अम्बे तू है जगदम्बे काली - दुर्गा माँ की आरती - अर्थ सहित


अम्बे तू है जगदम्बे काली – माता की आरती

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली।
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया, हम सब उतारें तेरी आरती॥


तेरे भक्त जनों पे माता, भीर पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पडो माँ, करके सिंह सवारी॥
सौ सौ सिंहों से तु बलशाली, अष्ट भुजाओं वाली।
दुष्टों को पल में संहारती,
ओ मैया, हम सब उतारें तेरी आरती॥


माँ बेटे का है इस जग में, बड़ा ही निर्मल नाता।
पूत कपूत सूने हैं पर, ना माता सुनी कुमाता॥
सब पे करुणा बरसाने वाली, अमृत बरसाने वाली।
दुखियों के दुखडे निवारती,
ओ मैया, हम सब उतारें तेरी आरती॥


नहीं मांगते धन और दौलत, ना चाँदी, ना सोना।
हम तो मांगे माँ तेरे मन में, इक छोटा सा कोना॥
सबकी बिगडी बनाने वाली, लाज बचाने वाली।
सतियों के सत को संवारती,
ओ मैया, हम सब उतारें तेरी आरती॥


अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली।
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया, हम सब उतारें तेरी आरती॥
ओ मैया, हम सब उतारें तेरी आरती॥


Ambe Tu Hai Jagdambe Kali – Durga Maa Ki Aarti

Anuradha Paudwal

Narendra Chanchal


Durga Bhajan



अम्बे तू है जगदम्बे काली आरती के पंक्तियों का महत्व

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली।

यह पंक्ति माँ दुर्गा की शक्ति और भव्यता का वर्णन करती है। माँ दुर्गा को जगत की माँ और दुष्टों का नाश करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है। खप्पर धारण करना उनकी शक्ति और वीरता का प्रतीक है।

तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया, हम सब उतारें तेरी आरती॥

यह पंक्ति माँ दुर्गा के गुणों और उनकी स्तुति का वर्णन करती है। भक्त माँ दुर्गा की आरती उतारकर उनका सम्मान और आभार व्यक्त करते हैं।

तेरे भक्त जनों पे माता, भीर पड़ी है भारी।

यह पंक्ति माँ दुर्गा के प्रति भक्तों की भक्ति और समर्पण को दर्शाती है। माँ दुर्गा के भक्त उनकी शरण में आते हैं और उनसे सहायता प्राप्त करते हैं।

दानव दल पर टूट पडो माँ, करके सिंह सवारी॥

यह पंक्ति माँ दुर्गा की शक्ति और वीरता का वर्णन करती है। माँ दुर्गा सिंह पर सवार होकर राक्षसों का नाश करती हैं।

सौ सौ सिंहों से तु बलशाली, अष्ट भुजाओं वाली।

यह पंक्ति माँ दुर्गा की शक्ति और भव्यता का वर्णन करती है। माँ दुर्गा सौ सिंहों से भी अधिक शक्तिशाली हैं और उनके आठ हाथ हैं, जो उनकी शक्ति और बहुमुखी प्रतिभा का प्रतीक हैं।

दुष्टों को पल में संहारती, ओ मैया, हम सब उतारें तेरी आरती॥

यह पंक्ति माँ दुर्गा की शक्ति और न्यायप्रियता का वर्णन करती है। माँ दुर्गा दुष्टों का नाश करती हैं और अच्छे लोगों की रक्षा करती हैं। भक्त माँ दुर्गा की आरती उतारकर उनका आभार व्यक्त करते हैं।

दुष्टों को पल में संहारती

यह पंक्ति इस बात पर जोर देती है कि देवी दुष्ट (दुष्टो) शक्तियों या नकारात्मक ऊर्जाओं को तुरंत नष्ट (संहाराति) करने में सक्षम हैं।

माँ बेटे का है इस जग में, बड़ा ही निर्मल नाता।

इस पंक्ति में, भक्त स्वीकार करती है कि एक माँ और उसके बच्चे के बीच का रिश्ता शुद्ध और विशेष होता है। इस रिश्ते को पवित्र और बेदाग होने पर जोर दिया जाता है।

पूत कपूत सूने हैं पर, ना माता सुनी कुमाता॥

यह पंक्ति कहती है कि बच्चे दूर हो सकते हैं, लेकिन एक माँ का अपने बच्चों के प्रति स्नेह और चिंता कभी कम नहीं होती है। भले ही उसके बच्चे दूर हों, माँ की मातृ प्रवृत्ति और उनके लिए प्यार बना रहता है।

सब पे करुणा बरसाने वाली, अमृत बरसाने वाली।

ये पंक्तियाँ एक दयालु देवी के रूप में देवी दुर्गा की विशेषताओं को उजागर करती हैं जो अपने भक्तों पर करुणा बरसाती है और को दयालुता का मार्ग दिखाती हैं, और उन्हें अपनी कृपा का अमृत की तरह आशीर्वाद देती हैं।

दुखियों के दुखडे निवारती

यहां, भजन इस बात पर जोर देता है कि देवी दुर्गा दुखियों के दुख और परेशानियों को कम करती हैं। वह दर्द और पीड़ा से राहत दिलाने का काम करती है।

नहीं मांगते धन और दौलत, ना चाँदी, ना सोना।

यह पंक्ति दर्शाती है कि देवी दुर्गा के भक्त भौतिक धन, या सोने और चांदी जैसी कीमती धातुओं की तलाश नहीं करते हैं। वे भौतिक संपत्ति से अधिक आध्यात्मिक आशीर्वाद को महत्व देते हैं।

हम तो मांगे माँ तेरे मन में, इक छोटा सा कोना॥

ये पंक्तियाँ भक्तों की विनम्र इच्छाओं को व्यक्त करती हैं, जिसमें कहा गया है कि वे देवी के हृदय के भीतर केवल एक छोटा सा कोना (कोना) माँगते हैं, जो भक्ति और संबंध के लिए स्थान का प्रतीक है।

सबकी बिगडी बनाने वाली, लाज बचाने वाली।

ये पंक्तियाँ देवी दुर्गा की स्तुति करती हैं, जो टूटी हुई स्थितियों को सुधारती हैं और जो अपने भक्तों के सम्मान और गरिमा (लाज) की रक्षा करती हैं।

सतियों के सत को संवारती

यह पंक्ति धार्मिक और सदाचारी व्यक्तियों के सत्य (सत्) के पोषण और संरक्षण में देवी दुर्गा की भूमिका को स्वीकार करती है।

यह आरती देवी की शक्ति, करुणा और परोपकार के लिए स्तुति करती है, और उनसे आशीर्वाद और अनुग्रह मांगता है।

इन पंक्तियों में, भजन देवी दुर्गा के मातृ और दयालु स्वभाव के सार के साथ-साथ अपने भक्तों को सुरक्षा, मार्गदर्शन और आशीर्वाद प्रदान करने में उनकी भूमिका को दर्शाता है।

कुल मिलाकर, ये गीत देवी दुर्गा की अपार शक्ति, सुरक्षात्मक प्रकृति और उनके अनुयायियों की भक्ति की तस्वीर पेश करते हैं। यह भजन भक्तों के लिए अपनी श्रद्धा व्यक्त करने, उनका आशीर्वाद लेने और उनके दिव्य गुणों से शक्ति और साहस प्राप्त करने का एक तरीका है।


Durga Bhajan