आज तो कैलाश पर बाज रहे डमरू


आज तो कैलाश पर बाज रहे डमरू

आज तो कैलाश पर बाज रहे डमरू
नाच रहे शिवजी बाज रहे घुंगरू…


शंकर भी नाचे, संग गौरी भी नाचे,
गणपति भी नाचे, स्वामी कार्तिक भी नाचे
भूत प्रेत नंदी गण सारा जग नाचे,
पावोमे बांधकर सोनेके घुंगरू…


ब्रम्हाजी आये, संग सावित्री लाये,
विष्णुजी आये, संग लक्ष्मीजी लाये,
विना बजाते हुये नारदजी आये,
पावोमे बांधकर सोनेके घुंगरू…


जटामे शिवजी के गंगा बिराजे,
मस्तकपे शिवजी के चंद्रमा बिराजे,
गले मे शिवजीके शेषनाग सोहे,
हाथोमे शिवजीके बाज रहा डमरू…


तीन नयन की शोभा है भारी,
अंग विभूत लगे अती प्यारी,
नंदी पे शिवजिकि निकली सवारी,
हाथोमे शिवजीके बाज रहा डमरू…


ब्रम्हाजी शिवजीकी आरती उतारे,
विष्णुजी शिवजीको माला पहनावे,
नाच नाच नारदजी विना बजावे,
पावोमे बांधकर सोनेके घुगरू…


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