तुलसीदास के दोहे – 2


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तुलसीदास के दोहे – भाग 2 (Tulsidas ke Dohe in Hindi – Page 2)


राम नाम कलि कामतरु
राम भगति सुरधेनु।
सकल सुमंगल मूल जग
गुरुपद पंकर रेनु॥

अर्थ (Doha in Hindi):

  • राम नाम कलि कामतरु – कलियुगमें रामनाम मनचाहा फल देनेवाले कल्पवृक्षके समान है,
  • राम भगति सुरधेनु – रामभक्ति मुँहमाँगी वस्तु देनेवाली कामधेनु है और
  • गुरुपद पंकर रेनु – श्रीसतगुरुके चरणकमलकी रज
  • सकल सुमंगल मूल जग – संसारमें सब प्रकारके मंगलोकी जड़ (मूल) है

तुलसी हठि हठि कहत नित
चित सुनि हित करि मानि।
लाभ राम सुमिरन बड़ो
बड़ी बिसारें हानि॥

अर्थ (Doha in Hindi):

  • तुलसी हठि हठि कहत नित – तुलसीदासजी नित्य-निरन्तर बड़े आग्रहके साथ कहते हैं कि
  • चित सुनि हित करि मानि – हे चित्त! तू मेरी बात सुनकर उसे हितकारी समझ।
  • लाभ राम सुमिरन बड़ो – रामका स्मरण ही बड़ा भारी लाभ है और
  • बड़ी बिसारें हानि – उसे भुलानेमें ही सबसे बड़ी हानि है

राम नाम पर नाम तें
प्रीति प्रतीति भरोस।
सो तुलसी सुमिरत सकल
सगुन सुमंगल कोस॥

अर्थ (Doha in Hindi):

तुलसीदासजी कहते है कि

  • राम नाम पर नाम तें – जो रामनामके परायण है और
  • प्रीति प्रतीति भरोस – रामनाममें ही जिसका प्रेम, विश्वास और भरोसा है
  • सो तुलसी सुमिरत सकल – वह रामनामका स्मरण करते ही
  • सगुन सुमंगल कोस – समस्त सद्‌गुणों और श्रेष्ठ मंगलोका खजाना बन जाता है

ब्रह्म राम तें नामु बड़
बर दायक बर दानि।
राम चरित सत कोटि महँ
लिय महेस जियँ जानि॥

अर्थ (Doha in Hindi):

  • ब्रह्म राम तें नामु बड़ – निर्गुण ब्रह्म और सगुण रामसे भी रामनाम बड़ा है
  • बर दायक बर दानि – वह (रामनाम) वर देनेवाले देवताओंको भी वर देनेवाला है
  • लिय महेस जियँ जानि – महान ईश्वर श्री शंकरजीने इस रहस्यको मनमें समझकर ही
  • राम चरित सत कोटि महँ – रामचरित्रके सौ करोड़ श्लोकोंमेंसे (चुनकर दो अक्षरके इस) रामनामको ही ग्रहण किया

हरन अमंगल अघ अखिल
करन सकल कल्यान।
रामनाम नित कहत हर
गावत बेद पुरान॥

अर्थ (Doha in Hindi):

  • हरन अमंगल अघ अखिल – रामनाम अमंगल और सब पापोंको हरनेवाला तथा
  • करन सकल कल्यान – सबका कल्याण करनेवाला है
  • रामनाम नित कहत हर – इसीलिए श्रीमहादेवजी सर्वदा श्रीरामनामको रटते रहते है और
  • गावत बेद पुरान – वेद-पुराण भी इस नामका ही गुण गाते है

सबरी गीध सुसेवकनि
सुगति दीन्हि रघुनाथ।
नाम उधारे अमित खल
बेद बिदित गुन गाथ॥

अर्थ (Doha in Hindi):

  • सबरी गीध सुसेवकनि – शबरी, गीधराज जटायु आदि अपने श्रेष्ठ सेवकोंको ही
  • सुगति दीन्हि रघुनाथ – श्रीरघुनाथजीने सुगति दी
  • नाम उधारे अमित खल – परंतु रामनामने तो असंख्य दुष्टोंका उद्धार कर दिया
  • बेद बिदित गुन गाथ – रामनामकी यह गुणगाथा वेदोंमें प्रसिद्ध है

राम नाम रति राम गति
राम नाम बिस्वास।
सुमिरत सुभ मंगल कुसल
दुहुँ दिसि तुलसीदास॥

अर्थ (Doha in Hindi):

तुलसीदासजी कहते हैं की

  • राम नाम रति राम गति – जिसका रामनाममें प्रेम है, राम ही जिसकी एकमात्र गति हैं और
  • राम नाम बिस्वास – रामनाममें ही जिसका विश्वास है,
  • दुहुँ दिसि तुलसीदास – उसके लिये रामनामका स्मरण करनेसे ही दोनों ओर (इस लोकमें और परलोकमें)
  • सुमिरत सुभ मंगल कुसल – शुभ, मङ्गल और कुशल है

राम भरोसो राम बल
राम नाम बिस्वास।
सुमिरत सुभ मंगल कुसल
माँगत तुलसीदास॥

अर्थ (Doha in Hindi):

  • राम भरोसो राम बल – मेरा एकमात्र रामपर ही भरोसा रहे, श्रीरामकाही बल रहे और
  • राम नाम बिस्वास – रामनाममें ही विश्वास रहे,
  • सुमिरत सुभ मंगल कुसल – जिसके स्मरणमात्रसे ही शुभ मंगल और कुशलकी प्राप्ति होती है
  • माँगत तुलसीदास – तुलसीदासजी बस यही माँगते है

रसना साँपिनि बदन बिल
जे न जपहिं हरिनाम।
तुलसी प्रेम न राम सों
ताहि बिधाता बाम॥

अर्थ (Doha in Hindi):

  • जे न जपहिं हरिनाम – जो परमेश्वर का नाम नहीं जपते, उनकी
  • रसना साँपिनि – जीभ सर्पिणीके समान (केवल विषय-चर्चारूपी विष उगलनेवाली) और
  • बदन बिल – मुख उसके (सर्पिणीके) बिलके समान है
  • तुलसी प्रेम न राम सों – तुलसीदासजी कहते है कि जिसका राममें प्रेम नहीं है,
  • ताहि बिधाता बाम – उसके लिये तो उसका उसका भाग्य फूटा ही है (विधाता बाम)

नामु राम को कलपतरु
कलि कल्यान निवासु।
जो सुमिरत भयो भाँग
तें तुलसी तुलसीदासु॥

अर्थ (Doha in Hindi):

  • नामु राम को कलपतरु – श्रीरामजीका नाम कल्पवृक्ष (कलपतरु) है और
    • कल्पवृक्ष – मनचाहा फल देनेवाला
  • कलि कल्यान निवासु – इस कलियुगमें मुक्तिका घर (कल्याणका निवास) है
  • जो सुमिरत भयो भाँग – जिसको सुमिरन (स्मरण) करनेसे तुलसीदास भाँगसे (विषयमदसे भरी स्थितिसे) बदलकर
  • तें तुलसी तुलसीदासु – तुलसीके समान (निदोंष, भगवानका प्यारा और जगतको पावन करनेवाला) हो गया

सकल कामना हीन जे
राम भगति रस लीन।
नाम सुप्रेम पियूष हृद
तिन्हहुँ किए मन मीन॥

अर्थ (Doha in Hindi):

  • सकल कामना हीन जे – जो समस्त कामनाओंसे रहित है
  • राम भगति रस लीन – और श्रीरामजीके भक्तिरसमें डूबे हुए है
  • नाम सुप्रेम पियूष हृद – उन महात्माओंने भी (नारद, वसिष्ठ, वाल्मीकि, व्यास आदि) रामनामके सुन्दर प्रेमरूपी अमृत सरोवर में
  • तिन्हहुँ किए मन मीन – अपने मनको मछली बना रखा है
    • राम नाम के अमृतको वे क्षणभरके लिये भी त्यागनेमें मछलीकी भांति व्याकुल हो जाते है

तुलसीदास के दोहे – 3 (Tulsidas ke Dohe – 3)

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