Bhaye Pragat Kripala, Deen Dayala – Meaning


Ram Bhajan

भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला –  अर्थसहित

भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।

भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी॥

  • भए प्रगट कृपालाकृपालु प्रभु प्रकट हुए
  • दीनदयालादीनों पर दया करने वाले
  • कौसल्या हितकारी – कौसल्याजी के हितकारी
  • हरषित महतारी – माता हर्ष से भर गई
  • मुनि मन हारी – मुनियों के मन को हरने वाले
  • अद्भुत रूप बिचारी – उनके अद्भुत रूप का विचार करके

जब कृपा के सागर, कौशल्या के हितकारी, दीनदयालु प्रभु प्रकट हुए, तब उनका अद्भुत स्वरुप देखकर माता कौशल्या परम प्रसन्न हुई।

जिन की शोभा को देखकर मुनि लोगों के मन मोहित हो जाते हैं, उस स्वरूप का दर्शन कर माता हर्ष से भर गई।

लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा,
निज आयुध भुजचारी।
भूषन बनमाला, नयन बिसाला,
सोभासिंधु खरारी॥

  • लोचन अभिरामानेत्रों को आनंद देने वाले
  • तनु घनस्यामा – मेघ के समान श्याम शरीर
  • निज आयुध भुजचारी – चारों भुजाओं में शस्त्र (आयुध) धारण किए हुए थे
  • भूषन – दिव्य आभूषण और
  • बनमाला – वनमाला पहने हुए थे,
  • नयन बिसाला – बड़े-बड़े नेत्र थे,
  • सोभासिंधु – इस प्रकार शोभा के समुद्र तथा
  • खरारी – खर राक्षस को मारने वाले भगवान प्रकट हुए।

कैसा है यह स्वरूप, तुलसीदासजी कहते हैं कि सुंदर नेत्र है, मेघसा श्याम शरीर है, चारों भुजाओं में अपने चारों शस्त्र (शंख, चक्र, गदा, पद्म) धरे है।

वनमाला पहने हैं, सब अंगों में आभूषण सजे है, बड़े विशाल नेत्र है, शोभा के सागर और खर नाम राक्षस के बैरी है।

कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी,
केहि बिधि करूं अनंता।
माया गुन ग्यानातीत अमाना,
वेद पुरान भनंता॥

  • कह दुइ कर जोरी – दोनों हाथ जोड़कर माता कहने लगी
  • अस्तुति तोरी – तुम्हारी स्तुति
  • केहि बिधि करूं – मैं किस प्रकार करूँ
  • अनंता – हे अनंत!
  • माया गुन ग्यानातीत अमाना – माया, गुण और ज्ञान से परे
  • वेद पुरान भनंता – वेद और पुराण तुम को बतलाते हैं (वेद और पुराण तुम को माया, गुण और ज्ञान से परे बतलाते हैं)

दोनों हाथ जोड़ कौशल्या ने कहा कि हे अनंत प्रभु, मैं आप की स्तुति कैसे करू।

क्योंकि वेद और पुराण भी ऐसे कहते हैं कि प्रभु का स्वरूप माया के गुणों से परे, इंद्रियजन्य ज्ञान से अगोचर और प्रमाण का विषय नहीं है।

करुना सुख सागर, सब गुन आगर,
जेहि गावहिं श्रुति संता।
सो मम हित लागी, जन अनुरागी,
भयउ प्रगट श्रीकंता॥

  • करुना सुख सागरदया और सुख का समुद्र,
  • सब गुन आगर – सब गुणों का धाम कहकर
  • जेहि गावहिं श्रुति संता – श्रुतियाँ और संतजन जिनका गान करते हैं
  • सो मम हित लागी – मेरे कल्याण के लिए
  • जन अनुरागी – वही भक्तों पर प्रेम करने वाले
  • भयउ प्रगट श्रीकंता – लक्ष्मीपति भगवान प्रकट हुए हैं

सो हे प्रभु मैं तो ऐसे जानती हूँ कि जिसे श्रुति और संत लोग गाते हैं, वे करुणा व सुखके सागर, सब गुणों के आगर (भण्डार), भक्त अनुरागी, लक्ष्मीपति, प्रभु मेरा हित करने के लिए प्रकट हुए है।

ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया,
रोम रोम प्रति बेद कहै।
मम उर सो बासी, यह उपहासी,
सुनत धीर मति थिर न रहै॥

  • ब्रह्मांड निकाया – अनेकों ब्रह्माण्डों के समूह हैं
  • निर्मित माया – माया के रचे हुए
  • रोम रोम – आपके रोम-रोम में रहते हैं
  • प्रति बेद कहै – ऐसा वेद कहते हैं
  • मम उर सो बासी – वे तुम मेरे गर्भ में रहे
  • यह उपहासी – इस हँसी की बात
  • सुनत धीर – सुनने पर धीर (विवेकी) पुरुषों की बुद्धि भी
  • मति थिर न रहै – स्थिर नहीं रहती (विचलित हो जाती है)

और हे प्रभु, वेद ऐसे कहते हैं कि आपके रोम-रोम में माया से रचे हुए अनेक ब्रह्मांड समूह रहते हैं सो वे आप मेरे उदर (गर्भ) में कैसे रहे। इस बात की मुझे बड़ी हंसी आती है।

केवल मैं ही नहीं बड़े-बड़े धीर पुरुषों की बुद्धि भी यह बात सुनकर धीर नहीं रहती।

उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना,
चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।
कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई,
जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै॥

  • उपजा जब ग्याना – जब माता को ज्ञान उत्पन्न हुआ
  • प्रभु मुसुकाना – तब प्रभु मुस्कुराए
  • चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै – वे बहुत प्रकार के चरित्र करना चाहते हैं
  • कहि कथा सुहाई – अतः उन्होंने (पूर्व जन्म की) सुंदर कथा कहकर
  • मातु बुझाई – माता को समझाया
  • जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै – जिससे उन्हें पुत्र का प्रेम प्राप्त हो और भगवान के प्रति पुत्र का भाव आ जाए

जब कौशल्या को ज्ञान प्राप्त हो गया तब प्रभु हँसे कि देखो इसको किस वक्त में ज्ञान प्राप्त हुआ है अभी इसको ज्ञान नहीं होना चाहिए। क्योंकि, अभी मुझको बहुत चरित्र करने हैं।

उस वक्त प्रभु अनेक प्रकार के चरित्र करना चाहते थे, इसलिए माता को अनेक प्रकार की कथा सुना कर ऐसे समझा बुझा दिया कि जिस तरह उसके मन में पुत्र का प्रेम आ गया।

माता पुनि बोली, सो मति डोली,
तजहु तात यह रूपा।
कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला,
यह सुख परम अनूपा॥

  • माता पुनि बोली, सो मति डोली – प्रभु की प्रेरणा से कौशल्या माँ की बुद्धि दूसरी ओर डोल गई, तब वह फिर बोली
  • तजहु तात यह रूपा – हे तात! यह रूप छोड़कर
  • कीजै सिसुलीला – बाललीला करो
  • अति प्रियसीला – जो मेरे लिए अत्यन्त प्रिय है
  • यह सुख परम अनूपा – यह सुख मेरे लिए परम अनुपम होगा

प्रभु की प्रेरणा से कौशल्या की बुद्धि दूसरी ओर डोल गई जिससे वह फिर बोली कि हे तात! आप यह स्वरूप तज (छोड़) दो।

बालक स्वरूप धारण कर, अतिशय प्रिय स्वभाव वाली बाल लीला करो। यह सुख मुझको बहुत अच्छा लगता है।

सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना,
होइ बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं,
ते न परहिं भवकूपा॥

  • सुनि बचन सुजाना – माता के ऐसे वचन सुनकर
  • रोदन ठाना – (भगवान ने बालक रूप धारण कर) रोना शुरू कर दिया
  • होइ बालक – बालक रूप धारण कर
  • सुरभूपा – देवताओं के स्वामी भगवान ने
  • यह चरित जे गावहिं – जो इस चरित्र का गान करते हैं
  • हरिपद पावहिं – वे श्री हरि का पद (भगवत पद) पाते हैं
  • ते न परहिं – और वे फिर नहीं गिरते
  • भवकूपा – संसार रूपी कुएं में (और फिर संसार रूपी माया में नहीं गिरते)

माता के ऐसे वचन सुन प्रभु ने बालक स्वरूप धारण कर रुदन करना (रोना) शुरू किया।

महादेव जी कहते हैं कि हे पार्वती जो मनुष्य इस चरित्र को गाते हैं वह मनुष्य अवश्य भगवत पद को प्राप्त हो जाते हैं और वे कभी संसार रुपी कुए में नहीं गिरते।


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Ram Bhajans

श्री राम स्तुति का महत्व

श्री राम से बड़ा कोई देवता नहीं, श्री राम से बढ़कर कोई व्रत नहीं, श्री राम से बड़ा कोई योग नहीं तथा श्री राम से बढ़कर कोई यज्ञ नहीं है।

श्री राम का स्मरण, जप और पूजन करके मनुष्य परम पद प्राप्त करता है। तथा इस लोक और परलोक की उत्तम समृद्धि को भी प्राप्त करता है।

श्री रघुनाथ जी संपूर्ण कामनाओं और फलों के दाता है। मन के द्वारा स्मरण और ध्यान करने पर वे अपनी उत्तम भक्ति प्रदान करते हैं जो संसार समुद्र से तारनेवाली है। कैसा भी मनुष्य क्यों ना हो, श्री राम का स्मरण करके परमगति को प्राप्त कर लेता है।

यह संपूर्ण वेद और शास्त्रों का रहस्य है। एक ही देवता है – श्री राम। एक ही व्रत है – श्री रामका पूजन। एक ही मंत्र है – श्री राम क नाम तथा एक ही शास्त्र है उनकी स्तुति।

अतः सब प्रकार से परम मनोहर श्री रामचंद्र जी का भजन करो, जिससे तुम्हारे लिए यह महान संसार सागर गाय के खुर के समान तुच्छ हो जाए।

Bhaye Pragat Kripala, Deen Dayala

जगजीत सिंह (Jagjit Singh)

Narendra Chanchal

भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला

भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी॥

लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा,
निज आयुध भुजचारी।
भूषन बनमाला, नयन बिसाला,
सोभासिंधु खरारी॥

कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी,
केहि बिधि करूं अनंता।
माया गुन ग्यानातीत अमाना,
वेद पुरान भनंता॥

करुना सुख सागर, सब गुन आगर,
जेहि गावहिं श्रुति संता।
सो मम हित लागी, जन अनुरागी,
भयउ प्रगट श्रीकंता॥

ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया,
रोम रोम प्रति बेद कहै।
मम उर सो बासी, यह उपहासी,
सुनत धीर मति थिर न रहै॥

उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना,
चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।
कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई,
जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै॥

माता पुनि बोली, सो मति डोली,
तजहु तात यह रूपा।
कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला,
यह सुख परम अनूपा॥

सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना,
होइ बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं,
ते न परहिं भवकूपा॥

भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम
श्री राम, जय राम, जय जय राम

Bhaye Pragat Kripala, Deen Dayala
Bhaye Pragat Kripala, Deen Dayala

भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी॥

Shri Ramchandra Kripalu Bhajman – Lyrics in Hindi with Meaning


श्री राम स्तुति – श्रीरामचन्द्र कृपालु भज मन – अर्थसहित

श्रीरामचन्द्र कृपालु भज मन
हरण भवभय दारुणम्।
नवकंज-लोचन कंज-मुख
कर-कंज पद-कंजारुणम्॥
  • श्रीरामचन्द्र कृपालु भज मन – हे मन, कृपालु (कृपा करनेवाले, दया करनेवाले) भगवान श्रीरामचंद्रजी का भजन कर
  • हरण भवभय दारुणम्। – वे संसार के जन्म-मरण रूप दारुण भय को दूर करने वाले है
    – दारुण: कठोर, भीषण, घोर (frightful, terrible)
  • नवकंज-लोचन – उनके नेत्र नव-विकसित कमल के समान है
  • कंज-मुखमुख कमल के समान हैं
  • कर-कंजहाथ (कर) कमल के समान हैं
  • पद-कंजारुणम्॥चरण (पद) भी कमल के समान हैं
कंदर्प अगणित अमित छबि,
नव नील नीरज सुन्दरम्।
पटपीत मानहुं तड़ित रूचि-शुची,
नौमि जनक सुतावरम्॥
  • कंदर्प अगणित अमित छबि – उनके सौंदर्य की छ्टा अगणित (असंख्य, अनगिनत) कामदेवो से बढ़कर है
  • नव नील नीरज सुन्दरम् – उनका नवीन नील नीरज (कमल, सजल मेघ) जैसा सुंदर वर्ण है
  • पटपीत मानहुं तड़ित रूचि-शुची – पीताम्बर मेघरूप शरीर मानो बिजली के समान चमक रहा है
  • नौमि जनक सुतावरम् – ऐसे पावनरूप जानकीपति श्रीरामजी को मै नमस्कार करता हूँ
भज दीन बन्धु दिनेश
दानव दैत्यवंश निकन्दनम्।
रघुनन्द आनंदकंद कोशल चन्द
दशरथ नन्दनम्॥
  • भजु दीन बन्धु दिनेश – हे मन, दीनो के बंधू, सुर्य के समान तेजस्वी
  • दानव दैत्यवंश निकन्दनम् – दानव और दैत्यो के वंश का नाश करने वाले
  • रघुनन्द आनंदकंद कोशल चन्द – आनन्दकंद, कोशल-देशरूपी आकाश मे निर्मल चंद्र्मा के समान
  • दशरथ नन्दनम्दशरथनंदन श्रीराम (रघुनन्द) का भजन कर
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु,
उदारु अङ्ग विभूषणम्।
आजानुभुज शर चापधर
सङ्ग्राम-जित-खर दूषणम्॥
  • सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु – जिनके मस्तक पर रत्नजडित मुकुट, कानो मे कुण्डल, मस्तक पर तिलक और
  • उदारु अङ्ग विभूषणम् – प्रत्येक अंग मे सुंदर आभूषण सुशोभित हो रहे है
  • आजानुभुज – जिनकी भुजाए घुटनो तक लम्बी है और
  • शर चापधर – जो धनुष-बाण लिये हुए है.
  • सङ्ग्राम-जित-खर दूषणम् – जिन्होने संग्राम मे खर-दूषण को जीत लिया है
इति वदति तुलसीदास,
शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम हृदयकंज निवास कुरु,
कामादि खलदल गंजनम्॥
  • इति वदति तुलसीदासतुलसीदासजी प्रार्थना करते है कि
  • शंकर शेष मुनि मन रंजनम् – शिव, शेष और मुनियो के मन को प्रसन्न करने वाले
  • मम हृदयकंज निवास कुरु – श्रीरघुनाथजी मेरे ह्रदय कमल मे सदा निवास करे जो
  • कामादि खलदल गंजनम्कामादि (काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह) शत्रुओ का नाश करने वाले है
मनु जाहीं राचेउ मिलिहि सो बरु
सहज सुन्दर साँवरो।
करुना निधान सुजान सीलु
सनेहु जानत रावरो॥
  • मनु जाहीं राचेउ मिलिहि सो बरु – जिसमे तुम्हारा मन अनुरक्त हो गया है, वही वर (श्रीरामचंद्रजी) तुमको मिलेगा
  • सहज सुन्दर साँवरो – वह स्वभाव से सहज, सुंदर और सांवला है
  • करुना निधान सुजान सीलु – वह करुणा निधान (दया का खजाना), सुजान (सर्वज्ञ, सब जाननेवाला), शीलवान है
  • सनेहु जानत रावरो – तुम्हारे स्नेह को जानता है
एही भांति गोरी असीस सुनी
सिय सहित हिय हरषीं अली।
तुलसी भावानिह पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मंदिर चली॥
  • सिय सहित हिय हरषीं अलीजानकीजी समेत सभी सखियाँ ह्रदय मे हर्षित हुई
  • एही भांति गोरी असीस सुनी – इस प्रकार श्रीगौरीजी का आशीर्वाद सुनकर

(इस प्रकार श्रीगौरीजी का आशीर्वाद सुनकर जानकीजी समेत सभी सखियाँ ह्रदय मे हर्षित हुई)

  • तुलसी भावानिह पूजी पुनि-पुनितुलसीदासजी कहते है, भवानीजी को बार-बार (पुनि-पुनि) पूजकर
  • मुदित मन मंदिर चली – सीताजी प्रसन्न मन से राजमहल को लौट चली।

॥सियावर रामचंद्र की जय॥

श्री भए प्रगट कृपाला – अर्थ सहित पढ़ने के लिए:
भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।
जब कृपा के सागर कौशल्या के हितकारी दीनदयालु प्रभु प्रकट हुए, तब उनका अद्भुत स्वरुप देखकर माता कौशल्या परम प्रसन्न हुई।
राम आरती – अर्थ सहित

श्रीरामचन्द्र कृपालु भज मन – श्री राम आरती

श्रीरामचन्द्र कृपालु भज मन
हरण भवभय दारुणम्।
नवकंज-लोचन कंज-मुख
कर-कंज पद-कंजारुणम्॥

कंदर्प अगणित अमित छबि,
नव नील नीरज सुन्दरम्।
पटपीत मानहुं तड़ित रूचि-शुची,
नौमि जनक सुतावरम्॥

श्रीरामचन्द्र कृपालु भज मन
हरण भवभय दारुणम्।


भजु दीन बन्धु दिनेश
दानव दैत्यवंश निकन्दनम्।
रघुनन्द आनंदकंद कोशल चन्द
दशरथ नन्दनम्॥

श्रीरामचन्द्र कृपालु भज मन
हरण भवभय दारुणम्।

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु,
उदारु अङ्ग विभूषणम्।
आजानुभुज शर चापधर
सङ्ग्राम-जित-खर दूषणम्॥

श्रीरामचन्द्र कृपालु भज मन
हरण भवभय दारुणम्।


इति वदति तुलसीदास,
शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम हृदयकंज निवास कुरु,
कामादि खलदल गंजनम्॥

श्रीरामचन्द्र कृपालु भज मन
हरण भवभय दारुणम्।


मनु जाहीं राचेउ मिलिहि सो बरु
सहज सुन्दर साँवरो।
करुना निधान सुजान सीलु
सनेहु जानत रावरो॥

श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन
हरण भवभय दारुणम्।


एही भांति गोरी असीस सुनी
सिय सहित हिय हरषीं अली।
तुलसी भावानिह पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मंदिर चली॥

श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन
हरण भवभय दारुणम्।


जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल बाम
अंग फरकन लगे॥

श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन
हरण भवभय दारुणम्।

॥सियावर रामचंद्र की जय॥


Shri Ramchandra Kripalu Bhajman

Lata Mangeshkar


Ram Bhajan



Raghupati Raghav Raja Ram – Shri Ram Dhun – Lyrics in Hindi


रघुपति राघव राजाराम

रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम।

रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम।
सीताराम सीताराम,
भज मन प्यारे सीताराम॥

रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम॥


ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,
सब को सन्मति दे भगवान।
रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम॥


जय रघुनंदन जय सिया राम
जानकी वल्लभ सीताराम।
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम॥


रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम।
सीताराम सीताराम,
भज मन प्यारे सीताराम॥

रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम॥

Original Lyrics of Raghupati Raghav Raja Ram:

श्री लक्ष्मणाचार्य द्वारा लिखित श्री नम: रामायणम् से

रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम।

सुंदर विग्रह मेघश्याम
गंगा तुलसी शालग्राम॥


भद्रगिरीश्वर सीताराम
भगत-जनप्रिय सीताराम।

जानकीरमणा सीताराम
जयजय राघव सीताराम॥


रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम॥

रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम॥


Raghupati Raghav Raja Ram – Shri Ram Dhun

Hari Om Sharan


Prayer Songs – Prayers



Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram Mantra – 108


Ram Bhajan

श्री राम, जय राम, जय जय राम मंत्र


राम मंत्र की महिमा

राम नाम मनीदीप धरु,
जीह देहरी द्वार।
तुलसी भीतर बाहरेहुँ,
जौं चाहसि उजियार॥ – तुलसीदास


अर्थ:

  • राम नाम मनीदीप धरु – तुलसीदासजी कहते है की रामनामरूपी मणिदीप
    • मनीदीप – ऐसा दीपक जो हवाके झोंके अथवा तेलकी कमीसे कभी न बुझनेवाला और नित्य प्रकाशमय है
  • जीह देहरी द्वार – मुखरूपी दरवाजेकी देहलीज पर रख दो (अर्थात जिव्हा से – जीभ से – सतत राम नाम का जाप करते रहो)
  • तुलसी भीतर बाहरेहुँ – यदि तू भीतर ( अर्थात मन में) और बाहर दोनों ओर
  • जौं चाहसि उजियारप्रकाश चाहता है तो
  • अर्थात लौकिक एवं पारमार्थिक ज्ञान के लिए जीभके द्वारा अखंडरूपसे श्रीराम नामका जाप करते रहो।

श्री राम, जय राम, जय जय राम मंत्र – 108 बार

1. श्री राम, जय राम, जय जय राम
2. श्री राम, जय राम, जय जय राम
3. श्री राम, जय राम, जय जय राम
4. श्री राम, जय राम, जय जय राम


5. श्री राम, जय राम, जय जय राम
6. श्री राम, जय राम, जय जय राम
7. श्री राम, जय राम, जय जय राम
8. श्री राम, जय राम, जय जय राम


9. श्री राम, जय राम, जय जय राम
10. श्री राम, जय राम, जय जय राम
11. श्री राम, जय राम, जय जय राम
12. श्री राम, जय राम, जय जय राम


13. श्री राम, जय राम, जय जय राम
14. श्री राम, जय राम, जय जय राम
15. श्री राम, जय राम, जय जय राम
16. श्री राम, जय राम, जय जय राम


17. श्री राम, जय राम, जय जय राम
18. श्री राम, जय राम, जय जय राम
19. श्री राम, जय राम, जय जय राम
20. श्री राम, जय राम, जय जय राम


21. श्री राम, जय राम, जय जय राम
22. श्री राम, जय राम, जय जय राम
23. श्री राम, जय राम, जय जय राम
24. श्री राम, जय राम, जय जय राम


25. श्री राम, जय राम, जय जय राम
26. श्री राम, जय राम, जय जय राम
27. श्री राम, जय राम, जय जय राम
28. श्री राम, जय राम, जय जय राम


29. श्री राम, जय राम, जय जय राम
30. श्री राम, जय राम, जय जय राम
31. श्री राम, जय राम, जय जय राम
32. श्री राम, जय राम, जय जय राम


33. श्री राम, जय राम, जय जय राम
34. श्री राम, जय राम, जय जय राम
35. श्री राम, जय राम, जय जय राम
36. श्री राम, जय राम, जय जय राम


37. श्री राम, जय राम, जय जय राम
38. श्री राम, जय राम, जय जय राम
39. श्री राम, जय राम, जय जय राम
40. श्री राम, जय राम, जय जय राम


41. श्री राम, जय राम, जय जय राम
42. श्री राम, जय राम, जय जय राम
43. श्री राम, जय राम, जय जय राम
44. श्री राम, जय राम, जय जय राम


45. श्री राम, जय राम, जय जय राम
46. श्री राम, जय राम, जय जय राम
47. श्री राम, जय राम, जय जय राम
48. श्री राम, जय राम, जय जय राम


49. श्री राम, जय राम, जय जय राम
50. श्री राम, जय राम, जय जय राम
51. श्री राम, जय राम, जय जय राम
52. श्री राम, जय राम, जय जय राम


53. श्री राम, जय राम, जय जय राम
54. श्री राम, जय राम, जय जय राम
55. श्री राम, जय राम, जय जय राम
56. श्री राम, जय राम, जय जय राम


57. श्री राम, जय राम, जय जय राम
58. श्री राम, जय राम, जय जय राम
59. श्री राम, जय राम, जय जय राम
60. श्री राम, जय राम, जय जय राम


61. श्री राम, जय राम, जय जय राम
62. श्री राम, जय राम, जय जय राम
63. श्री राम, जय राम, जय जय राम
64. श्री राम, जय राम, जय जय राम


65. श्री राम, जय राम, जय जय राम
66. श्री राम, जय राम, जय जय राम
67. श्री राम, जय राम, जय जय राम
68. श्री राम, जय राम, जय जय राम


69. श्री राम, जय राम, जय जय राम
70. श्री राम, जय राम, जय जय राम
71. श्री राम, जय राम, जय जय राम
72. श्री राम, जय राम, जय जय राम


73. श्री राम, जय राम, जय जय राम
74. श्री राम, जय राम, जय जय राम
75. श्री राम, जय राम, जय जय राम
76. श्री राम, जय राम, जय जय राम


77. श्री राम, जय राम, जय जय राम
78. श्री राम, जय राम, जय जय राम
79. श्री राम, जय राम, जय जय राम
80. श्री राम, जय राम, जय जय राम


81. श्री राम, जय राम, जय जय राम
82. श्री राम, जय राम, जय जय राम
83. श्री राम, जय राम, जय जय राम
84. श्री राम, जय राम, जय जय राम


85. श्री राम, जय राम, जय जय राम
86. श्री राम, जय राम, जय जय राम
87. श्री राम, जय राम, जय जय राम
88. श्री राम, जय राम, जय जय राम


89. श्री राम, जय राम, जय जय राम
90. श्री राम, जय राम, जय जय राम
91. श्री राम, जय राम, जय जय राम
92. श्री राम, जय राम, जय जय राम


93. श्री राम, जय राम, जय जय राम
94. श्री राम, जय राम, जय जय राम
95. श्री राम, जय राम, जय जय राम
96. श्री राम, जय राम, जय जय राम


97. श्री राम, जय राम, जय जय राम
98. श्री राम, जय राम, जय जय राम
99. श्री राम, जय राम, जय जय राम
100. श्री राम, जय राम, जय जय राम


101. श्री राम, जय राम, जय जय राम
102. श्री राम, जय राम, जय जय राम
103. श्री राम, जय राम, जय जय राम
104. श्री राम, जय राम, जय जय राम


105. श्री राम, जय राम, जय जय राम
106. श्री राम, जय राम, जय जय राम
107. श्री राम, जय राम, जय जय राम
108. श्री राम, जय राम, जय जय राम

Ram Bhajans

Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram Mantra – 108

Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram Mantra – 108


1. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
2. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
3. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
4. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


5. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
6. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
7. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
8. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


9. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
10. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
11. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
12. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


13. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
14. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
15. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
16. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


17. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
18. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
19. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
20. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


21. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
22. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
23. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
24. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


25. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
26. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
27. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
28. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


29. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
30. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
31. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
32. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


33. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
34. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
35. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
36. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


37. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
38. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
39. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
40. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


41. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
42. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
43. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
44. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


45. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
46. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
47. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
48. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


49. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
50. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
51. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
52. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


53. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
54. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
55. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
56. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


57. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
58. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
59. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
60. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


61. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
62. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
63. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
64. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


65. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
66. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
67. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
68. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


69. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
70. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
71. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
72. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


73. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
74. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
75. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
76. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


77. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
78. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
79. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
80. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


81. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
82. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
83. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
84. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


85. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
86. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
87. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
88. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


89. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
90. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
91. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
92. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


93. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
94. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
95. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
96. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


97. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
98. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
99. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
100. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


101. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
102. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
103. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
104. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram


105. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
106. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
107. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram
108. Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram

Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram Mantra – 108
Shri Ram, Jay Ram, Jay Jay Ram Mantra – 108

Ram Bhajans


Shri Ram Janki Baithe Hai Mere Seene Mein – Lyrics in Hindi


श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में

श्री रामचंद्रजी महाराज के भरे दरबार में,
विभीषणने ताना मारा –
ऐ बजरंगी, क्या तेरे मन में भी राम है?

हनुमानजी नेश्री राम का नाम लिया
और सीना फाड़ा,
बोले ले देख –
== जय श्री राम ==

Jai Shree Ram

नहीं चलाओ बाण व्यंग के, ऐ विभीषण,
ताना ना सह पाऊं।
क्यों तोड़ी है यह माला,
तुझे ऐ लंकापति बतलाऊं॥

मुझ में भी है, तुझ में भी है,
सब में है समझाऊं।
ऐ लंकापति विभीषण, ले देख,
मैं तुझ को आज दिखाऊं॥

और वीर बजरंगी ने सीना चीर दिया और बोले ले देख
== जय श्री राम ==


श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
देख लो मेरे दिल के नगिनें में।

देख लो मेरे दिल के नगिनें में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में॥
मेरे राम…


(ऐ विभीषण)
मुझ को कीर्ति न वैभव, न यश चाहिए,
राम के नाम का मुझ को रस चाहिए।
सुख मिले ऐसे अमृत को पीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में॥
मेरे राम…


राम रसिया हूँ मैं, राम सुमिरन करू,
सिया-राम का सदा ही मै चिंतन करू।
अनमोल कोई भी चीज मेरे काम की नहीं
दिखती अगर उसमे छवि सिया राम की नहीं॥

राम रसिया हूँ मैं, राम सुमिरन करू,
सिया-राम का सदा ही मै चिंतन करू।
सच्चा आंनंदहै ऐसे जीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में॥

फाड़ सीना हैं सब को यह दिखला दिया,
भक्ति में मस्ती हैं, बेधड़क दिखला दिया।
कोई मस्ती ना सागर मीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में॥


श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
देख लो मेरे दिल के नगिनें में।
देख लो मेरे दिल के नगिनें में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में॥
मेरे राम…


Shri Ram Janki Baithe Hai Mere Seene Mein

Lakhbir Singh Lakha


Ram Bhajan



Ram Naam ke Heere Moti – Krishna Naam ke – Lyrics in Hindi


राम नाम के हीरे मोती, कृष्ण नाम के हीरे मोती

राम नाम के हीरे मोती,
मैं बिखराऊँ गली गली
कृष्ण नाम के हीरे मोती,
मैं बिखराऊँ गली गली

ले लो रे कोई राम का प्यारा,
शोर मचाऊँ गली गली
ले लो रे कोई श्याम का प्यारा,
शोर मचाऊँ गली गली


माया के दीवानों सुन लो,
एक दिन ऐसा आएगा
धन दौलत और माल खजाना,
यही पड़ा रह जायेगा

सुन्दर काया मिट्टी होगी,
चर्चा होगी गली गली

ले लो रे कोई राम का प्यारा,
शोर मचाऊँ गली गली
ले लो रे कोई श्याम का प्यारा,
शोर मचाऊँ गली गली

राम नाम के हीरे मोती,
मैं बिखराऊँ गली गली
कृष्ण नाम के हीरे मोती,
मैं बिखराऊँ गली गली


क्यों करता तू मेरा मेरी,
यह तो तेरा मकान नहीं
झूठे जन में फंसा हुआ है,
वह सच्चा इंसान नहीं

जग का मेला दो दिन का है,
अंत में होगी चला चली

ले लो रे कोई राम का प्यारा,
शोर मचाऊँ गली गली
ले लो रे कोई श्याम का प्यारा,
शोर मचाऊँ गली गली

राम नाम के हीरे मोती,
मैं बिखराऊँ गली गली
कृष्ण नाम के हीरे मोती,
मैं बिखराऊँ गली गली


जिन जिन ने यह मोती लुटे,
वह तो माला माल हुए
धन दौलत के बने पुजारी,
आखिर वह कंगाल हुए

चांदी सोने वालो सुन लो,
बात सुनाऊँ खरी खरी

ले लो रे कोई राम का प्यारा,
शोर मचाऊँ गली गली
ले लो रे कोई श्याम का प्यारा,
शोर मचाऊँ गली गली

राम नाम के हीरे मोती,
मैं बिखराऊँ गली गली
कृष्ण नाम के हीरे मोती,
मैं बिखराऊँ गली गली


दुनिया को तू कब तक पगले,
अपनी कहलायेगा
ईश्वर को तू भूल गया है,
अंत समय पछतायेगा

दो दिन का यह चमन खिला है,
फिर मुरझाये कलि कलि

ले लो रे कोई राम का प्यारा,
शोर मचाऊँ गली गली
ले लो रे कोई श्याम का प्यारा,
शोर मचाऊँ गली गली

राम नाम के हीरे मोती,
मैं बिखराऊँ गली गली
कृष्ण नाम के हीरे मोती,
मैं बिखराऊँ गली गली


राम नाम के हीरे मोती,
मैं बिखराऊँ गली गली
कृष्ण नाम के हीरे मोती,
मैं बिखराऊँ गली गली

ले लो रे कोई राम का प्यारा,
शोर मचाऊँ गली गली
ले लो रे कोई श्याम का प्यारा,
शोर मचाऊँ गली गली

बोलो राम राम राम, बोलो राम राम राम
बोलो राम राम राम, बोलो राम राम राम
बोलो राम राम राम, बोलो राम राम राम


Ram Naam ke Heere Moti – Krishna Naam ke Hire Moti

Shri Mridul Krishna Shastri


Ram Bhajan



Suraj Ki Garmi Se Jalte Huye Tan Ko – Lyrics in Hindi


सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को

जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को
मिल जाये तरुवर की छाया।

जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को
मिल जाये तरुवर की छाया।
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है,
मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम॥

सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को
मिल जाये तरुवर की छाया।


भटका हुआ मेरा मन था कोई
मिल ना रहा था सहारा।
लहरों से लडती हुई नाव को जैसे,
मिल ना रहा हो किनारा।

उस लडखडाती हुई नाव को जो
किसी ने किनारा दिखाया।
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है,
मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम॥

सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को
मिल जाये तरुवर की छाया


शीतल बने आग चन्दन के जैसी
राघव कृपा हो जो तेरी।
उजयाली पूनम की हो जाये राते
जो थी अमावस अँधेरी॥

युग युग से प्यासी मुरुभूमि ने
जैसे सावन का संदेस पाया।
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है,
मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम॥

सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को
मिल जाये तरुवर की छाया


जिस राह की मंजिल तेरा मिलन हो
उस पर कदम मैं बढ़ाऊं।
फूलों मे खारों मे, पतझड़ बहारो मे
मैं ना कभी डगमगाऊँ॥

पानी के प्यासे को तकदीर ने
जैसे जी भर के अमृत पिलाया।
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है,
मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम॥

सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को
मिल जाये तरुवर की छाया।
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है,
मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम॥

सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को
मिल जाये तरुवर की छाया।


Suraj Ki Garmi Se Jalte Huye Tan Ko

1. Sharma Bandhu – fim: Parinay (1974)

2. Anup Jalota


Prayer Songs – Prayers



Hey Ram, Hey Ram, Jag Me Sacho Tera Naam – Lyrics in Hindi


हे राम, हे राम, जग में सांचो तेरो नाम

हे राम, हे राम – हे राम, हे राम
जग में सांचो तेरो नाम
हे राम, हे राम – हे राम, हे राम


तू ही माता, तू ही पिता है
तू ही तो है राधा का श्याम
हे राम, हे राम – हे राम, हे राम


तू अंतर्यामी, सबका स्वामी
तेरे चरणों में चारो धाम
हे राम, हे राम – हे राम, हे राम


तू ही बिगाड़े, तू ही संवारे
इस जग के सारे काम
हे राम, हे राम – हे राम, हे राम


तू ही जगदाता, विश्वविधाता
तू ही सुबह, तू ही शाम
हे राम, हे राम – हे राम, हे राम


हे राम, हे राम – हे राम, हे राम
जग में सांचो तेरो नाम
हे राम, हे राम – हे राम, हे राम


Hey Ram, Hey Ram, Jag Me Sacho Tera Naam

Jagjit Singh


Ram Bhajan



राम नाम जप

नामकी महिमा अपार है। यह भगवानकी प्रत्यक्ष विभूति है। नामजपके अमित प्रभावसे डाकू रत्नाकर महर्षि वाल्मीकि बन गये।

आशुतोष भगवान् शंकरने नामजपके प्रभावसे ही हलाहलको कण्ठमें धारण कर लिया और नीलकण्ठ बनकर संसारको भस्मीभूत होनेसे बचा लिया।

भगवन्नामकी ऐसी अपार महिमाको समझकर जो नाम-जपका आश्रय लेते हैं, उनका यह लोक और परलोक दोनों आनन्दसे परिपूर्ण हो जाते हैं।

नामके प्रभावसे असंख्य साधकोंको चमत्कारमयी सिद्धियाँ प्राप्त हुईं। साधारण मानव यदि महान् विपत्तियों और दुर्निवार संकटोंके आनेपर भगवन्नाम स्मरणका सहारा ले तो निश्चय ही उसको संकटोंसे मुक्ति मिल जाती है।

नामजपके प्रभावसे ही भक्तशिरोमणि बालक प्रह्लादको धधकती हुई ज्वाला भस्म नहीं कर सकी, बालक ध्रुवको अविचल पदवी प्राप्त हुई।

नामजपके प्रभावसे महावीर हनुमानजीने रामको अपना ऋणिया बनाकर अपने वशमें कर लिया।

इस घोर कलिकालमें भी जो बड़भागी भगवन्नामका आश्रय नहीं छोड़ते, उनके सभी शास्त्रानुमोदित कार्य सफल होते हैं । भगवन्नामके प्रभावसे माता और पिताकी भाँति सदैव उनकी अलक्षित रूपसे सुरक्षा होती रहती है।

मानव-जीवनके कल्याणका सर्वसुलभ एवं सर्वोत्तम साधन नामजप ही है। इसलिए तापसंतप्त मानवके लिये ईश्वरके नाम जापसे अधिक सरल सुगम कोई अन्य उपाय और साधन नहीं है।

नामजपकी अपार महिमाका वर्णन लेखनी और वाणीसे सम्भव नहीं है। उसकी सुखद अनुभूति तो इस पथके पथिकको अर्थात भक्तिपूर्वक नाम जप करनेवाले को ही हो सकती है।


Ram Bhajan



Shanta Karam Bhujaga Shayanam – Hindi + Meaning


Krishna Bhajan

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं – अर्थ सहित


शान्ताकारं भुजग-शयनं
पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगन-सदृशं
मेघवर्ण शुभाङ्गम्।


लक्ष्मीकान्तं कमल-नयनं
योगिभिर्ध्यानगम्यम्
(योगिभिर – ध्यान – गम्यम्)

वन्दे विष्णुं भवभय-हरं
सर्वलोकैक-नाथम्॥

Shanta karam Bhujaga shayanam – Meaning in Hindi

शान्ताकारं भुजग-शयनं
पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं
मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
  • शान्ताकारं – जिनकी आकृति अतिशय शांत है, वह जो धीर क्षीर गंभीर हैं,
  • भुजग-शयनं – जो शेषनाग की शैया पर शयन किए हुए हैं (विराजमान हैं),
  • पद्मनाभं – जिनकी नाभि में कमल है,
  • सुरेशं जो ‍देवताओं के भी ईश्वर और
  • विश्वाधारं जो संपूर्ण जगत के आधार हैं, संपूर्ण विश्व जिनकी रचना है,
  • गगन-सदृशं जो आकाश के सदृश सर्वत्र व्याप्त हैं,
  • मेघवर्ण नीलमेघ के समान जिनका वर्ण है,
  • शुभाङ्गम् अतिशय सुंदर जिनके संपूर्ण अंग हैं, जो अति मनभावन एवं सुंदर है

लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं
योगिभिर्ध्यानगम्यम्
(योगिभिर – ध्यान – गम्यम्)वन्दे विष्णुं भवभयहरं
सर्वलोकैकनाथम्॥
  • लक्ष्मीकान्तं ऐसे लक्ष्मीपति,
  • कमल-नयनं कमलनेत्र (जिनके नयन कमल के समान सुंदर हैं)
  • योगिभिर्ध्यानगम्यम् – (योगिभिर – ध्यान – गम्यम्) – जो योगियों द्वारा ध्यान करके प्राप्त किए जाते हैं, (योगी जिनको प्राप्त करने के लिया हमेशा ध्यानमग्न रहते हैं)
  • वन्दे विष्णुं – भगवान श्रीविष्णु को मैं प्रणाम करता हूँ (ऐसे परमब्रम्ह श्री विष्णु को मेरा नमन है)
  • भवभय-हरं जो जन्म-मरण रूप भय का नाश करने वाले हैं, जो सभी भय को नाश करने वाले हैं
  • सर्वलोकैक-नाथम् – जो संपूर्ण लोकों के स्वामी हैं, सभी चराचर जगत के ईश्वर हैं

Krishna Bhajans

Shanta Karam Bhujaga Shayanam

Anuradha Paudwal

Shantakaram Bhujaga Shayanam – Prayer to Lord Vishnu

Shanta-karam Bhujaga-shayanam,
Padmanabham Suresham.
Vishva-dharam Gagana-sadrusham,
Megha-varnam Shubhangam.


Lakshmi-kantam Kamala nayanam,
Yogibhir Dhyana Gamyam.
Vande Vishnum Bhava Bhaya Haram,
Sarva Lokaikanatham.