सीधी सुख देने वाले।
अहंकार के शिव है विनाशक,
धर्म-दीप ज्योति प्रकाशक॥

शिव बिछुवन के कुण्डलधारी,
शिव की माया सृष्टि सारी।
महानन्दा ने किया शिव चिन्तन,
रुद्राक्ष माला किन्ही धारण॥

भवसिन्धु से शिव ने तारा,
शिव अनुकम्पा अपरम्पारा।
त्रि-जगत के यश है शिवजी,
दिव्य तेज गौरीश है शिवजी॥

महाभार को सहने वाले,
वैर रहित दया करने वाले।
गुण स्वरूप है शिव अनूपा,
अम्बानाथ है शिव तपरूपा॥

शिव चण्डीश परम सुख ज्योति,
शिव करुणा के उज्ज्वल मोती।
पुण्यात्मा शिव योगेश्वर है,
महादयालु शिव शरणेश्वर॥

शिव चरणन पे मस्तक धरिये,
श्रद्धा भाव से अर्चन करिये।
मन को शिवाला रूप बना लो,
रोम रोम में शिव को रमा लो॥

माथे जो पग धूली धरेंगे,
धन और धान से कोष भरेंगे।
शिव का बाक भी बनना जावे,
शिव का दास परम पद पावे॥

दशों दिशाओं मे शिव दृष्टि,
सब पर शिव की कृपा दृष्टि।
शिव को सदा ही सम्मुख जानो,
कण-कण बीच बसे ही मानो॥

शिव को सौंपो जीवन नैया,
शिव है संकट टाल खिवैया।
अंजलि बाँध करे जो वंदन,
भय जंजाल के टूटे बन्धन॥


दोहा:
जिनकी रक्षा शिव करे,
मारे न उसको कोय।
आग की नदिया से बचे,
बाल ना बांका होय॥


शिव दाता भोला भण्डारी,
शिव कैलाशी कला बिहारी।
सगुण ब्रह्म कल्याण कर्ता,
विघ्न विनाशक बाधा हर्ता॥

शिव स्वरूपिणी सृष्टि सारी,
शिव से पृथ्वी है उजियारी।
गगन दीप भी माया शिव की,
कामधेनु है छाया शिव की॥

गंगा में शिव , शिव मे गंगा,
शिव के तारे तुरत कुसंगा।
शिव के कर में सजे त्रिशूला,
शिव के बिना ये जग निर्मूला॥

स्वर्णमयी शिव जटा निराली,
शिव शम्भू की छटा निराली।
जो जन शिव की महिमा गाये,
शिव से फल मनवांछित पाये॥

शिव पग पँकज सवर्ग समाना,
शिव पाये जो तजे अभिमाना।
शिव का भक्त ना दुःख मे डोलें,
शिव का जादू सिर चढ बोले॥

परमानन्द अनन्त स्वरूपा,
शिव की शरण पड़े सब कूपा।
शिव की जपियो हर पल माला,
शिव की नजर मे तीनो क़ाला॥

अन्तर घट मे इसे बसा लो,
दिव्य ज्योत से ज्योत मिला लो।
नम: शिवाय जपे जो स्वासा,
पूरीं हो हर मन की आसा॥


दोहा:
परमपिता परमात्मा
पूरण सच्चिदानन्द।
शिव के दर्शन से मिले
सुखदायक आनन्द॥


शिव से बेमुख कभी ना होना,
शिव सुमिरन के मोती पिरोना।
जिसने भजन है शिव के सीखे,
उसको शिव हर जगह ही दिखे॥

प्रीत में शिव है, शिव में प्रीती,
शिव सम्मुख न चले अनीति।
शिव नाम की मधुर सुगन्धी,
जिसने मस्त कियो रे नन्दी॥

शिव निर्मल निर्दोष निराले,
शिव ही अपना विरद संभाले।
परम पुरुष शिव ज्ञान पुनीता,
भक्तो ने शिव प्रेम से जीता॥

शिव अमृतवाणी – शिवलिंग महिमा

दोहा:
आंठो पहर अराधीय
ज्योतिर्लिंग शिव रूप।
नयनं बीच बसाइये
शिव का रूप अनूप॥


लिंग मय सारा जगत हैं,
लिंग धरती आकाश।
लिंग चिंतन से होत हैं,
सब पापो का नाश॥

लिंग पवन का वेग हैं,
लिंग अग्नि की ज्योत।
लिंग से ही पाताल हैँ,
लिंग वरुण का स्त्रोत॥

लिंग से हैं वनस्पति,
लिंग ही हैं फल फूल।
लिंग ही रत्न स्वरूप हैं,
लिंग माटी निर्धूप॥

लिंग ही जीवन रूप हैं,
लिंग मृत्युलिंगकार।
लिंग मेघा घनघोर हैं,
लिंग ही हैं उपचार॥

ज्योतिर्लिंग की साधना
करते हैं तीनो लोक।
लिंग ही मंत्र जाप हैं,
लिंग का रूप श्लोक॥

लिंग से बने पुराण,
लिंग वेदो का सार।
रिधिया सिद्धिया लिंग हैं,
लिंग करता करतार॥

प्रात:काल लिंग पूजिये
पूर्ण हो सब काज।
लिंग पे करो विश्वास
तो लिंग रखेंगे लाज॥

सकल मनोरथ से होत हैं
दुखो का अंत।
ज्योतिर्लिंग के नाम से
सुमिरत जो भगवंत॥

मानव दानव ऋषिमुनि
ज्योतिर्लिंग के दास।
सर्व व्यापक लिंग हैं
पूरी करे हर आस॥

शिव रुपी इस लिंग को
पूजे सब अवतार।
ज्योतिर्लिंगों की दया
सपने करे साकार॥

लिंग पे चढ़ें नैवेद्य का
जो जन ले परसाद।
उनके ह्रदय में बजे…
शिव करूणा का नाद॥

ओम नम: शिवाय, ओम नम: शिवाय॥


दोहा:
महिमा ज्योतिर्लिंग की
गायेंगे जो लोग।
भय से मुक्ति पाएंगे,
रोग रहे न शोक॥


शिव के चरण सरोज,
तू ज्योतिर्लिंग में देख।
सर्व व्यापी शिव बदले भाग्य तीरे॥

डारी ज्योतिर्लिंग पे
गंगा जल की धार।
करेंगे गंगाधर तुझे
भव सिंधु से पार॥

चित शुद्धि हो जाए रे
लिंगो का कर ध्यान।
लिंग ही अमृत कलश हैं
लिंग ही दया निधान॥

ॐ नम: शिवाये, ॐ नम: शिवाये
ॐ नम: शिवाये, ॐ नम: शिवाये

शिव अमृतवाणी – ज्योतिर्लिंग महिमा

ज्योतिर्लिंग है शिव की ज्योति,
ज्योतिर्लिंग है दया का मोती।
ज्योतिर्लिंग है रत्नों की खान,
ज्योतिर्लिंग में रमा जहान॥

ज्योतिर्लिंग का तेज़ निराला,
धन सम्पति का देने वाला।
ज्योतिर्लिंग में है नट नागर,
अमर गुणों का है ये सागर॥

ज्योतिर्लिंग की की जो सेवा,
ज्ञान पान का पाओगे मेवा।
ज्योतिर्लिंग है पिता सामान,
सष्टि इसकी है संतान॥

ज्योतिर्लिंग है इष्ट प्यारे,
ज्योतिर्लिंग है सखा हमारे।
ज्योतिर्लिंग है नारीश्वर,
ज्योतिर्लिंग है शिव विमलेश्वर॥

ज्योतिर्लिंग गोपेश्वर दाता,
ज्योतिर्लिंग है विधि विधाता।
ज्योतिर्लिंग है शर्नेश्वर स्वामी,
ज्योतिर्लिंग है अन्तर्यामी॥

सतयुग में रत्नो से शोभित,
देव जानो के मन को मोहित।
ज्योतिर्लिंग है अत्यंत सुन्दर,
छटा है इसकी ब्रह्माण्ड अंदर॥

त्रेता युग में स्वर्ण सजाता,
सुख सूरज ये ध्यान ध्वजाता।
सकल सृष्टि मन की करती,
निसदिन पूजा भजन भी करती॥

द्वापर युग में पारस निर्मित,
गुणी ज्ञानी सुर नर सेवी।
ज्योतिर्लिंग सबके मन को भाता,
महामारक को मार भगाता॥

कलयुग में पार्थिव की मूरत,
ज्योतिर्लिंग नंदकेश्वर सूरत।
भक्ति शक्ति का वरदाता,
जो दाता को हंस बनता॥

ज्योतिर्लिंग पर पुष्प चढ़ाओ,
केसर चन्दन तिलक लगाओ।
जो जन करें दूध का अर्पण,
उजले हो उनके मन दर्पण॥


दोहा:
ज्योतिर्लिंग के जाप से
तन मन निर्मल होये।
इसके भक्तों का मनवा
करे न विचलित कोई॥


सोमनाथ सुख करने वाला,
सोम के संकट हरने वाला।
दक्ष श्राप से सोम छुड़ाया,
सोम है शिव की अद्भुत माया॥

चंद्र देव ने किया जो वंदन,
सोम ने काटे दुःख के बंधन।
ज्योतिर्लिंग है सदा सुखदायी,
दीन हीन का सदा सहायी॥

भक्ति भाव से इसे जो ध्याये,
मन वाणी शीतल तर जाये।
शिव की आत्मा रूप सोम है,
प्रभु परमात्मा रूप सोम है॥

यहाँ उपासना चंद्र ने की,
शिव ने उसकी चिंता हर ली।
इसके रथ की शोभा न्यारी,
शिव अमृत सागर भवभयधारी॥

चंद्र कुंड में जो भी नहाये,
पाप से वे जन मुक्ति पाए।
छ: कुष्ठ सब रोग मिटाये,
काया कुंदन पल में बनावे॥

मलिकार्जुन है नाम न्यारा,
शिव का पावन धाम प्यारा।
कार्तिकेय थें जब शिव से रूठे,
माता पिता के चरण है छूते॥

श्री शैलेश पर्वत जा पहुंचे,
कष्ट भया पार्वती के मन में।
प्रभु कुमार से चली जो मिलने,
संग चलना माना शंकर ने॥

श्री शैलेश पर्वत के ऊपर,
गए जो दोनों उमा महेश्वर।
उन्हें देखकर कार्तिकेय उठ भागे,
और कुमार पर्वत पर विराजे॥

जंहा श्रित हुए पारवती शंकर,
काम बनावे शिव का सुन्दर।
शिव का अर्जन नाम सुहाता,
मलिका है मेरी पारवती माता॥

लिंग रूप हो जहाँ भी रहते,
मलिकार्जुन है उसको कहते।
मनवांछित फल देने वाला,
निर्बल को बल देने वाला॥


दोहा:
ज्योतिर्लिंग के नाम की
ले मन माला फेर।
मनोकामना पूरी होगी
लगे न चिन भी देर॥


उज्जैन की नदी क्षिप्रा किनारे,
ब्राह्मण थे शिव भक्त न्यारे।
दूषण दैत्य सताता निसदिन,
गर्म द्वेश दिखलाता जिस दिन॥

एक दिन नगरी के नर नारी,
दुखी हो राक्षस से अतिहारी।
परम सिद्ध ब्राह्मण से बोले,
दैत्य के डर से हर कोई डोले॥

दुष्ट निसाचर से छुटकारा,
पाने को यज्ञ प्यारा।
ब्राह्मण तप ने रंग दिखाए,
पृथ्वी फाड़ महाकाल आये॥

राक्षस को हुंकार से मारा,
भय से भक्तों को उबारा।
आग्रह भक्तों ने जो कीन्हा,
महाकाल ने वर था दीना॥

ज्योतिर्लिंग हो रहूं यंहा पर,
इच्छा पूर्ण करूँ यंहा पर।
जो कोई मन से मुझको पुकारे,
उसको दूंगा वैभव सारे॥

उज्जैनी राजा के पास मणि थी
अद्भुत बड़ी ही ख़ास।
जिसे छीनने का षड़यंत्र,
किया था कइयो ने ही मिलकर॥

मणि बचाने की आशा में,
शत्रु भी कई थे अभिलाषा में।
शिव मंदिर में डेरा जमाकर,
खो गए शिव का ध्यान लगाकर॥

एक बालक ने हद ही कर दी,
उस राजा की देखा देखी।
एक साधारण सा पत्थर लेकर,
पहुंचा अपनी कुटिया भीतर॥

शिवलिंग मान के वे पाषाण,
पूजने लगा शिव भगवान्।
उसकी भक्ति चुम्बक से,
खींचे ही चले आये झट से भगवान्॥

ओमकार ओमकार की रट सुनकर,
प्रतिष्ठित हुएओमकार बनकर।
ओम्कारेश्वर वही है धाम,
बन जाए बिगड़े वंहा पे काम॥

नर नारायण ये दो अवतार,
भोलेनाथ को था जिनसे प्यार।
पत्थर का शिवलिंग बनाकर,
नमः शिवाय की धुन गाकर॥


दोहा:
शिव शंकर ओमकार का
रट ले मनवा नाम।
जीवन की हर राह में
शिवजी लेंगे काम॥


नर नारायण ये दो अवतार,
भोलेनाथ को था जिनसे प्यार।
पत्थर का शिवलिंग बनाकर,
नमः शिवाय की धुन गाकर॥

कई वर्ष तप किया शिव का,
पूजा और जप किया शंकर का।
शिव दर्शन को अंखिया प्यासी,
आ गए एक दिन शिव कैलाशी॥

नर नारायण से शिव है बोले,
दया के मैंने द्वार है खोले।
जो हो इच्छा लो वरदान,
भक्त के बस में है भगवान्॥

करवाने की भक्त ने विनती,
कर दो पवन प्रभु ये धरती।
तरस रहा ये जार का खंड ये,
बन जाये उत्तम अमृतकुंड ये॥

शिव ने उनकी मानी बात,
बन गया बेनी केदारनाथ।
मंगलदायी धाम शिव का,
गूंज रहा जंहा नाम शिव का॥

कुम्भकरण का बेटा भीम,
ब्रह्मवार का हुआ बलि असीर।
इंद्रदेव को उसने हराया,
काम रूप में गरजता आया॥

कैद किया था राजा सुदक्षण,
कारागार में करे शिव पूजन।
किसी ने भीम को जा बतलाया,
क्रोध से भर के वो वंहा आया॥

पार्थिव लिंग पर मार हथोड़ा,
जग का पावन शिवलिंग तोडा।
प्रकट हुए शिव तांडव करते,
लगा भागने भीम था डर के॥

डमरू धार ने देकर झटका,
धरा पे पापी दानव पटका।
ऐसा रूप विकराल बनाया,
पल में राक्षस मार गिराया॥

बन गए भोले जी प्रयलंकार,
भीम मार के हुए भीमशंकर।
शिव की कैसी अलौकिक माया,
आज तलक कोई जान न पाया॥


दोहा:
हर हर हर महादेव का
मंत्र पढ़ें हर दिन रे
दुःख से पीड़क मंदिर
पा जायेगा चैन॥


परमेश्वर ने एक दिन भक्तों,
जानना चाहा एक में दो को।
नारी पुरुष हो प्रकटे शिवजी,
परमेश्वर के रूप हैं शिवजी॥

नाम पुरुष का हो गया शिवजी,
नारी बनी थी अम्बा शक्ति।
परमेश्वर की आज्ञा पाकर,
तपी बने दोनों समाधि लगाकर॥

शिव ने अद्भुत तेज़ दिखाया,
पांच कोष का नगर बसाया।
ज्योतिर्मय हो गया आकाश,
नगरी सिद्ध हुई पुरुष के पास॥

शिव ने की तब सृष्टि की रचना,
पढ़ा उस नगर को काशी बनना।
पांच कोष के कारण तब ही,
इसको कहते हैं पंचकोशी॥

विश्वेश्वर ने इसे बसाया,
विश्वनाथ ये तभी कहलाया।
यंहा नमन जो मन से करते,
सिद्ध मनोरथ उनके होते॥

ब्रह्मगिरि पर तप गौतम लेकर,
पाए कितनो के सिद्ध लेकर।
तृषा ने कुछ ऋषि भटकाए,
गौतम के वैरी बन आये॥

द्वेष का सबने जाल बिछाया,
गौ हत्या का दोष लगाया।
और कहा तुम प्रायश्चित्त करना,
स्वर्गलोक से गंगा लाना॥

एक करोड़ शिवलिंग लगाकर,
गौतम की तप ज्योत उजागर।
प्रकट शिव और शिवा वंहा पर,
माँगा ऋषि ने गंगा का वर॥

शिव से गंगा ने विनय की,
ऐसे प्रभु में यंहा न रहूंगी।
ज्योतिर्लिंग प्रभु आप बन जाए,
फिर मेरी निर्मल धारा बहाये॥

शिव ने मानी गंगा की विनती,
गंगा बानी झटपट गौतमी।
त्रियंबकेश्वर में शिवजी विराजे,
जिनका जग में डंका बाजे॥


दोहा:
गंगा धर की अर्चना करे
जो मन्चित लाये।
शिव करुणा से उनपर
आंच कभी न आये॥


राक्षस राज महाबली रावण,
ने जब किया शिव तप से वंदन।
भये प्रसन्न शम्भू प्रगटे,
दिया वरदान रावण पग पढ़के॥

ज्योतिर्लिंग लंका ले जाओ,
सदा ही शिव शिव जय शिव गाओ।
प्रभु ने उसकी अर्चन मानी,
और कहा रहे सावधानी॥

रस्ते में इसको धरा पे न धरना,
यदि धरेगा तो फिर न उठना।
शिवलिंग रावण ने उठाया,
गरुड़देव ने रंग दिखाया॥

उसे प्रतीत हुई लघुशंका,
उसने खोया उसने मन का।
विष्णु ब्राह्मण रूप में आये,
ज्योतिर्लिंग दिया उसे थमाए॥

रावण निभ्यत हो जब आया,
ज्योतिर्लिंग पृथ्वी पर पाया।
जी भर उसने जोर लगाया,
गया न फिर से उठाया॥

लिंग गया पाताल में उस पल,
अधगल रहा भूमि ऊपर।
पूरी रात लंकेश चिपकाया,
चंद्रकूप फिर कूप बनाया॥

उसमे तीर्थों का जल डाला,
नमो शिवाय की फेरी माला।
जल से किया था लिंग अभिषेक,
जय शिव ने भी दृश्य देखा॥

रत्न पूजन का उसे उन कीन्हा,
नटवर पूजा का उसे वर दीना।
पूजा करि मेरे मन को भावे,
वैधनाथ ये सदा कहाये॥

मनवांछित फल मिलते रहेंगे,
सूखे उपवन खिलते रहेंगे।
गंगा जल जो कांवड़ लावे,
भक्तजन मेरे परम पद पावे॥

ऐसा अनुपम धाम है शिव का,
मुक्तिदाता नाम है शिव का।
भक्तन की यहाँ हरी बनाये,
बोल बम बोल बम जो न गाये॥


दोहा:
बैधनाथ भगवान् की
पूजा करो धर ध्याये
सफल तुम्हारे काज हो
मुश्किलें आसान॥


सुप्रिय वैभव प्रेम अनुरागी,
शिव संग जिसकी लगन लगी थी।
ताड़ प्रताड दारुक अत्याचारी,
देता उसको प्यास का मारी॥

सुप्रिय को निर्लज्पुरी लेजाकर,
बंद किया उसे बंदी बनाकर।
लेकिन भक्ति छुट नहीं पायी,
जेल में पूजा रुक नहीं पायी॥

दारुक एक दिन फिर वंहा आया,
सुप्रिय भक्त को बड़ा धमकाया।
फिर भी श्रद्धा हुई न विचलित,
लगा रहा वंदन में ही चित॥

भक्तन ने जब शिवजी को पुकारा,
वंहा सिंघासन प्रगट था न्यारा।
जिस पर ज्योतिर्लिंग सजा था,
मष्तक अश्त्र ही पास पड़ा था॥

अस्त्र ने सुप्रिय जब ललकारा,
दारुक को एक वार में मारा।
जैसा शिव का आदेश था आया,
जय शिवलिंग नागेश कहलाया॥

रघुवर की लंका पे चढ़ाई ,
ललिता ने कला दिखाई।
सौ योजन का सेतु बांधा,
राम ने उस पर शिव आराधा॥

रावण मार के जब लौट आये,
परामर्श को ऋषि बुलाये।
कहा मुनियों ने ध्यान दीजौ,
प्रभु हत्या का प्रायश्चित्य कीजौ॥

बालू काली ने सीए बनाया,
जिससे रघुवर ने ये ध्याया।
राम कियो जब शिव का ध्यान,
ब्रह्म दलन का धूल गया पाप॥

हर हर महादेव जय कारी,
भूमण्डल में गूंजे न्यारी।
जंहा चरना शिव नाम की बहती,
उसको सभी रामेश्वर कहते॥

गंगा जल से यंहा जो नहाये,
जीवन का वो हर सुख पाए।
शिव के भक्तों कभी न डोलो
जय रामेश्वर जय शिव बोलो॥


दोहा:
पारवती वल्लभ शंकर कहे
जो एक मन होये।
शिव करुणा से उसका
करे न अनिष्ट कोई॥


देवगिरि ही सुधर्मा रहता,
शिव अर्चन का विधि से करता।
उसकी सुदेहा पत्नी प्यारी,
पूजती मन से तीर्थ पुरारी॥

कुछ कुछ फिर भी रहती चिंतित,
क्यूंकि थी संतान से वंचित।
सुषमा उसकी बहिन थी छोटी,
प्रेम सुदेहा से बड़ा करती॥

उसे सुदेहा ने जो मनाया,
लगन सुधर्मा से करवाया।
बालक सुषमा कोख से जन्मा,
चाँद से जिसकी होती उपमा॥

पहले सुदेहा अति हर्षायी,
ईर्ष्या फिर थी मन में समायी।
कर दी उसने बात निराली,
हत्या बालक की कर डाली॥

उसी सरोवर में शव डाला,
सुषमा जपती शिव की माला।
श्रद्धा से जब ध्यान लगाया,
बालक जीवित हो चल आया॥

साक्षात् शिव दर्शन दीन्हे,
सिद्ध मनोरथ सरे कीन्हे।
वासित होकर परमेश्वर,
हो गए ज्योतिर्लिंग घुश्मेश्वर॥

जो चुगन लगे लगन के मोती,
शिव की वर्षा उन पर होती।
शिव है दयालु डमरू वाले,
शिव है संतन के रखवाले॥

शिव की भक्ति है फलदायक,
शिव भक्तों के सदा सहायक।
मन के शिवाले में शिव देखो,
शिव चरण में मस्तक टेको॥

गणपति के शिव पिता हैं प्यारे,
तीनो लोक से शिव हैं न्यारे।
शिव चरणन का होये जो दास,
उसके गृह में शिव का निवास॥

शिव ही हैं निर्दोष निरंजन,
मंगलदायक भय के भंजन।
श्रद्धा के मांगे बिन पत्तियां,
जाने सबके मन की बतियां॥


दोहा:
शिव अमृत का प्यार से करे
जो निसदिन पान।
चंद्रचूड़ सदा शिव करे
उनका तो कल्याण॥

Shiv Bhajans

Shiv Amritwani – Shiv Amrit Ki Pawan Dhara

Anuradha Paudwal

Shiv Bhajans

Subah Subah Le Shiv Ka Naam – Lyrics in Hindi with Meanings


सुबह सुबह ले शिव का नाम

सुबह सुबह ले शिव का नाम,
कर ले बन्दे यह शुभ काम।
सुबह सुबह ले शिव का नाम,
शिव आयेंगे तेरे काम॥

ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय


खुद को राख लपेटे फिरते,
औरों को देते धन धाम।
देवो के हित विष पी डाला,
नील कंठ को कोटि प्रणाम॥
सुबह सुबह ले शिव का नाम…


शिव के चरणों में मिलते,
सारे तीरथ चारो धाम।
करनी का सुख तेरे हाथों,
शिव के हाथों में परिणाम॥
सुबह सुबह ले शिव का नाम….


शिव के रहते कैसी चिंता,
साथ रहे प्रभु आठों याम।
शिव को भजले सुख पायेगा,
मन को आएगा आराम॥

सुबह सुबह ले शिव का नाम….
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय


सुबह सुबह ले शिव का नाम,
कर ले बन्दे यह शुभ काम।
सुबह सुबह ले शिव का नाम,
शिव आयेंगे तेरे काम॥
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय


Subah Subah Le Shiv Ka Naam


Shiv Bhajan



सुबह सुबह ले शिव का नाम भजन का आध्यात्मिक महत्व

सुबह सुबह ले शिव का नाम भजन आध्यात्मिक रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण भजन है।

यह भजन हमें बताता है कि सुबह उठकर क्यों सबसे पहले भगवान शिव का नाम लेना चाहिए और उससे हमें क्या-क्या आध्यात्मिक और सांसारिक लाभ मिलते है।

इस भजन की पंक्तियों से हमें कई महत्वपूर्ण आध्यात्मिक संदेश मिलते हैं। ये सन्देश हमें जीवन जीने और दूसरों के साथ व्यवहार करने के तरीके में मदद कर सकते हैं।

इन संदेशों के अलावा, भजन हमें भगवान् शिव की दया और करुणा के बारे में भी बताता है।


सुबह उठकर सबसे पहले क्या करना चाहिए?

सुबह सुबह ले शिव का नाम, कर ले बन्दे यह शुभ काम।

शिव भगवान् को हिंदू धर्म में देवों का देव माना जाता है। इसलिए सुबह उठकर सबसे पहले भगवान शिव का नाम लेना चाहिए।

सुबह सुबह ईश्वर का स्मरण करने से हमें दिन भर के लिए सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति मिल जाती है और साथ ही साथ भगवान् का आशीर्वाद भी प्राप्त हो जाता है, जिससे हमारे सभी कार्य सिद्ध होते हैं।

इसलिए हमें अपने दिन की शुरुआत भगवान शिव के नाम का जाप करके करनी चाहिए और सकारात्मक और धार्मिक कार्यों में संलग्न होना चाहिए।


सभी चिंताओं और दु:खों से छुटकारा कैसे पा सकते है?

शिव के रहते कैसी चिंता, साथ रहे प्रभु आठों याम।

यदि भगवान हमारे साथ हैं, तो हमें किसी चीज़ की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।

इसलिए यदि हम सच्चे दिल से ईश्वर भक्ति करते है, तो भगवान हमेशा हमारे साथ होते हैं, चाहे दिन हो या रात, और वे हमें हर कदम पर मदद करते हैं।

यदि हमारे मन में हर समय ईश्वर का स्मरण है, जीवन में शिव हैं, तो हमें कोई चिंता नहीं करनी चाहिए।

यह इसलिए है क्योंकि शिव अपने भक्तों के रक्षक हैं। वह दिन-रात हमारे साथ रहते हैं और हमें हर समय मदद करते हैं।

शिव को भजले सुख पायेगा, मन को आएगा आराम

भगवान की भक्ति हमें सुख और शांति प्रदान करती है।

ईश्वर की भक्ति से हमारा मन निर्मल होता है और हम जीवन में सही राह पर चल पाते हैं।

जब हम भगवान की भक्ति करते हैं, तो हम उनका दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता हैं, जो हमें जीवन में खुशी और शांति प्रदान करता हैं। अर्थात ईश्वर भक्ति से व्यक्ति को आंतरिक सुख की प्राप्ति होती है और मानसिक शांति का अनुभव होता है।

यह इसलिए है क्योंकि शिव सभी भलाई और करुणा के स्रोत हैं। जब हम उनकी भक्ति के माध्यम से उनसे जुड़ते हैं, तो हम उनकी दिव्य ऊर्जा तक पहुंच सकते हैं और अपने जीवन को बदल सकते हैं।


दूसरों की हमेशा मदद करे

खुद को राख लपेटे फिरते, औरों को देते धन धाम

भगवान शिव नि:स्वार्थ हैं। वे दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, भले ही वे खुद कठिनाइयों का सामना कर रहे हों।

इसलिए हमें भी दूसरों की मदद करने के लिए प्रयास करना चाहिए।

भजन की यह पंक्ति बताती है की शिवजी खुद राख लपटे फिरते है, लेकिन उदारतापूर्वक दूसरों को धन और समृद्धि प्रदान करते हैं।

इसी प्रकार हमें भी अपने धन और समृद्धि को दूसरों के साथ हमेशा साझा करते रहना चाहिए और विनम्र बने रहना चाहिए।

देवो के हित विष पी डाला, नील कंठ को कोटि प्रणाम॥

जब देवताओं और दैत्यों ने समुद्र मंथन किया, तो एक घातक विष निकला। कोई भी विष पीने के लिए तैयार नहीं था, लेकिन शिवजी ने उसे पी लिया ताकि देवताओं को बचाया जा सके।

इसी प्रकार हमें भी दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।

भगवान की भक्ति हमें दूसरों के प्रति दयालु और करुणावान बनने में मदद करती है।


भगवान शिव के चरणों की शरण लेने से क्या लाभ मिलता है?

शिव के चरणों में मिलते, सारे तीरथ चारो धाम।

भगवान शिव के चरणों में सभी तीर्थ और चारों धाम मिल जाते हैं। यानी की भोलेनाथ के चरणों की शरण लेने से सभी पवित्र स्थानों और तीर्थों के दर्शन के बराबर आध्यात्मिक सार और लाभ प्राप्त होता है।

इसका मतलब है कि शिव की भक्ति से हमें मोक्ष प्राप्त होता है और हम इस संसार के बंधनों से मुक्त हो जाते हैं।


कर्म और उसके परिणाम का सिद्धांत कैसा है?

करनी का सुख तेरे हाथों, शिव के हाथों में परिणाम

कर्म करना हमारे हाथ में है, यानी की हम जो करना चाहते हैं, वह करना हमारे हाथ में है। लेकिन, उसके परिणाम शिव के हाथ में हैं।

इसका मतलब है कि हम जो भी करते हैं, वह शिव की इच्छा के अनुसार होना चाहिए।

अगर हम शिव की इच्छा के अनुसार करते हैं,
जैसे की निस्वार्थ सेवा, दूसरों की मदद, बिना घमंड और अहंकार से किये गए कर्म, तो हमें उसके अच्छे परिणाम मिलेंगे।

लेकिन, अगर हम शिव की इच्छा के विरुद्ध करते हैं,
जैसे की स्वार्थ की भावना से मदद, अहंकार और घमंड के साथ कर्म यानी की मै कर रहा हूँ, इस भाव से कर्म, तो हमें उसके बुरे परिणाम मिलेंगे।


शिव का नाम लेने का आध्यात्मिक अर्थ क्या है?

शिव का नाम लेने का अर्थ है उनके गुणों और विशेषताओं को अपने जीवन में उतारना। शिव अत्यंत दयालु, करुणामय और न्यायप्रिय हैं। उनके नाम लेने से हम भी इन गुणों को अपने जीवन में विकसित कर सकते हैं।

शिव का नाम लेने का अर्थ है उनसे जुड़ना। जब हम उनके नाम का जाप करते हैं, तो हम उनके साथ एक आध्यात्मिक संबंध स्थापित करते हैं। इससे हमें उनका आशीर्वाद प्राप्त होता हैं।

शिव का नाम लेने का अर्थ है अपने मन और आत्मा को शुद्ध करना। शिव का नाम एक शक्तिशाली मंत्र है जो हमारे मन और आत्मा को शुद्ध करने में मदद करता है।


भगवान् शिव किस प्रकार सहायता करते है?

सुबह सुबह ले शिव का नाम, शिव आयेंगे तेरे काम।

भजन की यह दूसरी पंक्ति है जो बताती है की क्यों सुबह-सुबह शिव का नाम लेने से हमारे सभी काम सफल होते हैं।

भगवान् शिव एक शक्तिशाली देवता हैं, लेकिन साथ ही साथ एक दयालु और परोपकारी भगवान हैं। वे हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करने और उनकी मदद करने के लिए तैयार रहते हैं। हमारी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।

इसलिए, सुबह-सुबह शिव का नाम लेने से हमें अपने जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है।


Summary

इस प्रकार, भजन की पंक्तियों में हमें यह बताया गया है कि सुबह-सुबह शिव का नाम लेना एक बहुत ही शुभ काम है। इससे हमें शिव की कृपा प्राप्त होती है, हमारे सभी काम सफल होते हैं, हमें मोक्ष मिलता है और हम शिव की इच्छा के अनुसार कार्य करने के लिए प्रेरित होते हैं।


Shiv Bhajan