Sukhkarta Dukhharta – Jai Dev Jai Mangal Murti – Lyrics in English


Sukhkarta Dukhharta – Jai Dev Jai Mangal Murti

Sukhkarta Dukhharta Varta Vighnachi.
Nurvi Purvi Prem Kripa Jayachi.

Sarvaangi Sundar Uti Shenduraachi.
Kanthi Jhalake Maal Muktaa Phalanchi.
Jai Dev, Jai Dev


Jai Dev, Jai Dev, Jai Mangal Murti.
Darshan-matre Mann Kamana-purti.
Jai Dev, Jai Dev


Ratna-khachit Phara Tuj Gauri-kumara.
Chandanaachi Uti Kumkum Keshara.

Hire-jadit Mukut Shobhato Bara.
Runzunti Noopure Charni Ghaagariya.
Jai Dev, Jai Dev


Jai Dev, Jai Dev, Jai Mangal Murti, O Shri Mangal Murti.
Darshan-matre Mann Kaamana-purti
Jai Dev, Jai Dev


Lambodar Pitaambar Phanivar Bandhana.
Saral Sond Vakratund Trinayana.

Daas Ramachaa Waat Paahe Sadanaa.
Sankati Paavave, Nirvaani Rakshave,
Suravar Vandana. Jai Dev, Jai Dev


Jai Dev, Jai Dev, Jai Mangal Murti, O Shri Mangal Murti.
Darshan-matre Mann Kamana-purti
Jai Dev, Jai Dev


Ghaalin Lotaangan Vandin Charan.
Dolyaanni Paahin Roop Tujhe
Preme Aalingan Aanande Poojin.
Bhaave Ovaalin Mhane Naama.


Tvamev Mata cha Pita Tvamev
Tvamev Bandhu cha Sakha Tvamev.
Tvamev Vidya Dravinam Tvamev
Tvamev Sarvam Mam Dev dev.


Kaayen Vaacha Manasen-driyairva,
Budhdaatmana va Prakruti-svabhavaat
Karomi Yadyat Sakalam Parasmai
Narayanayeti Samarpayaami.


Achayutam Keshavam Ram-narayanam,
Krishna-damodaram Vaasudevam Hari.
Shridharam Madhavam Gopika-vallabham,
Janaki-nayakam Ram-chandram Bhaje


Hare Ram, Hare Ram, Ram Ram, Hare Hare
Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare.
Hare Ram, Hare Ram, Ram Ram, Hare Hare
Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare.


Sukhkarta Dukhharta Varta Vighnachi.
Nurvi Purvi Prem Kripa Jayachi.
Jai Dev, Jai Dev, Jai Mangal Murti, O Shri Mangal Murti.
Darshan-matre Mann Kamana-purti, Jai Dev, Jai Dev


Sukhkarta Dukhharta – Jai Dev Jai Mangal Murti


Ganesh Bhajan



Sukhkarta Dukhharta – Jai Dev Jai Mangal Murti – Lyrics in Hindi


श्री गणेश आरती – सुखकर्ता दुखहर्ता – जय देव, जय मंगलमूर्ती

सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची।
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची॥

सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची।
कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची॥
जय देव, जय देव


जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती
जय देव, जय देव


रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा।
चंदनाची उटी कुंकुम केशरा।

हिरेजड़ित मुकुट शोभतो बरा।
रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरीया॥
जय देव, जय देव


जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती
जय देव, जय देव


लंबोदर पीतांबर फणीवर बंधना।
सरळ सोंड वक्रतुण्ड त्रिनयना।

दास रामाचा वाट पाहे सदना।
संकटी पावावें, निर्वाणी रक्षावे, सुरवरवंदना॥
जय देव, जय देव


जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती
जय देव, जय देव


घालीन लोटांगण, वंदिन चरण।
डोळ्यांनी पाहिन रूप तुझे।
प्रेमे आलिंगीन आनंदे पुजिन।
भावें ओवाळिन म्हणे नामा॥


त्वमेव माता च पिता त्वमेव,
त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव॥
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव,
त्वमेव सर्व मम देवदेव॥


कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा,
बुध्दात्मना वा प्रकृतिस्वभावात्।
करोमि यद्यत् सकलं परस्मै
नारायणायेति समर्पयामि॥


अच्युतं केशवं रामनारायणं,
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरि।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं,
जानकीनायकं रामचंद्रं भजे॥


हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥

हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥


सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची।
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची॥
जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती
जय देव, जय देव


Sukhkarta Dukhharta – Jai Dev Jai Mangal Murti


Ganesh Bhajan



Jag Janani Jai Jai Maa – Meaning in Hindi


जगजननी जय जय माँ, जगजननी जय जय – अर्थसहित


जगजननी जय जय माँ, जगजननी जय जय।
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय॥

  • जगजननी – समस्त संसारकी माता
  • जय जय माँ – सदा सर्वदा आपकी जय हो
  • जगजननी जय जय – समस्त संसारकी माता! सदा आपकी जय हो।
  • भयहारिणी – संसारके समस्त भयको (कष्टोंको) हरनेवाली (दूर करनेवाली),
  • भवतारिणी – संसारका उद्धार करनेवाली एवं
  • भवभामिनि – संसारको सुशोभित करनेवाली सर्वसुंदरी,
  • जय जय – जगत् माता! आपकी जय हो॥

तू ही सत्-चित्-सुखमय, शुद्ध ब्रह्मरूपा।
सत्य सनातन, सुन्दर, पर-शिव सुर-भूपा॥
  • तू ही सत्-चित्-सुखमय – आप सच्चिदानंद हैं,
  • शुद्ध ब्रह्मरूपा – आप ब्रह्मस्वरूपा हैं।
  • सत्य सनातन, सुन्दर – आप सत्य, सनातन, सुंदर,
  • पर-शिव – कल्याणकारिणी और
  • सुर-भूपा – देवरूप हैं॥

आदि अनादि, अनामय, अविचल, अविनाशी।
अमल, अनन्त, अगोचर, अज आनन्दराशी॥
  • आदि – आप आदि (प्रारंभ),
  • अनादि – नित्य,
  • अनामय – निरोग, रोग से रहित, दोष रहित
  • अविचल – स्थिर,
  • अविनाशी – अक्षय (जिसका नाश नहीं होता है)।
  • अमल – पवित्र,
  • अनन्त – शाश्‍वत, जिसका अंत न हो,
  • अगोचर – इंद्रियातीत, इंद्रियोंसे परे,
  • अज आनन्दराशी – अज (सतत) आनंदराशि हैं॥

अविकारी, अघहारी, सकल कलाधारी।
कर्ता विधि भर्ता हरि हर संहारकारी॥
  • अविकारी – आप नित्य विकाररहित (अर्थात विकारों से मुक्त) हैं
  • अघहारी – आप ही समस्त पापोंको दूर करनेवाली अघहारी हैं
  • सकल कलाधारी – आप समस्त कलाओंको धारण करनेवाली एवं कलामुक्त हैं।
  • कर्ता विधि – आप ही इस सृष्टिकी रचना करनेवाली ब्रह्मा हैं,
  • भर्ता – भरण-पोषण करनेवाली विष्णुरूप तथा
  • हरि हर संहारकारी – संहार करनेवाली साक्षात शिवरूप हैं॥

तू विधिवधू, रमा, तू उमा महामाया।
मूल प्रकृति, विद्या तू, तू जननी जाया॥
  • तू विधिवधू – हे जगत-जननी। आप ही ब्राह्मी,
  • रमा – लक्ष्मी,
  • तू उमा महामाया – पार्वती और महामाया हैं।
  • मूल प्रकृति – आप मूल कृति हैं,
  • विद्या तू – आप विद्याको जन्म देने तथा
  • तू जननी जाया – विद्याको विकसित करनेवाली हैं॥

राम, कृष्ण, तू सीता, ब्रजरानी राधा।
तू वाँछा कल्पद्रुम, हारिणि सब बाधा॥
  • राम, कृष्ण, तू – आपकी ही छवि राम, कृष्ण रूपमें विद्यमान हैं।
  • सीता, ब्रजरानी राधा – आपकी ही छवि सीता एवं राधाके रूपमें विद्यमान हैं।
  • तू वाँछा कल्पद्रुम – समस्त कामनाओंको पूर्ण करनेवाली कल्पवृक्ष हैं तथा
  • हारिणि सब बाधा – विभिन्न (सर्व) बाधाओंको नष्ट करनेवाली हैं॥

दश विद्या, नव दुर्गा, नाना शस्त्रकरा।
अष्टमातृका, योगिनि, नव-नव रूप धरा॥
  • दश विद्या, नव दुर्गा – आप ही दसों विद्या युक्त नवदुर्गारूप हैं।
  • नाना शस्त्रकरा – नाना शस्त्र हाथोंमें धरे दुर्गारूप हैं।
  • अष्टमातृका, योगिनि – आप अष्टमातृका रूप और योगिनी रूप तो हैं ही,
  • नव-नव रूप धरा – साथ ही नित्य नए-नए रूपोंको धारण करनेवाली हैं॥

तू परधाम निवासिनि, महा-विलासिनि तू।
तू ही शमशान विहारिणि, ताण्डव लासिनि तू॥
  • तू परधाम निवासिनि – आप ही परम् धाम हैं
  • महा-विलासिनि तू – आप परमशक्तिमयी भी हैं।
  • तू ही शमशान विहारिणि – आप ही श्मशानमें विहार करनेवाली एवं
  • ताण्डव लासिनि तू – ताण्डव मचा देनेवाली हैं॥

सुर-मुनि मोहिनि सौम्या, तू शोभाधारा।
विवसन विकट सरुपा, प्रलयमयी धारा॥
  • सुर-मुनि मोहिनि सौम्या – देवताओं और मुनियोंको मोहनेवाली
  • तू शोभाधारा – हे माता! आप दिव्य कांतिमय दुर्गा हैं।

(हे माता ! आप अपने दिव्य कांतिमय दुर्गा रूपमें जहां एक ओर देवताओं और मुनियोंको मोहनेवाली हैं, वहीं)

  • विवसन विकट सरुपा, प्रलयमयी धारा – अपने विकराल स्वरूपमें साक्षात् प्रलयकारी धारा भी हैं॥

तू ही स्नेहसुधामयी, तू अति गरलमना।
रत्नविभूषित तू ही, तू ही अस्थि तना॥
  • तू ही स्नेहसुधामयी – हे माता! आप अपने भक्तोंके लिए प्रेमकी अमृतमयी धारा एवं सरलचित्त हैं,
  • तू अति गरलमना – तो दुष्टजनोंके लिए विषमय भी हैं।
  • रत्नविभूषित तू ही – आप रत्नोंसे विभूषित,
  • तू ही अस्थि तना – तो दूसरी ओर अस्थियोंका अलंकार भी आपने ही धारण किया है॥

मूलाधार निवासिनि, इहपर सिद्धिप्रदे।
कालातीता काली, कमला तू वर दे॥
  • मूलाधार निवासिनि – आप ही संसारकी मूलाधार हैं।
  • इहपर सिद्धिप्रदे – आप ही इहलोक (संसार) एवं परलोक (स्वर्ग) दोनोंमें ही सिद्धि दायिनी हैं।
  • कालातीता काली – आप ही कालबंधनसे मुक्त काली हैं,
  • कमला – आप ही लक्ष्मी हैं,
  • तू वर दे – हे देवी! आप मुझे वरदान दें॥

शक्ति शक्तिधर तू ही, नित्य अभेदमयी।
भेद प्रदर्शिनि वाणी विमले वेदत्रयी॥
  • शक्ति – आप ही शक्ति (ऊर्जा का स्रोत) एवं
  • शक्तिधर तू ही – आप ही विभिन्न शक्तियोंको धारण करनेवाली
  • नित्य अभेदमयी – शाश्‍वत देवी हैं।
  • भेद प्रदर्शिनि – आप ही अनेक भेदोंको (रहस्योंको) प्रकट करनेवालीं
  • वाणी विमले – विमल वाणी (सरस्वती) हैं।
  • वेदत्रयी – आप ही त्रिवेद (तीनों वेद) हैं॥

हम अति दीन दुखी माँ, विपट जाल घेरे।
हैं कपूत अति कपटी, पर बालक तेरे॥
  • हम अति दीन दुखी माँ – हम सब दीन दुःखी एवं
  • विपट जाल घेरे – विपत्ति ग्रस्त आपके बालक हैं।
  • हैं कपूत अति कपटी – हम भले ही कपूत हों, कपटी हों;
  • पर बालक तेरे – परंतु आपके बालक हैं॥

निज स्वभाववश जननी, दयादृष्टि कीजै।
करुणा कर करुणामयी, चरण शरण दीजै॥
  • निज स्वभाववश जननी – आपका ही अनुपम ताप सर्व व्याप्त है। अपने मातृरूपकी रक्षा कीजिए,
  • दयादृष्टि कीजै – अपनी दयादृष्टि रखिए।
  • करुणा कर करुणामयी – करुणामयी होनेके कारण हम सब बालकोंपर दया कीजिये और
  • चरण शरण दीजै – अपने श्रीचरणोंमें आश्रय दीजिए॥

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Durga Bhajan List

Jag Janani Jai Jai Maa – Meaning in Hindi

Anup Jalota

Jag Janani Jai Jai Maa, Jag Janani Jai Jai – Lyrics in English


Jag Janani Jai Jai Maa, Jag Janani Jai Jai

Jag Janani jai jai Maa,
Jag Janani jai jai.
Bhaya-harini, bhava-tarini,
bhava-bhamini jai jai.


Tu hi sat-chit-sukhamay,
shuddh brahmarupaa.
Satya sanaatan, sundar,
par-shiv sur-bhoopa.

Jag Janani jai jai Maa,
Jag Janani jai jai.
Bhaya-harini, bhava-tarini,
bhava-bhamini jai jai.


Aadi anaadi, anaamay,
avichal, avinaashi.
Amal, anant, agochar,
aj aanandaraashi.

Jag Janani jai jai Maa,
Jag Janani jai jai.
Bhaya-harini, bhava-tarini,
bhava-bhamini jai jai.


Avikaari, aghahaari,
sakal kalaadhaari.
Karta vidhi bharta
hari har sanhaarakaari.

Jag Janani jai jai Maa,
Jag Janani jai jai.
Bhaya-harini, bhava-tarini,
bhava-bhamini jai jai.


Tu vidhi-vadhoo, rama,
tu Uma Mahamaya.
Mool prakriti, vidya tu,
tu janani jaaya.

Jag Janani jai jai Maa,
Jag Janani jai jai.
Bhaya-harini, bhava-tarini,
bhava-bhamini jai jai.


Raam, Krishna, tu Sita,
Brajaraani raadha.
Tu Vanchha-kalpadrum,
haarini sab baadha.

Jag Janani jai jai Maa,
Jag Janani jai jai.
Bhaya-harini, bhava-tarini,
bhava-bhamini jai jai.


Dash vidya, Nav Durga,
naana shastrakara.
Ashtamaatrka, yogini,
nav-nav roop dhara.

Jag Janani jai jai Maa,
Jag Janani jai jai.
Bhaya-harini, bhava-tarini,
bhava-bhamini jai jai.


Tu paradhaam nivaasini,
maha vilaasini tu.
Tu hi shmashaan vihaarini,
taandava laasini too.

Jag Janani jai jai Maa,
Jag Janani jai jai.
Bhaya-harini, bhava-tarini,
bhava-bhamini jai jai.


Sur-muni mohini saumya,
tu shobhaa-dhaara.
Vivasan vikat sarupa,
pralayamayi dhaara.

Jag Janani jai jai Maa,
Jag Janani jai jai.
Bhaya-harini, bhava-tarini,
bhava-bhamini jai jai.


Tu hi sneha-sudhaamayi,
tu ati garalamana.
Ratna-vibhooshit tu hi,
tu hi asthi tana.

Jag Janani jai jai Maa,
Jag Janani jai jai.
Bhaya-harini, bhava-tarini,
bhava-bhamini jai jai.


Moolaadhaar nivaasini,
ih-par siddhiprade.
Kaalatita kaali,
kamala tu varade.

Jag Janani jai jai Maa,
Jag Janani jai jai.
Bhaya-harini, bhava-tarini,
bhava-bhamini jai jai.


Shakti shaktidhar tu hi,
nitya abhedamayi.
Bhed pradarshini wani
vimale Vedatrayi.

Jag Janani jay jay Maa,
Jag Janani jay jay.
Bhaya-harini, bhava-tarini,
bhava-bhamini jay jay.


Ham ati din dukhi maa,
vipat jaal ghere.
Hain kapoot ati kapati,
par baalak tere.

Jag Janani jai jai Maa,
Jag Janani jai jai.
Bhaya-haarini, bhava-taarini,
bhava-bhaamini jai jai.


Nij svabhaava-vash janani,
dayaadrshti kijai.
Karuna kar karunaamayi
charan sharan dijai.

Jag Janani jai jai Maa,
Jag Janani jai jai.
Bhaya-harini, bhava-tarini,
bhava-bhamini jai jai.


Jag Janani Jai Jai Maa, Jag Janani Jai Jai

Anup Jalota


Durga Bhajan



Jag Janani Jai Jai Maa, Jag Janani Jai Jai – Lyrics in Hindi


जगजननी जय जय माँ, जगजननी जय जय

जगजननी जय जय माँ, जगजननी जय जय।
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय॥

जगजननी जय जय माँ, जगजननी जय जय।
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय॥

तू ही सत्-चित्-सुखमय, शुद्ध ब्रह्मरूपा।
सत्य सनातन, सुन्दर, पर-शिव सुर-भूपा॥

जगजननी जय जय माँ, जगजननी जय जय।
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय॥


आदि अनादि, अनामय, अविचल, अविनाशी।
अमल, अनन्त, अगोचर, अज आनन्दराशी॥

जगजननी जय जय माँ, जगजननी जय जय।
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय॥


अविकारी, अघहारी, सकल कलाधारी।
कर्ता विधि भर्ता हरि हर संहारकारी॥

जगजननी जय जय माँ, जगजननी जय जय।
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय॥


तू विधिवधू, रमा, तू उमा महामाया।
मूल प्रकृति, विद्या तू, तू जननी जाया॥

जगजननी जय जय माँ, जगजननी जय जय।
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय॥


राम, कृष्ण, तू सीता, ब्रजरानी राधा।
तू वाँछा कल्पद्रुम, हारिणि सब बाधा॥

जगजननी जय जय माँ, जगजननी जय जय।
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय॥


दश विद्या, नव दुर्गा, नाना शस्त्रकरा।
अष्टमातृका, योगिनि, नव-नव रूप धरा॥

जगजननी जय जय माँ, जगजननी जय जय।
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय॥


तू परधाम निवासिनि, महा-विलासिनि तू।
तू ही शमशान विहारिणि, ताण्डव लासिनि तू॥

जगजननी जय जय माँ, जगजननी जय जय।
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय॥


सुर-मुनि मोहिनि सौम्या, तू शोभाधारा।
विवसन विकट सरुपा, प्रलयमयी धारा॥

जगजननी जय जय माँ, जगजननी जय जय।
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय॥


तू ही स्नेहसुधामयी, तू अति गरलमना।
रत्नविभूषित तू ही, तू ही अस्थि तना॥

जगजननी जय जय माँ, जगजननी जय जय।
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय॥


मूलाधार निवासिनि, इहपर सिद्धिप्रदे।
कालातीता काली, कमला तू वर दे॥

जगजननी जय जय माँ, जगजननी जय जय।
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय॥


शक्ति शक्तिधर तू ही, नित्य अभेदमयी।
भेद प्रदर्शिनि वाणी विमले वेदत्रयी॥

जगजननी जय जय माँ, जगजननी जय जय।
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय॥


हम अति दीन दुखी माँ, विपट जाल घेरे।
हैं कपूत अति कपटी, पर बालक तेरे॥

जगजननी जय जय माँ, जगजननी जय जय।
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय॥


निज स्वभाववश जननी, दयादृष्टि कीजै।
करुणा कर करुणामयी, चरण शरण दीजै॥

जगजननी जय जय माँ, जगजननी जय जय।
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय॥


जगजननी जय जय माँ, जगजननी जय जय।
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय॥


Jag Janani Jai Jai Maa, Jag Janani Jai Jai

Anup Jalota


Durga Bhajan



Sunderkand – 01


Sunderkand in Ramayan

सुंदरकाण्ड रामायण और रामचरितमानस का एक सोपान (भाग) है। हनुमानजी की शक्ति और सफलता के लिए सुंदरकाण्ड को याद किया जाता है।

इस सोपान के मुख्य घटनाक्रम है – हनुमानजी का लंका की ओर प्रस्थान, विभीषण से भेंट, सीताजी से भेंट करके उन्हें श्री राम की मुद्रिका देना, अक्षय कुमार का वध, लंका दहन और लंका से वापसी।

महाकाव्य रामायण में सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है। संपूर्ण रामायण कथा श्रीराम के गुणों और उनके पुरुषार्थ को दर्शाती है। किन्तु सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है, जो सिर्फ हनुमानजी की शक्ति और विजय का कांड है।

Hanuman Kripa

हनुमानजी का सीता शोध के लिए लंका प्रस्थान

चौपाई (Chaupai – Sunderkand)

जामवंत के बचन सुहाए।
सुनि हनुमंत हृदय अति भाए॥
तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई।
सहि दुख कंद मूल फल खाई॥

जाम्बवान के सुहावने वचन सुनकर हनुमानजी को अपने मन में वे वचन बहुत अच्छे लगे॥
और हनुमानजी ने कहा की हे भाइयो! आप लोग कन्द, मूल व फल खा, दुःख सह कर मेरी राह देखना॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम
जब लगि आवौं सीतहि देखी।
होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी॥
यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा।
चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा॥

जबतक मै सीताजीको देखकर लौट न आऊँ, क्योंकि कार्य सिद्ध होने पर मन को बड़ा हर्ष होगा॥

ऐसे कह, सबको नमस्कार करके, रामचन्द्रजी का ह्रदय में ध्यान धरकर, प्रसन्न होकर हनुमानजी लंका जाने के लिए चले॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम
सिंधु तीर एक भूधर सुंदर।
कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर॥
बार-बार रघुबीर सँभारी।
तरकेउ पवनतनय बल भारी॥

समुद्र के तीर पर एक सुन्दर पहाड़ था। उसपर कूदकर हनुमानजी कौतुकी से चढ़ गए॥
फिर वारंवार रामचन्द्रजी का स्मरण करके, बड़े पराक्रम के साथ हनुमानजी ने गर्जना की॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम
जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता।
चलेउ सो गा पाताल तुरंता॥
जिमि अमोघ रघुपति कर बाना।
एही भाँति चलेउ हनुमाना॥

जिस पहाड़ पर हनुमानजी ने पाँव रखे थे, वह पहाड़ तुरंत पाताल के अन्दर चला गया॥
और जैसे श्रीरामचंद्रजी का अमोघ बाण जाता है, ऐसे हनुमानजी वहा से चले॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम
जलनिधि रघुपति दूत बिचारी।
तैं मैनाक होहि श्रम हारी॥

समुद्र ने हनुमानजी को श्रीराम (रघुनाथ) का दूत जानकर मैनाक नाम पर्वत से कहा की हे मैनाक, तू जा, और इनको ठहरा कर श्रम मिटानेवाला हो॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम

मैनाक पर्वत की हनुमानजी से विनती

सोरठा – Sunderkand

सिन्धुवचन सुनी कान, तुरत उठेउ मैनाक तब।
कपिकहँ कीन्ह प्रणाम, बार बार कर जोरिकै॥

समुद्रके वचन कानो में पड़तेही मैनाक पर्वत वहांसे तुरंत उठा और हनुमानजीके पास आकर वारंवार हाथ जोड़कर उसने हनुमानजीको प्रणाम किया॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम

दोहा (Doha – Sunderkand)

हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम।
राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम ॥1॥

हनुमानजी ने उसको अपने हाथसे छूकर फिर उसको प्रणाम किया, और कहा की, रामचन्द्रजीका का कार्य किये बिना मुझको विश्राम कहा है? ॥1॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम

हनुमानजीकी सुरसा से भेंट

चौपाई (Chaupai – Sunderkand)

जात पवनसुत देवन्ह देखा।
जानैं कहुँ बल बुद्धि बिसेषा॥
सुरसा नाम अहिन्ह कै माता।
पठइन्हि आइ कही तेहिं बाता॥

हनुमानजी को जाते देखकर उसके बल और बुद्धि के वैभव को जानने के लिए देवताओं ने नाग माता सुरसा को भेजा।
उस नागमाताने आकर हनुमानजी से यह बात कही॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम
आजु सुरन्ह मोहि दीन्ह अहारा।
सुनत बचन कह पवनकुमारा॥
राम काजु करि फिरि मैं आवौं।
सीता कइ सुधि प्रभुहि सुनावौं॥

आज तो मुझको देवताओं ने यह अच्छा आहार दिया। यह बात सुन हँस कर, हनुमानजी बोले॥
– मैं रामचन्द्रजी का काम करके लौट आऊ और सीताजी की खबर रामचन्द्रजी को सुना दूं॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम
तब तव बदन पैठिहउँ आई।
सत्य कहउँ मोहि जान दे माई॥
कवनेहुँ जतन देइ नहिं जाना।
ग्रससि न मोहि कहेउ हनुमाना॥

फिर हे माता! मै आकर आपके मुँह में प्रवेश करूंगा। अभी तू मुझे जाने दे। इसमें कुछभी फर्क नहीं पड़ेगा। मै तुझे सत्य कहता हूँ॥
जब उसने किसी उपायसे उनको जाने नहीं दिया, तब हनुमानजी ने कहा कि तू क्यों देरी करती है? तू मुझको नही खा सकती॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम
जोजन भरि तेहिं बदनु पसारा।
कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा॥
सोरह जोजन मुख तेहिं ठयऊ।
तुरत पवनसुत बत्तिस भयऊ॥

सुरसाने अपना मुंह एक योजनभरमें फैलाया। हनुमानजी ने अपना शरीर दो योजन विस्तारवाला किया॥
सुरसा ने अपना मुँह सोलह (१६) योजनमें फैलाया। हनुमानजीने अपना शरीर तुरंत बत्तीस (३२) योजन बड़ा किया॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम
जस जस सुरसा बदनु बढ़ावा।
तासु दून कपि रूप देखावा॥
सत जोजन तेहिं आनन कीन्हा।
अति लघु रूप पवनसुत लीन्हा॥

सुरसा ने जैसा जैसा मुंह फैलाया, हनुमानजीने वैसेही अपना स्वरुप उससे दुगना दिखाया॥
जब सुरसा ने अपना मुंह सौ योजन (चार सौ कोस का) में फैलाया, तब हनुमानजी तुरंत बहुत छोटा स्वरुप धारण कर॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम
बदन पइठि पुनि बाहेर आवा।
मागा बिदा ताहि सिरु नावा॥
मोहि सुरन्ह जेहि लागि पठावा।
बुधि बल मरमु तोर मैं पावा॥

उसके मुंहमें पैठ कर (घुसकर) झट बाहर चले आए। फिर सुरसा से विदा मांग कर हनुमानजी ने प्रणाम किया॥
उस वक़्त सुरसा ने हनुमानजी से कहा की हे हनुमान! देवताओंने मुझको जिसके लिए भेजा था, वह तेरा बल और बुद्धि का भेद मैंने अच्छी तरह पा लिया है॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम

दोहा (Doha – Sunderkand)

राम काजु सबु करिहहु तुम्ह बल बुद्धि निधान।
आसिष देइ गई सो हरषि चलेउ हनुमान ॥2॥

तुम बल और बुद्धि के भण्डार हो, सो श्रीरामचंद्रजी के सब कार्य सिद्ध करोगे। ऐसे आशीर्वाद देकर सुरसा तो अपने घर को चली, और हनुमानजी प्रसन्न होकर लंकाकी ओर चले ॥2॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम

हनुमानजी की छाया पकड़ने वाले राक्षस से भेंट

चौपाई (Chaupai – Sunderkand)

निसिचरि एक सिंधु महुँ रहई।
करि माया नभु के खग गहई॥
जीव जंतु जे गगन उड़ाहीं।
जल बिलोकि तिन्ह कै परिछाहीं॥

समुद्र के अन्दर एक राक्षस रहता था। सो वह माया करके आकाशचारी पक्षी और जंतुओको पकड़ लिया करता था॥
जो जीवजन्तु आकाश में उड़कर जाता, उसकी परछाई जल में देखकर, परछाई को जल में पकड़ लेता॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम
गहइ छाहँ सक सो न उड़ाई।
एहि बिधि सदा गगनचर खाई॥
सोइ छल हनूमान कहँ कीन्हा।
तासु कपटु कपि तुरतहिं चीन्हा॥

परछाई को जल में पकड़ लेता, जिससे वह जिव जंतु फिर वहा से सरक नहीं सकता। इसतरह वह हमेशा आकाशचारी जिवजन्तुओ को खाया करता था॥
उसने वही कपट हनुमानसे किया। हनुमान ने उसका वह छल तुरंत पहचान लिया॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम
ताहि मारि मारुतसुत बीरा।
बारिधि पार गयउ मतिधीरा॥
तहाँ जाइ देखी बन सोभा।
गुंजत चंचरीक मधु लोभा॥

धीर बुद्धिवाले पवनपुत्र वीर हनुमानजी उसे मारकर समुद्र के पार उतर गए॥
वहा जाकर हनुमानजी वन की शोभा देखते है कि भ्रमर मकरंद के लोभसे गुँजाहट कर रहे है॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम

हनुमानजी लंका पहुंचे

नाना तरु फल फूल सुहाए।
खग मृग बृंद देखि मन भाए॥
सैल बिसाल देखि एक आगें।
ता पर धाइ चढ़ेउ भय त्यागें॥

अनेक प्रकार के वृक्ष फल और फूलोसे शोभायमान हो रहे है। पक्षी और हिरणोंका झुंड देखकर मन मोहित हुआ जाता है॥
वहा सामने हनुमान एक बड़ा विशाल पर्वत देखकर निर्भय होकर उस पहाड़पर कूदकर चढ़ बैठे॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम
उमा न कछु कपि कै अधिकाई।
प्रभु प्रताप जो कालहि खाई॥
गिरि पर चढ़ि लंका तेहिं देखी।
कहि न जाइ अति दुर्ग बिसेषी॥

महदेव जी कहते है कि हे पार्वती! इसमें हनुमान की कुछ भी अधिकता नहीं है। यह तो केवल एक रामचन्द्रजीके ही प्रताप का प्रभाव है कि जो कालकोभी खा जाता है॥
पर्वत पर चढ़कर हनुमानजी ने लंका को देखा, तो वह ऐसी बड़ी दुर्गम है की जिसके विषय में कुछ कहा नहीं जा सकता॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम
अति उतंग जलनिधि चहु पासा।
कनक कोट कर परम प्रकासा॥

पहले तो वह पुरी बहुत ऊँची, फिर उसके चारो ओर समुद्र की खाई।
उसपर भी सुवर्णके कोटका महाप्रकाश कि जिससे नेत्र चकाचौंध हो जावे॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम

लंका का वर्णन

छंद – Sunderkand Lyrics

कनक कोटि बिचित्र मनि कृत सुंदरायतना घना।
चउहट्ट हट्ट सुबट्ट बीथीं चारु पुर बहु बिधि बना॥
गज बाजि खच्चर निकर पदचर रथ बरूथन्हि को गनै।
बहुरूप निसिचर जूथ अतिबल सेन बरनत नहिं बनै॥

उस नगरीका रत्नों से जड़ा हुआ सुवर्ण का कोट अतिव सुन्दर बना हुआ है। चौहटे, दुकाने व सुन्दर गलियों के बहार उस सुन्दर नगरी के अन्दर बनी है॥
जहा हाथी, घोड़े, खच्चर, पैदल व रथोकी गिनती कोई नहीं कर सकता। और जहा महाबली अद्भुत रूपवाले राक्षसोके सेनाके झुंड इतने है की जिसका वर्णन किया नहीं जा सकता॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम
बन बाग उपबन बाटिका सर कूप बापीं सोहहीं।
नर नाग सुर गंधर्ब कन्या रूप मुनि मन मोहहीं॥
कहुँ माल देह बिसाल सैल समान अतिबल गर्जहीं।
नाना अखारेन्ह भिरहिं बहुबिधि एक एकन्ह तर्जहीं॥

जहा वन, बाग़, बागीचे, बावडिया, तालाब, कुएँ, बावलिया शोभायमान हो रही है। जहां मनुष्यकन्या, नागकन्या, देवकन्या और गन्धर्वकन्याये विराजमान हो रही है – जिनका रूप देखकर मुनिलोगोका मन मोहित हुआ जाता है॥
कही पर्वत के समान बड़े विशाल देहवाले महाबलिष्ट मल्ल गर्जना करते है और अनेक अखाड़ों में अनेक प्रकारसे भिड रहे है और एक एकको आपस में पटक पटक कर गर्जना कर रहे है॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम
करि जतन भट कोटिन्ह बिकट तन नगर चहुँ दिसि रच्छहीं।
कहुँ महिष मानुष धेनु खर अज खल निसाचर भच्छहीं॥
एहि लागि तुलसीदास इन्ह की कथा कछु एक है कही।
रघुबीर सर तीरथ सरीरन्हि त्यागि गति पैहहिं सही॥

जहा कही विकट शरीर वाले करोडो भट चारो तरफसे नगरकी रक्षा करते है और कही वे राक्षस लोग भैंसे, मनुष्य, गौ, गधे, बकरे और पक्षीयोंको खा रहे है॥
राक्षस लोगो का आचरण बहुत बुरा है। इसीलिए तुलसीदासजी कहते है कि मैंने इनकी कथा बहुत संक्षेपसे कही है। ये महादुष्ट है, परन्तु रामचन्द्रजीके बानरूप पवित्र तीर्थनदीके अन्दर अपना शरीर त्यागकर गति अर्थात मोक्षको प्राप्त होंगे॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम

दोहा (Doha – Sunderkand)

पुर रखवारे देखि बहु कपि मन कीन्ह बिचार।
अति लघु रूप धरों निसि नगर करौं पइसार ॥3॥

हनुमानजी ने बहुत से रखवालो को देखकर मन में विचार किया की मै छोटा रूप धारण करके नगर में प्रवेश करूँ ॥3॥


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Daya Kar Daan Bhakti Ka – Lyrics in Hindi


दया कर दान भक्ति का, हमें परमात्मा देना

दया कर दान भक्ति का, हमें परमात्मा देना।
दया करना, हमारी आत्मा को शुद्धता देना॥


हमारे ध्यान में आओ, प्रभु आँखों में बस जाओ।
अंधेरे दिल में आकर के परम ज्योति जगा देना॥
दया कर, दान भक्ति का….


बहा दो प्रेम की गंगा, दिलो में प्रेम का सागर।
हमें आपस में मिलजुल कर, प्रभु रहना सिखा देना॥
दया कर, दान भक्ति का….


हमारा धर्मं हो सेवा, हमारा कर्म हो सेवा
सदा ईमान हो सेवा, हो सेवकचर बना देना।
(Or सफल जीवन बना देना)
दया कर, दान भक्ति का….


वतन के वास्ते जीना, वतन के वास्ते मरना।
वतन पर जा फ़िदा करना, प्रभु हमको सिखा देना॥
दया कर, दान भक्ति का….


दया करना, हमारी आत्मा को शुद्धता देना
दया कर, दान भक्ति का, हमें परमात्मा देना
दया कर, दान भक्ति का, हमें परमात्मा देना


Daya Kar Daan Bhakti Ka


Prayer Songs



दया कर दान भक्ति का प्रार्थना गीत हमें क्या सिखाता है?

दया, दान और भक्ति

दया कर दान भक्ति का” हिंदी में एक लोकप्रिय प्रार्थना और भक्ति भजन है, जो करुणा, उदारता और भक्ति के गुणों का महत्व हमें बताती है।

यह भजन व्यक्तियों को दया, दान और परमात्मा के प्रति निस्वार्थ भक्ति के कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

भजन किसने लिखा और उसके संगीतकार की उत्पत्ति भिन्न हो सकती है, क्योंकि भक्ति गीत अक्सर पीढ़ियों से चले आते हैं और इसके कई संस्करण होते हैं।

हालाँकि, यह भजन व्यापक रूप से धार्मिक समारोहों, मंदिरों और आध्यात्मिक आयोजनों में गाया जाता है।

हमें जीवन कैसे जीना चाहिए?

“दया कर, दान भक्ति का” के बोल एक सदाचारी जीवन जीने और निस्वार्थ कर्म करने के महत्व पर जोर देते हैं।

यह व्यक्तियों से आग्रह करता है कि वे दूसरों के प्रति करुणा पैदा करें, दान और सेवा के कार्यों में संलग्न हों, और परमात्मा को सच्ची और निस्वार्थ भक्ति से याद करें।

भजन श्रोताओं को आध्यात्मिक विकास और ज्ञान प्राप्त करने के साधन के रूप में दया, उदारता और भक्ति जैसे गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है।

दया कर दान भक्ति का प्रार्थना एक पावरफुल प्रेयर क्यों है?

यह निःस्वार्थ कार्यों के महत्व और परमात्मा के साथ गहरे संबंध के महत्व की याद दिलाता है।

“दया कर, दान भक्ति का” भजन, अपने प्रेरक संदेश और अर्थपूर्ण शब्दों के कारण भक्तों में प्रिय है, और इसे भक्ति व्यक्त करने और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के साधन के रूप में गाया और पसंद किया जाता है।


किसे तू अपना समझता है, कौन तेरा है।
जगत सराय है, दो दिन का यहाँ डेरा है॥

ज्यों बनके पंछी बसेरा हैं रात्रि भर करते।
त्यों जग भी तेरे लिए रैन का बसेरा है॥

यह जिन्दगी कि शमा जलती रहेगी कब तक।
लगेगा काल का झोंका बस फिर अंधेरा है॥

मोहकी मदिरा को पी आज हो रहे गाफिल।
सभी को काल ने इक रोज आन घेरा है॥

न साथ लाया तू कुछ, साथ न कुछ जाने का ।
यहीं रहेगा पढ़ा ठाठ जो दिखे यह सुनहरा है॥

इसलिये मान ले अब तु, ईश्वर में मन लगा ले।
सिवा भगवान की भक्ति के सब बखेड़ा है॥


Prayer Songs



Daya Kar Daan Bhakti Ka – Lyrics in English


Daya Kar, Daan Bhakti Ka, Hame Parmatma Dena Lyrics

Daya kar, daan bhakti ka,
hame Parmatma dena
Daya karna, hamaari atmaa
ko shuddhata dena


Hamaare dhyan mein aao,
prabhu aankho mein bas jao
Andhere dil mein aakar ke,
param jyoti jaga dena
Daya kar, daan bhakti ka….


Baha do prem ki Ganga,
dilo mein prem ka saagar
Hame aapas mein miljul kar,
prabhu rahnaa sikha dena
Daya kar, daan bhakti ka….


Hamaara dharm ho seva,
hamaara karm ho seva
Sada imaan ho seva,
ho sevakchar bana dena
(Or saphal jeevan bana dena)
Daya kar, daan bhakti ka….


Watan ke vaaste jeena,
watan ke vaaste marna
Watan par ja fida karna,
prabhu hum ko sikha dena
Daya kar, daan bhakti ka….


Daya karnaa, hamaari aatma
ko shuddhata dena
Daya kar, daan bhakti ka,
hame Parmatma dena
Daya kar, daan bhakti ka, hame Parmatma dena


Daya Kar Daan Bhakti Ka


Prayer Songs



What Does Daya Kar Daan Bhakti Ka Prayer Song Teach Us?

Compassion, Generosity and Devotion

Daya Kar, Daan Bhakti Ka” is a popular prayer or devotional bhajan in Hindi that explains the virtues of compassion, generosity, and devotion.

The bhajan encourages individuals to practice acts of kindness, charity, and selfless devotion to the divine.

The origins of the bhajan and the specific composer may vary, as devotional songs are often passed down through generations and have multiple versions.

However, the bhajan is widely sung in religious gatherings, temples, and spiritual events.

How Should We Live a Life?

The lyrics of “Daya Kar, Daan Bhakti Ka” emphasize the importance of leading a virtuous life and performing selfless deeds.

It urges individuals to cultivate compassion towards others, to engage in acts of charity and service, and to offer sincere devotion to the divine.

Why Daya Kar Daan Bhakti Ka Prayer is a Powerful Prayer?

The bhajan inspires listeners to embrace qualities such as kindness, generosity, and devotion as a means to attain spiritual growth and enlightenment.

It serves as a reminder of the significance of selfless actions and the importance of nurturing a deep connection with the divine.

“Daya Kar, Daan Bhakti Ka” is beloved by devotees for its uplifting and inspiring message, and it continues to be sung and cherished as a means of expressing devotion and seeking divine blessings.


Kise too apana samajhata hai, kaun tera hai.
Jagat saraay hai, do din ka yahaa dera hai.

Jyon banake panchhi basera hain raatri bhar karate.
Tyon jag bhee tere liye rain ka basera hai.

Yah jindagee ki shama jalatee rahegi kab tak.
Lagega kaal ka jhonka bas phir andhera hai.

Moh ki madira ko pee aaj ho rahe gaaphil.
Sabhi ko kaal ne ik roj aan ghera hai.

Na saath laaya too kuchh, saath na kuchh jaane ka .
Yaheen rahega padha thaath jo dikhe yah sunahara hai.

Isaliye maan le ab tu, ishwar mein man laga le.
Seeva bhagavaan ki bhakti ke sab bakheda hai.


Prayer Songs



Are Dwarpalo Kanhaiya Se Keh Do – Lyrics in Hindi


अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो

(देखो देखो ये गरीबी, ये गरीबी का हाल
कृष्ण के दर पे विश्वास लेके आया हूँ
मेरे बचपन का यार है मेरा श्याम
यही सोच कर मै आस करके आया हूँ)


अरे द्वारपालों, कन्हैया से कह दो,
के दर पे सुदामा गरीब आ गया है

भटकते भटकते न जाने कहां से
तुम्हारे महल के करीब आ गया है

अरे द्वारपालों, कन्हैया से कह दो
के दर पे सुदामा गरीब आ गया है


न सर पे है पगड़ी, न तन पे है जामा
बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा

एक बार मोहन से जा कर के कह दो
के मिलने सखा बद-नसीब आ गया है

अरे द्वारपालों, कन्हैया से कह दो
के दर पे सुदामा गरीब आ गया है


सुनते ही दौड़े चले आये मोहन
लगाया गले से सुदामा को मोहन

हुआ रुकमणी को बहुत ही अचंभा
यह मेहमान कैसा अजीब आ गया है

अरे द्वारपालों, कन्हैया से कह दो
के दर पे सुदामा गरीब आ गया है


बराबर में अपने सुदामा बिठाए,
चरण आंसुओं से श्याम ने धुलाए

ना घबराओ प्यारे जरा तुम सुदामा,
ख़ुशी का समां तेरे करीब आ गया है

अरे द्वारपालों, कन्हैया से कह दो
के दर पे सुदामा गरीब आ गया है

अरे द्वारपालों, कन्हैया से कह दो
के दर पे सुदामा गरीब आ गया है


Are Dwarpalo Kanhaiya Se Keh Do

Lakha


Krishna Bhajan



Are Dwarpalo Kanhaiya Se Keh Do – Lyrics in English


Are Dwarpalo Kanhaiya Se Keh Do

(Dekho dekho ye garibi, ye garibi ka haal
Krishna ke dar pe visvaas leke aaya hoon
Mere bachapan ka yaar hai mera Shyam
Yahi soch kar mai aas karake aaya hoon)


Are dwarpalo, Kanhaiya se keh do,
Ke dar pe Sudama garib aa gaya hai

Bhatakate bhatakate na jaane kaha se
tumhaare mahal ke karib aa gaya hai

Are dwarpalo, Kanhaiya se keh do
ke dar pe Sudama garib aa gaya hai


Na sar pe hai pagadi, na tan pe hai jaama
Bata do kanhaiya ko naam hai Sudama

Tum ek baar Mohan se ja kar ke kahe do
Ke milane sakha bad-nasib aa gaya hai

Are dwarpalo, Kanhaiya se keh do
Ke dar pe Sudama garib aa gaya hai


Sunate hi daude chale aaye Mohan
Lagaaya gale se Sudama ko Mohan

Hua Rukmani ko bahut hi achambha
Yah mehamaan kaisa ajib aa gaya hai


Baraabar mein apne Sudama bithaye,
Charan aansuon se Shyam ne dhulaye

Na ghabarao pyaare jara tum Sudama,
Khushi ka samaa tere karib aa gaya hai

Are dwarpalo, Kanhaiya se keh do
Ke dar pe Sudama garib aa gaya hai


Are Dwarpalo Kanhaiya Se Keh Do

Lakha


Krishna Bhajan