Ganpati Ki Seva Mangal Meva – Lyrics in English


Ganpati Ki Seva Mangal Meva – Shri Ganesh Aarti

Ganpati ki seva mangal meva,
seva se sab vighna tare.

Tin lok taitis devta,
dwar khade sab arj kare.
(Tin lok ke sakal devta,
dwar khade nit arj kare.)

Riddhi-Siddhi dakshin vaam viraaje,
aru aanand so chavar kare.
Dhoop deep aur liye aarti,
bhakt khade jaykaar kare.

Gud ke modak bhog lagat hai,
mushak vaahan chadha kare.
Saumya-roop seva Ganpati ki,
vighna bhaag-ja door pare.

Bhaado maas aur shukla chaturthi,
din dopaara poor pare.
Liyo janm Ganpati prabhuji ne,
Durga man anand bhare.

Adbhut baaja baja Indra ka,
dev vadhu jahan gaan kare.
Shri Shankar ke anand upajyo,
naam sunya sab vighna tare.

Aan vidhaata baithe aasan,
Indra apsara nritya kare.
Dekhat ved Brahmaaji jaako,
vighna vinaashak naam dhare.

Ekadant Gajvadan Vinaayak,
trinayan roop anoop dhare.
Pagathambha sa udar pusht hai,
dekh Chandrama haasya kare.

De shraap shri Chandradev ko,
kalaahin tatkaal karen.
Chaudah lok me phire Ganpati,
tin bhuvan mein raajya kare.

Ganpati ki pooja pahle karani,
kaam sabhi nirvighn sarai.
Shri prataap Ganpati ji ko,
haath jod stuti kare.

Ganpati ki seva mangal meva,
seva se sab vighna tare.

Tin lok taitis devta,
dwar khade sab arj kare.
(Tin lok ke sakal devta,
dwar khade nit arj kare.)

Bolo Gajanan Maharaj ki Jai

Shlok:
Vakratund Mahaakaay,
Suryakoti Samaprabhah.

Nirvaghnam kuru me dev,
sarva kaaryeshu sarvadaa.

Ganpati ki seva mangal meva,
seva se sab vighna tare.
Tin lok taitis devta,
dwar khade sab arj kare.


Ganpati Ki Seva Mangal Meva – Shri Ganesh Aarti

Suresh Wadkar


Ganesh Bhajan



Ganpati Ki Seva Mangal Meva – Lyrics in Hindi with Meanin


श्री गणेश आरती – गणपति की सेवा मंगल मेवा

गणपति की सेवा मंगल मेवा लिरिक्स के इस पेज में पहले आरती के हिंदी लिरिक्स दिए गए है।

बाद में इस आरती का आध्यात्मिक महत्व दिया गया है और इसकी पंक्तियों से हमें कौन कौन सी बातें सीखने को मिलती है यह बताया गया है।

इस आरती से हमें गणेशजी के महत्व, रूप, और उनके धार्मिक अर्थ के साथ साथ उनकी भक्ति भक्तों के लिए कैसे महत्वपूर्ण हैं, यह समझने को मिलता है।


Ganpati Ki Seva Mangal Meva Lyrics

गणपति की सेवा मंगल मेवा, सेवा से सब विध्न टरें।
तीन लोक तैतिस देवता, द्वार खड़े सब अर्ज करे॥
(Or –
तीन लोक के सकल देवता, द्वार खड़े नित अर्ज करें॥)


ऋद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विराजे, अरु आनन्द सों चँवर करें।
धूप दीप और लिए आरती, भक्त खड़े जयकार करें॥


गुड़ के मोदक भोग लगत है, मुषक वाहन चढ़ा करें।
सौम्यरुप सेवा गणपति की, विध्न भागजा दूर परें॥


भादों मास और शुक्ल चतुर्थी, दिन दोपारा पूर परें ।
लियो जन्म गणपति प्रभुजी ने, दुर्गा मन आनन्द भरें॥


अद्भुत बाजा बजा इन्द्र का, देव वधू जहँ गान करें।
श्री शंकर के आनन्द उपज्यो, नाम सुन्या सब विघ्न टरें॥


आन विधाता बैठे आसन, इन्द्र अप्सरा नृत्य करें।
देख वेद ब्रह्माजी जाको, विघ्न विनाशक नाम धरें॥


एकदन्त गजवदन विनायक, त्रिनयन रूप अनूप धरें।
पगथंभा सा उदर पुष्ट है, देख चन्द्रमा हास्य करें॥


दे श्राप श्री चंद्रदेव को, कलाहीन तत्काल करें।
चौदह लोक मे फिरे गणपति, तीन भुवन में राज्य करें॥


गणपति की पूजा पहले करनी, काम सभी निर्विघ्न सरें।
श्री प्रताप गणपतीजी को, हाथ जोड स्तुति करें॥


गणपति की सेवा मंगल मेवा, सेवा से सब विध्न टरें।
तीन लोक तैतिस देवता, द्वार खड़े सब अर्ज करे॥
(तीन लोक के सकल देवता, द्वार खड़े नित अर्ज करें॥)


Shlok:
व्रकतुंड महाकाय, सूर्यकोटी समप्रभः।
निर्वघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा॥

ॐ गं गणपतये नमो नमः, श्री सिद्धिविनायक नमो नमः।
अष्टविनायक नमो नमः, गणपति बाप्पा मोरया॥


Ganpati Ki Seva Mangal Meva – Shri Ganesh Aarti

Suresh Wadkar


Ganesh Bhajan



गणपति की सेवा मंगल मेवा आरती का आध्यात्मिक महत्व

भगवान् गणेशजी की आरती, गणपति की सेवा मंगल मेवा में गणपतिजी की महिमा और उनकी सर्वव्यापकता के बारे में बताया गया है और साथ ही साथ इस आरती से हमें उनकी सेवा का महत्व भी पता चलता है।

यह आरती हमें बताती है की हमें हमेशा किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। क्योंकि इससे हमें सभी तरह के विघ्नों से मुक्ति मिलेगी और हम सुखमय जीवन जी पाएंगे।

हमें इस आरती से जो आध्यात्मिक बातें सीखने को मिलती है, उनमे से कुछ प्रमुख –


भक्ति और सेवा का महत्त्व

गणपति की सेवा मंगल मेवा, सेवा से सब विध्न टरें।

भजन में कहा गया है कि गणपतिजी की सेवा मंगलकारी है।

उनकी सेवा करने से सभी तरह के विघ्न दूर हो जाते हैं और हमारे जीवन में मंगल (शुभ) घटनाएँ होती हैं, इसलिए गणेशजी को विघ्नहर्ता और सुखकर्ता भी कहा जाता है।

यह हमें सिखाता है कि भक्ति और सेवा जीवन में बहुत महत्त्व रखती है। भक्ति से हमें भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और सेवा से हमारे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।


ईश्वर की सर्वव्यापकता

तीन लोक तैतिस देवता, द्वार खड़े सब अर्ज करे॥

गणेश जी की सेवा सभी देवताओं को प्रिय है। तीन लोक के तैंतीस करोड़ देवता गणपति के द्वार पर खड़े होकर उनकी अर्चना करते हैं, उनकी सेवा में खड़े होकर प्रार्थना करते हैं।

यह हमें ईश्वर की सर्वव्यापकता का संदेश देता है। ईश्वर हर जगह विद्यमान हैं।


भगवान की कृपा

ऋद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विराजे, अरु आनन्द सों चँवर करें।

गणपतिजी के दाएं और बाएं ओर ऋद्धि (समृद्धि) और सिद्धि (साधना) विराजमान हैं, मूर्तियाँ सुशोभित हैं, और वे उनके ऊपर आनंद से चँवर अर्थात पंखा (चंवर का अर्थ निचे दिया गया है) लहरा रही हैं।

इसका तात्पर्य यह है कि गणेश जी की सेवा से ऋद्धि-सिद्धि का भी आशीर्वाद मिलता है।

गणपति सभी प्रकार की धन-धान्य और सफलता के स्रोत हैं, और जब हम भगवान की भक्ति और सेवा करते हैं, तो उनकी कृपा से हमें सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

चँवर यानी की लंबे बालों का बना पंखा, जो राजाओं आदि के ऊपर मक्खियाँ आदि उड़ाने के लिए डुलाया जाता है – चँवर डुलाना।


भक्ति का सरल तरीका

धूप दीप और लिए आरती, भक्त खड़े जयकार करें॥
गुड़ के मोदक भोग लगत है, मुषक वाहन चढ़ा करें।

भजन में कहा गया है कि भक्त धूप, दीप और आरती लेकर गणपति की जयकार करते हैं। भक्तों को अपने इष्टदेव की सेवा में बहुत उत्साह होता है।

गुड़ के मोदक गणेश जी को बहुत प्रिय हैं, इसलिए गणेश भगवान को गुड़ के मोदक के भोग से प्रसन्न किया जा सकता है और मुषक गणेश जी का वाहन है।

यह हमें भक्ति के सरल तरीके का संदेश देता है। भक्ति करने के लिए हमें किसी विशेष साधन की आवश्यकता नहीं है। हम सरल तरीके से भी भगवान की भक्ति कर सकते हैं।


सौम्य रूप की महत्ता

सौम्यरुप सेवा गणपति की, विध्न भागजा दूर परें॥

भजन में कहा गया है कि गणपतिजी का सौम्य रूप है। यह हमें सौम्य रूप की महत्ता का संदेश देता है।

इन पंक्तियों से हमें यह भी सीखने को मिलता है कि जीवन में विघ्नों का सामना करना पड़ता है, लेकिन भक्ति और सेवा से हम इन विघ्नों को दूर कर सकते हैं।


क्यों किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले गणेशजी की पूजा करनी चाहिए?

गणपति की पूजा पहले करनी, काम सभी निर्विघ्न सरें।
श्री प्रताप गणपतीजी को, हाथ जोड स्तुति करें॥

श्री गणेशजी को प्रथम पूज्य माना जाता है और उनकी पूजा सबसे पहले करनी चाहिए।

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। वे हमें जीवन में आने वाली सभी बाधाओं से बचाते हैं। हमारे कार्यों में आने वाली बाधाओं को दूर करते हैं।

इसलिए, कोई भी कार्य शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। इससे हमारे कार्य सफल होंगे और हमारे जीवन में सुख-समृद्धि आएगी।

भगवान गणेश की स्तुति करनी चाहिए। भगवान गणेश बुद्धि, ज्ञान, और समृद्धि के देवता हैं। इसलिए उनकी स्तुति करने से हमें इन सभी गुणों की प्राप्ति होती है।


भादों मास और शुक्ल चतुर्थी, दिन दोपारा पूर परें ।
लियो जन्म गणपति प्रभुजी ने, दुर्गा मन आनन्द भरें॥

भगवान गणेश का जन्म भादों मास की शुक्ल चतुर्थी को हुआ था। इस दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। यह हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है।

भगवान गणेश का जन्म भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र के रूप में हुआ था। उनका जन्म एक अद्भुत घटना थी।

अद्भुत बाजा बजा इन्द्र का, देव वधू जहँ गान करें।
श्री शंकर के आनन्द उपज्यो, नाम सुन्या सब विघ्न टरें॥

इस पंक्ति में श्री गणेशजी की महिमा का वर्णन किया गया है। कहा गया है कि श्री गणेशजी देवताओं के द्वारा पूजे जाते हैं और उनके नाम सुनते ही सभी विघ्न दूर हो जाते हैं।

इसलिए श्री गणेशजी की पूजा करना बहुत ही महत्वपूर्ण है। उनकी पूजा करने से हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

आन विधाता बैठे आसन, इन्द्र अप्सरा नृत्य करें।
देख वेद ब्रह्माजी जाको, विघ्न विनाशक नाम धरें॥

भगवान् गणपति सभी देवताओं के आराध्य देव हैं और देवताओं द्वारा पूजे जाते है। इंद्र और ब्रह्माजी जैसे देवता भी इनकी पूजा करते हैं। और भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा है।

एकदन्त गजवदन विनायक, त्रिनयन रूप अनूप धरें।
पगथंभा सा उदर पुष्ट है, देख चन्द्रमा हास्य करें॥

भगवान गणेश का एकदंत, गजवदन, त्रिनयन रूप अनूप है। इनका उदर पगथंभा सा पुष्ट है। भगवान गणेश की तीन आंखें हैं, जो तीनों लोकों को देखती हैं। इनकी एक दांत है और ये हाथी के मुख वाले हैं।

दे श्राप श्री चंद्रदेव को, कलाहीन तत्काल करें।

चंद्रमा ने भगवान गणेश का अपमान किया था, इसलिए उन्होंने चंद्रमा को कलाहीन कर दिया।

इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी का अपमान नहीं करना चाहिए।

चौदह लोक मे फिरे गणपति, तीन भुवन में राज्य करें॥

भगवान गणेश चौदह लोक में विचरण करते हैं और तीन भुवन में राज्य करते हैं। यह पंक्ति गणेश भगवान की पूजा का महत्व और प्राथमिकता बताती है और भगवान गणेश के गुणों और विशेषताओं का वर्णन करती है। इनकी कृपा से हमारा जीवन सुखमय और सफल होता है।


Ganesh Bhajan



Ganesh Aarti and Ganesh Bhajan – List in English


Shri Ganesh ji ki Aarti – Ganesh ji ke Bhajan

1

Ganpati Aarti – Ganpati Bhajan

2

3

Shri Ganesh Aarti – Ganesh Bhajan

4

Ganesh Vandana Lyrics

5


गणेश जी की महिमा

गण का अर्थ है लोग (जन) और गणों के नायक को गणनायक, गणाधिपति या गणपति कहते हैं। मंगल मूर्ति श्री गणेश को लोग गणपति बप्पा भी कहते है।

गणपतिजी को अग्रपूजा का सम्मान प्राप्त है, इसलिए किसी भी कार्य के आरंभ में गणेशजी की पूजा की जाती है।

गणेश जी को सुखकर्ता, दु:खहर्ता और रक्षणकर्ता कहते हैं – अर्थात भक्तों को सुख देने वाले, भक्तों के दुख हरने वाले और भक्तों की रक्षा करने वाले।

श्री गणेश को विद्या और बुद्धि के देवता भी कहा जाता है।

अ, उ और म से ओम की निर्मिति हुई है और हिन्दू संस्कृति के अनुसार ओमकार से ही विश्व निर्मिती हुई है। श्री गणेश को प्रणव (ॐ) कहा गया है। इसलिए श्री गणेश को विश्वरूप देवता माना जाता है।

  • इस एकाक्षर ॐ में
    • ऊपर का भाग गणेशजी का मस्तक,
    • नीचे वाला भाग उदर तथा
    • मात्रा सूँड है और
    • चंद्रबिंदु लड्डू है।
  • चार भुजाएँ  – चारों दिशाओं में सर्वव्यापकता का प्रतीक हैं।
  • लंबोदर (अर्थात बड़ा उदर, पेट) – क्योंकि समस्त चराचर सृष्टि उनके उदर में विचरती है।
  • बड़े कान – अधिक ग्राह्यशक्ति, सभी भक्‍तों की प्रार्थनाएँ सुनते हैं।
  • छोटी-पैनी आँखें – सूक्ष्म-तीक्ष्ण दृष्टि की सूचक हैं।
  • लंबी नाक (सूंड) – महाबुद्धित्व, महान बुद्धि का प्रतीक है।

Ganesh Vandana

Ganesh Aarti and Ganesh Bhajan – List in Hindi


Shri Ganesh ji ki Aarti – Ganesh ji ke Bhajan

1

Ganpati Aarti – Ganpati Bhajan

2

3

Shri Ganesh Aarti – Ganesh Bhajan

4

Ganesh Vandana Lyrics

5


गणेश जी की महिमा

गण का अर्थ है लोग (जन) और गणों के नायक को गणनायक, गणाधिपति या गणपति कहते हैं। मंगल मूर्ति श्री गणेश को लोग गणपति बप्पा भी कहते है।

गणपतिजी को अग्रपूजा का सम्मान प्राप्त है, इसलिए किसी भी कार्य के आरंभ में गणेशजी की पूजा की जाती है।

गणेश जी को सुखकर्ता, दु:खहर्ता और रक्षणकर्ता कहते हैं – अर्थात भक्तों को सुख देने वाले, भक्तों के दुख हरने वाले और भक्तों की रक्षा करने वाले।

श्री गणेश को विद्या और बुद्धि के देवता भी कहा जाता है।

अ, उ और म से ओम की निर्मिति हुई है और हिन्दू संस्कृति के अनुसार ओमकार से ही विश्व निर्मिती हुई है। श्री गणेश को प्रणव (ॐ) कहा गया है। इसलिए श्री गणेश को विश्वरूप देवता माना जाता है।

  • इस एकाक्षर ॐ में
    • ऊपर का भाग गणेशजी का मस्तक,
    • नीचे वाला भाग उदर तथा
    • मात्रा सूँड है और
    • चंद्रबिंदु लड्डू है।
  • चार भुजाएँ  – चारों दिशाओं में सर्वव्यापकता का प्रतीक हैं।
  • लंबोदर (अर्थात बड़ा उदर, पेट) – क्योंकि समस्त चराचर सृष्टि उनके उदर में विचरती है।
  • बड़े कान – अधिक ग्राह्यशक्ति, सभी भक्‍तों की प्रार्थनाएँ सुनते हैं।
  • छोटी-पैनी आँखें – सूक्ष्म-तीक्ष्ण दृष्टि की सूचक हैं।
  • लंबी नाक (सूंड) – महाबुद्धित्व, महान बुद्धि का प्रतीक है।

Ganesh Vandana

Guru Mahima – Kabir Dohe with Meaning


Kabir Dohe Bhajan

गुरु महिमा – संत कबीर के दोहे अर्थसहित

गुरु गोविंद दोऊँ खड़े,
काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरु आपने,
गोविंद दियो बताय॥
  • गुरु गोविंद दोऊ खड़े – गुरु और गोविन्द (भगवान) दोनों एक साथ खड़े है
  • काके लागूं पाँय – पहले किसके चरण-स्पर्श करें (प्रणाम करे)?
  • बलिहारी गुरु – कबीरदासजी कहते है, पहले गुरु को प्रणाम करूँगा
  • आपने गोविन्द दियो बताय – क्योंकि, आपने (गुरु ने) गोविंद तक पहुचने का मार्ग बताया है।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय
गुरु आज्ञा मानै नहीं,
चलै अटपटी चाल।
लोक वेद दोनों गए,
आए सिर पर काल॥
  • गुरु आज्ञा मानै नहीं – जो मनुष्य गुरु की आज्ञा नहीं मानता है,
  • चलै अटपटी चाल – और गलत मार्ग पर चलता है
  • लोक वेद दोनों गए – वह लोक (दुनिया) और वेद (धर्म) दोनों से ही पतित हो जाता है
  • आए सिर पर काल – और दुःख और कष्टों से घिरा रहता है
गुरु नारायन रूप है, गुरु ज्ञान को घाट।
गुरु बिन ज्ञान न उपजै,
गुरु बिन मिलै न मोष।
गुरु बिन लखै न सत्य को,
गुरु बिन मिटे न दोष॥
  • गुरु बिन ज्ञान न उपजै – गुरु के बिना ज्ञान मिलना कठिन है
  • गुरु बिन मिलै न मोष – गुरु के बिना मोक्ष नहीं
  • गुरु बिन लखै न सत्य को – गुरु के बिना सत्य को पह्चानना असंभव है
  • गुरु बिन मिटे न दोष – गुरु बिना दोष का (मन के विकारों का) मिटना मुश्किल है
गुरु बिन ज्ञान न उपजै
गुरु कुम्हार शिष कुंभ है,
गढ़ि गढ़ि काढ़े खोट।
अंतर हाथ सहार दै,
बाहर बाहै चोट॥
  • गुरु कुम्हार – गुरु कुम्हार के समान है
  • शिष कुंभ है – शिष्य मिट्टी के घडे के समान है
  • गढ़ि गढ़ि काढ़े खोट – गुरु कठोर अनुशासन किन्तु मन में प्रेम भावना रखते हुए शिष्य के खोट को (मन के विकारों को) दूर करते है
  • अंतर हाथ सहार दै – जैसे कुम्हार घड़े के भीतर से हाथ का सहारा देता है
  • बाहर बाहै चोट – और बाहर चोट मारकर घड़े को सुन्दर आकार देता है
गुरु कुम्हार शिष कुंभ है

Sant Kabir Dohe – 1


Sant Kabir Dohe – 2

Kabir Dohe – Guru ki Mahima

गुरु पारस को अन्तरो,
जानत हैं सब संत।
वह लोहा कंचन करे,
ये करि लेय महंत॥
  • गुरु पारस को अन्तरो – गुरु और पारस पत्थर के अंतर को
  • जानत हैं सब संत – सभी संत (विद्वान, ज्ञानीजन) भलीभाँति जानते हैं।
  • वह लोहा कंचन करे – पारस पत्थर सिर्फ लोहे को सोना बनाता है
  • ये करि लेय महंत – किन्तु गुरु शिष्य को ज्ञान की शिक्षा देकर अपने समान गुनी और महान बना लेते है।

Kabirdas ke Dohe – Guru Mahima

गुरु समान दाता नहीं,
याचक सीष समान।
तीन लोक की सम्पदा,
सो गुरु दिन्ही दान॥
  • गुरु समान दाता नहीं – गुरु के समान कोई दाता (दानी) नहीं है
  • याचक सीष समान – शिष्य के समान कोई याचक (माँगनेवाला) नहीं है
  • तीन लोक की सम्पदा – ज्ञान रूपी अनमोल संपत्ति, जो तीनो लोको की संपत्ति से भी बढ़कर है
  • सो गुरु दिन्ही दान – शिष्य के मांगने से गुरु उसे यह (ज्ञान रूपी सम्पदा) दान में दे देते है
गुरु समान दाता नहीं
गुरु शरणगति छाडि के,
करै भरोसा और।
सुख संपती को कह चली,
नहीं नरक में ठौर॥
  • गुरु शरणगति छाडि के – जो व्यक्ति सतगुरु की शरण छोड़कर और उनके बत्ताए मार्ग पर न चलकर
  • करै भरोसा और – अन्य बातो में विश्वास करता है
  • सुख संपती को कह चली – उसे जीवन में दुखो का सामना करना पड़ता है और
  • नहीं नरक में ठौर – उसे नरक में भी जगह नहीं मिलती
कबीर माया मोहिनी,
जैसी मीठी खांड।
सतगुरु की किरपा भई,
नहीं तौ करती भांड॥
  • कबीर माया मोहिनी – माया (संसार का आकर्षण) बहुत ही मोहिनी है, लुभावनी है
  • जैसी मीठी खांड – जैसे मीठी शक्कर या मीठी मिसरी
  • सतगुरु की किरपा भई – सतगुरु की कृपा हो गयी (इसलिए माया के इस मोहिनी रूप से बच गया)
  • नहीं तौ करती भांड – नहीं तो यह मुझे भांड बना देती।
  • (भांड – विदूषक, मसख़रा, गंवार, उजड्ड)
  • माया ही मनुष्य को संसार के जंजाल में उलझाए रखती है। संसार के मोहजाल में फंसकर अज्ञानी मनुष्य मन में अहंकार, इच्छा, राग और द्वेष के विकारों को उत्पन्न करता रहता है।
  • विकारों से भरा मन, माया के प्रभाव से उपर नहीं उठ सकता है और जन्म-मृत्यु के चक्र में फंसा रहता है।
  • कबीरदासजी कहते है, सतगुरु की कृपा से मनुष्य माया के इस मोहजाल से छूट सकता है।
यह तन विष की बेलरी,
गुरु अमृत की खान।
सीस दिये जो गुरु मिलै,
तो भी सस्ता जान॥
  • यह तन विष की बेलरी – यह शरीर सांसारिक विषयो की बेल है।
  • गुरु अमृत की खान – सतगुरु विषय और विकारों से रहित है इसलिए वे अमृत की खान है
  • मन के विकार (अहंकार, आसक्ति, द्वेष आदि) विष के समान होते है। इसलिए शरीर जैसे विष की बेल है।
  • सीस दिये जो गुर मिलै – ऐसे सतगुरु यदि शीश (सर्वस्व) अर्पण करने पर भी मिल जाए
  • तो भी सस्ता जान – तो भी यह सौदा सस्ता ही समझना चाहिए।
  • अपना सर्वस्व समर्पित करने पर भी ऐसे सतगुरु से भेंट हो जाए, जो विषय विकारों से मुक्त है। तो भी यह सौदा सस्ता ही समझना चाहिए। क्योंकि, गुरु से ही हमें ज्ञान रूपी अनमोल संपत्ति मिल सकती है, जो तीनो लोको की संपत्ति से भी बढ़कर है।
सतगुरू की महिमा अनंत,
अनंत किया उपकार।
लोचन अनंत उघाडिया,
अनंत दिखावणहार॥
  • सतगुरु महिमा अनंत है – सतगुरु की महिमा अनंत हैं
  • अनंत किया उपकार – उन्होंने मुझ पर अनंत उपकार किये है
  • लोचन अनंत उघारिया – उन्होंने मेरे ज्ञान के चक्षु (अनन्त लोचन) खोल दिए
  • अनंत दिखावन हार – और मुझे अनंत (ईश्वर) के दर्शन करा दिए।
  • ज्ञान चक्षु खुलने पर ही मनुष्य को इश्वर के दर्शन हो सकते है। मनुष्य आंखों से नहीं परन्तु भीतर के ज्ञान के चक्षु से ही निराकार परमात्मा को देख सकता है।
सब धरती कागद करूँ,
लिखनी सब बनराय।
सात समुद्र की मसि करूँ,
गुरु गुण लिखा न जाय॥
  • सब धरती कागद करूं – सारी धरती को कागज बना लिया जाए
  • लिखनी सब बनराय – सब वनों की (जंगलो की) लकडियो को कलम बना ली जाए
  • सात समुद्र का मसि करूं – सात समुद्रों को स्याही बना ली जाए
  • गुरु गुण लिखा न जाय – तो भी गुरु के गुण लिखे नहीं जा सकते (गुरु की महिमा का वर्णन नहीं किया जा सकता)। क्योंकि, गुरु की महिमा अपरंपार है।

Sant Kabir Dohe – Guru Mahima

गुरु सों ज्ञान जु लीजिए,
सीस दीजिए दान।
बहुतक भोंदू बह गए,
राखि जीव अभिमान॥
  • गुरु सों ज्ञान जु लीजिए – गुरु से ज्ञान पाने के लिए
  • सीस दीजिए दान – तन और मन पूर्ण श्रद्धा से गुरु के चरणों में समर्पित कर दो।
  • राखि जीव अभिमान – जो अपने तन, मन और धन का अभिमान नहीं छोड़ पाते है
  • बहुतक भोंदु बहि गये – ऐसे कितने ही मूर्ख (भोंदु) और अभिमानी लोग संसार के माया के प्रवाह में बह जाते है। वे संसार के माया जाल में उलझ कर रह जाते है और उद्धार से वंचित रह जाते है।
गुरु मूरति गति चंद्रमा,
सेवक नैन चकोर।
आठ पहर निरखत रहे,
गुरु मूरति की ओर॥
  • गुरु मूरति गति चंद्रमा – गुरु की मूर्ति जैसे चन्द्रमा और
  • सेवक नैन चकोर – शिष्य के नेत्र जैसे चकोर पक्षी। (चकोर पक्षी चन्द्रमा को निरंतर निहारता रहता है, वैसे ही हमें)
  • गुरु मूरति की ओर – गुरु ध्यान में और गुरु भक्ति में
  • आठ पहर निरखत रहे – आठो पहर रत रहना चाहिए।
    (निरखत, निरखना – ध्यान से देखना)
कबीर ते नर अन्ध हैं,
गुरु को कहते और।
हरि के रुठे ठौर है,
गुरु रुठे नहिं ठौर॥
  • कबीर ते नर अन्ध हैं – संत कबीर कहते है की वे मनुष्य नेत्रहीन (अन्ध) के समान है
  • गुरु को कहते और – जो गुरु के महत्व को नहीं जानते
  • हरि के रुठे ठौर है – भगवान के रूठने पर मनुष्य को स्थान (ठौर) मिल सकता है
  • गुरु रुठे नहिं ठौर – लेकिन, गुरु के रूठने पर कही स्थान नहीं मिल सकता

आछे दिन पाछे गए,
गुरु सों किया न हेत।
अब पछतावा क्या करै,
चिड़ियाँ चुग गईं खेत॥
  • आछे दिन पाछे गये – अच्छे दिन बीत गए
    • मनुष्य सुख के दिन सिर्फ मौज मस्ती में बिता देता है
  • गुरु सों किया न हेत – गुरु की भक्ति नहीं की, गुरु के वचन नहीं सुने
  • अब पछितावा क्या करे – अब पछताने से क्या होगा
  • चिड़िया चुग गई खेत – जब चिड़ियाँ खेत चुग गई (जब अवसर चला गया)

Satguru Bhajans

Kabir Dohe and Bhajans

Kabirdas ke Dohe – Guru Mahima

गुरु मुरति आगे खडी,
दुतिया भेद कछु नाहि।
उन्ही कूं परनाम करि,
सकल तिमिर मिटी जाहिं॥


गुरु की आज्ञा आवै,
गुरु की आज्ञा जाय।
कहैं कबीर सो संत हैं,
आवागमन नशाय॥


भक्ति पदारथ तब मिलै,
जब गुरु होय सहाय।
प्रेम प्रीति की भक्ति जो,
पूरण भाग मिलाय॥


गुरु को सिर राखिये,
चलिये आज्ञा माहिं।
कहैं कबीर ता दास को,
तीन लोक भय नहिं॥


गुरुमुख गुरु चितवत रहे,
जैसे मणिहिं भुवंग।
कहैं कबीर बिसरें नहीं,
यह गुरुमुख को अंग॥


कबीर ते नर अंध है,
गुरु को कहते और।
हरि के रूठे ठौर है,
गुरु रूठे नहिं ठौर॥


भक्ति-भक्ति सब कोई कहै,
भक्ति न जाने भेद।
पूरण भक्ति जब मिलै,
कृपा करे गुरुदेव॥


गुरु बिन माला फेरते,
गुरु बिन देते दान।
गुरु बिन सब निष्फल गया,
पूछौ वेद पुरान॥


कबीर गुरु की भक्ति बिन,
धिक जीवन संसार।
धुवाँ का सा धौरहरा,
बिनसत लगै न बार॥


कबीर गुरु की भक्ति करु,
तज निषय रस चौंज।
बार-बार नहिं पाइए,
मानुष जनम की मौज॥


काम क्रोध तृष्णा तजै,
तजै मान अपमान।
सतगुरु दाया जाहि पर,
जम सिर मरदे मान॥


कबीर गुरु के देश में,
बसि जानै जो कोय।
कागा ते हंसा बनै,
जाति वरन कुल खोय॥


आछे दिन पाछे गए,
गुरु सों किया न हेत।
अब पछतावा क्या करै,
चिड़ियाँ चुग गईं खेत॥


अमृत पीवै ते जना,
सतगुरु लागा कान।
वस्तु अगोचर मिलि गई,
मन नहिं आवा आन॥


बलिहारी गुरु आपनो,
घड़ी-घड़ी सौ सौ बार।
मानुष से देवत किया,
करत न लागी बार॥


गुरु आज्ञा लै आवही,
गुरु आज्ञा लै जाय।
कहै कबीर सो सन्त प्रिय,
बहु विधि अमृत पाय॥


भूले थे संसार में,
माया के साँग आय।
सतगुरु राह बताइया,
फेरि मिलै तिहि जाय॥


बिना सीस का मिरग है,
चहूँ दिस चरने जाय।
बांधि लाओ गुरुज्ञान सूं,
राखो तत्व लगाय॥


गुरु नारायन रूप है,
गुरु ज्ञान को घाट।
सतगुरु बचन प्रताप सों,
मन के मिटे उचाट॥


गुरु समरथ सिर पर खड़े,
कहा कमी तोहि दास।
रिद्धि सिद्धि सेवा करै,
मुक्ति न छोड़े पास॥

Kabir Bhajan and Dohe

Ganpati Aaj Padharo, Shri Ram Ji Ki Dhun Me – Lyrics in Hindi


गणपति आज पधारो, श्री रामजी की धुन में

गणपति आज पधारो,
श्री रामजी की धुन में।
गणपति आज पधारो,
श्री रामजी की धुन में।

रामजी की धुन में,
श्री रामजी की धुन में।
मोदक भोग लगाओ,
श्री रामजी की धुन में॥

गणपति आज पधारो,
श्री रामजी की धुन में॥


गणपति आज पधारो
और रिद्धि सिद्धि लाओ।
सुख आनंद बरसाओ,
श्री रामजी की धुन में॥

गणपति आज पधारो,
श्री रामजी की धुन में॥


हनुमंत आज पधारो,
देवा पवन वेग से आओ।
बल बुद्धि दे जाओ,
श्री रामजी की धुन में॥

गणपति आज पधारो,
श्री रामजी की धुन में॥


ब्रम्हाजी पधारो,
माता ब्रम्हाणी को लाओ।
वेद ज्ञान समझाओ,
श्री रामजी की धुन में॥

गणपति आज पधारो,
श्री रामजी की धुन में॥


नारद आज पधारो,
छम छम, छम कर ताल बजाओ।
नारायण गुण गाओ,
श्री रामजी की धुन में॥

गणपति आज पधारो,
श्री रामजी की धुन में॥


प्रेम मगन हो जाओ भक्तो,
राम नाम गुण गाओ।
सुर मंदिर में आओ,
श्री रामजी की धुन में॥

गणपति आज पधारो,
श्री रामजी की धुन में॥


Ganpati Aaj Padharo, Shri Ram Ji Ki Dhun Me


Ganesh Bhajan



Ganpati Aaj Padharo, Shri Ram Ji Ki Dhun Me – Lyrics in English


Ganpati Aaj Padharo, Shri Ram Ji Ki Dhun Me

Ganpati aaj padharo,
Shri Ram ji ki dhun me.

Ganpati aaj padharo,
Shri Ram ji ki dhun mein.

Ram ji ki dhun mein,
Shri Ram ji ki dhun me
modak bhog lagao,
Shri Ram ji ki dhun me.

Ganpati aaj padharo,
Shri Ram ji ki dhun mein.

Ganpati aaj padharo
aur Riddhi Siddhi laao.
Sukh anand barsaao,
Shri Ram ji ki dhun me.

Ganpati aaj padharo,
Shri Ram ji ki dhun mein.

Hanumant aaj padharo,
deva pavan weg se aao.
Bal buddhi de jao,
Shri Ram ji ki dhun me.

Ganpati aaj padharo,
Shri Ram ji ki dhun mein.

Bramhaji padhaaro,
mata Bramhaani ko laao.
Ved gyaan samjhao,
Shri Ram ji ki dhun me.

Ganpati aaj padharo,
Shri Ram ji ki dhun mein.

Naarad aaj padhaaro
chham chham, chham kar taal bajao.
Naaraayan gun gaao,
Shri Ram ji ki dhun mein.

Ganpati aaj padharo,
Shri Ram ji ki dhun mein.

Prem magan ho jao bhakto,
Ram naam gun gaao.
Sur mandir mein aao,
Shri Ram ji ki dhun me.

Ganpati aaj padharo,
Shri Ram ji ki dhun me.


Ganpati Aaj Padharo, Shri Ram Ji Ki Dhun Me


Ganesh Bhajan



Ganga Ji Ki Aarti – Ganga Aarti


गंगा जी की आरती

ओम जय गंगे माता,
मैया जय गंगे माता।

जो नर तुमको ध्याता,
मनवांछित फल पाता॥

ओम जय गंगे माता॥


चन्द्र-सी ज्योति तुम्हारी,
जल निर्मल आता।
मैया जल निर्मल आता

शरण पड़े जो तेरी,
सो नर तर जाता॥
ओम जय गंगे माता॥


पुत्र सगर के तारे,
सब जग को ज्ञाता।
मैया सब जग को ज्ञाता

कृपा दृष्टि हो तुम्हारी,
त्रिभुवन सुख दाता॥
ओम जय गंगे माता॥


एक ही बार जो तेरी,
शरणागति आता।
मैया शरणागति आता

यम की त्रास मिटाकर,
परमगति पाता॥
ओम जय गंगे माता॥


आरती मात तुम्हारी,
जो जन नित गाता।
मैया जो जन नित गाता

दास वही सहज में,
मुक्ति को पाता॥
ओम जय गंगे माता॥


ओम जय गंगे माता,
मैया जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता,
मनवांछित फल पाता॥
ओम जय गंगे माता॥

Ganga Ji Ki Aarti – Ganga Aarti

Anuradha Paudwal

Hariharan

Durga Bhajan List

Ganga Ji Ki Aarti – Ganga Aarti

Om Jai Gange Mata,
maiya Jai Gange Mata

Jo nar tumako dhyaata,
mann-vaanchhit phal paata.

Om Jai Gange Mata


Chandra-si jyoti tumhaari,
jal nirmal aata.
maiya jal nirmal aata.

Sharan pade jo teri,
so nar tar jaata.
Om Jai Gange Mata


Putra sagar ke taare,
sab jag ko gyaata.
maiyaa sab jag ko gyaata.

Kripa drishti ho tumhaari,
tribhuvan sukh daata.
Om Jai Gange Mata


Ek baar jo praani,
sharan teri aata.
maiya sharan teri aata.

Yam ki traas mitaakar,
paramagati paata.
Om Jai Gange Mata


Aarti mata tumhaari,
jo nar nit gaata.
maiya jo nar nit gaata.

Das wahi sahaj mein,
mukti ko paata.
Om Jai Gange Mata


Om Jai Gange Mata,
maiya Jai Gange Mata
Jo nar tumako dhyaata,
mann-vaanchhit phal paata.
Om Jai Gange Mata

Ganesh 108 Names – Hindi


श्री गणेश 108 नाम

ॐ विनायकाय नमः।
ॐ विघ्न-राजाय नमः।
ॐ गौरी-पुत्राय नमः।
ॐ गणेश्वराय नमः।
ॐ स्कन्दा-ग्रजाय नमः।
ॐ अव्यायाय नमः।
ॐ पूताय नमः।
ऊँ दक्षाय नमः।
ऊँ अध्यक्षाय नमः।
ॐ द्विज-प्रियाय नमः।


ॐ अग्नि-गर्भच्छिदे नमः।
ॐ इन्द्र-श्रीप्रदाय नमः।
ॐ वाणी-प्रदाय नमः।
ऊँ अव्ययाय नमः।
ॐ सर्वसिद्धि-प्रदाय नमः।
ऊँ सर्वाधनायाय नमः।
ऊँ सर्वाप्रियाय नमः।
ॐ सर्वात्मकाय नमः।
ॐ सृष्टि-करते नमः।
ऊँ देवाय नमः।


ऊँ अनेकार-चिताय नमः।
ॐ शिवाय नमः।
ॐ शुद्धाय नमः।
ॐ बुद्धि-प्रियाय नमः।
ॐ शान्ताय नमः।
ॐ ब्रह्म-चारिणे नमः।
ॐ गजाननाय नमः।
ॐ द्वै-मातुराय नमः।
ॐ मुनि-स्तुत़ाय नमः।
ॐ भक्त विघ्न विनाशनाय नमः।


ॐ एकदन्ताय नमः।
ॐ चतुर्भहवे नमः।
ॐ चतुराय नमः।
ॐ शक्तिसंयुताय नमः।
ॐ लम्बोदराय नमः।
ॐ शूर्पकर्णाय नमः।
ऊँ हराए नमः।
ऊँ ब्रह्म-विदुत्तमाय नमः।
ॐ कालाय नमः।
ॐ ग्रह-पतये नमः।


ॐ कामिने नमः।
ॐ सोम-सूर्याग्नि-लोचनाय नमः।
ऊँ पाशंकु-षध-राय नमः। (पाशाङ्कुशधराय नमः।)
ॐ छन्दाय नमः।
ॐ गुणातीताय नमः।
ॐ निरञ्जनाय नमः।
ॐ अकल्मषाय नमः।
ऊँ स्वयं-सिद्धाय नमः।
ऊँ सिद्धार-चीत-पदाम-बुजाय नमः। (ॐ स्वयंसिद्धार्चितपदाय नमः।)
ऊँ बीजापुर-फल-सकताय नमः। (ॐ बीजापूरकराय नमः।)


ॐ वरदाय नमः।
ॐ शाश्वताय नमः।
ॐ कृतिने नमः।
ऊँ विदवत-प्रियाय नमः। (ॐ विद्वत्प्रियाय नमः।)
ॐ वीतभयाय नमः।
ॐ गदिने नमः।
ॐ चक्रिणे नमः।
ॐ इक्षु-चप-धृते नमः। (ॐ इक्षुचापधृते नमः।)
ऊँ श्रीदाय नमः। (ॐ श्रीधाय नमः।)
ऊँ अजया नमः।


ऊँ उतपल-कराय नमः।
ऊँ श्री-पतये नमः।
ऊँ स्तुति-हर्षी-ताय नमः। (ॐ स्तुतिहर्षताय नमः।)
ऊँ कुलद्री-भ्रिते नमः। (ॐ कलाद्भृते नमः।)
ऊँ ज़तिलाय नमः।
ऊँ काली-कल्मश-नशनाय नमः।
ॐ चन्द्रचूडाय नमः।
ऊँ कांताय नमः। (ॐ श्रीकान्ताय नमः।)
ॐ पापहारिणे नमः।
ॐ समाहिताय नमः।


ऊँ आश्रीताय नमः।
ऊँ श्रीकराय नमः।
ॐ सौम्याय नमः।
ऊँ भक्ता-वंचिता-दयकाय नमः।
ऊँ शांताय नमः।
ऊँ कैवल्य-सुखदाय नमः।
ॐ सच्चिदानन्द-विग्रहाय नमः।
ऊँ ज्ञानिने नमः।
ऊँ दययुत्ताय नमः।
ॐ दन्ताय नमः।


ऊँ ब्रह्मा-द्वेशा-विवर्जिताय नमः।
ऊँ प्रमत्ता-दैत्या-भयदाय नमः।
ऊँ श्रीकांताय नमः।
ऊँ विभुदेश्वराय नमः।
ऊँ रामचित्ताय नमः।
ऊँ विधये नमः।
ऊँ नागरजा-यगनो-पावितावाते नमः।
ऊँ स्थूलकान्ताय नमः।
ऊँ स्वयं-करत्रे नमः।
ऊँ सम-घोष-प्रियाय नमः।


ऊँ परस्मै नमः।
ऊँ स्थुल-तुंडाय नमः।
ऊँ अग्रन्याय नमः।
ऊँ धीराय नमः।
ऊँ वागिशाय नमः।
ऊँ सिद्धि-दयाकाय नमः।
ऊँ दूर्वा-बिल्व-प्रियाय नमः।
ऊँ अव्यक्त-मूर्तए नमः।
ऊँ अद्भुत-मूर्ति-मते नमः।
ऊँ शैलेंधरा-तनु-जोत्सन्ग-खेलेनोत्सुका-मनसाय नमः।


ऊँ स्वलावान्या-सुधा-सरजिता-मन्माता-विग्रहाय नमः।
ऊँ समस्त-जगद-धराय नमः।
ऊँ माइने नमः।
ऊँ मूषिक-वाहनाय नमः।
ऊँ हृष्टाय नमः।
ऊँ तुष्टाय नमः।
ऊँ प्रसन्नातमने नमः।
ऊँ सर्वा-सिद्धि-प्रदयकाय नमः।


Ganesh Bhajan



Ganesh 108 Names – English


Ganesh 108 Names (Ganesh Ashtottara Shatanamavali)

Om Vinayakaay Namah
Om Vighna-rajaay Namah
Om Gowri-puthraaya Namah
Om Ganeshwaraaya Namah
Om Skanda-grajaaya Namah
Om Avyayaaya Namah
Om Puthaaya Namah
Om Dakshaaya Namah
Om Adhyakshaaya Namah
Om Dwija-priyaaya Namah


Om Agni-garbha-chide Namah
Om Indhra-shri-pradaaya Namah
Om Vaani-pradaaya Namah
Om Avyayaaya Namah
Om Sarva-siddhi-pradaaya Namah
Om Sarva-dhanayaaya Namah
Om Sarva-priyaaya Namah
Om Sarvatmakaaya Namah
Om Shrishti-karthe Namah
Om Dhevaaya Namah


Om Anekar-chitaaya Namah
Om Shivaaya Namah
Om Shuddhaaya Namah
Om Buddhi-priyaaya Namah
Om Shantaya Namah
Om Brahma-charine Namah
Om Gajana-naaya Namah
Om Dvai-madhuraaya Namah
Om Muni-stuthaaya Namah
Om Bhakta-vighna-vinashanaaya Namah


Om Eka-dhandaya Namah
Om Chatur-bhahave Namah
Om Chatu-raaya Namah
Om Shakthi-sam-yutaaya Namah
Om Lambhodaraaya Namah
Om Shoorpa-karnaaya Namah
Om Haraaye Namah
Om Brahma-viduttamaaya Namah
Om Kalaaya Namah
Om Graha-pataaye Namah


Om Kamine Namah
Om Soma-suryag-nilo-chanaaya Namah
Om Pashanku-shadha-raaya Namah
Om Chandhaaya Namah
Om Guna-thitaaya Namah
Om Niranjanaaya Namah
Om Akalmashaaya Namah
Om Swayam-siddhaaya Namah
Om Siddhar-chita-padham-bujaaya Namah
Om Bijapura-phala-sakthaaya Namah


Om Varadhaaya Namah
Om Shashwataaya Namah
Om Krithine Namah
Om Vidhwat-priyaaya Namah
Om Vitha-bhayaaya Namah
Om Gadhine Namah
Om Chakrine Namah
Om Ikshu-chapa-dhrute Namah
Om Shridaaya Namah
Om Ajaya Namah


Om Utphala-karaaya Namah
Om Shri-pataye Namah
Om Stuthi-harshi-taaya Namah
Om Kuladri-bhrite Namah
Om Jatilaaya Namah
Om Kali-kalmasha-nashanaaya Namah
Om Chandra-chuda-manaye Namah
Om Kantaaya Namah
Om Papaharine Namah
Om Sama-hithaaya Namah


Om Aashritaaya Namah
Om Shrikaraaya Namah
Om Sowmyaaya Namah
Om Bhakta-vamchita-dayakaaya Namah
Om Shantaaya Namah
Om Kaivalya-sukhadaaya Namah
Om Sachida-nanda-vigrahaaya Namah
Om Jnanine Namah
Om Dayayuthaaya Namah
Om Dandhaaya Namah


Om Brahma-dvesha-vivarjitaaya Namah
Om Pramatta-daitya-bhayadaaya Namah
Om Shrikanthaaya Namah
Om Vibudheshwaraaya Namah
Om Ramarchitaaya Namah
Om Vidhaye Namah
Om Nagaraja-yagyno-pavitavaathe Namah
Om Sthulakanthaaya Namah
Om Swayam-kartre Namah
Om Sama-ghosha-priyaaya Namah


Om Parasmai Namah
Om Sthula-tundhaaya Namah
Om Agranyaaya Namah
Om Dhiraaya Namah
Om Vagishaaya Namah
Om Siddhi-dhayakaaya Namah
Om Dhurva-bilwa-priyaaya Namah
Om Avyaktamurthaaye Namah
Om Adbhuta-murthi-mathe Namah
Om Shailendhra-tanu-jotsanga-khelanotsuka-manasaaya Namah


Om Swalavanya-sudha-sarajitha-manmatha-vigrahaaya Namah
Om Samastha-jagada-dharaaya Namah
Om Mayine Namah
Om Mushika-vahanaaya Namah
Om Hrishtaaya Namah
Om Tushtaaya Namah
Om Prasannatmane Namah
Om Sarva-siddhi-pradhayakaaya Namah


Ganesh Bhajan