ओ शंकर मेरे कब होंगे दर्शन तेरे


शंकर मेरे कब होंगे दर्शन तेरे

ओ शंकर मेरे,
कब होंगे दर्शन तेरे।
जीवन पथ पर, शाम सवेरे,
छाए है घनघोर अँधेरे॥


मै मूरख, तू अंतरयामी,
मै सेवक, तू मेरा स्वामी।
काहे मुझ से नाता तोडा,
मन छोड़ा, मन्दिर भी छोड़ा।
कितनी दूर लगाये तूने
जा कैलाश पे डेरे॥

ओ शंकर मेरे,
कब होंगे दर्शन तेरे।


तेरे द्वार पे ज्योत जगाते,
युग बीते तेरे गुण गाते।
ना मांगू मैं हीरे मोती,
मांगू बस थोड़ी सी ज्योति।
खाली हाथ ना जाऊंगा मैं,
दाता द्वार से तेरे॥

ओ शंकर मेरे,
कब होंगे दर्शन तेरे।
जीवन पथ पर, शाम सवेरे,
छाए है घनघोर अँधेरे॥


O Shankar Mere Kab Honge Darshan Tere


Shiv Bhajan