बड़ी देर भई नंदलाला


बड़ी देर भई नंदलाला

बड़ी देर भई नंदलाला
तेरी रह तके बृजबाला


ग्वाल-बाल इक-इक से पूछे
कहाँ है मुरली वाला रे
बड़ी देर भई नंदलाला
तेरी रह तके बृजबाला

कोई ना जाए कुञ्ज गलिन में,
तुझ बिन कलियाँ चुनने को
तुझ बिन कलियाँ चुनने को

तरस रहे हैं……
तरस रहे हैं जमुना के तट,
धुन मुरली की सुनने को

अब तो दरस दिखा दे नटखट,
क्यों दुविधा में डाला रे

बड़ी देर भई नंदलाला
तेरी रह तके बृजबाला


संकट में है आज वो धरती,
जिस पर तूने जनम लिया
जिस पर तूने जनम लिया

पूरा कर दे…….
पूरा कर दे आज वचन वो,
गीता में जो तूने दिया

कोई नहीं है तुझ बिन मोहन,
भारत का रखवाला रे

बड़ी देर भई नंदलाला
तेरी रह तके बृजबाला


ग्वाल-बाल इक-इक से पूछे
कहाँ है मुरली वाला रे
बड़ी देर भई नंदलाला
तेरी रह तके बृजबाला

बड़ी देर भई नंदलाला
तेरी रह तके बृजबाला


Badi Der Bhai Nandlala

Mohammed Rafi


Krishna Bhajan



श्री कृष्ण के चरणों में प्रार्थना


मोहन प्यारे जरा गलियोंमें हमारी आजा।
आजा, आजा, इधर ऐ कृष्ण कन्हैया! आजा॥

तुम दौड-दौड़ दीनोंको, हे दीनानाथ बचाते।
तुम शरणागत भक्तो को अपने गले लगाते॥


भक्तों के दु:ख हरनेके लिये तूने है लीला रचाई।
फिर वह बंसी लिये जमुनाके किनारे आजा॥

लाखों गौएँ तेरी अब फिरती हैं मारी मारी।
लगन तुझसे ही लगी नन्द के दुलारे आजा॥


तेरी इस भूमिमें छाई है घटा ज़ुल्मोंकी।
तिलमिलाती हुई धरतीको बचाने आजा॥

जल्द आ कि तेरे वास्ते भक्त व्याकुल है।
कर्मभूमिमें वही कर्म सिखाने आजा॥


बनकरके राम कहीं तो रावणका मान मिटाते।
नरसिंह कभी कहलाके, हिरनाकुश को दल जाते॥

निर्दयी कंसके वधको, घनश्याम रूप में आते।
सारथि सखा अर्जुनके बांके, फिर अमृत पिलाते॥

तुम हमें भूल मत जाना, ऐ मेरे जन-मन-रंजन
है तुम्हे समर्पित सादर अपना यह तन मन जीवन॥


Krishna Bhajan