गणपति गणेश को, उमा पति महेश को मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है। गणपति गणेश को, उमा पति महेश को मेरा प्रणाम है जी, मेरा प्रणाम है।
शिव जटाधारी को, सबके पालनहारे को मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है। गणपति गणेश को, उमा पति महेश को मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है।
सीता पति राम को, मुक्ति के धाम को मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है। गणपति गणेश को, उमा पति महेश को मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है।
कृष्ण कन्हैया को, राधाजी के श्याम को मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है। गणपति गणेश को, उमा पति महेश को मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है।
दुर्गा महारानी को, अष्टभुजा भवानी को मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है। गणपति गणेश को, उमा पति महेश को मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है।
माँ शेरा वाली को, खड़ग खप्पर वाली को मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है। गणपति गणेश को, उमा पति महेश को मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है।
नारायण अवतार को, लक्ष्मीपति विष्णु को मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है गणपति गणेश को, उमा पति महेश को मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है
अंजनी के पूत को, श्री रामजी के दूत को मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है। गणपति गणेश को, उमा पति महेश को मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है।
नन्द के दुलारे को, यशोदाजी के प्यारे को मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है। गणपति गणेश को, उमा पति महेश को मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है।
कृष्ण जिनका नाम है, मथुरा जिनका धाम है ऐसे मुरली बजैया को, मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है। गणपति गणेश को, उमा पति महेश को मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है।
राम जिनका नाम है, अयोध्या जिनका धाम है ऐसे धनुर्धारी को, मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है। गणपति गणेश को, उमा पति महेश को मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है।
शिव शंकर जिनका नाम है, कैलाश जिनका धाम है ऐसे डमरू बजैया को, मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है। गणपति गणेश को, उमा पति महेश को मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है।
विष्णु जिनका नाम है, क्षीर सागर जिनका धाम है ऐसे चक्रधारी को, मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है। गणपति गणेश को, उमा पति महेश को मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है।
गणपति गणेश को, उमा पति महेश को मेरा प्रणाम है जी, मेरा प्रणाम है।
Ganpati Ganesh Ko Uma Pati Mahesh Ko Mera Pranaam Hai
शेंदुर लाल चढ़ायो लिरिक्स के इस पेज में पहले गणेशजी की आरती के हिंदी लिरिक्स दिए गए है।
बाद में जय जय श्री गणराज आरती का आध्यात्मिक महत्व दिया गया है और इसकी पंक्तियों से हमें कौन कौन सी बातें सीखने को मिलती है यह बताया गया है।
जैसे की यह आरती हमें बताती है कि गणेशजी अपने भक्तों पर हमेशा कृपा करते हैं। यदि कोई व्यक्ति गणेशजी के प्रति सच्ची भक्ति और श्रद्धा रखता है, तो उसे हमेशा सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। वे अपने भक्त की सभी तरह की परेशानियों को और कष्टों को दूर करते हैं। इसलिए गणेशजी को विघ्नों को दूर करने वाले, विघ्नहर्ता भी कहा जाता है।
Shendur Lal Chadhayo Lyrics
शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको। दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको॥
हाथ लिए गुड-लड्डू सांई सुरवरको। महिमा कहे न जाय लागत हूँ पदको॥ जय देव, जय देव
जय जय जी गणराज विद्या सुखदाता। धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता॥ जय देव, जय देव
जय जय जी गणराज विद्या सुखदाता। धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता॥
गणेशजी विद्या और सुख के दाता हैं।
गणेशजी से हम विद्या और सुख की कामना क्यों करते हैं। क्योंकि ज्ञान और सुख का जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।
ज्ञान हमें जीवन में आगे बढ़ने में मदद करता है, और जब जीवन में दुःख दूर होते है, संकट दूर हो जाते है, और जीवन में सुख आता है, तो यह खुशी हमें जीवन को बेहतर तरीके से जीने में मदद करती है।
इसलिए इस पंक्ति से हमें सीखने को मिलता है कि ज्ञान और सुख की प्राप्ति के लिए गणेश जी की आराधना और उपासना करना चाहिए।
इस श्लोक का अर्थ है – अणिमा , महिमा, लघिमा, गरिमा तथा प्राप्ति प्राकाम्य इशित्व और वशित्व ये सिद्धियां “अष्टसिद्धि” कहलाती हैं।
इस सिद्धियों के शब्द के अर्थ आरती के आध्यात्मिक महत्व के बाद में दिए गए है।
यह सिद्धियां जिसके पास होती है वह अपने आकार को जैसा चाहे कम या ज्यादा कर सकता है, यानी की सूक्ष्मता की सीमा पार कर सूक्ष्म से सूक्ष्म तथा विशाल से विशाल, जितना चाहे विशालकाय हो सकता है। साथ ही साथ उसके पास किसी भी प्राणी या वस्तु पर पूर्ण अधिकार की क्षमता होती है।
इसलिए गणेशजी की भक्ति और ध्यान करने से वे हमारे सभी कार्यों में सफलता दिलाते हैं और हमारे सभी विघ्नों को दूर करते हैं।
कोटी सूरज प्रकाश ऐसी छबि तेरी। गंडस्थल-मदमस्तक झूले शशिबिहारी
गणेशजी की छवि करोड़ों सूर्यों के समान प्रकाशमान है।
वे बहुत ही शक्तिशाली और महान हैं। इसलिए जब हम उनकी पूजा और आराधना करते है, तब गणेशजी हमें अपने जीवन में ज्ञान, सुख, सिद्धि, और विघ्नों को दूर करने की शक्ति प्रदान करते हैं।
गणेशजी के मस्तक पर चंद्रमा विराजमान है। यह हमें यह सिखाती है कि गणेशजी ज्ञान और प्रकाश के प्रतीक हैं। हमें उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को ज्ञान और प्रकाश से भरना चाहिए।
भावभगत से कोई शरणागत आवे। संतत संपत सब ही भरपूर पावे।
यह पंक्ति हमें बताती है कि गणेशजी की पूजा करते समय हमारे मन में सच्ची भक्ति और श्रद्धा का भाव होना चाहिए।
बिना भाव और श्रद्धा के गणेशजी की कृपा प्राप्त नहीं होती है।
इसलिए, हमें गणेशजी की पूजा करते समय उनका ध्यान करना चाहिए और उनके आशीर्वाद की कामना करनी चाहिए।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे। गोसावी नंदन निशिदिन गुन गावे॥
गणेशजी एक दयालु और करुणामयी देवता हैं। वे अपने भक्तों को हमेशा अपना आशीर्वाद देते हैं। इसलिए, हमें गणेशजी की पूजा करके उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में सफलता और खुशहाली प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको। दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको॥
भगवान गणेश जी को सिंदूर चढ़ाना उनकी पूजा का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो उनकी शक्ति, सौंदर्य और कल्याण का प्रतीक है।
भगवान गणेश जी पार्वती माता और शिव जी के प्रिय पुत्र हैं, जो समस्त सृष्टि के पालनहार हैं।
हाथ लिए गुड-लड्डू सांई सुरवरको। महिमा कहे न जाय लागत हूँ पदको॥
भगवान गणेश जी को मोदक अति प्रिय है, इसलिए गणपतिजी की पूजा के समय मोदक का प्रसाद चढ़ाया जाता है ,जो प्रसन्न करने वाला है, जो मिठास, संतुष्टि और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है।
भगवान गणेश जी की महिमा का कोई परिमाण नहीं है, उनके चरणों में समर्पित होने से ही हमें मुक्ति मिल सकती है।
भगवान की महिमा कभी भी कही जाने के लायक नहीं होती है, यानी की भगवान की महिमा को शब्दों में प्रकट करना मुश्किल है, और भक्त केवल अपने सेवाभाव से उनकी पूजा करता है। इससे हमें यह सिखने को मिलता है कि भक्ति का महत्त्व शब्दों से अधिक होता है।
अष्टसिद्धि यानी की आठ सिद्धियां कौन सी है ?
1. अणिमा – अपने शरीर को एक अणु के समान छोटा कर लेने की क्षमता। 2. महिमा – शरीर का आकार अत्यन्त बड़ा करने की क्षमता। 3. गरिमा – शरीर को अत्यन्त भारी बना देने की क्षमता। 4. लघिमा – शरीर को भार रहित करने की क्षमता। 5. प्राप्ति – बिना रोक टोक के किसी भी स्थान को जाने की क्षमता। 6. प्राकाम्य – अपनी प्रत्येक इच्छा को पूर्ण करने की क्षमता। 7. ईशित्व – प्रत्येक वस्तु और प्राणी पर पूर्ण अधिकार की क्षमता। 8. वशित्व – प्रत्येक प्राणी को वश में करने की क्षमता।