दर्शन दो घनश्याम नाथ, मोरी अंखियाँ प्यासी रे


दर्शन दो घनश्याम नाथ, मोरी अंखियाँ प्यासी रे

दर्शन दो घनश्याम नाथ,
मोरी अंखियाँ प्यासी रे

दर्शन दो घनश्याम नाथ,
मोरी अंखियाँ प्यासी रे
दर्शन दो घनश्याम..

मन मंदिर की ज्योत जगा दो,
मन मंदिर की ज्योत जगा दो,
घट घट वासी रे

दर्शन दो घनश्याम..


मंदिर मंदिर मूरत तेरी,
फिर भी न दिखे सूरत तेरी

मंदिर मंदिर मूरत तेरी,
फिर भी न दिखे सूरत तेरी

युग बीते ना आई मिलन की पूरनमासी रे
दर्शन दो घनश्याम


द्वार दया का जब तू खोले,
पंचम सुर में गुंगा बोले

द्वार दया का जब तू खोले,
पंचम सुर में गुंगा बोले

अँधा देखे, लंगड़ा चलकर,
पहुचें काशी रे
दर्शन दो घनश्याम


पानी पीकर प्यास बुझाऊँ,
नैनन को कैसे समझाऊँ

आँख मिचोली छोड़ो अब तो
मन के वासी रे

दर्शन दो घनश्याम नाथ,
मोरी अंखियाँ प्यासी रे
दर्शन दो घनश्याम


Darshan Do Ghanshyam Nath

Hemant Kumar


Krishna Bhajan



श्रद्धा सुमन – दर्शन दो घनश्याम नाथ

आठो याम नाम गिरधर का,
नहीं सूझता कुछ और।
तन में मन में नाम हरि का,
सांझ मध्य और भोर॥
मेरे मन में बस रहे नंदकिशोर।

भटक भटक सब ही जग भटका
तुम बिन कहीं ना ठौर।
मैं भूखा दर्शन का मोहन,
भक्त कहे कर जोर॥
मेरे मन में बस रहे नंदकिशोर।


Krishna Bhajan