Ya Devi Sarvabhuteshu – Durga Devi Mantra – Lyrics in Hindi with Meanings


या देवी सर्वभूतेषु मंत्र – दुर्गा मंत्र – अर्थ सहित

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते॥

  • हे नारायणी! तुम सब प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली मंगल मयी हो।
  • कल्याण दायिनी शिवा हो।
  • सब पुरुषार्थो को (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को) सिद्ध करने वाली हो।
  • शरणागत वत्सला, तीन नेत्रों वाली एवं गौरी हो।
  • हे नारायणी, तुम्हें नमस्कार है।

शक्ति, चेतना


Maa Durga Shakti-rupen

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सब प्राणियों में शक्ति रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।


या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभि-धीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सब प्राणियों में चेतना कहलाती हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।
(चेतना : sense, consciousness – स्वयं के और अपने आसपास के वातावरण के तत्वों का बोध होने, उन्हें समझने तथा उनकी बातों का मूल्यांकन करने की शक्ति)

मातृ, दया, क्षान्ति (क्षमा)


Maa Durga Matru-rupen

या देवी सर्वभूतेषु मातृ-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सभी प्राणियों में माता के रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।


या देवी सर्वभूतेषु दया-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सब प्राणियों में दया के रूप में विद्यमान हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।


या देवी सर्वभूतेषू क्षान्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सब प्राणियों में सहनशीलता, क्षमा के रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।

बुद्धि, विद्या, स्मृति


Maa Durga Saraswati

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सभी प्राणियों में बुद्धि के रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है। आपको मेरा बार-बार प्रणाम है।


या देवी सर्वभूतेषु विद्या-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सब प्राणियों में विद्या के रूप में विराजमान हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है। मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ।


या देवी सर्वभूतेषु स्मृति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

स्मृति : memory : याद, स्मरणशक्ति, याददाश्त, यादगार
जो देवी सभी प्राणियों में स्मृति (स्मरणशक्ति) रूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।

श्रद्धा, भक्ति, शांति


Bhakti Shraddha

या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी समस्त प्राणियों में श्रद्धा, आदर, सम्मान के रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है। मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ।


या देवी सर्वभूतेषु भक्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सब प्राणियों में भक्ति, निष्ठा, अनुराग के रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है। आपको मेरा बार-बार प्रणाम है।


या देवी सर्वभूतेषु शांति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी समस्त प्राणियों में शान्ति के रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।

लक्ष्मी


Maa Durga Lakshmi-rupen

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सब प्राणियों में लक्ष्मी, वैभव के रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।

जाति, कान्ति


या देवी सर्वभूतेषू जाति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जाति : जन्म, सभी वस्तुओ का मूल कारण
जो देवी सभी प्राणियों का मूल कारण है, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।


या देवी सर्वभूतेषू कान्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सभी प्राणियों में तेज, दिव्यज्योति, उर्जा रूप में विद्यमान हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।

तृष्णा, क्षुधा, भ्रान्ति


या देवी सर्वभूतेषु तृष्णा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सभी प्राणियों में चाहत के रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।


या देवी सर्वभूतेषु क्षुधा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी समस्त प्राणियों में भूख के रूप में विराजमान हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।


या देवी सर्वभूतेषू भ्रान्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

भ्रान्ति : illusion, delusion : माया, मोह, प्रपंच
जो देवी सब प्राणियों में भ्रान्ति रूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।

वृत्ति, तुष्टि, निद्रा


या देवी सर्वभूतेषु वृत्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

वृत्ति : instinct : सहज प्रवृत्ति, मूल प्रवृत्ति, अन्तःप्रेरणा, सहजवृत्ति, स्वाभाविक बुद्धि
जो देवी सब प्राणियों में वृत्ति, सहज प्रवृत्ति रूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।


या देवी सर्वभूतेषु तुष्टि-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सब प्राणियों में सन्तुष्टि के रूप में विराजमान हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।


या देवी सर्वभूतेषु निद्रा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सभी प्राणियों में आराम, नींद के रूप में विराजमान हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।

Ya Devi Sarvabhuteshu – Durga Devi Mantra


Durga Bhajan



Devi Mantra – Ya Devi Sarva Bhuteshu – List

English Lyrics

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते॥

शक्ति, चेतना


या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभि-धीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मातृ, दया, क्षान्ति


या देवी सर्वभूतेषु मातृ-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु दया-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषू क्षान्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

बुद्धि, विद्या, स्मृति


या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु विद्या-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

श्रद्धा, भक्ति, शांति


या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु भक्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु शांति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

लक्ष्मी


या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जाति, कान्ति


या देवी सर्वभूतेषू जाति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषू कान्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

तृष्णा, क्षुधा, भ्रान्ति


या देवी सर्वभूतेषु तृष्णा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु क्षुधा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषू भ्रान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टि-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

वृत्ति, तुष्टि, निद्रा


या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


या देवी सर्वभूतेषु निद्रा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


Durga Bhajan



 

Ya Devi Sarva Bhuteshu (with Meaning) – Lyrics in English


Ya Devi Sarva Bhuteshu (with Meaning) – Durga Devi Mantra

Sarva Mangal Mangalye
Shive Sarvartha Sadhike
Sharanye Tryambke Gauri
Narayani Namostute

Shakti, Chetana (consciousness)


Maa Durga Shakti-rupen

Ya Devi sarvabhuteshu
Shakti-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namaha

To that devi who lives in all beings in the form of shakti, power, strength. Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi sarva bhuteshu
Chetanetya bhi dhiyate
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namaha

To that devi who lives in all beings in the form of consciousness. Salutations to her, salutations, salutations again and again.
(chetna : consciousness, sense – state of being aware of and responsive to one’s surroundings)

Matru, Daya, Kshanti


Maa Durga Matru-rupen

Ya Devi sarvabhuteshu
Matru-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namaha

To that devi who lives in all beings in the form of mother Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi sarvabhooteshu
Daya-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

To that devi who lives in all beings in the form of kindness, mercy. Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi sarvabhuteshu
Kshanti rupen Sansthitaa
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namaha

Kshanti : (kshama) : forgiveness, forbearance, patience, tolerance, pardon
To that devi who lives in all beings in the form of forgiveness, tolerance. Salutations to her, salutations, salutations again and again.

Buddhi, Vidya, Smriti


Maa Durga Saraswati

Ya Devi sarvabhuteshu
Buddhi-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

To that devi who lives in all beings in the form of intelligence, wisdom. Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi sarvabhuteshu
Vidya-rupen sansthita,
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

To that devi who lives in all beings in the form of knowledge (vidya). Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi sarvabhooteshu
Smriti-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Smriti : (smaran-shakti) : memory, remembrance, reminiscence
To that devi who lives in all beings in the form of memory. Salutations to her, salutations, salutations again and again.

Shraddha, Bhakti, Shanti


Bhakti Shraddha

Ya Devi sarvabhooteshu
Shraddha-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

To that devi who lives in all beings in the form of faith, reverence. Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi sarvabhooteshu
Bhakti-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

To that devi who lives in all beings in the form of devotion (bhakti). Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi sarvabhooteshu
Shanti-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

To that devi who lives in all beings in the form of peace, serenity, calmness, tranquility. Salutations to her, salutations, salutations again and again.

Lakshmi


Maa Durga Lakshmi-rupen

Ya Devi sarvabhuteshu
Lakshmi-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

To that devi who lives in all beings in the form of prosperity (laxmi). Salutations to her, salutations, salutations again and again.

Jaati, Kaanti


Ya Devi sarvabhuteshu
Jaati-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

(Jaati janma, original cause of everything, existence)
To that devi who lives in all beings in the form of jaati. Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi sarvabhuteshu
Kaanti-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

To that devi who lives in all beings in the form of aura (kanti). Salutations to her, salutations, salutations again and again.

Trishna, Kshudha, Bhranti


Ya Devi sarvabhuteshu
Trishna-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

To that devi who lives in all beings in the form of thirst, desire. Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi sarvabhooteshu
Kshudha-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

To that devi who lives in all beings in the form of hunger, appetite. Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi sarvabhooteshu
Bhranti-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Bhranti : (maya, moh) : illusion, delusion
To that devi who lives in all beings in the form of delusion. Salutations to her, salutations, salutations again and again.

Vritti, Tushti, Nidra


Ya Devi sarvabhuteshu
Vritti-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Vritti : instinct, natural instinct, a natural or innate tendency.
To that devi who lives in all beings in the form of instinct. Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi sarvabhooteshu
Tushti-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

To that devi who lives in all beings in the form of satisfaction, contentment. Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi sarvabhuteshu
Nidra-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

To that devi who lives in all beings in the form of rest, relaxation, sleep. Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi Sarva Bhuteshu – Durga Devi Mantra


Durga Bhajan



Ya Devi Sarva Bhuteshu (with Meaning) – Durga Devi Mantra

Shakti, Chetana (consciousness)


Ya Devi sarvabhuteshu
Shakti-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namaha

Ya Devi sarva bhuteshu
Chetanetya bhi dhiyate
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namaha

Matru, Daya, Kshanti


Ya Devi sarvabhuteshu
Matru-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namaha

Ya Devi sarvabhooteshu
Daya-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Ya Devi sarvabhuteshu
Kshanti rupen Sansthitaa
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namaha

Buddhi, Vidya, Smriti


Ya Devi sarvabhuteshu
Buddhi-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Ya Devi sarvabhuteshu
Vidya-rupen sansthita,
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Ya Devi sarvabhooteshu
Smriti-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Shraddha, Bhakti, Shanti


Ya Devi sarvabhooteshu
Shraddha-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Ya Devi sarvabhooteshu
Bhakti-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Ya Devi sarvabhooteshu
Shanti-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Lakshmi


Ya Devi sarvabhuteshu
Lakshmi-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Jaati, Kaanti


Ya Devi sarvabhuteshu
Jaati-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Ya Devi sarvabhuteshu
Kaanti-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Trishna, Kshudha, Bhranti


Ya Devi sarvabhuteshu
Trishna-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Ya Devi sarvabhooteshu
Kshudha-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Ya Devi sarvabhooteshu
Bhranti-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Vritti, Tushti, Nidra


Ya Devi sarvabhuteshu
Vritti-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Ya Devi sarvabhooteshu
Tushti-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Ya Devi sarvabhuteshu
Nidra-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah


Durga Bhajan



प्रार्थना की शक्ति


प्रार्थना से बुद्धि शुद्ध होती है और
देवताओंकी प्रार्थनासे दैवीशक्ति प्राप्त होती है।


प्रार्थना की शक्ति के कुछ उदाहरण

नल-नीलको प्रार्थनासे पत्थर तैरानेकी शक्ति प्राप्त हुई थी।

तुलसीदासजीको श्रीपवनसुत हनुमानजीसे प्रार्थना करनेपर
भगवान् रामके दर्शन हुए।

भगवान्‌से प्रार्थना करनेपर
डाकू रत्नाकर की बुद्धि अत्यन्त शुद्ध हो गयी।
वे वाल्मीकि ऋषिके नामसे प्रसिद्ध हुए और
भगवान् श्रीरामचन्द्रजीने उनको साष्टांग दण्डवत् प्रणाम किया।

द्रौपदीकी प्रार्थनासे सूर्य-भगवान्‌ने
दिव्य बटलोई दी थी।

वर्तमान समयमें भी प्रार्थनासे लाभ उठानेवाले
बहुत लोग हो चुके है और अब भी है।


प्रार्थना से शारीरिक दुःखों का शमन

प्रार्थना करनेसे शारीरिक क्लेशोका भी शमन होता है।

एक बार गोस्वामी तुलसीदासजीकी बाँहमें
असहनीय पीड़ा हो रही थी।

श्रीहनुमान्‌जीसे प्रार्थना करनेपर
अर्थात् उन्हें हनुमान-बाहुक सुनाते ही
सारी पीड़ा शान्त हो गयी।


प्रार्थना से इच्छाओं की पूर्ति

प्रार्थनासे कामना की पूर्ती होती है।

राजा मनुकी प्रार्थनापर,
भगवान्‌ने पुत्ररूपसे उनके घरमें अवतार लेनेकी स्वीकृति दी।

सत्यनारायणकी कथामें लिखा है कि
दरिद्र लकड़हारेकी प्रार्थनापर भगवान्‌ने उसे संपत्तिशाली बना दिया।


प्रार्थना और एकता

प्रार्थनाके द्वारा मनुष्यमें परस्पर प्रेम उत्पन्न होता है।
प्रार्थना एकताके लिये सुदृढ़ सूत्र है।

इंट के टुकड़ों तथा बालूसे मन्दिर बनाना असम्भव-सा है।
पर यदि उसमें सीमेंट मिला दी जाय,
तो सभी बालुके कण एवं इंटे एक शिलाके समान जुड़ जाती हैं।

वर्तमान समयमें देखा गया है कि,
जिन समुदायोंमें निश्चित समय और
निश्वित स्थानपर नियमित प्रार्थना होती है,
ऐसे समुदायोंको तोड़नेके लिये बड़ी-बड़ी प्रबल शक्तियाँ जुटी,
परंतु उन्हें भिन्न करनेमें असमर्थ सिद्ध हुइँ।

वर्तमान युगमें भी ऐसी घटनाएँ हो चुकी है,
प्राचीनकालमें भी हुई हैं।


भगवान् शंकर ने देवताओं को एकसाथ प्रार्थना करने के लिए कहा

एक समय रावण आदि सक्षसोंके घोर उपद्रवसे त्रस्त होकर,
मुनि, गन्धर्व, दैवी स्वभावके प्राणी
हिमालयकी कन्दराओंमें छिप गए और
उन्होंने एक सभाका आयोजन किया,
जिसमें आशुतोष भगवान् शंकर भी पधारे थे।

देवता सोचने लगे, –
आसुरी समुदाय दैवीसमुदायको नष्ट करनेपर तुला हुआ है।
उससे मुक्ति पानेके लिये किस साधन को अपनाया जाय?
हम सब दीन, हीन, असहाय,
दीनबंधु भगवान्‌को कहा ढूंढें?

परिणाम यह हुआ कि सभामें कई भिन्न मत हो गये।

इस विघटनकी दशाको देखकर भगवान् शंकर बोले –
ऐसे विकट समयमें भगवानको ढूंढने कोई कहीं न जाये।
सब सम्मिलित होकर आर्त हृदय-से
भावपूर्ण एक ही प्रार्थना एक साथ करें।
भक्तवत्सल भगवान् तुरंतही आश्वासन देंगे।

यह मत सभीको अच्छा लगा और
सभी करबद्ध होकर –
जय जय सुरनायक
आदि प्रार्थना करने लगे।

प्रार्थना समाप्त हुई कि तुरंत आकाशवाणी हुई।

ब्रह्माजी सबको शिक्षा तथा आश्वासन देकर
तथा देवताओं से यह कहकर ब्रह्मलोकको चले गये कि –
तुमलोग वानररूप धारणकर सुसंगठित हो,
भगवान्‌का भजन करते हुए पृथ्वीपर रहो।

प्रार्थना सफल हुई और
मर्यादा-पुरुषोत्तम भगवान् श्रीरामका अवतार हुआ।

देवता, ऋषि-मुनि, पृथ्वी, भक्त समाज
सब सुखी और परमधामके अधिकारी हुए।


प्रार्थना में अपार शक्ति है

प्रार्थनासे कितना लाभ हो सकता है
अथवा प्रार्थनाका कितना महत्त्व है –
यह लिखा नही जा सकता।

प्रार्थनाके द्वारा मृत आत्माओंको शान्ति मिलती है;
जिसकी प्रथा आज भी बड़ी-बड़ी सभाओंमें देख पड़ती है।

किसी महापुरुषके देहावसान हो जानेपर
दो-चार मिनट मृतात्माकी शान्तिके लिये
सभाओंमें सामूहिक प्रार्थना की जाती है।

प्रार्थनाके उपासक महात्मा गांधी,
महामना मालवीयजी आदि धार्मिक-राजनीतिक नेताओंका
अधिक स्वास्थ्य बिगड़नेपर,
जब-जब समाजमें प्रार्थना की गयी,
तब तब लाभ प्रतीत हुआ।
और भी अनेकों उदाहरण हैं।

प्रार्थनामें विश्वासकी प्रधानता है।

प्रार्थना हृदयसे होनी चाहिये।

निरन्तर, आदरपूर्वक,
दीर्घकालतक होनेसे वह सफल होती है।

इष्टदेवको सुनानेके लिये प्रार्थना करनी चाहिये,
जनताको सुनानेकी दृष्टिसे नहीं।

प्रार्थनासे आस्तिकता बढती है।
आस्तिकतासे मनुष्योंकी पापमें प्रवृत्ति नही होती।

दुराचार के नाश और सदाचारकी वृद्धिसे
समाजमें दरिद्रता, कलह, शारीरिक रोग, चरित्र-पतन समाप्त होकर
परस्पर प्रेम, आरोग्य, सुख सम्पत्तिकी वृद्धि होती।

अतएव मनुष्य को अपना जीवन सुव्यवस्थित बनाने के लिये,
प्रार्थनाको मुख्य स्थान देना ही चाहिए।


ईश्वर से प्रार्थना

हे ईश्वर, मुझे सद्‌बुद्धि दो।

हे प्रभु, मेरे मन को शुद्ध कर दो, पवित्र कर दो।

हे ईश्वर, मेरे मन को शांत कर दो।

हे प्रभु, मुझे पवित्र कर दो।

हे ईश्वर, हमें सद्‌बुद्धि दो।

हे प्रभु, सब सुखी हों।

हे ईश्वर, सब ओर शान्ति ही शान्ति हो।

हे प्रभु, हमें सब बन्धनों से मुक्त कर दो।

हे ईश्वर, हमारे सब दु:ख और दुर्गुण दूर कर दो।

Stuti – Prarthana – Upasana


Prayer

स्तुति, प्रार्थना और उपासना में क्या फर्क है?


स्तुति

स्तुति का अर्थ है – किसी भी पदार्थमें स्थित उसके गुणोंका यथोचित रूपमें वर्णन करना।

इस दृष्टिसे जब कोई कहता हैं कि – गौतम बहुत श्रेष्ठ व्यक्ति है, सदाचारी है, सत्यवादी है – तब उसका अभिप्राय केवल इतना ही नहीं होता कि, वह जिससे (जिन शब्दो से) गौतमकी स्तुति करता हैं, वह उसके गुणोंको जान जाय।

बल्कि उसकी इच्छा होनी चाहिए कि जब वह गौतमके गुणोंका वर्णन करता हैं, तब वह उसके समीप जाय, उससे भेंट करे, उसका संग करे और उससे लाभ उठाये।


ईश्वर की स्तुति

ईश्वर की स्तुति शब्द का उपयोग, ईश्वर के जो अवतार हुए है उनके गुणों के कीर्तन के लिए किया जाता है।

परन्तु जब कोई व्यक्ति ईश्वर के गुणों का गान सिर्फ दिखावे के लिए कर रहा है या अंधविश्वास के कारण कर रहा है, और उन गुणों को अपने जीवन में नहीं अपनाता है, तो उसका स्तुति करना व्यर्थ है।

जब हम भगवान् रामके मर्यादा पुरुषोत्तम-तत्वके गुणोंका बखान करते हैं, तो हमारी इच्छा होनी चाहिए कि हम उनके आदर्शोपर चले।

इसलिये स्तुति तब तक निरर्थक ही रहती है, जब तक उसके बाद की क्रिया प्रार्थना या उपासना न की जाय।

अतः स्तुतिका अन्त होता है प्रार्थनामें अथवा उपासनामें।


प्रार्थना और उपासना

प्रार्थना अर्थात – जिसकी हम स्तुति कर रहे है, उसके गुणोंका बखान करके, उससे उन गुणों की प्राप्तिके लिये सामर्थ्य की याचना करना। जिससे उन गुणों को हम अपने जीवन में उतार सके।

उपासना अर्थात – जिसकी हम स्तुति कर रहे है, उसके गुणोंको अपने अंदर धारण करके उसके समीपमें जाना।


जब तक उपासक और उपास्य (जिसकी उपासना कर रहे है) में एकरूपता न होगी, उपासना अर्थात समीप बैठना, समीप जाना वा बन्धुत्व-प्राप्ति करना नितान्त असम्भव है; क्योंकि – समानशीलव्यसनेषु मैत्री अर्थात समान गुण-कर्मवालों में ही मैत्री होती है।


उपासना कब संभव है?

भगवान के जो अवतार है, वे है ज्ञानके पुञ्ज, सत्यव्रत, सर्वदोष-विवर्जित।
और मनुष्य है अज्ञानान्धकारसे आवृत, सर्वदोषयुक्त, मिथ्यावादी (झूठ बोलने वाला)।
– तब कभी भी उपासना नहीं हो सकती।

उपासक और उपास्य में जितना फर्क ज्यादा रहेगा, सच्ची भक्ति या उपासना नहीं हो सकती।

इसलिए स्तुति के बाद हमे, सतगुणो को अपने जीवन में उतारने के लिए, ईश्वर से प्रार्थना और उपासना करनी चाहिए, ताकि सिर्फ स्तुति निरर्थक ना हो जाए।


उदाहरण – स्तुति के बाद प्रार्थना, उपासना

इसलिये वेदोंके और उपनिषदोंके मन्त्रों में ईश्वर की स्तुतिके साथ प्रार्थना वा उपासना दोनोंमेंसे एक अंग अवश्य साथ रहता है।


उपनिषदकी एक प्रार्थना सर्व प्रसिद्ध है –

असतो मा सद् गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मामृतं गमय॥

हे प्रभो! हमें असतसे (अज्ञानसे) सत् (ज्ञानकी) प्राप्ति कराओ। ज्ञान प्राप्त होनेपर तम (अन्धकार) को दूर करके अपनी शुभ ज्योति प्रकाशको प्राप्त कराओ और मृत्युसे (जन्म-मरणके चक्रसे) छुड़ाकर अमृतको प्राप्त कराओ।


इसी प्रकार वेदोंके मन्त्रों में स्तुतिके साथ प्रार्थना या उपासना दोनों में से एक अंग अवश्य सम्बद्ध रहता है। जैसे की –

त्वं हि नः पिता वसो त्वं माता शतक्रतो बभूविथ।
अधा ते सुम्नमीमहे। (ऋ० ८। ९८। ११)

अर्थ-
हे प्रभु! सबको बसानेवाले, सारे संसारको आच्छादित करनेवाले अर्थात् सबसे महान् तुम ही हमारे पिता हो, पालक हो, रक्षक हो। हे ईश्वर! सैकड़ों सहस्रों प्रकारके कार्योको करनेवाले विविध ब्रह्माण्डके रचयिता प्रभो! तुम ही हमारी माता हो।

तुम जैसे सर्वतोमहान् माता-पिताको पाकर तुमसे ही तुम्हारे उस सुखकी, उस आनन्दकी कामना करते हैं, याचना करते हैं जो तुम्हारे में है। जिससे तुम आनन्दस्वरूप हो। वही नित्यानन्द हमें भी प्राप्त कराओ।


स नः पितेव सूनवे अग्ने सूपायनो भव।
सचस्वा नः स्वस्तये॥ (ऋ० १।१।९)

अर्थ –
हे अग्ने ! प्रकाशमान ज्ञानस्वरूप प्रभो! आप हमारे पर वैसे ही कृपालु होओ, वैसे ही सुखों के प्राप्त करानेवाले होओ, जैसे पिता अपने बालकोंके सुखकी कामना करता है। और हमें नित्य रहनेवाले अखण्ड कल्याणके लिये समर्थ करो।


विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परा सुव।
यद्भद्रं तन्न आ सुव॥ (ऋ० ५। ८२। ५)

अर्थ –
हे सम्पूर्ण संसारके प्रकाशक और उत्पन्न करनेवाले देव! हमारे सम्पूर्ण दुरितोंको, पापोंको-पापमयी वासनाओंको हमसे दूर करिये और जो कुछ भी संसारमें भद्र है, हमारे लिये कल्याणकारी है, ऐसे उत्तम श्रेष्ठ गुणों वा पदार्थोंको प्राप्त कराइये।


नमः सायं नमः प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा।
भद्राय च शर्वाय चोभाभ्यामकरं नमः॥
(अथर्व० ११। २। १६)

अर्थ –
हे भव! सारे संसारको उत्पन्न करनेवाले और सुखस्वरूप तथा सर्वजीवोंके सभी दु:खोंके नाश करनेवाले प्रभो! तुम्हारे दोनों स्वरूपोंके लिये हम प्रातः-सायं दिन-रात बहुधा नमस्कार करते हैं। आप कृपा करके हमारे लिये सुखके देनेवाले और दुःखोंको दूर करनेवाले होइये।


अग्ने नय सुपथा राये अस्मान् विश्वानि देव वयुनानि विद्वान्।
युयोध्यस्मज्जुहुराणमेनो भूयिष्ठां ते नम उक्तिं विधेम।
(ऋ० १।१८९। १)

अर्थ –
हे मार्गदर्शक नेता ! आप हमें धन, सम्पत्ति वा आत्मिक कल्याणके लिये अच्छे मार्गसे-शुभमार्गसे ले चलिये। हे देव! आप हमारे सब कर्मोको जाननेवाले हैं; क्योंकि आप घट-घटवासी हैं। इतना ही नहीं, हे प्रभो! हमारे सम्पूर्ण पापोंको–कुटिलताओंको हमसे दूर करिये, जिससे हम निष्पाप हो सकें। इसके लिये हे प्रभो! हम आपको बहुत प्रकारसे स्तुति-प्रार्थना करते हैं।


यद्ग्रामे यदरण्ये यत् सभायां यदिन्द्रिये।
यदेनश्चकृमा वयमिदं तदव यजामहे स्वाहा॥
(यजु० ३।४४)

अर्थ –
हे पापोंको दूर करनेवाले प्रभो ! हमने जो ग्राममें, जो सभामें, जो अपनी इन्द्रियोंके विषयमें अर्थात् अपने और परायेके लिये जो भी पाप, बुरा कर्म, बुरा आचरण मनसा-वाचा-कर्मणा किया है, उसको हम इसी समय आपकी प्रत्यक्षतामें आपको सर्वद्रष्टा जानते हुए छोड़ रहे हैं।

हम अपनी प्रतिज्ञाके निभानेके लिये समर्थ हों। प्रभो! हमें इस शुभ प्रतिज्ञाके निभानेके लिये सामर्थ्य दो।


इस प्रकार वेदोंमें और उपनिषदोंमें प्रभुकी सर्वत्र विविध नामोंसे स्तुति करके अपने दोषोंको दूर करने और शुभ गुणोंकी प्राप्तिके लिये प्रार्थनाएँ मिलती हैं।


वैदिक प्रार्थनाओंका वैशिष्ट्य

वैदिक प्रार्थनाओंका एक वैशिष्ट्य यह भी है कि उसमे अपने सुखकी वा कल्याणकी अपेक्षा सामूहिक कल्याणको महत्त्व दिया गया है। उसमें प्रायः समष्टिका का, सर्वत्र बहुवचनका प्रयोग है। इससे यह स्पष्ट है कि वैदिक धर्ममें सामूहिक कल्याणको प्रधानता दी गई है ।

इसीके अनुरूप हम भगवान् वाल्मीकिके शब्दों में आज भी कामना करते हैं

सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु
मा कश्चिद् दुःखभाग् भवेत्॥

अर्थात् सब सुखी हों, सब स्वस्थ हों, सब कल्याणके भागी हों। कोई भी दुःखी न रहे।

सब मनोकामनाएँ, चाहे वे लौकिकी हों, चाहे पारलौकिकी, प्रभुकी प्रार्थना, प्रभुकी भक्ति और प्रभुके नामस्मरणसे ही पूर्ण होती है ।

Stuti Prarthana Upasana
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Lata Mangeshkar

Prayer Songs and Bhajans

Prayer Songs – Prayers – List in Hindi


Prayer Songs – List

1

2

3

Prarthana Geet

4

5

Raghupati Raghav Raja Ram – Shri Ram Dhun – Lyrics in Hindi


रघुपति राघव राजाराम

रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम।

रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम।
सीताराम सीताराम,
भज मन प्यारे सीताराम॥

रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम॥


ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,
सब को सन्मति दे भगवान।
रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम॥


जय रघुनंदन जय सिया राम
जानकी वल्लभ सीताराम।
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम॥


रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम।
सीताराम सीताराम,
भज मन प्यारे सीताराम॥

रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम॥

Original Lyrics of Raghupati Raghav Raja Ram:

श्री लक्ष्मणाचार्य द्वारा लिखित श्री नम: रामायणम् से

रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम।

सुंदर विग्रह मेघश्याम
गंगा तुलसी शालग्राम॥


भद्रगिरीश्वर सीताराम
भगत-जनप्रिय सीताराम।

जानकीरमणा सीताराम
जयजय राघव सीताराम॥


रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम॥

रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम॥


Raghupati Raghav Raja Ram – Shri Ram Dhun

Hari Om Sharan


Prayer Songs – Prayers



Raghupati Raghav Raja Ram – Shri Ram Dhun – Lyrics in English


Raghupati Raghav Raja Ram – Shri Ram Dhun

Raghupati Raghav Raja Ram
Patit pavan Sita Ram
Sita Ram, Sitaram,
Bhaj man pyaare Sita Ram

Raghupati Raghav Rajaram
Patita Pavan Sita Ram

Ishwar Allah tero naam,
Sab ko sanmati de Bhagwan
Raghupati Raghav Raja Ram
Patita pavan Sita Ram

Jai Raghunandan Jai Siya Ram
Janaki Vallabh Sita Ram
Raghupati Raghav Raja Ram
Patita pavan Sita Ram

Raghupati Raghav Raja Ram
Patit pavan Sita Ram
Sita Ram, Sitaram,
Bhaj man pyaare Sita Ram

Raghupati Raghav Rajaram
Patita Pavan Sita Ram

Original Lyrics of Raghupati Raghav Raja Ram:

(From “Shri Nama Ramayanam” written by Lakshmanacharya)

Raghupati Raghava Raja Ram
Patita paavana Sita Ram

Sunder vigraha meghashyam
Ganga Tulsi Shalagram

Bhadra Girishwara Sita Ram
Bhagat janapriya Sita Ram

Janaki ramana Sita Ram
Jai jai Raghav Sita Ram

Raghupati Raghav Raja Ram
Patit paavan Sita Ram

Raghupati Raghav Raja Ram – Shri Ram Dhun

Hari Om Sharan


Prayer Songs – Prayers



Importance of Prayer


प्रार्थना के लाभ

प्रार्थनासे बुद्धि शुद्ध होती है। देवताओंकी प्रार्थनासे दैवीशक्ति प्राप्त होती है। द्रौपदीकी प्रार्थनासे सूर्य-भगवान्‌ने दिव्य बटलोई दी थी। नल-नीलको प्रार्थनासे पत्थर तैरानेकी शक्ति प्राप्त हुई थी।

महात्मा तुलसीदासजीको श्रीपवनसुत हनुमानजीसे प्रार्थना करनेपर भगवान् रामके दर्शन हुए। भगवान्‌से प्रार्थना करनेपर डाकू रत्नाकर की बुद्धि अत्यन्त शुद्ध हो गयी। वे वाल्मीकि ऋषिके नामसे प्रसिद्ध हुए और भगवान् श्रीरामचन्द्रजीने उनको साष्टांग दण्डवत् प्रणाम किया।
वर्तमान समयमें भी प्रार्थनासे लाभ उठानेवाले बहुत लोग हो चुके है और अब भी है।


प्रार्थना करनेसे शारीरिक क्लेशोका भी शमन होता है। प्रातःस्मरणीय गोस्वामी तुलसीदासजीकी बाँहमें असहनीय पीड़ा हो रही थी, श्रीहनुमान्‌जीसे प्रार्थना करनेपर अर्थात् उन्हें “हनुमान-बाहुक” सुनाते ही सारी पीड़ा शान्त हो गयी।
प्रार्थनासे कामना की पूर्ती होती है। राजा मनुकी प्रार्थनापर भगवान्‌ने पुत्ररूपसे उनके गृहमें अवतार लेनेकी स्वीकृति दी। सत्यनारायणकी कथामें लिखा है कि दरिद्र लकड़हारेकी प्रार्थनापर भगवान्‌ने उसे संपत्तिशाली बना दिया।

प्रार्थना और एकता

प्रार्थनाके द्वारा मनुष्यमें परस्पर प्रेम उत्पन्न होता है। प्रार्थना एकताके लिये सुदृढ़ सूत्र है।
इंटके टुकड़ों तथा बालूसे मन्दिर बनाना असम्भव-सा है। पर यदि उसमें सीमेंट मिला दी जाय तो सभी बालुके कण एवं इंटे एक शिलाके समान जुड़ जाती हैं।
वर्तमान समयमें देखा गया है कि मनुष्यके जिन समुदायोंमें निश्वित प्रार्थना निश्चित समय और निश्वित स्थानपर होती है, ऐसे समुदायोंको तोड़नेके लिये बड़ी-बड़ी प्रबल शक्तियाँ जुटी, परंतु उन्हें भिन्न करनेमें असमर्थ सिद्ध हुइँ। वर्तमान युगमें भी ऐसी घटनाएँ हो चुकी है, प्राचीनकालमें भी हुई हैं।
एक समय रावाणादी सक्षसोंके घोर उपद्रवसे त्रस्त होकर दैवी स्वभावके प्राणी – सुर, मुनि; गन्धर्व आदि हिमालयकी कन्दराओंमें छिप गए और उन्होंने एक सभाका आयोजन किया, जिसमें आशुतोष भगवान् शंकर भी पधारे थे।
देवता सोचने लगे – ‘आसुरी समुदाय दैवीसमुदायको नष्ट करनेपर तुला हुआ है। उससे मुक्ति पानेके लिये किस साधन को अपनाया जाय? हम सब दीन, हीन, असहाय दीनबंधु भगवान्‌को कहा द्वँढें? परिणाम यह हुआ कि सभामें कई भिन्न मत हो गये। इस विघटनकी दशाको देरवकर भगवान् शंकर बोले
शंकरजीने बताया कि ‘ऐसे विकट समयमें भगवानको ढूंढने कोई कहीं न जाय। सब सम्मिलित होकर आर्त हृदय-से भावपूर्ण एक ही प्रार्थना एक साथ करें। भक्तवत्सल भगवान् तुरंतही आश्वासन देंगे। यह मत सभीको अच्छा लगा और सभी नेत्रोंमें जल भरे हुए तथा अश्रुबिन्दु गिराते हुए गद्‌गद कंठसे करबद्ध होकर ‘जय जय सुरनायक‘ आदि प्रार्थना करने लगे –
प्रार्थना समाप्त हुई कि तुरत आकाशवाणी हुई। ब्रह्माजी सबको शिक्षा तथा आश्वासन देकर तथा देवताओं से यह कहकर ब्रह्मलोकको चले गये कि – तुमलोग वानररूप धारणकर सुसंगठित हो भगवान्‌का भजन करते हुए पृथ्वीपर रहो।’ प्रार्थना सफल हुई, मर्यादा-पुरुषोत्तम भगवान् श्री-रामचन्द्रजीका अवतार हुआ। देवता, गौएँ, ऋषि; मुनि, पृथ्वी, भक्त समाज-सब सुखी और परमधामके अधिकारी हुए।

प्रार्थना में अपार शक्ति है

प्रार्थनासे कितना लाभ हो सकता है अथवा प्रार्थनाका कितना महत्त्व है – यह लिखा नही जा सकता।
प्रार्थनाके द्वारा मृत आत्माओंको शान्ति मिलती है; जिसकी प्रथा आज भी बड़ी-बड़ी सभाओंमें देख पड़ती है। किसी महापुरुषके देहावसान हो जानेपर दो-चार मिनट मृतात्माकी शान्तिके लिये सभाओंमें सामूहिक प्रार्थना की जाती है।
प्रार्थनाके उपासक महात्मा गांधी, महामना मालवीयजी आदि धार्मिक-राजनीतिक नेताओंका अधिक स्वास्थ्य बिगड़नेपर जब-जब समाजमें प्रार्थना की गयी, तब तब लाभ प्रतीत हुआ। और भी अनेकों उदाहरण हैं।


प्रार्थनामें विश्वासकी प्रधानता है। प्रार्थना हृदयसे होनी चाहिये। निरन्तर, आदरपूर्वक, दीर्घकालतक होनेसे वह सफल होती है।
इष्टदेवको सुनानेके लिये प्रार्थना करनी चाहिये, जनताको सुनानेकी दृष्टिसे नहीं।
प्रार्थनासे आस्तिकता बढती है। आस्तिकतासे मनुष्योंकी पापमें प्रवृत्ति नही होती। दुराचार- के नाश और सदाचारकी वृद्धिसे समाजमें दरिद्रता, कलह, शारीरिक रोग, चरित्र-पतन समाप्त होकर परस्पर प्रेम, आरोग्य, सुख सम्पत्तिकी वृद्धि होती।
अतएव मनुष्य को अपना जीवन सुव्यवस्थित बनाने के लिये प्रार्थनाको मुख्या स्थान देना ही चाहिए।

Asharan Sharan Shanti Ke Dham – Lyrics in English


Asharan Sharan Shanti Ke Dham

Asharan sharan, shanti ke dhaam,
ek sahaara tera naam.
Asharan sharan, shaanti ke dhaam
ek sahaara tera naam.


Vishva-vidhaata, bhav-bhay-traata,
jan man ranjan, mangal-daata,
asur-nikandan tero naam,
ek sahaara tera naam.
Asharan sharan, shanti ke dhaam,
ek sahaara tera naam.


Brahma Vishnu, too hi Maheshwar,
Sachchidanand, too Vighneshwar,
too hi hai buddhi ka dhaam,
ek sahaara tera naam

Asharan sharan, shanti ke dhaam,
ek sahaara tera naam.


Too hi bhakti, too hi shakti,
Durga Bhavaani, Maa Kalyaani,
karati poorna sabke kaam,
ek sahaara tera naam.

Asharan sharan shanti ke dhaam,
ek sahaara tera naam.

Bhakti dena, shakti dena,
apne dar ki seva dena,
japataa rahoon bas tera naam,
ek sahaara tera naam

Asharan sharan shaanti ke dhaam,
ek sahaara tera naam.


Asharan Sharan Shanti Ke Dham

Sudhanshu Ji Maharaj


Prayer Songs – Prayers



Asharan Sharan Shanti Ke Dham – Lyrics in Hindi


अशरण शरण शांति के धाम

अशरण शरण शांति के धाम,
एक सहारा तेरा नाम॥
अशरण शरण शांति के धाम,
एक सहारा तेरा नाम॥


विश्वविधाता भव-भय-त्राता
जन मन रंजन मंगलदाता
असुर-निकंदन तेरो नाम।
एक सहारा तेरा नाम॥
अशरण शरण शांति के धाम,
एक सहारा तेरा नाम॥


ब्रह्मा विष्णु तू ही महेश्वर
सच्चिदानंद तू विघ्नेश्वर
तू ही है बुद्धि का धाम।
एक सहारा तेरा नाम॥

अशरण शरण शांति के धाम,
एक सहारा तेरा नाम॥


तू ही भक्ति तू ही शक्ति।
दुर्गा भवानी माँ कल्याणी।
करती पूर्ण सबके काम।
एक सहारा तेरा नाम॥

अशरण शरण शांति के धाम,
एक सहारा तेरा नाम


भक्ति देना शक्ति देना।
अपने दर की सेवा देना।
जपता रहूँ बस तेरा नाम।
एक सहारा तेरा नाम॥

अशरण शरण शांति के धाम,
एक सहारा तेरा नाम


अशरण शरण शांति के धाम,
एक सहारा तेरा नाम


Asharan Sharan Shanti Ke Dham

Sudhanshu Ji Maharaj


Prayer Songs – Prayers