पुराणों के अनुसार भगवान् शिव जहाँ-जहाँ स्वयं प्रगट हुए थे, उन बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है।
भारत में इस प्रकार 12 स्थान है, जहां पर ज्योतिर्लिंग स्थित है।
सागर तट पर दो, नदी के किनारे पर तीन, पर्वतों की ऊँचाई पर चार और मैदानी प्रदेशों में गाँवों के पास तीन इस तरह बारह स्थान है, जहां भगवान् शिव के ज्योतिर्लिंग स्वरुप स्थित है।
ये बारह ज्योतिर्लिंग है –
श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
श्री त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग
श्री रामेश्वर ज्योतिर्लिंग
श्री भीमांशंकर ज्योतिर्लिंग
श्री विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
श्री घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग
महादेवजी के अर्थात शंकर भगवान के इन बारह ज्योतिर्लिंग के तेजोमय और पवित्र स्थानों की महिमा अनोखी है।
ज्योतिर्लिंगों के नामों के स्मरण का लाभ
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र के अंतिम श्लोक में दिया गया है की, यदि मनुष्य क्रमशः कहे गये इन बारहों ज्योतिर्मय शिवलिंगोंके स्तोत्रका भक्तिपूर्वक पाठ करे, तो इनके दर्शनसे होनेवाले फलको प्राप्त कर सकता है।
ज्योतिर्लिंग स्तोत्र के अंतिम श्लोक में कहा गया है की, जो मनुष्य प्रतिदिन प्रात:काल और संध्या के समय, इन बारह ज्योतिर्लिंगों का नाम लेता है, उसके सात जन्मों का किया हुआ पाप, इन ज्योतिर्लिंगों के स्मरण मात्र से मिट जाता है।
प्रातःकाल उठकर इन बारह ज्योतिर्लिंगों के नामों का स्मरण करने से आवागमन के चक्र से मुक्ति मिल जाती है, और इन लिंगों की पूजा से सभी दुःखों का नाश होता है।
ज्योतिर्लिंग स्तोत्र, बारह ज्योतिर्लिंग की कथाएं
निचे ज्योतिर्लिंग के स्तोत्र और उनकी कथाओं के जो पोस्ट है, उनकी लिंक दी गयी है –
ज्योतिर्लिंगों के दर्शन से हमारा जीवन पुण्यमय, सुखी-समाधानी तथा कृतार्थ होता है, यह श्रद्धा है और भक्तों का अनुभव भी है।
यद्यपि पृथ्वी में विद्यमान लिंग असख्य है, तथापि प्रधान ज्योतिर्लिंग बारह हैं –
सौराष्ट्र प्रदेश (काठियावाड़) में श्रीसोमनाथ, श्रीशैल पर श्रीमल्लिकार्जुन, उज्जयिनी (उज्जैन) में श्रीमहाकाल, विंध्यप्रदेश में ओंकारेश्वर अथवा ममलेश्वर, परली में वैद्यनाथ, डाकिनी नामक स्थान में श्रीभीमशंकर, सेतुबंध पर श्री रामेश्वर, दारुकावन में श्रीनागेश्वर, वाराणसी (काशी) में श्री विश्वनाथ, गौतमी (गोदावरी, गोमती) के तट पर श्री त्र्यम्बकेश्वर, हिमालय श्रृंग पर केदारखंड में श्रीकेदारनाथ और शिवालय में श्रीघृष्णेश्वर।
बारह ज्योतिर्लिंगों के स्थानों के बारे में संक्षिप्त जानकारी
1. श्रीसोमनाथ का दर्शन करनेके लिये गुजरात में काठियावाड़ प्रदेशके अन्तर्गत प्रभासक्षेत्रमें जाना चाहिये।
2. श्रीमल्लिकार्जुन नामक ज्योतिर्लिंग जिस पर्वतपर विराजमान है, उसका नाम श्रीशैल या श्रीपर्वत है। यह स्थान मद्रास प्रान्तके कृष्णा जिलेमें कृष्णा नदीके तटपर है। इसे दक्षिणका कैलास कहते हैं।
3. महाकाल या महाकालेश्वर मालवा प्रदेशमें क्षिप्रा नदीके तटपर उज्जैन नामक नगरीमें विराजमान है। उज्जैनको अवन्तिकापुरी भी कहते हैं।
4. ओंकारेश्वर का स्थान मालवा प्रान्तमें नर्मदा नदीके तटपर है। उज्जैनसे खंडवा जानेवाली रेलवेकी छोटी लाइनपर मोरटक्का नामक स्टेशन है। वहाँसे यह स्थान ७ मील दूर है। यहाँ ओंकारेश्वर और अमलेश्वर नामक दो पृथक्-पृथक् लिंग हैं। परंतु दोनों एक ही ज्योतिर्लिंगके दो स्वरूप माने गये हैं।
5. श्रीकेदारनाथ या केदारेश्वर हिमालयके केदार नामक शिखरपर स्थित हैं। शिखरसे पूर्वकी ओर अलकनन्दाके तटपर श्रीबदरीनाथ अवस्थित हैं और पश्चिममें मन्दाकिनीके किनारे श्रीकेदारनाथ विराजमान हैं। यह स्थान हरिद्वारसे १५० मील और ऋषिकेशसे १३२ मील दूर है।
6. श्रीभीमशंकर का स्थान मुंबईसे पूर्व और पूनासे उत्तर भीमा नदीके किनारे उसके उद्गमस्थान सह्य पर्वतपर है। यह स्थान बस के रास्तेसे जानेपर नासिकसे लगभग १२० मील दूर है। सह्य पर्वतके उस शिखरका नाम, जहाँ इस ज्योतिर्लिंगका प्राचीन मन्दिर है, डाकिनी है। इससे अनुमान होता है कि कभी यहाँ डाकिनी और भूतोंका निवास था। शिवपुराणकी एक कथाके आधारपर भीम शंकर ज्योतिर्लिंग आसामके कामरूप जिलेमें गोहाटीके पास ब्रह्मपुर पहाड़ीपर स्थित बताया जाता है। कुछ लोग कहते हैं कि नैनीताल जिलेके उज्जनक नामक स्थानमें एक विशाल शिवमन्दिर है, वही भीमशंकरका स्थान है।
7. काशीके श्रीविश्वनाथजी तो प्रसिद्ध ही हैं।
8. त्र्यम्बक या त्र्यम्बकेश्वर, मुंबई प्रान्तके नासिक जिलेमें नासिक पंचवटीसे १८ मील दूर गोदावरीके उद्गमस्थान ब्रह्मगिरिके निकट गोदावरीके तटपर स्थित है।
9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का स्थान संथाल परगनेमें ई० आई० रेलवेके जसीडीह स्टेशनके पास वैद्यनाथधाम के नामसे प्रसिद्ध है। पुराणोंके अनुसार यही चिताभूमि है। यह स्थान झारखण्ड प्रान्त के सन्थाल परगना के दुमका नामक जनपद में पड़ता है।
कहीं-कहीं “परल्यां वैद्यनाथं च” ऐसा पाठ मिलता है। इसके अनुसार परलीमें वैद्यनाथकी स्थिति है। दक्षिण हैदराबाद नगरसे इधर परभनी नामक एक जंकशन है। वहाँसे परलीतक एक ब्रांच लाइन गयी है। इस परली स्टेशनसे थोड़ी दूरपर परली गाँवके निकट श्रीवैद्यनाथ नामक ज्योतिर्लिंग है।
10. नागेश नामक ज्योतिर्लिंगका स्थान बड़ौदा राज्यके अन्तर्गत गोमतीद्वारकासे ईशानकोणमें बारह-तेरह मीलकी दूरीपर है। दारुकावन इसीका नाम है। कोई-कोई दारुकावनके स्थानमें “द्वारकावन” पाठ मानते हैं। इस पाठके अनुसार भी यही स्थान सिद्ध होता है; क्योंकि वह द्वारकाके निकट और उस क्षेत्रके अन्तर्गत है। कोई-कोई दक्षिण हैदराबादके अन्तर्गत औढ़ा ग्राममें स्थित शिवलिंगको ही नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मानते हैं। कुछ लोगोंके मतसे अल्मोड़ासे १७ मील उत्तर-पूर्वमें स्थित यागेश (जागेश्वर) शिवलिंग ही नागेश ज्योतिर्लिंग है।
11. श्रीरामेश्वर तीर्थको ही सेतुबन्ध तीर्थ भी कहते हैं। यह स्थान मद्रास प्रान्तके रामनाथम् या रामनद जिलेमें है। यहाँ समुद्रके तटपर रामेश्वरका विशाल मन्दिर शोभा पाता है।
12. श्रीघुश्मेश्वर को घुसृणेश्वर या घृष्णेश्वर भी कहते हैं। इनका स्थान हैदराबाद राज्यके अन्तर्गत दौलताबाद स्टेशनसे १२ मील दूर बेरुल गाँवके पास है। इस स्थानको ही शिवालय कहते हैं।