Jai Ganesh Jai Ganesh Deva – Ganesh Aarti – Lyrics in English


Jai Ganesh Jai Ganesh Deva – Ganesh Aarti

Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva.
Mata jaki Parvati, pita Mahadeva.


Ek dant dayaavant, chaar bhuja dhaari.
Maathe par tilak sohe, moose ki savaari.
Paan chadhe phool chadhe, aur chadhe meva.
Laduvan ka bhog lage, sant kare seva.


Andhan ko aankh det, kodhin ko kaaya.
Baanjhan ko putra det, nirdhan ko maaya.
Sur shyaam sharan aaye, saphal kije seva.
Mata jaki Parvati, pita Mahadeva.

(or –
deenan ki laaj rakho, shambhu sutkaari.
kaamana ko poorn karo jaoon balihaari.)


Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva.
Mata jaki Parvati, pita Mahadeva.


Shlok
Vrakatund Mahaakaay,
Suryakoti Samaprabhaah.
Nirvaghnam Kuru me Dev,
Sarvakaaryeshu Sarvada.


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Jai Ganesh Jai Ganesh Deva – Ganesh Aarti

सुरेश वाडकर (Suresh Wadkar)


Ganesh Bhajan



Jai Ganesh Jai Ganesh Deva – Ganesh Aarti – Lyrics in Hindi


श्री गणेश आरती – जय गणेश जय गणेश देवा

श्री गणेश आरती – जय गणेश जय गणेश देवा लिरिक्स के इस पेज में पहले आरती के हिंदी लिरिक्स दिए गए है।

बाद में इस आरती का आध्यात्मिक महत्व दिया गया है और इसकी पंक्तियों से हमें कौन कौन सी बातें सिखने को मिलती है यह बताया गया है।

जैसे की यह आरती हमें बताती है की गणेशजी अपने भक्तों को हमेशा सुख और समृद्धि प्रदान करते हैं। यदि कोई व्यक्ति गणेशजी के प्रति सच्ची भक्ति और श्रद्धा रखता है, उनकी शरण में आता है, उसे जीवन में कभी कोई कष्ट नहीं होता है।

इसलिए, हमें गणेशजी की पूजा करके, उनके आशीर्वाद से अपने जीवन से सभी तरह के विघ्नों को दूर करने का और जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।


Jai Ganesh Jai Ganesh Deva Lyrics

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

[जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥]


एक दन्त दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी॥

पान चढ़े फुल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लडुवन का भोग लगे, संत करे सेवा॥
[जय गणेश, जय गणेश….]


अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

सुर श्याम शरण आये, सफल किजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
[जय गणेश, जय गणेश….]
(Or
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥)
[जय गणेश, जय गणेश….]


जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥


Shlok:
व्रकतुंड महाकाय, सूर्यकोटी समप्रभाः।
निर्वघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा॥
ॐ गं गणपतये नमो नमः, श्री सिद्धिविनायक नमो नमः।
अष्टविनायक नमो नमः, गणपति बाप्पा मोरया॥


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Jai Ganesh Jai Ganesh Deva Harmonium Notes


Jai Ganesh Jai Ganesh Deva – Ganesh Aarti

सुरेश वाडकर (Suresh Wadkar)


Ganesh Bhajan



जय गणेश जय गणेश देवा आरती का आध्यात्मिक महत्व

जय गणेश जय गणेश देवा आरती की पंक्तियों में भगवान गणेश के विभिन्न गुणों और विशेषताओं का वर्णन किया गया है। इनकी कृपा से हमारा जीवन सुखमय और सफल होता है।

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, सुखकर्ता और वरदायक के रूप में जाना जाता है। इनकी कृपा से हमारे कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं और हमारे सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

भगवान गणेश दयालु और करुणामय हैं। ये सभी प्रकार के कष्टों से पीड़ित लोगों को सहायता प्रदान करते हैं।

भगवान गणेश की पूजा और आराधना से हमारे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।

अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

आरती की इन पंक्तियों में बताया गया है की किस प्रकार गणेशजी भक्तों के दुःख दूर करते है, और उनके कुछ चमत्कारों का वर्णन किया गया है। जैसे भगवान गणेश अंधे को आंख, कोढ़ी को काया, बांझ को पुत्र और निर्धन को माया प्रदान करते हैं। वे अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उनकी सेवा सफल करते हैं।

भगवान गणेश दयालु और करुणामयी हैं। वे सभी प्राणियों की रक्षा करते हैं और उनकी मदद करते हैं। वे सभी भक्तों पर समान दया करते हैं, चाहे वे अमीर हो या गरीब, स्वस्थ हों या बीमार, सुंदर हों या कुरूप।


कुछ विशेष बातें, जो हम आरती की पंक्तियों से सीख सकते हैं –

हमारे जीवन में आने वाली कठिनाइयों और बाधाओं का सामना करने के लिए हमें भगवान गणेश की शरण लेनी चाहिए।

हमारे सभी मनोरथों की पूर्ति के लिए हमें भगवान गणेश की पूजा और आराधना करनी चाहिए।

हमारे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त करने के लिए हमें भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करनी चाहिए।


जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

देवता और मनुष्य जिनको अपना प्रधान पूज्य समझते हैं, जो सबके वंदनीय हैं, विघ्न के काल है, विघ्न को हरने वाले हैं, जो शिवजी और माता पार्वतीजी के पुत्र है, उन गणेश जी का मैं रिद्धि और सिद्धि के साथ आवाहन करता हूं, उनको प्रणाम करता हूँ, उनका ध्यान करता हूँ।

एक दन्त दयावंत, चार भुजा धारी

एक दन्त दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी॥

जो रत्न के सिंहासन पर बैठे हैं, जिनके हाथों में पाश, अंकुश और कमल के फूल है, जो अभय दान और वरदान देने वाले हैं, जो देवताओं के गण के राजा है, लाल कमल के समान जिनके देह की आभा है, रिद्धि – सिद्धि के दाता श्री गणेशजी की मै सदैव उपासना करता हूँ।


अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

जो विघ्नरूप अंधकार का नाश करते है और भक्तों को अनेक प्रकार के फल देते हैं, उन करुणा रूप जलराशि से तरंगित नेत्रों वाले, सुखकर्ता, दुखहर्ता गणेशजी का मै ध्यान करता हूँ, वे हम लोगोका का कल्याण करे।


सुर श्याम शरण आये, सफल किजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

जिनको वेदांती लोग ब्रह्मा कहते हैं, और दूसरे लोग परम प्रधान पुरुष अथवा संसार की सृष्टि के कारण या ईश्वर कहते हैं, उन विघ्न विनाशक गणेश जी को नमस्कार है।


Ganesh Bhajan



Sukhkarta Dukhharta – Jai Dev Jai Mangal Murti – Lyrics in English


Sukhkarta Dukhharta – Jai Dev Jai Mangal Murti

Sukhkarta Dukhharta Varta Vighnachi.
Nurvi Purvi Prem Kripa Jayachi.

Sarvaangi Sundar Uti Shenduraachi.
Kanthi Jhalake Maal Muktaa Phalanchi.
Jai Dev, Jai Dev


Jai Dev, Jai Dev, Jai Mangal Murti.
Darshan-matre Mann Kamana-purti.
Jai Dev, Jai Dev


Ratna-khachit Phara Tuj Gauri-kumara.
Chandanaachi Uti Kumkum Keshara.

Hire-jadit Mukut Shobhato Bara.
Runzunti Noopure Charni Ghaagariya.
Jai Dev, Jai Dev


Jai Dev, Jai Dev, Jai Mangal Murti, O Shri Mangal Murti.
Darshan-matre Mann Kaamana-purti
Jai Dev, Jai Dev


Lambodar Pitaambar Phanivar Bandhana.
Saral Sond Vakratund Trinayana.

Daas Ramachaa Waat Paahe Sadanaa.
Sankati Paavave, Nirvaani Rakshave,
Suravar Vandana. Jai Dev, Jai Dev


Jai Dev, Jai Dev, Jai Mangal Murti, O Shri Mangal Murti.
Darshan-matre Mann Kamana-purti
Jai Dev, Jai Dev


Ghaalin Lotaangan Vandin Charan.
Dolyaanni Paahin Roop Tujhe
Preme Aalingan Aanande Poojin.
Bhaave Ovaalin Mhane Naama.


Tvamev Mata cha Pita Tvamev
Tvamev Bandhu cha Sakha Tvamev.
Tvamev Vidya Dravinam Tvamev
Tvamev Sarvam Mam Dev dev.


Kaayen Vaacha Manasen-driyairva,
Budhdaatmana va Prakruti-svabhavaat
Karomi Yadyat Sakalam Parasmai
Narayanayeti Samarpayaami.


Achayutam Keshavam Ram-narayanam,
Krishna-damodaram Vaasudevam Hari.
Shridharam Madhavam Gopika-vallabham,
Janaki-nayakam Ram-chandram Bhaje


Hare Ram, Hare Ram, Ram Ram, Hare Hare
Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare.
Hare Ram, Hare Ram, Ram Ram, Hare Hare
Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare.


Sukhkarta Dukhharta Varta Vighnachi.
Nurvi Purvi Prem Kripa Jayachi.
Jai Dev, Jai Dev, Jai Mangal Murti, O Shri Mangal Murti.
Darshan-matre Mann Kamana-purti, Jai Dev, Jai Dev


Sukhkarta Dukhharta – Jai Dev Jai Mangal Murti


Ganesh Bhajan



Sukhkarta Dukhharta – Jai Dev Jai Mangal Murti – Lyrics in Hindi


श्री गणेश आरती – सुखकर्ता दुखहर्ता – जय देव, जय मंगलमूर्ती

सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची।
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची॥

सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची।
कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची॥
जय देव, जय देव


जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती
जय देव, जय देव


रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा।
चंदनाची उटी कुंकुम केशरा।

हिरेजड़ित मुकुट शोभतो बरा।
रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरीया॥
जय देव, जय देव


जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती
जय देव, जय देव


लंबोदर पीतांबर फणीवर बंधना।
सरळ सोंड वक्रतुण्ड त्रिनयना।

दास रामाचा वाट पाहे सदना।
संकटी पावावें, निर्वाणी रक्षावे, सुरवरवंदना॥
जय देव, जय देव


जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती
जय देव, जय देव


घालीन लोटांगण, वंदिन चरण।
डोळ्यांनी पाहिन रूप तुझे।
प्रेमे आलिंगीन आनंदे पुजिन।
भावें ओवाळिन म्हणे नामा॥


त्वमेव माता च पिता त्वमेव,
त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव॥
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव,
त्वमेव सर्व मम देवदेव॥


कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा,
बुध्दात्मना वा प्रकृतिस्वभावात्।
करोमि यद्यत् सकलं परस्मै
नारायणायेति समर्पयामि॥


अच्युतं केशवं रामनारायणं,
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरि।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं,
जानकीनायकं रामचंद्रं भजे॥


हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥

हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥


सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची।
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची॥
जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती
जय देव, जय देव


Sukhkarta Dukhharta – Jai Dev Jai Mangal Murti


Ganesh Bhajan



Ganpati Ki Seva Mangal Meva – Lyrics in Hindi with Meanin


श्री गणेश आरती – गणपति की सेवा मंगल मेवा

गणपति की सेवा मंगल मेवा लिरिक्स के इस पेज में पहले आरती के हिंदी लिरिक्स दिए गए है।

बाद में इस आरती का आध्यात्मिक महत्व दिया गया है और इसकी पंक्तियों से हमें कौन कौन सी बातें सीखने को मिलती है यह बताया गया है।

इस आरती से हमें गणेशजी के महत्व, रूप, और उनके धार्मिक अर्थ के साथ साथ उनकी भक्ति भक्तों के लिए कैसे महत्वपूर्ण हैं, यह समझने को मिलता है।


Ganpati Ki Seva Mangal Meva Lyrics

गणपति की सेवा मंगल मेवा, सेवा से सब विध्न टरें।
तीन लोक तैतिस देवता, द्वार खड़े सब अर्ज करे॥
(Or –
तीन लोक के सकल देवता, द्वार खड़े नित अर्ज करें॥)


ऋद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विराजे, अरु आनन्द सों चँवर करें।
धूप दीप और लिए आरती, भक्त खड़े जयकार करें॥


गुड़ के मोदक भोग लगत है, मुषक वाहन चढ़ा करें।
सौम्यरुप सेवा गणपति की, विध्न भागजा दूर परें॥


भादों मास और शुक्ल चतुर्थी, दिन दोपारा पूर परें ।
लियो जन्म गणपति प्रभुजी ने, दुर्गा मन आनन्द भरें॥


अद्भुत बाजा बजा इन्द्र का, देव वधू जहँ गान करें।
श्री शंकर के आनन्द उपज्यो, नाम सुन्या सब विघ्न टरें॥


आन विधाता बैठे आसन, इन्द्र अप्सरा नृत्य करें।
देख वेद ब्रह्माजी जाको, विघ्न विनाशक नाम धरें॥


एकदन्त गजवदन विनायक, त्रिनयन रूप अनूप धरें।
पगथंभा सा उदर पुष्ट है, देख चन्द्रमा हास्य करें॥


दे श्राप श्री चंद्रदेव को, कलाहीन तत्काल करें।
चौदह लोक मे फिरे गणपति, तीन भुवन में राज्य करें॥


गणपति की पूजा पहले करनी, काम सभी निर्विघ्न सरें।
श्री प्रताप गणपतीजी को, हाथ जोड स्तुति करें॥


गणपति की सेवा मंगल मेवा, सेवा से सब विध्न टरें।
तीन लोक तैतिस देवता, द्वार खड़े सब अर्ज करे॥
(तीन लोक के सकल देवता, द्वार खड़े नित अर्ज करें॥)


Shlok:
व्रकतुंड महाकाय, सूर्यकोटी समप्रभः।
निर्वघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा॥

ॐ गं गणपतये नमो नमः, श्री सिद्धिविनायक नमो नमः।
अष्टविनायक नमो नमः, गणपति बाप्पा मोरया॥


Ganpati Ki Seva Mangal Meva – Shri Ganesh Aarti

Suresh Wadkar


Ganesh Bhajan



गणपति की सेवा मंगल मेवा आरती का आध्यात्मिक महत्व

भगवान् गणेशजी की आरती, गणपति की सेवा मंगल मेवा में गणपतिजी की महिमा और उनकी सर्वव्यापकता के बारे में बताया गया है और साथ ही साथ इस आरती से हमें उनकी सेवा का महत्व भी पता चलता है।

यह आरती हमें बताती है की हमें हमेशा किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। क्योंकि इससे हमें सभी तरह के विघ्नों से मुक्ति मिलेगी और हम सुखमय जीवन जी पाएंगे।

हमें इस आरती से जो आध्यात्मिक बातें सीखने को मिलती है, उनमे से कुछ प्रमुख –


भक्ति और सेवा का महत्त्व

गणपति की सेवा मंगल मेवा, सेवा से सब विध्न टरें।

भजन में कहा गया है कि गणपतिजी की सेवा मंगलकारी है।

उनकी सेवा करने से सभी तरह के विघ्न दूर हो जाते हैं और हमारे जीवन में मंगल (शुभ) घटनाएँ होती हैं, इसलिए गणेशजी को विघ्नहर्ता और सुखकर्ता भी कहा जाता है।

यह हमें सिखाता है कि भक्ति और सेवा जीवन में बहुत महत्त्व रखती है। भक्ति से हमें भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और सेवा से हमारे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।


ईश्वर की सर्वव्यापकता

तीन लोक तैतिस देवता, द्वार खड़े सब अर्ज करे॥

गणेश जी की सेवा सभी देवताओं को प्रिय है। तीन लोक के तैंतीस करोड़ देवता गणपति के द्वार पर खड़े होकर उनकी अर्चना करते हैं, उनकी सेवा में खड़े होकर प्रार्थना करते हैं।

यह हमें ईश्वर की सर्वव्यापकता का संदेश देता है। ईश्वर हर जगह विद्यमान हैं।


भगवान की कृपा

ऋद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विराजे, अरु आनन्द सों चँवर करें।

गणपतिजी के दाएं और बाएं ओर ऋद्धि (समृद्धि) और सिद्धि (साधना) विराजमान हैं, मूर्तियाँ सुशोभित हैं, और वे उनके ऊपर आनंद से चँवर अर्थात पंखा (चंवर का अर्थ निचे दिया गया है) लहरा रही हैं।

इसका तात्पर्य यह है कि गणेश जी की सेवा से ऋद्धि-सिद्धि का भी आशीर्वाद मिलता है।

गणपति सभी प्रकार की धन-धान्य और सफलता के स्रोत हैं, और जब हम भगवान की भक्ति और सेवा करते हैं, तो उनकी कृपा से हमें सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

चँवर यानी की लंबे बालों का बना पंखा, जो राजाओं आदि के ऊपर मक्खियाँ आदि उड़ाने के लिए डुलाया जाता है – चँवर डुलाना।


भक्ति का सरल तरीका

धूप दीप और लिए आरती, भक्त खड़े जयकार करें॥
गुड़ के मोदक भोग लगत है, मुषक वाहन चढ़ा करें।

भजन में कहा गया है कि भक्त धूप, दीप और आरती लेकर गणपति की जयकार करते हैं। भक्तों को अपने इष्टदेव की सेवा में बहुत उत्साह होता है।

गुड़ के मोदक गणेश जी को बहुत प्रिय हैं, इसलिए गणेश भगवान को गुड़ के मोदक के भोग से प्रसन्न किया जा सकता है और मुषक गणेश जी का वाहन है।

यह हमें भक्ति के सरल तरीके का संदेश देता है। भक्ति करने के लिए हमें किसी विशेष साधन की आवश्यकता नहीं है। हम सरल तरीके से भी भगवान की भक्ति कर सकते हैं।


सौम्य रूप की महत्ता

सौम्यरुप सेवा गणपति की, विध्न भागजा दूर परें॥

भजन में कहा गया है कि गणपतिजी का सौम्य रूप है। यह हमें सौम्य रूप की महत्ता का संदेश देता है।

इन पंक्तियों से हमें यह भी सीखने को मिलता है कि जीवन में विघ्नों का सामना करना पड़ता है, लेकिन भक्ति और सेवा से हम इन विघ्नों को दूर कर सकते हैं।


क्यों किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले गणेशजी की पूजा करनी चाहिए?

गणपति की पूजा पहले करनी, काम सभी निर्विघ्न सरें।
श्री प्रताप गणपतीजी को, हाथ जोड स्तुति करें॥

श्री गणेशजी को प्रथम पूज्य माना जाता है और उनकी पूजा सबसे पहले करनी चाहिए।

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। वे हमें जीवन में आने वाली सभी बाधाओं से बचाते हैं। हमारे कार्यों में आने वाली बाधाओं को दूर करते हैं।

इसलिए, कोई भी कार्य शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। इससे हमारे कार्य सफल होंगे और हमारे जीवन में सुख-समृद्धि आएगी।

भगवान गणेश की स्तुति करनी चाहिए। भगवान गणेश बुद्धि, ज्ञान, और समृद्धि के देवता हैं। इसलिए उनकी स्तुति करने से हमें इन सभी गुणों की प्राप्ति होती है।


भादों मास और शुक्ल चतुर्थी, दिन दोपारा पूर परें ।
लियो जन्म गणपति प्रभुजी ने, दुर्गा मन आनन्द भरें॥

भगवान गणेश का जन्म भादों मास की शुक्ल चतुर्थी को हुआ था। इस दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। यह हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है।

भगवान गणेश का जन्म भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र के रूप में हुआ था। उनका जन्म एक अद्भुत घटना थी।

अद्भुत बाजा बजा इन्द्र का, देव वधू जहँ गान करें।
श्री शंकर के आनन्द उपज्यो, नाम सुन्या सब विघ्न टरें॥

इस पंक्ति में श्री गणेशजी की महिमा का वर्णन किया गया है। कहा गया है कि श्री गणेशजी देवताओं के द्वारा पूजे जाते हैं और उनके नाम सुनते ही सभी विघ्न दूर हो जाते हैं।

इसलिए श्री गणेशजी की पूजा करना बहुत ही महत्वपूर्ण है। उनकी पूजा करने से हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

आन विधाता बैठे आसन, इन्द्र अप्सरा नृत्य करें।
देख वेद ब्रह्माजी जाको, विघ्न विनाशक नाम धरें॥

भगवान् गणपति सभी देवताओं के आराध्य देव हैं और देवताओं द्वारा पूजे जाते है। इंद्र और ब्रह्माजी जैसे देवता भी इनकी पूजा करते हैं। और भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा है।

एकदन्त गजवदन विनायक, त्रिनयन रूप अनूप धरें।
पगथंभा सा उदर पुष्ट है, देख चन्द्रमा हास्य करें॥

भगवान गणेश का एकदंत, गजवदन, त्रिनयन रूप अनूप है। इनका उदर पगथंभा सा पुष्ट है। भगवान गणेश की तीन आंखें हैं, जो तीनों लोकों को देखती हैं। इनकी एक दांत है और ये हाथी के मुख वाले हैं।

दे श्राप श्री चंद्रदेव को, कलाहीन तत्काल करें।

चंद्रमा ने भगवान गणेश का अपमान किया था, इसलिए उन्होंने चंद्रमा को कलाहीन कर दिया।

इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी का अपमान नहीं करना चाहिए।

चौदह लोक मे फिरे गणपति, तीन भुवन में राज्य करें॥

भगवान गणेश चौदह लोक में विचरण करते हैं और तीन भुवन में राज्य करते हैं। यह पंक्ति गणेश भगवान की पूजा का महत्व और प्राथमिकता बताती है और भगवान गणेश के गुणों और विशेषताओं का वर्णन करती है। इनकी कृपा से हमारा जीवन सुखमय और सफल होता है।


Ganesh Bhajan



Ganpati Ki Seva Mangal Meva – Lyrics in English


Ganpati Ki Seva Mangal Meva – Shri Ganesh Aarti

Ganpati ki seva mangal meva,
seva se sab vighna tare.

Tin lok taitis devta,
dwar khade sab arj kare.
(Tin lok ke sakal devta,
dwar khade nit arj kare.)

Riddhi-Siddhi dakshin vaam viraaje,
aru aanand so chavar kare.
Dhoop deep aur liye aarti,
bhakt khade jaykaar kare.

Gud ke modak bhog lagat hai,
mushak vaahan chadha kare.
Saumya-roop seva Ganpati ki,
vighna bhaag-ja door pare.

Bhaado maas aur shukla chaturthi,
din dopaara poor pare.
Liyo janm Ganpati prabhuji ne,
Durga man anand bhare.

Adbhut baaja baja Indra ka,
dev vadhu jahan gaan kare.
Shri Shankar ke anand upajyo,
naam sunya sab vighna tare.

Aan vidhaata baithe aasan,
Indra apsara nritya kare.
Dekhat ved Brahmaaji jaako,
vighna vinaashak naam dhare.

Ekadant Gajvadan Vinaayak,
trinayan roop anoop dhare.
Pagathambha sa udar pusht hai,
dekh Chandrama haasya kare.

De shraap shri Chandradev ko,
kalaahin tatkaal karen.
Chaudah lok me phire Ganpati,
tin bhuvan mein raajya kare.

Ganpati ki pooja pahle karani,
kaam sabhi nirvighn sarai.
Shri prataap Ganpati ji ko,
haath jod stuti kare.

Ganpati ki seva mangal meva,
seva se sab vighna tare.

Tin lok taitis devta,
dwar khade sab arj kare.
(Tin lok ke sakal devta,
dwar khade nit arj kare.)

Bolo Gajanan Maharaj ki Jai

Shlok:
Vakratund Mahaakaay,
Suryakoti Samaprabhah.

Nirvaghnam kuru me dev,
sarva kaaryeshu sarvadaa.

Ganpati ki seva mangal meva,
seva se sab vighna tare.
Tin lok taitis devta,
dwar khade sab arj kare.


Ganpati Ki Seva Mangal Meva – Shri Ganesh Aarti

Suresh Wadkar


Ganesh Bhajan



Ganesh Aarti and Ganesh Bhajan – List in Hindi


Shri Ganesh ji ki Aarti – Ganesh ji ke Bhajan

1

Ganpati Aarti – Ganpati Bhajan

2

3

Shri Ganesh Aarti – Ganesh Bhajan

4

Ganesh Vandana Lyrics

5


गणेश जी की महिमा

गण का अर्थ है लोग (जन) और गणों के नायक को गणनायक, गणाधिपति या गणपति कहते हैं। मंगल मूर्ति श्री गणेश को लोग गणपति बप्पा भी कहते है।

गणपतिजी को अग्रपूजा का सम्मान प्राप्त है, इसलिए किसी भी कार्य के आरंभ में गणेशजी की पूजा की जाती है।

गणेश जी को सुखकर्ता, दु:खहर्ता और रक्षणकर्ता कहते हैं – अर्थात भक्तों को सुख देने वाले, भक्तों के दुख हरने वाले और भक्तों की रक्षा करने वाले।

श्री गणेश को विद्या और बुद्धि के देवता भी कहा जाता है।

अ, उ और म से ओम की निर्मिति हुई है और हिन्दू संस्कृति के अनुसार ओमकार से ही विश्व निर्मिती हुई है। श्री गणेश को प्रणव (ॐ) कहा गया है। इसलिए श्री गणेश को विश्वरूप देवता माना जाता है।

  • इस एकाक्षर ॐ में
    • ऊपर का भाग गणेशजी का मस्तक,
    • नीचे वाला भाग उदर तथा
    • मात्रा सूँड है और
    • चंद्रबिंदु लड्डू है।
  • चार भुजाएँ  – चारों दिशाओं में सर्वव्यापकता का प्रतीक हैं।
  • लंबोदर (अर्थात बड़ा उदर, पेट) – क्योंकि समस्त चराचर सृष्टि उनके उदर में विचरती है।
  • बड़े कान – अधिक ग्राह्यशक्ति, सभी भक्‍तों की प्रार्थनाएँ सुनते हैं।
  • छोटी-पैनी आँखें – सूक्ष्म-तीक्ष्ण दृष्टि की सूचक हैं।
  • लंबी नाक (सूंड) – महाबुद्धित्व, महान बुद्धि का प्रतीक है।

Ganesh Vandana

Ganesh Aarti and Ganesh Bhajan – List in English


Shri Ganesh ji ki Aarti – Ganesh ji ke Bhajan

1

Ganpati Aarti – Ganpati Bhajan

2

3

Shri Ganesh Aarti – Ganesh Bhajan

4

Ganesh Vandana Lyrics

5


गणेश जी की महिमा

गण का अर्थ है लोग (जन) और गणों के नायक को गणनायक, गणाधिपति या गणपति कहते हैं। मंगल मूर्ति श्री गणेश को लोग गणपति बप्पा भी कहते है।

गणपतिजी को अग्रपूजा का सम्मान प्राप्त है, इसलिए किसी भी कार्य के आरंभ में गणेशजी की पूजा की जाती है।

गणेश जी को सुखकर्ता, दु:खहर्ता और रक्षणकर्ता कहते हैं – अर्थात भक्तों को सुख देने वाले, भक्तों के दुख हरने वाले और भक्तों की रक्षा करने वाले।

श्री गणेश को विद्या और बुद्धि के देवता भी कहा जाता है।

अ, उ और म से ओम की निर्मिति हुई है और हिन्दू संस्कृति के अनुसार ओमकार से ही विश्व निर्मिती हुई है। श्री गणेश को प्रणव (ॐ) कहा गया है। इसलिए श्री गणेश को विश्वरूप देवता माना जाता है।

  • इस एकाक्षर ॐ में
    • ऊपर का भाग गणेशजी का मस्तक,
    • नीचे वाला भाग उदर तथा
    • मात्रा सूँड है और
    • चंद्रबिंदु लड्डू है।
  • चार भुजाएँ  – चारों दिशाओं में सर्वव्यापकता का प्रतीक हैं।
  • लंबोदर (अर्थात बड़ा उदर, पेट) – क्योंकि समस्त चराचर सृष्टि उनके उदर में विचरती है।
  • बड़े कान – अधिक ग्राह्यशक्ति, सभी भक्‍तों की प्रार्थनाएँ सुनते हैं।
  • छोटी-पैनी आँखें – सूक्ष्म-तीक्ष्ण दृष्टि की सूचक हैं।
  • लंबी नाक (सूंड) – महाबुद्धित्व, महान बुद्धि का प्रतीक है।

Ganesh Vandana

Ekadantaya Vakratundaya Gauri tanaya Dheemahi – Lyrics in Hindi


एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि

एकदंताय वक्रतुण्डाय
गौरीतनयाय धीमहि।

एकदंताय वक्रतुण्डाय
गौरीतनयाय धीमहि।
गजेशानाय भालचन्द्राय
श्रीगणेशाय धीमहि।


गणनायकाय गणदैवताय
गणाध्यक्षाय धीमहि।
गुणशरीराय गुणमण्डिताय
गुणेशानाय धीमहि।

गुणातीताय गुणाधीशाय
गुणप्रविष्टाय धीमहि।
एकदंताय वक्रतुण्डाय
गौरीतनयाय धीमहि।

गजेशानाय भालचन्द्राय
श्रीगणेशाय धीमहि।


गानचतुराय गानप्राणाय
गानान्तरात्मने।
गानोत्सुकाय गानमत्ताय
गानोत्सुकमनसे।

गुरुपूजिताय गुरुदैवताय
गुरुकुलस्थायिने।
गुरुविक्रमाय गुह्यप्रवराय
गुरवे गुणगुरवे।

गुरुदैत्यगलच्छेत्रे
गुरुधर्मसदाराध्याय।
गुरुपुत्रपरित्रात्रे
गुरुपाखण्डखण्डकाय।

गीतसाराय गीततत्त्वाय
गीतगोत्राय धीमहि।
गूढगुल्फाय गन्धमत्ताय
गोजयप्रदाय धीमहि।

गुणातीताय गुणाधीशाय
गुणप्रविष्टाय धीमहि।

एकदंताय वक्रतुण्डाय
गौरीतनयाय धीमहि।
गजेशानाय भालचन्द्राय
श्रीगणेशाय धीमहि।


ग्रन्थगीताय ग्रन्थगेयाय
ग्रन्थान्तरात्मने।
गीतलीनाय गीताश्रयाय
गीतवाद्यपटवे।

गेयचरिताय गायकवराय
गन्धर्वप्रियकृते।
गायकाधीनविग्रहाय
गङ्गाजलप्रणयवते।

गौरीस्तनन्धयाय
गौरीहृदयनन्दनाय।
गौरभानुसुताय
गौरीगणेश्वराय।

गौरीप्रणयाय गौरीप्रवणाय
गौरभावाय धीमहि।
गोसहस्राय गोवर्धनाय
गोपगोपाय धीमहि।

गुणातीताय गुणाधीशाय
गुणप्रविष्टाय धीमहि।

एकदंताय वक्रतुण्डाय
गौरीतनयाय धीमहि।
गजेशानाय भालचन्द्राय
श्रीगणेशाय धीमहि।

एकदंताय वक्रतुण्डाय
गौरीतनयाय धीमहि।
गजेशानाय भालचन्द्राय
श्रीगणेशाय धीमहि।


Ekadantaya Vakratundaya Gauri tanaya Dheemahi

Shankar Mahadevan


Ganesh Bhajan



Ekadantaya Vakratundaya Gauri tanaya Dheemahi – Lyrics in English


Ekadantaya Vakratundaya Gauri tanaya Dheemahi

Ekadantaya vakratundaya
Gauri tanaya dheemahi
Gajeshanaya bhalchandraya
Shree ganeshaya dheemahi

Gana nayakaya gana daivataya
Gana dhyakshaya dheemahi
Guna shariraya guna manditaya Guneshanaya dheemahi

Gunadhitaya gunadhishaya
Guna pravishtaya dheemahi

Ekadantay vakratunday
Gauritanay dhimahi
Gajeshanay bhalchandray
Shree ganeshay dhimahi

Gana chaturaya gana pranaya Ganantaratmane
Gaanotsukhaya gaanamattaya
Gannott sukh mana se

Guru pujitaya guru daivataya
Guru kulasthaine
Guru vikramaya guiyya pravaraya Gurave guna gurave

Gurudaitya kalakchhetre
Guru dharma sada radhyaya
Guru putra paripratre
Guru pakhanda khanda khaya

Geeta saraya geeta tatvaya
Geeta gotraya dheemahi
Gudha gulfaya gandha mattaya
Gojaya pradaya dheemahi

Gunadhitaya gunadhishaya
Guna pravishtaya dheemahi

Ekadantay vakratunday
Gauritanay dhimahi
Gajeshanay bhalchandray
Shree ganeshay dhimahi

Gandharva rajaya gandhaya
Gandharva gana shravan pranaime
Gaadha anuragaya granthaya Geetaya grantartha tatvamide
Ide gunavate ganapataye

Granth gitaya granth geyaya granthantaratmane
Gita linaya gitashrayaya
gita vadya patave

Geya charitaya gayaka varaya gandharva priya krite
Gayakadhina vigrahaya
ganga jala pranyavate

Gauri stanandhayaya
gauri hridaya nandanaya
Gaura bhanu sutaya
Gauri ganeshvaraya

Gauri pranayaya
gauri pravanaya
gaura-bhavaya dhImahi
Gosahasraya govardhanaya
gopa gopaya dhimahi

Guna titaya guna dhishaya
guna pravishtaya dhimahi

Ekadantaya vakratundaya
Gauri tanaya dheemahi
Gajeshanaya bhalchandraya
Shree ganeshaya dheemahi

Ekadantay vakratunday
Gauritanay dhimahi
Gajeshanay bhalchandray
Shree ganeshay dhimahi


Ekadantaya Vakratundaya Gauri tanaya Dheemahi

Shankar Mahadevan


Ganesh Bhajan