ऐसी सुबह ना आए, आए ना ऐसी शाम - अर्थ सहित


ऐसी सुबह ना आए, आए ना ऐसी शाम

शिव है शक्ति, शिव है भक्ति, शिव है मुक्ति धाम
शिव है ब्रह्मा, शिव है विष्णु, शिव है मेरे राम


ऐसी सुबह ना आए, आए ना ऐसी शाम
जिस दिन जुबा पे मेरी आए ना शिव का नाम

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय


मन मंदिर में वास है तेरा, तेरी छवि बसाई।
प्यासी आत्मा बनके जोगन, तेरी शरण में आई।
तेरी ही चरणों में पाया, मैंने यह विश्राम॥
ऐसी सुबह ना आए, आए ना ऐसी शाम….


तेरी खोज में ना जाने, कितने युग मेरे बीते।
अंत में काम क्रोध मद हारे, हे भोले तुम जीते।
मुक्त किया तूने प्रभु मुझको, शत शत है प्रणाम॥
ऐसी सुबह ना आए, आए ना ऐसी शाम….


सर्व कला संम्पन तुम्ही हो, हे मेरे परमेश्वर।
दर्शन देकर धन्य करो अब, हे त्रिनेत्र महेश्वर।
भाव सागर से तर जाउंगी, लेकर तेरा नाम॥
ऐसी सुबह ना आए, आए ना ऐसी शाम….


ऐसी सुबह ना आए, आए ना ऐसी शाम
जिस दिन जुबां पे मेरी आएं ना शिव का नाम
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय


Aisi Subah Na Aaye, Aaye Na Aisi Shaam


Shiv Bhajan



ऐसी सुबह ना आए, आए ना ऐसी शाम भजन का आध्यात्मिक अर्थ

ऐसी सुबह ना आए, आए ना ऐसी शाम
जिस दिन जुबा पे मेरी आए ना शिव का नाम

न ऐसी सुबह आए, न ऐसी शाम, जब होठों पर भगवान शिव का नाम न आए। यह श्लोक इस इच्छा को व्यक्त करता है कि हर सुबह और शाम भक्त के विचारों और शब्दों में भगवान शिव का ध्यान रहें। भक्त देवता के प्रति निरंतर स्मरण और भक्ति की स्थिति की कामना करता है।

मन मंदिर में वास है तेरा, तेरी छवि बसाई।
मेरे दिल के मंदिर में तेरी मौजूदगी है, तेरी छवि मेरे दिल में बसती है। यहां, भक्त स्वीकार करते हैं कि उनका हृदय वह मंदिर है जहां भगवान शिव की दिव्य उपस्थिति निवास करती है।

प्यासी आत्मा बनके जोगन, तेरी शरण में आई।
प्यासी आत्मा योगी का रूप धारण कर आपकी शरण में आई है। भक्त खुद को आध्यात्मिक संतुष्टि की तलाश करने वाली एक प्यासी आत्मा के रूप में पहचानता है और उसने भगवान शिव की दिव्य सुरक्षा और मार्गदर्शन के प्रति समर्पण कर दिया है।

तेरी ही चरणों में पाया, मैंने यह विश्राम॥
आपके चरणों में ही मुझे यह शांति मिली है। भक्त को भगवान शिव के चरणों में समर्पण करके सांत्वना और आंतरिक शांति मिलती है। दिव्य चरणों की शरण लेने से, भक्त को शांति और सांसारिक परेशानियों से राहत का अनुभव होता है।

तेरी खोज में ना जाने, कितने युग मेरे बीते।
तेरी तलाश में न जाने कितनी उम्र बीत गई। भक्त ईश्वर की खोज की अपनी यात्रा पर विचार करते हैं, यह स्वीकार करते हुए कि उन्होंने इस खोज में अनगिनत युगों का सफर तय किया है।

अंत में काम क्रोध मद हारे, हे भोले तुम जीते।
अंततः इच्छा, क्रोध और अहंकार की पराजय हुई। हे भोलेनाथ, आप विजयी हुए। अंततः, अपनी आध्यात्मिक खोज के अंत में, उन्होंने इन बाधाओं पर भगवान शिव की विजय को पहचानते हुए, अपनी इच्छाओं, क्रोध और अहंकार पर विजय प्राप्त कर ली है।

मुक्त किया तूने प्रभु मुझको, शत शत है प्रणाम॥
हे प्रभु, आपने मुझे मुक्त कर दिया है, आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम। इस पंक्ति में, भक्त जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति या मुक्ति प्रदान करने के लिए भगवान शिव के प्रति आभार व्यक्त करता है। भक्त इस परम आशीर्वाद के लिए परमात्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करता है और उन्हें कोटि-कोटि प्रणाम करता है।

सर्व कला संम्पन तुम्ही हो, हे मेरे परमेश्वर।
हे मेरे परम प्रभु, आप सभी कलाओं और कौशलों से सुशोभित हैं। यह पंक्ति भगवान शिव को सभी कलात्मक और कुशल क्षमताओं के स्वामी के रूप में स्वीकार करती है। यह नृत्य (नटराज) और संगीत (डमरू पर बजाया जाने वाला) जैसी विभिन्न कलाओं और विशेषताओं पर भगवान शिव की महारत को मान्यता देता है। भगवान शिव प्रेरणा और रचनात्मकता के परम स्रोत के रूप में पूजनीय हैं।

दर्शन देकर धन्य करो अब, हे त्रिनेत्र महेश्वर।
हे त्रिनेत्र महेश्वर (शिव) मुझे अपने दिव्य स्वरूप का धन्य दर्शन प्रदान करें। भक्त भगवान शिव के दिव्य रूप को देखने का शुभ अवसर पाने की इच्छा व्यक्त करता है। वे भगवान शिव का दिव्य आशीर्वाद चाहते हैं और ज्ञान और ब्रह्मांडीय धारणा के प्रतीक देवता के तीन आंखों वाले रूप के पवित्र दर्शन की इच्छा रखते हैं।

भाव सागर से तर जाउंगी, लेकर तेरा नाम॥
मैं आपका नाम लेकर भवसागर से पार हो जाऊंगा। भक्त संसार के भाव सागर से पार पाने के लिए अपनी भक्ति और दृढ़ संकल्प व्यक्त करते हैं। भगवान शिव का जाप और नाम लेने से, उनका मानना है कि वे जीवन की चुनौतियों और जुड़ावों से पार पाने में सक्षम होंगे और अंततः आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त करेंगे।

कुल मिलाकर, ये भजन गीत भक्तों की भगवान शिव के प्रति अटूट भक्ति की लालसा, उनके भीतर दिव्य उपस्थिति की पहचान और देवता की कृपा के प्रति समर्पण के माध्यम से प्राप्त मुक्ति के लिए उनकी कृतज्ञता को व्यक्त करते हैं।


ऐसी सुबह ना आए, आए ना ऐसी शाम पर आधारित प्रार्थना

यह एक सुन्दर भजन है. निम्नलिखित प्रार्थना इसी भजन, ऐसी सुबह न आये, आये न ऐसी शाम, पर आधारित है –

हे भगवान शिव, मैं आपको शत-शत नमन करता हूँ।

हे मेरे परम प्रभु, आप सभी कलाओं से संपन्न हैं।

आपको ढूंढते-ढूंढते न जाने कितनी उम्र गुजर गई. लेकिन अंत में आपने मुझे काम, क्रोध और अहंकार से मुक्त कर दिया है।

अब, हे त्रिनेत्र, हे महेश्वर, मुझे अपने दर्शन देकर आशीर्वाद दीजिये।

मैं तुम्हारा नाम लेकर भवसागर से पार हो जाऊँगा।

ऐसी सुबह न आये, ऐसी शाम न आये। ऐसा कोई दिन न आये जब मेरी जुबान पर शिव का नाम न आये।

मेरे मन के मंदिर में तुम विराजमान हो, तुम्हारी छवि वहीं अंकित है।

हे प्रभु, मैं आपकी शरण में आया हूं। तेरे चरणों में ही मैंने विश्राम पाया है।

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय – ॐ शिवाय नमः, ॐ शिवाय नमः।


शिवजी से प्रार्थना

मेरे भोलेनाथ मुझे, आज है तेरी ही शरण,
पड़ा मझधार में मै, सागर का किनारा दे दे,
अपने हाथों का मुझे, हे नाथ सहारा दे दे॥


मोह माया की घनघोर घटा है छाई।,
और अज्ञान का तूफान उठा है भारी॥
डूबता चला मै इसमें, कैसी मुसीबत आई।
हे भोलेनाथ करो रक्षा दया के धारी॥
अपनी कृपा का मुझे एक इशारा दे दे॥


कौन है तेरे सिवा जिसकी शरण जाऊँ।
मोह माया की दुनिया में भटक रहा हूँ स्वामी॥
ऐसा कोई ना मिला जिसको विपत्ति सुनाऊँ।
दुखहर्ता है तू ही, और दया निधि नामी॥
हे नाथ मुझे अब तो भव का किनारा दे दे॥


तुमने बहुतों को तारा है, हे नाथ निरंजन।
और भवपार किये है लाखो ही अधर्मी॥
महिमा तेरी ये सुनी है संकट मोचन।
चरणों में आन पड़ा दास तेरा अज्ञानी॥
दया दृष्टि का हे भोले अब तो नजारा दे दे॥


Shiv Bhajan