Shiv Panchakshar Stotra – with Meaning – Nagendra Haraya Trilochanaya  


श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र को शिवस्वरूप क्यों कहा जाता है?

पंचाक्षर अर्थात पांच अक्षर। श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र, के पाँचों श्लोकों में क्रमशः न, म, शि, वा और य, ये पांच अक्षर आते है। न, म, शि, वा और य अर्थात् नम: शिवाय

प्रत्येक श्लोक की शुरुआत क्रमशः न, म, शि, वा और य अक्षर से होती है,
यानी की पहला श्लोक से, दुसरा से…।

और श्लोक के अंत में उस अक्षर से विदित भगवान् शिव के स्वरुप को,
यानी की अक्षर द्वारा विदित शिव स्वरूप को, अक्षर द्वारा जाने जाने वाले शिवजी के स्वरुप को प्रणाम किया गया है।

शिव पंचाक्षरी स्तोत्र के प्रत्येक श्लोक में भगवान् शिव के स्वरुप का वर्णन किया गया है, जैसे की नागेंद्रहाराय, दिगंबराय, नीलकंठाय आदि, और श्लोक के अंत में भोले बाबा को नमस्कार किया गया है।

इसलिए, यह पंचाक्षर स्तोत्र शिवस्वरूप है।


इस पोस्ट से सम्बन्धित एक महत्वपूर्ण बात

पंचाक्षर स्तोत्र के इस पोस्ट में शिव पंचाक्षरी – हिंदी में अर्थ सहित और अंग्रेजी में अर्थसहित दिया गया है –

  1. प्रत्येक शब्द का हिंदी में अर्थ और पूरे श्लोक का भावार्थ
  2. अंग्रेजी में Panchakshar StotraNagendraharaya Trilochanaya
  3. प्रत्येक इंग्लिश शब्द का इंग्लिश में अर्थ, बाद में
  4. पाठ के लिए स्तोत्र सिर्फ संस्कृत में, और
  5. अंत में श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र सिर्फ हिंदी में दिया गया है।

Shiv Panchakshar Stotra Benefits

शिव पंचाक्षर स्तोत्र के पाठ का लाभ

इस स्तोत्र के अंतिम श्लोक में पंचाक्षर स्तोत्र के पाठ का लाभ बताया है, जैसे की –

जो शिवके समीप, इस पवित्र पंचाक्षर मंत्र का पाठ करता है, वह शिवलोकको प्राप्त होता है और वहां शिवजी के साथ आनन्दित होता है, भगवान् शिव के साथ सुख पुर्वक निवास करता है।


शिव पंचाक्षर स्तोत्र के साथ ध्यान

जो भी मनुष्य इस स्तोत्र के पाठ के साथ ध्यान करता है, उसके मन में धीरे धीरे शिवजी का स्वरुप बनने लगता है।

इसलिए इस स्तोत्र के अंतिम श्लोक में कहा गया है की –
जो कोई शिव के इस पंचाक्षर मंत्र का नित्य ध्यान करता है, वह शिव के पुण्य लोक को प्राप्त करता है, तथा शिव के साथ सुख पुर्वक निवास करता है।


Shiv Panchakshar Stotra Meaning In Hindi

पहले श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र के प्रत्येक शब्द का अर्थ दिया गया है।

1. नमः शिवाय का पहला अक्षर “न”

नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय
तस्मै काराय नमः शिवायः॥

  • नागेंद्रहाराय – हे शंकर, आप नागराज को हार स्वरूप धारण करने वाले हैं
  • त्रिलोचनाय – हे तीन नेत्रों वाले (त्रिलोचन)
  • भस्मांग रागाय – आप भस्म से अलंकृत है
  • महेश्वराय – महेश्वर है
  • नित्याय – नित्य (अनादि एवं अनंत) है और
  • शुद्धाय – शुद्ध हैं
  • दिगंबराय – अम्बर को वस्त्र समान धारण करने वाले दिगम्बर
  • तस्मै न काराय – आपके “” अक्षर द्वारा विदित स्वरूप को
  • नमः शिवायः – हे शिव, नमस्कार है

भावार्थ: –
जिनके कंठ मे साँपोंका हार है, जिनके तीन नेत्र हैं, भस्म ही जिनका अंगराग है (अनुलेपन) है, दिशाँए ही जिनके वस्त्र हैं, उन अविनाशी महेश्वर “” कार स्वरूप शिवको नमस्कार है।


2. नमः शिवाय का दुसरा अक्षर “म”

मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय
नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय
तस्मै काराय नमः शिवायः॥

  • मंदाकिनी सलिल – गंगा की धारा द्वारा शोभायमान
  • चंदन चर्चिताय – चन्दन से अलंकृत एवं
  • नंदीश्वर प्रमथनाथ – नन्दीश्वर एवं प्रमथ के स्वामी
  • महेश्वराय – महेश्वर
    • प्रमथ अर्थात शिव के गण अथवा पारिषद
  • मंदारपुष्प – आप सदा मन्दार पर्वत से प्राप्त पुष्पों एवं
  • बहुपुष्प – बहुत से अन्य स्रोतों से प्राप्त पुष्पों द्वारा
  • सुपूजिताय – पुजित है
  • तस्मै म काराय – हे “म” अक्षर धारी
  • नमः शिवाय – शिव आपको नमन है

भावार्थ: –
गंगा की धारा द्वारा जो शोभायमान है, जो चन्दन से अलंकृत है, मन्दार पुष्प तथा अन्यान्य पुष्पों से जिनकी सुंदर पूजा हुई है, उन नन्दी के अधिपति और प्रमथ (प्रमथ अर्थात शिव के गण अथवा पारिषद) के स्वामी, महेश्वर “” कार स्वरूप शिव को, नमस्कार है।


3. नमः शिवाय का तीसरा अक्षर “शि”

शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय
तस्मै शि काराय नमः शिवायः॥

  • शिवाय – हे शिव,
  • गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय – माँ गौरी के कमल मुख को सूर्य समान तेज प्रदान करने वाले,
  • दक्षाध्वरनाशकाय – आपने ही दक्ष के दम्भ यज्ञ का विनाश किया था
  • श्री नीलकंठाय – नीलकण्ठ
  • वृषभद्धजाय – हे धर्म ध्वज धारी
  • तस्मै शि काराय – आपके “शि” अक्षर द्वारा जाने जाने वाले स्वरूप को
  • नमः शिवायः – हे शिव, नमस्कार है

भावार्थ: –
जो कल्याण स्वरूप हैं, पार्वती जी के मुख कमल को विकसित (प्रसन्न) करने के लिये जो सूर्य स्वरूप हैं, जो राजा दक्ष के यज्ञका नाश करने वाले हैं, जिनकी ध्वजा मे बैलका चिन्ह है, उन शोभाशाली, श्री नीलकण्ठ “शि” कार स्वरूप शिव को, नमस्कार है।


4. नमः शिवाय का चौथा अक्षर “वा”

वसिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमार्य
मुनींद्र देवार्चित शेखराय।
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय
तस्मै काराय नमः शिवायः॥

  • वसिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमार्य – वषिष्ठ, अगस्त्य, गौतम आदि
  • मुनींद्र देवार्चित शेखराय – मुनियों द्वारा एवं देवगणो द्वारा पुजित देवाधिदेव
  • चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय – आपके सूर्य, चन्द्रमा एवं अग्नि, तीन नेत्र समान हैं
  • तस्मै व काराय – आपके “” अक्षर द्वारा विदित स्वरूप को
  • नमः शिवायः – हे शिव नमस्कार है

भावार्थ: –
वसिष्ठ, अगस्त्य, और गौतम आदि श्रेष्ठ ऋषि मुनियोंने तथा इन्द्र आदि देवताओंने जिन देवाधिदेव शंकरजी की पूजा की है। चन्द्रमा, सूर्य और अग्नि जिनके नेत्र है, उन “” कार स्वरूप शिव को, नमस्कार है।


5. नमः शिवाय का पांचवां अक्षर “य”

यक्षस्वरूपाय जटाधराय
पिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगंबराय
तस्मै काराय नमः शिवायः॥

  • यक्षस्वरूपाय – हे यज्ञ स्वरूप,
  • जटाधराय – जटाधारी शिव
  • पिनाकहस्ताय – पिनाक को धारण करने वाले
    • पिनाक अर्थात
    • शिव का धनुष
  • सनातनाय – आप आदि, मध्य एवं अंत रहित सनातन है
  • दिव्याय देवाय दिगंबराय – हे दिव्य अम्बर धारी शिव
  • तस्मै य काराय – आपके “य” अक्षर द्वारा जाने जाने वाले स्वरूप को
  • नमः शिवायः – हे शिव, नमस्कार है

भावार्थ: –
जिन्होंने यक्षरूप धारण किया है, जो जटाधारी हैं, जिनके हाथ मे पिनाक (धनुष) है, जो दिव्य सनातन पुरुष हैं, उन दिगम्बर देव “य” कार स्वरूप शिव को, नमस्कार है।

  • दिगम्बर अर्थात अम्बर को वस्त्र समान धारण करने वाले

Shiv Panchakshar Stotra Benefits In Hindi

पंचाक्षर मंत्र के पाठ का लाभ

पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः
पठेत् शिव सन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति
शिवेन सह मोदते॥

  • पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः – जो कोई शिव के इस पंचाक्षर मंत्र का
  • पठेत् शिव सन्निधौ – नित्य ध्यान करता है
  • शिवलोकमवाप्नोति – वह शिव के पुण्य लोक को प्राप्त करता है
  • शिवेन सह मोदते – तथा शिव के साथ सुख पुर्वक निवास करता है

भावार्थ: –
जो शिवके समीप, इस पवित्र पंचाक्षर मंत्र का पाठ करता है, वह शिवलोकको प्राप्त होता है और वहां शिवजी के साथ आनन्दित होता है।

॥इति श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रं सम्पूर्णम्॥




Shiv Panchakshar Stotra Lyrics In English

Nagendraharaya Trilochanaya
Bhasmangaragaya Mahesvaraya

Nityaya Shuddhaya Digambaraya
Tasmai Na Karaya Namah Shivaya


Mandakini Salila Chandana Charchitaya
Nandishwar Pramathanatha Mahesvaraya

Mandara Pushpa Bahupushpa Supujitaya
Tasmai Ma Karaya Namah Shivaya


Shivaya Gauri Vadanabja Brnda
Suryaya Dakshadhvara Nashakaya

Sri Nilakanthaya Vrshadhvajaya
Tasmai Shi Karaya Namah Shivaya


Vashistha Kumbhodbhava Gautamarya
Munindra Devarchita Shekharaya

Chandrarka Vaishvanara Lochanaya
Tasmai Va Karaya Namah Shivaya


Yagna Svarupaya Jatadharaya
Pinaka Hastaya Sanatanaya

Divyaya Devaya Digambaraya
Tasmai Ya Karaya Namah Shivaya


Panchaksharamidam Punyam
Yah Pathechchiva

Sannidhau Shivalokamavapnoti
Sivena Saha Modate


Shiv Panchakshar Stotra Meaning

Nagendra Haraya Trilochanaya Meaning

First Letter “Na” of Namah Shivay

Nagendraharaya Trilochanaya
Bhasmangaragaya Mahesvaraya|
Nityaya Shuddhaya Digambaraya
Tasmai Na Karaya Namah Shivaya||

  • Nagendraharaya – the king of snakes as garland
  • Trilochanaya – lord with three eyes
  • Bhasmangaragaya – body is smeared with sacred ashes
  • Mahesvaraya – the great Lord,
  • Nityaya Shuddhaya – who is ever pure, eternal
  • Digambaraya – four directions and sky as his clothes
  • Tasmai Na Karaya – who is represented by the syllable “na”
  • Namah Shivaya – salutations to that Lord Shiva

Second Letter “Ma” of Namah Shivay

Mandakini Salila Chandana Charchitaya
Nandishwar Pramathanatha Mahesvaraya|
Mandara Pushpa Bahupushpa Supujitaya
Tasmai Ma Karaya Namah Shivaya||

  • Mandakini Salila – worshipped with water from the Mandakini river
  • Chandana Charchitaya – smeared with sandal paste,
  • Nandishwar – lord of Nandi
  • Pramathanatha – Lord of pramath, ghosts and goblins
  • Mahesvaraya – the great Lord
  • Mandara Pushpa – worshipped with Mandara,
  • Bahupushpa Supujitaya – worshipped with many other flowers,
  • Tasmai Ma Karaya – who is represented by the syllable “ma”
  • Namah Shivaya – salutations to that Lord Shankara

Third Letter “Shi” of Namah Shivay

Shivaya Gauri Vadanabja Brnda
Suryaya Dakshadhvara Nashakaya|
Sri Nilakanthaya Vrshadhvajaya
Tasmai Shi Karaya Namah Shivaya||

  • Shivaya – auspicious
  • Gauri Vadanabja Brnda Suryaya – like the newly risen sun causing the lotus-face of Gauri to blossom,
  • Dakshadhvara Nashakaya – destroyer of the sacrifice of Daksha,
  • Shri Nilakanthaya – blue throat
  • Vrshadhvajaya – has a bull as his emblem,
  • Tasmai Shi Karaya – who is represented by the syllable “shi”
  • Namah Shivaya – Salutations to that Great Lord Shiva, Mahadev

Fourth Letter “Va” of Namah Shivay

Vashistha Kumbhodbhava Gautamarya
Munindra Devarchita Shekharaya|
Chandrarka Vaishvanara Lochanaya
Tasmai Va Karaya Namah Shivaya||

  • Vashistha Kumbhodbhava Gautamarya – worshipped by the great and respected sages like Vasishtha, Agastya and Gautama
  • Munindra – worshipped by the sages and also by the gods
  • Devarchita Shekharaya – the crown of the universe,
  • Chandrarka Vaishvanara Lochanaya – has the moon, sun and fire as his three eyes,
  • Tasmai Va Karaya – who is represented by the syllable “va”
  • Namah Shivaya – Salutations to that Lord Shiva Shankara,

Third Letter “Ya” of Namah Shivay

Yagna Svarupaya Jatadharaya
Pinaka Hastaya Sanatanaya|
Divyaya Devaya Digambaraya
Tasmai Ya Karaya Namah Shivaya||

  • Yagna Swarupaya – embodiment of yagna (sacrifice)
  • Jatadharaya – matted locks,
  • Pinaka Hastaya – trident in hand
    – (pinaka – the bow of Lord Shiva)
  • Sanatanaya – eternal
  • Divyaya Devaya – divine, shining one
  • Digambaraya – four directions and sky as clothes
  • Tasmai Ya Karaya – who is represented by the syllable “ya”
  • Namah Shivaya – Salutations to that Mahadev Lord Shiva

Shiv Panchakshar Stotra Benefits

Panchaksharamidam Punyam
Yah Pathechchiva|
Sannidhau Shivalokamavapnoti
Sivena Saha Modate||

  • Panchaksharamidam Punyam, Yah Pathechchiva – who recites this Panchakshara Stotra near Lord Shiva,
  • Sannidhau Shivalokamavapnoti, Sivena Saha Modate – attain the abode of Shiva – Shivlok, and enjoy bliss.

Shiv Panchakshar Stotra in Sanskrit

नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय
तस्मै काराय नमः शिवायः॥


मंदाकिनी सलिल
चंदन चर्चिताय
नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय
तस्मै काराय नमः शिवायः॥


शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय
तस्मै शि काराय नमः शिवायः॥


वसिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमार्य
मुनींद्र देवार्चित शेखराय।
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय
तस्मै काराय नमः शिवायः॥


यक्षस्वरूपाय जटाधराय
पिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगंबराय
तस्मै काराय नमः शिवायः॥


पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः
पठेत् शिव सन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति
शिवेन सह मोदते॥

॥इति श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रं सम्पूर्णम्॥


Nagendra Haraya Trilochanaya In Hindi

Shiv Panchakshar Stotra Meaning in Hindi

जिनके कंठ मे साँपोंका हार है,
जिनके तीन नेत्र हैं,
भस्म ही जिनका अंगराग है (अनुलेपन) है,
दिशाँए ही जिनके वस्त्र हैं,
उन अविनाशी महेश्वर “न” कार स्वरूप शिवको नमस्कार है।

गंगा की धारा द्वारा जो शोभायमान है,
जो चन्दन से अलंकृत है,
मन्दार पुष्प तथा अन्यान्य पुष्पों से जिनकी सुंदर पूजा हुई है,
उन नन्दी के अधिपति और
प्रमथ (प्रमथ अर्थात शिव के गण अथवा पारिषद) के स्वामी,
महेश्वर “म” कार स्वरूप शिव को, नमस्कार है।

जो कल्याण स्वरूप हैं,
पार्वती जी के मुख कमल को विकसित (प्रसन्न) करने के लिये जो सूर्य स्वरूप हैं,
जो राजा दक्ष के यज्ञका नाश करने वाले हैं,
जिनकी ध्वजा मे बैलका चिन्ह है,
उन शोभाशाली, श्री नीलकण्ठ “शि” कार स्वरूप शिव को, नमस्कार है।

वसिष्ठ, अगस्त्य, और गौतम आदि श्रेष्ठ ऋषि मुनियोंने
तथा इन्द्र आदि देवताओंने जिन देवाधिदेव शंकरजी की पूजा की है।
चन्द्रमा, सूर्य और अग्नि जिनके नेत्र है,
उन “व” कार स्वरूप शिव को, नमस्कार है।

जिन्होंने यक्षरूप धारण किया है,
जो जटाधारी हैं,
जिनके हाथ मे पिनाक (धनुष) है,
जो दिव्य सनातन पुरुष हैं,
उन दिगम्बर देव “य” कार स्वरूप शिव को, नमस्कार है।

दिगम्बर अर्थात अम्बर को वस्त्र समान धारण करने वाले

जो शिवके समीप, इस पवित्र पंचाक्षर मंत्र का पाठ करता है,
वह शिवलोकको प्राप्त होता है और
वहां शिवजी के साथ आनन्दित होता है।


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