जय गणेश, जय गणेश देवा – गणेश आरती


1.

जय गणेश, जय गणेश,
जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा॥


2.

एक दन्त दयावंत,
चार भुजा धारी।
माथे पर तिलक सोहे,
मुसे की सवारी॥


3.

पान चढ़े फुल चढ़े,
और चढ़े मेवा।
लडुवन का भोग लगे,
संत करे सेवा॥


1.

जय गणेश, जय गणेश,
जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा॥


4.

अंधन को आँख देत,
कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया॥


5.

सुर श्याम शरण आये,
सफल किजे सेवा।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा॥

(Or –
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥)


1.

जय गणेश, जय गणेश,
जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा॥


श्लोक:

व्रकतुंड महाकाय,
सूर्यकोटी समप्रभाः।
निर्वघ्नं कुरु मे देव,
सर्वकार्येषु सर्वदा॥


ॐ गं गणपतये नमो नमः
श्री सिद्धिविनायक नमो नमः।
अष्टविनायक नमो नमः
गणपति बाप्पा मोरया॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा – गणपति आरती


1.

गणपति की सेवा मंगल मेवा,
सेवा से सब विध्न टरें।
तीन लोक तैतिस देवता,
द्वार खड़े सब अर्ज करे॥
(Or – तीन लोक के सकल देवता,
द्वार खड़े नित अर्ज करें॥)


2.

ऋद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विराजे,
अरु आनन्द सों चवर करें।
धूप दीप और लिए आरती,
भक्त खड़े जयकार करें॥


3.

गुड़ के मोदक भोग लगत है,
मुषक वाहन चढ़ा करें।
सौम्यरुप सेवा गणपति की,
विध्न भागजा दूर परें॥


4.

भादों मास और शुक्ल चतुर्थी,
दिन दोपारा पूर परें ।
लियो जन्म गणपति प्रभुजी ने,
दुर्गा मन आनन्द भरें॥


5.

अद्भुत बाजा बजा इन्द्र का,
देव वधू जहँ गान करें।
श्री शंकर के आनन्द उपज्यो,
नाम सुन्या सब विघ्न टरें॥


6.

आन विधाता बैठे आसन,
इन्द्र अप्सरा नृत्य करें।
देख वेद ब्रह्माजी जाको,
विघ्न विनाशक नाम धरें॥


7.

एकदन्त गजवदन विनायक,
त्रिनयन रूप अनूप धरें।
पगथंभा सा उदर पुष्ट है,
देख चन्द्रमा हास्य करें॥


8.

दे श्राप श्री चंद्रदेव को,
कलाहीन तत्काल करें।
चौदह लोक मे फिरे गणपति,
तीन भुवन में राज्य करें॥


9.

गणपति की पूजा पहले करनी,
काम सभी निर्विघ्न सरें।
श्री प्रताप गणपतीजी को,
हाथ जोड स्तुति करें॥


1.

गणपति की सेवा मंगल मेवा,
सेवा से सब विध्न टरें।
तीन लोक तैतिस देवता,
द्वार खड़े सब अर्ज करे॥
(तीन लोक के सकल देवता,
द्वार खड़े नित अर्ज करें॥)


श्लोक –

व्रकतुंड महाकाय, सूर्यकोटी समप्रभः।
निर्वघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा॥


ॐ गं गणपतये नमो नमः
श्री सिद्धिविनायक नमो नमः।
अष्टविनायक नमो नमः
गणपति बाप्पा मोरया॥

सुखकर्ता दुखहर्ता – जय देव, जय मंगलमूर्ती


1.

सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची।
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची॥

सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची।
कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची॥
जय देव, जय देव


जय देव, जय देव,
जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती
जय देव, जय देव


2.

रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा।
चंदनाची उटी कुंकुम केशरा॥

हिरेजड़ित मुकुट शोभतो बरा।
रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरीया॥
जय देव, जय देव


जय देव, जय देव,
जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती
जय देव, जय देव


3.

लंबोदर पीतांबर फणीवर बंधना।
सरळ सोंड वक्रतुण्ड त्रिनयना॥

दास रामाचा वाट पाहे सदना।
संकटी पावावें, निर्वाणी रक्षावे, सुरवरवंदना॥
जय देव, जय देव


जय देव, जय देव,
जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती
जय देव, जय देव


4.

घालीन लोटांगण, वंदिन चरण।
डोळ्यांनी पाहिन रूप तुझे।
प्रेमे आलिंगीन आनंदे पुजिन।
भावें ओवाळिन म्हणे नामा॥


5.

त्वमेव माता च पिता त्वमेव,
त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव॥
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव,
त्वमेव सर्व मम देवदेव॥


6.

कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा,
बुध्दात्मना वा प्रकृतिस्वभावात्।
करोमि यद्यत् सकलं परस्मै
नारायणायेति समर्पयामि॥


7.

अच्युतं केशवं रामनारायणं,
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरि।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं,
जानकीनायकं रामचंद्रं भजे॥


8.

हरे राम हरे राम,
राम राम हरे हरे।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण,
कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥

हरे राम हरे राम,
राम राम हरे हरे।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण,
कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥

श्री गणेश चालीसा – जय जय गणपति गणराजू


दोहा:
जय गणपति सदगुणसदन,
कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण,
जय जय गिरिजालाल॥


1.

जय जय जय गणपति गणराजू।
मंगल भरण करण शुभ काजू॥

2.

जय गजबदन सदन सुखदाता।
विश्व-विनायक बुद्घि विधाता॥


3.

वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥

4.

राजत मणि मुक्तन उर माला।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥


5.

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥

6.

सुन्दर पीताम्बर तन साजित।
चरण पादुका मुनि मन राजित॥


7.

धनि शिवसुवन षडानन भ्राता।
गौरी ललन विश्व-विख्याता॥

8.

ऋद्घि-सिद्घि तव चंवर सुधारे।
मूषक वाहन सोहत द्वारे॥


9.

कहौ जन्म शुभ-कथा तुम्हारी।
अति शुचि पावन मंगलकारी॥

10.

एक समय गिरिराज कुमारी।
पुत्र हेतु तप कीन्हो भारी॥


11.

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा।
तब पहूँच्यो तुम धरि द्विज रुपा॥

12.

अतिथि जानि कै गौरि सुखारी।
बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥


13.

अति प्रसन्न है तुम वर दीन्हा।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥

14.

मिलहि पुत्र तुहि, बुद्घि विशाला।
बिना गर्भ धारण, यहि काला॥


15.

गणनायक, गुण ज्ञान निधाना।
पूजित प्रथम, रुप भगवाना॥

16.

अस कहि अन्तर्धान रुप है।
पलना पर बालक स्वरुप है॥


17.

बनि शिशु, रुदन जबहिं तुम ठाना।
लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥

18.

सकल मगन, सुखमंगल गावहिं।
नभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥


19.

शम्भु, उमा, बहु दान लुटावहिं।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥

20.

लखि अति आनन्द मंगल साजा।
देखन भी आये शनि राजा॥


21.

निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं।
बालक, देखन चाहत नाहीं॥

22.

गिरिजा कछु मन भेद बढ़ायो।
उत्सव मोर, न शनि तुहि भायो॥


23.

कहन लगे शनि, मन सकुचाई।
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥

24.

नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ।
शनि सों बालक देखन कहाऊ॥


25.

पडतहिं, शनि दृगकोण प्रकाशा।
बालक सिर उड़ि गयो अकाशा॥

26.

गिरिजा गिरीं विकल है धरणी।
सो दुख दशा गयो नहीं वरणी॥


27.

हाहाकार मच्यो कैलाशा।
शनि कीन्हो लखि सुत को नाशा॥

28.

तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो।
काटि चक्र सो गजशिर लाये॥


29.

बालक के धड़ ऊपर धारयो।
प्राण, मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो॥

30.

नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे।
प्रथम पूज्य बुद्घि निधि, वर दीन्हे॥


31.

बुद्घि परीक्षा जब शिव कीन्हा।
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥

32.

चले षडानन, भरमि भुलाई।
रचे बैठ तुम बुद्घि उपाई॥


33.

धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥

34.

चरण मातु-पितु के धर लीन्हें।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥


35.

तुम्हरी महिमा बुद्घि बड़ाई।
शेष सहसमुख सके न गाई॥

36.

मैं मतिहीन मलीन दुखारी।
करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी॥


37.

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा।
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा॥

38.

अब प्रभु दया दीन पर कीजै।
अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै॥


39.

श्री गणेश यह चालीसा।
पाठ करै धर ध्यान॥

40.

नित नव मंगल गृह बसै।
लहै जगत सन्मान॥


दोहा:
सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश,
ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो,
मंगल मूर्ति गणेश॥

आरती गजवदन विनायक की


1.

आरती गजवदन विनायक की।
सुर मुनि-पूजित गणनायक की॥


2.

एकदंत, शशिभाल, गजानन,
विघ्नविनाशक, शुभगुण कानन,
शिवसुत, वन्द्यमान-चतुरानन,
दु:खविनाशक, सुखदायक की॥

आरती गजवदन विनायक की।
सुर मुनि-पूजित गणनायक की॥


3.

ऋद्धि-सिद्धि स्वामी समर्थ अति,
विमल बुद्धि दाता सुविमल-मति,
अघ-वन-दहन, अमल अविगत गति,
विद्या, विनय-विभव दायक की॥

आरती गजवदन विनायक की।
सुर मुनि-पूजित गणनायक की॥


4.

पिंगलनयन, विशाल शुंडधर,
धूम्रवर्ण, शुचि वज्रांकुश-कर,
लम्बोदर, बाधा-विपत्ति-हर,
सुर-वन्दित सब विधि लायक की॥

आरती गजवदन विनायक की।
सुर मुनि-पूजित गणनायक की॥


5.

आरती गजवदन विनायक की।
सुर मुनि-पूजित गणनायक की॥

Jai Ganesh Jai Ganesh Deva – Ganesh Aarti – Lyrics in Hindi


श्री गणेश आरती – जय गणेश जय गणेश देवा

श्री गणेश आरती – जय गणेश जय गणेश देवा लिरिक्स के इस पेज में पहले आरती के हिंदी लिरिक्स दिए गए है।

बाद में इस आरती का आध्यात्मिक महत्व दिया गया है और इसकी पंक्तियों से हमें कौन कौन सी बातें सिखने को मिलती है यह बताया गया है।

जैसे की यह आरती हमें बताती है की गणेशजी अपने भक्तों को हमेशा सुख और समृद्धि प्रदान करते हैं। यदि कोई व्यक्ति गणेशजी के प्रति सच्ची भक्ति और श्रद्धा रखता है, उनकी शरण में आता है, उसे जीवन में कभी कोई कष्ट नहीं होता है।

इसलिए, हमें गणेशजी की पूजा करके, उनके आशीर्वाद से अपने जीवन से सभी तरह के विघ्नों को दूर करने का और जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।


Jai Ganesh Jai Ganesh Deva Lyrics

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

[जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥]


एक दन्त दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी॥

पान चढ़े फुल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लडुवन का भोग लगे, संत करे सेवा॥
[जय गणेश, जय गणेश….]


अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

सुर श्याम शरण आये, सफल किजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
[जय गणेश, जय गणेश….]
(Or
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥)
[जय गणेश, जय गणेश….]


जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥


Shlok:
व्रकतुंड महाकाय, सूर्यकोटी समप्रभाः।
निर्वघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा॥
ॐ गं गणपतये नमो नमः, श्री सिद्धिविनायक नमो नमः।
अष्टविनायक नमो नमः, गणपति बाप्पा मोरया॥


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Jai Ganesh Jai Ganesh Deva – Ganesh Aarti

सुरेश वाडकर (Suresh Wadkar)


Ganesh Bhajan



जय गणेश जय गणेश देवा आरती का आध्यात्मिक महत्व

जय गणेश जय गणेश देवा आरती की पंक्तियों में भगवान गणेश के विभिन्न गुणों और विशेषताओं का वर्णन किया गया है। इनकी कृपा से हमारा जीवन सुखमय और सफल होता है।

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, सुखकर्ता और वरदायक के रूप में जाना जाता है। इनकी कृपा से हमारे कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं और हमारे सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

भगवान गणेश दयालु और करुणामय हैं। ये सभी प्रकार के कष्टों से पीड़ित लोगों को सहायता प्रदान करते हैं।

भगवान गणेश की पूजा और आराधना से हमारे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।

अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

आरती की इन पंक्तियों में बताया गया है की किस प्रकार गणेशजी भक्तों के दुःख दूर करते है, और उनके कुछ चमत्कारों का वर्णन किया गया है। जैसे भगवान गणेश अंधे को आंख, कोढ़ी को काया, बांझ को पुत्र और निर्धन को माया प्रदान करते हैं। वे अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उनकी सेवा सफल करते हैं।

भगवान गणेश दयालु और करुणामयी हैं। वे सभी प्राणियों की रक्षा करते हैं और उनकी मदद करते हैं। वे सभी भक्तों पर समान दया करते हैं, चाहे वे अमीर हो या गरीब, स्वस्थ हों या बीमार, सुंदर हों या कुरूप।


कुछ विशेष बातें, जो हम आरती की पंक्तियों से सीख सकते हैं –

हमारे जीवन में आने वाली कठिनाइयों और बाधाओं का सामना करने के लिए हमें भगवान गणेश की शरण लेनी चाहिए।

हमारे सभी मनोरथों की पूर्ति के लिए हमें भगवान गणेश की पूजा और आराधना करनी चाहिए।

हमारे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त करने के लिए हमें भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करनी चाहिए।


जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

देवता और मनुष्य जिनको अपना प्रधान पूज्य समझते हैं, जो सबके वंदनीय हैं, विघ्न के काल है, विघ्न को हरने वाले हैं, जो शिवजी और माता पार्वतीजी के पुत्र है, उन गणेश जी का मैं रिद्धि और सिद्धि के साथ आवाहन करता हूं, उनको प्रणाम करता हूँ, उनका ध्यान करता हूँ।

एक दन्त दयावंत, चार भुजा धारी

एक दन्त दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी॥

जो रत्न के सिंहासन पर बैठे हैं, जिनके हाथों में पाश, अंकुश और कमल के फूल है, जो अभय दान और वरदान देने वाले हैं, जो देवताओं के गण के राजा है, लाल कमल के समान जिनके देह की आभा है, रिद्धि – सिद्धि के दाता श्री गणेशजी की मै सदैव उपासना करता हूँ।


अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

जो विघ्नरूप अंधकार का नाश करते है और भक्तों को अनेक प्रकार के फल देते हैं, उन करुणा रूप जलराशि से तरंगित नेत्रों वाले, सुखकर्ता, दुखहर्ता गणेशजी का मै ध्यान करता हूँ, वे हम लोगोका का कल्याण करे।


सुर श्याम शरण आये, सफल किजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

जिनको वेदांती लोग ब्रह्मा कहते हैं, और दूसरे लोग परम प्रधान पुरुष अथवा संसार की सृष्टि के कारण या ईश्वर कहते हैं, उन विघ्न विनाशक गणेश जी को नमस्कार है।


Ganesh Bhajan



Jai Ganesh Jai Ganesh Deva – Ganesh Aarti – Lyrics in English


Jai Ganesh Jai Ganesh Deva – Ganesh Aarti

Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva.
Mata jaki Parvati, pita Mahadeva.


Ek dant dayaavant, chaar bhuja dhaari.
Maathe par tilak sohe, moose ki savaari.
Paan chadhe phool chadhe, aur chadhe meva.
Laduvan ka bhog lage, sant kare seva.


Andhan ko aankh det, kodhin ko kaaya.
Baanjhan ko putra det, nirdhan ko maaya.
Sur shyaam sharan aaye, saphal kije seva.
Mata jaki Parvati, pita Mahadeva.

(or –
deenan ki laaj rakho, shambhu sutkaari.
kaamana ko poorn karo jaoon balihaari.)


Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva.
Mata jaki Parvati, pita Mahadeva.


Shlok
Vrakatund Mahaakaay,
Suryakoti Samaprabhaah.
Nirvaghnam Kuru me Dev,
Sarvakaaryeshu Sarvada.


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Jai Ganesh Jai Ganesh Deva – Ganesh Aarti

सुरेश वाडकर (Suresh Wadkar)


Ganesh Bhajan



Sukhkarta Dukhharta – Jai Dev Jai Mangal Murti – Lyrics in English


Sukhkarta Dukhharta – Jai Dev Jai Mangal Murti

Sukhkarta Dukhharta Varta Vighnachi.
Nurvi Purvi Prem Kripa Jayachi.

Sarvaangi Sundar Uti Shenduraachi.
Kanthi Jhalake Maal Muktaa Phalanchi.
Jai Dev, Jai Dev


Jai Dev, Jai Dev, Jai Mangal Murti.
Darshan-matre Mann Kamana-purti.
Jai Dev, Jai Dev


Ratna-khachit Phara Tuj Gauri-kumara.
Chandanaachi Uti Kumkum Keshara.

Hire-jadit Mukut Shobhato Bara.
Runzunti Noopure Charni Ghaagariya.
Jai Dev, Jai Dev


Jai Dev, Jai Dev, Jai Mangal Murti, O Shri Mangal Murti.
Darshan-matre Mann Kaamana-purti
Jai Dev, Jai Dev


Lambodar Pitaambar Phanivar Bandhana.
Saral Sond Vakratund Trinayana.

Daas Ramachaa Waat Paahe Sadanaa.
Sankati Paavave, Nirvaani Rakshave,
Suravar Vandana. Jai Dev, Jai Dev


Jai Dev, Jai Dev, Jai Mangal Murti, O Shri Mangal Murti.
Darshan-matre Mann Kamana-purti
Jai Dev, Jai Dev


Ghaalin Lotaangan Vandin Charan.
Dolyaanni Paahin Roop Tujhe
Preme Aalingan Aanande Poojin.
Bhaave Ovaalin Mhane Naama.


Tvamev Mata cha Pita Tvamev
Tvamev Bandhu cha Sakha Tvamev.
Tvamev Vidya Dravinam Tvamev
Tvamev Sarvam Mam Dev dev.


Kaayen Vaacha Manasen-driyairva,
Budhdaatmana va Prakruti-svabhavaat
Karomi Yadyat Sakalam Parasmai
Narayanayeti Samarpayaami.


Achayutam Keshavam Ram-narayanam,
Krishna-damodaram Vaasudevam Hari.
Shridharam Madhavam Gopika-vallabham,
Janaki-nayakam Ram-chandram Bhaje


Hare Ram, Hare Ram, Ram Ram, Hare Hare
Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare.
Hare Ram, Hare Ram, Ram Ram, Hare Hare
Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare.


Sukhkarta Dukhharta Varta Vighnachi.
Nurvi Purvi Prem Kripa Jayachi.
Jai Dev, Jai Dev, Jai Mangal Murti, O Shri Mangal Murti.
Darshan-matre Mann Kamana-purti, Jai Dev, Jai Dev


Sukhkarta Dukhharta – Jai Dev Jai Mangal Murti


Ganesh Bhajan



Sukhkarta Dukhharta – Jai Dev Jai Mangal Murti – Lyrics in Hindi


श्री गणेश आरती – सुखकर्ता दुखहर्ता – जय देव, जय मंगलमूर्ती

सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची।
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची॥

सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची।
कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची॥
जय देव, जय देव


जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती
जय देव, जय देव


रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा।
चंदनाची उटी कुंकुम केशरा।

हिरेजड़ित मुकुट शोभतो बरा।
रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरीया॥
जय देव, जय देव


जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती
जय देव, जय देव


लंबोदर पीतांबर फणीवर बंधना।
सरळ सोंड वक्रतुण्ड त्रिनयना।

दास रामाचा वाट पाहे सदना।
संकटी पावावें, निर्वाणी रक्षावे, सुरवरवंदना॥
जय देव, जय देव


जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती
जय देव, जय देव


घालीन लोटांगण, वंदिन चरण।
डोळ्यांनी पाहिन रूप तुझे।
प्रेमे आलिंगीन आनंदे पुजिन।
भावें ओवाळिन म्हणे नामा॥


त्वमेव माता च पिता त्वमेव,
त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव॥
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव,
त्वमेव सर्व मम देवदेव॥


कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा,
बुध्दात्मना वा प्रकृतिस्वभावात्।
करोमि यद्यत् सकलं परस्मै
नारायणायेति समर्पयामि॥


अच्युतं केशवं रामनारायणं,
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरि।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं,
जानकीनायकं रामचंद्रं भजे॥


हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥

हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥


सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची।
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची॥
जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती
जय देव, जय देव


Sukhkarta Dukhharta – Jai Dev Jai Mangal Murti


Ganesh Bhajan



Ganpati Ki Seva Mangal Meva – Lyrics in English


Ganpati Ki Seva Mangal Meva – Shri Ganesh Aarti

Ganpati ki seva mangal meva,
seva se sab vighna tare.

Tin lok taitis devta,
dwar khade sab arj kare.
(Tin lok ke sakal devta,
dwar khade nit arj kare.)

Riddhi-Siddhi dakshin vaam viraaje,
aru aanand so chavar kare.
Dhoop deep aur liye aarti,
bhakt khade jaykaar kare.

Gud ke modak bhog lagat hai,
mushak vaahan chadha kare.
Saumya-roop seva Ganpati ki,
vighna bhaag-ja door pare.

Bhaado maas aur shukla chaturthi,
din dopaara poor pare.
Liyo janm Ganpati prabhuji ne,
Durga man anand bhare.

Adbhut baaja baja Indra ka,
dev vadhu jahan gaan kare.
Shri Shankar ke anand upajyo,
naam sunya sab vighna tare.

Aan vidhaata baithe aasan,
Indra apsara nritya kare.
Dekhat ved Brahmaaji jaako,
vighna vinaashak naam dhare.

Ekadant Gajvadan Vinaayak,
trinayan roop anoop dhare.
Pagathambha sa udar pusht hai,
dekh Chandrama haasya kare.

De shraap shri Chandradev ko,
kalaahin tatkaal karen.
Chaudah lok me phire Ganpati,
tin bhuvan mein raajya kare.

Ganpati ki pooja pahle karani,
kaam sabhi nirvighn sarai.
Shri prataap Ganpati ji ko,
haath jod stuti kare.

Ganpati ki seva mangal meva,
seva se sab vighna tare.

Tin lok taitis devta,
dwar khade sab arj kare.
(Tin lok ke sakal devta,
dwar khade nit arj kare.)

Bolo Gajanan Maharaj ki Jai

Shlok:
Vakratund Mahaakaay,
Suryakoti Samaprabhah.

Nirvaghnam kuru me dev,
sarva kaaryeshu sarvadaa.

Ganpati ki seva mangal meva,
seva se sab vighna tare.
Tin lok taitis devta,
dwar khade sab arj kare.


Ganpati Ki Seva Mangal Meva – Shri Ganesh Aarti

Suresh Wadkar


Ganesh Bhajan