मीरा के भजन - विरह

Meera ke Bhajan – Virah (विरह) – Hindi


Meerabai ke Bhajan - Birah
List of Meera Bhajans (Topic – virah) on this page:

  • हे री मैं तो प्रेम दिवानी
  • गली तो चारों बंद हुई
  • आली रे मेरे नैणा बाण पडी
  • घडी एक नहिं आवडे

हे री मैं तो प्रेम दिवानी


Vani Jayaram

https://youtu.be/QzKQmyZklGA


हे री मैं तो प्रेम दिवानी
(हे री मैं तो दरद दिवानी)
मेरो दरद न जाणै कोय॥


घायलकी गति घायल जाणै,
जो कोइ घायल होय।
जौहरिकी गति जौहरी जाणै,
की जिन जौहर होय॥


सूली ऊपर सेज हमारी,
सोवण किस बिध होय।
गगन मंडलपर सेज पियाकी,
किस बिध मिलणा होय॥


दरदकी मारी बन-बन डोलूँ,
बैद मिल्या नहिं कोय।
मीराकी प्रभु पीर मिटेगी,
जद बैद साँवलियाँ होय॥

गली तो चारों बंद हुई

गली तो चारों बंद हुई,
मैं हरिसे मिलूँ कैसे जाय॥
ऊंची-नीची राह लपटीली,
पाँव नहीं ठहराय।
सोच सोच पग धरूँ जतनसे,
बार-बार डिग जाय॥
ऊँचा नीचां महल पियाका,
म्हाँसूँ चढ्यो न जाय।
पिया दूर पंथ म्हारो झीणो,
सुरत झकोला खाय॥
कोस कोसपर पहरा बैठ्या,
पैंड पैंड बटमार।
हे बिधना कैसी रच दीनी,
दूर बसायो म्हारो गाँव॥
मीराके प्रभु गिरधर नागर,
सतगुरु दई बताय।
जुगन-जुगनसे बिछड़ी मीरा,
घरमें लीनी लाय॥

आली रे मेरे नैणा बाण पडी

आली रे मेरे नैणा बाण पडी॥
चित्त चढ़ो मेरे माधुरी मूरत,
उर बिच आन अडी।
कबक ठाढी पंथ निहारूँ,
अपने भवन खड़ी॥
कैसे प्राण पिया बिनु राखूँ,
जीवन मूल जड़ी।
मीरा गिरधर हाथ बिकानी,
लोग कहै बिगडी॥

घडी एक नहिं आवडे

घडी एक नहिं आवडे,
तुम दरसण बिन मोय।
तुम हो मेरे प्राणजी,
कासूँ जीवण होय॥


धान न भावै, नींद न आवै,
बिरह सतावै मोय।
घायल सी घूमत फिरूँ रे,
मेरो दरद न जाणै कोय॥


दिवस तो खाय गमाइयो रे
रैण गमाई सोय।
प्राण गमाया झुरताँ रे,
नैण गमाया रोय।


जो मैं ऐसी जाणती रे,
प्रीति कियाँ दुख होय।
नगर ढँढोरा फेरती रे,
प्रीति करो मत कोय॥


पंथ निहारूँ डगर बहारूँ,
ऊभी मारग जोय।
मीराके प्रभु कब र मिलोगे,
तुम मिलियाँ सुख होय॥
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