ओ कान्हा अब तो मुरली की, मधुर सुना दो तान


ओ कान्हा अब तो मुरली की, मधुर सुना दो तान

ओ कान्हा अब तो मुरली की,
मधुर सुना दो तान।
ओ कान्हा अब तो मुरली की,
मधुर सुना दो तान।


में हूँ तेरी प्रेम दीवानी,
मुझको तू पहचान॥
मधुर सुना दो तान

ओ कान्हा अब तो मुरली की,
मधुर सुना दो तान।


जब से तुम संग मैंने अपने,
नैना जोड़ लिए हैं।
क्या मैया क्या बाबुल सबसे,
रिश्ते तोड़ लिए हैं॥

तेरे मिलन को, व्याकुल हैं,
कबसे मेरे प्राण,
मधुर सुना दो तान॥

ओ कान्हा अब तो मुरली की,
मधुर सुना दो तान।


सागर से भी गहरे मेरे,
प्रेम की गहराई।
लोक लाज कुल की मर्यादा,
तज कर में तो आई।

मेरे प्रीत से ओ निर्मोही,
अब ना बनो अंजान
मधुर सुना दो तान॥

ओ कान्हा अब तो मुरली की,
मधुर सुना दो तान


में हूँ तेरी प्रेम दीवानी,
मुझको तू पहचान
मधुर सुना दो तान

ओ कान्हा अब तो मुरली की,
मधुर सुना दो तान


O Kanha Ab To Murli Ki Madhur Suna do Taan


Krishna Bhajan



भक्ति सुमन

मन के मंदिर में हम तुमको बिठायेंगे।
पलकों के झूले पर आपको झुलायेंगे॥
छोड़ करके ना हमें जाना होगा।
आकर के दरस दिखाना होगा॥

कृष्ण कन्हैया तुमको आना होगा।
आकर के दरस दिखाना होगा॥


सागर से भी गहरे मेरे, प्रेम की गहराई
लोक लाज कुल की मर्यादा, तज कर में तो आई

जमुना के जल से प्रभु जी आपको नहलाएंगे।
मक्खन और मिश्री बड़े प्रेम से खिलाएंगे॥
मुरली की तान सुनाना होगा।
आकर के दरस दिखाना होगा॥


जब से तुम संग मैंने अपने, नैना जोड़ लिए हैं।
क्या मैया क्या बाबुल सबसे, रिश्ते तोड़ लिए हैं॥

गीता का ज्ञान प्रभु जी हमको सुनाओ।
कैसा है कर्म योग हमको बताओ॥
नैया को पार लगाना होगा।
आकर के दरस दिखाना होगा॥


Krishna Bhajan