Lord Shiva 1000 Names with Meaning


भगवान् शिव के 1000 नाम – अर्थसहित

भगवान् शिव के यह 1000 नाम,
शिवपुराण के कोटिरुद्रसंहिता खंड के अध्याय 35, 36 में वर्णित
भगवान्‌ विष्णुद्वारा पठित शिवसहस्रनामस्तोत्र से लिए गए है।

शंकरजी के 1000 नाम के इस पेज में,
श्लोक के बाद प्रत्येक नाम का अर्थ दिया गया है।


सूत उवाच

श्रूयतां भो ऋषिश्रेष्ठा येन तुष्टो महेश्वरः।
तदहं कथयाम्यद्य शैवं नामसहस्रकम्॥1॥

सूतजी बोले –

मुनिवरो! सुनो, जिससे महेश्वर संतुष्ट होते हैं,
वह शिवसहस्रनामस्तोत्र आज तुम सबको सुना रहा हूँ॥1॥


विष्णुरुवाच शिवो हरो मृडो रुद्रः पुष्करः पुष्पलोचनः।
अर्थिगम्यः सदाचारः शर्वः शम्भुर्महेश्वरः॥2॥

भगवान् विष्णुने कहा –
1. शिवः – कल्याणस्वरूप,
2. हरः – भक्तोंके पाप-ताप हर लेनेवाले,
3. मृडः – सुखदाता,
4. रुद्रः – दुःख दूर करनेवाले,
5. पुष्करः – आकाशस्वरूप,
6. पुष्पलोचनः – पुष्पके समान खिले हुए नेत्रवाले,
7. अर्थिगम्यः – प्रार्थियोंको प्राप्त होनेवाले,
8. सदाचारः – श्रेष्ठ आचरणवाले,
9. शर्वः – संहारकारी,
10. शम्भुः – कल्याणनिकेतन,
11. महेश्वरः – महान् ईश्वर॥2॥


चन्द्रापीडश्चन्द्रमौलिर्विश्वं विश्वम्भरेश्वरः।
वेदान्तसारसंदोहः कपाली नीललोहितः॥3॥

12. चन्द्रापीडः – चन्द्रमाको शिरोभूषणके रूपमें धारण करनेवाले,
13. चन्द्रमौलिः – सिरपर चन्द्रमाका मुकुट धारण करनेवाले,
14. विश्वम् – सर्वस्वरूप,
15. विश्वम्भरेश्वरः – विश्वका भरण-पोषण करनेवाले श्रीविष्णुके भी ईश्वर,
16. वेदान्तसारसंदोहः – वेदान्तके सारतत्त्व सच्चिदानन्दमय ब्रह्मकी साकार मूर्ति,
17. कपाली – हाथमें कपाल धारण करनेवाले,
18. नीललोहितः – (गलेमें) नील और (शेष अंगोंमें) लोहित-वर्णवाले॥3॥


ध्यानाधारोऽपरिच्छेद्यो गौरीभर्ता गणेश्वरः।
अष्टमूर्तिर्विश्वमूर्तिस्त्रिवर्गस्वर्गसाधनः॥4॥

19. ध्यानाधारः – ध्यानके आधार,
20. अपरिच्छेद्यः – देश, काल और वस्तुकी सीमासे अविभाज्य,
21. गौरीभर्ता – गौरी अर्थात् पार्वतीजीके पति,
22. गणेश्वरः – प्रमथगणोंके स्वामी,
23. अष्टमूर्तिः – जल, अग्नि, वायु, आकाश, सूर्य, चन्द्रमा, पृथ्वी और यजमान – इन आठ रूपोंवाले,
24. विश्व – मूर्तिः – अखिल ब्रह्माण्डमय विराट् पुरुष,
25. त्रिवर्गस्वर्गसाधनः – धर्म, अर्थ, काम तथा स्वर्गकी प्राप्ति करानेवाले॥4॥


ज्ञानगम्यो दृढप्रज्ञो देवदेवस्त्रिलोचनः।
वामदेवो महादेवः पटुः परिवृढो दृढः॥5॥

26. ज्ञानगम्यः – ज्ञानसे ही अनुभवमें आनेके योग्य,
27. दृढप्रज्ञः – सुस्थिर बुद्धिवाले,
28. देवदेवः – देवताओंके भी आराध्य,
29. त्रिलोचनः – सूर्य, चन्द्रमा और अग्निरूप तीन नेत्रोंवाले,
30. वामदेवः – लोकके विपरीत स्वभाववाले देवता,
31. महादेवः – महान् देवता ब्रह्मादिकोंके भी पूजनीय,
32. पटुः – सब कुछ करनेमें समर्थ एवं कुशल,
33. परिवृढः – स्वामी,
34. दृढः – कभी विचलित न होनेवाले॥5॥


विश्वरूपो विरूपाक्षो वागीशः शुचिसत्तमः।
सर्वप्रमाणसंवादी वृषाङ्को वृषवाहनः॥6॥

35. विश्वरूपः – जगत्‌स्वरूप,
36. विरूपाक्षः – विकट नेत्रवाले,
37. वागीशः – वाणीके अधिपति,
38. शुचिसत्तमः – पवित्र पुरुषोंमें भी सबसे श्रेष्ठ,
39. सर्वप्रमाणसंवादी – सम्पूर्ण प्रमाणोंमें सामंजस्य स्थापित करनेवाले,
40. वृषाङ्कः – अपनी ध्वजामें वृषभका चिह्न धारण करनेवाले,
41. वृषवाहनः – वृषभ या धर्मको वाहन बनानेवाले॥6॥


ईशः पिनाकी खट्‌वाङ्गी चित्रवेषश्चिरंतनः।
तमोहरो महायोगी गोप्ता ब्रह्मा च धूर्जटिः॥7॥

42. ईशः – स्वामी या शासक,
43. पिनाकी – पिनाक नामक धनुष धारण करनेवाले,
44. खट्‌वाङ्गी – खाटके पायेकी आकृतिका एक आयुध धारण करनेवाले,
45. चित्रवेषः – विचित्र वेषधारी,
46. चिरंतनः – पुराण (अनादि) पुरुषोत्तम,
47. तमोहरः – अज्ञानान्धकारको दूर करनेवाले,
48. महायोगी – महान् योगसे सम्पन्न,
49. गोप्ता – रक्षक,
50. ब्रह्मा – सृष्टिकर्ता,
51. धूर्जटिः – जटाके भारसे युक्त॥7॥


कालकालः कृत्तिवासाः सुभगः प्रणवात्मकः।
उन्नध्रः पुरुषो जुष्यो दुर्वासाः पुरशासनः॥8॥

52. कालकालः – कालके भी काल,
53. कृत्तिवासाः – गजासुरके चर्मको वस्त्रके रूपमें धारण करनेवाले,
54. सुभगः – सौभाग्यशाली,
55. प्रणवात्मकः – ओंकार-स्वरूप अथवा प्रणवके वाच्यार्थ,
56. उन्नध्रः – बन्धनरहित,
57. पुरुषः – अन्तर्यामी आत्मा,
58. जुष्यः – सेवन करनेयोग्य,
59. दुर्वासाः – “दुर्वासा” नामक मुनिके रूपमें अवतीर्ण,
60. पुरशासनः – तीन मायामय असुरपुरोंका दमन करनेवाले॥8॥


दिव्यायुधः स्कन्दगुरुः परमेष्ठी परात्परः।
अनादिमध्यनिधनो गिरीशो गिरिजाधवः॥9॥

61. दिव्यायुधः – “पाशुपत” आदि दिव्य अस्त्र धारण करनेवाले,
62. स्कन्दगुरुः – कार्तिकेयजीके पिता,
63. परमेष्ठी – अपनी प्रकृष्ट महिमामें स्थित रहनेवाले,
64. परात्परः – कारणके भी कारण,
65. अनादिमध्यनिधनः – आदि, मध्य और अन्तसे रहित,
66. गिरीशः – कैलासके अधिपति,
67. गिरिजाधवः – पार्वतीके पति॥9॥


कुबेरबन्धुः श्रीकष्ठो लोकवर्णोत्तमो मृदुः।
समाधिवेद्यः कोदण्डी नीलकण्ठः परश्वधी॥10॥

68. कुबेरबन्धुः – कुबेरको अपना बन्धु (मित्र) माननेवाले,
69. श्रीकण्ठः – श्यामसुषमासे सुशोभित कण्ठवाले,
70. लोकवर्णोत्तमः – समस्त लोकों और वर्णोंसे श्रेष्ठ,
71. मृदुः – कोमल स्वभाववाले,
72. समाधिवेद्यः – समाधि अथवा चित्तवृत्तियोंके निरोधसे अनुभवमें आनेयोग्य,
73. कोदण्डी – धनुर्धर,
74. नीलकण्ठः – कण्ठमें हालाहल विषका नील चिह्न धारण करनेवाले,
75. परश्वधी – परशुधारी॥10॥


विशालाक्षो मृगव्याधः सुरेशः सूर्यतापनः।
धर्मधाम क्षमाक्षेत्रं भगवान् भगनेत्रभित्॥11॥

76. विशालाक्षः – बड़े-बड़े नेत्रोंवाले,
77. मृगव्याधः – वनमें व्याध या किरातके रूपमें प्रकट हो शूकरके ऊपर बाण चलानेवाले,
78. सुरेशः – देवताओंके स्वामी,
79. सूर्यतापनः – सूर्यको भी दण्ड देनेवाले,
80. धर्मधाम – धर्मके आश्रय,
81. क्षमाक्षेत्रम् – क्षमाके उत्पत्ति-स्थान,
82. भगवान् – सम्पूर्ण ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान तथा वैराग्यके आश्रय,
83. भगनेत्रभित् – भगदेवताके नेत्रका भेदन करनेवाले॥11॥


उग्रः पशुपतिस्तार्क्ष्यः प्रियभक्तः परंतपः।
दाता दयाकरो दक्षः कपर्दी कामशासनः॥12॥

84. उग्रः – संहारकालमें भयंकर रूप धारण करनेवाले,
85. पशुपतिः – मायारूपमें बँधे हुए पाशबद्ध पशुओं (जीवों)-को तत्त्वज्ञानके द्वारा मुक्त करके यथार्थरूपसे उनका पालन करनेवाले,
86. तार्क्ष्यः – सोमपो गरुड़रूप,
87. प्रियभक्तः – भक्तोंसे प्रेम करनेवाले,
88. परंतपः – शत्रुता रखने-वालोंको संताप देनेवाले,
89. दाता – दानी,
90. दयाकरः – दयानिधान अथवा कृपा करनेवाले,
91. दक्षः – कुशल,
92. कपर्दी – जटाजूटधारी,
93. कामशासनः – कामदेवका दमन करनेवाले॥12॥


श्मशाननिलयः सूक्ष्मः श्मशानस्थो महेश्वरः।
लोककर्ता मृगपतिर्महाकर्ता महौषधिः॥13॥

94. श्मशाननिलयः – श्मशानवासी,
95. सूक्ष्मः – इन्द्रियातीत एवं सर्वव्यापी,
96. श्मशानस्थः – श्मशानभूमिमें विश्राम करनेवाले,
97. महेश्वरः – महान् ईश्वर या परमेश्वर,
98. लोककर्ता – जगत्‌की सृष्टि करनेवाले,
99. मृगपतिः – मृगके पालक या पशुपति,
100. महाकर्ता – विराट् ब्रह्माण्डकी सृष्टि करनेके समय महान् कर्तृत्वसे सम्पन्न,
101. महौषधिः – भवरोगका निवारण करनेके लिये महान् ओषधिरूप॥13॥


उत्तरो गोपतिर्गोप्ता ज्ञानगम्यः पुरातनः।
नीतिः सुनीतिः शुद्धात्मा सोमः सोमरतः सुखी॥14॥

102. उत्तरः – संसार-सागरसे पार उतारनेवाले,
103. गोपतिः – स्वर्ग, पृथ्वी, पशु, वाणी, किरण, इन्द्रिय और जलके स्वामी,
104. गोप्ता – रक्षक,
105. ज्ञानगम्यः – तत्त्वज्ञानके द्वारा ज्ञानस्वरूपसे ही जाननेयोग्य,
106. पुरातनः – सबसे पुराने,
107. नीतिः – न्यायस्वरूप,
108. सुनीतिः – उत्तम नीतिवाले,
109. शुद्धात्मा – विशुद्ध आत्मस्वरूप,
110. सोमः – उमासहित,
111. सोमरतः – चन्द्रमापर प्रेम रखनेवाले,
112. सुखी – आत्मानन्दसे परिपूर्ण॥14॥


सोमपोऽमृतपः सौम्यो महातेजा महाद्युतिः।
तेजोमयोऽमृतमयोऽन्नमयश्च सुधापतिः॥15॥

113. सोमपः – सोमपान करनेवाले अथवा सोमनाथरूपसे चन्द्रमाके पालक,
114. अमृतपः – समाधिके द्वारा स्वरूपभूत अमृतका आस्वादन करनेवाले,
115. सौम्यः – भक्तोंके लिये सौम्यरूपधारी,
116. महातेजाः – महान् तेजसे सम्पन्न,
117. महाद्युतिः – परमकान्तिमान्,
118. तेजोमयः – प्रकाशस्वरूप,
119. अमृतमयः – अमृतरूप,
120. अन्नमयः – अन्नरूप,
121. सुधापतिः – अमृतके पालक॥15॥


अजातशत्रुरालोकः सम्भाव्यो हव्यवाहनः।
लोककरो वेदकरः सूत्रकारः सनातनः॥16॥

122. अजातशत्रुः – जिनके मनमें कभी किसीके प्रति शत्रुभाव नहीं पैदा हुआ, ऐसे समदर्शी,
123. आलोकः – प्रकाशस्वरूप,
124. सम्भाव्यः – सम्माननीय,
125. हव्यवाहनः – अग्निस्वरूप,
126. लोककरः – जगत्‌के स्रष्टा,
127. वेदकरः – वेदोंके प्रकट करनेवाले,
128. सूत्रकारः – ढक्कानादके रूपमें चतुर्दश माहेश्वर सूत्रोंके प्रणेता,
129. सनातनः – नित्यस्वरूप॥16॥


महर्षिकपिलाचार्यो विश्वदीप्तिस्त्रिलोचनः।
पिनाकपाणिर्भूदेवः स्वस्तिदः स्वस्तिकृत्सुधीः॥17॥

130. महर्षिकपिलाचार्यः – सांख्यशास्त्रके प्रणेता भगवान् कपिलाचार्य,
131. विश्वदीप्तिः – अपनी प्रभासे सबको प्रकाशित करनेवाले,
132. त्रिलोचनः – तीनों लोकोंके द्रष्टा,
133. पिनाकपाणिः – हाथमें पिनाक नामक धनुष धारण करनेवाले,
134. भूदेवः – पृथ्वीके देवता – ब्राह्मण अथवा पार्थिवलिंगरूप,
135. स्वस्तिदः – कल्याणदाता,
136. स्वस्तिकृत् – कल्याणकारी,
137. सुधीः – विशुद्ध बुद्धिवाले॥17॥


धातृधामा धामकरः सर्वगः सर्वगोचरः।
ब्रह्मसृग्विश्वसृक्सर्गः कर्णिकारप्रियः कविः॥18॥

138. धातृधामा – विश्वका धारण-पोषण करनेमें समर्थ तेजवाले,
139. धामकरः – तेजकी सृष्टि करनेवाले,
140. सर्वगः – सर्वव्यापी,
141. सर्वगोचरः – सबमें व्याप्त,
142. ब्रह्मसृक् – ब्रह्माजीके उत्पादक,
143. विश्वसृक् – जगत्‌के स्रष्टा,
144. सर्गः – सृष्टिस्वरूप,
145. कर्णिकारप्रियः – कनेरके फूलको पसंद करनेवाले,
146. कविः – त्रिकालदर्शी॥18॥


शाखो विशाखो गोशाखः शिवो भिषगनुत्तमः।
गङ्गाप्लवोदको भव्यः पुष्कलः स्थपतिः स्थिरः॥19॥

147. शाखः – कार्तिकेयके छोटे भाई शाखस्वरूप,
148. विशाखः – स्कन्दके छोटे भाई विशाखस्वरूप अथवा विशाख नामक ऋषि,
149. गोशाखः – वेदवाणीकी शाखाओंका विस्तार करनेवाले,
150. शिवः – मंगलमय,
151. भिषगनुत्तमः – भवरोगका निवारण करनेवाले वैद्यों (ज्ञानियों)-में सर्वश्रेष्ठ,
152. गङ्गाप्लवोदकः – गंगाके प्रवाहरूप जलको सिरपर धारण करनेवाले,
153. भव्यः – कल्याणस्वरूप,
154. पुष्कलः – पूर्णतम अथवा व्यापक,
155. स्थपतिः ब्रह्माण्डरूपी भवनके निर्माता (थवई),
156. स्थिरः – अचंचल अथवा स्थाणुरूप॥19॥


विजितात्मा विधेयात्मा भूतवाहनसारथिः।
सगणो गणकायश्च सुकीर्तिश्छिन्नसंशयः॥20॥

157. विजितात्मा – मनको वशमें रखनेवाले,
158. विधेयात्मा – शरीर, मन और इन्द्रियोंसे अपनी इच्छाके अनुसार काम लेनेवाले,
159. भूतवाहनसारथिः – पांचभौतिक रथ (शरीर)-का संचालन करनेवाले बुद्धिरूप सारथि,
160. सगणः – प्रमथगणोंके साथ रहनेवाले,
161. गणकायः – गणस्वरूप,
162. सुकीर्तिः – उत्तम कीर्तिवाले,
163. छिन्नसंशयः – संशयोंको काट देनेवाले॥20॥


कामदेवः कामपालो भस्मोद्‌धूलितविग्रहः।
भस्मप्रियो भस्मशायी कामी कान्तः कृतागमः॥21॥

164. कामदेवः – मनुष्योंद्वारा अभिलषित समस्त कामनाओंके अधिष्ठाता परमदेव,
165. कामपालः – सकाम भक्तोंकी कामनाओंको पूर्ण करनेवाले,
166. भस्मोद्‌धूलितविग्रहः – अपने श्रीअंगोंमें भस्म रमानेवाले,
167. भस्मप्रियः – भस्मके प्रेमी,
168. भस्मशायी – भस्मपर शयन करनेवाले,
169. कामी – अपने प्रिय भक्तोंको चाहनेवाले,
170. कान्तः – परम कमनीय प्राणवल्लभरूप,
171. कृतागमः – समस्त तन्त्रशास्त्रोंके रचयिता॥21॥


समावर्तोऽनिवृत्तात्मा धर्मपुञ्जः सदाशिवः।
अकल्मषश्चतुर्बाहुर्दुरावासो दुरासदः॥22॥

172. समावर्तः – संसारचक्रको भलीभाँति घुमानेवाले,
173. अनिवृत्तात्मा – सर्वत्र विद्यमान होनेके कारण जिनका आत्मा कहींसे भी हटा नहीं है, ऐसे,
174. धर्मपुञ्जः – धर्म या पुण्यकी राशि,
175. सदाशिवः – निरन्तर कल्याणकारी,
176. अकल्मषः – पापरहित,
177. चतुर्बाहुः – चार भुजाधारी,
178. दुरावासः – जिन्हें योगीजन भी बड़ी कठिनाईसे अपने हृदयमन्दिरमें बसा पाते हैं, ऐसे,
179. दुरासदः – परम दुर्जय॥22॥


दुर्लभो दुर्गमो दुर्गः सर्वायुधविशारदः।
अध्यात्मयोगनिलयः सुतन्तुस्तन्तुवर्धनः॥23॥

180. दुर्लभः – भक्तिहीन पुरुषोंको कठिनतासे प्राप्त होनेवाले,
181. दुर्गमः – जिनके निकट पहुँचना किसीके लिये भी कठिन है ऐसे,
182. दुर्गः – पाप-तापसे रक्षा करनेके लिये दुर्गरूप अथवा दुर्ज्ञेय,
183. सर्वायुधविशारदः – सम्पूर्ण अस्त्रोंके प्रयोगकी कलामें कुशल,
184. अध्यात्मयोगनिलयः – अध्यात्मयोगमें स्थित,
185. सुतन्तुः – सुन्दर विस्तृत जगत्-रूप तन्तुवाले,
186. तन्तुवर्धनः – जगत्-रूप तन्तुको बढ़ानेवाले॥23॥


शुभाङ्गो लोकसारङ्गो जगदीशो जनार्दनः।
भस्मशुद्धिकरो मेरुरोजस्वी शुद्धविग्रहः॥24॥

187. शुभाङ्गः – सुन्दर अंगोंवाले,
188. लोकसारङ्गः – लोकसारग्राही,
189. जगदीशः – जगत्‌के स्वामी,
190. जनार्दनः – भक्तजनोंकी याचनाके आलम्बन,
191. भस्मशुद्धिकरः – भस्मसे शुद्धिका सम्पादन करनेवाले,
192. मेरुः – सुमेरु पर्वतके समान केन्द्ररूप,
193. ओजस्वी – तेज और बलसे सम्पन्न,
194. शुद्धविग्रहः – निर्मल शरीरवाला॥24॥


असाध्यः साधुसाध्यश्च भृत्यमर्कटरूपधृक्।
हिरण्यरेताः पौराणो रिपुजीवहरो बली॥25॥

195. असाध्यः – साधन-भजनसे दूर रहनेवाले लोगोंके लिये अलभ्य,
196. साधु-साध्यः – साधन-भजनपरायण सत्पुरुषोंके लिये सुलभ,
197. भृत्यमर्कटरूपधृक् – श्रीरामके सेवक वानर हनुमान्‌का रूप धारण करनेवाले,
198. हिरण्यरेताः – अग्निस्वरूप अथवा सुवर्णमय वीर्यवाले,
199. पौराणः – पुराणोंद्वारा प्रतिपादित,
200. रिपुजीवहरः – शत्रुओंके प्राण हर लेनेवाले,
201. बली – बलशाली॥25॥


महाह्रदो महागर्तः सिद्धवृन्दारवन्दितः।
व्याघ्रचर्माम्बरो व्याली महाभूतो महानिधिः॥26॥

202. महाह्रदः – परमानन्दके महान् सरोवर,
203. महागर्तः – महान् आकाशरूप,
204. सिद्धवृन्दारवन्दितः – सिद्धों और देवताओंद्वारा वन्दित,
205. व्याघ्रचर्माम्बरः – व्याघ्रचर्मको वस्त्रके समान धारण करनेवाले,
206. व्याली – सर्पोंको आभूषणकी भाँति धारण करनेवाले,
207. महाभूतः – त्रिकालमें भी कभी नष्ट न होनेवाले महाभूतस्वरूप,
208. महानिधिः – सबके महान् निवासस्थान॥26॥


अमृताशोऽमृतवपुः पाञ्चजन्यः प्रभञ्जनः।
पञ्चविंशतितत्त्वस्थः पारिजातः परावरः॥27॥

209. अमृताशः – जिनकी आशा कभी विफल न हो ऐसे अमोघसंकल्प,
210. अमृतवपुः – जिनका कलेवर कभी नष्ट न हो ऐसे – नित्यविग्रह,
211. पाञ्चजन्यः – पांचजन्य नामक शंखस्वरूप,
212. प्रभञ्जनः – वायुस्वरूप अथवा संहारकारी,
213. पञ्चविंशतितत्त्वस्थः – प्रकृति, महत्तत्त्व (बुद्धि), अहंकार, चक्षु, श्रोत्र, घ्राण, रसना, त्वक्, वाक्, पाणि, पायु, पाद, उपस्थ, मन, शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गन्ध, पृथ्वी, जल, तेज, वायु और आकाश – इन चौबीस जड तत्त्वोंसहित पचीसवें चेतनतत्त्वपुरुषमें व्याप्त,
214. पारिजातः – याचकोंकी इच्छा पूर्ण करनेमें कल्पवृक्षरूप,
215. परावरः – कारण-कार्यरूप॥27॥


सुलभः सुव्रतः शूरो ब्रह्मवेदनिधिर्निधिः।
वर्णाश्रमगुरुर्वर्णी शत्रुजिच्छत्रुतापनः॥28॥

216. सुलभः – नित्य-निरन्तर चिन्तन करनेवाले एकनिष्ठ श्रद्धालु भक्तको सुगमतासे प्राप्त होनेवाले,
217. सुव्रतः – उत्तम व्रतधारी,
218. शूरः – शौर्यसम्पन्न,
219. ब्रह्म-वेदनिधिः – ब्रह्मा और वेदके प्रादुर्भावके स्थान,
220. निधिः – जगत्-रूपी रत्नके उत्पत्तिस्थान,
221. वर्णाश्रमगुरुः – वर्णों और आश्रमोंके गुरु (उपदेष्टा),
222. वर्णी – ब्रह्मचारी,
223. शत्रुजित् – अन्धकासुर आदि शत्रुओंको जीतनेवाले,
224. शत्रुतापनः – शत्रुओंको संताप देनेवाले॥28॥


आश्रमः क्षपणः क्षामो ज्ञानवानचलेश्वरः।
प्रमाणभूतो दुर्ज्ञेयः सुपर्णो वायुवाहनः॥29॥

225. आश्रमः – सबके विश्रामस्थान,
226. क्षपणः – जन्म-मरणके कष्टका मूलोच्छेद करनेवाले,
227. क्षामः – प्रलयकालमें प्रजाको क्षीण करनेवाले,
228. ज्ञानवान् – ज्ञानी,
229. अचलेश्वरः – पर्वतों अथवा स्थावर पदार्थोंके स्वामी,
230. प्रमाणभूतः – नित्यसिद्ध प्रमाणरूप,
231. दुर्ज्ञेयः – कठिनतासे जाननेयोग्य,
232. सुपर्णः – वेदमय सुन्दर पंखवाले, गरुड़रूप,
233. वायुवाहनः – अपने भयसे वायुको प्रवाहित करनेवाले॥29॥


धनुर्धरो धनुर्वेदो गुणराशिर्गुणाकरः।
सत्यः सत्यपरोऽदीनो धर्माङ्गो धर्मसाधनः॥30॥

234. धनुर्धरः – पिनाकधारी,
235. धनुर्वेदः – धनुर्वेदके ज्ञाता,
236. गुणराशिः – अनन्त कल्याणमय गुणोंकी राशि,
237. गुणाकरः – सद्‌गुणोंकी खानि,
238. सत्यः – सत्यस्वरूप,
239. सत्यपरः – सत्यपरायण,
240. अदीनः – दीनतासे रहित – उदार,
241. धर्माङ्गः – धर्ममय विग्रहवाले,
242. धर्मसाधनः – धर्मका अनुष्ठान करनेवाले॥30॥


अनन्तदृष्टिरानन्दो दण्डो दमयिता दमः।
अभिवाद्यो महामायो विश्वकर्मविशारदः॥31॥

243. अनन्तदृष्टिः – असीमित दृष्टिवाले,
244. आनन्दः – परमानन्दमय,
245. दण्डः – दुष्टोंको दण्ड देनेवाले अथवा दण्डस्वरूप,
246. दमयिता – दुर्दान्त दानवोंका दमन करनेवाले,
247. दमः – दमनस्वरूप,
248. अभिवाद्यः – प्रणाम करनेयोग्य,
249. महामायः – मायावियोंको भी मोहनेवाले महामायावी,
250. विश्वकर्मविशारदः – संसारकी सृष्टि करनेमें कुशल॥31॥


वीतरागो विनीतात्मा तपस्वी भूतभावनः।
उन्मत्तवेषः प्रच्छन्नो जितकामोऽजितप्रियः॥32॥

251. वीतरागः – पूर्णतया विरक्त,
252. विनीतात्मा – मनसे विनयशील अथवा मनको वशमें रखनेवाले,
253. तपस्वी – तपस्यापरायण,
254. भूतभावनः – सम्पूर्ण भूतोंके उत्पादक एवं रक्षक,
255. उन्मत्तवेषः – पागलोंके समान वेष धारण करनेवाले,
256. प्रच्छन्नः – मायाके पर्देमें छिपे हुए,
257. जितकामः – कामविजयी,
258. अजितप्रियः – भगवान् विष्णुके प्रेमी॥32॥


कल्याणप्रकृतिः कल्पः सर्वलोकप्रजापतिः।
तरस्वी तारको धीमान् प्रधानः प्रभुरव्ययः॥33॥

259. कल्याणप्रकृतिः – कल्याणकारी स्वभाववाले,
260. कल्पः – समर्थ,
261. सर्वलोकप्रजापतिः – सम्पूर्ण लोकोंकी प्रजाके पालक,
262. तरस्वी – वेगशाली,
263. तारकः – उद्धारक,
264. धीमान् – विशुद्ध बुद्धिसे युक्त,
265. प्रधानः – सबसे श्रेष्ठ,
266. प्रभुः – सर्वसमर्थ,
267. अव्ययः – अविनाशी॥33॥


लोकपालोऽन्तर्हितात्मा कल्पादिः कमलेक्षणः।
वेदशास्त्रार्थतत्त्वज्ञोऽनियमो नियताश्रयः॥34॥

268. लोकपालः – समस्त लोकोंकी रक्षा करनेवाले,
269. अन्तर्हितात्मा – अन्तर्यामी आत्मा अथवा अदृश्य स्वरूपवाले,
270. कल्पादिः – कल्पके आदिकारण,
271. कमलेक्षणः – कमलके समान नेत्रवाले,
272. वेदशास्त्रार्थतत्त्वज्ञः – वेदों और शास्त्रोंके अर्थ एवं तत्त्वको जाननेवाले,
273. अनियमः – नियन्त्रणरहित,
274. नियताश्रयः – सबके सुनिश्चित आश्रयस्थान॥34॥


चन्द्रः सूर्यः शनिः केतुर्वराङ्गो विद्रुमच्छविः।
भक्तिवश्यः परब्रह्म मृगबाणार्पणोऽनघः॥35॥

275. चन्द्रः – चन्द्रमारूपसे आह्लादकारी,
276. सूर्यः – सबकी उत्पत्तिके हेतुभूत सूर्य,
277. शनिः – शनैश्चररूप,
278. केतुः – केतु नामक ग्रहस्वरूप,
279. वराङ्गः – सुन्दर शरीरवाले,
280. विद्रुमच्छविः – मूँगेकी-सी लाल कान्तिवाले,
281. भक्तिवश्यः – भक्तिके द्वारा भक्तके वशमें होनेवाले,
282. परब्रह्म – परमात्मा,
283. मृगबाणार्पणः – मृगरूपधारी यज्ञपर बाण चलानेवाले,
284. अनघः – पापरहित॥35॥


अद्रिरद्र्‌यालयः कान्तः परमात्मा जगद्‌गुरुः।
सर्वकर्मालयस्तुष्टो मङ्गल्यो मङ्गलावृतः॥36॥

285. अद्रिः – कैलास आदि पर्वतस्वरूप,
286. अद्र्‌यालयः – कैलास और मन्दर आदि पर्वतोंपर निवास करनेवाले,
287. कान्तः – सबके प्रियतम,
288. परमात्मा – परब्रह्म परमेश्वर,
289. जगद्‌गुरुः – समस्त संसारके गुरु,
290. सर्वकर्मालयः – सम्पूर्ण कर्मोंके आश्रयस्थान,
291. तुष्टः – सदा प्रसन्न,
292. मङ्गल्यः – मंगलकारी,
293. मङ्गलावृतः – मंगलकारिणी शक्तिसे संयुक्त॥36॥


महातपा दीर्घतपाः स्थविष्ठः स्थविरो ध्रुवः।
अहःसंवत्सरो व्याप्तिः प्रमाणं परमं तपः॥37॥

294. महातपाः – महान् तपस्वी,
295. दीर्घतपा – दीर्घकालतक तप करनेवाले,
296. स्थविष्ठः – अत्यन्त स्थूल,
297. स्थविरो ध्रुवः – अति प्राचीन एवं अत्यन्त स्थिर,
298. अहःसंवत्सरः – दिन एवं संवत्सर आदि कालरूपसे स्थित, अंश-कालस्वरूप,
299. व्याप्तिः – व्यापकतास्वरूप,
300. प्रमाणम् – प्रत्यक्षादि प्रमाणस्वरूप,
301. परमं तपः – उत्कृष्ट तपस्या-स्वरूप॥37॥


संवत्सरकरो मन्त्रप्रत्ययः सर्वदर्शनः।
अजः सर्वेश्वरः सिद्धो महारेता महाबलः॥38॥

302. संवत्सरकरः – संवत्सर आदि कालविभागके उत्पादक,
303. मन्त्र-प्रत्ययः – वेद आदि मन्त्रोंसे प्रतीत (प्रत्यक्ष) होनेयोग्य,
304. सर्वदर्शनः – सबके साक्षी,
305. अजः – अजन्मा,
306. सर्वेश्वरः – सबके शासक,
307. सिद्धः – सिद्धियोंके आश्रय,
308. महारेताः – श्रेष्ठ वीर्यवाले,
309. महाबलः – प्रमथगणोंकी महती सेनासे सम्पन्न॥38॥


योगी योग्यो महातेजाः सिद्धिः सर्वादिरग्रहः।
वसुर्वसुमनाः सत्यः सर्वपापहरो हरः॥39॥

310. योगी योग्यः – सुयोग्य योगी,
311. महातेजाः – महान् तेजसे सम्पन्न,
312. सिद्धिः – समस्त साधनोंके फल,
313. सर्वादिः – सब भूतोंके आदिकारण,
314. अग्रहः – इन्द्रियोंकी ग्रहणशक्तिके अविषय,
315. वसुः – सब भूतोंके वासस्थान,
316. वसुमनाः – उदार मनवाले,
317. सत्यः – सत्यस्वरूप,
318. सर्वपापहरो हरः – समस्त पापोंका अपहरण करनेके कारण हर नामसे प्रसिद्ध॥39॥


सुकीर्तिशोभनः श्रीमान् वेदाङ्गो वेदविन्मुनिः।
भ्राजिष्णुर्भोजनं भोक्ता लोकनाथो दुराधरः॥40॥

319. सुकीर्तिशोभनः – उत्तम कीर्तिसे सुशोभित होनेवाले,
320. श्रीमान् – विभूतिस्वरूपा उमासे सम्पन्न,
321. वेदाङ्गः – वेदरूप अंगोंवाले,
322. वेदविन्मुनिः – वेदोंका विचार करनेवाले मननशील मुनि,
323. भ्राजिष्णुः – एकरस प्रकाशस्वरूप,
324. भोजनम् – ज्ञानियोंद्वारा भोगनेयोग्य अमृतस्वरूप,
325. भोक्ता – पुरुषरूपसे उपभोग करनेवाले,
326. लोकनाथः – भगवान् विश्वनाथ,
327. दुराधरः – अजितेन्द्रिय पुरुषोंद्वारा जिनकी आराधना अत्यन्त कठिन है, ऐसे॥40॥


अमृतः शाश्वतः शान्तो बाणहस्तः प्रतापवान्।
कमण्डलुधरो धन्वी अवाङ्‌मनसगोचरः॥41॥

328. अमृतः शाश्वतः – सनातन अमृतस्वरूप,
329. शान्तः – शान्तिमय,
330. बाणहस्तः प्रतापवान् – हाथमें बाण धारण करनेवाले प्रतापी वीर,
331. कमण्डलुधरः – कमण्डलु धारण करनेवाले,
332. धन्वी – पिनाकधारी,
333. अवाङ्‌मनसगोचरः – मन और वाणीके अविषय॥41॥


अतीन्द्रियो महामायः सर्वावासश्चतुष्पथः।
कालयोगी महानादो महोत्साहो महाबलः॥42॥

334. अतीन्द्रियो महामायः – इन्द्रियातीत एवं महामायावी,
335. सर्वावासः – सबके वासस्थान,
336. चतुष्पथः – चारों पुरुषार्थोंकी सिद्धिके एकमात्र मार्ग,
337. कालयोगी – प्रलयके समय सबको कालसे संयुक्त करनेवाले,
338. महानादः – गम्भीर शब्द करनेवाले अथवा अनाहत नादरूप,
339. महोत्साहो महाबलः – महान् उत्साह और बलसे सम्पन्न॥42॥


महाबुद्धिर्महावीर्यो भूतचारी पुरंदरः।
निशाचरः प्रेतचारी महाशक्तिर्महाद्युतिः॥43॥

340. महाबुद्धिः – श्रेष्ठ बुद्धिवाले,
341. महावीर्यः – अनन्त पराक्रमी,
342. भूतचारी – भूतगणोंके साथ विचरनेवाले,
343. पुरंदरः – त्रिपुरसंहारक,
344. निशाचरः – रात्रिमें विचरण करनेवाले,
345. प्रेतचारी – प्रेतोंके साथ भ्रमण करनेवाले,
346. महाशक्तिर्महाद्युतिः – अनन्तशक्ति एवं श्रेष्ठ कान्तिसे सम्पन्न॥43॥


अनिर्देश्यवपुः श्रीमान् सर्वाचार्यमनोगतिः।
बहुश्रुतोऽमहामायो नियतात्मा ध्रुवोऽध्रुवः॥44॥

347. अनिर्देश्यवपुः – अनिर्वचनीय स्वरूपवाले,
348. श्रीमान् – ऐश्वर्यवान्,
349. सर्वाचार्यमनोगतिः – सबके लिये अविचार्य मनोगतिवाले,
350. बहुश्रुतः – बहुज्ञ अथवा सर्वज्ञ,
351. अमहामायः – बड़ी-से-बड़ी माया भी जिनपर प्रभाव नहीं डाल सकती ऐसे,
352. नियतात्मा – मनको वशमें रखनेवाले,
353. ध्रुवोऽध्रुवः – ध्रुव (नित्य कारण) और अध्रुव (अनित्यकार्य)-रूप॥44॥


ओजस्तेजोद्युतिधरो जनकः सर्वशासनः।
नृत्यप्रियो नित्यनृत्यः प्रकाशात्मा प्रकाशकः॥45॥

354. ओजस्तेजोद्युतिधरः – ओज (प्राण और बल), तेज (शौर्य आदि गुण) तथा ज्ञानकी दीप्तिको धारण करनेवाले,
355. जनकः – सबके उत्पादक,
356. सर्वशासनः – सबके शासक,
357. नृत्यप्रियः – नृत्यके प्रेमी,
358. नित्यनृत्यः – प्रतिदिन ताण्डव नृत्य करनेवाले,
359. प्रकाशात्मा – प्रकाशस्वरूप,
360. प्रकाशकः – सूर्य आदिको भी प्रकाश देनेवाले॥45॥


स्पष्टाक्षरो बुधो मन्त्रः समानः सारसम्प्लवः।
युगादिकृद्युगावर्तो गम्भीरो वृषवाहनः॥46॥

361. स्पष्टाक्षरः – ओंकाररूप स्पष्ट अक्षरवाले,
362. बुधः – ज्ञानवान्,
363. मन्त्रः – ऋक्, साम और यजुर्वेदके मन्त्रस्वरूप,
364. समानः – सबके प्रति समान भाव रखनेवाले,
365. सारसम्प्लवः – संसारसागरसे पार होनेके लिये नौकारूप,
366. युगादिकृद्युगावर्तः – युगादिका आरम्भ करनेवाले तथा चारों युगोंको चक्रकी तरह घुमानेवाले,
367. गम्भीरः – गाम्भीर्यसे युक्त,
368. वृषवाहनः – नन्दी नामक वृषभपर सवार होनेवाले॥46॥


इष्टोऽविशिष्टः शिष्टेष्टः सुलभः सारशोधनः।
तीर्थरूपस्तीर्थनामा तीर्थदृश्यस्तु तीर्थदः॥47॥

369. इष्टः – परमानन्दस्वरूप होनेसे सर्वप्रिय,
370. अविशिष्टः – सम्पूर्ण विशेषणोंसे रहित,
371. शिष्टेष्टः – शिष्ट पुरुषोंके इष्टदेव,
372. सुलभः – अनन्यचित्तसे निरन्तर स्मरण करनेवाले भक्तोंके लिये सुगमतासे प्राप्त होनेयोग्य,
373. सारशोधनः – सारतत्त्वकी खोज करनेवाले,
374. तीर्थरूपः – तीर्थस्वरूप,
375. तीर्थनामा – तीर्थनामधारी अथवा जिनका नाम भवसागरसे पार लगानेवाला है, ऐसे,
376. तीर्थदृश्यः – तीर्थसेवनसे अपने स्वरूपका दर्शन करानेवाले अथवा गुरु-कृपासे प्रत्यक्ष होनेवाले,
377. तीर्थदः – चरणोदक स्वरूप तीर्थको देनेवाले॥47॥


अपांनिधिरधिष्ठानं दुर्जयो जयकालवित्।
प्रतिष्ठितः प्रमाणज्ञो हिरण्यकवचो हरिः॥48॥

378. अपांनिधिः – जलके निधान समुद्ररूप,
379. अधिष्ठानम् – उपादान-कारणरूपसे सब भूतोंके आश्रय अथवा जगत्-रूप प्रपंचके अधिष्ठान,
380. दुर्जयः – जिनको जीतना कठिन है, ऐसे,
381. जयकालवित् – विजयके अवसरको समझनेवाले,
382. प्रतिष्ठितः – अपनी महिमामें स्थित,
383. प्रमाणज्ञः – प्रमाणोंके ज्ञाता,
384. हिरण्यकवचः – सुवर्णमय कवच धारण करनेवाले,
385. हरिः – श्रीहरिस्वरूप॥48॥


विमोचनः सुरगणो विद्येशो विन्दुसंश्रयः।
बालरूपोऽबलोन्मत्तोऽविकर्ता गहनो गुहः॥49॥

386. विमोचनः – संसारबन्धनसे सदाके लिये छुड़ा देनेवाले,
387. सुरगणः – देवसमुदायरूप,
388. विद्येशः – सम्पूर्ण विद्याओंके स्वामी,
389. विन्दुसंश्रयः – बिन्दुरूप प्रणवके आश्रय,
390. बालरूपः – बालकका रूप धारण करनेवाले,
391. अबलोन्मत्तः – बलसे उन्मत्त न होनेवाले,
392. अविकर्ता – विकाररहित,
393. गहनः – दुर्बोधस्वरूप या अगम्य,
394. गुहः – मायासे अपने यथार्थ स्वरूपको छिपाये रखनेवाले॥49॥


करणं कारणं कर्ता सर्वबन्धविमोचनः।
व्यवसायो व्यवस्थानः स्थानदो जगदादिजः॥50॥

395. करणम् – संसारकी उत्पत्तिके सबसे बड़े साधन,
396. कारणम् – जगत्‌के उपादान और निमित्त कारण,
397. कर्ता – सबके रचयिता,
398. सर्वबन्धविमोचनः – सम्पूर्ण बन्धनोंसे छुड़ानेवाले,
399. व्यवसायः – निश्चयात्मक ज्ञानस्वरूप,
400. व्यवस्थानः – सम्पूर्ण जगत्‌की व्यवस्था करनेवाले,
401. स्थानदः – ध्रुव आदि भक्तोंको अविचल स्थिति प्रदान कर देनेवाले,
402. जगदादिजः – हिरण्यगर्भरूपसे जगत्‌के आदिमें प्रकट होनेवाले॥50॥


गुरुदो ललितोऽभेदो भावात्माऽऽत्मनि संस्थितः।
वीरेश्वरो वीरभद्रो वीरासनविधिर्विराट्॥51॥

403. गुरुदः – श्रेष्ठ वस्तु प्रदान करनेवाले अथवा जिज्ञासुओंको गुरुकी प्राप्ति करानेवाले,
404. ललितः – सुन्दर स्वरूपवाले,
405. अभेदः – भेदरहित,
406. भावात्माऽऽत्मनि संस्थितः – सत्स्वरूप आत्मामें प्रतिष्ठित,
407. वीरेश्वरः – वीरशिरोमणि,
408. वीरभद्रः – वीरभद्र नामक गणाध्यक्ष,
409. वीरासनविधिः – वीरासनसे बैठनेवाले,
410. विराट् – अखिलब्रह्माण्डस्वरूप॥51॥


वीरचूडामणिर्वेत्ता चिदानन्दो नदीधरः।
आज्ञाधारस्त्रिशूली च शिपिविष्टः शिवालयः॥52॥

411. वीरचूडामणिः – वीरोंमें श्रेष्ठ,
412. व्यर्थ वेत्ता – विद्वान्,
413. चिदानन्दः – विज्ञानानन्दस्वरूप,
414. नदीधरः – मस्तकपर गंगाजीको धारण करनेवाले,
415. आज्ञाधारः – आज्ञाका पालन करनेवाले,
416. त्रिशूली – त्रिशूलधारी,
417. शिपिविष्टः – तेजोमयी किरणोंसे व्याप्त,
418. शिवालयः – भगवती शिवाके आश्रय॥52॥


वालखिल्यो महाचापस्तिग्मांशुर्बधिरः खगः।
अभिरामः सुशरणः सुब्रह्मण्यः सुधापतिः॥53॥

419. वालखिल्यः – वालखिल्य ऋषिरूप,
420. महाचापः – महान्‌ धनुर्धर,
421. तिग्मांशुः – सूर्यरूप,
422. बधिरः – लौकिक विषयोंकी चर्चा न सुननेवाले,
423. खगः – आकाशचारी,
424. अभिरामः – परम सुन्दर,
425. सुशरणः – सबके लिये सुन्दर आश्रयरूप,
426. सुब्रह्मण्यः – ब्राह्मणोंके परम हितैषी,
427. सुधापतिः – अमृतकलशके रक्षक॥53॥


मघवान्कौशिको गोमान्विरामः सर्वसाधनः।
ललाटाक्षो विश्वदेहः सारः संसारचक्रभृत्॥54॥

428. मघवान् कौशिकः – कुशिकवंशीय इन्द्रस्वरूप,
429. गोमान् – प्रकाशकिरणोंसे युक्त,
430. विरामः – समस्त प्राणियोंके लयके स्थान,
431. सर्वसाधनः – समस्त कामनाओंको सिद्ध करनेवाले,
432. ललाटाक्षः – ललाटमें तीसरा नेत्र धारण करनेवाले,
433. विश्वदेहः – जगत्स्वरूप,
434. सारः – सारतत्त्वरूप,
435. संसारचक्रभृत् – संसारचक्रको धारण करनेवाले॥54॥


अमोघदण्डो मध्यस्थो हिरण्यो ब्रह्मवर्चसी।
परमार्थः परो मायी शम्बरो व्याघ्रलोचनः॥55॥

436. अमोघदण्डः – जिनका दण्ड कभी व्यर्थ नहीं जाता है, ऐसे,
437. मध्यस्थः – उदासीन,
438. हिरण्यः – सुवर्ण अथवा तेजःस्वरूप,
439. ब्रह्मवर्चसी – ब्रह्मतेजसे सम्पन्न,
440. परमार्थः – मोक्षरूप उत्कृष्ट अर्थकी प्राप्ति करानेवाले,
441. परो मायी – महामायावी,
442. शम्बरः – कल्याणप्रद,
443. व्याघ्रलोचनः – व्याघ्रके समान भयानक नेत्रोंवाले॥55॥


रुचिर्विरञ्चिः स्वर्बन्धुर्वाचस्पतिरहर्पतिः।
रविर्विरोचनः स्कन्दः शास्ता वैवस्वतो यमः॥56॥

444. रुचिः – दीप्तिरूप,
445. विरञ्चिः – ब्रह्मस्वरूप,
446. स्वर्बन्धुः – स्वर्लोकमें बन्धुके समान सुखद,
447. वाचस्पतिः – वाणीके अधिपति,
448. अहर्पतिः – दिनके स्वामी सूर्यरूप,
449. रविः – समस्त रसोंका शोषण करनेवाले,
450. विरोचनः – विविध प्रकारसे प्रकाश फैलानेवाले,
451. स्कन्दः – स्वामी कार्तिकेयरूप,
452. शास्ता वैवस्वतो यमः – सबपर शासन करनेवाले सूर्यकुमार यम॥56॥


युक्तिरुन्नतकीर्तिश्च सानुरागः परञ्जयः।
कैलासाधिपतिः कान्तः सविता रविलोचनः॥57॥

453. युक्तिरुन्नतकीर्तिः – अष्टांगयोग-स्वरूप तथा ऊर्ध्वलोकमें फैली हुई कीर्तिसे युक्त,
454. सानुरागः – भक्तजनोंपर प्रेम रखनेवाले,
455. परञ्जयः – दूसरोंपर विजय पानेवाले,
456. कैलासाधिपतिः – कैलासके स्वामी,
457. कान्तः – कमनीय अथवा कान्तिमान्,
458. सविता – समस्त जगत्‌को उत्पन्न करनेवाले,
459. रविलोचनः – सूर्यरूप नेत्रवाले॥57॥


विद्वत्तमो वीतभयो विश्वभर्त्तानिवारितः।
नित्यो नियतकल्याणः पुण्यश्रवणकीर्तनः॥58॥

460. विद्वत्तमः – विद्वानोंमें सर्वश्रेष्ठ, परम विद्वान्,
461. वीतभयः – सब प्रकारके भयसे रहित,
462. विश्वभर्ता – जगत्‌का भरण-पोषण करनेवाले,
463. अनिवारितः – जिन्हें कोई रोक नहीं सकता ऐसे,
464. नित्यः – सत्यस्वरूप,
465. नियतकल्याणः – सुनिश्चितरूपसे कल्याणकारी,
466. पुण्यश्रवणकीर्तनः – जिनके नाम, गुण, महिमा और स्वरूपके श्रवण तथा कीर्तन परम पावन हैं, ऐसे॥58॥


दूरश्रवा विश्वसहो ध्येयो दुःस्वप्ननाशनः।
उत्तारणो दुष्कृतिहा विज्ञेयो दुस्सहोऽभवः॥59॥

467. दूरश्रवाः – सर्वव्यापी होनेके कारण दूरकी बात भी सुन लेनेवाले,
468. विश्वसहः – भक्तजनोंके सब अपराधोंको कृपापूर्वक सह लेनेवाले,
469. ध्येयः – ध्यान करनेयोग्य,
470. दुःस्वप्ननाशनः – चिन्तन करनेमात्रसे बुरे स्वप्नोंका नाश करनेवाले,
471. उत्तारणः – संसारसागरसे पार उतारनेवाले,
472. दुष्कृतिहा – पापोंका नाश करनेवाले,
473. विज्ञेयः – जाननेके योग्य,
474. दुस्सहः – जिनके वेगको सहन करना दूसरोंके लिये अत्यन्त कठिन है, ऐसे,
475. अभवः – संसारबन्धनसे रहित अथवा अजन्मा॥59॥


अनादिर्भूर्भुवो लक्ष्मीः किरीटी त्रिदशाधिपः।
विश्वगोप्ता विश्वकर्ता सुवीरो रुचिराङ्गदः॥60॥

476. अनादिः – जिनका कोई आदि नहीं है, ऐसे सबके कारणस्वरूप,
477. भूर्भुवो लक्ष्मीः – भूर्लोक और भुवर्लोककी शोभा,
478. किरीटी – मुकुटधारी,
479. त्रिदशाधिपः – देवताओंके स्वामी,
480. विश्वगोप्ता – जगत्‌के रक्षक,
481. विश्वकर्ता – संसारकी सृष्टि करनेवाले,
482. सुवीरः – श्रेष्ठ वीर,
483. रुचिराङ्गदः – सुन्दर बाजूबंद धारण करनेवाले॥60॥


जननो जनजन्मादिः प्रीतिमान्नीतिमान्धवः।
वसिष्ठः कश्यपो भानुर्भीमो भीमपराक्रमः॥61॥

484. जननः – प्राणिमात्रको जन्म देनेवाले,
485. जनजन्मादिः – जन्म लेने-वालोंके जन्मके मूल कारण,
486. प्रीतिमान् – प्रसन्न,
487. नीतिमान् – सदा नीतिपरायण,
488. धवः – सबके स्वामी,
489. वसिष्ठः – मन और इन्द्रियोंको अत्यन्त वशमें रखनेवाले अथवा वसिष्ठ ऋषिरूप,
490. कश्यपः – द्रष्टा अथवा कश्यप मुनिरूप,
491. भानुः – प्रकाशमान अथवा सूर्यरूप,
492. भीमः – दुष्टोंको भय देनेवाले,
493. भीमपराक्रमः – अतिशय भयदायक पराक्रमसे युक्त॥61॥


प्रणवः सत्पथाचारो महाकोशो महाधनः।
जन्माधिपो महादेवः सकलागमपारगः॥62॥

494. प्रणवः – ओंकारस्वरूप,
495. सत्पथाचारः – सत्पुरुषोंके मार्गपर चलनेवाले,
496. महाकोशः – अन्नमयादि पाँचों कोशोंको अपने भीतर धारण करनेके कारण महाकोशरूप,
497. महाधनः – अपरिमित ऐश्वर्यवाले अथवा कुबेरको भी धन देनेके कारण महाधनवान्,
498. जन्माधिपः – जन्म (उत्पादन)-रूपी कार्यके अध्यक्ष ब्रह्मा,
499. महादेवः – सर्वोत्कृष्ट देवता,
500. सकलागमपारगः – समस्त शास्त्रोंके पारंगत विद्वान्॥62॥


तत्त्वं तत्त्वविदेकात्मा विभुर्विश्वविभूषणः।
ऋषिर्ब्राह्मण ऐश्वर्यजन्ममृत्युजरातिगः॥63॥

501. तत्त्वम् – यथार्थ तत्त्वरूप,
502. तत्त्ववित् – यथार्थ तत्त्वको पूर्णतया जाननेवाले,
503. एकात्मा – अद्वितीय आत्मरूप,
504. विभुः – सर्वत्र व्यापक,
505. विश्वभूषणः – सम्पूर्ण जगत्‌को उत्तम गुणोंसे विभूषित करनेवाले,
506. ऋषिः – मन्त्रद्रष्टा,
507. ब्राह्मणः – ब्रह्मवेत्ता,
508. ऐश्वर्यजन्ममृत्युजरातिगः – ऐश्वर्य, जन्म, मृत्यु और जरासे अतीत॥63॥


पञ्चयज्ञसमुत्पत्तिर्विश्वेशो विमलोदयः।
आत्मयोनिरनाद्यन्तो वत्सलो भक्तलोकधृक्॥64॥

509. पञ्चयज्ञसमुत्पत्तिः – पंच महायज्ञोंकी उत्पत्तिके हेतु,
510. विश्वेशः – विश्वनाथ,
511. विमलोदयः – निर्मल अभ्युदयकी प्राप्ति करानेवाले धर्मरूप,
512. आत्मयोनिः – स्वयम्भू,
513. अनाद्यन्तः – आदि-अन्तसे रहित,
514. वत्सलः – भक्तोंके प्रति वात्सल्य-स्नेहसे युक्त,
515. भक्तलोकधृक् – भक्तजनोंके आश्रय॥64॥


गायत्रीवल्लभः प्रांशुर्विश्वावासः प्रभाकरः।
शिशुर्गिरिरतः सम्राट् सुषेणः सुरशत्रुहा॥65॥

516. गायत्रीवल्लभः – गायत्रीमन्त्रके प्रेमी,
517. प्रांशुः – ऊँचे शरीरवाले,
518. विश्वावासः – सम्पूर्ण जगत्‌के आवासस्थान,
519. प्रभाकरः – सूर्यरूप,
520. शिशुः – बालकरूप,
521. गिरिरतः – कैलास पर्वतपर रमण करनेवाले,
522. सम्राट् – देवेश्वरोंके भी ईश्वर,
523. सुषेणः सुरशत्रुहा – प्रमथगणोंकी सुन्दर सेनासे युक्त तथा देवशत्रुओंका संहार करनेवाले॥65॥


अमोघोऽरिष्टनेमिश्च कुमुदो विगतज्वरः।
स्वयंज्योतिस्तनुज्योतिरात्मज्योतिरचञ्चलः॥66॥

524. अमोघोऽरिष्टनेमिः – अमोघ संकल्पवाले महर्षि कश्यपरूप,
525. कुमुदः – भूतलको आह्लाद प्रदान करनेवाले चन्द्रमारूप,
526. विगतज्वरः – चिन्तारहित,
527. स्वयंज्योतिस्तनुज्योतिः – अपने ही प्रकाशसे प्रकाशित होनेवाले सूक्ष्मज्योतिःस्वरूप,
528. आत्मज्योतिः – अपने स्वरूपभूत ज्ञानकी प्रभासे प्रकाशित,
529. अचञ्चलः – चंचलतासे रहित॥66॥


पिङ्गलः कपिलश्मश्रुर्भालनेत्रस्त्रयीतनुः।
ज्ञानस्कन्दो महानीतिर्विश्वोत्पत्तिरुपप्लवः॥67॥

530. पिङ्गलः – पिंगलवर्णवाले,
531. कपिलश्मश्रुः – कपिल वर्णकी दाढ़ी-मूँछ रखनेवाले दुर्वासा मुनिके रूपमें अवतीर्ण,
532. भालनेत्रः – ललाटमें तृतीय नेत्र धारण करनेवाले,
533. त्रयीतनुः – तीनों लोक या तीनों वेद जिनके स्वरूप हैं, ऐसे,
534. ज्ञानस्कन्दो महानीतिः – ज्ञानप्रद और श्रेष्ठ नीतिवाले,
535. विश्वोत्पत्तिः – जगत्‌के उत्पादक,
536. उपप्लवः – संहारकारी॥67॥


भगो विवस्वानादित्यो योगपारो दिवस्पतिः।
कल्याणगुणनामा च पापहा पुण्यदर्शनः॥68॥

537. भगो विवस्वानादित्यः – अदितिनन्दन भग एवं विवस्वान्,
538. योगपारः – योगविद्यामें पारंगत,
539. दिवस्पतिः – स्वर्गलोकके स्वामी,
540. कल्याणगुणनामा – कल्याणकारी गुण और नामवाले,
541. पापहा – पापनाशक,
542. पुण्यदर्शनः – पुण्यजनक दर्शनवाले अथवा पुण्यसे ही जिनका दर्शन होता है, ऐसे॥68॥


उदारकीर्तिरुद्योगी सद्योगी सदसन्मयः।
नक्षत्रमाली नाकेशः स्वाधिष्ठानपदाश्रयः॥69॥

543. उदारकीर्तिः – उत्तम कीर्तिवाले,
544. उद्योगी – उद्योगशील,
545. सद्योगी – श्रेष्ठ योगी,
546. सदसन्मयः – सदसत्स्वरूप,
547. नक्षत्रमाली – नक्षत्रोंकी मालासे अलंकृत आकाशरूप,
548. नाकेशः – स्वर्गके स्वामी,
549. स्वाधिष्ठानपदाश्रयः – स्वाधिष्ठान चक्रके आश्रय॥69॥


पवित्रः पापहारी च मणिपूरो नभोगतिः।
हृत्पुण्डरीकमासीनः शक्रः शान्तो वृषाकपिः॥70॥

550. पवित्रः पापहारी – नित्य शुद्ध एवं पापनाशक,
551. मणिपूरः – मणिपूर नामक चक्रस्वरूप,
552. नभोगतिः – आकाशचारी,
553. हृत्पुण्डरीकमासीनः – हृदयकमलमें स्थित,
554. शक्रः – इन्द्ररूप,
555. शान्तः – शान्त-स्वरूप,
556. वृषाकपिः – हरिहर॥70॥


उष्णो गृहपतिः कृष्णः समर्थोऽनर्थनाशनः।
अधर्मशत्रुरज्ञेयः पुरुहूतः पुरुश्रुतः॥71॥

557. उष्णः – हालाहल विषकी गर्मीसे उष्णतायुक्त,
558. गृहपतिः – समस्त ब्रह्माण्डरूपी गृहके स्वामी,
559. कृष्णः – सच्चिदानन्दस्वरूप,
560. समर्थः – सामर्थ्यशाली,
561. अनर्थनाशनः – अनर्थका नाश करनेवाले,
562. अधर्मशत्रुः – अधर्मनाशक,
563. अज्ञेयः – बुद्धिकी पहुँचसे परे अथवा जाननेमें न आनेवाले,
564. पुरुहूतः पुरुश्रुतः – बहुत-से नामोंद्वारा पुकारे और सुने जानेवाले॥71॥


ब्रह्मगर्भो बृहद्‌गर्भो धर्मधेनुर्धनागमः।
जगद्धितैषी सुगतः कुमारः कुशलागमः॥72॥

565. ब्रह्मगर्भः – ब्रह्मा जिनके गर्भस्थ शिशुके समान है, ऐसे,
566. बृहद्‌गर्भः – विश्वब्रह्माण्ड प्रलयकालमें जिनके गर्भमें रहता है, ऐसे,
567. धर्मधेनुः – धर्मरूपी वृषभको उत्पन्न करनेके लिये धेनुस्वरूप,
568. धनागमः – अनकी प्राप्ति करानेवाले,
569. जगद्धितैषी – समस्त संसारका हित चाहनेवाले,
570. सुगतः – उत्तम ज्ञानसे सम्पन्न अथवा बुद्धस्वरूप,
571. कुमारः – कार्तिकेयरूप,
572. कुशलागमः – कल्याणदाता॥72॥


हिरण्यवर्णो ज्योतिष्मान्नानाभूतरतो ध्वनिः।
अरागो नयनाध्यक्षो विश्वामित्रो धनेश्वरः॥73॥

573. हिरण्यवर्णो ज्योतिष्मान् – सुवर्णके समान गौरवर्णवाले तथा तेजस्वी,
574. नानाभूतरतः – नाना प्रकारके भूतोंके साथ क्रीडा करनेवाले,
575. ध्वनिः – नादस्वरूप,
576. अरागः – आसक्तिशून्य,
577. नयनाध्यक्षः – नेत्रोंमें द्रष्टारूपसे विद्यमान,
578. विश्वामित्रः – सम्पूर्ण जगत्‌के प्रति मैत्री भावना रखनेवाले मुनिस्वरूप,
579. धनेश्वरः – धनके स्वामी कुबेर॥73॥


ब्रह्मज्योतिर्वसुधामा महाज्योतिरनुत्तमः।
मातामहो मातरिश्वा नभस्वान्नागहारधृक्॥74॥

580. ब्रह्मज्योतिः – ज्योतिःस्वरूप ब्रह्म,
581. वसुधामा – सुवर्ण और रत्नोंके तेजसे प्रकाशित अथवा वसुधास्वरूप,
582. महाज्योतिरनुत्तमः – सूर्य आदि ज्योतियोंके प्रकाशक सर्वोत्तम महाज्योतिःस्वरूप,
583. मातामहः – मातृकाओंके जन्मदाता होनेके कारण मातामह,
584. मातरिश्वा नभस्वान् – आकाशमें विचरनेवाले वायुदेव,
585. नागहारधृक् – सर्पमय हार धारण करनेवाले॥74॥


पुलस्त्यः पुलहोऽगस्त्यो जातूकर्ण्यः पराशरः।
निरावरणनिर्वारो वैरञ्च्यो विष्टरश्रवाः॥75॥

586. पुलस्त्यः – पुलस्त्य नामक मुनि,
587. पुलहः – पुलह नामक ऋषि,
588. अगस्त्यः – कुम्भजन्मा अगस्त्य ऋषि,
589. जातूकर्ण्यः – इसी नामसे प्रसिद्ध मुनि,
590. पराशरः – शक्तिके पुत्र तथा व्यासजीके पिता मुनिवर पराशर,
591. निरावरणनिर्वारः – आवरणशून्य तथा अवरोधरहित,
592. वैरञ्च्यः – ब्रह्माजीके पुत्र नीललोहित रुद्र,
593. विष्टरश्रवाः – विस्तृत यशवाले विष्णुस्वरूप॥75॥


आत्मभूरनिरुद्धोऽत्रिर्ज्ञानमूर्तिर्महायशाः।
लोकवीराग्रणीर्वीरश्चण्डः सत्यपराक्रमः॥76॥

594. आत्मभूः – स्वयम्भू ब्रह्मा,
595. अनिरुद्धः – अकुण्ठित गतिवाले,
596. अत्रिः – अत्रि नामक ऋषि अथवा त्रिगुणातीत,
597. ज्ञानमूर्तिः – ज्ञानस्वरूप,
598. महायशाः – महायशस्वी,
599. लोकवीराग्रणीः – विश्वविख्यात वीरोंमें अग्रगण्य,
600. वीरः – शूरवीर,
601. चण्डः – प्रलयके समय अत्यन्त क्रोध करनेवाले,
602. सत्यपराक्रमः – सच्चे पराक्रमी॥76॥


व्यालाकल्पो महाकल्पः कल्पवृक्षः कलाधरः।
अलंकरिष्णुरचलो रोचिष्णुर्विक्रमोन्नतः॥77॥

603. व्यालाकल्पः – सर्पोंके आभूषणसे शृङ्गार करनेवाले,
604. महाकल्पः – महाकल्पसंज्ञक कालस्वरूपवाले,
605. कल्पवृक्षः – शरणागतोंकी इच्छा पूर्ण करनेके लिये कल्पवृक्षके समान उदार,
606. कलाधरः – चन्द्रकलाधारी,
607. अलंकरिष्णुः – अलंकार धारण करने या करानेवाले,
608. अचलः – विचलित न होनेवाले,
609. रोचिष्णुः – प्रकाशमान,
610. विक्रमोन्नतः – पराक्रममें बढ़े-चढ़े॥77॥


आयुः शब्दपतिर्वेगी प्लवनः शिखिसारथिः।
असंसृष्टोऽतिथिः शक्रप्रमाथी पादपासनः॥78॥

611. आयुः शब्दपतिः – आयु तथा वाणीके स्वामी,
612. वेगी प्लवनः – वेगशाली तथा कूदने या तैरनेवाले,
613. शिखिसारथिः – अग्निरूप सहायकवाले,
614. असंसृष्टः – निर्लेप,
615. अतिथिः – प्रेमी भक्तोंके घरपर अतिथिकी भाँति उपस्थित हो उनका सत्कार ग्रहण करनेवाले,
616. शक्रप्रमाथी – इन्द्रका मान मर्दन करनेवाले,
617. पादपासनः – वृक्षोंपर या वृक्षोंके नीचे आसन लगानेवाले॥78॥


वसुश्रवा हव्यवाहः प्रतप्तो विश्वभोजनः।
जप्यो जरादिशमनो लोहितात्मा तनूनपात्॥79॥

618. वसुश्रवाः – यशरूपी धनसे सम्पन्न,
619. हव्यवाहः – अग्निस्वरूप,
620. प्रतप्तः – सूर्यरूपसे प्रचण्ड ताप देनेवाले,
621. विश्व-भोजनः – प्रलयकालमें विश्व-ब्रह्माण्डको अपना ग्रास बना लेनेवाले,
622. जप्यः – जपनेयोग्य नामवाले,
623. जरादिशमनः – बुढ़ापा आदि दोषोंका निवारण करनेवाले,
624. लोहितात्मा तनूनपात् – लोहितवर्णवाले अग्निरूप॥79॥


बृहदश्वो नभोयोनिः सुप्रतीकस्तमिस्रहा।
निदाघस्तपनो मेघः स्वक्षः परपुरञ्जयः॥80॥

625. बृहदश्वः – विशाल अश्ववाले,
626. नभोयोनिः – आकाशकी उत्पत्तिके स्थान,
627. सुप्रतीकः – सुन्दर शरीरवाले,
628. तमिस्रहा – अज्ञानान्धकारनाशक,
629. निदाघस्तपनः – तपनेवाले ग्रीष्मरूप,
630. मेघः – बादलोंसे उपलक्षित वर्षारूप,
631. स्वक्षः – सुन्दर नेत्रोंवाले,
632. परपुरञ्जयः – त्रिपुररूप शत्रुनगरीपर विजय पानेवाले॥80॥


सुखानिलः सुनिष्पन्नः सुरभिः शिशिरात्मकः।
वसन्तो माधवो ग्रीष्मो नभस्यो बीजवाहनः॥81॥

633. सुखानिलः – सुखदायक वायुको प्रकट करनेवाले शरत्कालरूप,
634. सुनिष्पन्नः – जिसमें अन्नका सुन्दररूपसे परिपाक होता है, वह हेमन्तकालरूप,
635. सुरभिः शिशिरात्मकः – सुगन्धित मलयानिलसे युक्त शिशिर-ऋतुरूप,
636. वसन्तो माधवः – चैत्र-वैशाख – इन दो मासोंसे युक्त वसन्तरूप,
637. ग्रीष्मः – ग्रीष्म-ऋतुरूप,
638. नभस्यः – भाद्रपदमासरूप,
639. बीजवाहनः – धान आदिके बीजोंकी प्राप्ति करानेवाला शरत्काल॥81॥


अङ्गिरा गुरुरात्रेयो विमलो विश्ववाहनः।
पावनः सुमतिर्विद्वांस्त्रैविद्यो वरवाहनः॥82॥

640. अङ्गिरा गुरुः – अंगिरा नामक ऋषि तथा उनके पुत्र देवगुरु बृहस्पति,
641. आत्रेयः – अत्रिकुमार दुर्वासा,
642. विमलः – निर्मल,
643. विश्ववाहनः – सम्पूर्ण जगत्‌का निर्वाह करानेवाले,
644. पावनः – पवित्र करनेवाले,
645. सुमतिर्विद्वान् – उत्तम बुद्धिवाले विद्वान्,
646. त्रैविद्यः – तीनों वेदोंके विद्वान् अथवा तीनों वेदोंके द्वारा प्रतिपादित,
647. वरवाहनः – वृषभरूप श्रेष्ठ वाहनवाले॥82॥


मनोबुद्धिरहङ‍कारः क्षेत्रज्ञः क्षेत्रपालकः।
जमदग्निर्बलनिधिर्विगालो विश्वगालवः॥83॥

648. मनोबुद्धिरहंकारः – मन, बुद्धि और अहंकारस्वरूप,
649. क्षेत्रज्ञः – आत्मा,
650. क्षेत्रपालकः – शरीररूपी क्षेत्रका पालन करनेवाले परमात्मा,
651. जमदग्निः – जमदग्नि नामक ऋषिरूप,
652. बलनिधिः – अनन्त बलके सागर,
653. विगालः – अपनी जटासे गंगाजीके जलको टपकानेवाले,
654. विश्वगालवः – विश्वविख्यात गालव मुनि अथवा प्रलयकालमें कालाग्निस्वरूपसे जगत्‌को निगल जानेवाले॥83॥


अघोरोऽनुत्तरो यज्ञः श्रेष्ठो निःश्रेयसप्रदः।
शैलो गगनकुन्दाभो दानवारिररिंदमः॥84॥

655. अघोरः – सौम्यरूपवाले,
656. अनुत्तरः – सर्वश्रेष्ठ,
657. यज्ञः श्रेष्ठः – श्रेष्ठ यज्ञरूप,
658. निःश्रेयसप्रदः – कल्याणदाता,
659. शैलः – शिलामय लिंगरूप,
660. गगनकुन्दाभः – आकाशकुन्द – चन्द्रमाके समान गौर कान्तिवाले,
661. दानवारिः – दानव-शत्रु,
662. अरिंदमः – शत्रुओंका दमन करनेवाले॥84॥


रजनीजनकश्चारुर्निःशल्यो लोकशल्यधृक्।
चतुर्वेदश्चतुर्भावश्चतुरश्चतुरप्रियः॥85॥

663. रजनीजनकश्चारुः – सुन्दर निशाकर-रूप,
664. निःशल्यः – निष्कण्टक,
665. लोकशल्यधृक् – शरणागतजनोंके शोक-शल्यको निकालकर स्वयं धारण करनेवाले,
666. चतुर्वेदः – चारों वेदोंके द्वारा जाननेयोग्य,
667. चतुर्भावः – चारों पुरुषार्थोंकी प्राप्ति करानेवाले,
668. चतुरश्चतुरप्रियः – चतुर एवं चतुर पुरुषोंके प्रिय॥85॥


आम्नायोऽथ समाम्नायस्तीर्थदेवशिवालयः।
बहुरूपो महारूपः सर्वरूपश्चराचरः॥86॥

669. आम्नायः – वेदस्वरूप,
670. समाम्नायः – अक्षरसमाम्नाय – शिवसूत्ररूप,
671. तीर्थदेवशिवालयः – तीर्थोंके देवता और शिवालयरूप,
672. बहुरूपः – अनेक रूपवाले,
673. महारूपः – विराट्-रूपधारी,
674. सर्वरूपश्चराचरः – चर और अचर सम्पूर्ण रूपवाले॥86॥


न्यायनिर्मायको न्यायी न्यायगम्यो निरञ्जनः।
सहस्रमूर्द्धा देवेन्द्रः सर्वशस्त्रप्रभञ्जनः॥87॥

675. न्यायनिर्मायको न्यायी – न्यायकर्ता तथा न्यायशील,
676. न्यायगम्यः – न्याययुक्त आचरणसे प्राप्त होनेयोग्य,
677. निरञ्जनः – निर्मल,
678. सहस्रमूर्द्धा – सहस्रों सिरवाले,
679. देवेन्द्रः – देवताओंके स्वामी,
680. सर्वशस्त्रप्रभञ्जनः – विपक्षी योद्धाओंके सम्पूर्ण शस्त्रोंको नष्ट कर देनेवाले॥87॥


मुण्डो विरूपो विक्रान्तो दण्डी दान्तो गुणोत्तमः।
पिङ्गलाक्षो जनाध्यक्षो नीलग्रीवो निरामयः॥88॥

681. मुण्डः – मुँड़े हुए सिरवाले संन्यासी,
682. विरूपः – विविध रूपवाले,
683. विक्रान्तः – विक्रमशील,
684. दण्डी – दण्डधारी,
685. दान्तः – मन और इन्द्रियोंका दमन करनेवाले,
686. गुणोत्तमः – गुणोंमें सबसे श्रेष्ठ,
687. पिङ्गलाक्षः – पिंगल नेत्रवाले,
688. जनाध्यक्षः – जीवमात्रके साक्षी,
689. नीलग्रीवः – नीलकण्ठ,
690. निरामयः – नीरोग॥88॥


सहस्रबाहुः सर्वेशः शरण्यः सर्वलोकधृक्।
पद्मासनः परं ज्योतिः पारम्पर्य्यफलप्रदः॥89॥

691. सहस्रबाहुः – सहस्रों भुजाओंसे युक्त,
692. सर्वेशः – सबके स्वामी,
693. शरण्यः – शरणागत हितैषी,
694. सर्वलोकधृक् – सम्पूर्ण लोकोंको धारण करनेवाले,
695. पद्मासनः – कमलके आसनपर विराजमान,
696. परं ज्योतिः – परम प्रकाशस्वरूप,
697. पारम्पर्य्यफलप्रदः – परम्परागत फलकी प्राप्ति करानेवाले॥89॥


पद्मगर्भो महागर्भो विश्वगर्भो विचक्षणः।
परावरज्ञो वरदो वरेण्यश्च महास्वनः॥90॥

698. पद्मगर्भः – अपनी नाभिसे कमलको प्रकट करनेवाले विष्णुरूप,
699. महागर्भः – विराट् ब्रह्माण्डको गर्भमें धारण करनेके कारण महान् गर्भवाले,
700. विश्वगर्भः – सम्पूर्ण जगत्‌को अपने उदरमें धारण करनेवाले,
701. विचक्षणः – चतुर,
702. परावरज्ञः – कारण और कार्यके ज्ञाता,
703. वरदः – अभीष्ट वर देनेवाले,
704. वरेण्यः – वरणीय अथवा श्रेष्ठ,
705. महास्वनः – डमरूका गम्भीर नाद करनेवाले॥90॥


देवासुरगुरुर्देवो देवासुरनमस्कृतः।
देवासुरमहामित्रो देवासुरमहेश्वरः॥91॥

706. देवासुरगुरुर्देवः – देवताओं तथा असुरोंके गुरुदेव एवं आराध्य,
707. देवासुर-नमस्कृतः – देवताओं तथा असुरोंसे वन्दित,
708. देवासुरमहामित्रः – देवता तथा असुर दोनोंके बड़े मित्र,
709. देवासुरमहेश्वरः – देवताओं और असुरोंके महान् ईश्वर॥91॥


देवासुरेश्वरो दिव्यो देवासुरमहाश्रयः।
देवदेवमयोऽचिन्त्यो देवदेवात्मसम्भवः॥92॥

710. देवासुरेश्वरः – देवताओं और असुरोंके शासक,
711. दिव्यः – अलौकिक स्वरूपवाले,
712. देवासुरमहाश्रयः – देवताओं और असुरोंके महान् आश्रय,
713. देवदेवमयः – देवताओंके लिये भी देवतारूप,
714. अचिन्त्यः – चित्तकी सीमासे परे विद्यमान,
715. देवदेवात्मसम्भवः – देवाधि-देव ब्रह्माजीसे रुद्ररूपमें उत्पन्न॥92॥


सद्योनिरसुरव्याघ्रो देवसिंहो दिवाकरः।
विबुधाग्रचरश्रेष्ठः सर्वदेवोत्तमोत्तमः॥93॥

716. सद्योनिः – सत्पदार्थोंकी उत्पत्तिके हेतु,
717. असुरव्याघ्रः – असुरोंका विनाश करनेके लिये व्याघ्ररूप,
718. देवसिंहः – देवताओंमें श्रेष्ठ,
719. दिवाकरः – सूर्यरूप,
720. विबुधाग्रचरश्रेष्ठः – देवताओंके नायकोंमें सर्वश्रेष्ठ,
721. सर्वदेवोत्तमोत्तमः – सम्पूर्ण श्रेष्ठ देवताओंके भी शिरोमणि॥93॥


शिवज्ञानरतः श्रीमाच्छिखिश्रीपर्वतप्रियः।
वज्रहस्तः सिद्धखड्‌गो नरसिंहनिपातनः॥94॥

722. शिवज्ञानरतः – कल्याणमय शिव-तत्त्वके विचारमें तत्पर,
723. श्रीमान् – अणिमा आदि विभूतियोंसे सम्पन्न,
724. शिखिश्रीपर्वतप्रियः – कुमार कार्तियकेयके निवासभूत श्रीशैल नामक पर्वतसे प्रेम करनेवाले,
725. वज्रहस्तः – वज्रधारी इन्द्ररूप,
726. सिद्धखड्‌गः – शत्रुओंको मार गिरानेमें जिनकी तलवार कभी असफल नहीं होती, ऐसे,
727. नरसिंहनिपातनः – शरभरूपसे नृसिंहको धराशायी करनेवाले॥94॥


ब्रह्मचारी लोकचारी धर्मचारी धनाधिपः।
नन्दी नन्दीश्वरोऽनन्तो नग्नव्रतधरः शुचिः॥95॥

728. ब्रह्मचारी – भगवती उमाके प्रेमकी परीक्षा लेनेके लिये ब्रह्मचारीरूपसे प्रकट,
729. लोकचारी – समस्त लोकोंमें विचरनेवाले,
730. धर्मचारी – धर्मका आचरण करनेवाले,
731. धनाधिपः – धनके अधिपति कुबेर,
732. नन्दी – नन्दी नामक गण,
733. नन्दीश्वरः – इसी नामसे प्रसिद्ध वृषभ,
734. अनन्तः – अन्तरहित,
735. नग्नव्रतधरः – दिगम्बर रहनेका व्रत धारण करनेवाले,
736. शुचिः – नित्यशुद्ध॥95॥


लिङ्गाध्यक्षः सुराध्यक्षो योगाध्यक्षो युगावहः।
स्वधर्मा स्वर्गतः स्वर्गस्वरः स्वरमयस्वनः॥96॥

737. लिङ्गाध्यक्षः – लिंगदेहके द्रष्टा,
738. सुराध्यक्षः – देवताओंके अधिपति,
739. योगाध्यक्षः – योगेश्वर,
740. युगावहः – युगके निर्वाहक,
741. स्वधर्मा – आत्मविचाररूप धर्ममें स्थित अथवा स्वधर्मपरायण,
742. स्वर्गतः – स्वर्गलोकमें स्थित,
743. स्वर्गस्वरः – स्वर्गलोकमें जिनके यशका गान किया जाता है, ऐसे,
744. स्वरमयस्वनः – सात प्रकारके स्वरोंसे युक्त ध्वनिवाले॥96॥


बाणाध्यक्षो बीजकर्ता धर्मकृद्धर्मसम्भवः।
दम्भोऽलोभोऽर्थविच्छम्भुः सर्वभूतमहेश्वरः॥97॥

745. बाणाध्यक्षः – बाणासुरके स्वामी अथवा बाणलिंग नर्मदेश्वरमें अधिदेवतारूपसे स्थित,
746. बीजकर्ता – बीजके उत्पादक,
747. धर्मकृद्धर्मसम्भवः – धर्मके पालक और उत्पादक,
748. दम्भः – मायामयरूपधारी,
749. अलोभः – लोभरहित,
750. अर्थविच्छम्भुः – सबके प्रयोजनको जाननेवाले कल्याणनिकेतन शिव,
751. सर्वभूतमहेश्वरः – सम्पूर्ण प्राणियोंके परमेश्वर॥97॥


श्मशाननिलयस्त्र्यक्षः सेतुरप्रतिमाकृतिः।
लोकोत्तरस्फुटालोकस्त्र्यम्बको नागभूषणः॥98॥

752. श्मशाननिलयः – श्मशानवासी,
753. त्र्यक्षः – त्रिनेत्रधारी,
754. सेतुः – धर्ममर्यादाके पालक,
755. अप्रतिमाकृतिः – अनुपम रूपवाले,
756. लोकोत्तरस्फुटालोकः – अलौकिक एवं सुस्पष्ट प्रकाशसे युक्त,
757. त्र्यम्बकः – त्रिनेत्रधारी अथवा त्र्यम्बक नामक ज्योतिर्लिंग,
758. नागभूषणः – नागहारसे विभूषित॥98॥


अन्धकारिर्मखद्वेषी विष्णुकन्धरपातनः।
हीनदोषोऽक्षयगुणो दक्षारिः पूषदन्तभित्॥99॥

759. अन्धकारिः – अन्धकासुरका वध करनेवाले,
760. मखद्वेषी – दक्षके यज्ञका विध्वंस करनेवाले,
761. विष्णुकन्धरपातनः – यज्ञमय विष्णुका गला काटनेवाले,
762. हीनदोषः – दोषरहित,
763. अक्षयगुणः – अविनाशी गुणोंसे सम्पन्न,
764. दक्षारिः – दक्षद्रोही,
765. पूषदन्तभित् – पूषा देवताके दाँत तोड़नेवाले॥99॥


धूर्जटिः खण्डपरशुः सकलो निष्कलोऽनघः।
अकालः सकलाधारः पाण्डुराभो मृडो नटः॥100॥

766. धूर्जटिः – जटाके भारसे विभूषित,
767. खण्डपरशुः – खण्डित परशुवाले,
768. सकलो निष्कलः – साकार एवं निराकार परमात्मा,
769. अनघः – पापके स्पर्शसे शून्य,
770. अकालः – कालके प्रभावसे रहित,
771. सकलाधारः – सबके आधार,
772. पाण्डुराभः – श्वेत कान्तिवाले,
773. मृडो नटः – सुखदायक एवं ताण्डवनृत्यकारी॥100॥


पूर्णः पूरयिता पुण्यः सुकुमारः सुलोचनः।
सामगेयप्रियोऽक्रूरः पुण्यकीर्तिरनामयः॥101॥

774. पूर्णः – सर्वव्यापी परब्रह्म परमात्मा,
775. पूरयिता – भक्तोंकी अभिलाषा पूर्ण करनेवाले,
776. पुण्यः – परम पवित्र,
777. सुकुमारः – सुन्दर कुमार हैं जिनके, ऐसे,
778. सुलोचनः – सुन्दर नेत्रवाले,
779. सामगेयप्रियः – सामगानके प्रेमी,
780. अक्रूरः – क्रूरतारहित,
781. पुण्यकीर्तिः – पवित्र कीर्तिवाले,
782. अनामयः – रोग-शोकसे रहित॥101॥


मनोजवस्तीर्थकरो जटिलो जीवितेश्वरः।
जीवितान्तकरो नित्यो वसुरेता वसुप्रदः॥102॥

783. मनोजवः – मनके समान वेगशाली,
784. तीर्थकरः – तीर्थोंके निर्माता,
785. जटिलः – जटाधारी,
786. जीवितेश्वरः – सबके प्राणेश्वर,
787. जीवितान्तकरः – प्रलयकालमें सबके जीवनका अन्त करनेवाले,
788. नित्यः – सनातन,
789. वसुरेताः – सुवर्णमय वीर्यवाले,
790. वसुप्रदः – धनदाता॥102॥


सद्‌गतिः सत्कृतिः सिद्धिः सज्जातिः खलकण्टकः।
कलाधरो महाकालभूतः सत्यपरायणः॥103॥

791. सद्‌गतिः – सत्पुरुषोंके आश्रय,
792. सत्कृतिः – शुभ कर्म करनेवाले,
793. सिद्धिः – सिद्धिस्वरूप,
794. सज्जातिः – सत्पुरुषोंके जन्मदाता,
795. खलकण्टकः – दुष्टोंके लिये कण्टकरूप,
796. कलाधरः – कलाधारी,
797. महाकालभूतः – महाकाल नामक ज्योतिर्लिंगस्वरूप अथवा कालके भी काल होनेसे महाकाल,
798. सत्यपरायणः – सत्यनिष्ठ॥103॥


लोकलावण्यकर्ता च लोकोत्तरसुखालयः।
चन्द्रसंजीवनः शास्ता लोकगूढो महाधिपः॥104॥

799. लोकलावण्यकर्ता – सब लोगोंको सौन्दर्य प्रदान करनेवाले,
800. लोकोत्तर-सुखालयः – लोकोत्तर सुखके आश्रय,
801. चन्द्रसंजीवनः शास्ता – सोमनाथरूपसे चन्द्रमाको जीवन प्रदान करनेवाले सर्वशासक शिव,
802. लोकगूढः – समस्त संसारमें अव्यक्तरूपसे व्यापक,
803. महाधिपः – महेश्वर॥104॥


लोकबन्धुर्लोकनाथः कृतज्ञः कीर्तिभूषणः।
अनपायोऽक्षरः कान्तः सर्वशस्त्रभृतां वरः॥105॥

804. लोकबन्धुर्लोकनाथः – सम्पूर्ण लोकोंके बन्धु एवं रक्षक,
805. कृतज्ञः – उपकारको माननेवाले,
806. कीर्तिभूषणः – उत्तम यशसे विभूषित,
807. अनपायोऽक्षरः – विनाशरहित – अविनाशी,
808. कान्तः – प्रजापति दक्षका अन्त करनेवाले,
809. सर्वशस्त्रभृतां वरः – सम्पूर्ण शस्त्रधारियोंमें श्रेष्ठ॥105॥


तेजोमयो द्युतिधरो लोकानामग्रणीरणुः।
शुचिस्मितः प्रसन्नात्मा दुर्जेयो दुरतिक्रमः॥106॥

810. तेजोमयो द्युतिधरः – तेजस्वी और कान्तिमान्,
811. लोकानामग्रणीः – सम्पूर्ण जगत्‌के लिये अग्रगण्य देवता अथवा जगत्‌को आगे बढ़ानेवाले,
812. अणुः – अत्यन्त सूक्ष्म,
813. शुचिस्मितः – पवित्र मुसकानवाले,
814. प्रसन्नात्मा – हर्षभरे हृदयवाले,
815. दुर्जेयः – जिनपर विजय पाना अत्यन्त कठिन है, ऐसे,
816. दुरतिक्रमः – दुर्लङ्घ्य॥106॥


ज्योतिर्मयो जगन्नाथो निराकारो जलेश्वरः।
तुम्बवीणो महाकोपो विशोकः शोकनाशनः॥107॥

817. ज्योतिर्मयः – तेजोमय,
818. जगन्नाथः – विश्वनाथ,
819. निराकारः – आकाररहित परमात्मा,
820. जलेश्वरः – जलके स्वामी,
821. तुम्बवीणः – तूँबीकी वीणा बजानेवाले,
822. महाकोपः – संहारके समय महान् क्रोध करनेवाले,
823. विशोकः – शोकरहित,
824. शोकनाशनः – शोकका नाश करनेवाले॥107॥


त्रिलोकपस्त्रिलोकेशः सर्वशुद्धिरधोक्षजः।
अव्यक्तलक्षणो देवो व्यक्ताव्यक्तो विशाम्पतिः॥108॥

825. त्रिलोकपः – तीनों लोकोंका पालन करनेवाले,
826. त्रिलोकेशः – त्रिभुवनके स्वामी,
827. सर्वशुद्धिः – सबकी शुद्धि करनेवाले,
828. अधोक्षजः – इन्द्रियों और उनके विषयोंसे अतीत,
829. अव्यक्तलक्षणो देवः – अव्यक्त लक्षणवाले देवता,
830. व्यक्ताव्यक्तः – स्थूलसूक्ष्मरूप,
831. विशाम्पतिः – प्रजाओंके पालक॥108॥


वरशीलो वरगुणः सारो मानधनो मयः।
ब्रह्मा विष्णुः प्रजापालो हंसो हंसगतिर्वयः॥109॥

832. वरशीलः – श्रेष्ठ स्वभाववाले,
833. वरगुणः – उत्तम गुणोंवाले,
834. सारः – सारतत्त्व,
835. मानधनः – स्वाभिमानके धनी,
836. मयः – सुखस्वरूप,
837. ब्रह्मा – सृष्टिकर्ता ब्रह्मा,
838. विष्णुः प्रजापालः – प्रजापालक विष्णु,
839. हंसः – सूर्यस्वरूप,
840. हंसगतिः – हंसके समान चालवाले,
841. वयः – गरुड़ पक्षी॥109॥


वेधा विधाता धाता च स्रष्टा हर्ता चतुर्मुखः।
कैलासशिखरावासी सर्वावासी सदागतिः॥110॥

842. वेधा विधाता धाता – ब्रह्मा, धाता और विधाता नामक देवतास्वरूप,
843. स्रष्टा – सृष्टिकर्ता,
844. हर्ता – संहारकारी,
845. चतुर्मुखः – चार मुखवाले ब्रह्मा,
846. कैलासशिखरावासी – कैलासके शिखरपर निवास करनेवाले,
847. सर्वावासी – सर्वव्यापी,
848. सदागतिः – निरन्तर गतिशील वायुदेवता॥110॥


हिरण्यगर्भो द्रुहिणो भूतपालोऽथ भूपतिः।
सद्योगी योगविद्योगी वरदो ब्राह्मणप्रियः॥111॥

849. हिरण्यगर्भः – ब्रह्मा,
850. द्रुहिणः – ब्रह्मा,
851. भूतपालः – प्राणियोंका पालन करनेवाले,
852. भूपतिः – पृथ्वीके स्वामी,
853. सद्योगी – श्रेष्ठ योगी,
854. योगविद्योगी – योगविद्याके ज्ञाता योगी,
855. वरदः – वर देनेवाले,
856. ब्राह्मणप्रियः – ब्राह्मणोंके प्रेमी॥111॥


देवप्रियो देवनाथो देवज्ञो देवचिन्तकः।
विषमाक्षो विशालाक्षो वृषदो वृषवर्धनः॥112॥

857. देवप्रियो देवनाथः – देवताओंके प्रिय तथा रक्षक,
858. देवज्ञः – देवतत्त्वके ज्ञाता,
859. देवचिन्तकः – देवताओंका विचार करनेवाले,
860. विषमाक्षः – विषम नेत्रवाले,
861. विशालाक्षः – बड़े-बड़े नेत्रवाले,
862. वृषदो वृषवर्धनः – धर्मका दान और वृद्धि करनेवाले॥112॥


निर्ममो निरहङ्कारो निर्मोहो निरुपद्रवः।
दर्पहा दर्पदो दृप्तः सर्वर्तुपरिवर्तकः॥113॥

863. निर्ममः – ममतारहित,
864. निरहङ‍कारः – अहंकारशून्य,
865. निर्मोहः – मोहशून्य,
866. निरुपद्रवः – उपद्रव या उत्पातसे दूर,
867. दर्पहा दर्पदः – दर्पका हनन और खण्डन करनेवाले,
868. दृप्तः – स्वाभिमानी,
869. सर्वर्तुपरिवर्तकः – समस्त ऋतुओंको बदलते रहनेवाले॥113॥


सहस्रजित् सहस्रार्चिः स्निग्धप्रकृतिदक्षिणः।
भूतभव्यभवन्नाथः प्रभवो भूतिनाशनः॥114॥

870. सहस्रजित् – सहस्रोंपर विजय पानेवाले,
871. सहस्रार्चिः – सहस्रों किरणोंसे प्रकाशमान सूर्यरूप,
872. स्निग्ध-प्रकृतिदक्षिणः – स्नेहयुक्त स्वभाववाले तथा उदार,
873. भूतभव्यभवन्नाथः – भूत, भविष्य और वर्तमानके स्वामी,
874. प्रभवः – सबकी उत्पत्तिके कारण,
875. भूतिनाशनः – दुष्टोंके ऐश्वर्यका नाश करनेवाले॥114॥


अर्थोऽनर्थो महाकोशः परकार्यैकपण्डितः।
निष्कण्टकः कृतानन्दो निर्व्याजो व्याजमर्दनः॥115॥

876. अर्थः – परमपुरुषार्थरूप,
877. अनर्थः – प्रयोजनरहित,
878. महाकोशः – अनन्त धनराशिके स्वामी,
879. परकार्यैक-पण्डितः – पराये कार्यको सिद्ध करनेकी कलाके एकमात्र विद्वान्,
880. निष्कण्टकः – कण्टकरहित,
881. कृतानन्दः – नित्यसिद्ध आनन्दस्वरूप,
882. निर्व्याजो व्याजमर्दनः – स्वयं कपटरहित होकर दूसरेके कपटको नष्ट करनेवाले॥115॥


सत्त्ववान्सात्त्विकः सत्यकीर्तिः स्नेहकृतागमः।
अकम्पितो गुणग्राही नैकात्मा नैककर्मकृत्॥116॥

883. सत्त्ववान् – सत्त्वगुणसे युक्त,
884. सात्त्विकः – सत्त्वनिष्ठ,
885. सत्यकीर्तिः – सत्यकीर्तिवाले,
886. स्नेहकृतागमः – जीवोंके प्रति स्नेहके कारण विभिन्न आगमोंको प्रकाशमें लानेवाले,
887. अकम्पितः – सुस्थिर,
888. गुणग्राही – गुणोंका आदर करनेवाले,
889. नैकात्मा नैककर्मकृत् – अनेकरूप होकर अनेक प्रकारके कर्म करनेवाले॥116॥


सुप्रीतः सुमुखः सूक्ष्मः सुकरो दक्षिणानिलः।
नन्दिस्कन्धधरो धुर्यः प्रकटः प्रीतिवर्धनः॥117॥

890. सुप्रीतः – अत्यन्त प्रसन्न,
891. सुमुखः – सुन्दर मुखवाले,
892. सूक्ष्मः – स्थूलभावसे रहित,
893. सुकरः – सुन्दर हाथवाले,
894. दक्षिणानिलः – मलयानिलके समान सुखद,
895. नन्दिस्कन्धधरः – नन्दीकी पीठपर सवार होनेवाले,
896. धुर्यः – उत्तरदायित्वका भार वहन करनेमें समर्थ,
897. प्रकटः – भक्तोंके सामने प्रकट होनेवाले अथवा ज्ञानियोंके सामने नित्य प्रकट,
898. प्रीतिवर्धनः – प्रेम बढ़ानेवाले॥117॥


अपराजितः सर्वसत्त्वो गोविन्दः सत्त्ववाहनः।
अधृतः स्वधृतः सिद्धः पूतमूर्तिर्यशोधनः॥118॥

899. अपराजितः – किसीसे परास्त न होनेवाले,
900. सर्वसत्त्वः – सम्पूर्ण सत्त्वगुणके आश्रय अथवा समस्त प्राणियोंकी उत्पत्तिके हेतु,
901. गोविन्दः – गोलोककी प्राप्ति करानेवाले,
902. सत्त्ववाहनः – सत्त्वस्वरूप धर्ममय वृषभसे वाहनका काम लेनेवाले,
903. अधृतः – आधाररहित,
904. स्वधृतः – अपने-आपमें ही स्थित,
905. सिद्धः – नित्यसिद्ध,
906. पूतमूर्तिः – पवित्र शरीरवाले,
907. यशोधनः – सुयशके धनी॥118॥


वाराहशृङ्गधृक्छृङ्गी बलवानेकनायकः।
श्रुतिप्रकाशः श्रुतिमानेकबन्धुरनेककृत्॥119॥

908. वाराहशृङ्गधृक्छृङ्गी – वाराहको मारकर उसके दाढ़रूपी शृंगोंको धारण करनेके कारण शृंगी नामसे प्रसिद्ध,
909. बलवान् – शक्तिशाली,
910. एकनायकः – अद्वितीय नेता,
911. श्रुतिप्रकाशः – वेदोंको प्रकाशित करनेवाले,
912. श्रुतिमान् – वेदज्ञानसे सम्पन्न,
913. एकबन्धुः – सबके एकमात्र सहायक,
914. अनेककृत् – अनेक प्रकारके पदार्थोंकी सृष्टि करनेवाले॥119॥


श्रीवत्सलशिवारम्भः शान्तभद्रः समो यशः।
भूशयो भूषणो भूतिर्भूतकृद् भूतभावनः॥120॥

915. श्रीवत्सलशिवारम्भः – श्रीवत्सधारी विष्णुके लिये मंगलकारी,
916. शान्तभद्रः – शान्त एवं मंगलरूप,
917. समः – सर्वत्र समभाव रखनेवाले,
918. यशः – यशस्वरूप,
919. भूशयः – पृथ्वीपर शयन करनेवाले,
920. भूषणः – सबको विभूषित करनेवाले,
921. भूतिः – कल्याणस्वरूप,
922. भृतकृत् – प्राणियोंकी सृष्टि करनेवाले,
923. भूतभावनः – भूतोंके उत्पादक॥120॥


अकम्पो भक्तिकायस्तु कालहा नीललोहितः।
सत्यव्रतमहात्यागी नित्यशान्तिपरायणः॥121॥

924. अकम्पः – कम्पित न होनेवाले,
925. भक्तिकायः – भक्तिस्वरूप,
926. कालहा – कालनाशक,
927. नीललोहितः – नील और लोहितवर्णवाले,
928. सत्यव्रत-महात्यागी – सत्यव्रतधारी एवं महान् त्यागी,
929. नित्यशान्तिपरायणः – निरन्तर शान्त॥121॥


परार्थवृत्तिर्वरदो विरक्तस्तु विशारदः।
शुभदः शुभकर्ता च शुभनामा शुभः स्वयम्॥122॥

930. परार्थवृत्तिर्वरदः – परोपकारव्रती एवं अभीष्ट वरदाता,
931. विरक्तः – वैराग्यवान्,
932. विशारदः – विज्ञानवान्,
933. शुभदः शुभकर्ता – शुभ देने और करनेवाले,
934. शुभनामा शुभः स्वयम् – स्वयं शुभस्वरूप होनेके कारण शुभ नामधारी॥122॥


अनर्थितोऽगुणः साक्षी ह्यकर्ता कनकप्रभः।
स्वभावभद्रो मध्यस्थः शत्रुघ्नो विघ्ननाशनः॥123॥

935. अनर्थितः – याचनारहित,
936. अगुणः – निर्गुण,
937. साक्षी अकर्ता – द्रष्टा एवं कर्तृत्वरहित,
938. कनकप्रभः – सुवर्णके समान कान्तिमान्,
939. स्वभावभद्रः – स्वभावतः कल्याणकारी,
940. मध्यस्थः – उदासीन,
941. शत्रुघ्नः – शत्रुनाशक,
942. विघ्ननाशनः – विघ्नोंका निवारण करनेवाले॥123॥


शिखण्डी कवची शूली जटी मुण्डी च कुण्डली।
अमृत्युः सर्वदृक्‌सिंहस्तेजोराशिर्महामणिः॥124॥

943. शिखण्डी कवची शूलि – मोरपंख, कवच और त्रिशूल धारण करनेवाले,
944. जटी मुण्डी च कुण्डली – जटा, मुण्डमाला और कवच धारण करनेवाले,
945. अमृत्युः – मृत्युरहित,
946. सर्वदृक्‌सिंहः – सर्वज्ञोंमें श्रेष्ठ,
947. तेजोराशिर्महामणिः – तेजःपुंज महामणि कौस्तुभादिरूप॥124॥


असंख्येयोऽप्रमेयात्मा वीर्यवान् वीर्यकोविदः।
वेद्यश्चैव वियोगात्मा परावरमुनीश्वरः॥125॥

948. असंख्येयोऽप्रमेयात्मा – असंख्य नाम, रूप और गुणोंसे युक्त होनेके कारण किसीके द्वारा मापे न जा सकनेवाले,
949. वीर्यवान् वीर्यकोविदः – पराक्रमी एवं पराक्रमके ज्ञाता,
950. वेद्यः – जाननेयोग्य,
951. वियोगात्मा – दीर्घकालतक सतीके वियोगमें अथवा विशिष्ट योगकी साधनामें संलग्न हुए मनवाले,
952. परावरमुनीश्वरः – भूत और भविष्यके ज्ञाता मुनीश्वररूप॥125॥


अनुत्तमो दुराधर्षो मधुरप्रियदर्शनः।
सुरेशः शरणं सर्वः शब्दब्रह्म सतां गतिः॥126॥

953. अनुत्तमो दुराधर्षः – सर्वोत्तम एवं दुर्जय,
954. मधुरप्रियदर्शनः – जिनका दर्शन मनोहर एवं प्रिय लगता है, ऐसे,
955. सुरेशः – देवताओंके ईश्वर,
956. शरणम् – आश्रयदाता,
957. सर्वः – सर्वस्वरूप,
958. शब्दब्रह्म सतां गतिः – प्रणवरूप तथा सत्पुरुषोंके आश्रय॥126॥


कालपक्षः कालकालः कङ्कणीकृतवासुकिः।
महेष्वासो महीभर्ता निष्कलङ‍को विशृङ्खलः॥127॥

959. कालपक्षः – काल जिनका सहायक है, ऐसे,
960. कालकालः – कालके भी काल,
961. कङ्कणीकृतवासुकिः – वासुकि नागको अपने हाथमें कंगनके समान धारण करनेवाले,
962. महेष्वासः – महाधनुर्धर,
963. महीभर्ता – पृथ्वीपालक,
964. निष्कलङ‍कः – कलंकशून्य,
965. विशृङ‍खलः – बन्धनरहित॥127॥


द्युमणिस्तरणिर्धन्यः सिद्धिदः सिद्धिसाधनः।
विश्वतः संवृतः स्तुत्यो व्यूढोरस्को महाभुजः॥128॥

966. द्युमणिस्तरणिः – आकाशमें मणिके समान प्रकाशमान तथा भक्तोंको भवसागरसे तारनेके लिये नौकारूप सूर्य,
967. धन्यः – कृतकृत्य,
968. सिद्धिदः सिद्धिसाधनः – सिद्धिदाता और सिद्धिके साधक,
969. विश्वतः संवृतः – सब ओरसे मायाद्वारा आवृत,
970. स्तुत्यः – स्तुतिके योग्य,
971. व्यूढोरस्कः – चौड़ी छातीवाले,
972. महाभुजः – बड़ी बाँहवाले॥128॥


सर्वयोनिर्निरातङ्को नरनारायणप्रियः।
निर्लेपो निष्प्रपञ्चात्मा निर्व्यङ्गो व्यङ्गनाशनः॥129॥

973. सर्वयोनिः – सबकी उत्पत्तिके स्थान,
974. निरातङ्कः – निर्भय,
975. नरनारायणप्रियः – नर-नरायणके प्रेमी अथवा प्रियतम,
976. निर्लेपो निष्प्रपञ्चात्मा – दोषसम्पर्कसे रहित तथा जगत्प्रपंचसे अतीत स्वरूपवाले,
977. निर्व्यङ्गः – विशिष्ट अंगवाले प्राणियोंके प्राकट्यमें हेतु,
978. व्यङ्गनाशनः – यज्ञादि कर्मोंमें होनेवाले अंग-वैगुण्यका नाश करनेवाले॥129॥


स्तव्यः स्तवप्रियः स्तोता व्यासमूर्तिर्निरङ्कुशः।
निरवद्यमयोपायो विद्याराशी रसप्रियः॥130॥

979. स्तव्यः – स्तुतिके योग्य,
980. स्तवप्रियः – स्तुतिके प्रेमी,
981. स्तोता – स्तुति करनेवाले,
982. व्यासमूर्तिः – व्यासस्वरूप,
983. निरङ्कुशः – अंकुशरहित स्वतन्त्र,
984. निरवद्यमयोपायः – मोक्ष-प्राप्तिके निर्दोष उपायरूप,
985. विद्याराशिः – विद्याओंके सागर,
986. रसप्रियः – ब्रह्मानन्दरसके प्रेमी॥130॥


प्रशान्तबुद्धिरक्षुण्णः संग्रही नित्यसुन्दरः।
वैयाघ्रधुर्यो धात्रीशः शाकल्यः शर्वरीपतिः॥131॥

987. प्रशान्तबुद्धिः – शान्त बुद्धिवाले,
988. अक्षुण्णः – क्षोभ या नाशसे रहित,
989. संग्रही – भक्तोंका संग्रह करनेवाले,
990. नित्यसुन्दरः – सतत मनोहर,
991. वैयाघ्रधुर्यः – व्याघ्रचर्मधारी,
992. धात्रीशः – ब्रह्माजीके स्वामी,
993. शाकल्यः – शाकल्य ऋषिरूप,
994. शर्वरीपतिः – रात्रिके स्वामी चन्द्रमारूप॥131॥


परमार्थगुरुर्दत्तः सूरिराश्रितवत्सलः।
सोमो रसज्ञो रसदः सर्वसत्त्वावलम्बनः॥132॥

955. परमार्थगुरुर्दत्तः सूरिः – परमार्थतत्त्वका उपदेश देनेवाले ज्ञानी गुरु दत्तात्रेयरूप,
996. आाश्रितवत्सलः – शरणागतोंपर दया करनेवाले,
997. सोमः – उमासहित,
998. रसज्ञः – भक्तिरसके ज्ञाता,
999. रसदः – प्रेमरस प्रदान करनेवाले,
1000. सर्वसत्त्वावलम्बनः – समस्त प्राणियोंको सहारा देनेवाले॥132॥


इस प्रकार श्रीहरि प्रतिदिन सहस्र नामोंद्वारा भगवान् शिवकी स्तुति, सहस्र कमलोंद्वारा उनका पूजन एवं प्रार्थना किया करते थे।

इस तरह उनसे पूजित एवं प्रसन्न हो शिवने उन्हें चक्र दिया और इस प्रकार कहा – “हरे! सब प्रकारके अनर्थोंकी शान्तिके लिये तुम्हें मेरे स्वरूपका ध्यान करना चाहिये।

अनेकानेक दुःखोंका नाश करनेके लिये इस सहस्रनामका पाठ करते रहना चाहिये तथा समस्त मनोरथोंकी सिद्धिके लिये सदा मेरे इस चक्रको प्रयत्नपूर्वक धारण करना चाहिये, यह सभी चक्रोंमें उत्तम है।

दूसरे भी जो लोग प्रतिदिन इस सहस्रनामका पाठ करेंगे या करायेंगे, उन्हें स्वप्नमें भी कोई दुःख नहीं प्राप्त होगा।

राजाओंकी ओरसे संकट प्राप्त होनेपर यदि मनुष्य सांगोपांग विधिपूर्वक इस सहस्रनामस्तोत्रका सौ बार पाठ करे तो निश्चय ही कल्याणका भागी होता है।

यह उत्तम स्तोत्र रोगका नाशक, विद्या और धन देनेवाला, सम्पूर्ण अभीष्टकी प्राप्ति करानेवाला, पुण्यजनक तथा सदा ही शिवभक्ति देनेवाला है।

जिस फलके उद्देश्यसे मनुष्य यहाँ इस श्रेष्ठ स्तोत्रका पाठ करेंगे, उसे निस्संदेह प्राप्त कर लेंगे।

जो प्रतिदिन सबेरे उठकर मेरी पूजाके पश्चात् मेरे सामने इसका पाठ करता है, सिद्धि उससे दूर नहीं रहती।

उसे इस लोकमें सम्पूर्ण अभीष्टको देनेवाली सिद्धि पूर्णतया प्राप्त होती है और अन्तमें वह सायुज्य मोक्षका भागी होता है, इसमें संशय नहीं है।”


सूतजी कहते हैं –

मुनीश्वरो! ऐसा कहकर सर्वदेवेश्वर भगवान् रुद्र श्रीहरिके अंगका स्पर्श किये और उनके देखते-देखते वहीं अन्तर्धान हो गये।

भगवान् विष्णु भी शंकरजीके वचनसे तथा उस शुभ चक्रको पा जानेसे मन-ही-मन बड़े प्रसन्न हुए।

फिर वे प्रतिदिन शम्भुके ध्यानपूर्वक इस स्तोत्रका पाठ करने लगे।

उन्होंने अपने भक्तोंको भी इसका उपदेश दिया।

तुम्हारे प्रश्नके अनुसार मैंने यह प्रसंग सुनाया है, जो श्रोताओंके पापको हर लेनेवाला है।

Shri Vishnu Sahastra Namavali


श्री विष्णु सहस्त्र नामावलि

भगवान् विष्णु के इस सहस्त्र नामावलि पेज में श्रीविष्णु के 1000 नाम दिए गए है। भगवान् विष्णु की यह सहस्त्र नामावली, गीता प्रेस की पुस्तक से ली गयी है –

॥ श्रीपरमात्मने नमः ॥

1. ॐ विश्वस्मै नमः।
2. ॐ विष्णवे नमः।
3. ॐ वषट्काराय नमः।
4. ॐ भूतभव्यभवत्प्रभवे नमः।
5. ॐ भूतकृते नमः।
6. ॐ भूतभृते नमः।
7. ॐ भावाय नमः।
8. ॐ भूतात्मने नमः।
9. ॐ भूतभावनाय नमः।
10. ॐ पूतात्मने नमः।
11. ॐ परमात्मने नमः।
12. ॐ मुक्तानां परमायै गतये नमः।
13. ॐ अव्ययाय नमः।
14. ॐ पुरुषाय नमः।
15. ॐ साक्षिणे नमः।
16. ॐ क्षेत्रज्ञाय नमः।
17. ॐ अक्षराय नमः।
18. ॐ योगाय नमः।
19. ॐ योगविदां नेत्रे नमः।
20. ॐ प्रधानपुरुषेश्वराय नमः।
21. ॐ नारसिंहवपुषे नमः।
22. ॐ श्रीमते नमः।
23. ॐ केशवाय नमः।
24. ॐ पुरुषोत्तमाय नमः।
25. ॐ सर्वस्मै नमः।
26. ॐ शर्वाय नमः।
27. ॐ शिवाय नमः।
28. ॐ स्थाणवे नमः।
29. ॐ भूतादये नमः।
30. ॐ निधयेऽव्ययाय नमः।
31. ॐ सम्भवाय नमः।
32. ॐ भावनाय नमः।
33. ॐ भर्त्रे नमः।
34. ॐ प्रभवाय नमः।
35. ॐ प्रभवे नमः।
36. ॐ र्इश्वराय नमः।
37. ॐ स्वयम्भुवे नमः।
38. ॐ शम्भवे नमः।
39. ॐ आदित्याय नमः।
40. ॐ पुष्कराक्षाय नमः।
41. ॐ महास्वनाय नमः।
42. ॐ अनादिनिधनाय नमः।
43. ॐ धात्रे नमः।
44. ॐ विधात्रे नमः।
45. ॐ धातवे उत्तमाय नमः।
46. ॐ अप्रमेयाय नमः।
47. ॐ हृषीकेशाय नमः।
48. ॐ पद्मनाभाय नमः।
49. ॐ अमरप्रभवे नमः।
50. ॐ विश्वकर्मणे नमः।
51. ॐ मनवे नमः।
52. ॐ त्वष्ट्रे नमः।
53. ॐ स्थविष्ठाय नमः।
54. ॐ स्थविराय ध्रुवाय नमः।
55. ॐ अग्राह्याय नमः।
56. ॐ शाश्वताय नमः।
57. ॐ कृष्णाय नमः।
58. ॐ लोहिताक्षाय नमः।
59. ॐ प्रतर्दनाय नमः।
60. ॐ प्रभूताय नमः।
61. ॐ त्रिककुब्धाम्ने नमः।
62. ॐ पवित्राय नमः।
63. ॐ मङ्गलपराय नमः।
64. ॐ र्इशानाय नमः।
65. ॐ प्राणदाय नमः।
66. ॐ प्राणाय नमः।
67. ॐ ज्येष्ठाय नमः।
68. ॐ श्रेष्ठाय नमः।
69. ॐ प्रजापतये नमः।
70. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
71. ॐ भूगर्भाय नमः।
72. ॐ माधवाय नमः।
73. ॐ मधुसूदनाय नमः।
74. ॐ र्इश्वराय नमः।
75. ॐ विक्रमिणे नमः।
76. ॐ धन्विने नमः।
77. ॐ मेधाविने नमः।
78. ॐ विक्रमाय नमः।
79. ॐ क्रमाय नमः।
80. ॐ अनुत्तमाय नमः।
81. ॐ दुराधर्षाय नमः।
82. ॐ कृतज्ञाय नमः।
83. ॐ कृतये नमः।
84. ॐ आत्मवते नमः।
85. ॐ सुरेशाय नमः।
86. ॐ शरणाय नमः।
87. ॐ शर्मणे नमः।
88. ॐ विश्वरेतसे नमः।
89. ॐ प्रजाभवाय नमः।
90. ॐ अह्ने नमः।
91. ॐ संवत्सराय नमः।
92. ॐ व्यालाय नमः।
93. ॐ प्रत्ययाय नमः।
94. ॐ सर्वदर्शनाय नमः।
95. ॐ अजाय नमः।
96. ॐ सर्वेश्वराय नमः।
97. ॐ सिद्धाय नमः।
98. ॐ सिद्धये नमः।
99. ॐ सर्वादये नमः।
100. ॐ अच्युताय नमः।

Shri Vishnu Sahastra Namavali

101. ॐ वृषाकपये नमः।
102. ॐ अमेयात्मने नमः।
103. ॐ सर्वयोगविनिःसृताय नमः।
104. ॐ वसवे नमः।
105. ॐ वसुमनसे नमः।
106. ॐ सत्याय नमः।
107. ॐ समात्मने नमः।
108. ॐ असम्मिताय नमः।
109. ॐ समाय नमः।
110. ॐ अमोघाय नमः।
111. ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः।
112. ॐ वृषकर्मणे नमः।
113. ॐ वृषाकृतये नमः।
114. ॐ रुद्राय नमः।
115. ॐ बहुशिरसे नमः।
116. ॐ बभ्रवे नमः।
117. ॐ विश्वयोनये नमः।
118. ॐ शुचिश्रवसे नमः।
119. ॐ अमृताय नमः।
120. ॐ शाश्वतस्थाणवे नमः।
121. ॐ वरारोहाय नमः।
122. ॐ महातपसे नमः।
123. ॐ सर्वगाय नमः।
124. ॐ सर्वविद्भानवे नमः।
125. ॐ विष्वक्सेनाय नमः।
126. ॐ जनार्दनाय नमः।
127. ॐ वेदाय नमः।
128. ॐ वेदविदे नमः।
129. ॐ अव्यङ्गाय नमः।
130. ॐ वेदाङ्गाय नमः।
131. ॐ वेदविदे नमः।
132. ॐ कवये नमः।
133. ॐ लोकाध्यक्षाय नमः।
134. ॐ सुराध्यक्षाय नमः।
135. ॐ धर्माध्यक्षाय नमः।
136. ॐ कृताकृताय नमः।
137. ॐ चतुरात्मने नमः।
138. ॐ चतुर्व्यूहाय नमः।
139. ॐ चतुर्दंष्ट्राय नमः।
140. ॐ चतुर्भुजाय नमः।
141. ॐ भ्राजिष्णवे नमः।
142. ॐ भोजनाय नमः।
143. ॐ भोक्त्रे नमः।
144. ॐ सहिष्णवे नमः।
145. ॐ जगदादिजाय नमः।
146. ॐ अनघाय नमः।
147. ॐ विजयाय नमः।
148. ॐ जेत्रे नमः।
149. ॐ विश्वयोनये नमः।
150. ॐ पुनर्वसवे नमः।
151. ॐ उपेन्द्राय नमः।
152. ॐ वामनाय नमः।
153. ॐ प्रांशवे नमः।
154. ॐ अमोघाय नमः।
155. ॐ शुचये नमः।
156. ॐ ऊर्जिताय नमः।
157. ॐ अतीन्द्राय नमः।
158. ॐ संग्रहाय नमः।
159. ॐ सर्गाय नमः।
160. ॐ धृतात्मने नमः।
161. ॐ नियमाय नमः।
162. ॐ यमाय नमः।
163. ॐ वेद्याय नमः।
164. ॐ वैद्याय नमः।
165. ॐ सदायोगिने नमः।
166. ॐ वीरघ्ने नमः।
167. ॐ माधवाय नमः।
168. ॐ मधवे नमः।
169. ॐ अतीन्द्रियाय नमः।
170. ॐ महामायाय नमः।
171. ॐ महोत्साहाय नमः।
172. ॐ महाबलाय नमः।
173. ॐ महाबुद्धये नमः।
174. ॐ महावीर्याय नमः।
175. ॐ महाशक्तये नमः।
176. ॐ महाद्युतये नमः।
177. ॐ अनिर्देश्यवपुषे नमः।
178. ॐ श्रीमते नमः।
179. ॐ अमेयात्मने नमः।
180. ॐ महाद्रिधृषे नमः।
181. ॐ महेष्वासाय नमः।
182. ॐ महीभर्त्रे नमः।
183. ॐ श्रीनिवासाय नमः।
184. ॐ सतां गतये नमः।
185. ॐ अनिरुद्धाय नमः।
186. ॐ सुरानन्दाय नमः।
187. ॐ गोविन्दाय नमः।
188. ॐ गोविदां पतये नमः।
189. ॐ मरीचये नमः।
190. ॐ दमनाय नमः।
191. ॐ हंसाय नमः।
192. ॐ सुपर्णाय नमः।
193. ॐ भुजगोत्तमाय नमः।
194. ॐ हिरण्यनाभाय नमः।
195. ॐ सुतपसे नमः।
196. ॐ पद्मनाभाय नमः।
197. ॐ प्रजापतये नमः।
198. ॐ अमृत्यवे नमः।
199. ॐ सर्वदृशे नमः।
200. ॐ सिंहाय नमः।

Shri Vishnu Sahasra Namavali

201. ॐ संधात्रे नमः।
202. ॐ संधिमते नमः।
203. ॐ स्थिराय नमः।
204. ॐ अजाय नमः।
205. ॐ दुर्मर्षणाय नमः।
206. ॐ शास्त्रे नमः।
207. ॐ विश्रुतात्मने नमः।
208. ॐ सुरारिघ्ने नमः।
209. ॐ गुरवे नमः।
210. ॐ गुरुतमाय नमः।
211. ॐ धाम्ने नमः।
212. ॐ सत्याय नमः।
213. ॐ सत्यपराक्रमाय नमः।
214. ॐ निमिषाय नमः।
215. ॐ अनिमिषाय नमः।
216. ॐ स्त्रग्विणे नमः।
217. ॐ वाचस्पतये उदारधिये नमः।
218. ॐ अग्रण्ये नमः।
219. ॐ ग्रामण्ये नमः।
220. ॐ श्रीमते नमः।
221. ॐ न्यायाय नमः।
222. ॐ नेत्रे नमः।
223. ॐ समीरणाय नमः।
224. ॐ सहस्त्रमूर्ध्ने नमः।
225. ॐ विश्वात्मने नमः।
226. ॐ सहस्त्राक्षाय नमः।
227. ॐ सहस्त्रपदे नमः।
228. ॐ आवर्तनाय नमः।
229. ॐ निवृत्तात्मने नमः।
230. ॐ संवृताय नमः।
231. ॐ सम्प्रमर्दनाय नमः।
232. ॐ अहःसंवर्तकाय नमः।
233. ॐ वह्नये नमः।
234. ॐ अनिलाय नमः।
235. ॐ धरणीधराय नमः।
236. ॐ सुप्रसादाय नमः।
237. ॐ प्रसन्नात्मने नमः।
238. ॐ विश्वधृषे नमः।
239. ॐ विश्वभुजे नमः।
240. ॐ विभवे नमः।
241. ॐ सत्कर्त्रे नमः।
242. ॐ सत्कृताय नमः।
243. ॐ साधवे नमः।
244. ॐ जह्नवे नमः।
245. ॐ नारायणाय नमः।
246. ॐ नराय नमः।
247. ॐ असंख्येयाय नमः।
248. ॐ अप्रमेयात्मने नमः।
249. ॐ विशिष्टाय नमः।
250. ॐ शिष्टकृते नमः।
251. ॐ शुचये नमः।
252. ॐ सिद्धार्थाय नमः।
253. ॐ सिद्धसंकल्पाय नमः।
254. ॐ सिद्धिदाय नमः।
255. ॐ सिद्धिसाधनाय नमः।
256. ॐ वृषाहिने नमः।
257. ॐ वृषभाय नमः।
258. ॐ विष्णवे नमः।
259. ॐ वृषपर्वणे नमः।
260. ॐ वृषोदराय नमः।
261. ॐ वर्धनाय नमः।
262. ॐ वर्धमानाय नमः।
263. ॐ विविक्ताय नमः।
264. ॐ श्रुतिसागराय नमः।
265. ॐ सुभुजाय नमः।
266. ॐ दुर्धराय नमः।
267. ॐ वाग्मिने नमः।
268. ॐ महेन्द्राय नमः।
269. ॐ वसुदाय नमः।
270. ॐ वसवे नमः।
271. ॐ नैकरूपाय नमः।
272. ॐ बृहद्रूपाय नमः।
273. ॐ शिपिविष्टाय नमः।
274. ॐ प्रकाशनाय नमः।
275. ॐ ओजस्तेजोद्युतिधराय नमः।
276. ॐ प्रकाशात्मने नमः।
277. ॐ प्रतापनाय नमः।
278. ॐ ऋद्धाय नमः।
279. ॐ स्पष्टाक्षराय नमः।
280. ॐ मन्त्राय नमः।
281. ॐ चन्द्रांशवे नमः।
282. ॐ भास्करद्युतये नमः।
283. ॐ अमृतांशूद्भवाय नमः।
284. ॐ भानवे नमः।
285. ॐ शशबिन्दवे नमः।
286. ॐ सुरेश्वराय नमः।
287. ॐ औषधाय नमः।
288. ॐ जगतः सेतवे नमः।
289. ॐ सत्यधर्मपराक्रमाय नमः।
290. ॐ भूतभव्यभवन्नाथाय नमः।
291. ॐ पवनाय नमः।
292. ॐ पावनाय नमः।
293. ॐ अनलाय नमः।
294. ॐ कामघ्ने नमः।
295. ॐ कामकृते नमः।
296. ॐ कान्ताय नमः।
297. ॐ कामाय नमः।
298. ॐ कामप्रदाय नमः।
299. ॐ प्रभवे नमः।
300. ॐ युगादिकृते नमः।

301. ॐ युगावर्ताय नमः।
302. ॐ नैकमायाय नमः।
303. ॐ महाशनाय नमः।
304. ॐ अदृश्याय नमः।
305. ॐ अव्यक्तरूपाय नमः।
306. ॐ सहस्त्रजिते नमः।
307. ॐ अनन्तजिते नमः।
308. ॐ इष्टाय नमः।
309. ॐ अविशिष्टाय नमः।
310. ॐ शिष्टेष्टाय नमः।
311. ॐ शिखण्डिने नमः।
312. ॐ नहुषाय नमः।
313. ॐ वृषाय नमः।
314. ॐ क्रोधघ्ने नमः।
315. ॐ क्रोधकृत्कर्त्रे नमः।
316. ॐ विश्वबाहवे नमः।
317. ॐ महीधराय नमः।
318. ॐ अच्युताय नमः।
319. ॐ प्रथिताय नमः।
320. ॐ प्राणाय नमः।
321. ॐ प्राणदाय नमः।
322. ॐ वासवानुजाय नमः।
323. ॐ अपां निधये नमः।
324. ॐ अधिष्ठानाय नमः।
325. ॐ अप्रमत्ताय नमः।
326. ॐ प्रतिष्ठिताय नमः।
327. ॐ स्कन्दाय नमः।
328. ॐ स्कन्दधराय नमः।
329. ॐ धुर्याय नमः।
330. ॐ वरदाय नमः।
331. ॐ वायुवाहनाय नमः।
332. ॐ वासुदेवाय नमः।
333. ॐ बृहद्भानवे नमः।
334. ॐ आदिदेवाय नमः।
335. ॐ पुरन्दराय नमः।
336. ॐ अशोकाय नमः।
337. ॐ तारणाय नमः।
338. ॐ ताराय नमः।
339. ॐ शूराय नमः।
340. ॐ शौरये नमः।
341. ॐ जनेश्वराय नमः।
342. ॐ अनुकूलाय नमः।
343. ॐ शतावर्ताय नमः।
344. ॐ पद्मिने नमः।
345. ॐ पद्मनिभेक्षणाय नमः।
346. ॐ पद्मनाभाय नमः।
347. ॐ अरविन्दाक्षाय नमः।
348. ॐ पद्मगर्भाय नमः।
349. ॐ शरीरभृते नमः।
350. ॐ महर्द्धये नमः।
351. ॐ ऋद्धाय नमः।
352. ॐ वृद्धात्मने नमः।
353. ॐ महाक्षाय नमः।
354. ॐ गरुडध्वजाय नमः।
355. ॐ अतुलाय नमः।
356. ॐ शरभाय नमः।
357. ॐ भीमाय नमः।
358. ॐ समयज्ञाय नमः।
359. ॐ हविर्हरये नमः।
360. ॐ सर्वलक्षणलक्षण्याय नमः।
361. ॐ लक्ष्मीवते नमः।
362. ॐ समितिञ्जयाय नमः।
363. ॐ विक्षराय नमः।
364. ॐ रोहिताय नमः।
365. ॐ मार्गाय नमः।
366. ॐ हेतवे नमः।
367. ॐ दामोदराय नमः।
368. ॐ सहाय नमः।
369. ॐ महीधराय नमः।
370. ॐ महाभागाय नमः
371. ॐ वेगवते नमः।
372. ॐ अमिताशनाय नमः।
373. ॐ उद्भवाय नमः।
374. ॐ क्षोभणाय नमः।
375. ॐ देवाय नमः।
376. ॐ श्रीगर्भाय नमः।
377. ॐ परमेश्वराय नमः।
378. ॐ करणाय नमः।
379. ॐ कारणाय नमः।
380. ॐ कर्त्रे नमः।
381. ॐ विकर्त्रे नमः।
382. ॐ गहनाय नमः।
383. ॐ गुहाय नमः।
384. ॐ व्यवसायाय नमः।
385. ॐ व्यवस्थानाय नमः।
386. ॐ संस्थानाय नमः।
387. ॐ स्थानदाय नमः।
388. ॐ ध्रुवाय नमः।
389. ॐ परर्द्धये नमः।
390. ॐ परमस्पष्टाय नमः।
391. ॐ तुष्टाय नमः।
392. ॐ पुष्टाय नमः।
393. ॐ शुभेक्षणाय नमः।
394. ॐ रामाय नमः।
395. ॐ विरामाय नमः।
396. ॐ विरजसे नमः।
397. ॐ मार्गाय नमः।
398. ॐ नेयाय नमः।
399. ॐ नयाय नमः।
400. ॐ अनयाय नमः।

Vishnu Sahastra Namavali

401. ॐ वीराय नमः।
402. ॐ शक्तिमतां श्रेष्ठाय नमः।
403. ॐ धर्माय नमः।
404. ॐ धर्मविदुत्तमाय नमः।
405. ॐ वैकुण्ठाय नमः।
406. ॐ पुरुषाय नमः।
407. ॐ प्राणाय नमः।
408. ॐ प्राणदाय नमः।
409. ॐ प्रणवाय नमः।
410. ॐ पृथवे नमः।
411. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
412. ॐ शत्रुघ्नाय नमः।
413. ॐ व्याप्ताय नमः।
414. ॐ वायवे नमः।
415. ॐ अधोक्षजाय नमः।
416. ॐ ऋतवे नमः।
417. ॐ सुदर्शनाय नमः।
418. ॐ कालाय नमः।
419. ॐ परमेष्ठिने नमः।
420. ॐ परिग्रहाय नमः।
421. ॐ उग्राय नमः।
422. ॐ संवत्सराय नमः।
423. ॐ दक्षाय नमः।
424. ॐ विश्रामाय नमः।
425. ॐ विश्वदक्षिणाय नमः।
426. ॐ विस्ताराय नमः।
427. ॐ स्थावरस्थाणवे नमः।
428. ॐ प्रमाणाय नमः।
429. ॐ बीजायाव्ययाय नमः।
430. ॐ अर्थाय नमः।
431. ॐ अनर्थाय नमः।
432. ॐ महाकोशाय नमः।
433. ॐ महाभोगाय नमः।
434. ॐ महाधनाय नमः।
435. ॐ अनिर्विण्णाय नमः।
436. ॐ स्थविष्ठाय नमः।
437. ॐ अभुवे नमः।
438. ॐ धर्मयूपाय नमः।
439. ॐ महामखाय नमः।
440. ॐ नक्षत्रनेमये नमः।
441. ॐ नक्षत्रिणे नमः।
442. ॐ क्षमाय नमः।
443. ॐ क्षामाय नमः।
444. ॐ समीहनाय नमः।
445. ॐ यज्ञाय नमः।
446. ॐ इज्याय नमः।
447. ॐ महेज्याय नमः।
448. ॐ क्रतवे नमः।
449. ॐ सत्राय नमः।
450. ॐ सतां गतये नमः।
451. ॐ सर्वदर्शिने नमः।
452. ॐ विमुक्तात्मने नमः।
453. ॐ सर्वज्ञाय नमः।
454. ॐ ज्ञानाय उत्तमाय नमः।
455. ॐ सुव्रताय नमः।
456. ॐ सुमुखाय नमः।
457. ॐ सूक्ष्माय नमः।
458. ॐ सुघोषाय नमः।
459. ॐ सुखदाय नमः।
460. ॐ सुहृदे नमः।
461. ॐ मनोहराय नमः।
462. ॐ जितक्रोधाय नमः।
463. ॐ वीरबाहवे नमः।
464. ॐ विदारणाय नमः।
465. ॐ स्वापनाय नमः।
466. ॐ स्ववशाय नमः।
467. ॐ व्यापिने नमः।
468. ॐ नैकात्मने नमः।
469. ॐ नैककर्मकृते नमः।
470. ॐ वत्सराय नमः।
471. ॐ वत्सलाय नमः।
472. ॐ वत्सिने नमः।
473. ॐ रत्नगर्भाय नमः।
474. ॐ धनेश्वराय नमः।
475. ॐ धर्मगुपे नमः।
476. ॐ धर्मकृते नमः।
477. ॐ धर्मिणे नमः।
478. ॐ सते नमः।
479. ॐ असते नमः।
480. ॐ क्षराय नमः।
481. ॐ अक्षराय नमः।
482. ॐ अविज्ञात्रे नमः।
483. ॐ सहस्त्रांशवे नमः।
484. ॐ विधात्रे नमः।
485. ॐ कृतलक्षणाय नमः।
486. ॐ गभस्तिनेमये नमः।
487. ॐ सत्त्वस्थाय नमः।
488. ॐ सिंहाय नमः।
489. ॐ भूतमहेश्वराय नमः।
490. ॐ आदिदेवाय नमः।
491. ॐ महादेवाय नमः।
492. ॐ देवेशाय नमः।
493. ॐ देवभृद्गुरवे नमः।
494. ॐ उत्तरस्मै नमः।
495. ॐ गोपतये नमः।
496. ॐ गोप्त्रे नमः।
497. ॐ ज्ञानगम्याय नमः।
498. ॐ पुरातनाय नमः।
499. ॐ शरीरभूतभृते नमः।
500. ॐ भोक्त्रे नमः।

501. ॐ कपीन्द्राय नमः।
502. ॐ भूरिदक्षिणाय नमः।
503. ॐ सोमपाय नमः।
504. ॐ अमृतपाय नमः।
505. ॐ सोमाय नमः।
506. ॐ पुरुजिते नमः।
507. ॐ पुरुसत्तमाय नमः।
508. ॐ विनयाय नमः।
509. ॐ जयाय नमः।
510. ॐ सत्यसंधाय नमः।
511. ॐ दाशार्हाय नमः।
512. ॐ सात्वतां पत्ये नमः।
513. ॐ जीवाय नमः।
514. ॐ विनयितासाक्षिणे नमः।
515. ॐ मुकुन्दाय नमः।
516. ॐ अमितविक्रमाय नमः।
517. ॐ अम्भोनिधये नमः।
518. ॐ अनन्तात्मने नमः।
519. ॐ महोदधिशयाय नमः।
520. ॐ अन्तकाय नमः।
521. ॐ अजाय नमः।
522. ॐ महार्हाय नमः।
523. ॐ स्वाभाव्याय नमः।
524. ॐ जितामित्राय नमः।
525. ॐ प्रमोदनाय नमः।
526. ॐ आनन्दाय नमः।
527. ॐ नन्दनाय नमः।
528. ॐ नन्दाय नमः।
529. ॐ सत्यधर्माय नमः।
530. ॐ त्रिविक्रमाय नमः।
531. ॐ महर्षये कपिलाचार्याय नमः।
532. ॐ कृतज्ञाय नमः।
533. ॐ मेदिनीपतये नमः।
534. ॐ त्रिपदाय नमः।
535. ॐ त्रिदशाध्यक्षाय नमः।
536. ॐ महाशृङ्गाय नमः।
537. ॐ कृतान्तकृते नमः।
538. ॐ महावराहाय नमः।
539. ॐ गोविन्दाय नमः।
540. ॐ सुषेणाय नमः।
541. ॐ कनकाङ्गदिने नमः।
542. ॐ गुह्याय नमः।
543. ॐ गभीराय नमः।
544. ॐ गहनाय नमः।
545. ॐ गुप्ताय नमः।
546. ॐ चक्रगदाधराय नमः।
547. ॐ वेधसे नमः।
548. ॐ स्वाङ्गाय नमः।
549. ॐ अजिताय नमः।
550. ॐ कृष्णाय नमः।
551. ॐ दृढाय नमः।
552. ॐ सङ्कर्षणायाच्युताय नमः।
553. ॐ वरुणाय नमः।
554. ॐ वारुणाय नमः।
555. ॐ वृक्षाय नमः।
556. ॐ पुष्कराक्षाय नमः।
557. ॐ महामनसे नमः।
558. ॐ भगवते नमः।
559. ॐ भगघ्ने नमः।
560. ॐ आनन्दिने नमः।
561. ॐ वनमालिने नमः।
562. ॐ हलायुधाय नमः।
563. ॐ आदित्याय नमः।
564. ॐ ज्योतिरादित्याय नमः।
565. ॐ सहिष्णवे नमः।
566. ॐ गतिसत्तमाय नमः।
567. ॐ सुधन्वने नमः।
568. ॐ खण्डपरशवे नमः।
569. ॐ दारुणाय नमः।
570. ॐ द्रविणप्रदाय नमः।
571. ॐ दिविस्पृशे नमः।
572. ॐ सर्वदृग्व्यासाय नमः।
573. ॐ वाचस्पतये अयोनिजाय नमः।
574. ॐ त्रिसाम्ने नमः।
575. ॐ सामगाय नमः।
576. ॐ साम्ने नमः।
577. ॐ निर्वाणाय नमः।
578. ॐ भेषजाय नमः।
579. ॐ भिषजे नमः।
580. ॐ संन्यासकृते नमः।
581. ॐ शमाय नमः।
582. ॐ शान्ताय नमः।
583. ॐ निष्ठायै नमः।
584. ॐ शान्त्यै नमः।
585. ॐ परायणाय नमः।
586. ॐ शुभाङ्गाय नमः।
587. ॐ शान्तिदाय नमः।
588. ॐ स्त्रष्ट्रे नमः।
589. ॐ कुमुदाय नमः।
590. ॐ कुवलेशयाय नमः।
591. ॐ गोहिताय नमः।
592. ॐ गोपतये नमः।
593. ॐ गोप्त्रे नमः।
594. ॐ वृषभाक्षाय नमः।
595. ॐ वृषप्रियाय नमः।
596. ॐ अनिवर्तिने नमः।
597. ॐ निवृत्तात्मने नमः।
598. ॐ संक्षेप्त्रे नमः।
599. ॐ क्षेमकृते नमः।
600. ॐ शिवाय नमः।

601. ॐ श्रीवत्सवक्षसे नमः।
602. ॐ श्रीवासाय नमः।
603. ॐ श्रीपतये नमः।
604. ॐ श्रीमतां वराय नमः।
605. ॐ श्रीदाय नमः।
606. ॐ श्रीशाय नमः।
607. ॐ श्रीनिवासाय नमः।
608. ॐ श्रीनिधये नमः।
609. ॐ श्रीविभावनाय नमः।
610. ॐ श्रीधराय नमः।
611. ॐ श्रीकराय नमः।
612. ॐ श्रेयसे नमः।
613. ॐ श्रीमते नमः।
614. ॐ लोकत्रयाश्रयाय नमः।
615. ॐ स्वक्षाय नमः।
616. ॐ स्वङ्गाय नमः।
617. ॐ शतानन्दाय नमः।
618. ॐ नन्दिने नमः।
619. ॐ ज्योतिर्गणेश्वराय नमः।
620. ॐ विजितात्मने नमः।
621. ॐ अविधेयात्मने नमः।
622. ॐ सत्कीर्तये नमः।
623. ॐ छिन्नसंशयाय नमः।
624. ॐ उदीर्णाय नमः।
625. ॐ सर्वतश्चक्षुषे नमः।
626. ॐ अनीशाय नमः।
627. ॐ शाश्वतस्थिराय नमः।
628. ॐ भूशयाय नमः।
629. ॐ भूषणाय नमः।
630. ॐ भूतये नमः।
631. ॐ विशोकाय नमः।
632. ॐ शोकनाशनाय नमः।
633. ॐ अर्चिष्मते नमः।
634. ॐ अर्चिताय नमः।
635. ॐ कुम्भाय नमः।
636. ॐ विशुद्धात्मने नमः।
637. ॐ विशोधनाय नमः।
638. ॐ अनिरुद्धाय नमः।
639. ॐ अप्रतिरथाय नमः।
640. ॐ प्रद्युम्नाय नमः।
641. ॐ अमितविक्रमाय नमः।
642. ॐ कालनेमिनिघ्ने नमः।
643. ॐ वीराय नमः।
644. ॐ शौरये नमः।
645. ॐ शूरजनेश्वराय नमः।
646. ॐ त्रिलोकात्मने नमः।
647. ॐ त्रिलोकेशाय नमः।
648. ॐ केशवाय नमः।
649. ॐ केशिघ्ने नमः।
650. ॐ हरये नमः।
651. ॐ कामदेवाय नमः।
652. ॐ कामपालाय नमः।
653. ॐ कामिने नमः।
654. ॐ कान्ताय नमः।
655. ॐ कृतागमाय नमः।
656. ॐ अनिर्देश्यवपुषे नमः।
657. ॐ विष्णवे नमः।
658. ॐ वीराय नमः।
659. ॐ अनन्ताय नमः।
660. ॐ धनंजयाय नमः।
661. ॐ ब्रह्मण्याय नमः।
662. ॐ ब्रह्मकृते नमः।
663. ॐ ब्रह्मणे नमः।
664. ॐ ब्रह्मणे नमः।
665. ॐ ब्रह्मविवर्धनाय नमः।
666. ॐ ब्रह्मविदे नमः।
667. ॐ ब्राह्मणाय नमः।
668. ॐ ब्रह्मिणे नमः।
669. ॐ ब्रह्मज्ञाय नमः।
670. ॐ ब्राह्मणप्रियाय नमः।
671. ॐ महाक्रमाय नमः।
672. ॐ महाकर्मणे नमः।
673. ॐ महातेजसे नमः।
674. ॐ महोरगाय नमः।
675. ॐ महाक्रतवे नमः।
676. ॐ महायज्वने नमः।
677. ॐ महायज्ञाय नमः।
678. ॐ महाहविषे नमः।
679. ॐ स्तव्याय नमः।
680. ॐ स्तवप्रियाय नमः।
681. ॐ स्तोत्राय नमः।
682. ॐ स्तुतये नमः।
683. ॐ स्तोत्रे नमः।
684. ॐ रणप्रियाय नमः।
685. ॐ पूर्णाय नमः।
686. ॐ पूरयित्रे नमः।
687. ॐ पुण्याय नमः।
688. ॐ पुण्यकीर्तये नमः।
689. ॐ अनामयाय नमः।
690. ॐ मनोजवाय नमः।
691. ॐ तीर्थकराय नमः।
692. ॐ वसुरेतसे नमः।
693. ॐ वसुप्रदाय नमः।
694. ॐ वसुप्रदाय नमः।
695. ॐ वासुदेवाय नमः।
696. ॐ वसवे नमः।
697. ॐ वसुमनसे नमः।
698. ॐ हविषे नमः।
699. ॐ सद्गतये नमः।
700. ॐ सत्कृतये नमः।

701. ॐ सत्तायै नमः।
702. ॐ सद्भूतये नमः।
703. ॐ सत्परायणाय नमः।
704. ॐ शूरसेनाय नमः।
705. ॐ यदुश्रेष्ठाय नमः।
706. ॐ सन्निवासाय नमः।
707. ॐ सुयामुनाय नमः।
708. ॐ भूतावासाय नमः।
709. ॐ वासुदेवाय नमः।
710. ॐ सर्वासुनिलयाय नमः।
711. ॐ अनलाय नमः।
712. ॐ दर्पघ्ने नमः।
713. ॐ दर्पदाय नमः।
714. ॐ दृप्ताय नमः।
715. ॐ दुर्धराय नमः।
716. ॐ अपराजिताय नमः।
717. ॐ विश्वमूर्तये नमः।
718. ॐ महामूर्तये नमः।
719. ॐ दीप्तमूर्तये नमः।
720. ॐ अमूर्तिमते नमः।
721. ॐ अनेकमूर्तये नमः।
722. ॐ अव्यक्ताय नमः।
723. ॐ शतमूर्तये नमः।
724. ॐ शताननाय नमः।
725. ॐ एकस्मै नमः।
726. ॐ नैकाय नमः।
727. ॐ सवाय नमः।
728. ॐ काय नमः।
729. ॐ कस्मै नमः।
730. ॐ यस्मै नमः।
731. ॐ तस्मै नमः।
732. ॐ पदायानुत्तमाय नमः।
733. ॐ लोकबन्धवे नमः।
734. ॐ लोकनाथाय नमः।
735. ॐ माधवाय नमः।
736. ॐ भक्तवत्सलाय नमः।
737. ॐ सुवर्णवर्णाय नमः।
738. ॐ हेमाङ्गाय नमः।
739. ॐ वराङ्गाय नमः।
740. ॐ चन्दनाङ्गदिने नमः।
741. ॐ वीरघ्ने नमः।
742. ॐ विषमाय नमः।
743. ॐ शून्याय नमः।
744. ॐ घृताशिषे नमः।
745. ॐ अचलाय नमः।
746. ॐ चलाय नमः।
747. ॐ अमानिने नमः।
748. ॐ मानदाय नमः।
749. ॐ मान्याय नमः।
750. ॐ लोकस्वामिने नमः।
751. ॐ त्रिलोकधृषे नमः।
752. ॐ सुमेधसे नमः।
753. ॐ मेधजाय नमः।
754. ॐ धन्याय नमः।
755. ॐ सत्यमेधसे नमः।
756. ॐ धराधराय नमः।
757. ॐ तेजोवृषाय नमः।
758. ॐ द्युतिधराय नमः।
759. ॐ सर्वशस्त्रभृतां वराय नमः।
760. ॐ प्रग्रहाय नमः।
761. ॐ निग्रहाय नमः।
762. ॐ व्यग्राय नमः।
763. ॐ नैकशृङ्गाय नमः।
764. ॐ गदाग्रजाय नमः।
765. ॐ चतुर्मूर्तये नमः।
766. ॐ चतुर्बाहवे नमः।
767. ॐ चतुर्व्यूहाय नमः।
768. ॐ चतुर्गतये नमः।
769. ॐ चतुरात्मने नमः।
770. ॐ चतुर्भावाय नमः।
771. ॐ चतुर्वेदविदे नमः।
772. ॐ एकपदे नमः।
773. ॐ समावर्ताय नमः।
774. ॐ अनिवृत्तात्मने नमः।
775. ॐ दुर्जयाय नमः।
776. ॐ दुरतिक्रमाय नमः।
777. ॐ दुर्लभाय नमः।
778. ॐ दुर्गमाय नमः।
779. ॐ दुर्गाय नमः।
780. ॐ दुरावासाय नमः।
781. ॐ दुरारिघ्ने नमः।
782. ॐ शुभाङ्गाय नमः।
783. ॐ लोकसारङ्गाय नमः।
784. ॐ सुतन्तवे नमः।
785. ॐ तन्तुवर्धनाय नमः।
786. ॐ इन्द्रकर्मणे नमः।
787. ॐ महाकर्मणे नमः।
788. ॐ कृतकर्मणे नमः।
789. ॐ कृतागमाय नमः।
790. ॐ उद्भवाय नमः।
791. ॐ सुन्दराय नमः।
792. ॐ सुन्दाय नमः।
793. ॐ रत्ननाभाय नमः।
794. ॐ सुलोचनाय नमः।
795. ॐ अर्काय नमः।
796. ॐ वाजसनाय नमः।
797. ॐ शृङ्गिणे नमः।
798. ॐ जयन्ताय नमः।
799. ॐ सर्वविज्जयिने नमः।
800. ॐ सुवर्णबिन्दवे नमः।

801. ॐ अक्षोभ्याय नमः।
802. ॐ सर्ववागीश्वरेश्वराय नमः।
803. ॐ महाह्रदाय नमः।
804. ॐ महागर्ताय नमः।
805. ॐ महाभूताय नमः।
806. ॐ महानिधये नमः।
807. ॐ कुमुदाय नमः।
808. ॐ कुन्दराय नमः।
809. ॐ कुन्दाय नमः।
810. ॐ पर्जन्याय नमः।
811. ॐ पावनाय नमः।
812. ॐ अनिलाय नमः।
813. ॐ अमृताशाय नमः।
814. ॐ अमृतवपुषे नमः।
815. ॐ सर्वज्ञाय नमः।
816. ॐ सर्वतोमुखाय नमः।
817. ॐ सुलभाय नमः।
818. ॐ सुव्रताय नमः।
819. ॐ सिद्धाय नमः।
820. ॐ शत्रुजिते नमः।
821. ॐ शत्रुतापनाय नमः।
822. ॐ न्यग्रोधाय नमः।
823. ॐ उदुम्बराय नमः।
824. ॐ अश्वत्थाय नमः।
825. ॐ चाणूरान्ध्रनिषूदनाय नमः।
826. ॐ सहस्त्रार्चिषे नमः।
827. ॐ सप्तजिह्वाय नमः।
828. ॐ सप्तैधसे नमः।
829. ॐ सप्तवाहनाय नमः।
830. ॐ अमूर्तये नमः।
831. ॐ अनघाय नमः।
832. ॐ अचिन्त्याय नमः।
833. ॐ भयकृते नमः।
834. ॐ भयनाशनाय नमः।
835. ॐ अणवे नमः।
836. ॐ बृहते नमः।
837. ॐ कृशाय नमः।
838. ॐ स्थूलाय नमः।
839. ॐ गुणभृते नमः।
840. ॐ निर्गुणाय नमः।
841. ॐ महते नमः।
842. ॐ अधृताय नमः।
843. ॐ स्वधृताय नमः।
844. ॐ स्वास्याय नमः।
845. ॐ प्राग्वंशाय नमः।
846. ॐ वंशवर्धनाय नमः।
847. ॐ भारभृते नमः।
848. ॐ कथिताय नमः।
849. ॐ योगिने नमः।
850. ॐ योगीशाय नमः।
851. ॐ सर्वकामदाय नमः।
852. ॐ आश्रमाय नमः।
853. ॐ श्रमणाय नमः।
854. ॐ क्षामाय नमः।
855. ॐ सुपर्णाय नमः।
856. ॐ वायुवाहनाय नमः।
857. ॐ धनुर्धराय नमः।
858. ॐ धनुर्वेदाय नमः।
859. ॐ दण्डाय नमः।
860. ॐ दमयित्रे नमः।
861. ॐ दमाय नमः।
862. ॐ अपराजिताय नमः।
863. ॐ सर्वसहाय नमः।
864. ॐ नियन्त्रे नमः।
865. ॐ अनियमाय नमः।
866. ॐ अयमाय नमः।
867. ॐ सत्त्ववते नमः।
868. ॐ सात्त्विकाय नमः।
869. ॐ सत्याय नमः।
870. ॐ सत्यधर्मपरायणाय नमः।
871. ॐ अभिप्रायाय नमः।
872. ॐ प्रियार्हाय नमः।
873. ॐ अर्हाय नमः।
874. ॐ प्रियकृते नमः।
875. ॐ प्रीतिवर्धनाय नमः।
876. ॐ विहायसगतये नमः।
877. ॐ ज्योतिषे नमः।
878. ॐ सुरुचये नमः।
879. ॐ हुतभुजे नमः।
880. ॐ विभवे नमः।
881. ॐ रवये नमः।
882. ॐ विरोचनाय नमः।
883. ॐ सूर्याय नमः।
884. ॐ सवित्रे नमः।
885. ॐ रविलोचनाय नमः।
886. ॐ अनन्ताय नमः।
887. ॐ हुतभुजे नमः।
888. ॐ भोक्त्रे नमः।
889. ॐ सुखदाय नमः।
890. ॐ नैकजाय नमः।
891. ॐ अग्रजाय नमः।
892. ॐ अनिर्विण्णाय नमः।
893. ॐ सदामर्षिणे नमः।
894. ॐ लोकाधिष्ठानाय नमः।
895. ॐ अद्भुताय नमः।
896. ॐ सनाते नमः।
897. ॐ सनातनतमाय नमः।
898. ॐ कपिलाय नमः।
899. ॐ कपये नमः।
900. ॐ अप्ययाय नमः।

901. ॐ स्वस्तिदाय नमः।
902. ॐ स्वस्तिकृते नमः।
903. ॐ स्वस्तये नमः।
904. ॐ स्वस्तिभुजे नमः।
905. ॐ स्वस्तिदक्षिणाय नमः।
906. ॐ अरौद्राय नमः।
907. ॐ कुण्डलिने नमः।
908. ॐ चक्रिणे नमः।
909. ॐ विक्रमिणे नमः।
910. ॐ ऊर्जितशासनाय नमः।
911. ॐ शब्दातिगाय नमः।
912. ॐ शब्दसहाय नमः।
913. ॐ शिशिराय नमः।
914. ॐ शर्वरीकराय नमः।
915. ॐ अक्रूराय नमः।
916. ॐ पेशलाय नमः।
917. ॐ दक्षाय नमः।
918. ॐ दक्षिणस्यै नमः।
919. ॐ क्षमिणां वराय नमः।
920. ॐ विद्वत्तमाय नमः।
921. ॐ वीतभयाय नमः।
922. ॐ पुण्यश्रवणकीर्तनाय नमः।
923. ॐ उत्तारणाय नमः।
924. ॐ दुष्कृतिघ्ने नमः।
925. ॐ पुण्याय नमः।
926. ॐ दुःस्वप्ननाशनाय नमः।
927. ॐ वीरघ्ने नमः।
928. ॐ रक्षणाय नमः।
929. ॐ सद्भ्यो नमः।
930. ॐ जीवनाय नमः।
931. ॐ पर्यवस्थिताय नमः।
932. ॐ अनन्तरूपाय नमः।
933. ॐ अनन्तश्रिये नमः।
934. ॐ जितमन्यवे नमः।
935. ॐ भयापहाय नमः।
936. ॐ चतुरस्त्राय नमः।
937. ॐ गभीरात्मने नमः।
938. ॐ विदिशाय नमः।
939. ॐ व्यादिशाय नमः।
940. ॐ दिशाय नमः।
941. ॐ अनादये नमः।
942. ॐ भूर्भुवे नमः।
943. ॐ लक्ष्म्यै नमः।
944. ॐ सुवीराय नमः।
945. ॐ रुचिराङ्गदाय नमः।
946. ॐ जननाय नमः।
947. ॐ जनजन्मादये नमः।
948. ॐ भीमाय नमः।
949. ॐ भीमपराक्रमाय नमः।
950. ॐ आधारनिलयाय नमः।
951. ॐ अधात्रे नमः।
952. ॐ पुष्पहासाय नमः।
953. ॐ प्रजागराय नमः।
954. ॐ ऊर्ध्वगाय नमः।
955. ॐ सत्पथाचाराय नमः।
956. ॐ प्राणदाय नमः।
957. ॐ प्रणवाय नमः।
958. ॐ पणाय नमः।
959. ॐ प्रमाणाय नमः।
960. ॐ प्राणनिलयाय नमः।
961. ॐ प्राणभृते नमः।
962. ॐ प्राणजीवनाय नमः।
963. ॐ तत्त्वाय नमः।
964. ॐ तत्त्वविदे नमः।
965. ॐ एकात्मने नमः।
966. ॐ जन्ममृत्युजरातिगाय नमः।
967. ॐ भूर्भुवःस्वस्तरवे नमः।
968. ॐ ताराय नमः।
969. ॐ सवित्रे नमः।
970. ॐ प्रपितामहाय नमः।
971. ॐ यज्ञाय नमः।
972. ॐ यज्ञपतये नमः।
973. ॐ यज्वने नमः।
974. ॐ यज्ञाङ्गाय नमः।
975. ॐ यज्ञवाहनाय नमः।
976. ॐ यज्ञभृते नमः।
977. ॐ यज्ञकृते नमः।
978. ॐ यज्ञिने नमः।
979. ॐ यज्ञभुजे नमः।
980. ॐ यज्ञसाधनाय नमः।
981. ॐ यज्ञान्तकृते नमः।
982. ॐ यज्ञगुह्याय नमः।
983. ॐ अन्नाय नमः।
984. ॐ अन्नादाय नमः।
985. ॐ आत्मयोनये नमः।
986. ॐ स्वयंजाताय नमः।
987. ॐ वैखानाय नमः।
988. ॐ सामगायनाय नमः।
989. ॐ देवकीनन्दनाय नमः।
990. ॐ स्त्रष्ट्रे नमः।
991. ॐ क्षितीशाय नमः।
992. ॐ पापनाशनाय नमः।
993. ॐ शङ्खभृते नमः।
994. ॐ नन्दकिने नमः।
995. ॐ चक्रिणे नमः।
996. ॐ शार्ङ्गधन्वने नमः।
997. ॐ गदाधराय नमः।
998. ॐ रथाङ्गपाणये नमः।
999. ॐ अक्षोभ्याय नमः।
1000. ॐ सर्वप्रहरणायुधाय नमः।

॥ इति श्रीमहाभारते अनुशासनपर्वणि
श्रीविष्णुसहस्त्रनामावलिः सम्पूर्णा ॥

Shri Shiv Sahastra Namavali


श्री शिव सहस्त्र नामावलि

भगवान् शिव के इस सहस्त्र नामावलि पेज में शिवजी के 1008 नाम दिए गए है। भगवान् शंकर की यह सहस्त्र नामावली, गीता प्रेस की पुस्तक से ली गयी है –

॥ श्रीशिवाय नमः ॥

1. ॐ स्थिराय नमः।
2. ॐ स्थाणवे नमः।
3. ॐ प्रभवे नमः।
4. ॐ भीमाय नमः।
5. ॐ प्रवराय नमः।
6. ॐ वरदाय नमः।
7. ॐ वराय नमः।
8. ॐ सर्वात्मने नमः।
9. ॐ सर्वविख्याताय नमः।
10. ॐ सर्वस्मै नमः।
11. ॐ सर्वकराय नमः।
12. ॐ भवाय नमः।
13. ॐ जटिने नमः।
14. ॐ चर्मिणे नमः।
15. ॐ शिखण्डिने नमः।
16. ॐ सर्वाङ्गाय नमः।
17. ॐ सर्वभावनाय नमः।
18. ॐ हराय नमः।
19. ॐ हरिणाक्षाय नमः।
20. ॐ सर्वभूतहराय नमः।
21. ॐ प्रभवे नमः।
22. ॐ प्रवृत्तये नमः।
23. ॐ निवृत्तये नमः।
24. ॐ नियताय नमः।
25. ॐ शाश्वताय नमः।
26. ॐ ध्रुवाय नमः।
27. ॐ श्मशानवासिने नमः।
28. ॐ भगवते नमः।
29. ॐ खचराय नमः।
30. ॐ गोचराय नमः।
31. ॐ अर्दनाय नमः।
32. ॐ अभिवाद्याय नमः।
33. ॐ महाकर्मणे नमः।
34. ॐ तपस्विने नमः।
35. ॐ भूतभावनाय नमः।
36. ॐ उन्मत्तवेषप्रच्छन्नाय नमः।
37. ॐ सर्वलोकप्रजापतये नमः।
38. ॐ महारूपाय नमः।
39. ॐ महाकायाय नमः।
40. ॐ वृषरूपाय नमः।
41. ॐ महायशसे नमः।
42. ॐ महात्मने नमः।
43. ॐ सर्वभूतात्मने नमः।
44. ॐ विश्वरूपाय नमः।
45. ॐ महाहनवे नमः।
46. ॐ लोकपालाय नमः।
47. ॐ अन्तर्हितात्मने नमः।
48. ॐ प्रसादाय नमः।
49. ॐ हयगर्दभये नमः।
50. ॐ पवित्राय नमः।
51. ॐ महते नमः।
52. ॐ नियमाय नमः।
53. ॐ नियमाश्रिताय नमः।
54. ॐ सर्वकर्मणे नमः।
55. ॐ स्वयम्भूताय नमः।
56. ॐ आदये नमः।
57. ॐ आदिकराय नमः।
58. ॐ निधये नमः।
59. ॐ सहस्त्राक्षाय नमः।
60. ॐ विशालाक्षाय नमः।
61. ॐ सोमाय नमः।
62. ॐ नक्षत्रसाधकाय नमः।
63. ॐ चन्द्राय नमः।
64. ॐ सूर्याय नमः।
65. ॐ शनये नमः।
66. ॐ केतवे नमः।
67. ॐ ग्रहाय नमः।
68. ॐ ग्रहपतये नमः।
69. ॐ वराय नमः।
70. ॐ अत्रये नमः।
71. ॐ अत्र्या नमस्कर्त्रे नमः।
72. ॐ मृगबाणार्पणाय नमः।
73. ॐ अनघाय नमः।
74. ॐ महातपसे नमः।
75. ॐ घोरतपसे नमः।
76. ॐ अदीनाय नमः।
77. ॐ दीनसाधकाय नमः।
78. ॐ संवत्सरकराय नमः।
79. ॐ मन्त्राय नमः।
80. ॐ प्रमाणाय नमः।
81. ॐ परमाय तपसे नमः।
82. ॐ योगिने नमः।
83. ॐ योज्याय नमः।
84. ॐ महाबीजाय नमः।
85. ॐ महारेतसे नमः।
86. ॐ महाबलाय नमः।
87. ॐ सुवर्णरेतसे नमः।
88. ॐ सर्वज्ञाय नमः।
89. ॐ सुबीजाय नमः।
90. ॐ बीजवाहनाय नमः।
91. ॐ दशबाहवे नमः।
92. ॐ अनिमिषाय नमः।
93. ॐ नीलकण्ठाय नमः।
94. ॐ उमापतये नमः।
95. ॐ विश्वरूपाय नमः।
96. ॐ स्वयं श्रेष्ठाय नमः।
97. ॐ बलवीराय नमः।
98. ॐ अबलगणाय नमः।
99. ॐ गणकर्त्त्रे नमः।

Shiv Sahastra Namavali

100. ॐ गणपतये नमः।
101. ॐ दिग्वाससे नमः।
102. ॐ कामाय नमः।
103. ॐ मन्त्रविदे नमः।
104. ॐ परममन्त्राय नमः।
105. ॐ सर्वभावकराय नमः।
106. ॐ हराय नमः।
107. ॐ कमण्डलुधराय नमः।
108. ॐ धन्विने नमः।
109. ॐ बाणहस्ताय नमः।
110. ॐ कपालवते नमः।
111. ॐ अशनिने नमः।
112. ॐ शतघ्निने नमः।
113. ॐ खड्गिने नमः।
114. ॐ पट्टिशिने नमः।
115. ॐ आयुधिने नमः।
116. ॐ महते नमः।
117. ॐ स्त्रुवहस्ताय नमः।
118. ॐ सुरूपाय नमः।
119. ॐ तेजसे नमः।
120. ॐ तेजस्करनिधये नमः।
121. ॐ उष्णीषिणे नमः।
122. ॐ सुवक्त्राय नमः।
123. ॐ उदग्राय नमः।
124. ॐ विनताय नमः।
125. ॐ दीर्घाय नमः।
126. ॐ हरिकेशाय नमः।
127. ॐ सुतीर्थाय नमः।
128. ॐ कृष्णाय नमः।
129. ॐ शृगालरूपाय नमः।
130. ॐ सिद्धार्थाय नमः।
131. ॐ मुण्डाय नमः।
132. ॐ सर्वशुभङ्कराय नमः।
133. ॐ अजाय नमः।
134. ॐ बहुरूपाय नमः।
135. ॐ गन्धधारिणे नमः।
136. ॐ कपर्दिने नमः।
137. ॐ ऊर्ध्वरेतसे नमः।
138. ॐ ऊर्ध्वलिङ्गाय नमः।
139. ॐ ऊर्ध्वशायिने नमः।
140. ॐ नभःस्थलाय नमः।
141. ॐ त्रिजटिने नमः।
142. ॐ चीरवाससे नमः।
143. ॐ रुद्राय नमः।
144. ॐ सेनापतये नमः।
145. ॐ विभवे नमः।
146. ॐ अहश्चराय नमः।
147. ॐ नक्तंचराय नमः।
148. ॐ तिग्ममन्यवे नमः।
149. ॐ सुवर्चसाय नमः।
150. ॐ गजघ्ने नमः।
151. ॐ दैत्यघ्ने नमः।
152. ॐ कालाय नमः।
153. ॐ लोकधात्रे नमः।
154. ॐ गुणाकराय नमः।
155. ॐ सिंहशार्दूलरूपाय नमः।
156. ॐ आर्द्रचर्माम्बरावृताय नमः।
157. ॐ कालयोगिने नमः।
158. ॐ महानादाय नमः।
159. ॐ सर्वकामाय नमः।
160. ॐ चतुष्पथाय नमः।
161. ॐ निशाचराय नमः।
162. ॐ प्रेतचारिणे नमः।
163. ॐ भूतचारिणे नमः।
164. ॐ महेश्वराय नमः।
165. ॐ बहुभूताय नमः।
166. ॐ बहुधराय नमः।
167. ॐ स्वर्भानवे नमः।
168. ॐ अमिताय नमः।
169. ॐ गतये नमः।
170. ॐ नृत्यप्रियाय नमः।
171. ॐ नित्यनर्ताय नमः।
172. ॐ नर्तकाय नमः।
173. ॐ सर्वलालसाय नमः।
174. ॐ घोराय नमः।
175. ॐ महातपसे नमः।
176. ॐ पाशाय नमः।
177. ॐ नित्याय नमः।
178. ॐ गिरिरुहाय नमः।
179. ॐ नभसे नमः।
180. ॐ सहस्त्रहस्ताय नमः।
181. ॐ विजयाय नमः।
182. ॐ व्यवसायाय नमः।
183. ॐ अतन्द्रिताय नमः।
184. ॐ अधर्षणाय नमः।
185. ॐ धर्षणात्मने नमः।
186. ॐ यज्ञघ्ने नमः।
187. ॐ कामनाशकाय नमः।
188. ॐ दक्षयागापहारिणे नमः।
189. ॐ सुसहाय नमः।
190. ॐ मध्यमाय नमः।
191. ॐ तेजोऽपहारिणे नमः।
192. ॐ बलघ्ने नमः।
193. ॐ मुदिताय नमः।
194. ॐ अर्थाय नमः।
195. ॐ अजिताय नमः।
196. ॐ अवराय नमः।
197. ॐ गम्भीरघोषाय नमः।
198. ॐ गम्भीराय नमः।
199. ॐ गम्भीरबलवाहनाय नमः।
200. ॐ न्यग्रोधरूपाय नमः।

Shri Shiv Sahastra Namavali

201. ॐ न्यग्रोधाय नमः।
202. ॐ वृक्षकर्णस्थितये नमः।
203. ॐ विभवे नमः।
204. ॐ सुतीक्ष्णदशनाय नमः।
205. ॐ महाकायाय नमः।
206. ॐ महाननाय नमः।
207. ॐ विष्वक्सेनाय नमः।
208. ॐ हरये नमः।
209. ॐ यज्ञाय नमः।
210. ॐ संयुगापीडवाहनाय नमः।
211. ॐ तीक्ष्णतापाय नमः।
212. ॐ हर्यश्वाय नमः।
213. ॐ सहायाय नमः।
214. ॐ कर्मकालविदे नमः।
215. ॐ विष्णुप्रसादिताय नमः।
216. ॐ यज्ञाय नमः।
217. ॐ समुद्राय नमः।
218. ॐ वडवामुखाय नमः।
219. ॐ हुताशनसहायाय नमः।
220. ॐ प्रशान्तात्मने नमः।
221. ॐ हुताशनाय नमः।
222. ॐ उग्रतेजसे नमः।
223. ॐ महातेजसे नमः।
224. ॐ जन्याय नमः।
225. ॐ विजयकालविदे नमः।
226. ॐ ज्योतिषामयनाय नमः।
227. ॐ सिद्धये नमः।
228. ॐ सर्वविग्रहाय नमः।
229. ॐ शिखिने नमः।
230. ॐ मुण्डिने नमः।
231. ॐ जटिने नमः।
232. ॐ ज्वालिने नमः।
233. ॐ मूर्तिजाय नमः।
234. ॐ मूर्द्धगाय नमः।
235. ॐ बलिने नमः।
236. ॐ वेणविने नमः।
237. ॐ पणविने नमः।
238. ॐ तालिने नमः।
239. ॐ खलिने नमः।
240. ॐ कालकटंकटाय नमः।
241. ॐ नक्षत्रविग्रहमतये नमः।
242. ॐ गुणबुद्धये नमः।
243. ॐ लयाय नमः।
244. ॐ अगमाय नमः।
245. ॐ प्रजापतये नमः।
246. ॐ विश्वबाहवे नमः।
247. ॐ विभागाय नमः।
248. ॐ सर्वगाय नमः।
249. ॐ अमुखाय नमः।
250. ॐ विमोचनाय नमः।
251. ॐ सुसरणाय नमः।
252. ॐ हिरण्यकवचोद्भवाय नमः।
253. ॐ मेढ्रजाय नमः।
254. ॐ बलचारिणे नमः।
255. ॐ महीचारिणे नमः।
256. ॐ स्त्रुताय नमः।
257. ॐ सर्वतूर्यनिनादिने नमः।
258. ॐ सर्वातोद्यपरिग्रहाय नमः।
259. ॐ व्यालरूपाय नमः।
260. ॐ गुहावासिने नमः।
261. ॐ गुहाय नमः।
262. ॐ मालिने नमः।
263. ॐ तरङ्गविदे नमः।
264. ॐ त्रिदशाय नमः।
265. ॐ त्रिकालधृषे नमः।
266. ॐ कर्मसर्वबन्धविमोचनाय नमः।
267. ॐ असुरेन्द्राणां बन्धनाय नमः।
268. ॐ युधि शत्रुविनाशनाय नमः।
269. ॐ सांख्यप्रसादाय नमः।
270. ॐ दुर्वाससे नमः।
271. ॐ सर्वसाधुनिषेविताय नमः।
272. ॐ प्रस्कन्दनाय नमः।
273. ॐ विभागज्ञाय नमः।
274. ॐ अतुल्याय नमः।
275. ॐ यज्ञविभागविदे नमः।
276. ॐ सर्ववासाय नमः।
277. ॐ सर्वचारिणे नमः।
278. ॐ दुर्वाससे नमः।
279. ॐ वासवाय नमः।
280. ॐ अमराय नमः।
281. ॐ हैमाय नमः।
282. ॐ हेमकराय नमः।
283. ॐ अयज्ञाय नमः।
284. ॐ सर्वधारिणे नमः।
285. ॐ धरोत्तमाय नमः।
286. ॐ लोहिताक्षाय नमः।
287. ॐ महाक्षाय नमः।
288. ॐ विजयाक्षाय नमः।
289. ॐ विशारदाय नमः।
290. ॐ संग्रहाय नमः।
291. ॐ निग्रहाय नमः।
292. ॐ कर्त्रे नमः।
293. ॐ सर्पचीरनिवासनाय नमः।
294. ॐ मुख्याय नमः।
295. ॐ अमुख्याय नमः।
296. ॐ देहाय नमः।
297. ॐ काहलये नमः।
298. ॐ सर्वकामदाय नमः।
299. ॐ सर्वकालप्रसादाय नमः।
300. ॐ सुबलाय नमः।

Shri Shiva Sahasra Namavali

301. ॐ बलरूपधृषे नमः।
302. ॐ सर्वकामवराय नमः।
303. ॐ सर्वदाय नमः।
304. ॐ सर्वतोमुखाय नमः।
305. ॐ आकाशनिर्विरूपाय नमः।
306. ॐ निपातिने नमः।
307. ॐ अवशाय नमः।
308. ॐ खगाय नमः।
309. ॐ रौद्ररूपाय नमः।
310. ॐ अंशवे नमः।
311. ॐ आदित्याय नमः।
312. ॐ बहुरश्मये नमः।
313. ॐ सुवर्चसिने नमः।
314. ॐ वसुवेगाय नमः।
315. ॐ महावेगाय नमः।
316. ॐ मनोवेगाय नमः।
317. ॐ निशाचराय नमः।
318. ॐ सर्ववासिने नमः।
319. ॐ श्रियावासिने नमः।
320. ॐ उपदेशकराय नमः।
321. ॐ अकराय नमः।
322. ॐ मुनये नमः।
323. ॐ आत्मनिरालोकाय नमः।
324. ॐ सम्भग्नाय नमः।
325. ॐ सहस्त्रदाय नमः।
326. ॐ पक्षिणे नमः।
327. ॐ पक्षरूपाय नमः।
328. ॐ अतिदीप्ताय नमः।
329. ॐ विशाम्पतये नमः।
330. ॐ उन्मादाय नमः।
331. ॐ मदनाय नमः।
332. ॐ कामाय नमः।
333. ॐ अश्वत्थाय नमः।
334. ॐ अर्थकराय नमः।
335. ॐ यशसे नमः।
336. ॐ वामदेवाय नमः।
337. ॐ वामाय नमः।
338. ॐ प्राचे नमः।
339. ॐ दक्षिणाय नमः।
340. ॐ वामनाय नमः।
341. ॐ सिद्धयोगिने नमः।
342. ॐ महर्षये नमः।
343. ॐ सिद्धार्थाय नमः।
344. ॐ सिद्धसाधकाय नमः।
345. ॐ भिक्षवे नमः।
346. ॐ भिक्षुरूपाय नमः।
347. ॐ विपणाय नमः।
348. ॐ मृदवे नमः।
349. ॐ अव्ययाय नमः।
350. ॐ महासेनाय नमः।
351. ॐ विशाखाय नमः।
352. ॐ षष्टिभागाय नमः।
353. ॐ गवाम्पतये नमः।
354. ॐ वज्रहस्ताय नमः।
355. ॐ विष्कम्भिने नमः।
356. ॐ चमूस्तम्भनाय नमः।
357. ॐ वृत्तावृत्तकराय नमः।
358. ॐ तालाय नमः।
359. ॐ मधवे नमः।
360. ॐ मधुकलोचनाय नमः।
361. ॐ वाचस्पत्याय नमः।
362. ॐ वाजसनाय नमः।
363. ॐ नित्यमाश्रमपूजिताय नमः।
364. ॐ ब्रह्मचारिणे नमः।
365. ॐ लोकचारिणे नमः।
366. ॐ सर्वचारिणे नमः।
367. ॐ विचारविदे नमः।
368. ॐ र्इशानाय नमः।
369. ॐ र्इश्वराय नमः।
370. ॐ कालाय नमः।
371. ॐ निशाचारिणे नमः।
372. ॐ पिनाकवते नमः।
373. ॐ निमित्तस्थाय नमः।
374. ॐ निमित्ताय नमः।
375. ॐ नन्दये नमः।
376. ॐ नन्दिकराय नमः।
377. ॐ हरये नमः।
378. ॐ नन्दीश्वराय नमः।
379. ॐ नन्दिने नमः।
380. ॐ नन्दनाय नमः।
381. ॐ नन्दिवर्द्धनाय नमः।
382. ॐ भगहारिणे नमः।
383. ॐ निहन्त्रे नमः।
384. ॐ कालाय नमः।
385. ॐ ब्रह्मणे नमः।
386. ॐ पितामहाय नमः।
387. ॐ चतुर्मुखाय नमः।
388. ॐ महालिङ्गाय नमः।
389. ॐ चारुलिङ्गाय नमः।
390. ॐ लिङ्गाध्यक्षाय नमः।
391. ॐ सुराध्यक्षाय नमः।
392. ॐ योगाध्यक्षाय नमः।
393. ॐ युगावहाय नमः।
394. ॐ बीजाध्यक्षाय नमः।
395. ॐ बीजकर्त्रे नमः।
396. ॐ अध्यात्मानुगताय नमः।
397. ॐ बलाय नमः।
398. ॐ इतिहासाय नमः।
399. ॐ सकल्पाय नमः।
400. ॐ गौतमाय नमः।

401. ॐ निशाकराय नमः।
402. ॐ दम्भाय नमः।
403. ॐ अदम्भाय नमः।
404. ॐ वैदम्भाय नमः।
405. ॐ वश्याय नमः।
406. ॐ वशकराय नमः।
407. ॐ कलये नमः।
408. ॐ लोककर्त्रे नमः।
409. ॐ पशुपतये नमः।
410. ॐ महाकर्त्रे नमः।
411. ॐ अनौषधाय नमः।
412. ॐ अक्षराय नमः।
413. ॐ परमाय ब्रह्मणे नमः।
414. ॐ बलवते नमः।
415. ॐ शक्राय नमः।
416. ॐ नीतये नमः।
417. ॐ अनीतये नमः।
418. ॐ शुद्धात्मने नमः।
419. ॐ शुद्धाय नमः।
420. ॐ मान्याय नमः।
421. ॐ गतागताय नमः।
422. ॐ बहुप्रसादाय नमः।
423. ॐ सुस्वप्नाय नमः।
424. ॐ दर्पणाय नमः।
425. ॐ अमित्रजिते नमः।
426. ॐ वेदकाराय नमः।
427. ॐ मन्त्रकाराय नमः।
428. ॐ विदुषे नमः।
429. ॐ समरमर्दनाय नमः।
430. ॐ महामेघनिवासिने नमः।
431. ॐ महाघोराय नमः।
432. ॐ वशिने नमः।
433. ॐ कराय नमः।
434. ॐ अग्निज्वालाय नमः।
435. ॐ महाज्वालाय नमः।
436. ॐ अतिधूम्राय नमः।
437. ॐ हुताय नमः।
438. ॐ हविषे नमः।
439. ॐ वृषणाय नमः।
440. ॐ शंकराय नमः।
441. ॐ नित्यं वर्चस्विने नमः।
442. ॐ धूमकेतनाय नमः।
443. ॐ नीलाय नमः।
444. ॐ अङ्गलुब्धाय नमः।
445. ॐ शोभनाय नमः।
446. ॐ निरवग्रहाय नमः।
447. ॐ स्वस्तिदाय नमः।
448. ॐ स्वस्तिभावाय नमः।
449. ॐ भागिने नमः।
450. ॐ भागकराय नमः।
451. ॐ लघवे नमः।
452. ॐ उत्सङ्गाय नमः।
453. ॐ महाङ्गाय नमः।
454. ॐ महागर्भपरायणाय नमः।
455. ॐ कृष्णवर्णाय नमः।
456. ॐ सुवर्णाय नमः।
457. ॐ सर्वदेहिनामिन्द्रियाय नमः।
458. ॐ महापादाय नमः।
459. ॐ महाहस्ताय नमः।
460. ॐ महाकायाय नमः।
461. ॐ महायशसे नमः।
462. ॐ महामूर्ध्ने नमः।
463. ॐ महामात्राय नमः।
464. ॐ महानेत्राय नमः।
465. ॐ निशालयाय नमः।
466. ॐ महान्तकाय नमः।
467. ॐ महाकर्णाय नमः।
468. ॐ महोष्ठाय नमः।
469. ॐ महाहनवे नमः।
470. ॐ महानासाय नमः।
471. ॐ महाकम्बवे नमः।
472. ॐ महाग्रीवाय नमः।
473. ॐ श्मशानभाजे नमः।
474. ॐ महावक्षसे नमः।
475. ॐ महोरस्काय नमः।
476. ॐ अन्तरात्मने नमः।
477. ॐ मृगालयाय नमः।
478. ॐ लम्बनाय नमः।
479. ॐ लम्बितोष्ठाय नमः।
480. ॐ महामायाय नमः।
481. ॐ पयोनिधये नमः।
482. ॐ महादन्ताय नमः।
483. ॐ महादंष्ट्राय नमः।
484. ॐ महाजिह्वाय नमः।
485. ॐ महामुखाय नमः।
486. ॐ महानखाय नमः।
487. ॐ महारोम्णे नमः।
488. ॐ महाकोशाय नमः।
489. ॐ महाजटाय नमः।
490. ॐ प्रसन्नाय नमः।
491. ॐ प्रसादाय नमः।
492. ॐ प्रत्ययाय नमः।
493. ॐ गिरिसाधनाय नमः।
494. ॐ स्नेहनाय नमः।
495. ॐ अस्नेहनाय नमः।
496. ॐ अजिताय नमः।
497. ॐ महामुनये नमः।
498. ॐ वृक्षाकाराय नमः।
499. ॐ वृक्षकेतवे नमः।
500. ॐ अनलाय नमः।

501. ॐ वायुवाहनाय नमः।
502. ॐ गण्डलिने नमः।
503. ॐ मेरुधाम्ने नमः।
504. ॐ देवाधिपतये नमः।
505. ॐ अथर्वशीर्षाय नमः।
506. ॐ सामास्याय नमः।
507. ॐ ऋक्सहस्त्रामितेक्षणाय नमः।
508. ॐ यजुःपादभुजाय नमः।
509. ॐ गुह्याय नमः।
510. ॐ प्रकाशाय नमः।
511. ॐ जङ्गमाय नमः।
512. ॐ अमोघार्थाय नमः।
513. ॐ प्रसादाय नमः।
514. ॐ अभिगम्याय नमः।
515. ॐ सुदर्शनाय नमः।
516. ॐ उपकाराय नमः।
517. ॐ प्रियाय नमः।
518. ॐ सर्वस्मै नमः।
519. ॐ कनकाय नमः।
520. ॐ काञ्चनच्छवये नमः।
521. ॐ नाभये नमः।
522. ॐ नन्दिकराय नमः।
523. ॐ भावाय नमः।
524. ॐ पुष्करस्थपतये नमः।
525. ॐ स्थिराय नमः।
526. ॐ द्वादशाय नमः।
527. ॐ त्रासनाय नमः।
528. ॐ आद्याय नमः।
529. ॐ यज्ञाय नमः।
530. ॐ यज्ञसमाहिताय नमः।
531. ॐ नक्ताय नमः।
532. ॐ कलये नमः।
533. ॐ कालाय नमः।
534. ॐ मकराय नमः।
535. ॐ कालपूजिताय नमः।
536. ॐ सगणाय नमः।
537. ॐ गणकाराय नमः।
538. ॐ भूतवाहनसारथये नमः।
539. ॐ भस्मशयाय नमः।
540. ॐ भस्मगोप्त्रे नमः।
541. ॐ भस्मभूताय नमः।
542. ॐ तरवे नमः।
543. ॐ गणाय नमः।
544. ॐ लोकपालाय नमः।
545. ॐ अलोकाय नमः।
546. ॐ महात्मने नमः।
547. ॐ सर्वपूजिताय नमः।
548. ॐ शुक्लाय नमः।
549. ॐ त्रिशुक्लाय नमः।
550. ॐ सम्पन्नाय नमः।
551. ॐ शुचये नमः।
552. ॐ भूतनिषेविताय नमः।
553. ॐ आश्रमस्थाय नमः।
554. ॐ क्रियावस्थाय नमः।
555. ॐ विश्वकर्ममतये नमः।
556. ॐ वराय नमः।
557. ॐ विशालशाखाय नमः।
558. ॐ ताम्रोष्ठाय नमः।
559. ॐ अम्बुजालाय नमः।
560. ॐ सुनिश्चलाय नमः।
561. ॐ कपिलाय नमः।
562. ॐ कपिशाय नमः।
563. ॐ शुक्लाय नमः।
564. ॐ आयुषे नमः।
565. ॐ परस्मै नमः।
566. ॐ अपरस्मै नमः।
567. ॐ गन्धर्वाय नमः।
568. ॐ अदितये नमः।
569. ॐ तार्क्ष्याय नमः।
570. ॐ सुविज्ञेयाय नमः।
571. ॐ सुशारदाय नमः।
572. ॐ परश्वधायुधाय नमः।
573. ॐ देवाय नमः।
574. ॐ अनुकारिणे नमः।
575. ॐ सुबान्धवाय नमः।
576. ॐ तुम्बवीणाय नमः।
577. ॐ महाक्रोधाय नमः।
578. ॐ ऊर्ध्वरेतसे नमः।
579. ॐ जलेशयाय नमः।
580. ॐ उग्राय नमः।
581. ॐ वंशकराय नमः।
582. ॐ वंशाय नमः।
583. ॐ वंशनादाय नमः।
584. ॐ अनिन्दिताय नमः।
585. ॐ सर्वाङ्गरूपाय नमः।
586. ॐ मायाविने नमः।
587. ॐ सुहृदे नमः।
588. ॐ अनिलाय नमः।
589. ॐ अनलाय नमः।
590. ॐ बन्धनाय नमः।
591. ॐ बन्धकर्त्रे नमः।
592. ॐ सुबन्धनविमोचनाय नमः।
593. ॐ सयज्ञारये नमः।
594. ॐ सकामारये नमः।
595. ॐ महादंष्ट्राय नमः।
596. ॐ महायुधाय नमः।
597. ॐ बहुधा निन्दिताय नमः।
598. ॐ शर्वाय नमः।
599. ॐ शङ्कराय नमः।
600. ॐ शङ्कराय नमः।

601. ॐ अधनाय नमः।
602. ॐ अमरेशाय नमः।
603. ॐ महादेवाय नमः।
604. ॐ विश्वदेवाय नमः।
605. ॐ सुरारिघ्ने नमः।
606. ॐ अहिर्बुध्न्याय नमः।
607. ॐ अनिलाभाय नमः।
608. ॐ चेकितानाय नमः।
609. ॐ हविषे नमः।
610. ॐ अजैकपदे नमः।
611. ॐ कापालिने नमः।
612. ॐ त्रिशङ्कवे नमः।
613. ॐ अजिताय नमः।
614. ॐ शिवाय नमः।
615. ॐ धन्वन्तरये नमः।
616. ॐ धूमकेतवे नमः।
617. ॐ स्कन्दाय नमः।
618. ॐ वैश्रवणाय नमः।
619. ॐ धात्रे नमः।
620. ॐ शक्राय नमः।
621. ॐ विष्णवे नमः।
622. ॐ मित्राय नमः।
623. ॐ त्वष्ट्रे नमः।
624. ॐ ध्रुवाय नमः।
625. ॐ धराय नमः।
626. ॐ प्रभावाय नमः।
627. ॐ सर्वगाय वायवे नमः।
628. ॐ अर्यम्णे नमः।
629. ॐ सवित्रे नमः।
630. ॐ रवये नमः।
631. ॐ उषङ्गवे नमः।
632. ॐ विधात्रे नमः।
633. ॐ मान्धात्रे नमः।
634. ॐ भूतभावनाय नमः।
635. ॐ विभवे नमः।
636. ॐ वर्णविभाविने नमः।
637. ॐ सर्वकामगुणावहाय नमः।
638. ॐ पद्मनाभाय नमः।
639. ॐ महागर्भाय नमः।
640. ॐ चन्द्रवक्त्राय नमः।
641. ॐ अनिलाय नमः।
642. ॐ अनलाय नमः।
643. ॐ बलवते नमः।
644. ॐ उपशान्ताय नमः।
645. ॐ पुराणाय नमः।
646. ॐ पुण्यचञ्चुरिणे नमः।
647. ॐ कुरुकर्त्रे नमः।
648. ॐ कुरुवासिने नमः।
649. ॐ कुरुभूताय नमः।
650. ॐ गुणौषधाय नमः।
651. ॐ सर्वाशयाय नमः।
652. ॐ दर्भचारिणे नमः।
653. ॐ सर्वेषां प्राणिनां पतये नमः।
654. ॐ देवदेवाय नमः।
655. ॐ सुखासक्ताय नमः।
656. ॐ सते नमः।
657. ॐ असते नमः।
658. ॐ सर्वरत्नविदे नमः।
659. ॐ कैलासगिरिवासिने नमः।
660. ॐ हिमवद्गिरिसंश्रयाय नमः।
661. ॐ कूलहारिणे नमः।
662. ॐ कूलकर्त्रे नमः।
663. ॐ बहुविद्याय नमः।
664. ॐ बहुप्रदाय नमः।
665. ॐ वणिजाय नमः।
666. ॐ वर्धकिने नमः।
667. ॐ वृक्षाय नमः।
668. ॐ बकुलाय नमः।
669. ॐ चन्दनाय नमः।
670. ॐ छदाय नमः।
671. ॐ सारग्रीवाय नमः।
672. ॐ महाजत्रवे नमः।
673. ॐ अलोलाय नमः।
674. ॐ महौषधाय नमः।
675. ॐ सिद्धार्थकारिणे नमः।
676. ॐ सिद्धार्थाय नमः।
677. ॐ छन्दोव्याकरणोत्तराय नमः।
678. ॐ सिंहनादाय नमः।
679. ॐ सिंहदंष्ट्राय नमः।
680. ॐ सिंहगाय नमः।
681. ॐ सिंहवाहनाय नमः।
682. ॐ प्रभावात्मने नमः।
683. ॐ जगत्कालस्थालाय नमः।
684. ॐ लोकहिताय नमः।
685. ॐ तरवे नमः।
686. ॐ सारङ्गाय नमः।
687. ॐ नवचक्राङ्गाय नमः।
688. ॐ केतुमालिने नमः।
689. ॐ सभावनाय नमः।
690. ॐ भूतालयाय नमः।
691. ॐ भूतपतये नमः।
692. ॐ अहोरात्राय नमः।
693. ॐ अनिन्दिताय नमः।
694. ॐ सर्वभूतानां वाहित्रे नमः।
695. ॐ सर्वभूतानां निलयाय नमः।
696. ॐ विभवे नमः।
697. ॐ भवाय नमः।
698. ॐ अमोघाय नमः।
699. ॐ संयताय नमः।
700. ॐ अश्वाय नमः।

701. ॐ भोजनाय नमः।
702. ॐ प्राणधारणाय नमः।
703. ॐ धृतिमते नमः।
704. ॐ मतिमते नमः।
705. ॐ दक्षाय नमः।
706. ॐ सत्कृताय नमः।
707. ॐ युगाधिपाय नमः।
708. ॐ गोपालये नमः।
709. ॐ गोपतये नमः।
710. ॐ ग्रामाय नमः।
711. ॐ गोचर्मवसनाय नमः।
712. ॐ हरये नमः।
713. ॐ हिरण्यबाहवे नमः।
714. ॐ प्रवेशिनां गुहापालाय नमः।
715. ॐ प्रकृष्टारये नमः।
716. ॐ महाहर्षाय नमः।
717. ॐ जितकामाय नमः।
718. ॐ जितेन्द्रियाय नमः।
719. ॐ गान्धाराय नमः।
720. ॐ सुवासाय नमः।
721. ॐ तपःसक्ताय नमः।
722. ॐ रतये नमः।
723. ॐ नराय नमः।
724. ॐ महागीताय नमः।
725. ॐ महानृत्याय नमः।
726. ॐ अप्सरोगणसेविताय नमः।
727. ॐ महाकेतवे नमः।
728. ॐ महाधातवे नमः।
729. ॐ नैकसानुचराय नमः।
730. ॐ चलाय नमः।
731. ॐ आवेदनीयाय नमः।
732. ॐ आदेशाय नमः।
733. ॐ सर्वगन्धसुखावहाय नमः।
734. ॐ तोरणाय नमः।
735. ॐ तारणाय नमः।
736. ॐ वाताय नमः।
737. ॐ परिध्यै नमः।
738. ॐ पतिखेचराय नमः।
739. ॐ संयोगवर्धनाय नमः।
740. ॐ वृद्धाय नमः।
741. ॐ अतिवृद्धाय नमः।
742. ॐ गुणाधिकाय नमः।
743. ॐ नित्याय आत्मसहायाय नमः।
744. ॐ देवासुरपतये नमः।
745. ॐ पत्ये नमः।
746. ॐ युक्ताय नमः।
747. ॐ युक्तबाहवे नमः।
748. ॐ देवाय दिविसुपर्वणाय नमः।
749. ॐ आषाढाय नमः।
750. ॐ सुषाढाय नमः।
751. ॐ ध्रुवाय नमः।
752. ॐ हरिणाय नमः।
753. ॐ हराय नमः।
754. ॐ आवर्तमानेभ्यो वपुषे नमः।
755. ॐ वसुश्रेष्ठाय नमः।
756. ॐ महापथाय नमः।
757. ॐ विमर्शाय शिरोहारिणे नमः।
758. ॐ सर्वलक्षणलक्षिताय नमः।
759. ॐ अक्षाय रथयोगिने नमः।
760. ॐ सर्वयोगिने नमः।
761. ॐ महाबलाय नमः।
762. ॐ समाम्नायाय नमः।
763. ॐ असमाम्नायाय नमः।
764. ॐ तीर्थदेवाय नमः।
765. ॐ महारथाय नमः।
766. ॐ निर्जीवाय नमः।
767. ॐ जीवनाय नमः।
768. ॐ मन्त्राय नमः।
769. ॐ शुभाक्षाय नमः।
770. ॐ बहुकर्कशाय नमः।
771. ॐ रत्नप्रभूताय नमः।
772. ॐ रत्नाङ्गाय नमः।
773. ॐ महार्णवनिपानविदे नमः।
774. ॐ मूलाय नमः।
775. ॐ विशालाय नमः।
776. ॐ अमृताय नमः।
777. ॐ व्यक्ताव्यक्ताय नमः।
778. ॐ तपोनिधये नमः।
779. ॐ आरोहणाय नमः।
780. ॐ अधिरोहाय नमः।
781. ॐ शीलधारिणे नमः।
782. ॐ महायशसे नमः।
783. ॐ सेनाकल्पाय नमः।
784. ॐ महाकल्पाय नमः।
785. ॐ योगाय नमः।
786. ॐ युगकराय नमः।
787. ॐ हरये नमः।
788. ॐ युगरूपाय नमः।
789. ॐ महारूपाय नमः।
790. ॐ महानागहनाय नमः।
791. ॐ अवधाय नमः।
792. ॐ न्यायनिर्वपणाय नमः।
793. ॐ पादाय नमः।
794. ॐ पण्डिताय नमः।
795. ॐ अचलोपमाय नमः।
796. ॐ बहुमालाय नमः।
797. ॐ महामालाय नमः।
798. ॐ शशिने हरसुलोचनाय नमः।
799. ॐ विस्ताराय लवणाय कूपाय नमः।
800. ॐ त्रियुगाय नमः।

801. ॐ सफलोदयाय नमः।
802. ॐ त्रिलोचनाय नमः।
803. ॐ विषण्णाङ्गाय नमः।
804. ॐ मणिविद्धाय नमः।
805. ॐ जटाधराय नमः।
806. ॐ विन्दवे नमः।
807. ॐ विसर्गाय नमः।
808. ॐ सुमुखाय नमः।
809. ॐ शराय नमः।
810. ॐ सर्वायुधाय नमः।
811. ॐ सहाय नमः।
812. ॐ निवेदनाय नमः।
813. ॐ सुखाजाताय नमः।
814. ॐ सुगन्धाराय नमः।
815. ॐ महाधनुषे नमः।
816. ॐ भगवते गन्धपालिने नमः।
817. ॐ सर्वकर्मणामुत्थानाय नमः।
818. ॐ मन्थानाय बहुलाय वायवे नमः।
819. ॐ सकलाय नमः।
820. ॐ सर्वलोचनाय नमः।
821. ॐ तलस्तालाय नमः।
822. ॐ करस्थालिने नमः।
823. ॐ ऊर्ध्वसंहननाय नमः।
824. ॐ महते नमः।
825. ॐ छत्राय नमः।
826. ॐ सुच्छत्राय नमः।
827. ॐ विख्यातलोकाय नमः।
828. ॐ सर्वाश्रयाय क्रमाय नमः।
829. ॐ मुण्डाय नमः।
830. ॐ विरूपाय नमः।
831. ॐ विकृताय नमः।
832. ॐ दण्डिने नमः।
833. ॐ कुण्डिने नमः।
834. ॐ विकुर्वणाय नमः।
835. ॐ हर्यक्षाय नमः।
836. ॐ ककुभाय नमः।
837. ॐ वज्रिणे नमः।
838. ॐ शतजिह्वाय नमः।
839. ॐ सहस्त्रपादे सहस्त्रमूर्ध्ने नमः।
840. ॐ देवेन्द्राय नमः।
841. ॐ सर्वदेवमयाय नमः।
842. ॐ गुरवे नमः।
843. ॐ सहस्त्रबाहवे नमः।
844. ॐ सर्वाङ्गाय नमः।
845. ॐ शरण्याय नमः।
846. ॐ सर्वलोककृते नमः।
847. ॐ पवित्राय नमः।
848. ॐ त्रिककुन्मन्त्राय नमः।
849. ॐ कनिष्ठाय नमः।
850. ॐ कृष्णपिङ्गलाय नमः।
851. ॐ ब्रह्मदण्डविनिर्मात्रे नमः।
852. ॐ शतघ्नीपाशशक्तिमते नमः।
853. ॐ पद्मगर्भाय नमः।
854. ॐ महागर्भाय नमः।
855. ॐ ब्रह्मगर्भाय नमः।
856. ॐ जलोद्भवाय नमः।
857. ॐ गभस्तये नमः।
858. ॐ ब्रह्मकृते नमः।
859. ॐ ब्रह्मिणे नमः।
860. ॐ ब्रह्मविदे नमः।
861. ॐ ब्राह्मणाय नमः।
862. ॐ गतये नमः।
863. ॐ अनन्तरूपाय नमः।
864. ॐ नैकात्मने नमः।
865. ॐ स्वयंभुवाय तिग्मतेजसे नमः।
866. ॐ उर्ध्वगात्मने नमः।
867. ॐ पशुपतये नमः।
868. ॐ वातरंहसे नमः।
869. ॐ मनोजवाय नमः।
870. ॐ चन्दनिने नमः।
871. ॐ पद्मनालाग्राय नमः।
872. ॐ सुरभ्युत्तरणाय नमः।
873. ॐ नराय नमः।
874. ॐ कर्णिकारमहास्त्रग्विणे नमः।
875. ॐ नीलमौलये नमः।
876. ॐ पिनाकधृते नमः।
877. ॐ उमापतये नमः।
878. ॐ उमाकान्ताय नमः।
879. ॐ जाह्नवीधृते नमः।
880. ॐ उमाधवाय नमः।
881. ॐ वराय वराहाय नमः।
882. ॐ वरदाय नमः।
883. ॐ वरेण्याय नमः।
884. ॐ सुमहास्वनाय नमः।
885. ॐ महाप्रसादाय नमः।
886. ॐ दमनाय नमः।
887. ॐ शत्रुघ्ने नमः।
888. ॐ श्वेतपिङ्गलाय नमः।
889. ॐ पीतात्मने नमः।
890. ॐ परमात्मने नमः।
891. ॐ प्रयतात्मने नमः।
892. ॐ प्रधानधृते नमः।
893. ॐ सर्वपार्श्वमुखाय नमः।
894. ॐ त्र्यक्षाय नमः।
895. ॐ धर्मसाधारणाय वराय नमः।
896. ॐ चराचरात्मने नमः।
897. ॐ सूक्ष्मात्मने नमः।
898. ॐ अमृताय गोवृषेश्वराय नमः।
899. ॐ साध्यर्षये नमः।
900. ॐ आदित्याय वसवे नमः।

901. ॐ विवस्वते सवितामृताय नमः।
902. ॐ व्यासाय नमः।
903. ॐ सुसंक्षेपाय विस्तराय सर्गाय नमः।
904. ॐ पर्ययाय नराय नमः।
905. ॐ ऋतवे नमः।
906. ॐ संवत्सराय नमः।
907. ॐ मासाय नमः।
908. ॐ पक्षाय नमः।
909. ॐ संख्यासमापनाय नमः।
910. ॐ कलाभ्यो नमः।
911. ॐ काष्ठाभ्यो नमः।
912. ॐ लवेभ्यो नमः।
913. ॐ मात्राभ्यो नमः।
914. ॐ मुहूर्ताहःक्षपाभ्यो नमः।
915. ॐ क्षणेभ्यो नमः।
916. ॐ विश्वक्षेत्राय नमः।
917. ॐ प्रजाबीजाय नमः।
918. ॐ लिङ्गाय नमः।
919. ॐ आद्याय निर्गमाय नमः।
920. ॐ सते नमः।
921. ॐ असते नमः।
922. ॐ व्यक्ताय नमः।
923. ॐ अव्यक्ताय नमः।
924. ॐ पित्रे नमः।
925. ॐ मात्रे नमः।
926. ॐ पितामहाय नमः।
927. ॐ स्वर्गद्वाराय नमः।
928. ॐ प्रजाद्वाराय नमः।
929. ॐ मोक्षद्वाराय नमः।
930. ॐ त्रिविष्टपाय नमः।
931. ॐ निर्वाणाय नमः।
932. ॐ ह्लादनाय नमः।
933. ॐ ब्रह्मलोकाय नमः।
934. ॐ परस्यै गतये नमः।
935. ॐ देवासुरविनिर्मात्रे नमः।
936. ॐ देवासुरपरायणाय नमः।
937. ॐ देवासुरगुरवे नमः।
938. ॐ देवाय नमः।
939. ॐ देवासुरनमस्कृताय नमः।
940. ॐ देवासुरमहामात्राय नमः।
941. ॐ देवासुरगणाश्रयाय नमः।
942. ॐ देवासुरगणाध्यक्षाय नमः।
943. ॐ देवासुरगणाग्रण्ये नमः।
944. ॐ देवातिदेवाय नमः।
945. ॐ देवर्षये नमः।
946. ॐ देवासुरवरप्रदाय नमः।
947. ॐ देवासुरेश्वराय नमः।
948. ॐ विश्वस्मै नमः।
949. ॐ देवासुरमहेश्वराय नमः।
950. ॐ सर्वदेवमयाय नमः।
951. ॐ अचिन्त्याय नमः।
952. ॐ देवतात्मने नमः।
953. ॐ आत्मसम्भवाय नमः।
954. ॐ उद्भिदे नमः।
955. ॐ त्रिविक्रमाय नमः।
956. ॐ वैद्याय नमः।
957. ॐ विरजसे नमः।
958. ॐ नीरजसे नमः।
959. ॐ अमराय नमः।
960. ॐ र्इड्याय नमः।
961. ॐ हस्तीश्वराय नमः।
962. ॐ व्याघ्राय नमः।
963. ॐ देवसिंहाय नमः।
964. ॐ नरर्षभाय नमः।
965. ॐ विबुधाय नमः।
966. ॐ अग्रवराय नमः।
967. ॐ सूक्ष्माय नमः।
968. ॐ सर्वदेवाय नमः।
969. ॐ तपोमयाय नमः।
970. ॐ सुयुक्ताय नमः।
971. ॐ शोभनाय नमः।
972. ॐ वज्रिणे नमः।
973. ॐ प्रासानां प्रभवाय नमः।
974. ॐ अव्ययाय नमः।
975. ॐ गुहाय नमः।
976. ॐ कान्ताय नमः।
977. ॐ निजाय सर्गाय नमः।
978. ॐ पवित्राय नमः।
979. ॐ सर्वपावनाय नमः।
980. ॐ शृङ्गिणे नमः।
981. ॐ शृङ्गप्रियाय नमः।
982. ॐ बभ्रवे नमः।
983. ॐ राजराजाय नमः।
984. ॐ निरामयाय नमः।
985. ॐ अभिरामाय नमः।
986. ॐ सुरगणाय नमः।
987. ॐ विरामाय नमः।
988. ॐ सर्वसाधनाय नमः।
989. ॐ ललाटाक्षाय नमः।
990. ॐ विश्वदेवाय नमः।
991. ॐ हरिणाय नमः।
992. ॐ ब्रह्मवर्चसे नमः।
993. ॐ स्थावराणां पतये नमः।
994. ॐ नियमेन्द्रियवर्धनाय नमः।
995. ॐ सिद्धार्थाय नमः।
996. ॐ सिद्धभूतार्थाय नमः।
997. ॐ अचिन्त्याय नमः।
998. ॐ सत्यव्रताय नमः।
999. ॐ शुचये नमः।
1000. ॐ व्रताधिपाय नमः।

1001. ॐ परस्मै नमः।
1002. ॐ ब्रह्मणे नमः।
1003. ॐ भक्तानां परमायै ग तये नमः।
1004. ॐ विमुक्ताय नमः।
1005. ॐ मुक्ततेजसे नमः।
1006. ॐ श्रीमते नमः।
1007. ॐ श्रीवर्धनाय नमः।
1008. ॐ जगते नमः।

॥ इति श्रीमहाभारते अनुशासनपर्वणि
श्रीशिवसहस्त्रनामावलिः सम्पूर्णा ॥

Ganesh 108 Names – Hindi


श्री गणेश 108 नाम

ॐ विनायकाय नमः।
ॐ विघ्न-राजाय नमः।
ॐ गौरी-पुत्राय नमः।
ॐ गणेश्वराय नमः।
ॐ स्कन्दा-ग्रजाय नमः।
ॐ अव्यायाय नमः।
ॐ पूताय नमः।
ऊँ दक्षाय नमः।
ऊँ अध्यक्षाय नमः।
ॐ द्विज-प्रियाय नमः।


ॐ अग्नि-गर्भच्छिदे नमः।
ॐ इन्द्र-श्रीप्रदाय नमः।
ॐ वाणी-प्रदाय नमः।
ऊँ अव्ययाय नमः।
ॐ सर्वसिद्धि-प्रदाय नमः।
ऊँ सर्वाधनायाय नमः।
ऊँ सर्वाप्रियाय नमः।
ॐ सर्वात्मकाय नमः।
ॐ सृष्टि-करते नमः।
ऊँ देवाय नमः।


ऊँ अनेकार-चिताय नमः।
ॐ शिवाय नमः।
ॐ शुद्धाय नमः।
ॐ बुद्धि-प्रियाय नमः।
ॐ शान्ताय नमः।
ॐ ब्रह्म-चारिणे नमः।
ॐ गजाननाय नमः।
ॐ द्वै-मातुराय नमः।
ॐ मुनि-स्तुत़ाय नमः।
ॐ भक्त विघ्न विनाशनाय नमः।


ॐ एकदन्ताय नमः।
ॐ चतुर्भहवे नमः।
ॐ चतुराय नमः।
ॐ शक्तिसंयुताय नमः।
ॐ लम्बोदराय नमः।
ॐ शूर्पकर्णाय नमः।
ऊँ हराए नमः।
ऊँ ब्रह्म-विदुत्तमाय नमः।
ॐ कालाय नमः।
ॐ ग्रह-पतये नमः।


ॐ कामिने नमः।
ॐ सोम-सूर्याग्नि-लोचनाय नमः।
ऊँ पाशंकु-षध-राय नमः। (पाशाङ्कुशधराय नमः।)
ॐ छन्दाय नमः।
ॐ गुणातीताय नमः।
ॐ निरञ्जनाय नमः।
ॐ अकल्मषाय नमः।
ऊँ स्वयं-सिद्धाय नमः।
ऊँ सिद्धार-चीत-पदाम-बुजाय नमः। (ॐ स्वयंसिद्धार्चितपदाय नमः।)
ऊँ बीजापुर-फल-सकताय नमः। (ॐ बीजापूरकराय नमः।)


ॐ वरदाय नमः।
ॐ शाश्वताय नमः।
ॐ कृतिने नमः।
ऊँ विदवत-प्रियाय नमः। (ॐ विद्वत्प्रियाय नमः।)
ॐ वीतभयाय नमः।
ॐ गदिने नमः।
ॐ चक्रिणे नमः।
ॐ इक्षु-चप-धृते नमः। (ॐ इक्षुचापधृते नमः।)
ऊँ श्रीदाय नमः। (ॐ श्रीधाय नमः।)
ऊँ अजया नमः।


ऊँ उतपल-कराय नमः।
ऊँ श्री-पतये नमः।
ऊँ स्तुति-हर्षी-ताय नमः। (ॐ स्तुतिहर्षताय नमः।)
ऊँ कुलद्री-भ्रिते नमः। (ॐ कलाद्भृते नमः।)
ऊँ ज़तिलाय नमः।
ऊँ काली-कल्मश-नशनाय नमः।
ॐ चन्द्रचूडाय नमः।
ऊँ कांताय नमः। (ॐ श्रीकान्ताय नमः।)
ॐ पापहारिणे नमः।
ॐ समाहिताय नमः।


ऊँ आश्रीताय नमः।
ऊँ श्रीकराय नमः।
ॐ सौम्याय नमः।
ऊँ भक्ता-वंचिता-दयकाय नमः।
ऊँ शांताय नमः।
ऊँ कैवल्य-सुखदाय नमः।
ॐ सच्चिदानन्द-विग्रहाय नमः।
ऊँ ज्ञानिने नमः।
ऊँ दययुत्ताय नमः।
ॐ दन्ताय नमः।


ऊँ ब्रह्मा-द्वेशा-विवर्जिताय नमः।
ऊँ प्रमत्ता-दैत्या-भयदाय नमः।
ऊँ श्रीकांताय नमः।
ऊँ विभुदेश्वराय नमः।
ऊँ रामचित्ताय नमः।
ऊँ विधये नमः।
ऊँ नागरजा-यगनो-पावितावाते नमः।
ऊँ स्थूलकान्ताय नमः।
ऊँ स्वयं-करत्रे नमः।
ऊँ सम-घोष-प्रियाय नमः।


ऊँ परस्मै नमः।
ऊँ स्थुल-तुंडाय नमः।
ऊँ अग्रन्याय नमः।
ऊँ धीराय नमः।
ऊँ वागिशाय नमः।
ऊँ सिद्धि-दयाकाय नमः।
ऊँ दूर्वा-बिल्व-प्रियाय नमः।
ऊँ अव्यक्त-मूर्तए नमः।
ऊँ अद्भुत-मूर्ति-मते नमः।
ऊँ शैलेंधरा-तनु-जोत्सन्ग-खेलेनोत्सुका-मनसाय नमः।


ऊँ स्वलावान्या-सुधा-सरजिता-मन्माता-विग्रहाय नमः।
ऊँ समस्त-जगद-धराय नमः।
ऊँ माइने नमः।
ऊँ मूषिक-वाहनाय नमः।
ऊँ हृष्टाय नमः।
ऊँ तुष्टाय नमः।
ऊँ प्रसन्नातमने नमः।
ऊँ सर्वा-सिद्धि-प्रदयकाय नमः।


Ganesh Bhajan



Ganesh 108 Names – English


Ganesh 108 Names (Ganesh Ashtottara Shatanamavali)

Om Vinayakaay Namah
Om Vighna-rajaay Namah
Om Gowri-puthraaya Namah
Om Ganeshwaraaya Namah
Om Skanda-grajaaya Namah
Om Avyayaaya Namah
Om Puthaaya Namah
Om Dakshaaya Namah
Om Adhyakshaaya Namah
Om Dwija-priyaaya Namah


Om Agni-garbha-chide Namah
Om Indhra-shri-pradaaya Namah
Om Vaani-pradaaya Namah
Om Avyayaaya Namah
Om Sarva-siddhi-pradaaya Namah
Om Sarva-dhanayaaya Namah
Om Sarva-priyaaya Namah
Om Sarvatmakaaya Namah
Om Shrishti-karthe Namah
Om Dhevaaya Namah


Om Anekar-chitaaya Namah
Om Shivaaya Namah
Om Shuddhaaya Namah
Om Buddhi-priyaaya Namah
Om Shantaya Namah
Om Brahma-charine Namah
Om Gajana-naaya Namah
Om Dvai-madhuraaya Namah
Om Muni-stuthaaya Namah
Om Bhakta-vighna-vinashanaaya Namah


Om Eka-dhandaya Namah
Om Chatur-bhahave Namah
Om Chatu-raaya Namah
Om Shakthi-sam-yutaaya Namah
Om Lambhodaraaya Namah
Om Shoorpa-karnaaya Namah
Om Haraaye Namah
Om Brahma-viduttamaaya Namah
Om Kalaaya Namah
Om Graha-pataaye Namah


Om Kamine Namah
Om Soma-suryag-nilo-chanaaya Namah
Om Pashanku-shadha-raaya Namah
Om Chandhaaya Namah
Om Guna-thitaaya Namah
Om Niranjanaaya Namah
Om Akalmashaaya Namah
Om Swayam-siddhaaya Namah
Om Siddhar-chita-padham-bujaaya Namah
Om Bijapura-phala-sakthaaya Namah


Om Varadhaaya Namah
Om Shashwataaya Namah
Om Krithine Namah
Om Vidhwat-priyaaya Namah
Om Vitha-bhayaaya Namah
Om Gadhine Namah
Om Chakrine Namah
Om Ikshu-chapa-dhrute Namah
Om Shridaaya Namah
Om Ajaya Namah


Om Utphala-karaaya Namah
Om Shri-pataye Namah
Om Stuthi-harshi-taaya Namah
Om Kuladri-bhrite Namah
Om Jatilaaya Namah
Om Kali-kalmasha-nashanaaya Namah
Om Chandra-chuda-manaye Namah
Om Kantaaya Namah
Om Papaharine Namah
Om Sama-hithaaya Namah


Om Aashritaaya Namah
Om Shrikaraaya Namah
Om Sowmyaaya Namah
Om Bhakta-vamchita-dayakaaya Namah
Om Shantaaya Namah
Om Kaivalya-sukhadaaya Namah
Om Sachida-nanda-vigrahaaya Namah
Om Jnanine Namah
Om Dayayuthaaya Namah
Om Dandhaaya Namah


Om Brahma-dvesha-vivarjitaaya Namah
Om Pramatta-daitya-bhayadaaya Namah
Om Shrikanthaaya Namah
Om Vibudheshwaraaya Namah
Om Ramarchitaaya Namah
Om Vidhaye Namah
Om Nagaraja-yagyno-pavitavaathe Namah
Om Sthulakanthaaya Namah
Om Swayam-kartre Namah
Om Sama-ghosha-priyaaya Namah


Om Parasmai Namah
Om Sthula-tundhaaya Namah
Om Agranyaaya Namah
Om Dhiraaya Namah
Om Vagishaaya Namah
Om Siddhi-dhayakaaya Namah
Om Dhurva-bilwa-priyaaya Namah
Om Avyaktamurthaaye Namah
Om Adbhuta-murthi-mathe Namah
Om Shailendhra-tanu-jotsanga-khelanotsuka-manasaaya Namah


Om Swalavanya-sudha-sarajitha-manmatha-vigrahaaya Namah
Om Samastha-jagada-dharaaya Namah
Om Mayine Namah
Om Mushika-vahanaaya Namah
Om Hrishtaaya Namah
Om Tushtaaya Namah
Om Prasannatmane Namah
Om Sarva-siddhi-pradhayakaaya Namah


Ganesh Bhajan



Shiva 108 names


Shiv Bhajan

शिवजी के १०८ नाम (Shivaji ke 108 naam)


1. अंबिकानाथ – देवी भगवती के पति
2. अज – जन्म रहित
3. अनंत – देशकालवस्तु रूपी परिछेद से रहित
4. अनघ – पापरहित
5. अनीश्वर – जो स्वयं ही सबके स्वामी है
6. अनेकात्मा – अनेक रूप धारण करने वाले
7. अपवर्गप्रद – कैवल्य मोक्ष देने वाले
8. अव्यक्त – इंद्रियों के सामने प्रकट न होने वाले
9. अव्यग्र – कभी भी व्यथित न होने वाले
10. अव्यय – खर्च होने पर भी न घटने वाले
11. अष्टमूर्ति – आठ रूप वाले
12. अहिर्बुध्न्यकुण्डलिनी को धारण करने वाले


13. उग्र – अत्यंत उग्र रूप वाले
14. कठोर – अत्यंत मजबूत देह वाले
15. कपर्दी – जटाजूट धारण करने वाले
16. कपाली – कपाल धारण करने वाले
17. कवची – कवच धारण करने वाले
18. कामारी – कामदेव के शत्रु, अंधकार को हरने वाले
19. कृत्तिवासा – गजचर्म पहनने वाले
20. कृपानिधि – करूणा की खान
21. कैलाशवासीकैलाश के निवासी
22. खटवांगी – खटिया का एक पाया रखने वाले
23. खण्डपरशु – टूटा हुआ फरसा धारण करने वाले
24. गंगाधर – गंगा जी को धारण करने वाले


25. गणनाथ – गणों के स्वामी
26. गिरिधन्वा – मेरू पर्वत को धनुष बनाने वाले
27. गिरिप्रिय – पर्वत प्रेमी
28. गिरिश्वरकैलाश पर्वत पर सोने वाले
29. गिरीश – पर्वतों के स्वामी
30. चारुविक्रम – सुन्दर पराक्रम वाले
31. जगद्गुरू – जगत् के गुरू
32. जगद्व्यापी – जगत् में व्याप्त होकर रहने वाले
33. जटाधर – जटा रखने वाले
34. तारक – सबको तारने वाले
35. त्रयीमूर्ति – वेदरूपी विग्रह करने वाले
36. त्रिपुरांतक – त्रिपुरासुर को मारने वाले


37. त्रिलोकेश – तीनों लोकों के स्वामी
38. दक्षाध्वरहर – दक्ष के यज्ञ को नष्ट करने वाले
39. दिगम्बर – नग्न, आकाशरूपी वस्त्र वाले
40. दुर्धुर्ष – किसी से नहीं दबने वाल
41. देव – स्वयं प्रकाश रूप
42. नीललोहित – नीले और लाल रंग वाले
43. पंचवक्त्र – पांच मुख वाले
44. परमात्मा – सब आत्माओं में सर्वोच्च
45. परमेश्वर – परम ईश्वर
46. परशुहस्त – हाथ में फरसा धारण करने वाले
47. पशुपति – पशुओं के स्वामी
48. पाशविमोचन – बंधन से छुड़ाने वाले


49. पिनाकी – पिनाक धनुष धारण करने वाले
50. पुराराति – पुरों का नाश करने वाले
51. पूषदन्तभित् – पूषा के दांत उखाड़ने वाले
52. प्रजापति – प्रजाओं का पालन करने वाले
53. प्रमथाधिप – प्रमथगणों के अधिपति
54. भक्तवत्सल – भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले
55. भगनेत्रभिद् – भग देवता की आंख फोड़ने वाले
56. भगवान् – सर्वसमर्थ ऐश्वर्य संपन्न
57. भर्ग – पापों को भूंज देने वाले
58. भव – संसार के रूप में प्रकट होने वाले
59. भस्मोद्धूलितविग्रह – सारे शरीर में भस्म लगाने वाले
60. भीम – भयंकर रूप वाले


61. भुजंगभूषण – सांपों के आभूषण वाले
62. भूतपति – भूतप्रेत या पंचभूतों के स्वामी
63. महाकाल – कालों के भी काल
64. महादेव – देवों के भी देव
65. महासेनजनक – कार्तिकेय के पिता
66. महेश्वर – माया के अधीश्वर
67. मृगपाणी – हाथ में हिरण धारण करने वाले
68. मृड – सुखस्वरूप वाले
69. मृत्युंजय – मृत्यु को जीतने वाले
70. यज्ञमय – यज्ञस्वरूप वाले
71. रूद्र – भयानक
72. ललाटाक्ष – ललाट में आंख वाले


73. वामदेव – अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले
74. विरूपाक्ष – ‍विचित्र आंख वाले( शिव के तीन नेत्र हैं)
75. विश्वेश्वर – सारे विश्व के ईश्वर
76. विष्णुवल्लभ – भगवान विष्णु के अति प्रिय
77. वीरभद्र – वीर होते हुए भी शांत स्वरूप वाले
78. वृषभारूढ़ – बैल की सवारी वाले
79. वृषांक – बैल के चिह्न वाली ध्वजा वाले
80. व्योमकेश – आकाश रूपी बाल वाले
81. शंकर – सबका कल्याण करने वाले
82. शम्भू – आनंद स्वरूप वाले
83. शर्व – कष्टों को नष्ट करने वाले
84. शशिशेखर – सिर पर चंद्रमा धारण करने वाले


85. शाश्वत – नित्य रहने वाले
86. शितिकण्ठ – सफेद कण्ठ वाले
87. शिपिविष्ट – सितुहा में प्रवेश करने वाले
88. शिव – कल्याण स्वरूप
89. शिवाप्रिय – पार्वती के प्रिय
90. शुद्धविग्रह – शुद्धमूर्ति वाले
91. शूलपाणी – हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले
92. श्रीकण्ठ – सुंदर कण्ठ वाले
93. सदाशिव – नित्य कल्याण रूप वाले
94. सर्वज्ञ – सब कुछ जानने वाले
95. सहस्रपाद – हजार पैरों वाले
96. सहस्राक्ष – हजार आंखों वाले


97. सात्त्विक – सत्व गुण वाले
98. सामप्रिय – सामगान से प्रेम करने वाले
99. सुरसूदन – अंधक दैत्य को मारने वाले
100. सूक्ष्मतनु – सूक्ष्म शरीर वाले
101. सोम – उमा के सहित रूप वाले
102. सोमसूर्याग्निलोचन – चंद्र, सूर्य और अग्निरूपी आंख वाले
103. स्थाणु – स्पंदन रहित कूटस्थ रूप वाले
104. स्वरमयी – सातों स्वरों में निवास करने वाले
105. हर – पापों व तापों को हरने वाले
106. हरि – विष्णुस्वरूप
107. हवि – आहूति रूपी द्रव्य वाले
108. हिरण्यरेता – स्वर्ण तेज वाले


Shiv Bhajans