Meerabai ke Bhajan
मैं बैरागण हूंगी
बाला मैं बैरागण हूंगी |
जिन भेषां म्हारो साहिब रीझे
सोही भेष धरूंगी |
सील संतोष धरूं घट भीतर
समता पकड़ रहूंगी |
जाको नाम निरंजन कहिये
ताको ध्यान धरूंगी |
गुरुके ग्यान रंगू तन कपड़ा
मन मुद्रा पैरूंगी |
प्रेम पीतसूं हरिगुण गाऊं
चरणन लिपट रहूंगी
या तन की मैं करूं कीगरी
रसना नाम कहूंगी |
मीरा के प्रभु गिरधर नागर
साधां संग रहूंगी
–
Doha – Chaupai
तुलसी मीठे बचन ते
सुख उपजत चहुँ ओर |
बसीकरन एक मंत्र है
परिहरू बचन कठोर | |