Jai Ganesh Jai Ganesh Deva – Ganesh Aarti – Lyrics in English


Jai Ganesh Jai Ganesh Deva – Ganesh Aarti

Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva.
Mata jaki Parvati, pita Mahadeva.


Ek dant dayaavant, chaar bhuja dhaari.
Maathe par tilak sohe, moose ki savaari.
Paan chadhe phool chadhe, aur chadhe meva.
Laduvan ka bhog lage, sant kare seva.


Andhan ko aankh det, kodhin ko kaaya.
Baanjhan ko putra det, nirdhan ko maaya.
Sur shyaam sharan aaye, saphal kije seva.
Mata jaki Parvati, pita Mahadeva.

(or –
deenan ki laaj rakho, shambhu sutkaari.
kaamana ko poorn karo jaoon balihaari.)


Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva.
Mata jaki Parvati, pita Mahadeva.


Shlok
Vrakatund Mahaakaay,
Suryakoti Samaprabhaah.
Nirvaghnam Kuru me Dev,
Sarvakaaryeshu Sarvada.


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Jai Ganesh Jai Ganesh Deva – Ganesh Aarti

सुरेश वाडकर (Suresh Wadkar)


Ganesh Bhajan



Jai Ganesh Jai Ganesh Deva – Ganesh Aarti – Lyrics in Hindi


श्री गणेश आरती – जय गणेश जय गणेश देवा

श्री गणेश आरती – जय गणेश जय गणेश देवा लिरिक्स के इस पेज में पहले आरती के हिंदी लिरिक्स दिए गए है।

बाद में इस आरती का आध्यात्मिक महत्व दिया गया है और इसकी पंक्तियों से हमें कौन कौन सी बातें सिखने को मिलती है यह बताया गया है।

जैसे की यह आरती हमें बताती है की गणेशजी अपने भक्तों को हमेशा सुख और समृद्धि प्रदान करते हैं। यदि कोई व्यक्ति गणेशजी के प्रति सच्ची भक्ति और श्रद्धा रखता है, उनकी शरण में आता है, उसे जीवन में कभी कोई कष्ट नहीं होता है।

इसलिए, हमें गणेशजी की पूजा करके, उनके आशीर्वाद से अपने जीवन से सभी तरह के विघ्नों को दूर करने का और जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।


Jai Ganesh Jai Ganesh Deva Lyrics

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

[जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥]


एक दन्त दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी॥

पान चढ़े फुल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लडुवन का भोग लगे, संत करे सेवा॥
[जय गणेश, जय गणेश….]


अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

सुर श्याम शरण आये, सफल किजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
[जय गणेश, जय गणेश….]
(Or
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥)
[जय गणेश, जय गणेश….]


जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥


Shlok:
व्रकतुंड महाकाय, सूर्यकोटी समप्रभाः।
निर्वघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा॥
ॐ गं गणपतये नमो नमः, श्री सिद्धिविनायक नमो नमः।
अष्टविनायक नमो नमः, गणपति बाप्पा मोरया॥


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Jai Ganesh Jai Ganesh Deva – Ganesh Aarti

सुरेश वाडकर (Suresh Wadkar)


Ganesh Bhajan



जय गणेश जय गणेश देवा आरती का आध्यात्मिक महत्व

जय गणेश जय गणेश देवा आरती की पंक्तियों में भगवान गणेश के विभिन्न गुणों और विशेषताओं का वर्णन किया गया है। इनकी कृपा से हमारा जीवन सुखमय और सफल होता है।

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, सुखकर्ता और वरदायक के रूप में जाना जाता है। इनकी कृपा से हमारे कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं और हमारे सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

भगवान गणेश दयालु और करुणामय हैं। ये सभी प्रकार के कष्टों से पीड़ित लोगों को सहायता प्रदान करते हैं।

भगवान गणेश की पूजा और आराधना से हमारे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।

अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

आरती की इन पंक्तियों में बताया गया है की किस प्रकार गणेशजी भक्तों के दुःख दूर करते है, और उनके कुछ चमत्कारों का वर्णन किया गया है। जैसे भगवान गणेश अंधे को आंख, कोढ़ी को काया, बांझ को पुत्र और निर्धन को माया प्रदान करते हैं। वे अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उनकी सेवा सफल करते हैं।

भगवान गणेश दयालु और करुणामयी हैं। वे सभी प्राणियों की रक्षा करते हैं और उनकी मदद करते हैं। वे सभी भक्तों पर समान दया करते हैं, चाहे वे अमीर हो या गरीब, स्वस्थ हों या बीमार, सुंदर हों या कुरूप।


कुछ विशेष बातें, जो हम आरती की पंक्तियों से सीख सकते हैं –

हमारे जीवन में आने वाली कठिनाइयों और बाधाओं का सामना करने के लिए हमें भगवान गणेश की शरण लेनी चाहिए।

हमारे सभी मनोरथों की पूर्ति के लिए हमें भगवान गणेश की पूजा और आराधना करनी चाहिए।

हमारे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त करने के लिए हमें भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करनी चाहिए।


जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

देवता और मनुष्य जिनको अपना प्रधान पूज्य समझते हैं, जो सबके वंदनीय हैं, विघ्न के काल है, विघ्न को हरने वाले हैं, जो शिवजी और माता पार्वतीजी के पुत्र है, उन गणेश जी का मैं रिद्धि और सिद्धि के साथ आवाहन करता हूं, उनको प्रणाम करता हूँ, उनका ध्यान करता हूँ।

एक दन्त दयावंत, चार भुजा धारी

एक दन्त दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी॥

जो रत्न के सिंहासन पर बैठे हैं, जिनके हाथों में पाश, अंकुश और कमल के फूल है, जो अभय दान और वरदान देने वाले हैं, जो देवताओं के गण के राजा है, लाल कमल के समान जिनके देह की आभा है, रिद्धि – सिद्धि के दाता श्री गणेशजी की मै सदैव उपासना करता हूँ।


अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

जो विघ्नरूप अंधकार का नाश करते है और भक्तों को अनेक प्रकार के फल देते हैं, उन करुणा रूप जलराशि से तरंगित नेत्रों वाले, सुखकर्ता, दुखहर्ता गणेशजी का मै ध्यान करता हूँ, वे हम लोगोका का कल्याण करे।


सुर श्याम शरण आये, सफल किजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

जिनको वेदांती लोग ब्रह्मा कहते हैं, और दूसरे लोग परम प्रधान पुरुष अथवा संसार की सृष्टि के कारण या ईश्वर कहते हैं, उन विघ्न विनाशक गणेश जी को नमस्कार है।


Ganesh Bhajan



Ya Devi Sarvabhuteshu – Durga Devi Mantra – Lyrics in Hindi with Meanings


या देवी सर्वभूतेषु मंत्र – दुर्गा मंत्र – अर्थ सहित

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते॥

  • हे नारायणी! तुम सब प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली मंगल मयी हो।
  • कल्याण दायिनी शिवा हो।
  • सब पुरुषार्थो को (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को) सिद्ध करने वाली हो।
  • शरणागत वत्सला, तीन नेत्रों वाली एवं गौरी हो।
  • हे नारायणी, तुम्हें नमस्कार है।

शक्ति, चेतना


Maa Durga Shakti-rupen

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सब प्राणियों में शक्ति रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।


या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभि-धीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सब प्राणियों में चेतना कहलाती हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।
(चेतना : sense, consciousness – स्वयं के और अपने आसपास के वातावरण के तत्वों का बोध होने, उन्हें समझने तथा उनकी बातों का मूल्यांकन करने की शक्ति)

मातृ, दया, क्षान्ति (क्षमा)


Maa Durga Matru-rupen

या देवी सर्वभूतेषु मातृ-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सभी प्राणियों में माता के रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।


या देवी सर्वभूतेषु दया-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सब प्राणियों में दया के रूप में विद्यमान हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।


या देवी सर्वभूतेषू क्षान्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सब प्राणियों में सहनशीलता, क्षमा के रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।

बुद्धि, विद्या, स्मृति


Maa Durga Saraswati

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सभी प्राणियों में बुद्धि के रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है। आपको मेरा बार-बार प्रणाम है।


या देवी सर्वभूतेषु विद्या-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सब प्राणियों में विद्या के रूप में विराजमान हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है। मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ।


या देवी सर्वभूतेषु स्मृति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

स्मृति : memory : याद, स्मरणशक्ति, याददाश्त, यादगार
जो देवी सभी प्राणियों में स्मृति (स्मरणशक्ति) रूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।

श्रद्धा, भक्ति, शांति


Bhakti Shraddha

या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी समस्त प्राणियों में श्रद्धा, आदर, सम्मान के रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है। मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ।


या देवी सर्वभूतेषु भक्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सब प्राणियों में भक्ति, निष्ठा, अनुराग के रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है। आपको मेरा बार-बार प्रणाम है।


या देवी सर्वभूतेषु शांति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी समस्त प्राणियों में शान्ति के रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।

लक्ष्मी


Maa Durga Lakshmi-rupen

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सब प्राणियों में लक्ष्मी, वैभव के रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।

जाति, कान्ति


या देवी सर्वभूतेषू जाति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जाति : जन्म, सभी वस्तुओ का मूल कारण
जो देवी सभी प्राणियों का मूल कारण है, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।


या देवी सर्वभूतेषू कान्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सभी प्राणियों में तेज, दिव्यज्योति, उर्जा रूप में विद्यमान हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।

तृष्णा, क्षुधा, भ्रान्ति


या देवी सर्वभूतेषु तृष्णा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सभी प्राणियों में चाहत के रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।


या देवी सर्वभूतेषु क्षुधा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी समस्त प्राणियों में भूख के रूप में विराजमान हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।


या देवी सर्वभूतेषू भ्रान्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

भ्रान्ति : illusion, delusion : माया, मोह, प्रपंच
जो देवी सब प्राणियों में भ्रान्ति रूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।

वृत्ति, तुष्टि, निद्रा


या देवी सर्वभूतेषु वृत्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

वृत्ति : instinct : सहज प्रवृत्ति, मूल प्रवृत्ति, अन्तःप्रेरणा, सहजवृत्ति, स्वाभाविक बुद्धि
जो देवी सब प्राणियों में वृत्ति, सहज प्रवृत्ति रूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।


या देवी सर्वभूतेषु तुष्टि-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सब प्राणियों में सन्तुष्टि के रूप में विराजमान हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।


या देवी सर्वभूतेषु निद्रा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जो देवी सभी प्राणियों में आराम, नींद के रूप में विराजमान हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।

Ya Devi Sarvabhuteshu – Durga Devi Mantra


Durga Bhajan



Devi Mantra – Ya Devi Sarva Bhuteshu – List

English Lyrics

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते॥

शक्ति, चेतना


या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभि-धीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मातृ, दया, क्षान्ति


या देवी सर्वभूतेषु मातृ-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु दया-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषू क्षान्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

बुद्धि, विद्या, स्मृति


या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु विद्या-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

श्रद्धा, भक्ति, शांति


या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु भक्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु शांति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

लक्ष्मी


या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

जाति, कान्ति


या देवी सर्वभूतेषू जाति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषू कान्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

तृष्णा, क्षुधा, भ्रान्ति


या देवी सर्वभूतेषु तृष्णा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु क्षुधा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषू भ्रान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टि-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

वृत्ति, तुष्टि, निद्रा


या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


या देवी सर्वभूतेषु निद्रा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


Durga Bhajan



 

Ya Devi Sarva Bhuteshu (with Meaning) – Lyrics in English


Ya Devi Sarva Bhuteshu (with Meaning) – Durga Devi Mantra

Sarva Mangal Mangalye
Shive Sarvartha Sadhike
Sharanye Tryambke Gauri
Narayani Namostute

Shakti, Chetana (consciousness)


Maa Durga Shakti-rupen

Ya Devi sarvabhuteshu
Shakti-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namaha

To that devi who lives in all beings in the form of shakti, power, strength. Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi sarva bhuteshu
Chetanetya bhi dhiyate
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namaha

To that devi who lives in all beings in the form of consciousness. Salutations to her, salutations, salutations again and again.
(chetna : consciousness, sense – state of being aware of and responsive to one’s surroundings)

Matru, Daya, Kshanti


Maa Durga Matru-rupen

Ya Devi sarvabhuteshu
Matru-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namaha

To that devi who lives in all beings in the form of mother Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi sarvabhooteshu
Daya-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

To that devi who lives in all beings in the form of kindness, mercy. Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi sarvabhuteshu
Kshanti rupen Sansthitaa
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namaha

Kshanti : (kshama) : forgiveness, forbearance, patience, tolerance, pardon
To that devi who lives in all beings in the form of forgiveness, tolerance. Salutations to her, salutations, salutations again and again.

Buddhi, Vidya, Smriti


Maa Durga Saraswati

Ya Devi sarvabhuteshu
Buddhi-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

To that devi who lives in all beings in the form of intelligence, wisdom. Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi sarvabhuteshu
Vidya-rupen sansthita,
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

To that devi who lives in all beings in the form of knowledge (vidya). Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi sarvabhooteshu
Smriti-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Smriti : (smaran-shakti) : memory, remembrance, reminiscence
To that devi who lives in all beings in the form of memory. Salutations to her, salutations, salutations again and again.

Shraddha, Bhakti, Shanti


Bhakti Shraddha

Ya Devi sarvabhooteshu
Shraddha-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

To that devi who lives in all beings in the form of faith, reverence. Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi sarvabhooteshu
Bhakti-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

To that devi who lives in all beings in the form of devotion (bhakti). Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi sarvabhooteshu
Shanti-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

To that devi who lives in all beings in the form of peace, serenity, calmness, tranquility. Salutations to her, salutations, salutations again and again.

Lakshmi


Maa Durga Lakshmi-rupen

Ya Devi sarvabhuteshu
Lakshmi-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

To that devi who lives in all beings in the form of prosperity (laxmi). Salutations to her, salutations, salutations again and again.

Jaati, Kaanti


Ya Devi sarvabhuteshu
Jaati-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

(Jaati janma, original cause of everything, existence)
To that devi who lives in all beings in the form of jaati. Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi sarvabhuteshu
Kaanti-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

To that devi who lives in all beings in the form of aura (kanti). Salutations to her, salutations, salutations again and again.

Trishna, Kshudha, Bhranti


Ya Devi sarvabhuteshu
Trishna-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

To that devi who lives in all beings in the form of thirst, desire. Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi sarvabhooteshu
Kshudha-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

To that devi who lives in all beings in the form of hunger, appetite. Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi sarvabhooteshu
Bhranti-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Bhranti : (maya, moh) : illusion, delusion
To that devi who lives in all beings in the form of delusion. Salutations to her, salutations, salutations again and again.

Vritti, Tushti, Nidra


Ya Devi sarvabhuteshu
Vritti-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Vritti : instinct, natural instinct, a natural or innate tendency.
To that devi who lives in all beings in the form of instinct. Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi sarvabhooteshu
Tushti-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

To that devi who lives in all beings in the form of satisfaction, contentment. Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi sarvabhuteshu
Nidra-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

To that devi who lives in all beings in the form of rest, relaxation, sleep. Salutations to her, salutations, salutations again and again.


Ya Devi Sarva Bhuteshu – Durga Devi Mantra


Durga Bhajan



Ya Devi Sarva Bhuteshu (with Meaning) – Durga Devi Mantra

Shakti, Chetana (consciousness)


Ya Devi sarvabhuteshu
Shakti-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namaha

Ya Devi sarva bhuteshu
Chetanetya bhi dhiyate
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namaha

Matru, Daya, Kshanti


Ya Devi sarvabhuteshu
Matru-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namaha

Ya Devi sarvabhooteshu
Daya-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Ya Devi sarvabhuteshu
Kshanti rupen Sansthitaa
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namaha

Buddhi, Vidya, Smriti


Ya Devi sarvabhuteshu
Buddhi-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Ya Devi sarvabhuteshu
Vidya-rupen sansthita,
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Ya Devi sarvabhooteshu
Smriti-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Shraddha, Bhakti, Shanti


Ya Devi sarvabhooteshu
Shraddha-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Ya Devi sarvabhooteshu
Bhakti-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Ya Devi sarvabhooteshu
Shanti-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Lakshmi


Ya Devi sarvabhuteshu
Lakshmi-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Jaati, Kaanti


Ya Devi sarvabhuteshu
Jaati-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Ya Devi sarvabhuteshu
Kaanti-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Trishna, Kshudha, Bhranti


Ya Devi sarvabhuteshu
Trishna-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Ya Devi sarvabhooteshu
Kshudha-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Ya Devi sarvabhooteshu
Bhranti-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Vritti, Tushti, Nidra


Ya Devi sarvabhuteshu
Vritti-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Ya Devi sarvabhooteshu
Tushti-roopen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah

Ya Devi sarvabhuteshu
Nidra-rupen sansthita.
Namas-tasyai namas-tasyai,
namas-tasyai namo namah


Durga Bhajan



Aigiri Nandini Lyrics – Mahishasura Mardini Stotram – Lyrics in English


Aigiri Nandini – Mahishasura Mardini Stotram

Aigiri nandini nandit medini
vishva vinodini nandanute
Girivara vindhya shirodhi nivaasini
vishhnu vilaasini jishhnunute.

Bhagavati he shitikantha kutumbini
bhuuri kutumbini bhuuri krite
Jay jay hey mahishasura mardini
ramyakapardini shailasute.

Suravar-varshhini durdhar-dharshini
durmukh-marshini harshharate
Tribhuvan-poshhini shankar-toshhini
kilbish-moshini ghoshharate.

Danuja niroshhini ditisuta roshhini
durmada shoshhini sindhusute
Jay jay hey mahishasura mardini
ramyakapardini shailasute.

Ayi jagadamba madamba kadamba
vanapriya vaasini haasarate
Shikhari shiromani tunga himaalaya
shringa nijaalaya madhyagate.

Madhu madhure madhu kaitabha
ganjini kaitabha bhanjini raasarate
Jay jay hey mahishasura mardini
ramyakapardini shailasute.

Ayi shatakhanda vikhandita runda
vitundita shunda gajaadhipate
Ripu gaja ganda vidaarana chanda
paraakrama shunda mrigaadhipate.

Nija bhuja danda nipaatita khanda
vipaatita munda bhataadhipate
Jay jay hey mahishasura mardini
ramyakapardini shailasute.

Ayi rana durmada shatru vadhodita
durdhara nirjara shaktibhrite
Chatura vichaara dhuriina mahaashiva
duutakrita pramathaadhipate.

Durita duriiha duraashaya durmati
daanavaduuta kritaantamate
Jay jay hey mahishasura mardini
ramyakapardini shailasute.

Ayi sharanaagata vairi vadhuuvara
viira varaabhaya daayakare
Tribhuvana mastaka shuula virodhi
shirodhi kritaamala shuulakare.

Dumidumi taamara dundubhinaada
maho mukhariikrita tigmakare
Jay jay hey mahishasura mardini
ramyakapardini shailasute.

Ayi nija hunkriti maatra niraakrita
dhuumra vilochana dhuumra shate
Samara vishoshhita shonita biija
samudhbhava shonita biija late.

Shiva shiva shumbha nishumbha
mahaahava tarpita bhoot pishaacharate
Jay jay hey mahishasura mardini
ramyakapardini shailasute.

Dhanuranu sanga ranakshan-sanga
parisphura danga natatkatake
Kanaka pishanga prishhatka nishhanga
rasadhbhata shringa hataavatuke

Krita chaturanga balakshiti ranga
ghatadhbahuranga ratadhbatuke
Jay jay hey mahishasura mardini
ramyakapardini shailasute.

Jaya jaya japya jayejaya shabda
parastuti tatpara vishvanute
Bhana bhana bhijnjimi bhinkrita
nuupura sinjita mohita bhuutapate.

Natita nataardha natiinata naayaka
naatita naatya sugaanarate
Jay jay hey mahishasura mardini
ramyakapardini shailasute.

Ayi sumanah sumanah sumanah
sumanah sumanohara kaantiyute
Shrita rajanii rajanii rajanii
rajanii rajaniikara vaktravrite.

Sunayana vibhramara bhramara
bhramara bhramara bhramaraadhipate
Jay jay hey mahishasura mardini
ramyakapardini shailasute.

Sahita mahaahava mallama
tallika mallita rallaka mallarate
Virachita vallika pallika mallika
bhillika bhillika varga vrite.

Sitakrita pullisamulla sitaaruna
tallaja pallava sallalite
Jay jay hey mahishasura mardini
ramyakapardini shailasute.

Avirala ganda galanmada medura
matta matangaja raajapate
Tribhuvana bhuushhana bhuuta
kalaanidhi ruupa payonidhi raajasute.

Ayi suda tiijana laalasamaanasa
mohana manmatha raajasute
Jay jay hey mahishasura mardini
ramyakapardini shailasute.

Kamala dalaamala komala kaanti
kalaakalitaamala bhaalalate
Sakala vilaasa kalaanilayakrama
keli chalatkala hansa kule.

Alikula sankula kuvalaya mandala
maulimiladhbhakulaali kule
Jay jay hey mahishasura mardini
ramyakapardini shailasute.

Kara muralii rava viijita kuujita
lajjita kokila majnjumate
Milita pulinda manohara gujnjita
ranjitashaila nikujnjagate.

Nijaguna bhuuta mahaashabariigana
sadguna sambhrita kelitale
Jay jay hey mahishasura mardini
ramyakapardini shailasute.

Katitata piita dukuula vichitra
mayuukhatiraskrita chandra ruche
Pranata suraasura maulimanisphura
danshula sannakha chandra ruche.

JIta kanakaachala maulipadorjita
nirbhara kunjara kumbhakuche
Jay jay hey mahishasura mardini
ramyakapardini shailasute.

Vijita sahasrakaraika
sahasrakaraika sahasrakaraikanute
Krita surataaraka sangarataaraka
sangarataaraka suunusute.

Suratha samaadhi samaanasamaadhi
samaadhisamaadhi sujaatarate
Jay jay hey mahishasura mardini
ramyakapardini shailasute.

Padakamalam karunaanilaye
varivasyati yoanudinan sa shive
Ayi kamale kamalaanilaye
kamalaanilayah sa katham na bhaveth.

Tava padameva parampad-mityanu-shiilayato
mama kim na shive
Jay jay hey mahishasura mardini
ramyakapardini shailasute.

Kanakalasatkala sindhu jalairanu
sijnchinute guna rangabhuvam
Bhajati sa kim na shachiikucha kumbha
tatii parirambha sukhaanubhavamh.

Tava charanam sharanam karavaani
nataamaravaani nivaasi shivam
Jay jay hey mahishasura mardini
ramyakapardini shailasute.

Tava vimalendukulam vadanendumalam
sakalam nanu kuulayate
Kimu puruhuuta puriindumukhii
sumukhiibhirasau vimukhiikriyate.

Mama tu matam shivanaamadhane
bhavatii kripayaa kimuta kriyate
Jay jay hey mahishasura mardini
ramyakapardini shailasute.

Ayi mayi diinadayaalutayaa
kripayaiva tvayaa bhavitavyamume
Ayi jagato jananii kripayaasi
yathaasi tathaaanumitaasirate.

Yaduchitamatra bhavatyurari
kurutaadurutaapamapaakurute
Jay jay hey mahishasura mardini
ramyakapardini shailasute.


Aigiri Nandini – Mahishasura Mardini Stotram

Anandmurti Gurumaa


Durga Bhajan



Aigiri Nandini Lyrics – Mahishasura Mardini Stotram- Lyrics in Hindi


अयि गिरिनंदिनि – महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र

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अयि गिरिनन्दिनि अर्थसहित (महिषासुरमर्दिनी स्तोत्र अर्थ सहित) पढ़ने के लिए, क्लिक करे –
स्तोत्र अर्थसहित

अयि गिरि-नन्दिनि नंदित-मेदिनि
विश्व-विनोदिनि नंदनुते

अयि गिरि-नन्दिनि नंदित-मेदिनि
विश्व-विनोदिनि नंदनुते
गिरिवर विंध्य शिरोधि-निवासिनि
विष्णु-विलासिनि जिष्णुनुते।

भगवति हे शितिकण्ठ-कुटुंबिनि
भूरि कुटुंबिनि भूरि कृते
जय जय हे महिषासुर-मर्दिनि
रम्य कपर्दिनि शैलसुते॥


सुरवर-वर्षिणि दुर्धर-धर्षिणि
दुर्मुख-मर्षिणि हर्षरते
त्रिभुवन-पोषिणि शंकर-तोषिणि
किल्बिष-मोषिणि घोषरते।

दनुज निरोषिणि दितिसुत रोषिणि
दुर्मद शोषिणि सिन्धुसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि
रम्य कपर्दिनि शैलसुते॥


अयि जगदंब मदंब कदंब
वनप्रिय वासिनि हासरते
शिखरि शिरोमणि तुङ्ग हिमालय
श्रृंग निजालय मध्यगते।

मधु मधुरे मधु कैटभ गंजिनि
कैटभ भंजिनि रासरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि
रम्य कपर्दिनि शैलसुते॥


अयि शतखण्ड विखण्डित रुण्ड
वितुण्डित शुण्ड गजाधिपते
रिपु गज गण्ड विदारण चण्ड
पराक्रम शुण्ड मृगाधिपते।

निज भुज दण्ड निपातित
खण्ड विपातित मुण्ड भटाधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि
रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥


अयि रण दुर्मद शत्रु वधोदित
दुर्धर निर्जर शक्तिभृते
चतुर विचार धुरीण महाशिव
दूतकृत प्रमथाधिपते।

दुरित दुरीह दुराशय दुर्मति
दानव दूत कृतांतमते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि
रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥


अयि शरणागत वैरि वधूवर
वीर वराभय दायकरे
त्रिभुवन मस्तक शूल विरोधि
शिरोधि कृतामल शूलकरे।

दुमिदुमि तामर दुंदुभिनाद
महो मुखरीकृत तिग्मकरे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि
रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥


अयि निज हुँकृति मात्र निराकृत
धूम्र विलोचन धूम्र शते
समर विशोषित शोणित बीज
समुद्भव शोणित बीज लते।

शिव शिव शुंभ निशुंभ
महाहव तर्पित भूत पिशाचरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि
रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥


धनुरनु संग रणक्षणसंग
परिस्फुर दंग नटत्कटके
कनक पिशंग पृषत्क निषंग
रसद्भट शृंग हतावटुके।

कृत चतुरंग बलक्षिति रंग
घटब्दहुरंग रटब्दटुके
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि
रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥


जय जय जप्य जयेजय शब्द
परस्तुति तत्पर विश्वनुते
झण झण झिञ्जिमि झिंगकृत नूपुर
सिंजित मोहित भूतपते।

नटित नटार्ध नटी नट नायक
नाटित नाट्य सुगानरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि
रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥


अयि सुमनः सुमनः सुमनः
सुमनः सुमनोहर कांतियुते
श्रितरजनी रजनी-रजनी
रजनी-रजनी कर वक्त्रवृते।

सुनयन विभ्रमर भ्रमर
भ्रमर-भ्रमर भ्रमराधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि
रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥


सहित महाहव मल्लम तल्लिक
मल्लित रल्लक मल्लरते
विरचित वल्लिक पल्लिक मल्लिक
भिल्लिक भिल्लिक वर्ग वृते।

सितकृत पुल्लिसमुल्ल सितारुण
तल्लज पल्लव सल्ललिते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि
रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥


अविरल गण्ड गलन्मद
मेदुर मत्त मतङ्गज राजपते
त्रिभुवन भूषण भूत कलानिधि
रूप पयोनिधि राजसुते।

अयि सुद तीजन लालसमानस
मोहन मन्मथ राजसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि
रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥


कमल दलामल कोमल कांति
कलाकलितामल भाललते
सकल विलास कलानिलयक्रम
केलि चलत्कल हंस कुले।

अलिकुल सङ्कुल कुवलय मण्डल
मौलिमिलद्भकुलालि कुले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि
रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥


कर मुरली रव वीजित कूजित
लज्जित कोकिल मंजुमते
मिलित पुलिन्द मनोहर गुंजित
रंजितशैल निकुंज गते।

निजगुण भूत महाशबरीगण
सदगुण संभृत केलितले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि
रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥


कटितट पीत दुकूल विचित्र
मयूखतिरस्कृत चंद्र रुचे
प्रणत सुरासुर मौलिमणिस्फुर
दंशुल सन्नख चंद्र रुचे।

जित कनकाचल मौलिपदोर्जित
निर्भर कुंजर कुंभकुचे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि
रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥


विजित सहस्रकरैक सहस्रकरैक
सहस्रकरैकनुते
कृत सुरतारक संगरतारक
संगरतारक सूनुसुते।

सुरथ समाधि समान समाधि
समाधि समाधि सुजातरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि
रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥


पदकमलं करुणानिलये वरिवस्यति
योऽनुदिनं स शिवे
अयि कमले कमलानिलये
कमलानिलयः स कथं न भवेत्।

तव पदमेव परंपदमित्यनुशीलयतो
मम किं न शिवे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि
रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥


कनकल सत्कल सिन्धु जलैरनु
सिंचिनुते गुण रंगभुवम
भजति स किं न शचीकुच कुंभ
तटी परिरंभ सुखानुभवम्।

तव चरणं शरणं करवाणि
नतामरवाणि निवासि शिवं
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि
रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥


तव विमलेन्दुकुलं वदनेन्दुमलं
सकलं ननु कूलयते
किमु पुरुहूत पुरीन्दुमुखी
सुमुखीभिरसौ विमुखीक्रियते।

मम तु मतं शिवनामधने
भवती कृपया किमुत क्रियते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि
रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥


अयि मयि दीनदयालुतया
कृपयैव त्वया भवितव्यमुमे
अयि जगतो जननी कृपयासि
यथासि तथानुमितासिरते।

यदुचितमत्र भवत्युररि
कुरुतादुरुतापमपा कुरुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि
रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥


Aigiri Nandini Lyrics – Mahishasura Mardini Stotram

Anandmurti Gurumaa


Durga Bhajan



Hanuman Chalisa – with Meaning in Hindi


हनुमान चालीसा – अर्थसहित


दोहा (Doha):

श्री गुरु चरण सरोज रज,
निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुवर बिमल जसु,
जो दायकु फल चार।

  • श्री गुरु चरण सरोज रज – श्री गुरु के चरणों की रज (धूलि) से
  • निज मन मुकुरु सुधारि – अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके
  • बरनऊं रघुवर बिमल जसु – श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूं,
  • जो दायकु फल चार – जो चारों फलों को (अर्थात धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को) देने वाला है।

बुद्धिहीन तनु जानिके,
सुमिरो पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं,
हरहु कलेश विकार।
  • बुद्धिहीन तनु जानिके – आप तो जानते ही हैं कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है
  • सुमिरो पवन-कुमार – हे पवन कुमार! मैं आपका सुमिरन करता हूं।

(हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन करता हूं। आप तो जानते ही हैं कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है।)

  • बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं – मुझे शारीरिक बल, सद्‍बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और
  • हरहु कलेश विकार – मेरे दुखों व दोषों का नाश कर दीजिए।

Chaupai (चौपाई):

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर,
जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥1॥
राम दूत अतुलित बलधामा,
अंजनी पुत्र पवन सुत नामा॥2॥
  • जय हनुमान – श्री हनुमान जी! आपकी जय हो।
  • ज्ञान गुण सागर – आप ज्ञान और गुणों के अथाह सागर हो।
  • जय कपीस– हे कपीश्वर! आपकी जय हो!
  • तिहुं लोक उजागर– तीनों लोकों में (स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल लोक में) आपकी कीर्ति है।
  • राम दूत अतुलित बलधामा– हे राम दूत हनुमान, आपके समान दूसरा बलवान नहीं है।
  • अंजनी पुत्र पवन सुत नामा– हे अंजनी पुत्र, हे पवनपुत्र हनुमान, आपकी जय हो!
महावीर विक्रम बजरंगी,
कुमति निवार सुमति के संगी॥3॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा,
कानन कुण्डल कुंचित केसा॥4॥
  • महावीर विक्रम बजरंगी– हे बजरंग बली! आप महावीर और विशेष पराक्रम वाले है।
  • कुमति निवार– आप कुमति (खराब बुद्धि) को दूर करते है,
  • सुमति के संगी– और अच्छी बुद्धि वालों के साथी और सहायक है।
  • कंचन बरन बिराज सुबेसा– आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों से सुशोभित हैं
  • कानन कुण्डल कुंचित केसा– आप कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से शोभित हैं।

(आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।)

हाथबज्र और ध्वजा विराजे,
कांधे मूंज जनेऊ साजै॥5॥
शंकर सुवन केसरी नंदन,
तेज प्रताप महा जग वंदन॥6॥
  • हाथबज्र और ध्वजा विराजे– आपके हाथ में बज्र और ध्वजा है और
  • कांधे मूंज जनेऊ साजै– कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है।
  • शंकर सुवन केसरी नंदन– हे शंकर के अवतार! हे केसरी नंदन!
  • तेज प्रताप महा जग वंदन– आपके महान पराक्रम और यश की संसार भर में वन्दना होती है।
विद्यावान गुणी अति चातुर,
राम काज करिबे को आतुर॥7॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया,
राम लखन सीता मन बसिया॥8॥
  • विद्यावान गुणी अति चातुर– आप विद्या निधान और गुणवान है। और अत्यन्त कार्य कुशल होकर
  • राम काज करिबे को आतुर– श्री राम के काज करने के लिए आतुर रहते है।

(आप विद्या निधान है, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम के काज करने के लिए आतुर रहते है।)

  • प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया– आप श्री राम चरित सुनने में आनन्द रस लेते है।
  • राम लखन सीता मन बसिया– श्री राम, सीता और लक्ष्मण आपके हृदय में बसे रहते है।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा,
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥9॥
भीम रूप धरि असुर संहारे,
रामचन्द्र के काज संवारे॥10॥
  • सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा– आपने सूक्ष्म रूप (बहुत छोटा रूप) धारण करके सीता जी को दिखलाया और
  • बिकट रूप धरि– भयंकर रूप धारण करके
  • लंक जरावा– लंका को जलाया।
  • भीम रूप धरि– आपने भीम रूप (विकराल रूप) धारण करके
  • असुर संहारे– राक्षसों को मारा और
  • रामचन्द्र के काज संवारे– श्री रामचन्द्र जी के उद्‍देश्यों को सफल कराया।
लाय सजीवन लखन जियाये,
श्री रघुवीर हरषि उर लाये॥11॥
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई,
तुम मम प्रिय भरत सम भाई॥12॥
  • लाय सजीवन लखन जियाये– आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जिलाया
  • श्री रघुवीर हरषि उर लाये– जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया।
  • रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई– श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की
  • तुम मम प्रिय भरत सम भाई– और कहा कि तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं,
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥13॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा, नारद,
सारद सहित अहीसा॥14॥
  • सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।– तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है
  • अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं– यह कहकर श्री राम ने आपको हृदय से लगा लिया।

(श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया की तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है।)

  • सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा– श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत-कुमार आदि मुनि, ब्रह्मा आदि देवता और
  • नारद, सारद सहित अहीसा– नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते है।

(सनकादिक ऋषि ब्रह्माजी के चार मानस पुत्र हैं। पुराणों में उनकी विशेष महत्ता है।
ब्रह्माजी ने सर्वप्रथम चार पुत्रों का सृजन किया था – सनक, सनन्दन, सनातन और सनत्कुमार। ये चारों सनकादिक ऋषि कहलाते हैं।)

जम कुबेर दिगपाल जहां ते,
कबि कोबिद कहि सके कहां ते॥15॥
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा,
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥16॥
  • जम कुबेर दिगपाल जहां ते– यमराज, कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक,
  • कबि कोबिद कहि सके कहां ते– कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते।
  • तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा– आपने सुग्रीव जी पर उपकार किया
  • राम मिलाय राजपद दीन्हा – उन्हें श्रीराम से मिलाया, जिसके कारण वे राजा बने।

(आपने सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया, जिसके कारण वे राजा) बने।

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना,
लंकेस्वर भए सब जग जाना॥17॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू,
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥18॥
  • तुम्हरो मंत्र विभीषण माना– आपके उपदेश का विभिषण ने पालन किया
  • लंकेस्वर भए सब जग जाना– जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है।
  • जुग सहस्त्र जोजन पर भानू– जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है कि उस पर पहुंचने के लिए कई वर्ष लगते है।
  • लील्यो ताहि मधुर फल जानू– उस सूर्य को (जो दो हजार योजन की दूरी पर स्थित है) आपने एक मीठा फल समझकर निगल लिया।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि,
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥19॥
दुर्गम काज जगत के जेते,
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥20॥
  • प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि– आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुंह में रखकर
  • जलधि लांघि गये अचरज नाहीं– समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है।
  • दुर्गम काज जगत के जेते– संसार में जितने भी कठिन से कठिन काम हो,
  • सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते– वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।

(संसार में जितने भी कठिन से कठिन काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।)

राम दुआरे तुम रखवारे,
होत न आज्ञा बिनु पैसा रे॥21॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना,
तुम रक्षक काहू को डरना ॥22॥
  • राम दुआरे तुम रखवारे– श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप रखवाले है,
  • होत न आज्ञा बिनु पैसा रे– जिसमें आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नहीं मिलता है।

(अर्थात् आपकी प्रसन्नता के बिना श्री राम कृपा दुर्लभ है)

  • सब सुख लहै तुम्हारी सरना– जो भी आपकी शरण में आते है, उस सभी को आनन्द प्राप्त होता है, और
  • तुम रक्षक काहू को डरना– जब आप रक्षक है, तो फिर किसी का डर नहीं रहता।
आपन तेज सम्हारो आपै,
तीनों लोक हांक तें कांपै॥23॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै,
महावीर जब नाम सुनावै॥24॥
  • आपन तेज सम्हारो आपै– आपके सिवाय आपके वेग को कोई नहीं रोक सकता,
  • तीनों लोक हांक तें कांपै– आपकी गर्जना से तीनों लोक कांप जाते है।
  • भूत पिशाच निकट नहिं आवै– वहां भूत, पिशाच पास भी नहीं फटक सकते।
  • महावीर जब नाम सुनावै– जहां महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है,

(जहां हनुमानजी का नाम सुनाया जाता है, वहां भूत, पिशाच पास नहीं फटक सकते।)

नासै रोग हरै सब पीरा,
जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥25॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै,
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥26॥
  • नासै रोग हरै सब पीरा– सब रोग चले जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है
  • जपत निरंतर हनुमत बीरा– जब मनुष्य वीर हनुमान जी का निरंतर जप करता है।

(वीर हनुमान जी! आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।)

  • संकट तें हनुमान छुड़ावै– सब संकटों से हनुमानजी छुड़ाते है।
  • मन क्रम बचन ध्यान जो लावै– जब मनुष्य विचार करने में, कर्म करने में और बोलने में हनुमानजी का ध्यान रखता है।

(हे हनुमान जी! विचार करने में, कर्म करने में और बोलने में, जिनका ध्यान आपमें रहता है, उनको सब संकटों से आप छुड़ाते है।)

सब पर राम तपस्वी राजा,
तिनके काज सकल तुम साजा॥27॥
और मनोरथ जो कोइ लावै,
सोई अमित जीवन फल पावै॥28॥
  • सब पर राम तपस्वी राजा– तपस्वी राजा प्रभु श्री राम सबसे श्रेष्ठ है,
  • तिनके काज सकल तुम साजा– उनके सब कार्यों को आपने सहज में कर दिया।
  • और मनोरथ जो कोइ लावै– जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करें
  • सोई अमित जीवन फल पावै– तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती।

(जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करें तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती।)

चारों जुग परताप तुम्हारा,
है परसिद्ध जगत उजियारा॥29॥
साधु सन्त के तुम रखवारे,
असुर निकंदन राम दुलारे॥30॥
  • चारों जुग परताप तुम्हारा– चारो युगों में (सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग में) आपका यश फैला हुआ है,
  • है परसिद्ध जगत उजियारा– जगत में आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।
  • साधु सन्त के तुम रखवारे– आप सज्जनों की रक्षा करते है
  • असुर निकंदन राम दुलारे– और हे श्री राम के दुलारे! आप दुष्टों का नाश करते हो।
    • (हे श्री राम के दुलारे! आप सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है।)
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता,
अस बर दीन जानकी माता॥31॥
राम रसायन तुम्हरे पासा,
सदा रहो रघुपति के दासा॥32॥
  • अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता– आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते
  • अस बर दीन जानकी माता– ऐसा वरदान आपको माता श्री जानकी से मिला हुआ है,

(आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते है।)
आठ सिद्धियां:
1.) अणिमा- जिससे साधक किसी को दिखाई नहीं पड़ता और कठिन से कठिन पदार्थ में प्रवेश कर जाता है।
2.) महिमा- जिसमें योगी अपने को बहुत बड़ा बना देता है।
3.) गरिमा- जिससे साधक अपने को चाहे जितना भारी बना लेता है।
4.) लघिमा- जिससे जितना चाहे उतना हल्का बन जाता है।
5.) प्राप्ति- जिससे इच्छित पदार्थ की प्राप्ति होती है।
6.) प्राकाम्य- जिससे इच्छा करने पर वह पृथ्वी में समा सकता है, आकाश में उड़ सकता है।
7.) ईशित्व- जिससे सब पर शासन का सामर्थ्य हो जाता है।
8.) वशित्व- जिससे दूसरों को वश में किया जाता है।

  • राम रसायन तुम्हरे पासा– आपके पास असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।
  • सदा रहो रघुपति के दासा– आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते है।

(आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते है, जिससे आपके पास असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।)

तुम्हरे भजन राम को पावै,
जनम जनम के दुख बिसरावै॥33॥
अन्त काल रघुबर पुर जाई,
जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥34॥
  • तुम्हरे भजन राम को पावै– आपका भजन करने से श्री राम जी प्राप्त होते है और
  • जनम जनम के दुख बिसरावै– जन्म जन्मांतर के दुख दूर होते है।
  • अन्त काल रघुबर पुर जाई– अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते है और
  • जहां जन्म हरि भक्त कहाई– यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलाएंगे।
और देवता चित न धरई,
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥35॥
संकट कटै मिटै सब पीरा,
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥36॥
  • और देवता चित न धरई– अन्य किसी देवता की आवश्यकता नहीं रहती, जब
  • हनुमत सेई सर्व सुख करई– हनुमान जी की सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है।

(हे हनुमान जी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नहीं रहती।)

  • संकट कटै मिटै सब पीरा– सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।
  • जो सुमिरै हनुमत बलबीरा– जो हनुमानजी का सुमिरन करता रहता है।

(हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।)

जय जय जय हनुमान गोसाईं,
कृपा करहु गुरु देव की नाई॥37॥
जो सत बार पाठ कर कोई,
छूटहि बंदि महा सुख होई॥38॥
  • जय जय जय हनुमान गोसाईं– हे स्वामी हनुमान जी! आपकी जय हो, जय हो, जय हो!
  • कृपा करहु गुरु देव की नाई– आप मुझ पर श्री गुरुजी के समान कृपा कीजिए।
  • जो सत बार पाठ कर कोई– जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा
  • छूटहि बंदि महा सुख होई– वह सब बंधनों से छूट जाएगा और उसे परम सुख की प्राप्ति होगी।

(जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बंधनों से छूट जाएगा और उसे परमानन्द मिलेगा।)

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा,
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥39॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा,
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा॥40॥
  • जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा– जो यह हनुमान चालीसा पढ़ेगा
  • होय सिद्धि साखी गौरीसा– उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी। भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी है।

(भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी है, कि जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।)

  • तुलसीदास सदा हरि चेरा– हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है।
  • कीजै नाथ हृदय मंह डेरा– इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए।

दोहा (Doha)

पवन तनय संकट हरन,
मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित,
हृदय बसहु सूरभूप॥
  • पवन तनय संकट हरन– हे पवन कुमार! हे संकट मोचन (संकट हरने वाले)
  • मंगल मूरति रूप। – आप आनंद मंगलों के स्वरूप हैं।
  • राम लखन सीता सहित– हे बजरंगबली! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित
  • हृदय बसहु सूरभूप॥– मेरे हृदय में निवास कीजिए।

(हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनंद मंगलों के स्वरूप हैं। हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए।)

Hanuman Chalisa – Jai Hanuman Gyan Gun Sagar

Jai Ambe Gauri – Ambe Maa Ki Aarti – Lyrics in English


Jai Ambe Gauri – Ambe Maa Ki Aarti

Jai Ambe Gauri, Maiya Jai Shyama Gauri
Tumako nishdin dhyavat, Hari Brahma Shivari
Maiya Jai Ambe Gauri

Mang sindur virajat, tiko mrigamad ko
Ujjwal se dou naina, chandravadan niko
Maiya Jai Ambe Gauri

Kanak saman kalevar, raktambar raje
Raktpushp gal mala, kanthan par saje
Maiya Jai Ambe Gauri

Kehari vahan rajat, khadag khappar dhari
Sur-nar-munijan sevat, tinake dukhahari
Maiya Jai Ambe Gauri

Kaanan kundal shobhit, nasagre moti
Kotik chandra divakar, rajat sam jyoti
Maiya Jai Ambe Gauri

Shumbh-nishumbh bidare, Mahishasur ghati
Dhumra vilochan naina, nishadin madamati
Maiya Jai Ambe Gauri

Chand-mund sanhare, shonit bij hare
Madhu kaitabh dou mare, sur bhayahin kare
Maiya Jai Ambe Gauri

Bramhani, rudrani, tum kamala rani
Agam nigam bakhani, tum shiv patarani
Maiya Jai Ambe Gauri

Chausath yogini mangal gavat, nritya karat bhairu
Bajat tal mridanga, aru baajat damaru
Maiya Jai Ambe Gauri

Tum hi jag ki mata, tum hi ho bharataa
Bhaktan ki dukh hartaa, sukh sampati kartaa
Maiya Jai Ambe Gauri

Bhuja char ati shobhi,
vara mudra dhari (Or khadag khappar dhari)
Manvanchhit fal pavat, sevat nar nari
Maiya Jai Ambe Gauri

Kanchan thal virajat, agar kapur bati
Shrimalaketu mein rajat, koti ratan jyoti
Maiya Jai Ambe Gauri

Shri Ambeji ki arati, jo koi nar gave
Kahat Shivanand swami, sukh sampatti pave
Maiya Jai Ambe Gauri

Jai Ambe Gauri, Maiya Jai Shyama Gauri
Tumako nishadin dhyavat, hari brahma shivari
Maiya Jai Ambe Gauri


Jai Ambe Gauri – Ambe Maa Ki Aarti

Anuradha Paudwal


Durga Bhajan



Jai Ambe Gauri – Ambe Maa Ki Aarti- Lyrics in Hindi


जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी – अम्बे माँ की आरती

जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी।

जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी

तुमको निशिदिन ध्यावत,
हरि ब्रह्मा शिव री॥
॥मैया जय अम्बे गौरी॥


मांग सिंदूर बिराजत,
टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोउ नैना,
चंद्रवदन नीको॥
॥मैया जय अम्बे गौरी॥


कनक समान कलेवर,
रक्ताम्बर राजै।
रक्त-पुष्प गल माला,
कंठन पर साजै॥
॥मैया जय अम्बे गौरी॥


केहरि वाहन राजत,
खड्ग खप्पर धारी।
सुर-नर मुनि-जन सेवत,
तिनके दुःखहारी॥
॥मैया जय अम्बे गौरी॥


कानन कुण्डल शोभित,
नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर,
राजत सम ज्योति॥
॥मैया जय अम्बे गौरी॥


शुम्भ निशुम्भ बिदारे,
महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना,
निशिदिन मदमाती॥
॥मैया जय अम्बे गौरी॥


चण्ड मुण्ड संहारे,
शोणितबीज हरे।
मधु कैटभ दोउ मारे,
सुर भयहीन करे॥
॥मैया जय अम्बे गौरी॥


ब्रम्हाणी रुद्राणी,
तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी,
तुम शिव पटरानी॥
॥मैया जय अम्बे गौरी॥


चौंसठ योगिनि गावत,
नृत्य करत भैरूं।
बाजत ताल मृदंगा,
औ बाजत डमरू॥
॥मैया जय अम्बे गौरी॥


तुम ही जगकी माता,
तुम ही हो भरता।
भक्तनकी दुःख हरता,
सुख सम्पति करता॥
॥मैया जय अम्बे गौरी॥


भुजा चार अति शोभित,
खड्ग खप्पर धारी।
मनवांछित फल पावत,
सेवत नर नारी॥
॥मैया जय अम्बे गौरी॥


कंचन थाल विराजत,
अगर कपूर बाती।
(श्री) मालकेतुमें राजत,
कोटिरतन ज्योति॥
॥मैया जय अम्बे गौरी॥


(श्री) अम्बेजी की आरती,
जो कोई नर गावै।
कहत शिवानंद स्वामी,
सुख सम्पत्ति पावै॥
॥मैया जय अम्बे गौरी॥


जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत,
हरि ब्रह्मा शिव री॥
॥मैया जय अम्बे गौरी॥


Jai Ambe Gauri – Ambe Maa Ki Aarti

Anuradha Paudwal


Durga Bhajan



Sukhkarta Dukhharta – Jai Dev Jai Mangal Murti – Lyrics in English


Sukhkarta Dukhharta – Jai Dev Jai Mangal Murti

Sukhkarta Dukhharta Varta Vighnachi.
Nurvi Purvi Prem Kripa Jayachi.

Sarvaangi Sundar Uti Shenduraachi.
Kanthi Jhalake Maal Muktaa Phalanchi.
Jai Dev, Jai Dev


Jai Dev, Jai Dev, Jai Mangal Murti.
Darshan-matre Mann Kamana-purti.
Jai Dev, Jai Dev


Ratna-khachit Phara Tuj Gauri-kumara.
Chandanaachi Uti Kumkum Keshara.

Hire-jadit Mukut Shobhato Bara.
Runzunti Noopure Charni Ghaagariya.
Jai Dev, Jai Dev


Jai Dev, Jai Dev, Jai Mangal Murti, O Shri Mangal Murti.
Darshan-matre Mann Kaamana-purti
Jai Dev, Jai Dev


Lambodar Pitaambar Phanivar Bandhana.
Saral Sond Vakratund Trinayana.

Daas Ramachaa Waat Paahe Sadanaa.
Sankati Paavave, Nirvaani Rakshave,
Suravar Vandana. Jai Dev, Jai Dev


Jai Dev, Jai Dev, Jai Mangal Murti, O Shri Mangal Murti.
Darshan-matre Mann Kamana-purti
Jai Dev, Jai Dev


Ghaalin Lotaangan Vandin Charan.
Dolyaanni Paahin Roop Tujhe
Preme Aalingan Aanande Poojin.
Bhaave Ovaalin Mhane Naama.


Tvamev Mata cha Pita Tvamev
Tvamev Bandhu cha Sakha Tvamev.
Tvamev Vidya Dravinam Tvamev
Tvamev Sarvam Mam Dev dev.


Kaayen Vaacha Manasen-driyairva,
Budhdaatmana va Prakruti-svabhavaat
Karomi Yadyat Sakalam Parasmai
Narayanayeti Samarpayaami.


Achayutam Keshavam Ram-narayanam,
Krishna-damodaram Vaasudevam Hari.
Shridharam Madhavam Gopika-vallabham,
Janaki-nayakam Ram-chandram Bhaje


Hare Ram, Hare Ram, Ram Ram, Hare Hare
Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare.
Hare Ram, Hare Ram, Ram Ram, Hare Hare
Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare.


Sukhkarta Dukhharta Varta Vighnachi.
Nurvi Purvi Prem Kripa Jayachi.
Jai Dev, Jai Dev, Jai Mangal Murti, O Shri Mangal Murti.
Darshan-matre Mann Kamana-purti, Jai Dev, Jai Dev


Sukhkarta Dukhharta – Jai Dev Jai Mangal Murti


Ganesh Bhajan