आज्ञा नहीं है माँ मुझे किसी और काम की


आज्ञा नहीं है माँ मुझे किसी और काम की

आज्ञा नहीं है माँ मुझे
किसी और काम की।

आज्ञा नहीं है माँ मुझे,
किसी और काम की।
वरना भुजाएँ तोड़ दू,
सौगंध राम की॥

आज्ञा नहीं है माँ मुझे,
किसी और काम की।


लंका पाताल ठोक दू,
रावण के शान की।
चाहूँ तो भीख मांगे ये
दानव भी प्राण की॥

सोने की लंका जला दू,
सौगंध राम की॥

आज्ञा नहीं है माँ मुझे,
किसी और काम की।


ना झूठी शान करू,
ना अभिमान करू।
प्रभु का ध्यान धरु,
राम गुण गान करू॥

सच्चे दया के सागर है वो,
रघुकुल की शान है।
बल हूँ मै, बल के धाम वो,
सौगंध राम की॥

आज्ञा नहीं है माँ मुझे
किसी और काम की।


विश्वास करलो माँ मेरा,
आयेंगे राम जी॥

रावण को दंड दे कर,
ले जायेंगे राम जी।
तब तक न खोना धैर्य माँ,
तुम्हे सौगंध राम की॥

आज्ञा नहीं है माँ मुझे
किसी और काम की।


रावण को मार कर प्रभु,
बैठे विमान पर।

बोली यु सीता कर कृपा,
अंजनी के लाल पर।
हनुमान ने कहा जो कर दिया,
सौगंध राम की॥

आज्ञा नहीं है माँ मुझे
किसी और काम की।

Aagya Nahi Hai Maa Mujhe Kisi Aur Kaam Ki

Mukesh Bagda


Hanuman Bhajan