Bhaye Pragat Kripala, Deen Dayala – Meaning


Ram Bhajan

भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला –  अर्थसहित

भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।

भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी॥

  • भए प्रगट कृपालाकृपालु प्रभु प्रकट हुए
  • दीनदयालादीनों पर दया करने वाले
  • कौसल्या हितकारी – कौसल्याजी के हितकारी
  • हरषित महतारी – माता हर्ष से भर गई
  • मुनि मन हारी – मुनियों के मन को हरने वाले
  • अद्भुत रूप बिचारी – उनके अद्भुत रूप का विचार करके

जब कृपा के सागर, कौशल्या के हितकारी, दीनदयालु प्रभु प्रकट हुए, तब उनका अद्भुत स्वरुप देखकर माता कौशल्या परम प्रसन्न हुई।

जिन की शोभा को देखकर मुनि लोगों के मन मोहित हो जाते हैं, उस स्वरूप का दर्शन कर माता हर्ष से भर गई।

लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा,
निज आयुध भुजचारी।
भूषन बनमाला, नयन बिसाला,
सोभासिंधु खरारी॥

  • लोचन अभिरामानेत्रों को आनंद देने वाले
  • तनु घनस्यामा – मेघ के समान श्याम शरीर
  • निज आयुध भुजचारी – चारों भुजाओं में शस्त्र (आयुध) धारण किए हुए थे
  • भूषन – दिव्य आभूषण और
  • बनमाला – वनमाला पहने हुए थे,
  • नयन बिसाला – बड़े-बड़े नेत्र थे,
  • सोभासिंधु – इस प्रकार शोभा के समुद्र तथा
  • खरारी – खर राक्षस को मारने वाले भगवान प्रकट हुए।

कैसा है यह स्वरूप, तुलसीदासजी कहते हैं कि सुंदर नेत्र है, मेघसा श्याम शरीर है, चारों भुजाओं में अपने चारों शस्त्र (शंख, चक्र, गदा, पद्म) धरे है।

वनमाला पहने हैं, सब अंगों में आभूषण सजे है, बड़े विशाल नेत्र है, शोभा के सागर और खर नाम राक्षस के बैरी है।

कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी,
केहि बिधि करूं अनंता।
माया गुन ग्यानातीत अमाना,
वेद पुरान भनंता॥

  • कह दुइ कर जोरी – दोनों हाथ जोड़कर माता कहने लगी
  • अस्तुति तोरी – तुम्हारी स्तुति
  • केहि बिधि करूं – मैं किस प्रकार करूँ
  • अनंता – हे अनंत!
  • माया गुन ग्यानातीत अमाना – माया, गुण और ज्ञान से परे
  • वेद पुरान भनंता – वेद और पुराण तुम को बतलाते हैं (वेद और पुराण तुम को माया, गुण और ज्ञान से परे बतलाते हैं)

दोनों हाथ जोड़ कौशल्या ने कहा कि हे अनंत प्रभु, मैं आप की स्तुति कैसे करू।

क्योंकि वेद और पुराण भी ऐसे कहते हैं कि प्रभु का स्वरूप माया के गुणों से परे, इंद्रियजन्य ज्ञान से अगोचर और प्रमाण का विषय नहीं है।

करुना सुख सागर, सब गुन आगर,
जेहि गावहिं श्रुति संता।
सो मम हित लागी, जन अनुरागी,
भयउ प्रगट श्रीकंता॥

  • करुना सुख सागरदया और सुख का समुद्र,
  • सब गुन आगर – सब गुणों का धाम कहकर
  • जेहि गावहिं श्रुति संता – श्रुतियाँ और संतजन जिनका गान करते हैं
  • सो मम हित लागी – मेरे कल्याण के लिए
  • जन अनुरागी – वही भक्तों पर प्रेम करने वाले
  • भयउ प्रगट श्रीकंता – लक्ष्मीपति भगवान प्रकट हुए हैं

सो हे प्रभु मैं तो ऐसे जानती हूँ कि जिसे श्रुति और संत लोग गाते हैं, वे करुणा व सुखके सागर, सब गुणों के आगर (भण्डार), भक्त अनुरागी, लक्ष्मीपति, प्रभु मेरा हित करने के लिए प्रकट हुए है।

ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया,
रोम रोम प्रति बेद कहै।
मम उर सो बासी, यह उपहासी,
सुनत धीर मति थिर न रहै॥

  • ब्रह्मांड निकाया – अनेकों ब्रह्माण्डों के समूह हैं
  • निर्मित माया – माया के रचे हुए
  • रोम रोम – आपके रोम-रोम में रहते हैं
  • प्रति बेद कहै – ऐसा वेद कहते हैं
  • मम उर सो बासी – वे तुम मेरे गर्भ में रहे
  • यह उपहासी – इस हँसी की बात
  • सुनत धीर – सुनने पर धीर (विवेकी) पुरुषों की बुद्धि भी
  • मति थिर न रहै – स्थिर नहीं रहती (विचलित हो जाती है)

और हे प्रभु, वेद ऐसे कहते हैं कि आपके रोम-रोम में माया से रचे हुए अनेक ब्रह्मांड समूह रहते हैं सो वे आप मेरे उदर (गर्भ) में कैसे रहे। इस बात की मुझे बड़ी हंसी आती है।

केवल मैं ही नहीं बड़े-बड़े धीर पुरुषों की बुद्धि भी यह बात सुनकर धीर नहीं रहती।

उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना,
चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।
कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई,
जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै॥

  • उपजा जब ग्याना – जब माता को ज्ञान उत्पन्न हुआ
  • प्रभु मुसुकाना – तब प्रभु मुस्कुराए
  • चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै – वे बहुत प्रकार के चरित्र करना चाहते हैं
  • कहि कथा सुहाई – अतः उन्होंने (पूर्व जन्म की) सुंदर कथा कहकर
  • मातु बुझाई – माता को समझाया
  • जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै – जिससे उन्हें पुत्र का प्रेम प्राप्त हो और भगवान के प्रति पुत्र का भाव आ जाए

जब कौशल्या को ज्ञान प्राप्त हो गया तब प्रभु हँसे कि देखो इसको किस वक्त में ज्ञान प्राप्त हुआ है अभी इसको ज्ञान नहीं होना चाहिए। क्योंकि, अभी मुझको बहुत चरित्र करने हैं।

उस वक्त प्रभु अनेक प्रकार के चरित्र करना चाहते थे, इसलिए माता को अनेक प्रकार की कथा सुना कर ऐसे समझा बुझा दिया कि जिस तरह उसके मन में पुत्र का प्रेम आ गया।

माता पुनि बोली, सो मति डोली,
तजहु तात यह रूपा।
कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला,
यह सुख परम अनूपा॥

  • माता पुनि बोली, सो मति डोली – प्रभु की प्रेरणा से कौशल्या माँ की बुद्धि दूसरी ओर डोल गई, तब वह फिर बोली
  • तजहु तात यह रूपा – हे तात! यह रूप छोड़कर
  • कीजै सिसुलीला – बाललीला करो
  • अति प्रियसीला – जो मेरे लिए अत्यन्त प्रिय है
  • यह सुख परम अनूपा – यह सुख मेरे लिए परम अनुपम होगा

प्रभु की प्रेरणा से कौशल्या की बुद्धि दूसरी ओर डोल गई जिससे वह फिर बोली कि हे तात! आप यह स्वरूप तज (छोड़) दो।

बालक स्वरूप धारण कर, अतिशय प्रिय स्वभाव वाली बाल लीला करो। यह सुख मुझको बहुत अच्छा लगता है।

सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना,
होइ बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं,
ते न परहिं भवकूपा॥

  • सुनि बचन सुजाना – माता के ऐसे वचन सुनकर
  • रोदन ठाना – (भगवान ने बालक रूप धारण कर) रोना शुरू कर दिया
  • होइ बालक – बालक रूप धारण कर
  • सुरभूपा – देवताओं के स्वामी भगवान ने
  • यह चरित जे गावहिं – जो इस चरित्र का गान करते हैं
  • हरिपद पावहिं – वे श्री हरि का पद (भगवत पद) पाते हैं
  • ते न परहिं – और वे फिर नहीं गिरते
  • भवकूपा – संसार रूपी कुएं में (और फिर संसार रूपी माया में नहीं गिरते)

माता के ऐसे वचन सुन प्रभु ने बालक स्वरूप धारण कर रुदन करना (रोना) शुरू किया।

महादेव जी कहते हैं कि हे पार्वती जो मनुष्य इस चरित्र को गाते हैं वह मनुष्य अवश्य भगवत पद को प्राप्त हो जाते हैं और वे कभी संसार रुपी कुए में नहीं गिरते।


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Ram Bhajans

श्री राम स्तुति का महत्व

श्री राम से बड़ा कोई देवता नहीं, श्री राम से बढ़कर कोई व्रत नहीं, श्री राम से बड़ा कोई योग नहीं तथा श्री राम से बढ़कर कोई यज्ञ नहीं है।

श्री राम का स्मरण, जप और पूजन करके मनुष्य परम पद प्राप्त करता है। तथा इस लोक और परलोक की उत्तम समृद्धि को भी प्राप्त करता है।

श्री रघुनाथ जी संपूर्ण कामनाओं और फलों के दाता है। मन के द्वारा स्मरण और ध्यान करने पर वे अपनी उत्तम भक्ति प्रदान करते हैं जो संसार समुद्र से तारनेवाली है। कैसा भी मनुष्य क्यों ना हो, श्री राम का स्मरण करके परमगति को प्राप्त कर लेता है।

यह संपूर्ण वेद और शास्त्रों का रहस्य है। एक ही देवता है – श्री राम। एक ही व्रत है – श्री रामका पूजन। एक ही मंत्र है – श्री राम क नाम तथा एक ही शास्त्र है उनकी स्तुति।

अतः सब प्रकार से परम मनोहर श्री रामचंद्र जी का भजन करो, जिससे तुम्हारे लिए यह महान संसार सागर गाय के खुर के समान तुच्छ हो जाए।

Bhaye Pragat Kripala, Deen Dayala

जगजीत सिंह (Jagjit Singh)

Narendra Chanchal

भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला

भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी॥

लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा,
निज आयुध भुजचारी।
भूषन बनमाला, नयन बिसाला,
सोभासिंधु खरारी॥

कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी,
केहि बिधि करूं अनंता।
माया गुन ग्यानातीत अमाना,
वेद पुरान भनंता॥

करुना सुख सागर, सब गुन आगर,
जेहि गावहिं श्रुति संता।
सो मम हित लागी, जन अनुरागी,
भयउ प्रगट श्रीकंता॥

ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया,
रोम रोम प्रति बेद कहै।
मम उर सो बासी, यह उपहासी,
सुनत धीर मति थिर न रहै॥

उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना,
चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।
कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई,
जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै॥

माता पुनि बोली, सो मति डोली,
तजहु तात यह रूपा।
कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला,
यह सुख परम अनूपा॥

सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना,
होइ बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं,
ते न परहिं भवकूपा॥

भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी॥

श्री राम, जय राम, जय जय राम
श्री राम, जय राम, जय जय राम

Bhaye Pragat Kripala, Deen Dayala
Bhaye Pragat Kripala, Deen Dayala

भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी॥

Bhaye Pragat Kripala, Deen Dayala – Lyrics in English


Bhaye Pragat Kripala, Deen Dayala

Bhaye pragat kripala, deen dayala,
Kausalya hitakaari.
Harashit mahataari, muni man haari,
adbhut roop bichaari.

Lochan abhiraama, tanu ghan-shyama,
nij aayudh bhujachaari.
Bhooshan ban-maala, nayan bisaala,
sobhaa-sindhu kharaari.

Kah dui kar jori astuti tori
kehi bidhi karu anantaa.
Maaya gun gyaanaatit amaana
ved puraan bhananta.

Karuna sukh saagar, sab gun aagar,
jehi gaavahin shruti santa.
So mam hit laagi, jan anuraagi,
bhayu pragat shrikanta.

Brahmaand nikaaya, nirmit maaya,
rom rom prati bed kahai.
Mam ur so baasi, yah upahaasi,
sunat dhir mati thir na rahai.

Upaja jab gyaana, prabhu musukaana,
charit bahut bidhi kinh chahai.
Kahi katha suhai, maatu bujhai,
jehi prakaar sut prem lahai.

Maata puni boli, so mati doli,
tajahu taat yah roopa.
Kijai sisulila, ati priyasila,
yah sukh param anoopa.

Suni bachan sujaana, rodan thaana,
hoi baalak soorbhupa.
Yah charit je gaavahin, Haripad paavahin,
te na padahi bhavakoopa.

Bhaye pragat kripala, din dayala,
Kausalya hitakaari.
Harashit mahataari, muni man haari,
adbhut roop bichaari.

Shri Ram, Jai Ram, Jai Jai Ram
Shri Ram, Jai Ram, Jai Jai Ram


Bhaye Pragat Kripala, Deen Dayala

जगजीत सिंह (Jagjit Singh)

Narendra Chanchal


Ram Bhajan



Bhaye Pragat Kripala, Deen Dayala – Lyrics in Hindi


भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला

भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।

भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी॥


लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा,
निज आयुध भुजचारी।
भूषन बनमाला, नयन बिसाला,
सोभासिंधु खरारी॥


कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी,
केहि बिधि करूं अनंता।
माया गुन ग्यानातीत अमाना,
वेद पुरान भनंता॥


करुना सुख सागर, सब गुन आगर,
जेहि गावहिं श्रुति संता।
सो मम हित लागी, जन अनुरागी,
भयउ प्रगट श्रीकंता॥


ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया,
रोम रोम प्रति बेद कहै।
मम उर सो बासी, यह उपहासी,
सुनत धीर मति थिर न रहै॥


उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना,
चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।
कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई,
जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै॥


माता पुनि बोली, सो मति डोली,
तजहु तात यह रूपा।
कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला,
यह सुख परम अनूपा॥


सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना,
होइ बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं,
ते न परहिं भवकूपा॥


भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी॥


श्री राम, जय राम, जय जय राम
श्री राम, जय राम, जय जय राम


Bhaye Pragat Kripala, Deen Dayala

जगजीत सिंह (Jagjit Singh)

Narendra Chanchal


Ram Bhajan



Hey Ram, Hey Ram, Jag Me Sacho Tera Naam – Lyrics in Hindi


हे राम, हे राम, जग में सांचो तेरो नाम

हे राम, हे राम – हे राम, हे राम
जग में सांचो तेरो नाम
हे राम, हे राम – हे राम, हे राम


तू ही माता, तू ही पिता है
तू ही तो है राधा का श्याम
हे राम, हे राम – हे राम, हे राम


तू अंतर्यामी, सबका स्वामी
तेरे चरणों में चारो धाम
हे राम, हे राम – हे राम, हे राम


तू ही बिगाड़े, तू ही संवारे
इस जग के सारे काम
हे राम, हे राम – हे राम, हे राम


तू ही जगदाता, विश्वविधाता
तू ही सुबह, तू ही शाम
हे राम, हे राम – हे राम, हे राम


हे राम, हे राम – हे राम, हे राम
जग में सांचो तेरो नाम
हे राम, हे राम – हे राम, हे राम


Hey Ram, Hey Ram, Jag Me Sacho Tera Naam

Jagjit Singh


Ram Bhajan



राम नाम जप

नामकी महिमा अपार है। यह भगवानकी प्रत्यक्ष विभूति है। नामजपके अमित प्रभावसे डाकू रत्नाकर महर्षि वाल्मीकि बन गये।

आशुतोष भगवान् शंकरने नामजपके प्रभावसे ही हलाहलको कण्ठमें धारण कर लिया और नीलकण्ठ बनकर संसारको भस्मीभूत होनेसे बचा लिया।

भगवन्नामकी ऐसी अपार महिमाको समझकर जो नाम-जपका आश्रय लेते हैं, उनका यह लोक और परलोक दोनों आनन्दसे परिपूर्ण हो जाते हैं।

नामके प्रभावसे असंख्य साधकोंको चमत्कारमयी सिद्धियाँ प्राप्त हुईं। साधारण मानव यदि महान् विपत्तियों और दुर्निवार संकटोंके आनेपर भगवन्नाम स्मरणका सहारा ले तो निश्चय ही उसको संकटोंसे मुक्ति मिल जाती है।

नामजपके प्रभावसे ही भक्तशिरोमणि बालक प्रह्लादको धधकती हुई ज्वाला भस्म नहीं कर सकी, बालक ध्रुवको अविचल पदवी प्राप्त हुई।

नामजपके प्रभावसे महावीर हनुमानजीने रामको अपना ऋणिया बनाकर अपने वशमें कर लिया।

इस घोर कलिकालमें भी जो बड़भागी भगवन्नामका आश्रय नहीं छोड़ते, उनके सभी शास्त्रानुमोदित कार्य सफल होते हैं । भगवन्नामके प्रभावसे माता और पिताकी भाँति सदैव उनकी अलक्षित रूपसे सुरक्षा होती रहती है।

मानव-जीवनके कल्याणका सर्वसुलभ एवं सर्वोत्तम साधन नामजप ही है। इसलिए तापसंतप्त मानवके लिये ईश्वरके नाम जापसे अधिक सरल सुगम कोई अन्य उपाय और साधन नहीं है।

नामजपकी अपार महिमाका वर्णन लेखनी और वाणीसे सम्भव नहीं है। उसकी सुखद अनुभूति तो इस पथके पथिकको अर्थात भक्तिपूर्वक नाम जप करनेवाले को ही हो सकती है।


Ram Bhajan



Hey Ram, Hey Ram, Jag Me Sacho Tera Naam – Lyrics in English


Hey Ram, Hey Ram, Jag Me Sacho Tera Naam

Hey Ram, Hey Ram
Hey Ram, Hey Ram
Jag mein sacho tero naam

Hey Ram, Hey Ram
Hey Ram, Hey Ram


Tu hi mata, tu hi pita hai
Tu hi to hai Radha ka Shyam
Hey Ram, Hey Ram
Hey Ram, Hey Ram


Tu antaryami, sabka swami
Tere charno men charo dhaam
Hey Ram, Hey Ram
Hey Ram, Hey Ram


Tu hi bigade, tu hi sawaren
Iss jag ke sare kaam
Hey Ram, Hey Ram
Hey Ram, Hey Ram


Tu hi jagdata, vishwavidhata
Tu hi subah, tuhi shaam
Hey Ram, Hey Ram
Hey Ram, Hey Ram


Hey Ram, Hey Ram – Hey Ram, Hey Ram
Jag mein sancho tero naam
Hey Ram, Hey Ram – Hey Ram, Hey Ram


Hey Ram, Hey Ram, Jag Me Sacho Tera Naam

Jagjit Singh


Ram Bhajan



Ganpati Bappa Morya, Mangal Murti Morya – Lyrics in Hindi


गणपति बाप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया

गणपति बाप्पा मोरया,
मंगल मूर्ति मोरया।

गणपति बाप्पा मोरया,
मंगल मूर्ति मोरया।
सिद्धिविनायक मोरया
गिरिजानंदन मोरया॥

गणपति बाप्पा मोरया
मंगल मूर्ति मोरया।


एकदन्त जय मोरया
गौरीसूत मोरया।
जय लम्बोदर मोरया
अग्रदेव जय मोरया॥

गणपति बाप्पा मोरया
मंगल मूर्ति मोरया।


विघ्नविनाशक मोरया
जय धूमेश्वर मोरया।
गजानना जय मोरया
विद्या वारिधि मोरया॥

गणपति बाप्पा मोरया
मंगल मूर्ति मोरया।


शुभकर्ता जय मोरया
दुखहर्ता जय मोरया।
कृपासिंधु जय मोरया
बुद्धि विधाता मोरया॥

गणपति बाप्पा मोरया
मंगल मूर्ति मोरया।


भवानी नंदन मोरया
जय शिव नंदन मोरया।
जय मोदक प्रिय मोरया
अष्टविनायक मोरया॥

गणपति बाप्पा मोरया,
मंगल मूर्ति मोरया।
सिद्धिविनायक मोरया
गिरिजानंदन मोरया॥


गणपति बाप्पा मोरया
मंगल मूर्ति मोरया।


Ganpati Bappa Morya, Mangal Murti Morya

Jagjit Singh


Ganesh Bhajan



Ganpati Bappa Morya, Mangal Murti Morya – Lyrics in English


Ganpati Bappa Morya, Mangal Murti Morya

Ganpati bappa morya
Mangal murti morya
Sidhhivinayak morya
Girjanandan morya

Ganapati bappa morya
Mangal murti morya

Ek dant jai morya
Gauri-sut morya
Jai lambodar morya
Agra dev jai morya

Ganapati bappa morya
Mangal moorti morya

Vighna vinashak morya
Jai dhumeshvar morya
Gajanana jai morya
Vidhya varidhi morya

Ganpati bappa morya
Mangal murti morya

Subh karta jai morya
Dukh harta jai morya

Kripa sindhu jai morya
Buddhi vidhata morya

Ganapati bappa morya
Mangal murti morya

Bhawani nandan morya
Jai shiv nandan morya
Jai modak priya morya
Ashthavinayak morya

Ganapati bappa morya
Mangal murti morya
Sidhhivinayak morya
Girjanandan morya
Ganapati bappa morya
Mangal murti morya


Ganpati Bappa Morya, Mangal Murti Morya

Jagjit Singh


Ganesh Bhajan



De Maa, Nij Charno Ka Pyar – Lyrics in Hindi


दे माँ, निज चरणों का प्यार

जय जय माँ, जय माँ
जय जय माँ, जय माँ

दे माँ, निज चरणों का प्यार
दे माँ, निज चरणों का प्यार

जय जय माँ, जय माँ
जय जय माँ, जय माँ


पूर्ण प्रेम दे, अमर स्नेह दे,
दिव्य शान्ति दे, आनन्द भी दे।

पूजा करूँ सदा मैं तेरी,
पूजा करूँ सदा मैं तेरी,
दे सुमिरन का आधार॥

दे माँ, निज चरणों का प्यार
दे माँ, निज चरणों का प्यार

जय जय माँ, जय माँ
जय जय माँ, जय माँ


तुझ को जानूँ, तुझ को मानूँ,
तुझ पर ही निज जीवन वारूँ।

ध्यान रहे तेरा ही निस-दिन,
ध्यान रहे तेरा ही निस-दिन,
दे भक्ति का उपहार॥

दे माँ, निज चरणों का प्यार
दे माँ, निज चरणों का प्यार

जय जय माँ, जय माँ
जय जय माँ, जय माँ


हृदय अभीप्सा से जाग्रत हो,
अभय हस्त मेरे सिर पर हो।

दिव्य प्रेम से ओत प्रोत हो,
दिव्य प्रेम से ओत प्रोत हो,
जीवन का पारावार॥

दे माँ, निज चरणों का प्यार
दे माँ, निज चरणों का प्यार

जय जय माँ, जय माँ
जय जय माँ, जय माँ


De Maa, Nij Charno Ka Pyar

Jagjit Singh


Durga Bhajan



 

De Maa, Nij Charno Ka Pyar – Lyrics in English


De Maa, Nij Charno Ka Pyar

Jai Jai Maa, Jai Maa
Jai Jai Maa, Jai Maa

De maa, nij charno ka pyar
De maa, nij charno ka pyar

Jai Jai Maa, Jai Maa
Jai Jai Maa, Jai Maa


Poorna prem de, amar sneh de,
divya shaanti de, anand bhi de.

Pooja karoo sada main teri,
puja karoo sada main teri,
de sumiran ka aadhaar.

De maa, nij charno ka pyar
De maa, nij charno ka pyar

Jai Jai Maa, Jai Maa
Jai Jai Maa, Jai Maa


Tujh ko jaanoo, tujh ko maanoo,
tujh par hi nij jivan vaaroo.

Dhyaan rahe tera hi nis-din,
dhyaan rahe tera hi nis-din,
de bhakti ka upahaar.

De maa, nij charno ka pyar
De maa, nij charno ka pyar

Jai Jai Maa, Jai Maa
Jai Jai Maa, Jai Maa


Hriday abhipsa se jaagrat ho,
abhay hast mere sir par ho.

Divya prem se ot prot ho,
divy prem se ot prot ho,
jivan ka paaraavaar.

De maa, nij charno ka pyar
De maa, nij charno ka pyar

Jai Jai Maa, Jai Maa
Jai Jai Maa, Jai Maa


De Maa, Nij Charno Ka Pyar

Jagjit Singh


Durga Bhajan



 

Meera ke Bhajan – Prarthana


Meera ke Bhajan -Prarthna

  • तुम सुणौ दयाल म्हारी अरजी
  • हरि तुम हरो जन की भीर
  • अब मैं सरण तिहारी जी
  • मीराको प्रभु साँची दासी बनाओ
  • मैं तो तेरी सरण परी रे
  • हरि बिन कूण गती मेरी
  • प्रभुजी मैं अरज करूँ

तुम सुणौ दयाल म्हारी अरजी


तुम सुणौ दयाल म्हारी अरजी॥
(म्हारी = मेरी)
भवसागर में बही जात हूँ,
काढ़ो तो थांरी मरजी।
(काढ़ो = निकाल लो;
थांरी मरजी = तुम्हारी मरजी)


इण (यो) संसार सगो नहिं कोई,
सांचा सगा रघुबरजी॥
(इण संसार = इस संसार में)
मात पिता औ / सुत  कुटुम कबीलो,
सब मतलब के गरजी।
(गरजी = स्वार्थी)


मीराकी प्रभु अरजी सुण लो,
चरण लगाओ थांरी मरजी॥

अब मैं सरण तिहारी जी

Tripti Shakya


अब मैं सरण तिहारी जी,
मोहि राखौ कृपा निधान
अजामील अपराधी तारे,
तारे नीच सदान।
जल डूबत गजराज उबारे,
गणिका चढी बिमान॥1॥
और अधम तारे बहुतेरे,
भाखत संत सुजान।
कुबजा नीच भीलणी तारी,
जागे सकल जहान॥2॥
कहँ लग कहूँ गिणत नहिं आवै,
थकि रहे बेद पुरान।
मीरा दासी शरण तिहारी,
सुनिये दोनों कान॥3॥

हरि तुम हरो जन की भीर

Jagjit Singh


हरि तुम हरो जन की भीर।
द्रोपदी की लाज राखी,
तुरत बढ़ायो चीर॥
भगत कारण रूप नर हरि,
धरयो आप सरीर॥
हिरण्याकुस को मारि लीन्हो,
धरयो नाहिन धीर॥
बूड़तो गजराज राख्यो,
कियौ बाहर नीर॥
दासी मीरा लाल गिरधर,
चरण-कंवल पर सीर॥

मीराको प्रभु साँची दासी बनाओ

मीराको प्रभु साँची दासी बनाओ।
झूठे धंधोंसे मेरा फंदा छुडाओ॥1॥
लूटे ही लेत विवेक का डेरा
बुधि बल यदपि करूँ बहुतेरा॥2॥
हाय। हाय। नहिं कछु बस मेरा।
मरत हूँ बिबस प्रभु धाओ सबेरा॥3॥
धर्मउपदेश नितप्रति सुनती हूँ।
मन कुचाल से भी डरती हूँ॥4॥
सदा साधु सेवा करती हूँ।
सुमिरण ध्यानमें चित धरती हूँ॥5॥
भक्ति मारग दासीको दिखलाओ।
मीराको प्रभु साँची दासी बनाओ॥6॥

हमने सुणी छै हरी अधम उधारण

हमने सुणी छै हरी अधम उधारण।
अधम उधारण सब जग तारण॥टेक॥
गजकी अरज गरज उठ ध्यायो
संकट पड्‌यो तब कष्ट निवारण॥1॥
द्रुपद सुताको चीर बढ़ायो,
दूसासनको मान पद मारण।
प्रहलादकी परतिग्या राखी,
हरणाकुस नख उद्र बिदारण॥2॥
रिखिपतनीपर किरपा कीन्हीं,
बिप्र सुदामाकी बिपति बिदारण।
मीराके प्रभु मो बंदीपर,
एति अबेरि भई किण कारण॥3॥
(मो बंदीपर – मुझपर;
एति अबेरि भई किण कारण – इतनी देरी किस कारण से की?)

सुण लीजो बिनती मोरी

सुण लीजो बिनती मोरी,
मैं शरण गही प्रभु तेरी।
तुम (तो) पतित अनेक उधारे,
भव सागरसे तारे॥
मैं सबका तो नाम न जानूँ,
कोइ कोई नाम उचारे।
अम्बरीष सुदामा नामा,
तुम पहुँचाये निज धामा॥
ध्रुव जो पाँच वर्षके बालक,
तुम दरस दिये घनस्यामा।
धना भक्तका खेत जमाया,
कबिराका बैल चराया॥
सबरीका जूंठा फल खाया,
तुम काज किये मन भाया।
सदना औ सेना नाईको,
तुम कीन्हा अपनाई॥
करमाकी खिचड़ी खाई,
तुम गणिका पार लगाई।
मीरा प्रभु तुमरे रँग राती,
या जानत सब दुनियाई॥

मैं तो तेरी सरण परी रे

मैं तो तेरी सरण परी रे,
रामा ज्यूँ जाडे ज्यूँ तार।
अड़सठ तीरथ भ्रम भ्रम आयो,
मन नहिं मानी हार॥
या जगमें कोई नहि अपणा,
सुणियौ श्रवण मुरार।
मीरा दासी राम भरोसे,
जमका फंदा निवार॥

हरि बिन कूण गती मेरी

हरि बिन कूण गती मेरी।
तुम मेरे प्रतिपाल कहिये,
मैं रावरी चेरी॥
आदि अंत निज नाँव,
तेरो हीयामें फेरी?
बेर बेर पुकार कहूँ,
प्रभु आरति है तेरी॥
यौ संसार बिकार
सागर बीचमें घेरी।
नाव फाटी प्रभु,
पाल बाँधो बूडत है बेरी॥
बिरहणि पिवकी बाट
जोवै राखल्यो नेरी।
दासि मीरा राम रटत है,
मैं सरण हूँ तेरी॥

स्वामी सब संसारके हो

स्वामी सब संसारके हो
साँचे श्रीभगवान॥
स्थावर जंगम पावक पाणी,
धरती बीज समान।
सबमें महिमा थारी देखी,
कुदरतके करबान॥
बिप्र सुदामाको दाबद
खोंयो बालेकी पहचान।
दो मुट्ठी तंदुलकी चाबी
दीन्हयों द्रव्य महान॥
भारतमें अर्जुनके आगे
आप भया रथवान।
अर्जुन कुलका लोग निहार्‌या
छुट गया तीर कमान॥
ना कोई मारे ना कोइ मरतो,
तेरो यो अग्यान।
चेतन जीव तो अजर अमर है,
यो गीतारो ग्यान॥
मेरेपर प्रभु किरपा कीजौ,
बाँदी अपणी जान
मीराके प्रभु गिरधर नागर,
चरण कँवलमें ध्यान॥

प्रभुजी मैं अरज करूँ

प्रभुजी मैं अरज करूँ,
मेरो बेड़ों लगाज्यो पार॥
इण भवमें मैं दुख बहु पायो,
संसा-सोग निवार।
अष्ट करमकी तलब लगी है,
दूर करो दुख भार॥
यों संसार सब बह्यो जात है,
लख चौरासी री धार।
मीराके प्रभु गिरधर नागर,
आवागमन निवार॥

थे तो पलक उघाडो दीनानाथ

थे तो पलक उघाडो दीनानाथ,
मैं हाजिर-नाजिर कदकी खड़ी॥टेक॥
साजनियाँ दुसमण होय बैठ्या,
सबने लगूँ कडी।
तुम बिन साजन कोई नहिं है,
डिगी नाव मेरी समँद अड़ी॥1॥
दिन नहि चैन रैण नहि निंदरा,
सूखूँ खड़ी खडी।
बाण बिरहका लगया हियेमें,
भूलूँ न एक घड़ी॥2॥
पत्थरकी तो अहिल्या तारी,
बनके बीच पड़ी।
कहा बोझ मीरामें कहिये,
सौ पर एक घड़ी॥3॥

प्यारे दरसन दीज्यो आय

प्यारे दरसन दीज्यो आय,
तुम बिन रह्यो न जाय॥टेक॥
जब बिन कमल, चंद बिन रजनी,
ऐसे तुम देख्याँ बिन सजनी।
अकुल व्याकुल फिर रैन दिन,
बिरह कलेजो खाय॥1॥
दिवस न भूख, नींद नहि रैना
मुख सूँ कथत न आवे बैना।
कहा कहूँ कछु कहत न आवै,
मिलकर तपत बुझाय॥2॥
तरसावो अंतरजामी,
आय मिलो किरपाकर स्वामी।
मीरा दासी जनम – जनम की,
पड़ी तुम्हारे पाय॥3॥

अब सो निभायाँ सरेगी

अब सो निभायाँ सरेगी,
बाँह गहेकी लाज।
समरथ सरण तुम्हारी सइयाँ,
सरब सुधारण काज॥1॥
भवसागर संसार अपरबल,
जामें तुम हो झयाज।
गिरधाराँ आधार जगत गुरु,
तुम बिन होय अकाज॥2॥
जुग जुग भीर हरी भगतनकी,
दीनी मोक्ष समाज।
मीरा सरण गही चरणनकी,
लाज रखो महाराज॥3॥

स्याम मोरी बांहडली जी गहो

स्याम मोरी बांहडली जी गहो।
या भवसागर मँझधारमें,
थे ही निभावण हो॥
म्हामें औगण घडा छै हो,
प्रभुजी थे ही सही तो सहो।
मीराके प्रभु हरि अबिनासी,
लाज बिरदकी बहो॥
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