भोले का दीवाना, मैं तो भोले का दीवाना


भोले का दीवाना

भोले का दीवाना,
मैं तो भोले का दीवाना


फिरता था एक पागल,
सड़को पे मारा मारा।
रहता था अलग सबसे,
दुनिया से कर किनारा॥

एक गोल काला पत्थर,
रखता था पास हरदम।
सर पे उठा के गाता,
होकर मगन वो शम्भो॥


पूछा किसी ने उससे,
क्या नाम है तुम्हारा,
रहते हो किस जगह पे,
क्या काम है तुम्हारा॥

कहने लगा वो हंस के,
क्या जानते नहीं हो।
भोले का हूँ दीवाना,
पहचानते नहीं हो॥

भोले का हूँ दीवाना…….
दीवाना दीवाना….


मैं तो दीवाना,
भोले का दीवाना।
दीवाना मैं तो दीवाना,
भोले का दीवाना॥

दीवाना मैं तो दीवाना,
भोले का दीवाना।
दीवाना, मैं तो दीवाना
भोले का दीवाना॥


जिसका ब्रम्हा भी दीवाना,
जिसका विष्णु भी दीवाना।

जिसका नारद भी दीवाना,
जिसका शारद भी दीवाना।

जिसका दीवाना राम है,
जिसका दीवाना श्याम है।


जिसका ब्रम्हा भी दीवाना,
जिसका विष्णु भी दीवाना,
जिसका नारद भी दीवाना,
जिसका शारद भी दीवाना,
जिसका दीवाना राम है,
जिसका दीवाना श्याम है॥


भोले का मैं दीवाना,
दर पे है उनके जाना।
चौखट पे जाके,
जिनकी झुकता है ये जमाना।

अरे दीवाना दीवाना…

मैं तो दीवाना,
भोले का दीवाना।
दीवाना, मैं तो दीवाना,
भोले का दीवाना॥


जिनको कहते है शिव दानी,
जिनका भोले जी नाम है।
जिनके हाथों में सारे
जगत का इंतजाम॥

देता है दान अमृत,
पीता है विष का प्याला।
कहलाता है जो भोले
शंकर त्रिशूल वाला॥

है काम जिसका बिगड़ी
सदा सबकी बनाना।
मैं चाहता हूँ उनके
चरणों से लिपट जाना॥

दीवाना दीवाना…..


मैं तो दीवाना,
भोले का दीवाना।
दीवाना, मैं तो दीवाना,
भोले का दीवाना॥

दीवाना, मैं तो दीवाना,
भोले का दीवाना।


Bhole Ka Deewana

Lakhbir Singh Lakkha


Shiv Bhajan