Importance of Prayer


प्रार्थना के लाभ

प्रार्थनासे बुद्धि शुद्ध होती है। देवताओंकी प्रार्थनासे दैवीशक्ति प्राप्त होती है। द्रौपदीकी प्रार्थनासे सूर्य-भगवान्‌ने दिव्य बटलोई दी थी। नल-नीलको प्रार्थनासे पत्थर तैरानेकी शक्ति प्राप्त हुई थी।

महात्मा तुलसीदासजीको श्रीपवनसुत हनुमानजीसे प्रार्थना करनेपर भगवान् रामके दर्शन हुए। भगवान्‌से प्रार्थना करनेपर डाकू रत्नाकर की बुद्धि अत्यन्त शुद्ध हो गयी। वे वाल्मीकि ऋषिके नामसे प्रसिद्ध हुए और भगवान् श्रीरामचन्द्रजीने उनको साष्टांग दण्डवत् प्रणाम किया।
वर्तमान समयमें भी प्रार्थनासे लाभ उठानेवाले बहुत लोग हो चुके है और अब भी है।


प्रार्थना करनेसे शारीरिक क्लेशोका भी शमन होता है। प्रातःस्मरणीय गोस्वामी तुलसीदासजीकी बाँहमें असहनीय पीड़ा हो रही थी, श्रीहनुमान्‌जीसे प्रार्थना करनेपर अर्थात् उन्हें “हनुमान-बाहुक” सुनाते ही सारी पीड़ा शान्त हो गयी।
प्रार्थनासे कामना की पूर्ती होती है। राजा मनुकी प्रार्थनापर भगवान्‌ने पुत्ररूपसे उनके गृहमें अवतार लेनेकी स्वीकृति दी। सत्यनारायणकी कथामें लिखा है कि दरिद्र लकड़हारेकी प्रार्थनापर भगवान्‌ने उसे संपत्तिशाली बना दिया।

प्रार्थना और एकता

प्रार्थनाके द्वारा मनुष्यमें परस्पर प्रेम उत्पन्न होता है। प्रार्थना एकताके लिये सुदृढ़ सूत्र है।
इंटके टुकड़ों तथा बालूसे मन्दिर बनाना असम्भव-सा है। पर यदि उसमें सीमेंट मिला दी जाय तो सभी बालुके कण एवं इंटे एक शिलाके समान जुड़ जाती हैं।
वर्तमान समयमें देखा गया है कि मनुष्यके जिन समुदायोंमें निश्वित प्रार्थना निश्चित समय और निश्वित स्थानपर होती है, ऐसे समुदायोंको तोड़नेके लिये बड़ी-बड़ी प्रबल शक्तियाँ जुटी, परंतु उन्हें भिन्न करनेमें असमर्थ सिद्ध हुइँ। वर्तमान युगमें भी ऐसी घटनाएँ हो चुकी है, प्राचीनकालमें भी हुई हैं।
एक समय रावाणादी सक्षसोंके घोर उपद्रवसे त्रस्त होकर दैवी स्वभावके प्राणी – सुर, मुनि; गन्धर्व आदि हिमालयकी कन्दराओंमें छिप गए और उन्होंने एक सभाका आयोजन किया, जिसमें आशुतोष भगवान् शंकर भी पधारे थे।
देवता सोचने लगे – ‘आसुरी समुदाय दैवीसमुदायको नष्ट करनेपर तुला हुआ है। उससे मुक्ति पानेके लिये किस साधन को अपनाया जाय? हम सब दीन, हीन, असहाय दीनबंधु भगवान्‌को कहा द्वँढें? परिणाम यह हुआ कि सभामें कई भिन्न मत हो गये। इस विघटनकी दशाको देरवकर भगवान् शंकर बोले
शंकरजीने बताया कि ‘ऐसे विकट समयमें भगवानको ढूंढने कोई कहीं न जाय। सब सम्मिलित होकर आर्त हृदय-से भावपूर्ण एक ही प्रार्थना एक साथ करें। भक्तवत्सल भगवान् तुरंतही आश्वासन देंगे। यह मत सभीको अच्छा लगा और सभी नेत्रोंमें जल भरे हुए तथा अश्रुबिन्दु गिराते हुए गद्‌गद कंठसे करबद्ध होकर ‘जय जय सुरनायक‘ आदि प्रार्थना करने लगे –
प्रार्थना समाप्त हुई कि तुरत आकाशवाणी हुई। ब्रह्माजी सबको शिक्षा तथा आश्वासन देकर तथा देवताओं से यह कहकर ब्रह्मलोकको चले गये कि – तुमलोग वानररूप धारणकर सुसंगठित हो भगवान्‌का भजन करते हुए पृथ्वीपर रहो।’ प्रार्थना सफल हुई, मर्यादा-पुरुषोत्तम भगवान् श्री-रामचन्द्रजीका अवतार हुआ। देवता, गौएँ, ऋषि; मुनि, पृथ्वी, भक्त समाज-सब सुखी और परमधामके अधिकारी हुए।

प्रार्थना में अपार शक्ति है

प्रार्थनासे कितना लाभ हो सकता है अथवा प्रार्थनाका कितना महत्त्व है – यह लिखा नही जा सकता।
प्रार्थनाके द्वारा मृत आत्माओंको शान्ति मिलती है; जिसकी प्रथा आज भी बड़ी-बड़ी सभाओंमें देख पड़ती है। किसी महापुरुषके देहावसान हो जानेपर दो-चार मिनट मृतात्माकी शान्तिके लिये सभाओंमें सामूहिक प्रार्थना की जाती है।
प्रार्थनाके उपासक महात्मा गांधी, महामना मालवीयजी आदि धार्मिक-राजनीतिक नेताओंका अधिक स्वास्थ्य बिगड़नेपर जब-जब समाजमें प्रार्थना की गयी, तब तब लाभ प्रतीत हुआ। और भी अनेकों उदाहरण हैं।


प्रार्थनामें विश्वासकी प्रधानता है। प्रार्थना हृदयसे होनी चाहिये। निरन्तर, आदरपूर्वक, दीर्घकालतक होनेसे वह सफल होती है।
इष्टदेवको सुनानेके लिये प्रार्थना करनी चाहिये, जनताको सुनानेकी दृष्टिसे नहीं।
प्रार्थनासे आस्तिकता बढती है। आस्तिकतासे मनुष्योंकी पापमें प्रवृत्ति नही होती। दुराचार- के नाश और सदाचारकी वृद्धिसे समाजमें दरिद्रता, कलह, शारीरिक रोग, चरित्र-पतन समाप्त होकर परस्पर प्रेम, आरोग्य, सुख सम्पत्तिकी वृद्धि होती।
अतएव मनुष्य को अपना जीवन सुव्यवस्थित बनाने के लिये प्रार्थनाको मुख्या स्थान देना ही चाहिए।

Suraj Ki Garmi Se Jalte Huye Tan Ko – Lyrics in Hindi


सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को

जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को
मिल जाये तरुवर की छाया।

जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को
मिल जाये तरुवर की छाया।
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है,
मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम॥

सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को
मिल जाये तरुवर की छाया।


भटका हुआ मेरा मन था कोई
मिल ना रहा था सहारा।
लहरों से लडती हुई नाव को जैसे,
मिल ना रहा हो किनारा।

उस लडखडाती हुई नाव को जो
किसी ने किनारा दिखाया।
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है,
मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम॥

सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को
मिल जाये तरुवर की छाया


शीतल बने आग चन्दन के जैसी
राघव कृपा हो जो तेरी।
उजयाली पूनम की हो जाये राते
जो थी अमावस अँधेरी॥

युग युग से प्यासी मुरुभूमि ने
जैसे सावन का संदेस पाया।
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है,
मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम॥

सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को
मिल जाये तरुवर की छाया


जिस राह की मंजिल तेरा मिलन हो
उस पर कदम मैं बढ़ाऊं।
फूलों मे खारों मे, पतझड़ बहारो मे
मैं ना कभी डगमगाऊँ॥

पानी के प्यासे को तकदीर ने
जैसे जी भर के अमृत पिलाया।
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है,
मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम॥

सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को
मिल जाये तरुवर की छाया।
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है,
मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम॥

सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को
मिल जाये तरुवर की छाया।


Suraj Ki Garmi Se Jalte Huye Tan Ko

1. Sharma Bandhu – fim: Parinay (1974)

2. Anup Jalota


Prayer Songs – Prayers



Bhagwan Meri Naiya Tum Paar Laga Dena – Lyrics in Hindi


भगवान मेरी नैया तुम पार लगा देना

भगवान मेरी नैया,
तुम पार लगा देना।
अब तक तो निभाया है,
आगे भी निभा देना॥

भगवान मेरी नैया,
तुम पार लगा देना

अब तक तो मै खोया था,
संसार के जालो में।
करुणा करके तुमने,
मुझे होश दिलाया है।

तेरे चरणों में हूँ पड़ा,
मुझे गोद उठा लेना॥

भगवान मेरी नैया,
तुम पार लगा देना।

मै खोज रहा था अमृत,
इन विष के प्यालो में।
एक झलक तेरी जो मिली,
तो सार ये पाया है।

माया की हर एक शय में
तू ही तो समाया है॥

भगवान मेरी नैया,
तुम पार लगा देना।

अब खेल रहा हूँ जो,
वो खेल तुम्हारा है।
अब दुनिया में कोई,
अपना न पराया है।

सब सौप दिया तुझ को
कुछ भी न बचाया है॥

भगवान मेरी नैया,
तुम पार लगा देना।
चाहे पार लगा देना या,
मंझधार फंसा देना।

भगवान मेरी नैया,
तुम पार लगा देना।

भगवान मेरी नैया,
तुम पार लगा देना।


Bhagwan Meri Naiya Tum Paar Laga Dena

Dr. Anil Joshi


Prayer Songs – Prayers



Mujhe Tune Maalik Bahut Kuch Diya Hai – Lyrics in Hindi


मुझे तूने मालिक बहुत कुछ दिया है

मुझे तूने मालिक बहुत कुछ दिया है
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है

मुझे तूने मालिक बहुत कुछ दिया है
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है


ना मिलती अगर दी हुई दात तेरी
तो क्या थी ज़माने में औकात मेरी

ये बंदा तो तेरे सहारे जिया है
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है

मुझे तूने मालिक बहुत कुछ दिया है
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है


ये जायदाद दी है, ये औलाद दी है
मुसीबत में हर वक़्त की मदद की है

तेरे ही दिया मैंने खाया पिया है
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है

मुझे तूने मालिक बहुत कुछ दिया है
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है


मेरा ही नहीं तू सभी का है दाता
सभी को सभी कुछ है देता दिलाता

जो खाली था दामन तूने भर दिया है
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है

मुझे तूने मालिक बहुत कुछ दिया है
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है


तेरी बंदगी से मै बंदा हूँ मालिक
तेरे ही करम से मै जिन्दा हूँ मालिक

तुम्ही ने तो जीने के काबिल किया है
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है

मुझे तूने मालिक बहुत कुछ दिया है
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है


मेरा भूल जाना तेरा ना भुलाना
तेरी रहमतो का कहाँ है ठिकाना

तेरी इस मोहब्बत ने पागल किया है
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है

मुझे तूने मालिक बहुत कुछ दिया है
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है


मुझे तूने मालिक बहुत कुछ दिया है
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है

सीताराम राम राम, सीताराम राम राम
सीताराम राम राम, सीताराम राम राम

सीताराम राम राम, सीताराम राम राम
सीताराम राम राम, सीताराम राम राम


Mujhe Tune Maalik Bahut Kuch Diya Hai

Prembhushan ji Maharaj


Prayer Songs – Prayers



Hum Sab Milke Aaye Data Tere Darbar – Lyrics in Hindi


हम सब मिलके आये दाता तेरे दरबार

हम सब मिलके आये दाता तेरे दरबार
भर दे झोली सबकी, तेरे पूर्ण भंडार


लेकर दिल मे फरियाद, करते हम तुमको याद
जब हो मुश्किल की घड़िया, माँगे तुम से इमदाद
सबसे बढ़के ऊँचा जग मे तेरा दरबार
भर दे झोली सबकी, तेरे पूर्ण भंडार

हम सब मिलकर आये दाता तेरे दरबार
भर दे झोली सबकी, तेरे पूर्ण भंडार


चाहे दिन हो विपरीत, होवे तुमसे ही प्रीत
सच्ची श्रद्धा से गावे, तेरी भक्ति के गीत
होवे सबका प्रभुजी तेरे चरणो मे प्यार
भर दे झोली सबकी, तेरे पूर्ण भंडार

हम सब मिलके आये दाता तेरे दरबार
भर दे झोली सबकी, तेरे पूर्ण भंडार


होवे जब संध्याकाल, होके निर्मल तत्काल
अपना मस्तक झुकाके, करके तेरा ख़याल
तेरे दर पे आकर बैठे सारा परिवार
भर दे झोली सबकी, तेरे पूर्ण भंडार

हम सब मिलके आये दाता तेरे दरबार
भर दे झोली सबकी, तेरे पूर्ण भंडार


हम सब मिलकर आये दाता तेरे दरबार
भरदे झोली सबकी, तेरे पूर्ण भंडार


Hum Sab Milke Aaye Data Tere Darbar

Sudhanshu ji Maharaj

Prembhushanji Maharaj


Prayer Songs – Prayers



Prabhu Hum Pe Kripa Karna – Lyrics in Hindi with Meanings


प्रभु हम पे कृपा करना

प्रभु हम पे कृपा करना, प्रभु हम पे दया करना

[बैकुंठ तो यही है, हृदय में रहा करना
प्रभु हम पे कृपा करना, प्रभु हम पे दया करना]


गूंजेंगे राग बनकर, वीणा की तार बनके
प्रगटोगे नाथ मेरे, ह्रदय में प्यार बनके
हर रागिनी की धुन पर, स्वर बनके उठा करना
[बैकुंठ तो यही है….]


नाचेंगे मोर बनकर, हे श्याम तेरे द्वारे
घनश्याम छाए रहना, बनकर के मेघ कारे
अमृत की धार बनकर, प्यासों पे दया करना
[बैकुंठ तो यही है….]


तेरे वियोग में हम, दिन रात है उदासी
अपनी शरण में ले लो, हे नाथ बृज के वासी
तुम सोहम शब्द बनकर, प्राणों में रमा करना
[बैकुंठ तो यही है….]


प्रभु हम पे कृपा करना, प्रभु हम पे दया करना
बैकुंठ तो यही है, हृदय में रहा करना
प्रभु हम पे कृपा करना, प्रभु हम पे दया करना


Prabhu Hum Pe Kripa Karna

Hari Om Sharan


Prayer Songs – Prayers



Krishna Bhajan



प्रभु हम पे कृपा करना प्रार्थना का आध्यात्मिक अर्थ

इस भजन की पंक्तियाँ महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और भक्तिपूर्ण अर्थ रखती हैं, जो भक्त के परमात्मा के साथ संबंध के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती हैं। ये है इन पंक्तियों का आध्यात्मिक महत्व

प्रभु हम पे कृपा करना, प्रभु हम पे दया करना

हे प्रभु, हम पर अपनी कृपा बरसाओ। हे प्रभु, हमें अपनी करुणा दिखाओ।

इन पंक्तियों में भजन का केंद्रीय संदेश है, जिसमे भक्त ईश्वर की दिव्य कृपा और करुणा के लिए प्रार्थना करता है।

आध्यात्मिक रूप से, यह मानवीय सीमाओं की पहचान और साधक को उनके आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ने और मार्गदर्शन करने के लिए दैवीय हस्तक्षेप की लालसा का प्रतीक है।

अर्थात भक्त, आध्यात्मिक विकास और ज्ञानोदय की ओर बढ़ने के लिए, दिव्य के परिवर्तनकारी और दयालु स्पर्श की तलाश करता है।

बैकुंठ तो यही है, हृदय में रहा करना

यह पंक्ति गहन आध्यात्मिक अर्थ रखती है कि परम दिव्य निवास, जिसे अक्सर “बैकुंठ” द्वारा दर्शाया जाता है, कोई बाहरी चीज़ नहीं है बल्कि हृदय के भीतर रहता है।

यह अपने भीतर दिव्य उपस्थिति को पहचानने और बाहरी गतिविधियों के बजाय आध्यात्मिकता के माध्यम से आंतरिक शांति और पूर्णता खोजने के विचार को दर्शाता है।

गूंजेंगे राग बनकर, वीणा की तार बनके

ये पंक्तियाँ प्रतीकात्मक रूप से बताती हैं कि भक्त की भक्ति और ईश्वर के लिए प्रेम, संगीत वाद्ययंत्रों के सुरीली धुनों की तरह, गुंजयमान कंपन पैदा करेगा।

यह सच्ची भक्ति की परिवर्तनकारी शक्ति का प्रतीक है, जो भक्त की चेतना को ऊपर उठाती है और उन्हें दिव्य कंपन से जोड़ती है।

प्रगटोगे नाथ मेरे, ह्रदय में प्यार बनके

ये पंक्तियाँ दिव्य अभिव्यक्ति की इच्छा और हृदय में प्रेम के खिलने के आध्यात्मिक अनुभव को व्यक्त करती हैं।

आध्यात्मिक रूप से, यह परमात्मा के साथ व्यक्तिगत संबंध की गहरी चाहत और भक्त की चेतना पर दिव्य प्रेम के परिवर्तनकारी प्रभाव का प्रतीक है।

हर रागिनी की धुन पर, स्वर बनके उठा करना

इन पंक्तियों से पता चलता है कि भक्त की भक्ति मधुर स्वर में बदल जाएगी, जिससे आत्मा का उत्थान होगा।

यह भक्त की आंतरिक स्थिति को लौकिक लय के साथ सामंजस्य का प्रतीक है।

भक्त की सच्ची भक्ति उन्हें दैवीय आदेश के साथ जोड़ती है और उनकी आध्यात्मिक यात्रा को ऊपर उठाती है।

नाचेंगे मोर बनकर, हे श्याम तेरे द्वारे

यह पंक्ति भक्ति की आनंदमय और निःसंकोच अभिव्यक्ति को दर्शाती है, इसकी तुलना मोर के मनोहर नृत्य से करती है।

यह परमात्मा की उपस्थिति में अहंकार से मुक्ति और आनंदमय समर्पण का प्रतीक है।

मोर का नृत्य भक्त के प्रेम और भक्ति की मुक्त अभिव्यक्ति का प्रतीक है।

घनश्याम छाए रहना, बनकर के मेघ कारे

ये पंक्तियाँ प्रतीकात्मक रूप से ईश्वर की तुलना एक बादल से करती हैं जो बारिश प्रदान करता है, जो आशीर्वाद और प्रचुरता का प्रतीक है।

आध्यात्मिक रूप से, यह परमात्मा के पोषण और जीवन देने वाले गुणों का प्रतीक है, जो भक्त के जीवन पर आशीर्वाद बरसाते हैं, उनकी आध्यात्मिक प्यास बुझाते हैं।

अमृत की धार बनकर, प्यासों पे दया करना

ये पंक्तियाँ उन लोगों को दिव्य कृपा का पौष्टिक और परिवर्तनकारी प्रवाह प्रदान करने की दिव्य क्षमता का प्रतीक हैं जो इसे चाहते हैं।

यह भक्त की अपनी आध्यात्मिक प्यास की पहचान और इसे बुझाने के लिए दैवीय करुणा के लिए उनकी याचना का प्रतीक है, जिससे आध्यात्मिक विकास और पूर्ति होती है।

तेरे वियोग में हम, दिन रात है उदासी

तुमसे जुदाई में. रात-दिन दु:ख रहता है। ये पंक्तियाँ आध्यात्मिक साधक की परमात्मा के प्रति गहरी चाहत और लालसा को व्यक्त करती हैं।

परमात्मा से अलगाव की तुलना दुःख की स्थिति से की जाती है, जो अपूर्णता और खालीपन की भावना का प्रतीक है जो आध्यात्मिक पूर्ति के स्रोत से अलग होने पर महसूस होता है।

अपनी शरण में ले लो, हे नाथ बृज के वासी

हे बृजवासी प्रभु, हमें अपनी शरण में ले लो। ये पंक्तियाँ साधक के समर्पण और दैवीय सुरक्षा और मार्गदर्शन की लालसा को दर्शाती हैं।

दैवीय शरण की तलाश, व्यक्तिगत अहंकार और नियंत्रण को छोड़ने की इच्छा को दर्शाती है, जिससे मनुष्य आध्यात्मिक यात्रा में आगे बढ़ सकता है।

तुम सोहम शब्द बनकर, प्राणों में रमा करना

आप सोहम् मंत्र बन जाइये, और हमारी जीवन शक्ति में निवास करें।

ये पंक्तियाँ “सोहम” मंत्र के माध्यम से परमात्मा के साथ विलय की अवधारणा को व्यक्त करती हैं, जहां “सोहम” सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत आत्मा की पहचान का प्रतीक है।

यह साधक की अपने अस्तित्व के मूल में दैवीय सार के साथ एकता का अनुभव करने की आकांक्षा को दर्शाता है।

संक्षेप में, भजन की ये पंक्तियाँ गहरा आध्यात्मिक महत्व रखती हैं, जिनमे लालसा, समर्पण, एकता, अनुग्रह और आंतरिक दिव्यता के गहन आध्यात्मिक विषय शामिल हैं। भजन के छंद भक्त को आत्म-खोज, आध्यात्मिक विकास और परमात्मा के साथ मिलन की यात्रा पर मार्गदर्शन करते हैं।


Prayer Songs – Prayers