पत्थर की राधा प्यारी, पत्थर के कृष्ण मुरारी


पत्थर की राधा प्यारी, पत्थर के कृष्ण मुरारी

पत्थर की राधा प्यारी,
पत्थर के कृष्ण मुरारी।
पत्थर से पत्थर घिस के,
पैदा होती चिंगारी॥


पत्थर की नार अहिल्या,
पग से श्री राम ने तारी।
पत्थर के मठ पे बैठी,
मां मेरी शेरावाली॥

पत्थर की राधा प्यारी,
पत्थर के कृष्ण मुरारी।
पत्थर से पत्थर घिस के,
पैदा होती चिंगारी॥


चौदह बरस वनवास में भेजा,
राम लखन सीता को,
पत्थर सीने पे रख दशरथ ने।

पुत्र जुदाई का एक पत्थर,
सहा देवकी माँ ने,
कैसी लीला रची कुदरत ने॥

पत्थर घन पे पडा,
जिसमे ठाकुर बसा।
पत्थर के ही है
मेरे बांके बिहारी॥

पत्थर की राधा प्यारी,
पत्थर के कृष्ण मुरारी।
पत्थर से पत्थर घिस के,
पैदा होती चिंगारी॥


ले हनुमान उड़े जब
पत्थर संजीवनी ले आये
सारे वीर पुरुष हर्षाये।

वो ही पत्थर बृज भूमि
में गोवर्धन कहलाये,
जो है ऊँगली बीच उठाये॥

पत्थर जग में महान,
इसको पूजे जहान,
इसकी तो पूजा करती,
यह दुनिया सारी॥

पत्थर की राधा प्यारी,
पत्थर के कृष्ण मुरारी।
पत्थर से पत्थर घिस के,
पैदा होती चिंगारी॥


हनुमान जो लाए पत्थर,
राम लिखा पत्थर पे,
पत्थर पानी बीच बहाए।

तैर गए पानी में पत्थर,
देखा जब सेना ने,
मेरे राम बहुत हर्षाये॥

सेतु बांध बना
पत्थर पानी तैरा
पत्थर के जगह जगह
पर भोले भंडारी॥

पत्थर की राधा प्यारी,
पत्थर के कृष्ण मुरारी।
पत्थर से पत्थर घिस के,
पैदा होती चिंगारी॥


Patthar Ki Radha Pyari Patthar Ke Krishna Murari

Devki Nandan Thakurji Maharaj


Krishna Bhajan