Om Jai Shiv Omkara – Shiv Aarti – Lyrics in Hindi


ओम जय शिव ओंकारा – शिव आरती

ओम जय शिव ओंकारा।
प्रभु हर शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥


एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
स्वामी (शिव) पंचानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन, वृषवाहन साजे॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥


दोभुज चार चतुर्भुज, दशभुज अति सोहे।
स्वामी दशभुज अति सोहे।
तीनो रूप निरखते, त्रिभुवन जन मोहे॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥


अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला धारी।
स्वामी मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी, कर माला धारी॥
(चन्दन मृगमद सोहे, भाले शशि धारी॥)
॥ओम जय शिव ओंकारा॥


श्वेतांबर पीतांबर, बाघंबर अंगे।
स्वामी बाघंबर अंगे।
सनकादिक गरुडादिक, भूतादिक संगे॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥


करमध्येन कमंडलु, चक्र त्रिशूलधारी।
स्वामी चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकर्ता दुखहर्ता, जग-पालन करता॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥


ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, जानत अविवेका।
स्वामी जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर ओम मध्ये, ये तीनों एका॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥


काशी में विश्वनाथ विराजत, नन्दो ब्रह्मचारी।
स्वामी नन्दो ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥


त्रिगुण स्वामीजी की आरती, जो कोइ नर गावे।
स्वामी जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी , मन वांछित फल पावे॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥


ओम जय शिव ओंकारा।
प्रभु हर शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥


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Om Jai Shiv Omkara – Shiv Aarti Piano Notes

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Om Jai Shiv Omkara – Shiv Aarti Harmonium Notes


Shiv Bhajan



Om Jai Shiv Omkara – Shiv Aarti

Anuradha Paudwal

लीला अजब तुम्हारी कहते हैं सब ही नर नारी।
बाबा बोल, भोले बोल, दर्शन होगा कि नहीं॥
ॐ नमः शिवाय शम्भो, ॐ नमः शिवाय


बड़ी दूर से आशा लेकर तुम्हारे चरणों में आए हैं।
एक बार तो दर्शन दे दो, पूजन थाल सजाएं हैं॥

तेरे चरणों पर बलिहारी, भोले, तेरे द्वार खड़ा पुजारी।
दुखियों के दुखहारी, प्रभुवर विनती सुनो हमारी॥


जो कोई भी दर पर तेरे आता, हे भोले भंडारी।
मन की मुरादे पूरी होती झोली रहती ना खाली॥

नजरें मेहर तुम्हारी हो तो जर्रा पर्वत बन जाए।
एक झलक दिखला दो शम्भो, मेरी किस्मत खुल जाए॥


अब तो है भक्तों की बारी नैया कर दो पार हमारी।
लीला अजब तुम्हारी शम्भू, कहते हैं सब ही नर नारी॥
ॐ नमः शिवाय शम्भो, ॐ नमः शिवाय


Shiv Bhajan



Om Jai Shiv Omkara – Shiv Aarti – Lyrics in English


Om Jai Shiv Omkara Lyrics – Shiv Aarti

Om Jai Shiva Omkara, Prabhu Har Shiv Omkara
Brahma, Vishnu, Sadashiv, arddhaangi dhaara
Om Jai Shiva Omkara


Ekaanan chaturaanan, panchaanan raaje,
swami panchaanan raaje
Hans-aasan garud-aasan, vrish-vaahan saaje
Om Jai Shiva Omkara

Dobhuj chaar chatur-bhuj, dash-bhuj ati sohe,
swami dashabhuj ati sohe
Tino roop nirakhate, tribhuvan jan mohe
Om Jai Shiva Omkara


Aksh-mala van-mala, mund-mala dhaari,
swami mund-maala dhaari
Chandan mrigmad sohe, bhale shashi dhari
(Tripurari kansari, kar-mala dhari )
Om Jai Shiva Omkara

Shwetambar pitaambar, baaghambar ange,
swami baaghambar ange
Sanakaadik garudaadik, bhootaadik sange
Om Jai Shiva Omkara


Karamadhyen kamandalu, chakra trishul-dhaari,
swami chakra trishool-dhaari
Sukh-karta dukh-harta, jag-paalan karta
Om Jai Shiva Omkara

Brahma Vishnu Sadashiv , jaanat aviveka,
swami jaanat aviveka
Pranava-akshar Om madhye, ye tino eka
Om Jai Shiva Omkara


Kaashi mein Vishwanaath viraajat,
nando brahmachaari,
swami nando brahmachaari
Nit uth darshan paavat, mahima ati bhaari
Om Jai Shiva Omkara


Trigun swamiji ki aarti jo koi nar gaave,
swami jo koi nar gaave
Kahat Shivanand swami ,
man vaanchhit phal paave
Om Jai Shiva Omkara


Om Jai Shiva Omkara,
Prabhu Har Shiv Omkara
Brahma, Vishnu, Sadashiv,
arddhaangi dhaara
Om Jai Shiva Omkara


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Om Jai Shiv Omkara – Shiv Aarti Harmonium Notes


Shiv Bhajan



Om Jai Shiv Omkara – Shiv Aarti

Anuradha Paudwal

Shiv Bhakti

Leela ajab tumhari kahate hain sab hi nar naari.
Baba bol, bhole bol, darshan hoga ki nahin.
Om namah shivaay shambho, om namah shivaay

Badi door se aasha lekar tumhaare charanon mein aaye hain.
Ek baar to darshan de do, poojan thaal sajaaye hain.

Tere charano par balihaari, bhole, tere dwar khada pujaari.
Dukhiyon ke dukhahaari, prabhuvar vinati suno hamaari.

Jo koi bhi dar par tere aata, he bhole bhandaari.
Man ki muraade poori hoti jholi rahati na khaali.

Najaren mehar tumhaari ho to jarra parvat ban jaaye.
Ek jhalak dikhala do shambho, meri kismat khul jae.

Ab to hai bhakton ki baari naiya kar do paar hamaari.
Lila ajab tumhaari shambhoo, kahate hain sab hi nar naari.
Om namah shivaay shambho, om namah shivaay

Om jay shiv omkara, prabhu har shiv omkara .
Brahma, vishnu, sadaashiv, arddhaangi dhaara.


Shiv Bhajan



Hanuman Chalisa – with Meaning in Hindi


हनुमान चालीसा – अर्थसहित


दोहा (Doha):

श्री गुरु चरण सरोज रज,
निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुवर बिमल जसु,
जो दायकु फल चार।

  • श्री गुरु चरण सरोज रज – श्री गुरु के चरणों की रज (धूलि) से
  • निज मन मुकुरु सुधारि – अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके
  • बरनऊं रघुवर बिमल जसु – श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूं,
  • जो दायकु फल चार – जो चारों फलों को (अर्थात धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को) देने वाला है।

बुद्धिहीन तनु जानिके,
सुमिरो पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं,
हरहु कलेश विकार।
  • बुद्धिहीन तनु जानिके – आप तो जानते ही हैं कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है
  • सुमिरो पवन-कुमार – हे पवन कुमार! मैं आपका सुमिरन करता हूं।

(हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन करता हूं। आप तो जानते ही हैं कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है।)

  • बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं – मुझे शारीरिक बल, सद्‍बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और
  • हरहु कलेश विकार – मेरे दुखों व दोषों का नाश कर दीजिए।

Chaupai (चौपाई):

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर,
जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥1॥
राम दूत अतुलित बलधामा,
अंजनी पुत्र पवन सुत नामा॥2॥
  • जय हनुमान – श्री हनुमान जी! आपकी जय हो।
  • ज्ञान गुण सागर – आप ज्ञान और गुणों के अथाह सागर हो।
  • जय कपीस– हे कपीश्वर! आपकी जय हो!
  • तिहुं लोक उजागर– तीनों लोकों में (स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल लोक में) आपकी कीर्ति है।
  • राम दूत अतुलित बलधामा– हे राम दूत हनुमान, आपके समान दूसरा बलवान नहीं है।
  • अंजनी पुत्र पवन सुत नामा– हे अंजनी पुत्र, हे पवनपुत्र हनुमान, आपकी जय हो!
महावीर विक्रम बजरंगी,
कुमति निवार सुमति के संगी॥3॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा,
कानन कुण्डल कुंचित केसा॥4॥
  • महावीर विक्रम बजरंगी– हे बजरंग बली! आप महावीर और विशेष पराक्रम वाले है।
  • कुमति निवार– आप कुमति (खराब बुद्धि) को दूर करते है,
  • सुमति के संगी– और अच्छी बुद्धि वालों के साथी और सहायक है।
  • कंचन बरन बिराज सुबेसा– आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों से सुशोभित हैं
  • कानन कुण्डल कुंचित केसा– आप कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से शोभित हैं।

(आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।)

हाथबज्र और ध्वजा विराजे,
कांधे मूंज जनेऊ साजै॥5॥
शंकर सुवन केसरी नंदन,
तेज प्रताप महा जग वंदन॥6॥
  • हाथबज्र और ध्वजा विराजे– आपके हाथ में बज्र और ध्वजा है और
  • कांधे मूंज जनेऊ साजै– कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है।
  • शंकर सुवन केसरी नंदन– हे शंकर के अवतार! हे केसरी नंदन!
  • तेज प्रताप महा जग वंदन– आपके महान पराक्रम और यश की संसार भर में वन्दना होती है।
विद्यावान गुणी अति चातुर,
राम काज करिबे को आतुर॥7॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया,
राम लखन सीता मन बसिया॥8॥
  • विद्यावान गुणी अति चातुर– आप विद्या निधान और गुणवान है। और अत्यन्त कार्य कुशल होकर
  • राम काज करिबे को आतुर– श्री राम के काज करने के लिए आतुर रहते है।

(आप विद्या निधान है, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम के काज करने के लिए आतुर रहते है।)

  • प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया– आप श्री राम चरित सुनने में आनन्द रस लेते है।
  • राम लखन सीता मन बसिया– श्री राम, सीता और लक्ष्मण आपके हृदय में बसे रहते है।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा,
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥9॥
भीम रूप धरि असुर संहारे,
रामचन्द्र के काज संवारे॥10॥
  • सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा– आपने सूक्ष्म रूप (बहुत छोटा रूप) धारण करके सीता जी को दिखलाया और
  • बिकट रूप धरि– भयंकर रूप धारण करके
  • लंक जरावा– लंका को जलाया।
  • भीम रूप धरि– आपने भीम रूप (विकराल रूप) धारण करके
  • असुर संहारे– राक्षसों को मारा और
  • रामचन्द्र के काज संवारे– श्री रामचन्द्र जी के उद्‍देश्यों को सफल कराया।
लाय सजीवन लखन जियाये,
श्री रघुवीर हरषि उर लाये॥11॥
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई,
तुम मम प्रिय भरत सम भाई॥12॥
  • लाय सजीवन लखन जियाये– आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जिलाया
  • श्री रघुवीर हरषि उर लाये– जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया।
  • रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई– श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की
  • तुम मम प्रिय भरत सम भाई– और कहा कि तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं,
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥13॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा, नारद,
सारद सहित अहीसा॥14॥
  • सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।– तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है
  • अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं– यह कहकर श्री राम ने आपको हृदय से लगा लिया।

(श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया की तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है।)

  • सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा– श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत-कुमार आदि मुनि, ब्रह्मा आदि देवता और
  • नारद, सारद सहित अहीसा– नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते है।

(सनकादिक ऋषि ब्रह्माजी के चार मानस पुत्र हैं। पुराणों में उनकी विशेष महत्ता है।
ब्रह्माजी ने सर्वप्रथम चार पुत्रों का सृजन किया था – सनक, सनन्दन, सनातन और सनत्कुमार। ये चारों सनकादिक ऋषि कहलाते हैं।)

जम कुबेर दिगपाल जहां ते,
कबि कोबिद कहि सके कहां ते॥15॥
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा,
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥16॥
  • जम कुबेर दिगपाल जहां ते– यमराज, कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक,
  • कबि कोबिद कहि सके कहां ते– कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते।
  • तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा– आपने सुग्रीव जी पर उपकार किया
  • राम मिलाय राजपद दीन्हा – उन्हें श्रीराम से मिलाया, जिसके कारण वे राजा बने।

(आपने सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया, जिसके कारण वे राजा) बने।

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना,
लंकेस्वर भए सब जग जाना॥17॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू,
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥18॥
  • तुम्हरो मंत्र विभीषण माना– आपके उपदेश का विभिषण ने पालन किया
  • लंकेस्वर भए सब जग जाना– जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है।
  • जुग सहस्त्र जोजन पर भानू– जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है कि उस पर पहुंचने के लिए कई वर्ष लगते है।
  • लील्यो ताहि मधुर फल जानू– उस सूर्य को (जो दो हजार योजन की दूरी पर स्थित है) आपने एक मीठा फल समझकर निगल लिया।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि,
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥19॥
दुर्गम काज जगत के जेते,
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥20॥
  • प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि– आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुंह में रखकर
  • जलधि लांघि गये अचरज नाहीं– समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है।
  • दुर्गम काज जगत के जेते– संसार में जितने भी कठिन से कठिन काम हो,
  • सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते– वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।

(संसार में जितने भी कठिन से कठिन काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।)

राम दुआरे तुम रखवारे,
होत न आज्ञा बिनु पैसा रे॥21॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना,
तुम रक्षक काहू को डरना ॥22॥
  • राम दुआरे तुम रखवारे– श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप रखवाले है,
  • होत न आज्ञा बिनु पैसा रे– जिसमें आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नहीं मिलता है।

(अर्थात् आपकी प्रसन्नता के बिना श्री राम कृपा दुर्लभ है)

  • सब सुख लहै तुम्हारी सरना– जो भी आपकी शरण में आते है, उस सभी को आनन्द प्राप्त होता है, और
  • तुम रक्षक काहू को डरना– जब आप रक्षक है, तो फिर किसी का डर नहीं रहता।
आपन तेज सम्हारो आपै,
तीनों लोक हांक तें कांपै॥23॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै,
महावीर जब नाम सुनावै॥24॥
  • आपन तेज सम्हारो आपै– आपके सिवाय आपके वेग को कोई नहीं रोक सकता,
  • तीनों लोक हांक तें कांपै– आपकी गर्जना से तीनों लोक कांप जाते है।
  • भूत पिशाच निकट नहिं आवै– वहां भूत, पिशाच पास भी नहीं फटक सकते।
  • महावीर जब नाम सुनावै– जहां महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है,

(जहां हनुमानजी का नाम सुनाया जाता है, वहां भूत, पिशाच पास नहीं फटक सकते।)

नासै रोग हरै सब पीरा,
जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥25॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै,
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥26॥
  • नासै रोग हरै सब पीरा– सब रोग चले जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है
  • जपत निरंतर हनुमत बीरा– जब मनुष्य वीर हनुमान जी का निरंतर जप करता है।

(वीर हनुमान जी! आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।)

  • संकट तें हनुमान छुड़ावै– सब संकटों से हनुमानजी छुड़ाते है।
  • मन क्रम बचन ध्यान जो लावै– जब मनुष्य विचार करने में, कर्म करने में और बोलने में हनुमानजी का ध्यान रखता है।

(हे हनुमान जी! विचार करने में, कर्म करने में और बोलने में, जिनका ध्यान आपमें रहता है, उनको सब संकटों से आप छुड़ाते है।)

सब पर राम तपस्वी राजा,
तिनके काज सकल तुम साजा॥27॥
और मनोरथ जो कोइ लावै,
सोई अमित जीवन फल पावै॥28॥
  • सब पर राम तपस्वी राजा– तपस्वी राजा प्रभु श्री राम सबसे श्रेष्ठ है,
  • तिनके काज सकल तुम साजा– उनके सब कार्यों को आपने सहज में कर दिया।
  • और मनोरथ जो कोइ लावै– जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करें
  • सोई अमित जीवन फल पावै– तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती।

(जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करें तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती।)

चारों जुग परताप तुम्हारा,
है परसिद्ध जगत उजियारा॥29॥
साधु सन्त के तुम रखवारे,
असुर निकंदन राम दुलारे॥30॥
  • चारों जुग परताप तुम्हारा– चारो युगों में (सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग में) आपका यश फैला हुआ है,
  • है परसिद्ध जगत उजियारा– जगत में आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।
  • साधु सन्त के तुम रखवारे– आप सज्जनों की रक्षा करते है
  • असुर निकंदन राम दुलारे– और हे श्री राम के दुलारे! आप दुष्टों का नाश करते हो।
    • (हे श्री राम के दुलारे! आप सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है।)
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता,
अस बर दीन जानकी माता॥31॥
राम रसायन तुम्हरे पासा,
सदा रहो रघुपति के दासा॥32॥
  • अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता– आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते
  • अस बर दीन जानकी माता– ऐसा वरदान आपको माता श्री जानकी से मिला हुआ है,

(आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते है।)
आठ सिद्धियां:
1.) अणिमा- जिससे साधक किसी को दिखाई नहीं पड़ता और कठिन से कठिन पदार्थ में प्रवेश कर जाता है।
2.) महिमा- जिसमें योगी अपने को बहुत बड़ा बना देता है।
3.) गरिमा- जिससे साधक अपने को चाहे जितना भारी बना लेता है।
4.) लघिमा- जिससे जितना चाहे उतना हल्का बन जाता है।
5.) प्राप्ति- जिससे इच्छित पदार्थ की प्राप्ति होती है।
6.) प्राकाम्य- जिससे इच्छा करने पर वह पृथ्वी में समा सकता है, आकाश में उड़ सकता है।
7.) ईशित्व- जिससे सब पर शासन का सामर्थ्य हो जाता है।
8.) वशित्व- जिससे दूसरों को वश में किया जाता है।

  • राम रसायन तुम्हरे पासा– आपके पास असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।
  • सदा रहो रघुपति के दासा– आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते है।

(आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते है, जिससे आपके पास असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।)

तुम्हरे भजन राम को पावै,
जनम जनम के दुख बिसरावै॥33॥
अन्त काल रघुबर पुर जाई,
जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥34॥
  • तुम्हरे भजन राम को पावै– आपका भजन करने से श्री राम जी प्राप्त होते है और
  • जनम जनम के दुख बिसरावै– जन्म जन्मांतर के दुख दूर होते है।
  • अन्त काल रघुबर पुर जाई– अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते है और
  • जहां जन्म हरि भक्त कहाई– यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलाएंगे।
और देवता चित न धरई,
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥35॥
संकट कटै मिटै सब पीरा,
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥36॥
  • और देवता चित न धरई– अन्य किसी देवता की आवश्यकता नहीं रहती, जब
  • हनुमत सेई सर्व सुख करई– हनुमान जी की सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है।

(हे हनुमान जी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नहीं रहती।)

  • संकट कटै मिटै सब पीरा– सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।
  • जो सुमिरै हनुमत बलबीरा– जो हनुमानजी का सुमिरन करता रहता है।

(हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।)

जय जय जय हनुमान गोसाईं,
कृपा करहु गुरु देव की नाई॥37॥
जो सत बार पाठ कर कोई,
छूटहि बंदि महा सुख होई॥38॥
  • जय जय जय हनुमान गोसाईं– हे स्वामी हनुमान जी! आपकी जय हो, जय हो, जय हो!
  • कृपा करहु गुरु देव की नाई– आप मुझ पर श्री गुरुजी के समान कृपा कीजिए।
  • जो सत बार पाठ कर कोई– जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा
  • छूटहि बंदि महा सुख होई– वह सब बंधनों से छूट जाएगा और उसे परम सुख की प्राप्ति होगी।

(जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बंधनों से छूट जाएगा और उसे परमानन्द मिलेगा।)

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा,
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥39॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा,
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा॥40॥
  • जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा– जो यह हनुमान चालीसा पढ़ेगा
  • होय सिद्धि साखी गौरीसा– उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी। भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी है।

(भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी है, कि जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।)

  • तुलसीदास सदा हरि चेरा– हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है।
  • कीजै नाथ हृदय मंह डेरा– इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए।

दोहा (Doha)

पवन तनय संकट हरन,
मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित,
हृदय बसहु सूरभूप॥
  • पवन तनय संकट हरन– हे पवन कुमार! हे संकट मोचन (संकट हरने वाले)
  • मंगल मूरति रूप। – आप आनंद मंगलों के स्वरूप हैं।
  • राम लखन सीता सहित– हे बजरंगबली! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित
  • हृदय बसहु सूरभूप॥– मेरे हृदय में निवास कीजिए।

(हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनंद मंगलों के स्वरूप हैं। हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए।)

Hanuman Chalisa – Jai Hanuman Gyan Gun Sagar

Hanuman Chalisa – Jai Hanuman Gyan Gun Sagar – Lyrics in English


Hanuman Chalisa – Jai Hanuman Gyan Gun Sagar

Shriguru charan saroj raj,
Nij manu mukur sudhaar.
Baranau raghuvar bimal jasu,
Jo daayaku phal chaar.

Buddhihin tanu jaanike,
Sumiraun pavan kumaar.
Bal budhi vidya dehu mohi,
Harahu kalesh vikaar.


Jai Hanuman gyan gun sagar.
Jay kapis tihun lok ujaagar.
Ram doot atulit bal dhaama.
Anjani putra pawansut naama.

Mahaabir bikram bajarangi.
Kumati nivaar sumati ke sangi.
Kanchan baran biraaj subesa.
Kaanan kundal kunchit kesa.


Haath bajr au dhvaja biraaje.
Kaandhe moonj janeoo saaje.
Shankar suvan kesari nandan.
Tej prataap maha jag-vandan.

Vidyaavaan guni ati chaatur.
Ram kaaj karibe ko aatur.
Prabhu charitr sunibe ko rasiya.
Ram Lakhan sita man-basiya.


Sookshm roop dhari siyahi dikhaava.
Vikat roop dhari lank jaraava.
Bhim roop dhari asur sanhaare.
Raamchandra ke kaaj savaanre.

Laay sajivan lakhan jiyaaye.
Shri raghubir harashi ur laaye.
Raghupati kinhi bahut badhai.
Tum mam priy bharat hi sam bhai.


Sahas badan tumharo jas gaavai.
As kahi shripati kanth lagaavai.
Sanakaadik brahmaadi munisa.
Naarad saarad sahit ahisa.

Jam kuber digapaal jahaan te.
Kavi kovid kahi sake kahaan te.
Tum upakaar sugrivahi kinha.
Ram milaay raaj pad dinha.


Tumharo mantr vibhishan maana.
Lankesvar bhaye sab jag jaana.
Jug sahastr jojan par bhaanoo.
Lilyo taahi madhur phal jaanoo.

Prabhu mudrika meli mukh maahi.
Jaladhi laanghi gae acharaj naahi.
Durgam kaaj jagat ke jete.
Sugam anugrah tumhare tete.


Ram duaare tum rakhavaare.
Hot na aagya binu paisaare.
Sab sukh lahain tumhaari sarana.
Tum rakshak kaahu ko darana.

Aapan tej samhaaro aapai.
Tinon lok haank tai kaapai.
Bhoot pishaach nikat nahi aavai.
Mahaavir jab naam sunaavai.


Naasai rog hare sab pira.
Japat nirantar hanumat bira.
Sankat te Hanuman chhudaavai.
Man kram vachan dhyaan jo laavai.

Sab par Ram tapasvi raaja.
Tinake kaaj sakal tum saaja.
Aur manorath jo koi laavai.
Soi amit jivan phal paavai.


Chaaro jug parataap tumhaara.
Hai parasiddh jagat ujiyaara.
Saadhu sant ke tum rakhavaare.
Asur nikandan Ram dulaare.

Asht siddhi nau nidhi ke daata.
As bar din Jaanki maata.
Ram rasaayan tumhare paasa.
Sada raho Raghupati ke daasa.


Tumhare bhajan Ram ko paavai.
Janam janam ke dukh bisaraavai.
Antakaal raghuvarapur jai.
Jahaan janm haribhakt kahai.

Aur devata chitt na dharahi.
Hanumat sehi sarv sukh karahi.
Sankat katai mitai sab pira.
Jo sumirai hanumat balabira.


Jai jai jai Hanuman gusain.
Krpa karahu guru dev ki nai.
Jo sat baar paath kar koi.
Chhootahi bandi maha sukh hoi.

Jo yah padhe Hanuman chalisa.
Hoy siddh saakhi gaurisa.
Tulasidaas sada hari chera.
Kijai naath hrday mah dera.


Pavan tanay sankat haran,
Mangal moorati roop.
Ram lakhan sita sahit,
Hrday basahu sur bhoop.


Hanuman Chalisa – Jai Hanuman Gyan Gun Sagar

Hariharan


Hanuman Bhajan



Hanuman Chalisa – Jai Hanuman Gyan Gun Sagar – Lyrics in Hindi


हनुमान चालीसा – जय हनुमान ज्ञान गुन सागर

दोहा:
श्रीगुरु चरण सरोज रज,
निज मनु मुकुर सुधार।
बरनउ रघुवर बिमल जसु,
जो दायकु फल चार॥

बुद्धिहीन तनु जानिके,
सुमिरौं पवन कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि,
हरहु कलेश विकार॥


हनुमान चालीसा

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥


महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुँचित केसा॥


हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे।
काँधे मूँज जनेऊ साजे॥
शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जगवंदन॥


विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मनबसिया॥


सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा।
विकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे॥


लाय सजीवन लखन जियाए।
श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥
रघुपति कीन्ही बहुत बढाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥


सहस बदन तुम्हरो जस गावै।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥


जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥


तुम्हरो मंत्र विभीषण माना।
लंकेश्वर भये सब जग जाना॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥


प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही।
जलधि लाँघि गए अचरज नाही॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥


राम दुआरे तुम रखवारे।
होत ना आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहैं तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहु को डरना॥


आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक तै कापै॥
भूत पिशाच निकट नहि आवै।
महावीर जब नाम सुनावै॥


नासै रोग हरे सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट ते हनुमान छुडावै।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥


सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥


चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥


अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥


तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥


और देवता चित्त ना धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥


जै जै जै हनुमान गुसाईँ।
कृपा करहु गुरु देव की नाई॥
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥


जो यह पढ़े हनुमान चालीसा।
होय सिद्ध साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥


पवन तनय संकट हरन,
मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित,
हृदय बसहु सुर भूप॥



Hanuman Chalisa – Jai Hanuman Gyan Gun Sagar

Hariharan


Hanuman Bhajan



Sant Kabir ke Dohe – Sumiran + Meaning


कबीर के दोहे – सुमिरन + अर्थसहित

Sumiran – Kabir ke Dohe – (Arth sahit)


दु:ख में सुमिरन सब करै,
सुख में करै न कोय।
जो सुख में सुमिरन करै,
तो दु:ख काहे को होय॥

अर्थ (Meaning in Hindi):

  • दु:ख में सुमिरन सब करै – आमतौर पर मनुष्य ईश्वर को दुःख में याद करता है।
  • सुख में करै न कोय – सुख में ईश्वर को भूल जाते है
  • जो सुख में सुमिरन करै – यदि सुख में भी इश्वर को याद करे
  • तो दु:ख काहे को होय – तो दुःख निकट आएगा ही नहीं

काह भरोसा देह का,
बिनसी जाय छिन मांहि।
सांस सांस सुमिरन करो
और जतन कछु नाहिं॥

अर्थ (Meaning in Hindi):

  • कहा भरोसा देह का – इस शरीर का क्या भरोसा है
  • बिनसी जाय छिन मांहि – किसी भी क्षण यह (शरीर) हमसे छीन सकता है (1), इसलिए
  • सांस सांस सुमिरन करो – हर साँस में ईश्वर को याद करो
  • और जतन कछु नाहिं – इसके अलावा मुक्ति का कोई दूसरा मार्ग नहीं है

कबीर सुमिरन सार है,
और सकल जंजाल।
आदि अंत मधि सोधिया,
दूजा देखा काल॥

अर्थ (Meaning in Hindi):

  • कबीर सुमिरन सार है – कबीरदासजी कहते हैं कि सुमिरन (ईश्वर का ध्यान) ही मुख्य है,
  • और सकल जंजाल – बाकी सब मोह माया का जंजाल है
  • आदि अंत मधि सोधिया – शुरू में, अंत में और मध्य में जांच परखकर देखा है,
  • दूजा देखा काल – सुमिरन के अलावा बाकी सब काल (दुःख) है
    (सार – essence – सारांश, तत्त्व, मूलतत्त्व)

राम नाम सुमिरन करै,
सतगुरु पद निज ध्यान।
आतम पूजा जीव दया,
लहै सो मुक्ति अमान॥

अर्थ (Meaning in Hindi):

  • राम नाम सुमिरन करै – जो मनुष्य राम नाम का सुमिरन करता है (इश्वर को याद करता है)
  • सतगुरु पद निज ध्यान – सतगुरु के चरणों का निरंतर ध्यान करता है
  • आतम पूजा – अंतर्मन से ईश्वर को पूजता है
  • जीव दया – सभी जीवो पर दया करता है
  • लहै सो मुक्ति अमान – वह इस संसार से मुक्ति (मोक्ष) पाता है।

सुमिरण मारग सहज का,
सतगुरु दिया बताय।
सांस सांस सुमिरण करूं,
इक दिन मिलसी आय॥

अर्थ (Meaning in Hindi):

  • सुमिरण मारग सहज का – सुमिरण का मार्ग बहुत ही सहज और सरल है
  • सतगुरु दिया बताय – जो मुझे सतगुरु ने बता दिया है
  • सांस सांस सुमिरण करूं – अब मै हर साँस में प्रभु को याद करता हूँ
  • इक दिन मिलसी आय – एक दिन निश्चित ही मुझे ईश्वर के दर्शन होंगे

सुमिरण की सुधि यौ करो,
जैसे कामी काम।
एक पल बिसरै नहीं,
निश दिन आठौ जाम॥

अर्थ (Meaning in Hindi):

  • सुमिरण की सुधि यौ करो – ईश्वर को याद इस प्रकार करो
  • जैसे कामी काम – जैसे कामी पुरुष हर समय विषयो के बारे में सोचता है
  • एक पल बिसरै नहीं – एक पल भी व्यर्थ मत गवाओ
  • निश दिन आठौ जाम – रात, दिन, आठों पहर प्रभु परमेश्वर को याद करो

बिना साँच सुमिरन नहीं,
बिन भेदी भक्ति न सोय।
पारस में परदा रहा,
कस लोहा कंचन होय॥

अर्थ (Meaning in Hindi):

  • बिना सांच सुमिरन नहीं – बिना ज्ञान के प्रभु का स्मरण (सुमिरन) नहीं हो सकता और
  • बिन भेदी भक्ति न सोय – भक्ति का भेद जाने बिना सच्ची भक्ति नहीं हो सकती
  • पारस में परदा रहा – जैसे पारस में थोडा सा भी खोट हो
  • कस लोहा कंचन होय – तो वह लोहे को सोना नहीं बना सकता.
    • यदि मन में विकारों का खोट हो तो मनुष्य सच्चे मन से सुमिरन नहीं कर सकता

दर्शन को तो साधु हैं,
सुमिरन को गुरु नाम।
तरने को आधीनता,
डूबन को अभिमान॥

अर्थ (Meaning in Hindi):

  • दर्शन को तो साधु हैं – दर्शन के लिए सन्तों का दर्शन श्रेष्ठ हैं और
  • सुमिरन को गुरु नाम – सुमिरन के लिए (चिन्तन के लिए) गुरु व्दारा बताये गये नाम एवं गुरु के वचन उत्तम है
  • तरने को आधीनता – भवसागर (संसार रूपी भव) से पार उतरने के लिए आधीनता अर्थात विनम्र होना अति आवश्यक है
  • डूबन को अभिमान – लेकिन डूबने के लिए तो अभिमान, अहंकार ही पर्याप्त है (अर्थात अहंकार नहीं करना चाहिए)

लूट सके तो लूट ले,
राम नाम की लूट।
पाछे फिर पछ्ताओगे,
प्राण जाहिं जब छूट॥

अर्थ (Meaning in Hindi):

  • लूट सके तो लूट ले – अगर लूट सको तो लूट लो
  • राम नाम की लूट – अभी राम नाम की लूट है,
    • अभी समय है, तुम भगवान का जितना नाम लेना चाहते हो ले लो
  • पाछे फिर पछ्ताओगे – यदि नहीं लुटे तो बाद में पछताना पड़ेगा
  • प्राण जाहिं जब छूट – जब प्राण छुट जायेंगे

आदि नाम पारस अहै,
मन है मैला लोह।
परसत ही कंचन भया,
छूटा बंधन मोह॥

अर्थ (Meaning in Hindi):

  • आदि नाम पारस अहै – ईश्वर का स्मरण पारस के समान है
  • मन है मैला लोह – विकारों से भरा मन (मैला मन) लोहे के समान है
  • परसत ही कंचन भया – पारस के संपर्क से लोहा कंचन (सोना) बन जाता है
    • ईश्वर के नाम से मन शुद्ध हो जाता है
  • छूटा बंधन मोह – और मनुष्य मोह माया के बन्धनों से छूट जाता है

कबीरा सोया क्या करे,
उठि न भजे भगवान।
जम जब घर ले जायेंगे,
पड़ी रहेगी म्यान॥


पाँच पहर धन्धे गया,
तीन पहर गया सोय।
एक पहर हरि नाम बिन,
मुक्ति कैसे होय॥


नींद निशानी मौत की,
उठ कबीरा जाग।
और रसायन छांड़ि के,
नाम रसायन लाग॥


रात गंवाई सोय के,
दिवस गंवाया खाय।
हीरा जन्म अमोल था,
कोड़ी बदले जाय॥

Sant Kabir Bhajans and Dohe

Sant Kabir ke Dohe – Sumiran

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Sant Kabir ke Dohe – Sumiran

Dukh mein sumiran sab karai,
sukh mein karai na koy.
Jo sukh mein sumiran karai,
to dukh kaahe ko hoy.


Kaah bharosa deh ka,
binasi jaay chhin maanhi.
Saans saans sumiran karo
Aur jatan kachhu naahin.


Kabir sumiran saar hai,
aur sakal janjaal.
Aadi ant madhi sodhiya,
dooja dekha kaal.


Raam naam sumiran karai,
satguru pad nij dhyaan.
Aatam pooja jiv daya,
lahai so mukti amaan.


Sumiran maarag sahaj ka,
satguru diya bataay.
Saans saans sumiran karoon,
ik din milasi aay.


Sumiran ki sudhi yau karo,
jaise kaami kaam.
Ek pal bisarai nahin,
nish din aathau yaam.


Bina saanch sumiran nahi,
bin bhedi bhakti na soy.
Paaras mein pardaa rahaa,
kas loha kanchan hoy.


Darshan ko to saadhu hain,
sumiran ko guru naam.
Tarne ko aadhinta,
dooban ko abhimaan.


Loot sake to loot le,
Ram naam ki loot.
Paachhe phir pachhtaoge,
praan jaahi jab chhoot.


Aadi naam paaras ahai,
man hai maila loh.
Parasat hi kanchan bhaya,
chhoota bandhan moh.


Kabira soya kya kare,
uthi na bhaje bhagavaan.
Jam jab ghar le jaayenge,
padi rahegi myaan.


Paanch pahar dhandhe gaya,
tin pahar gaya soy.
Ek pahar hari naam bin,
mukti kaise hoy.


Nind nishaani maut ki,
uth kabira jaag.
Aur rasaayan chhaandi ke,
naam rasaayan laag.


Raat ganvai soy ke,
divas ganvaaya khaay.
Hira janm amol tha,
kodi badale jaay.

Ram Naam Ati Meetha Hai – Lyrics in English


Ram Naam Ati Meetha Hai

Ram naam ati meetha hai,
koi ga ke dekh le

Aa jaate hai Ram,
koi bula ke dekh le

Ram naam ati meetha hai,
koi ga ke dekh le
Aa jaate hai Ram,
koi bula ke dekh le

Ram naam ati meetha hai

Jis ghar mein andhakaar,
wahaa mehamaan kahaa se aaye
Jis mann mein abhimaan,
wahaa Bhagwaan kaha se aaye

Apne man mandir mein,
jyot jalaake dekh le
Aa jaate hai Ram,
koi bula ke dekh le

Ram naam ati meetha hai,
koi ga ke dekh le
Aa jaate hai Ram,
koi bula ke dekh le

Aadhe naam pe aa jaate,
ho koi bulaane waala
Bik jaate hai Ram,
koi ho mol chukaane waala

Koi Shabari jhoothe ber,
khilaake dekh le
Aa jaate hai Ram,
koi bula ke dekh le

Ram naam ati meetha hai,
koi ga ke dekh le
Aa jaate hai Ram,
koi bula ke dekh le

Mann bhagavaan ka mandir hai,
jahaan mail na aane dena
Hira janam anmol mila hai,
isey vyarth ganva na dena

Shish jhuke hari milate hain,
jhukaake dekh le
Aa jaate hai Ram,
koi bula ke dekh le

Ram naam ati meetha hai,
koi ga ke dekh le
Aa jaate hai Ram,
koi bula ke dekh le


Ram Naam Ati Meetha Hai

Anup Jalota

Sharad Gupta


Ram Bhajan



Ram Naam Ati Meetha Hai – Lyrics in Hindi


राम नाम अति मीठा है

राम नाम अति मीठा है,
कोई गा के देख ले
आ जाते है राम,
कोई बुला के देख ले


राम नाम अति मीठा है,
कोई गा के देख ले
आ जाते है राम,
कोई बुला के देख ले
राम नाम अति मीठा है


जिस घर में अंधकार,
वहां मेहमान कहां से आए।
जिस मन में अभिमान,
वहां भगवान कहा से आए॥

अपने मन मंदिर में,
ज्योत जलाके देख ले।
आ जाते है राम,
कोई बुला के देख ले॥

राम नाम अति मीठा है,
कोई गा के देख ले।
आ जाते है राम,
कोई बुला के देख ले॥


आधे नाम पे आ जाते,
हो कोई बुलाने वाला।
बिक जाते है राम,
कोई हो मोल चुकाने वाला॥

कोई शबरी झूठे बेर
खिलाके देख ले।
आ जाते है राम,
कोई बुला के देख ले॥

राम नाम अति मीठा है,
कोई गा के देख ले।
आ जाते है राम,
कोई बुला के देख ले॥


मन भगवान् का मन्दिर है,
जहाँ मैल न आने देना।
हीरा जन्म अनमोल मिला है,
इसे व्यर्थ गँवा न देना॥

शीश झुके हरि मिलते हैं,
झुकाके देख ले।
आ जाते है राम,
कोई बुला के देख ले॥

राम नाम अति मीठा है,
कोई गा के देख ले।
आ जाते है राम,
कोई बुला के देख ले॥


Ram Naam Ati Meetha Hai

Anup Jalota

Sharad Gupta


Ram Bhajan



ईश्वर भक्त

सच्चे भक्त के लक्षण – सब प्राणियों पर दया करना, सबका हित साधन करने में लगे रहना, किसी के गुणों में दोष ना देखना, सदा सत्य भाषण करना, सब के प्रति विनीत और कोमल बने रहना, इंद्रियों को वश में रखना, धर्म का आचरण और अधर्म का त्याग करना, ईश्वर की भक्ति और ध्यान करना, यदि असावधानी के कारण किसी के मन के विपरीत कोई व्यवहार हो जाए तो उसे अच्छी प्रकार दान से संतुष्ट करके प्रसन्न करना, मैं सबका स्वामी हूं ऐसे अहंकार को कभी पास ना आने देना।

सब दानों में अन्न दान उत्तम माना गया है। वह सब को प्रसन्न करने वाला पुण्य जनक तथा बल और पुष्टि को बढ़ाने वाला है। तीनों लोकों में अन्न दान के समान दूसरा कोई दान नहीं है। अन्न से ही प्राणी उत्पन्न होते और अन्न का अभाव होने पर मर जाते हैं। इसलिए अन्न दान सर्वश्रेष्ठ दान है।


Ram Bhajan



Hanuman Chalisa in Images – Sachitra


Hanuman Bhajan

हनुमान चालीसा – सचित्र (Hanuman Chalisa in Images)


दोहा:
श्रीगुरु चरण सरोज रज,
निज मनु मुकुर सुधार।
बरनउ रघुवर बिमल जसु,
जो दायकु फल चार॥

मैं अपने मन दर्पण को श्री गुरु जी की चरण धूलि से पवित्र कर, श्री रघुवीर भगवान के यश का गुणगान करता हूं। जिससे धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

बुद्धिहीन तनु जानिके,
सुमिरौं पवन कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि,
हरहु कलेश विकार॥

हे पवन पुत्र, मैं आपका स्मरण करता हूं। आप जानते ही हैं कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सद्बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुखों व दोषों का नाश कीजिए।


हनुमान चालीसा

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥

पवनपुत्र वीर हनुमान आपकी जय हो। आप तो ज्ञान और गुणों के समुद्र है। आपकी कीर्ति तो तीनों लोकों में फैली है।


राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥

हे पवनसुत, अंजनिपुत्र, अंजनीनन्दन, श्री राम दूत। आपके समान दुसरा कोई बलवान नहीं है।


महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥

हे महावीर बजरंगबली, आप में विशेष पराक्रम हैं। आप अपने भक्तों की दुर्बुद्धि एवं बुरे विचारों को समाप्त करके, उनके ह्रदय में अच्छे ज्ञान एवं विचारों को प्रेरित करने में सहायक है।


कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुँचित केसा॥

आपका रंग कंचन जैसा है, तथा आप सुंदर वस्त्रों से तथा कानों में कुंडल और घुंघराले बालों में शोभायमान है।


हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे।
काँधे मूँज जनेऊ साजे॥

आपके हाथों में वज्र और ध्वजा है, तथा आपके कंधे पर मुंज का जनेऊ शोभायमान है।


शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जगवंदन॥

आप शंकर के अवतार है। सारी संपत्ति आपकी ही तो है, तभी तो आप की उपासना सारा संसार करता है।


विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥

आप प्रकांड विद्या निधान और गुणवान हैं। और अत्यंत कार्य कुशल होकर श्री रामजी के कार्य करने के लिए उत्सुक रहते हैं।


प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मनबसिया॥

श्री राम का गुणगान सुनने में आप आनंद रस लेते हैं। भगवान श्री राम, माता सीता व लक्ष्मण सहित आपके हृदय में निवास करते हैं।


सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा।
विकट रूप धरि लंक जरावा॥

आपने अति छोटा रूप धारण कर माता सीता को दिखाया, तथा भयंकर रूप धारण कर रावण की लंका को जलाया।


भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे॥

आपने विशाल रूप धारण करके राक्षसों का वध किया। भगवान राम के कार्यों में सहयोग देने वाले भी तो आप ही थे।


लाय सजीवन लखन जियाए।
श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥

संजीवनी बूटी लाकर आपने लक्ष्मण जी को जीवनदान दिया, अतः श्री राम ने प्रसन्न होकर आपको हृदय से लगा लिया।


रघुपति कीन्ही बहुत बढाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥

उस समय श्री रामचंद्र जी ने आपकी बड़ी प्रशंसा की और यहां तक कहा कि जितना मुझे भरत प्रिय है, उतने ही तुम भी मुझे प्रिय हो। मैं तुम्हें भरत के समान अपना भाई मानता हूं।


सहस बदन तुम्हरो जस गावै।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥

श्रीराम ने आपको यह कहकर ह्रदय से लगा लिया कि तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है।


सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥

श्री सनत कुमार, श्री सनातन आदि मुनि, ब्रह्मा आदि देवता, शेषनाग जी सब आप का गुणगान करते हैं।


जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥

यम, कुबेर आदि तथा सब दिशाओं के रक्षक, कवि, विद्वान कोई भी आपके यश का पूर्णतया वर्णन नहीं कर सकते।


तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥


आप ही ने सुग्रीव जी को प्रभु राम से मिलवाया। उनकी (श्री राम जी की) कृपा से उन्हें खोया हुआ राज्य वापस मिला।

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना।
लंकेश्वर भये सब जग जाना॥

आपके परामर्श को विभीषण ने माना, जिसके फलस्वरूप वे लंका के राजा बने। इस को सारा जग जानता है।


जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥

जो सूर्य हजारों योजन की दूरी पर है, जहां तक पहुंचने में हजारों युग लगे, उस सूर्य को आपने मीठा फल समझकर निगल लिया।


प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही।
जलधि लाँघि गए अचरज नाही॥

आपने श्री रामचंद्र जी की अंगूठी मुंह में रखकर समुद्र को पार किया, परंतु आपके लिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं है।


दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

संसार में जितने भी कठिन से कठिन काम है, वह सभी आपकी कृपा से सहज और सुलभ हो जाते हैं।


राम दुआरे तुम रखवारे।
होत ना आज्ञा बिनु पैसारे॥

आप श्री रामचंद्र जी के महल के द्वार के रखवाले हैं। आपकी आज्ञा के बिना जिसमें कोई प्रवेश नहीं कर सकता।


सब सुख लहैं तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहु को डरना॥

आप की शरण में आने वाले व्यक्ति को सभी सुख प्राप्त हो जाते हैं, और किसी प्रकार का भय नहीं रहता।


आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक तै कापै॥

आपके सिवाय आपके वेग को कोई नहीं रोक सकता। आप की गर्जना से तीनों लोग कांप जाते हैं।


भूत पिशाच निकट नहि आवै।
महावीर जब नाम सुनावै॥

हे पवनपुत्र, आपका महावीर नाम सुनते ही भूत प्रेत आदि भाग खड़े होते हैं।


नासै रोग हरे सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥

हे वीर हनुमान जी, आपके नाम का निरंतर जप करने से सब रोग नष्ट हो जाते हैं और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।


संकट ते हनुमान छुडावै।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥

जो व्यक्ति मन-कर्म-वचन से आपका ध्यान करते हैं, उनके सब संकटों को आप दूर कर देते हैं।


सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा॥

तपस्वी राजा श्री रामचंद्र जी सब में श्रेष्ठ है उनके सब कार्यों को आपने सहज में कर दिया।


और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥

जिस पर आपकी कृपा हो जाए भला वह दुख क्यों पाए। उनके जीवन में तो आनंद ही आनंद है।


चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥

आपका यश चारों युगों (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग तथा कलयुग) में विद्यमान हैं। संपूर्ण संसार में आपकी कीर्ति सभी जगह पर प्रकाशमान है। सारा संसार आपका उपासक है।


साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥

हे श्री रामचंद्र के प्यारे हनुमान जी, आप साधु संतों तथा सज्जनों के अर्थात धर्म के रक्षक है, तथा दुष्ट जनों का नाश करते हैं।


अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥

हे हनुमान जी, आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिसमें आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां (सब प्रकार की संपत्ति) दे सकते हैं।


राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥

आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते है, जिससे आपके पास असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।


तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥

आप का भजन करने वाले भक्तों को भगवान श्री राम जी के दर्शन होते हैं और उनके जन्म जन्मांतर के दु:ख दूर हो जाते हैं।

अंतकाल रघुवरपुर जाई।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥

आपके जाप के प्रभाव से प्राणी अंत समय में भी रघुनाथ धाम को जाते हैं। यदि मृत्यु लोक में जन्म लेते हैं तो श्री हरि भक्त कहलाते हैं।


और देवता चित्त ना धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥

हे हनुमान जी, आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते हैं, फिर किसी देवता की पूजा करने की आवश्यकता नहीं रहती।

संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

वीर हनुमान के उपासक सदा सुख पाते हैं, उन्हें कभी कष्ट नहीं होता।


जै जै जै हनुमान गुसाईँ।
कृपा करहु गुरु देव की नाई॥

हे वीर हनुमान जी, आपकी सदा जय हो, जय हो, जय हो। आप मुझ पर श्री गुरुजी के समान कृपा कीजिए ताकि मैं सदा आपकी उपासना करता रहूं।


जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥

जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बंधनों से छूट जाएगा और उसे परमानन्द मिलेगा।


जो यह पढ़े हनुमान चालीसा।
होय सिद्ध साखी गौरीसा॥

भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी है, कि जो इसे पढ़ेगा, उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।


तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥

हे नाथ हनुमान जी, तुलसीदास सदा ही श्री राम के दास है। इसलिए आप उसके ह्रदय में निवास कीजिए।


पवन तनय संकट हरन,
मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित,
हृदय बसहु सुर भूप॥

हे पवन पुत्र, आप सभी संकटों को हरने वाले हैं, आप मंगल मूरत वाले हैं। मेरी प्रार्थना है कि आप श्री राम, श्री जानकी एवं लक्ष्मण जी सहित सदा मेरे ह्रदय में निवास करें।



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Ganpati Aaj Padharo, Shri Ram Ji Ki Dhun Me – Lyrics in English


Ganpati Aaj Padharo, Shri Ram Ji Ki Dhun Me

Ganpati aaj padharo,
Shri Ram ji ki dhun me.

Ganpati aaj padharo,
Shri Ram ji ki dhun mein.

Ram ji ki dhun mein,
Shri Ram ji ki dhun me
modak bhog lagao,
Shri Ram ji ki dhun me.

Ganpati aaj padharo,
Shri Ram ji ki dhun mein.

Ganpati aaj padharo
aur Riddhi Siddhi laao.
Sukh anand barsaao,
Shri Ram ji ki dhun me.

Ganpati aaj padharo,
Shri Ram ji ki dhun mein.

Hanumant aaj padharo,
deva pavan weg se aao.
Bal buddhi de jao,
Shri Ram ji ki dhun me.

Ganpati aaj padharo,
Shri Ram ji ki dhun mein.

Bramhaji padhaaro,
mata Bramhaani ko laao.
Ved gyaan samjhao,
Shri Ram ji ki dhun me.

Ganpati aaj padharo,
Shri Ram ji ki dhun mein.

Naarad aaj padhaaro
chham chham, chham kar taal bajao.
Naaraayan gun gaao,
Shri Ram ji ki dhun mein.

Ganpati aaj padharo,
Shri Ram ji ki dhun mein.

Prem magan ho jao bhakto,
Ram naam gun gaao.
Sur mandir mein aao,
Shri Ram ji ki dhun me.

Ganpati aaj padharo,
Shri Ram ji ki dhun me.


Ganpati Aaj Padharo, Shri Ram Ji Ki Dhun Me


Ganesh Bhajan