चितचोर लियो है कन्हाई


चितचोर लियो है कन्हाई

जय गोविंदा, जय गोविंदा
जय गोपाला, जय गोपाला

अरी, चितचोर लियो है कन्हाई
तन मन की सुध बिसरायी

अरी, चितचोर लियो है कन्हाई
तन मन की सुध बिसरायी


मेरो बिसर गयो घर अंगना है
सजनी अब चैन पडेना है

मन सांवरी सूरत भाई
तन मन की सुध बिसरायी

अरी चितचोर लियो है कन्हाई
तन मन की सुध बिसरायी


मै प्रेम दीवानी कान्हा की
मेरे उर पीर भई वाकी

मोहन सो प्रीत लगायी
तन मन की सुध बिसरायी

अरी चितचोर लियो है कन्हाई
तन मन की सुध बिसरायी


रसिया तेरी है जाऊँगी
रसिकन के दर्शन पाऊँगी

मोहे ले चल संग लेवाई
तन मन की सुध बिसरायी

अरी चितचोर लियो है कन्हाई
तन मन की सुध बिसरायी


सखी प्रेम पंथ मोहे भायो है
मन राधा रमण समायों है

मै तो भूल गयी चतुराई
तन मन की सुध बिसरायी

अरी चितचोर लियो है कन्हाई
तन मन की सुध बिसरायी


अरी चितचोर लियो है कन्हाई
तन मन की सुध बिसरायी

Chitchor Liyo Re Kanhai


Krishna Bhajan