भगवान् गणेशजी की आरती, गणपति की सेवा मंगल मेवा में गणपतिजी की महिमा और उनकी सर्वव्यापकता के बारे में बताया गया है और साथ ही साथ इस आरती से हमें उनकी सेवा का महत्व भी पता चलता है।
यह आरती हमें बताती है की हमें हमेशा किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। क्योंकि इससे हमें सभी तरह के विघ्नों से मुक्ति मिलेगी और हम सुखमय जीवन जी पाएंगे।
हमें इस आरती से जो आध्यात्मिक बातें सीखने को मिलती है, उनमे से कुछ प्रमुख –
भक्ति और सेवा का महत्त्व
गणपति की सेवा मंगल मेवा, सेवा से सब विध्न टरें।
भजन में कहा गया है कि गणपतिजी की सेवा मंगलकारी है।
उनकी सेवा करने से सभी तरह के विघ्न दूर हो जाते हैं और हमारे जीवन में मंगल (शुभ) घटनाएँ होती हैं, इसलिए गणेशजी को विघ्नहर्ता और सुखकर्ता भी कहा जाता है।
यह हमें सिखाता है कि भक्ति और सेवा जीवन में बहुत महत्त्व रखती है। भक्ति से हमें भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और सेवा से हमारे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
ईश्वर की सर्वव्यापकता
तीन लोक तैतिस देवता, द्वार खड़े सब अर्ज करे॥
गणेश जी की सेवा सभी देवताओं को प्रिय है। तीन लोक के तैंतीस करोड़ देवता गणपति के द्वार पर खड़े होकर उनकी अर्चना करते हैं, उनकी सेवा में खड़े होकर प्रार्थना करते हैं।
यह हमें ईश्वर की सर्वव्यापकता का संदेश देता है। ईश्वर हर जगह विद्यमान हैं।
भगवान की कृपा
ऋद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विराजे, अरु आनन्द सों चँवरकरें।
गणपतिजी के दाएं और बाएं ओर ऋद्धि (समृद्धि) और सिद्धि (साधना) विराजमान हैं, मूर्तियाँ सुशोभित हैं, और वे उनके ऊपर आनंद से चँवर अर्थात पंखा (चंवर का अर्थ निचे दिया गया है) लहरा रही हैं।
इसका तात्पर्य यह है कि गणेश जी की सेवा से ऋद्धि-सिद्धि का भी आशीर्वाद मिलता है।
गणपति सभी प्रकार की धन-धान्य और सफलता के स्रोत हैं, और जब हम भगवान की भक्ति और सेवा करते हैं, तो उनकी कृपा से हमें सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
चँवर यानी की लंबे बालों का बना पंखा, जो राजाओं आदि के ऊपर मक्खियाँ आदि उड़ाने के लिए डुलाया जाता है – चँवर डुलाना।
भक्ति का सरल तरीका
धूप दीप और लिए आरती, भक्त खड़े जयकार करें॥ गुड़ के मोदक भोग लगत है, मुषक वाहन चढ़ा करें।
भजन में कहा गया है कि भक्त धूप, दीप और आरती लेकर गणपति की जयकार करते हैं। भक्तों को अपने इष्टदेव की सेवा में बहुत उत्साह होता है।
गुड़ के मोदक गणेश जी को बहुत प्रिय हैं, इसलिए गणेश भगवान को गुड़ के मोदक के भोग से प्रसन्न किया जा सकता है और मुषक गणेश जी का वाहन है।
यह हमें भक्ति के सरल तरीके का संदेश देता है। भक्ति करने के लिए हमें किसी विशेष साधन की आवश्यकता नहीं है। हम सरल तरीके से भी भगवान की भक्ति कर सकते हैं।
सौम्य रूप की महत्ता
सौम्यरुप सेवा गणपति की, विध्न भागजा दूर परें॥
भजन में कहा गया है कि गणपतिजी का सौम्य रूप है। यह हमें सौम्य रूप की महत्ता का संदेश देता है।
इन पंक्तियों से हमें यह भी सीखने को मिलता है कि जीवन में विघ्नों का सामना करना पड़ता है, लेकिन भक्ति और सेवा से हम इन विघ्नों को दूर कर सकते हैं।
क्यों किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले गणेशजी की पूजा करनी चाहिए?
गणपति की पूजा पहले करनी, काम सभी निर्विघ्न सरें। श्री प्रताप गणपतीजी को, हाथ जोड स्तुति करें॥
श्री गणेशजी को प्रथम पूज्य माना जाता है और उनकी पूजा सबसे पहले करनी चाहिए।
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। वे हमें जीवन में आने वाली सभी बाधाओं से बचाते हैं। हमारे कार्यों में आने वाली बाधाओं को दूर करते हैं।
इसलिए, कोई भी कार्य शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। इससे हमारे कार्य सफल होंगे और हमारे जीवन में सुख-समृद्धि आएगी।
भगवान गणेश की स्तुति करनी चाहिए। भगवान गणेश बुद्धि, ज्ञान, और समृद्धि के देवता हैं। इसलिए उनकी स्तुति करने से हमें इन सभी गुणों की प्राप्ति होती है।
भादों मास और शुक्ल चतुर्थी, दिन दोपारा पूर परें । लियो जन्म गणपति प्रभुजी ने, दुर्गा मन आनन्द भरें॥
भगवान गणेश का जन्म भादों मास की शुक्ल चतुर्थी को हुआ था। इस दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। यह हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है।
भगवान गणेश का जन्म भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र के रूप में हुआ था। उनका जन्म एक अद्भुत घटना थी।
अद्भुत बाजा बजा इन्द्र का, देव वधू जहँ गान करें। श्री शंकर के आनन्द उपज्यो, नाम सुन्या सब विघ्न टरें॥
इस पंक्ति में श्री गणेशजी की महिमा का वर्णन किया गया है। कहा गया है कि श्री गणेशजी देवताओं के द्वारा पूजे जाते हैं और उनके नाम सुनते ही सभी विघ्न दूर हो जाते हैं।
इसलिए श्री गणेशजी की पूजा करना बहुत ही महत्वपूर्ण है। उनकी पूजा करने से हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
भगवान् गणपति सभी देवताओं के आराध्य देव हैं और देवताओं द्वारा पूजे जाते है। इंद्र और ब्रह्माजी जैसे देवता भी इनकी पूजा करते हैं। और भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा है।
एकदन्त गजवदन विनायक, त्रिनयन रूप अनूप धरें। पगथंभा सा उदर पुष्ट है, देख चन्द्रमा हास्य करें॥
भगवान गणेश का एकदंत, गजवदन, त्रिनयन रूप अनूप है। इनका उदर पगथंभा सा पुष्ट है। भगवान गणेश की तीन आंखें हैं, जो तीनों लोकों को देखती हैं। इनकी एक दांत है और ये हाथी के मुख वाले हैं।
दे श्राप श्री चंद्रदेव को, कलाहीन तत्काल करें।
चंद्रमा ने भगवान गणेश का अपमान किया था, इसलिए उन्होंने चंद्रमा को कलाहीन कर दिया।
इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी का अपमान नहीं करना चाहिए।
चौदह लोक मे फिरे गणपति, तीन भुवन में राज्य करें॥
भगवान गणेश चौदह लोक में विचरण करते हैं और तीन भुवन में राज्य करते हैं। यह पंक्ति गणेश भगवान की पूजा का महत्व और प्राथमिकता बताती है और भगवान गणेश के गुणों और विशेषताओं का वर्णन करती है। इनकी कृपा से हमारा जीवन सुखमय और सफल होता है।
नामकी महिमा अपार है। यह भगवानकी प्रत्यक्ष विभूति है। नामजपके अमित प्रभावसे डाकू रत्नाकर महर्षि वाल्मीकि बन गये।
आशुतोष भगवान् शंकरने नामजपके प्रभावसे ही हलाहलको कण्ठमें धारण कर लिया और नीलकण्ठ बनकर संसारको भस्मीभूत होनेसे बचा लिया।
भगवन्नामकी ऐसी अपार महिमाको समझकर जो नाम-जपका आश्रय लेते हैं, उनका यह लोक और परलोक दोनों आनन्दसे परिपूर्ण हो जाते हैं।
नामके प्रभावसे असंख्य साधकोंको चमत्कारमयी सिद्धियाँ प्राप्त हुईं। साधारण मानव यदि महान् विपत्तियों और दुर्निवार संकटोंके आनेपर भगवन्नाम स्मरणका सहारा ले तो निश्चय ही उसको संकटोंसे मुक्ति मिल जाती है।
नामजपके प्रभावसे ही भक्तशिरोमणि बालक प्रह्लादको धधकती हुई ज्वाला भस्म नहीं कर सकी, बालक ध्रुवको अविचल पदवी प्राप्त हुई।
नामजपके प्रभावसे महावीर हनुमानजीने रामको अपना ऋणिया बनाकर अपने वशमें कर लिया।
इस घोर कलिकालमें भी जो बड़भागी भगवन्नामका आश्रय नहीं छोड़ते, उनके सभी शास्त्रानुमोदित कार्य सफल होते हैं । भगवन्नामके प्रभावसे माता और पिताकी भाँति सदैव उनकी अलक्षित रूपसे सुरक्षा होती रहती है।
मानव-जीवनके कल्याणका सर्वसुलभ एवं सर्वोत्तम साधन नामजप ही है। इसलिए तापसंतप्त मानवके लिये ईश्वरके नाम जापसे अधिक सरल सुगम कोई अन्य उपाय और साधन नहीं है।
नामजपकी अपार महिमाका वर्णन लेखनी और वाणीसे सम्भव नहीं है। उसकी सुखद अनुभूति तो इस पथके पथिकको अर्थात भक्तिपूर्वक नाम जप करनेवाले को ही हो सकती है।