गंगा किनारे चले जाणा मुड़के फिर नहीं आना


गंगा किनारे चले जाना

कह गए साधु, कह गए कबीरा
कह गए साधु, कह गए फकीरा

क्या तेरा क्या मेरा कबीरा
सारा ये खेल है तक़दीरों का
सारा ये खेल है तक़दीरों का
क्या तूने ले जाणा, सब यही रह जाणा


मिटदी ये मूरत, ज़िन्द वो वाणी है
गंगा किनारे चले जाणा
मुड़के फिर नहीं आना


ये जीवन तेरा लकड़ी का पुतला
ये जीवन तेरा लकड़ी का पुतला
आग लगे जल जाना, मुड़के फिर नहीं आना

मिटदि है मूरत, जिवन वो वाणी है
गंगा किनारे चले जाणा
मुड़के फिर नहीं जाणा


ये जीवन तेरा माटी का पुतला
ये जीवन तेरा माटी का पुतला
माटी में ही मिल जाना
गंगा किनारे चले जाणा

मिटदी ये मूरत, ज़िन्द वो वाणी है
गंगा किनारे चले जाना
मुड़के फिर नहीं आना


ये जीवन तेरा मोह के धागे
ये जीवन तेरा मोह के धागे
गांठ लगे टूट जाना, मुड़के फिर नहीं आना

मिटदी ये मूरत, ज़िन्द वो वाणी है
गंगा किनारे चले जाना
मुड़के फिर नहीं आना


तेरे अपने ही तुझको जलाएंगे
कुछ दिन रोयेंगे, फिर भूल जायेंगे
फिर भूल जायेंगे, फिर भूल जायेंगे

मिटदी ये मूरत, ज़िन्द वो वाणी है
गंगा किनारे चले जाणा
मुड़के फिर नहीं आना

गंगा किनारे चले जाणा
मुड़के फिर नहीं आना


Ganga Kinare Chale Jana

Hansraj Raghuwanshi (हंसराज रघुवंशी)


Shiv Bhajan